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सिय्योन में धार्मिकता फलती-फूलती हैयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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17. (क) परमेश्वर के इस्राएल के सदस्य क्या कहलाएँगे? (ख) पापों की माफी सिर्फ किस बलिदान से पायी जा सकती है?
17 लेकिन परमेश्वर के इस्राएल के बारे में क्या? यशायाह के ज़रिए यहोवा उनसे कहता है: “पर तुम यहोवा के याजक कहलाओगे, वे तुम को हमारे परमेश्वर के सेवक कहेंगे; और तुम अन्यजातियों की धन-सम्पत्ति को खाओगे, उनके विभव की वस्तुएं पाकर तुम बड़ाई करोगे।” (यशायाह 61:6) प्राचीन इस्राएल में यहोवा ने लेवी वंश के याजकों को यह काम सौंपा था कि वे खुद याजकों और बाकी इस्राएलियों की खातिर बलिदान चढ़ाएँ। लेकिन सा.यु. 33 में यहोवा ने लेवी वंश के याजकों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया और उससे भी एक बेहतर इंतज़ाम की शुरूआत की। उसने इंसानों के पापों की खातिर यीशु के सिद्ध जीवन के बलिदान को स्वीकार किया। तब से किसी और बलिदान की ज़रूरत नहीं रही। यीशु का बलिदान सनातन काल तक मान्यता रखता है।—यूहन्ना 14:6; कुलुस्सियों 2:13,14; इब्रानियों 9:11-14,24.
18. परमेश्वर के इस्राएल के सदस्य किस तरह के याजकों का समाज बनते हैं, और उन्हें क्या ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है?
18 लेकिन परमेश्वर के इस्राएल के सदस्य किस मायने में “यहोवा के याजक” हैं? प्रेरित पतरस ने अपने साथी अभिषिक्त मसीहियों को लिखा था: “तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी, याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिस ने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो।” (1 पतरस 2:9) इसलिए सारे अभिषिक्त मसीही मिलकर याजकों का एक समाज बनते हैं और उन्हें एक खास ज़िम्मेदारी सौंपी गयी है: यहोवा की महिमा के बारे में देशों को बताना। उन्हें यहोवा की साक्षी देनी है। (यशायाह 43:10-12) अंतिम दिनों के शुरू होने से लेकर अब तक, अभिषिक्त मसीहियों ने इस खास ज़िम्मेदारी को पूरी वफादारी से निभाया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि आज यहोवा के राज्य के बारे में साक्षी देने में उनके साथ लाखों लोग शामिल हो गए हैं।
19. अभिषिक्त मसीहियों को कौन-सी खास ज़िम्मेदारी सौंपी जाएगी?
19 इसके अलावा, परमेश्वर के इस्राएल के सदस्यों को एक और तरीके से भी याजकों की हैसियत से सेवा करने का मौका मिलेगा। उनके मरने पर उनका पुनरुत्थान किया जाता है, ताकि वे स्वर्ग में अमर आत्मिक जीवन पाएँ। वहाँ वे यीशु के साथ उसके राज्य में न सिर्फ शासक होंगे बल्कि परमेश्वर के याजकों के तौर पर भी सेवा करेंगे। (प्रकाशितवाक्य 5:10; 20:6) इसलिए, उन्हें धरती पर रहनेवाले वफादार इंसानों तक यीशु के छुड़ौती बलिदान के फायदे पहुँचाने की खास ज़िम्मेदारी दी जाएगी। प्रकाशितवाक्य के अध्याय 22 में दर्ज़ यूहन्ना के दर्शन में भी इनकी तुलना ‘वृक्षों’ से की गयी है। दर्शन में देखा गया कि सभी 1,44,000 “वृक्ष” स्वर्ग में हैं और उनमें ‘हर साल बारह फसल लगा करती हैं। उसके प्रत्येक वृक्ष पर प्रतिमास एक फसल लगती है तथा इन वृक्षों की पत्तियाँ अनेक जातियों को निरोग करने के लिये हैं।’ (प्रकाशितवाक्य 22:1,2, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) यह याजकों की हैसियत से क्या ही शानदार सेवा है!
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सिय्योन में धार्मिकता फलती-फूलती हैयशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
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a यशायाह 61:5 की एक पूर्ति शायद प्राचीन समय में भी हुई थी क्योंकि जब पैदाइशी यहूदी यरूशलेम लौटे, तो कुछ गैर-यहूदी भी उनके साथ हो लिए थे और उन्होंने शायद देश को दोबारा बसाने में यहूदियों की मदद भी की थी। (एज्रा 2:43-58) लेकिन ऐसा लगता है कि आयत 6 से यह भविष्यवाणी सिर्फ परमेश्वर के इस्राएल पर ही लागू होती है।
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