आप कौन-सी मेज़ से भोजन खा रहे हैं?
“तुम ‘यहोवा की मेज़’ और पिशाचों की मेज़ दोनों के भागी नहीं हो सकते।” —१ कुरिन्थियों १०:२१, NW.
१. हमारे सामने कौन-सी मेज़ बिछाई गई हैं, और उनके बारे में प्रेरित पौलुस कौन-सी चेतावनी देता है?
प्रेरित पौलुस के ये उत्प्रेरित शब्द दिखाते हैं कि मनुष्यजाति के सामने दो लाक्षणिक मेज़ बिछाई गई हैं। हर मेज़ की पहचान उस पर रखे हुए प्रतीकात्मक भोजन की क़िस्म से होती है, और हम सब किसी एक मेज़ से खा रहे हैं। लेकिन, यदि हम परमेश्वर को ख़ुश करना चाहते हैं, तो हम उसकी मेज़ से भोजन खाने के साथ-साथ पिशाचों की मेज़ से नहीं कुतर सकते। प्रेरित पौलुस ने चेतावनी दी: “अन्यजाति जो बलिदान करते हैं, वे परमेश्वर के लिए नहीं, बल्कि पिशाचों के लिए बलिदान करते हैं; और मैं नहीं चाहता, कि तुम पिशाचों के साथ सहभागी हो। तुम यहोवा के कटोरे, और पिशाचों के कटोरे दोनों से नहीं पी सकते; तुम ‘यहोवा की मेज़’ और पिशाचों की मेज़ दोनों के भागी नहीं हो सकते।”—१ कुरिन्थियों १०:२०, २१, NW.
२. (क) प्राचीन इस्राएल के दिनों में यहोवा की कौन-सी मेज़ अस्तित्व में थी, और मेलबलियों में कौन हिस्सा लेता था? (ख) आज यहोवा की मेज़ के भागी होने का क्या अर्थ है?
२ पौलुस के शब्द हमें यहोवा की व्यवस्था के अधीन प्राचीन इस्राएलियों द्वारा चढ़ाई गई मेलबलियों की याद दिलाते हैं। परमेश्वर की वेदी एक मेज़ कहलाती थी, और कहा जाता था, कि जो व्यक्ति बलिदान के लिए पशु लाता था उसका यहोवा और याजकों के साथ मेल था। कैसे? पहला, यहोवा उस बलि में हिस्सा लेता था क्योंकि उसकी वेदी पर लहू छिड़का जाता था और चरबी को वेदी के नीचे जलती हुई आग भस्म करती थी। दूसरा, याजक हिस्सा लेता था क्योंकि वह (और उसका परिवार) बलि किए हुए पशु की भुनी हुई छाती और दाहिनी जाँघ खाते थे। और तीसरा, भेंट चढ़ाने वाला पशु का बचा हुआ भाग खाने के द्वारा हिस्सा लेता था। (लैव्यव्यवस्था ७:११-३६) आज, यहोवा की मेज़ के भागी होने का अर्थ है कि हम उसे वैसी भक्ति दें जैसी वह चाहता है, और जिसे यीशु और उसके प्रेरितों के उदाहरण स्पष्ट करते हैं। ऐसा करने के लिए, हमें आध्यात्मिक रूप से वह भोजन खाना चाहिए जो यहोवा अपने वचन और संगठन के द्वारा प्रदान करता है। यहोवा के साथ उसकी मेज़ पर ख़ास मेल का आनन्द लेनेवाले इस्राएलियों को पिशाचों की मेज़ पर बलि चढ़ाने से वर्जित किया गया था। आध्यात्मिक इस्राएली और उनके ‘अन्य भेड़’ साथी उसी ईश्वरीय निषेध के अधीन हैं।—यूहन्ना १०:१६, NW.
३. हमारे दिनों में एक व्यक्ति पिशाचों की मेज़ का भागी होने का दोषी कैसे हो सकता है?
३ हमारे दिनों में कैसे एक व्यक्ति पिशाचों की मेज़ का भागी होने का दोषी हो सकता है? कोई भी चीज़ जो यहोवा के विरोध में है उसे बढ़ावा देने के द्वारा। पिशाचों की मेज़ में सभी पैशाचिक प्रसार सम्मिलित है, जिसे हमें बहकाने और यहोवा से दूर करने के लिए रचा गया है। कौन अपने मन और हृदय को ऐसे ज़हर से भरना चाहेगा? सच्चे मसीही उन बलिदानों में हिस्सा लेने से इनकार करते हैं जो ज़्यादातर लोग आज युद्ध और धन के ईश्वरों को चढ़ाते हैं।—मत्ती ६:२४.
“पिशाचों की मेज़” से दूर रहना
४. हम सब के सामने कौन-सा सवाल है, और हम जानबूझकर पिशाचों की मेज़ के भागी क्यों नहीं होना चाहेंगे?
४ एक सवाल जो हम सब के सामने है वह यह है कि, मैं किस मेज़ से भोजन खा रहा हूँ? हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते कि हम किसी एक मेज़ से खाने के लिए बाध्य हैं। (मत्ती १२:३० से तुलना कीजिए।) हम जानबूझकर पिशाचों की मेज़ के भागी नहीं होना चाहेंगे। ऐसा करने से हम एकमात्र सच्चे और जीवित परमेश्वर, यहोवा का अनुग्रह खो देंगे। दूसरी ओर, सिर्फ़ यहोवा की मेज़ का भागी होना हमें ख़ुशी में अनन्तकाल के जीवन की ओर ले जाता है! (यूहन्ना १७:३) एक कहावत है कि जैसा अन्न वैसा मन। तो फिर, कोई भी व्यक्ति जो अच्छा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना चाहता है, उसे अपने आहार पर ध्यान रखना ज़रूरी है। जैसे उच्च-वसा वाला घटिया खाना जो हालाँकि रसायनिक मसालों के उपयोग से स्वादिष्ट रूप से तैयार किया जाता है, हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में कोई योगदान नहीं देता, वैसे ही पैशाचिक विचारों से बंधा हुआ संसार का प्रसार गंदा प्रतीकात्मक घटिया खाना है, जो हमारे मन को भ्रष्ट करेगा।
५. आज हम पैशाचिक शिक्षाओं को लेने से कैसे दूर रह सकते हैं?
५ प्रेरित पौलुस ने पूर्वबताया कि अंतिम दिनों के दौरान लोग “पिशाचों की शिक्षाओं” द्वारा भटकाए जाएँगे। (१ तीमुथियुस ४:१, NW) ऐसी पैशाचिक शिक्षाएँ ना सिर्फ़ धार्मिक विश्वासों में पाई जाती हैं, बल्कि इन्हें दूसरे तरीक़ों से भी व्यापक रूप से फैलाया जाता है। उदाहरण के लिए, हमें जाँचना और आँकना चाहिए कि हम और हमारे बच्चे कौन-सी किताबें और पत्रिकाएँ पढ़ते हैं, कौन-से टेलीविज़न कार्यक्रम देखते हैं, और कौन-से नाटक तथा फ़िल्में देखते हैं। (नीतिवचन १४:१५) अगर हम मनबहलाव के लिए कथा-साहित्य पढ़ते हैं, तो क्या वह अर्थहीन हिंसा, अनुचित सेक्स, या तन्त्र-मन्त्र अभ्यासों को प्रस्तुत करता है? अगर हम शिक्षित होने के लिए कथेतर साहित्य पढ़ते हैं, तो क्या वह एक ऐसा दर्शनशास्त्र या जीवन-शैली प्रस्तुत करता है जो “मसीह के अनुसार नहीं” है? (कुलुस्सियों २:८) क्या खोखले अनुमान प्रस्तुत किए गए हैं, या क्या सांसारिक सामाजिक आंदोलनों में अंतर्ग्रस्त होने का समर्थन किया गया है? क्या वह बहुत अमीर होने के दृढ़ निश्चय को प्रोत्साहित करता है? (१ तीमुथियुस ६:९) क्या वह एक ऐसा साहित्य है जो चालाकी से विभाजक शिक्षाओं को प्रस्तुत करता है जो कि ग़ैर-मसीही समान हैं? अगर जवाब हाँ है, और फिर भी हम ऐसे विषय को पढ़ते या देखते रहें, तो हम पिशाचों की मेज़ से भोजन खाने के ख़तरे में हैं। आज, ऐसे लाखों साहित्य हैं जो सांसारिक दर्शनशास्त्रों को बढ़ावा देते हैं, जो बहुत ही प्रबुद्ध और सामयिक प्रतीत होते हैं। (सभोपदेशक १२:१२) लेकिन इसमें से कोई भी प्रसार असल में नया नहीं है; और ना ही यह एक व्यक्ति के लाभ और बेहतरी के लिए है, जिस प्रकार शैतान ने धूर्तता से हव्वा से जो कहा था वह उसकी बेहतरी के लिए नहीं था।—२ कुरिन्थियों ११:३.
६. जब शैतान हमें उसके पैशाचिक घटिया खाने को चखने के लिए आमंत्रित करता है, तो हमें असल में कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए?
६ इसलिए, जब शैतान हमें उसके पैशाचिक घटिया खाने को चखने के लिए आमंत्रित करता है, तो हमें कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए? जैसी यीशु ने दिखाई, जब शैतान ने उसे पत्थरों को रोटी में बदलने के लिए प्रलोभित किया था। यीशु ने उत्तर दिया: “लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।” जब इब्लीस ने ऐसा प्रस्ताव रखा कि यदि यीशु गिरकर शैतान को उपासना की एक कृति करे तो वह उसे “सारे जगत के राज्य और उसका विभव” दे देगा, तब यीशु ने कहा: “हे शैतान, दूर हो जा! क्योंकि लिखा है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर, और केवल उसी की पवित्र सेवा कर।”—मत्ती ४:३, ४, ८-१०, NW.
७. अगर हम यह सोचते हैं कि हम यहोवा की मेज़ के साथ-साथ पिशाचों की मेज़ से भी भोजन खा सकते हैं, तो हम अपने आप को क्यों बहका रहे हैं?
७ यहोवा की मेज़ और उसके पैशाचिक शत्रुओं द्वारा बिछाई गई मेज़ का मिलाप कभी नहीं हो सकता है! जी हाँ, इसकी कोशिश पहले भी की गई है। भविष्यवक्ता एलिय्याह के दिनों के प्राचीन इस्राएलियों को याद कीजिए। लोगों ने यहोवा की उपासना करने का दावा किया, लेकिन वे विश्वास करते थे कि दूसरे ईश्वरों, जैसे कि बाल, ने समृद्धि का वचन दिया है। एलिय्याह उन लोगों के पास आया और उसने कहा: “तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा [सच्चा, NW] परमेश्वर हो, तो उसके पीछे हो लेओ; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लेओ।” यह स्पष्ट है कि इस्राएली “कभी एक पैर पर और कभी दूसरे पर” लँगड़ा रहे थे। (१ राजा १८:२१; The Jerusalem Bible) एलिय्याह ने बाल के याजकों को उनके देवता के ईश्वरत्व को प्रमाणित करने की चुनौती दी। वह परमेश्वर जो बलिदान पर स्वर्ग से आग गिरा सकता था, सच्चा परमेश्वर प्रमाणित होता। क़ाफी कोशिशों के बावजूद, बाल के याजक असफल रहे। फिर एलिय्याह ने सिर्फ़ प्रार्थना की: “हे यहोवा! मेरी सुन, . . . कि ये लोग जान लें कि हे यहोवा, तू ही [सच्चा, NW] परमेश्वर है।” तुरंत यहोवा की ओर से स्वर्ग में से आग गिरी और उसने पानी से तरबतर पशु बलिदान को भस्म कर दिया। यहोवा के ईश्वरत्व के विश्वासोत्पादक प्रदर्शन से प्रभावित होकर, लोगों ने एलिय्याह की आज्ञा मानी और बाल के सभी ४५० नबियों को जान से मार दिया। (१ राजा १८:२४-४०) सो आज, हमें यहोवा को सच्चे परमेश्वर के रूप में स्वीकार करना चाहिए और अगर हम ने पहले ही ऐसा नहीं किया है, तो अभी निर्णायक रूप से सिर्फ़ उसी की मेज़ से भोजन खाना शुरू करना चाहिए।
‘विश्वासयोग्य दास’ यहोवा की मेज़ पर परोसता है
८. यीशु ने क्या कहा, कि वह अपनी उपस्थिति के दौरान अपने चेलों को आध्यात्मिक रूप से भोजन देने के लिए कौन-से दास को इस्तेमाल करेगा, और उस दास की पहचान क्या है?
८ प्रभु यीशु मसीह ने पूर्वबताया था कि उसकी उपस्थिति के दौरान एक “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” उसके चेलों के लिए आध्यात्मिक भोजन प्रदान करेगा: “धन्य है, वह दास, जिसे उसका स्वामी आकर ऐसा ही करते पाए। मैं तुम से सच कहता हूं; वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर सरदार ठहराएगा।” (मत्ती २४:४५-४७) यह दास कोई एक व्यक्ति नहीं, बल्कि समर्पित, अभिषिक्त मसीहियों का एक वर्ग साबित हुआ है। इस वर्ग ने यहोवा की मेज़ पर अभिषिक्त शेषजन और “बड़ी भीड़” दोनों के लिए सर्वोत्तम आध्यात्मिक भोजन रखा है। बड़ी भीड़ ने जो अब ४० लाख से भी ज़्यादा संख्या में हैं, अभिषिक्त शेषवर्ग के साथ यहोवा परमेश्वर की विश्व सर्वसत्ता और उसके राज्य के पक्ष में स्थिति ली है, जिस राज्य के द्वारा वह अपने पवित्र नाम को पवित्र करेगा।—प्रकाशितवाक्य ७:९-१७.
९. यहोवा के गवाहों को आध्यात्मिक भोजन देने के लिए दास वर्ग किस साधन को इस्तेमाल कर रहा है, और उनकी आध्यात्मिक दावत का भविष्यसूचक वर्णन किस प्रकार किया गया है?
९ यह विश्वासयोग्य दास वर्ग सभी यहोवा के गवाहों को आध्यात्मिक पोषण देने के लिए वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी का इस्तेमाल कर रहा है। जबकि मसीहीजगत और बाक़ी की यह रीति-व्यवस्था जीवन-दायक आध्यात्मिक भोजन की कमी की वजह से भूखों मर रही है, यहोवा के लोग दावत कर रहे हैं। (आमोस ८:११) यह यशायाह २५:६ की भविष्यवाणी की पूर्ति में है: “सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिए ऐसी जेवनार करेगा जिस में भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा; उत्तम से उत्तम चिकना भोजन और बहुत ही निथरा हुआ दाखमधु होगा।” जैसे आयत ७ और ८ दिखाती हैं, यह दावत अनन्तकाल तक चलेगी। यहोवा के दृश्य संगठन में सभी लोगों के लिए यह अब क्या ही आशीष है, और भविष्य में भी यह क्या ही आशीष बनी रहेगी!
पिशाचों की मेज़ के ज़हरीले भोजन से सावधान रहिए
१०. (क) दुष्ट दास वर्ग द्वारा किस प्रकार का भोजन प्रदान किया जा रहा है, और उनकी अभिप्रेरणा क्या है? (ख) दुष्ट दास वर्ग अपने भूतपूर्व संगी दासों के साथ कैसा व्यवहार करता है?
१० पिशाचों की मेज़ का भोजन ज़हरीला है। उदाहरण के लिए, दुष्ट दास वर्ग और धर्मत्यागियों द्वारा प्रदान किए गए भोजन पर विचार कीजिए। यह ना तो पोषित करता है और ना ही उन्नति के लिए है; यह स्वास्थ्यकर नहीं है। यह स्वास्थ्यकर नहीं हो सकता, क्योंकि धर्मत्यागियों ने यहोवा की मेज़ से भोजन खाना बंद कर दिया है। फलस्वरूप उन्होंने जितना भी नया मनुष्यत्व विकसित किया था, वह चला गया है। उन्हें पवित्र आत्मा नहीं, बल्कि ज़हरीली कड़वाहट प्रेरित करती है। इन लोगों को सिर्फ़ एक ही लक्ष्य की सनक है—अपने भूतपूर्व संगी दासों को पीटना, जैसे यीशु ने पूर्वबताया।—मत्ती २४:४८, ४९.
११. एक व्यक्ति के आध्यात्मिक भोजन के चुनाव के बारे में सी. टी. रस्सल ने क्या लिखा, और जो यहोवा की मेज़ को त्यागते हैं उनका वर्णन उसने कैसे किया?
११ उदाहरण के लिए, १९०९ में, उस समय वॉच टावर सोसाइटी के अध्यक्ष, सी. टी. रस्सल ने उन लोगों के बारे में लिखा जो यहोवा की मेज़ से हट गए और फिर उन्होंने अपने भूतपूर्व संगी दासों के साथ दुर्व्यवहार करना शुरू किया। अक्तूबर १, १९०९ की द वॉच टावर ने कहा: “वे सब जो संस्था और उसके काम से अपने आप को अलग कर लेते हैं, स्वयं समृद्ध होने या दूसरों को विश्वास में और आत्मा के फल विकसित करने में प्रोत्साहित करने के बजाय, प्रतियमानतः उलटा करते हैं। जिस लक्ष्य का पहले वे समर्थन करते थे, उसे ही हानि पहुँचाने का प्रयास करते हैं। और थोड़ा बहुत शोर करके धीरे-धीरे ग़ायब हो जाते हैं। इस तरह वे सिर्फ़ अपने आप को और उन्हीं के जैसी झगड़ालू आत्मा रखनेवालों को हानि पहुँचाते हैं। . . . अगर कुछ लोग सोचते हैं कि उन्हें इतना अच्छा या इससे बेहतर भोजन दूसरी मेज़ों पर मिल सकता है, या वे ख़ुद ही इतना अच्छा या इससे बेहतर उत्पन्न कर सकते हैं—तो वे अपना रास्ता अपना लें। . . . लेकिन जबकि हम उन्हें उनकी संतुष्टि का भोजन और प्रकाश ढूँढने के लिए जहाँ कहीं और हर कहीं जाने देते हैं, यह ताज्जुब की बात है कि जो भी हमारे विरोधी बन जाते हैं, वे एक बहुत ही अलग रास्ता अपनाते हैं। संसार के मर्दाने अंदाज में कहने के बजाय कि, ‘मुझे वह चीज़ मिल गई है जो मुझे ज़्यादा पसंद है; अलविदा!’ ये लोग उस हद तक क्रोध, दुर्भाव, घृणा, झगड़ा, ‘शरीर और पिशाच के कामों’ को प्रकट करते हैं जितना की हमने कभी सांसारिक लोगों को भी दिखाते नहीं सुना। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो शैतानी कुत्ते के काट खाने से इन्हें पागलपन, जलान्तक [रैबिज़] हो गयी है। उनमें से कुछ लोग हम पर प्रहार करते हैं और फिर उलटा यह दावा करते हैं कि प्रहार हम ने किया। ये लोग घृणित झूठ लिखने और बोलने तथा नीचता पर उतर आने के लिए तैयार रहते हैं।”
१२. (क) धर्मत्यागी अपने संगी दासों को कैसे पीटते हैं? (ख) धर्मत्यागियों के लेखों पर जिज्ञासावश भोज करना क्यों ख़तरनाक है?
१२ जी हाँ, धर्मत्यागी ऐसा साहित्य प्रकाशित करते हैं जिसमें मिथ्या वर्णन, अर्ध-सत्य, और सरासर झूठ होता है। वे लोग गवाहों के अधिवेशनों पर भी धरना देते हैं, और असर्तक लोगों को फँसाने की कोशिश करते हैं। इसलिए, जिज्ञासावश अपने आपको ऐसे लेखों पर भोज करने या उनकी गंदी बोली को सुनने के लिए प्रेरित होने देना ख़तरनाक होगा! हो सकता है कि हम सोचें कि यह व्यक्तिगत रूप से हमारे लिए जोखिम नहीं है, फिर भी ख़तरा बना रहता है। क्यों? एक बात तो यह है कि, कुछ धर्मत्यागी साहित्य “चिकनी चुपड़ी बातों” और “भ्रामक बातों” के इस्तेमाल से झूठ प्रस्तुत करते हैं। (रोमियों १६:१७, १८; २ पतरस २:३, NW) क्या आप पिशाचों की मेज़ से इसी की अपेक्षा नहीं करेंगे? और हालाँकि धर्मत्यागी लोग कुछ तथ्य प्रस्तुत भी करें, परन्तु सामान्य रूप से इन्हें संदर्भ से हटकर प्रस्तुत किया जाता है। इसका लक्ष्य होता है दूसरों को यहोवा की मेज़ से दूर ले जाना। उनके सभी लेख आलोचना और बदनामी करते हैं! कुछ भी प्रोत्साहक नहीं होता।
१३, १४. धर्मत्यागियों और उनके प्रसार के फल क्या हैं?
१३ यीशु ने कहा “उन के फलों से तुम उन्हें पहचान लोगे।” (मत्ती ७:१६) तो अब, धर्मत्यागियों और उनके प्रकाशनों के फल क्या हैं? चार बातें उनके प्रसार को चिह्नित करती हैं। (१) चतुराई। इफिसियों ४:१४ (NW) कहता है कि: वे लोग ‘झूठ गढ़ने में धूर्त हैं।’ (२) अभिमानी बुद्धि। (३) प्रेम की कमी। (४) विविध तरीक़ों से बेईमानी। पिशाचों के मेज़ के भोजन की यही सब सामग्रियाँ हैं। इन सब को यहोवा के लोगों के विश्वास को कमज़ोर करने के लिए रचा गया है।
१४ और इसका एक और पहलू है। धर्मत्यागियों की क्या हालत हुई है? उनमें से बहुत लोगों ने मसीहीजगत और उसके सिद्धांतों के अंधेरे में फिर से क़दम रखा है। जैसे कि सब मसीहियों के स्वर्ग जाने के विश्वास का सिद्धान्त। इसके अलावा, ज़्यादातर लोग लहू, तटस्थता, और परमेश्वर के राज्य के बारे में गवाही देने की ज़रूरत के सम्बन्ध में अब एक दृढ़ शास्त्रीय स्थिति नहीं अपनाते हैं। लेकिन, हम बड़े बाबुल के अंधकार से बच निकले हैं, और हम उसमें दोबारा नहीं लौटना चाहते हैं। (प्रकाशितवाक्य १८:२, ४) यहोवा के निष्ठावान सेवकों के नाते, हम उन लोगों द्वारा किए गए प्रसार में झाँकना भी क्यों चाहें जो यहोवा की मेज़ को अस्वीकार करते हैं और अब हमें “स्वास्थ्यकर वचनों” को ग्रहण करने के लिए मदद करनेवालों को मौखिक रूप से पीटते हैं?—२ तीमुथियुस १:१३, NW.
१५. जब हम धर्मत्यागियों के इल्ज़ाम सुनते हैं, तो हमें कौन-सा बाइबल सिद्धान्त एक बुद्धिमान रास्ता चुनने के लिए मदद करता है?
१५ कुछ लोग शायद धर्मत्यागियों द्वारा लगाए इल्ज़ामों के बारे में जिज्ञासु हों। लेकिन हमें व्यवस्थाविवरण १२:३०, ३१ का सिद्धान्त गंभीरता से लेना चाहिए। प्रतिज्ञात देश के मूर्तिपूजक निवासियों को एक बार निकालने के बाद, इस्राएलियों को किस चीज़ से दूर रहना था, उसके बारे में यहाँ यहोवा ने मूसा के द्वारा उन्हें चेतावनी दी। “तब सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि उनके सत्यानाश होने के बाद तू भी उनकी नाईं फंस जाए, अर्थात् यह कहकर उनके देवताओं के सम्बन्ध में यह पूछपाछ न करना, कि उन जातियों के लोग अपने देवताओं की उपासना किस रीति करते थे? मैं भी वैसी ही करूंगा। तू अपने परमेश्वर यहोवा से ऐसा व्यवहार न करना।” जी हाँ, यहोवा परमेश्वर जानता है कि मानवी जिज्ञासा कैसे काम करती है। हव्वा, और लूत की पत्नी को भी याद कीजिए! (लूका १७:३२; १ तीमुथियुस २:१४) धर्मत्यागी जो बोल रहे हैं या कर रहे हैं, आइए उसे हम कभी भी नहीं सुनें। इसके बदले में, आइए हम लोगों को प्रोत्साहित करने में और यहोवा की मेज़ से निष्ठा से भोजन खाने में व्यस्त रहें!
सिर्फ़ यहोवा की ही मेज़ रहेगी
१६. (क) जल्द ही शैतान, उसके पिशाचों और उस लाक्षणिक मेज़ का क्या होगा जिस पर संसार के राष्ट्र भोजन खाते हैं? (ख) उन सभी मनुष्यों का क्या होगा जो पिशाचों की मेज़ से भोजन खाना जारी रखते हैं?
१६ जल्द ही, भारी क्लेश अचानक आ जाएगा, और जल्दी से “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई” में वह पराकाष्ठा की ओर बढ़ेगा। (प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६) यह एक चरमोत्कर्ष पर पहुँचेगा जब यहोवा इस रीति-व्यवस्था को और उस लाक्षणिक मेज़ को, जिस से संसार के राष्ट्र भोजन खाते आए हैं, नाश करेगा। यहोवा शैतान अर्थात् इब्लीस के पूरे अदृश्य संगठन को उसके पिशाचों के झुँड सहित उखाड़ फेंकेगा। जो लोग शैतान की आध्यात्मिक मेज़, अर्थात् पिशाचों की मेज़ से भोजन खाना जारी रखते हैं, उन्हें एक शाब्दिक भोज में उपस्थित होने के लिए मजबूर किया जाएगा। नहीं, उन्हें भाग लेने वालों के रूप में नहीं, बल्कि—उनके विनाश के लिए—मुख्य भोजन के रूप में उपस्थित होना होगा!—यहेजकेल ३९:४; प्रकाशितवाक्य १९:१७, १८ देखिए।
१७. जो लोग सिर्फ़ यहोवा की ही मेज़ से खाते हैं, उन्हें कौन-सी आशीषें आती हैं?
१७ सिर्फ़ यहोवा की ही मेज़ रहेगी। उस मेज़ से क़दरदानी से भोजन खानेवालों को सुरक्षित रखा जाएगा और वे उससे अनन्तकाल तक खाने का विशेषाधिकार पाएंगे। फिर कभी किसी तरह के भोजन की कमी उन्हें परेशान नहीं करेगी। (भजन ६७:६; ७२:१६) पूर्ण स्वास्थ्य के साथ परादीस में वे लोग यहोवा परमेश्वर की सेवा करेंगे! आख़िरकार प्रकाशितवाक्य २१:४ के उत्तेजक शब्द शानदार रूप से पूरे होंगे: “वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं।” क्योंकि अब कोई विरोध नहीं रहेगा, यहोवा परमेश्वर की विश्व सर्वसत्ता सब जगह अनन्तकाल के लिए व्याप्त होगी। तब परादीस पृथ्वी पर बसी मुक्ति-प्राप्त मानवजाति पर अन्तहीन परमेश्वरीय अनुग्रह उँडेला जाएगा। यह प्रतिफल पाने के लिए, आइए हम सब सिर्फ़ यहोवा की ही मेज़ के भागी होने का दृढ़ निश्चय करें, जो सर्वोत्तम आध्यात्मिक भोजन से उमड़ रही है!
आप कैसे उत्तर देंगे?
▫ हम पैशाचिक शिक्षाओं द्वारा बहकाए जाने से कैसे बच सकते हैं?
▫ हम यहोवा की मेज़ के साथ-साथ पिशाचों की मेज़ से सफलतापूर्वक क्यों नहीं खा सकते हैं?
▫ धर्मत्यागियों द्वारा किस प्रकार का भोजन प्रदान किया जाता है?
▫ धर्मत्यागियों के दोषारोपों के बारे में जिज्ञासु होना क्यों ख़तरनाक है?
▫ धर्मत्यागियों के फल क्या हैं?
[पेज 9 पर तसवीर]
यहोवा की मेज़ सर्वोत्तम आध्यात्मिक भोजन से उमड़ रही है