सही प्रकार के संदेशवाहक की पहचान कराना
“मैं . . . अपने दास के वचन को पूरा करता और अपने दूतों की युक्ति को सुफल करता हूं।”—यशायाह ४४:२५, २६.
१. यहोवा सही प्रकार के संदेशवाहकों की पहचान कैसे कराता है, और वह झूठे संदेशवाहकों का पर्दाफ़ाश कैसे करता है?
यहोवा परमेश्वर अपने सच्चे संदेशवाहकों का महान पहचान करानेवाला है। उनके ज़रिए दिए गए संदेशों को सच्चा ठहराकर वह उनकी पहचान कराता है। यहोवा झूठे संदेशवाहकों का बड़ा पर्दाफ़ाश करनेवाला भी है। वह उनका पर्दाफ़ाश कैसे करता है? वह उनके चिन्हों और पूर्वानुमानों को विफल कर देता है। इस तरह वह प्रदर्शित करता है कि वे स्वयं-नियुक्त पूर्वानुमानकर्ता हैं, जिनके संदेश असल में उनके झूठे तर्क-वितर्क से निकलते हैं—जी हाँ, उनके मूर्खतापूर्ण, शारीरिक सोच-विचार से!
२. इस्राएल के समय में संदेशवाहकों के बीच कौन-सा विरोध उत्पन्न हुआ?
२ यशायाह और यहेजकेल, दोनों ने यहोवा परमेश्वर के संदेशवाहक होने का दावा किया। क्या वे थे? आइए देखते हैं। यशायाह ने यरूशलेम में लगभग सा.यु.पू. ७७८ से सा.यु.पू. ७३२ के कुछ समय बाद तक भविष्यवाणी की। यहेजकेल को सा.यु.पू. ६१७ में निर्वासित कर बाबुल भेज दिया गया। उसने वहाँ अपने यहूदी भाइयों को भविष्यवाणी सुनाई। दोनों भविष्यवक्ताओं ने निडरता से घोषणा की कि यरूशलेम का विनाश होगा। दूसरे भविष्यवक्ताओं ने कहा कि परमेश्वर ऐसा नहीं होने देगा। कौन सही प्रकार के संदेशवाहक साबित हुए?
यहोवा झूठे भविष्यवक्ताओं का पर्दाफ़ाश करता है
३, ४. (क) बाबुल में, इस्राएलियों को कौन-से दो परस्पर-विरोधी संदेश दिए गए थे, और यहोवा ने एक झूठे संदेशवाहक का पर्दाफ़ाश कैसे किया? (ख) यहोवा ने झूठे भविष्यवक्ताओं के साथ क्या घटित होने के बारे में बताया?
३ यहेजकेल जब बाबुल में था, तब उसे यरूशलेम के मंदिर में जो कुछ हो रहा था उसका दर्शन दिया गया। उसके पूर्वी फाटक के प्रवेश पर २५ पुरुष थे। उनमें से दो प्रधान थे, याजन्याह और पलत्याह। यहोवा ने उन्हें किस दृष्टि से देखा? यहेजकेल ११:२, ३ (NHT) उत्तर देता है: “हे मनुष्य के सन्तान, ये वे लोग हैं जो इस नगर में बुरी युक्तियां गढ़ते और बुरी सलाह देते हैं, जो कहते हैं, ‘क्या घर बनाने का समय निकट नहीं है?’” ये शांति के अक्खड़ संदेशवाहक कह रहे थे, ‘यरूशलेम को कोई ख़तरा नहीं है। जल्दी ही, हम उसमें और घर बनानेवाले हैं!’ सो परमेश्वर ने यहेजकेल को इन झूठ बोलनेवाले भविष्यवक्ताओं के विरुद्ध जवाबी-भविष्यवाणी करने के लिए कहा। अध्याय ११ की १३वीं आयत में, यहेजकेल हमें बताता है कि उनमें से एक के साथ क्या हुआ: “मैं इस प्रकार की भविष्यद्वाणी कर रहा था, कि बनायाह का पुत्र पलत्याह मर गया।” ऐसा शायद इसलिए हुआ क्योंकि पलत्याह सबसे प्रमुख और प्रभावशाली प्रधान था और सबसे बड़ा मूर्तिपूजक भी। उसकी अकस्मात् मौत ने साबित कर दिया कि वह एक झूठा भविष्यवक्ता था!
४ यहोवा द्वारा पलत्याह को प्राणदंड दिए जाने के बावजूद दूसरे झूठे भविष्यवक्ता परमेश्वर के नाम से झूठ बोलने से नहीं रुके। परमेश्वर की इच्छा के विरुद्ध पूर्वानुमान लगाने की अपनी मूर्खतापूर्ण आदत से, ये धोखेबाज़ लोग बाज़ नहीं आए। सो यहोवा परमेश्वर ने यहेजकेल से कहा: “हाय, उन मूढ़ भविष्यद्वक्ताओं पर जो अपनी ही आत्मा के पीछे भटक जाते हैं, और कुछ दर्शन नहीं पाया!” जब “शान्ति है ही नहीं” तब यरूशलेम के विषय में अवहेलनापूर्वक “शान्ति का दर्शन” बताने के कारण, वे पलत्याह की तरह ‘न रहेंगे।’—यहेजकेल १३:३, १५, १६.
५, ६. उन सभी झूठे संदेशवाहकों के बावजूद, यशायाह को किस तरह एक सच्चा भविष्यवक्ता साबित किया गया?
५ जहाँ तक यशायाह का सवाल है, यरूशलेम के बारे में उसके सभी ईश्वरीय संदेश सच निकले। सा.यु.पू. ६०७ की गर्मियों में, बाबुलियों ने शहर को नष्ट कर दिया और यहूदी शेष जनों को बंदी बनाकर बाबुल ले गए। (२ इतिहास ३६:१५-२१; यहेजकेल २२:२८; दानिय्येल ९:२) क्या झूठे भविष्यवक्ताओं ने इन विपत्तियों के कारण परमेश्वर के लोगों से निरर्थक बकबक करना छोड़ दिया? नहीं, वे झूठ बोलनेवाले संदेशवाहक ऐसा करते ही रहे!
६ मानो यह काफ़ी नहीं था, निर्वासित इस्राएलियों को बाबुल के शेख़ीबाज़ भविष्य-बतानेवालों, शगुनियों, और ज्योतिषियों का भी सामना करना पड़ा। लेकिन, यहोवा ने इन सभी झूठे संदेशवाहकों को, जो होनेवाला था उसके विपरीत भविष्यवाणी करनेवाले, विफल मूर्ख साबित किया। समय बीतने पर उसने यह प्रदर्शित किया कि यशायाह के समान, यहेजकेल भी उसका सच्चा संदेशवाहक था। यहोवा ने उनके ज़रिए बोले गए अपने सभी वचनों को पूरा किया, ठीक जैसा उसने वादा किया था: “मैं झूठे लोगों के कहे हुए चिन्हों को व्यर्थ कर देता और भावी कहनेवालों को बावला कर देता हूं; जो बुद्धिमानों को पीछे हटा देता और उनकी पण्डिताई को मूर्खता बनाता हूं; और अपने दास के वचन को पूरा करता और अपने दूतों की युक्ति को सुफल करता हूं।”—यशायाह ४४:२५, २६.
बाबुल और यरूशलेम के बारे में चौंकानेवाले संदेश
७, ८. बाबुल के लिए यशायाह के पास कौन-सा उत्प्रेरित संदेश था, और उसके शब्दों का क्या अर्थ था?
७ यहूदा और यरूशलेम को ७० साल तक, बिना किसी इंसानी बस्ती के उजाड़ पड़ा रहना था। लेकिन, यहोवा ने यशायाह और यहेजकेल के ज़रिए घोषणा की कि शहर पुनःनिर्मित होगा और भूमि ठीक उसी समय पर बसाई जाएगी जो समय उसने पूर्वबताया था! यह एक आश्चर्यजनक पूर्वकथन था। क्यों? क्योंकि बाबुल अपने क़ैदियों को कभी न छोड़ने के लिए जाना जाता था। (यशायाह १४:४, १५-१७) तो फिर इन बंदियों को संभवतः कौन छुड़ा सकता था? शक्तिशाली बाबुल को, उसकी विशालकाय दीवारों और जल-रक्षा प्रणाली के रहते कौन हरा सकता था? सर्वशक्तिमान यहोवा ऐसा करता! और उसने कहा कि वह हराएगा: “मैं . . . जो गहिरे जल [यानि, शहर की जलीय रक्षा] से कहता [हूँ], तू सूख जा, मैं तेरी नदियों को सुखाऊंगा; जो कुस्रू के विषय में कहता है, वह मेरा ठहराया हुआ चरवाहा है और मेरी इच्छा पूरी करेगा; यरूशलेम के विषय कहता है, वह बसाई जाएगी और मन्दिर के विषय कि तेरी नेव डाली जाएगी।”—यशायाह ४४:२५, २७, २८.
८ ज़रा सोचिए! फ़रात नदी, इंसानों के लिए एक सचमुच दुर्जेय बाधा, यहोवा के लिए तपते हुए अंगारे पर पानी की एक बूँद के समान थी। पलक झपकते ही, वह गायब हो जाती! बाबुल गिर जाता। हालाँकि यह फ़ारसी कुस्रू के जन्म से लगभग १५० साल पहले था, यहोवा ने इस राजा द्वारा बाबुल पर क़ब्ज़ा किए जाने के बारे में, यशायाह के ज़रिए पूर्वबताया। साथ ही कुस्रू द्वारा यहूदी बंदियों को यरूशलेम और उसके मंदिर का पुनःनिर्माण करने के लिए लौटने की अनुमति देने के द्वारा उनका छुड़ाया जाना भी पूर्वबताया।
९. बाबुल को दंड देने के लिए यहोवा ने अपने प्रतिनिधि का क्या नाम बताया?
९ यह भविष्यवाणी हमें यशायाह ४५:१-३ में मिलती है: “यहोवा अपने अभिषिक्त कुस्रू के विषय यों कहता है, मैं ने उस के दहिने हाथ को इसलिये थाम लिया है कि उसके साम्हने जातियों को दबा दूं . . . उसके साम्हने फाटकों को ऐसा खोल दूं कि वे फाटक बन्द न किए जाएं। मैं तेरे आगे आगे चलूंगा और ऊंची ऊंची भूमि को चौरस करूंगा, मैं पीतल के किवाड़ों को तोड़ डालूंगा और लोहे के बेड़ों को टुकड़े टुकड़े कर दूंगा। मैं तुझ को अन्धकार में छिपा हुआ और गुप्त स्थानों में गड़ा हुआ धन दूंगा, जिस से तू जाने कि मैं . . . यहोवा हूं जो तुझे नाम लेकर बुलाता है।”
१०. किस तरीक़े से कुस्रू “अभिषिक्त” था, और उसके जन्म के सौ साल से भी पहले यहोवा उससे कैसे बोल सका?
१० ध्यान दीजिए, यहोवा कुस्रू से ऐसे बोलता है मानो वह जन्म ले चुका हो। यह पौलुस के इस कथन के सामंजस्य में है कि यहोवा, “जो बातें हैं ही नहीं, उन का नाम ऐसा लेता है, कि मानो वे हैं।” (रोमियों ४:१७) और परमेश्वर, कुस्रू की “अपने अभिषिक्त” के रूप में भी पहचान कराता है। उसने ऐसा क्यों किया? और वैसे भी, यहोवा के महायाजक ने कुस्रू के सिर पर अभिषेक करनेवाला पवित्र तेल तो कभी डाला नहीं था। माना, लेकिन यह एक भविष्यसूचक अभिषेक है। यह एक ख़ास पद-नियुक्ति को सूचित करता है। सो परमेश्वर कुस्रू की अग्रिम नियुक्ति को एक अभिषेक कह सकता था।—१ राजा १९:१५-१७; २ राजा ८:१३ से तुलना कीजिए।
परमेश्वर अपने संदेशवाहकों के शब्दों को पूरा करता है
११. बाबुल के निवासियों ने सकुशल क्यों महसूस किया?
११ जिस समय कुस्रू ने बाबुल पर चढ़ाई की, तब उसके नागरिक बहुत सुरक्षित और सकुशल महसूस करते थे। उनका शहर, फ़रात नदी से बनी एक गहरी और चौड़ी बचाव-खंदक से घिरा हुआ था। शहर के बीच जहाँ से नदी निकलती थी, वहाँ उसके पूर्वी किनारे पर एक निरंतर घाट बना हुआ था। उसे शहर से अलग करने के लिए, नबूकदनेस्सर ने एक ऐसी रचना की जिसे उसने कहा “एक विशाल दीवार, जो एक पहाड़ की तरह हिलाई नहीं जा सकती थी . . . उसकी चोटी [उसने] पहाड़ जितनी ऊँची उठाई।”a इस दीवार में पीतल के विशालकाय किवाड़ोंवाले फाटक थे। उनमें प्रवेश करने के लिए, एक व्यक्ति को नदी के किनारे से ढलान पर चढ़ना पड़ता। कोई ताज्जुब नहीं कि बाबुल के क़ैदी कभी आज़ाद होने की उम्मीद छोड़ बैठे थे!
१२, १३. जब कुस्रू ने बाबुल पर क़ब्ज़ा किया, तो अपने संदेशवाहक यशायाह के ज़रिए कहे गए यहोवा के शब्द कैसे सच साबित हुए?
१२ लेकिन जिन यहूदी बंदियों का यहोवा में विश्वास था, उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी थी! उनके पास एक उज्ज्वल आशा थी। अपने भविष्यवक्ताओं के ज़रिए, परमेश्वर ने उनको मुक्त कराने का वादा किया था। परमेश्वर ने अपना वादा कैसे पूरा किया? कुस्रू ने अपनी सेना को हुक्म दिया कि फ़रात नदी को एक स्थान पर मोड़ दें। यह स्थान बाबुल से कई किलोमीटर दूर था। इस तरह, शहर की मुख्य सुरक्षा को एक सूखे से नदीतल में बदल दिया गया। उस निर्णायक रात को, बाबुल में नशे में धुत्त रंगरेलियाँ मनानेवालों ने फ़रात के किनारेवाले हिस्से पर, दो-पल्ले के किवाड़ लापरवाही से खुले छोड़ दिए थे। यहोवा ने पीतल के किवाड़ों को सचमुच तोड़ नहीं डाला; ना ही उसने उन किवाड़ों को बंद करनेवाले लोहे के बेड़ों के टुकड़े-टुकड़े कर दिए, लेकिन उन्हें खुला और बंधन-मुक्त रखने के उसके अद्भुत युक्तिचालन का वही असर हुआ। बाबुल की दीवारें कोई काम नहीं आयीं! अंदर जाने के लिए कुस्रू की फ़ौज को उन पर चढ़ना नहीं पड़ा। यहोवा कुस्रू के आगे-आगे चला, “ऊंची ऊंची भूमि,” जी हाँ, सभी बाधाओं को हटाते हुए। यशायाह को परमेश्वर का सच्चा संदेशवाहक साबित किया गया।
१३ जब कुस्रू ने शहर पर पूरी तरह क़ब्ज़ा कर लिया, तो उसका सारा ख़ज़ाना उसके हाथ लगा, यहाँ तक कि अंधेरे, गुप्त कमरों में छिपा हुआ ख़ज़ाना भी। यहोवा परमेश्वर ने कुस्रू के लिए ऐसा क्यों किया? ताकि वह जान लेता कि यहोवा, ‘जो उसे नाम लेकर बुलाता है,’ सच्ची भविष्यवाणी का परमेश्वर और विश्व का सर्वसत्ताधारी प्रभु है। वह जान जाता कि परमेश्वर ने अपने लोगों, इस्राएल को मुक्त करने के लिए उसे सामर्थ देने का प्रबंध किया था।
१४, १५. हम कैसे कह सकते हैं कि बाबुल पर कुस्रू की विजय का श्रेय यहोवा को जाता है?
१४ सुनिए यहोवा ने कुस्रू से क्या कहा: “अपने दास याकूब और अपने चुने हुए इस्राएल के निमित्त मैं ने नाम लेकर तुझे बुलाया है; यद्यपि तू मुझे नहीं जानता, तौभी मैं ने तुझे पदवी दी है। मैं यहोवा हूं और दूसरा कोई नहीं, मुझे छोड़ कोई परमेश्वर नहीं; यद्यपि तू मुझे नहीं जानता, तौभी मैं तेरी कमर कसूंगा, जिस से उदयाचल से लेकर अस्ताचल तक लोग जान लें कि मुझ बिना कोई है ही नहीं; मैं यहोवा हूं और दूसरा कोई नहीं है। मैं उजियाले का बनानेवाला और अन्धियारे का सृजनहार हूं, [अपने निर्वासित लोगों के लिए] शान्ति का दाता और [बाबुल के लिए] विपत्ति को रचता हूं, मैं यहोवा ही इन सभों का कर्त्ता हूं।”—यशायाह ४५:४-७.
१५ बाबुल पर कुस्रू की विजय का श्रेय यहोवा को जाना चाहिए, क्योंकि उसी ने उस दुष्ट शहर के विरुद्ध अपनी इच्छा पूरी करने, और अपने बंदी लोगों को छुड़ाने के लिए उसे मज़बूत किया था। ऐसा करते समय, परमेश्वर ने अपने स्वर्ग से धर्मी प्रभावों या शक्तियों की वर्षा करने को कहा। उसने धर्मी घटनाएँ उत्पन्न करने और अपने निर्वासित लोगों का उद्धार करने के लिए, अपनी पृथ्वी को खुल जाने को कहा। और उसके लाक्षणिक स्वर्ग और पृथ्वी ने उसकी आज्ञा मानी। (यशायाह ४५:८) यशायाह की मृत्यु के सौ साल से भी ज़्यादा समय बाद, उसकी पहचान यहोवा के सच्चे संदेशवाहक के रूप में करायी गयी!
सिय्योन के लिए संदेशवाहक का सुसमाचार!
१६. जब बाबुल की पराजय हुई, तब यरूशलेम के उजाड़ शहर में किस सुसमाचार की घोषणा की जा सकती थी?
१६ अभी और भी कुछ है। यशायाह ५२:७ यरूशलेम के लिए सुसमाचार की बात कहता है: “पहाड़ों पर उसके पांव क्या ही सुहावने हैं जो शुभ समाचार लाता है, जो शान्ति की बातें सुनाता है और कल्याण का शुभ समाचार और उद्धार का सन्देश देता है, जो सिय्योन से कहता है, तेरा परमेश्वर राज्य करता है।” ज़रा सोचिए, पहाड़ों से यरूशलेम की ओर आते हुए एक संदेशवाहक को देखना कितना रोमांचक था! उसके पास समाचार होगा। वह क्या है? यह सिय्योन के लिए रोमांचक समाचार है। शांति का समाचार, जी हाँ, परमेश्वर की सद्भावना का समाचार। यरूशलेम और उसके मंदिर का पुनःनिर्माण होना है! और संदेशवाहक विजयोल्लास के साथ घोषणा करता है: “तेरा परमेश्वर राज्य करता है।”
१७, १८. कुस्रू के हाथों बाबुल की पराजय ने यहोवा के नाम को कैसे प्रभावित किया?
१७ जब यहोवा ने उस प्रतिरूपक सिंहासन का तख़्ता पलटने के लिए बाबुलीय लोगों को अनुमति दी, जिस पर दाऊद के वंश के राजा बैठते थे, तो ऐसा लगा होगा मानो वह राजा नहीं रहा। इसके बजाय बाबुल का मुख्य ईश्वर मरदूक, राजा प्रतीत हुआ। लेकिन, जब सिय्योन के परमेश्वर ने बाबुल का तख़्ता पलट दिया, तो उसने अपनी विश्व सर्वसत्ता प्रदर्शित की—कि वह सबसे महान राजा है। और इस हक़ीक़त पर ज़ोर देने के लिए, ‘महाराजा के नगर,’ यरूशलेम को उसके मंदिर के साथ पुनःस्थापित करना था। (मत्ती ५:३५) और वह संदेशवाहक जो ऐसा सुसमाचार लाया था, हालाँकि उसके पैर धूल से भरे, गंदे और छिले हुए थे, सिय्योन और उसके परमेश्वर के प्रेमियों की नज़र में वे कितने सुहावने दिखते थे!
१८ भविष्यसूचक अर्थ में, बाबुल की पराजय का अर्थ था कि परमेश्वर का राज्य स्थापित हो चुका था, और सुसमाचार लानेवाला उस हक़ीकत का एक उद्घोषक था। इसके अलावा, यशायाह द्वारा पूर्वबताए गए, इस प्राचीन संदेशहर ने अधिक महान सुसमाचार के एक संदेशवाहक का पूर्वसंकेत किया—उसके प्रभावशाली विषय और राज्य प्रसंग के कारण अधिक महान। सभी विश्वासी लोगों के लिए उसका शानदार आशय भी था।
१९. यहोवा ने इस्राएल देश के बारे में यहेजकेल के ज़रिए क्या संदेश दिया?
१९ यहेजकेल को भी पुनःस्थापना के बारे में उज्ज्वल भविष्यवाणियाँ दी गयी थीं। उसने भविष्यवाणी की: “परमेश्वर यहोवा यों कहता है, . . . मैं . . . तुम्हारे नगरों को बसाऊंगा; और तुम्हारे खण्डहर फिर बनाए जाएंगे। और लोग कहा करेंगे, यह देश जो उजाड़ था, सो एदेन की बारी सा हो गया।”—यहेजकेल ३६:३३, ३५.
२०. यशायाह ने भविष्यसूचक रूप से यरूशलेम से कौन-सा हर्षपूर्ण आग्रह किया?
२० बाबुल की दासता में, परमेश्वर के लोग सिय्योन पर विलाप कर रहे थे। (भजन १३७:१) अब, वे हर्ष मना सकते थे। यशायाह ने आग्रह किया: “हे यरूशलेम के खण्डहरों, एक संग उमंग में आकर जयजयकार करो; क्योंकि यहोवा ने अपनी प्रजा को शान्ति दी है, उस ने यरूशलेम को छुड़ा लिया है। यहोवा ने सारी जातियों के साम्हने अपनी पवित्र भुजा प्रगट की है; और पृथ्वी के दूर दूर देशों के सब लोग हमारे परमेश्वर का किया हुआ उद्धार निश्चय देख लेंगे।”—यशायाह ५२:९, १०.
२१. बाबुल की पराजय के बाद यशायाह ५२:९, १० के शब्दों की पूर्ति कैसे हुई?
२१ जी हाँ, यहोवा के चुने हुए लोगों के पास आनंद मनाने का महान कारण था। कभी उजाड़ पड़े खण्डहरों को वे अब फिर से बसानेवाले थे, ठीक अदन की वाटिका की तरह बनाकर। यहोवा ने उनके लिए “अपनी पवित्र भुजा प्रगट” की थी। उनको अपनी प्यारी मातृभूमि में वापस लाने के लिए, उसने मानो अपनी आस्तीनें चढ़ाई थीं। यह इतिहास की कोई छोटी-मोटी, मामूली घटना नहीं थी। जी हाँ, उस समय जीवित सभी लोगों ने एक जाति के आश्चर्यजनक उद्धार के लिए परमेश्वर की ‘प्रगट भुजा’ को इंसानी मामलों में अपना प्रभाव छोड़ते देखा। उन्हें इस बात का ठोस सबूत दिया गया था कि यशायाह और यहेजकेल, यहोवा के सच्चे संदेशवाहक थे। कोई संदेह नहीं कर सकता था कि सिय्योन का परमेश्वर सारी पृथ्वी पर एकमात्र जीवित और सच्चा परमेश्वर है। यशायाह ३५:२ में, हम पढ़ते हैं: “वे यहोवा की शोभा और हमारे परमेश्वर का तेज देखेंगे।” जिन लोगों ने यहोवा के परमेश्वरत्व के इस सबूत को स्वीकार किया, वे उसकी उपासना करने लगे।
२२. (क) आज हम किस बात के लिए आभारी हो सकते हैं? (ख) हमें विशेष रूप से इस बात के लिए आभारी क्यों होना चाहिए कि यहोवा झूठे संदेशवाहकों का पर्दाफ़ाश करता है?
२२ हमें कितना आभारी होना चाहिए कि यहोवा अपने सच्चे संदेशवाहकों की पहचान कराता है! वह सचमुच “अपने दास के वचन को पूरा करता और अपने दूतों की युक्ति को सुफल करता” है। (यशायाह ४४:२६) पुनःस्थापना की जो भविष्यवाणियाँ उसने यशायाह और यहेजकेल को दी थीं, वे अपने सेवकों के प्रति उसके महान प्रेम, अपात्र अनुग्रह, और दया को स्पष्ट करती हैं। निश्चित ही, इसके लिए यहोवा हमारी सारी स्तुति के योग्य है! और इस समय हमें विशेष रूप से आभार मानना चाहिए कि वह झूठे संदेशवाहकों का पर्दाफ़ाश करता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि संसार में आज बहुत सारे झूठे संदेशवाहक हैं। उनके आडंबरपूर्ण संदेश यहोवा के घोषित उद्देश्यों को नज़रअंदाज़ करते हैं। अगला लेख उन झूठे संदेशवाहकों को पहचानने में हमारी मदद करेगा।
[फुटनोट]
a आइरा मौरिस प्राइस, १९२५, द्वारा लिखी गई स्मृतिशेष और पुराना नियम (अंग्रेज़ी)।
क्या आप समझा सकते हैं?
◻ यहोवा अपने सच्चे संदेशवाहकों की पहचान कैसे कराता है?
◻ बाबुल को हराने के लिए यहोवा ने अपने प्रतिनिधि का, यशायाह के ज़रिए क्या नाम बताया?
◻ बाबुल की पराजय का वर्णन करनेवाली यशायाह की भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं?
◻ बाबुल की पराजय का यहोवा के नाम पर क्या अच्छा परिणाम हुआ?
[पेज 9 पर तसवीर]
यहेजकेल के समय के देशों की नज़र में बाबुल अजेय लगता था