परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों पर ध्यान दीजिए
“हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं!”—भजन 40:5.
1, 2. परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों के बारे में हमारे पास कौन-से सबूत हैं, और ये हमें क्या करने के लिए उकसाते हैं?
जब आप बाइबल पढ़ते हैं, तब आप यह बिलकुल साफ देख सकेंगे कि प्राचीन समय में परमेश्वर ने अपने लोगों यानी इस्राएलियों के लिए कितने आश्चर्यकर्म किए थे। (यहोशू 3:5; भजन 106:7, 21, 22) हालाँकि यहोवा आज इंसानी मामलों में उसी तरह दखल नहीं देता, फिर भी हम अपने आस-पास उसके आश्चर्यकर्मों के बेहिसाब सबूत देख सकते हैं। इसलिए भजनहार की तरह हमारे पास भी यह कहने के कई कारण हैं: “हे यहोवा तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी सम्पत्ति से परिपूर्ण है।”—भजन 104:24; 148:1-5.
2 लेकिन कई लोग सृष्टिकर्ता के इन कामों को जो कि साफ-साफ नज़र आते हैं नज़रअंदाज़ करते हैं, यहाँ तक कि इन्हें मानने से इंकार भी कर देते हैं। (रोमियों 1:20) लेकिन उन कामों पर ध्यान देना और उनसे परमेश्वर की महानता और उसके प्रति अपने कर्त्तव्य को समझना हमारे लिए अक्लमंदी की बात होगी। इस मामले में अय्यूब 38 से 41 अध्याय हमें बहुत बढ़िया मदद देते हैं क्योंकि इन अध्यायों में यहोवा अपने ऐसे ही कुछ आश्चर्यकर्मों की ओर अय्यूब का ध्यान खींचता है। अब ज़रा परमेश्वर द्वारा उठाए गए कुछ तर्कसंगत सवालों पर गौर कीजिए।
ज़बरदस्त और अद्भुत काम
3. जैसा कि अय्यूब 38:22, 23, 25-29 में दर्ज़ है, परमेश्वर ने किन चीज़ों के बारे में पूछा?
3 ऐसे ही कुछ सवालों के दौरान एक बार परमेश्वर अय्यूब से पूछता है: “फिर क्या तू कभी हिम के भण्डार में पैठा [प्रवेश किया, NHT], वा कभी ओलों के भण्डार को तू ने देखा है, जिसको मैं ने संकट के समय और युद्ध और लड़ाई के दिन के लिये रख छोड़ा है?” हमारी पृथ्वी के कई भागों में बर्फ और ओले लोगों की ज़िंदगी का एक हिस्सा हैं। परमेश्वर आगे कहता है: “महावृष्टि के लिये किस ने नाला काटा, और कड़कनेवाली बिजली के लिये मार्ग बनाया है, कि निर्जन देश में और जंगल में जहां कोई मनुष्य नहीं रहता मेंह बरसाकर, उजाड़ ही उजाड़ देश को सींचे, और हरी घास उगाए? क्या मेंह का कोई पिता है, और ओस की बूंदें किस ने उत्पन्न की? किस के गर्भ से बर्फ निकला है, और आकाश से गिरे हुए पाले को कौन उत्पन्न करता है?”—अय्यूब 38:22, 23, 25-29.
4-6. किस मायने में बर्फ के बारे में इंसानों का ज्ञान अधूरा है?
4 शहरों में रहनेवाले व्यस्त लोगों के लिए और जिन्हें सफर करना पड़ता है उनके लिए बर्फ एक रुकावट हो सकती है। लेकिन ऐसे भी अनगिनत लोग हैं, जिनके दिल में बर्फ को देखते ही खुशी की लहर दौड़ जाती है। उन्हें इस बर्फीले मौसम में मौज-मस्ती, खेल-कूद करने का मौका मिलता है। तो जैसा कि परमेश्वर ने प्रश्न पूछा था, क्या आपको बर्फ के बारे में सही-सही जानकारी है, यहाँ तक कि क्या आपको पता है कि वह दिखने में कैसी होती है? जी नहीं, हम बर्फ के ढेर की बात नहीं कर रहे जिसे शायद आपने तसवीरों में या हकीकत में देखा हो। बर्फ के उन अलग-अलग कणों के बारे में क्या? क्या आपने कभी उसे और करीब से यानी माइक्रोस्कोप से देखा है?
5 कुछ लोगों ने दशकों से बर्फ के कणों का अध्ययन किया है और उनकी तसवीरें खींची हैं। कहा जाता है कि बर्फ का सिर्फ एक कण करीब एक-सौ नाज़ुक क्रिस्टलों से बना होता है, जिनके बहुत-से अलग-अलग खूबसूरत डिज़ाइन होते हैं। एट्मोस्फियर नामक किताब कहती है: “बर्फ के कणों की इतनी अलग-अलग किस्में हैं कि उनका कोई हिसाब नहीं और उनके बारे में आज तक किसी ने ठीक-ठीक नहीं जाना है। हालाँकि वैज्ञानिक यह दावा करते हैं कि बर्फ के कणों का एक जैसा होना मुमकिन है, फिर भी प्रकृति में कभी-भी एक-जैसे दो कण नहीं पाए गए। दरअसल इसका पता लगाने के लिए . . . विलसन ए. बैन्ट्ले ने तो 40 सालों तक बर्फ के कणों का अध्ययन किया और माइक्रोस्कोप से उनकी तसवीरें खींची, मगर एक बार भी उसने एक-जैसे दो कण नहीं देखे।” और अगर भूले-भटके कभी एक-जैसे दो कण दिख भी जाएँ, तो भी इतने बड़े पैमाने पर कणों में जो विविधता पायी जाती है, क्या हमें उस पर हैरानी नहीं होती?
6 ज़रा परमेश्वर के प्रश्न को दोबारा याद कीजिए: “क्या तू कभी हिम के भण्डार में पैठा [प्रवेश किया, NHT]?” बहुत लोग सोचते हैं कि बादल ही बर्फ का भंडार हैं। तो क्या आप बर्फ के भंडार में जाकर बेहिसाब किस्म के बर्फ के कणों की गिनती करने और ये कैसे बने, इसकी जाँच करने की कल्पना कर सकते हैं? एक साइंस इन्साइक्लोपीडिया कहती है: “हिम नाभिकाएँ कैसे बनती हैं और कहाँ से आती हैं, इसके बारे में आज तक कोई नहीं जान पाया है। इन्हीं नाभिकाओं के कारण -40°F (-40°C) के तापमान पर बादलों की बूँदें बर्फ बनती हैं।”—भजन 147:16, 17; यशायाह 55:9, 10.
7. इंसान को बारिश के बारे में कहाँ तक जानकारी है?
7 और बारिश के बारे में क्या? परमेश्वर ने अय्यूब से पूछा: “क्या मेंह का कोई पिता है, और ओस की बूंदें किस ने उत्पन्न की?” वही साइंस इन्साइक्लोपीडिया कहती है: “बारिश की बूँदों का बनना इतनी लंबी और जटिल प्रक्रिया है कि उसकी बारीकियाँ समझाना असंभव है।” सरल शब्दों में कहें तो वैज्ञानिकों ने बारिश के बारे में लंबी-चौड़ी थियोरियाँ तो लिखी हैं, मगर उसे ठीक-ठीक समझा नहीं पाए हैं। लेकिन आप बखूबी जानते हैं कि बारिश होने से धरती को पानी मिलता है जिससे पेड़-पौधे उगते हैं और जिस हसीन ज़िंदगी का हम आनंद लेते हैं, वह संभव होती है।
8. प्रेरितों 14:17 में दर्ज़ पौलुस के शब्द बिलकुल सही क्यों हैं?
8 इसलिए प्रेरित पौलुस जिस नतीजे पर पहुँचा क्या आप भी उससे सहमत नहीं होंगे? उसने लोगों से आग्रह किया कि वे खुद सृष्टि के आश्चर्यकर्मों को देखकर जानें कि इनके पीछे कौन है। पौलुस ने यहोवा परमेश्वर के बारे में कहा: “उस ने अपने आप को बे-गवाह न छोड़ा; किन्तु वह भलाई करता रहा, और आकाश से वर्षा और फलवन्त ऋतु देकर, तुम्हारे मन को भोजन और आनन्द से भरता रहा।”—प्रेरितों 14:17; भजन 147:8.
9. परमेश्वर के आश्चर्यकर्म उसकी अपार शक्ति का प्रदर्शन कैसे करते हैं?
9 इसमें ज़रा भी शक नहीं रह जाता कि ऐसे आश्चर्य भरे और फायदेमंद काम करनेवाले परमेश्वर के पास असीम बुद्धि और अपार शक्ति है। उसकी शक्ति के संबंध में ज़रा इस बात पर गौर कीजिए: कहा जाता है कि गरज और बारिशवाले ऐसे तूफान जिनमें ज़बरदस्त बिजली भी कड़कती है, हर दिन करीब 45,000 बार, यानी साल में 1 करोड़ 60 लाख बार आते हैं। तो इसका मतलब यह हुआ कि अभी इस पल भी करीब 2,000 गरजदार तूफान चल रहे हैं। इनमें से एक तूफान के बादलों में इतनी ऊर्जा होती है, जितनी दूसरे विश्वयुद्ध में इस्तेमाल किए गए परमाणु बमों जैसे दस या ज़्यादा बमों में होगी। इस ऊर्जा का कुछ हिस्सा हमें कड़कती बिजली के रूप में दिखाई पड़ता है। हालाँकि बिजली दिल में खौफ ज़रूर पैदा करती है, मगर इसकी मदद से नाइट्रोजन के अलग-अलग किस्म तैयार होते हैं जो ज़मीन तक पहुँचकर पेड़-पौधों के लिए खाद का काम करते हैं। इस तरह बिजली से शक्ति का प्रदर्शन तो होता ही है, मगर साथ ही बहुत-से फायदे भी मिलते हैं।—भजन 104:14, 15.
आप पर कैसा असर होता है?
10. अय्यूब 38:33-38 में दिए गए सवाल अगर आपसे पूछे जाते तो आप क्या जवाब देते?
10 मान लीजिए कि आप अय्यूब की जगह हैं और परमेश्वर आपसे सवाल पूछ रहा है। आप यह ज़रूर मानेंगे कि ज़्यादातर लोग परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों पर बिलकुल ध्यान नहीं देते। यहोवा हमसे वो सवाल पूछता है जो अय्यूब 38:33-38 में लिखा है। “क्या तू आकाशमण्डल की विधियां जानता और पृथ्वी पर उनका अधिकार ठहरा सकता है? क्या तू बादलों तक अपनी वाणी पहुंचा सकता है ताकि बहुत जल बरस कर तुझे छिपा ले? क्या तू बिजली को आज्ञा दे सकता है, कि वह जाए, और तुझ से कहे, मैं उपस्थित हूं? किस ने अन्तःकरण में बुद्धि उपजाई, और किस ने मन में समझने की शक्ति दी है? कौन बुद्धि से बादलों को गिन सकता है? और कौन आकाश के कुप्पों को उण्डेल सकता है, जब धूलि जम जाती है, और ढेले एक दूसरे से सट जाते हैं?”
11, 12. ऐसी कौन-सी कुछ बातों से यह साबित होता है कि आश्चर्यकर्म करनेवाला और कोई नहीं बल्कि परमेश्वर है?
11 हमने एलीहू द्वारा अय्यूब से पूछे गए कुछ ही सवालों पर चर्चा की है। और यहोवा ने अय्यूब से “पुरुष की नाईं” जिन सवालों का जवाब देने के लिए कहा उसके भी कुछ ही भागों पर हमने ध्यान दिया है। (अय्यूब 38:3) हम “कुछ” इसलिए कहते हैं क्योंकि 38 और 39 अध्यायों में यहोवा अपनी सृष्टि के दूसरे आश्चर्यकर्मों की ओर भी हमारा ध्यान खींचता है। मसलन, आकाश के तारामंडल पर। कौन है जो उनके सारे नियम और विधियाँ जानता हो? (अय्यूब 38:31-33) फिर यहोवा अय्यूब का ध्यान कुछ पशु-पक्षियों की ओर भी खींचता है, जैसे शेर और कौआ, पहाड़ी बकरी और जेबरा, जंगली साँड और शुतुरमुर्ग, शक्तिशाली घोड़ा और उकाब। इनके बारे में ज़िक्र करके दरअसल परमेश्वर अय्यूब से यह पूछ रहा है कि इन विभिन्न जानवरों में जो खासियतें हैं, जिससे उनकी ज़िंदगी चलती है और वे फलते-फूलते हैं, क्या वो सब अय्यूब ने उन्हें दी है। आपको इन अध्यायों का अध्ययन करने में शायद बहुत मज़ा आए, खासकर अगर आपको घोड़े और दूसरे जानवर पसंद हैं।—भजन 50:10, 11.
12 आप अय्यूब के अध्याय 40 और 41 की भी जाँच-परख कर सकते हैं। यहाँ यहोवा अय्यूब से खासकर दो जानवरों के बारे में सवाल पूछता है। इन दोनों जानवरों के बारे में जो जानकारी दी गई है, उससे पता चलता है कि एक है दरियाई-घोड़ा (जलगज), जिसका शरीर बहुत ही विशाल और मज़बूत होता है और दूसरा है नील नदी का भयानक मगरमच्छ (लिब्यातान)। ये दोनों जानवर अपने आप में सृष्टि का एक करिश्मा हैं, जो हमारा ध्यान आकर्षित करने के योग्य हैं। तो आइए अब देखें कि हमें कौन से नतीजे पर पहुँचना चाहिए।
13. परमेश्वर द्वारा पूछे गए सवालों का अय्यूब पर क्या असर हुआ और हम पर क्या असर होना चाहिए?
13 अय्यूब का अध्याय 42 ज़ाहिर करता है कि परमेश्वर के प्रश्नों का अय्यूब पर क्या असर हुआ। शुरू-शुरू में तो अय्यूब खुद की और दूसरों की बातों पर हद-से-ज़्यादा ध्यान दे रहा था। मगर परमेश्वर द्वारा पूछे गए प्रश्नों से उसे अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने अपना नज़रिया बदल दिया। उसने कबूल किया: “मैं जानता हूं कि तू [यहोवा] सब कुछ कर सकता है, और तेरी युक्तियों में से कोई रुक नहीं सकती। तू कौन है जो ज्ञानरहित होकर युक्ति पर परदा डालता है? परन्तु मैंने तो वही कहा जो नहीं समझता था, अर्थात् जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिनको मैं जानता भी नहीं था।” (अय्यूब 42:2, 3) जी हाँ, परमेश्वर के कामों पर ध्यान देने के बाद अय्यूब कहता है कि वे इतने अद्भुत हैं कि उसकी समझ से बाहर हैं। इसी तरह, सृष्टि के करिश्मों पर विचार करने के बाद हम पर भी ऐसा ही असर होना चाहिए। और इसका नतीजा क्या होना चाहिए? क्या हमें सिर्फ उसकी अपरंपार शक्ति और काबिलीयत के बारे में सोचकर हक्का-बक्का रह जाना चाहिए? या फिर कुछ और भी करने के लिए प्रेरित होना चाहिए?
14. परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों को देखकर दाऊद पर क्या असर हुआ?
14 गौर कीजिए कि भजन 86 में दाऊद ने कुछ ऐसी ही बातें कहीं। इससे पहले के एक भजन में उसने लिखा: “आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है।” (भजन 19:1, 2) लेकिन दाऊद आगे और भी कुछ कहता है। भजन 86:10,11 में हम पढ़ते हैं: “तू महान् और आश्चर्यकर्म करनेवाला है, केवल तू ही परमेश्वर है। हे यहोवा अपना मार्ग मुझे दिखा, तब मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलूंगा, मुझ को एक चित्त कर कि मैं तेरे नाम का भय मानूं।” सृष्टिकर्ता के आश्चर्यकर्मों को देखकर दाऊद के दिल में जो भय पैदा हुआ, दरअसल उसमें परमेश्वर के प्रति उसकी श्रद्धा और भक्ति की झलक मिलती है। आप भी समझ सकते हैं कि ऐसा क्यों है। क्योंकि दाऊद ऐसे आश्चर्यकर्म करनेवाले परमेश्वर को किसी भी हाल में नाराज़ नहीं करना चाहता था। और ना ही हमें करना चाहिए।
15. परमेश्वर के प्रति दाऊद का श्रद्धामय भय होना क्यों सही था?
15 दाऊद को यह एहसास हुआ होगा कि परमेश्वर के पास अपार शक्ति है और वह उसका जब और जैसे चाहे इस्तेमाल कर सकता है, तो परमेश्वर अपनी इस शक्ति का इस्तेमाल उनके विरुद्ध भी कर सकता है, जो उससे दंड पाने के लायक हैं। उनके लिए तो यह बहुत ही विनाशकारी होगा। परमेश्वर ने अय्यूब से पूछा: “फिर क्या तू कभी हिम के भण्डार में पैठा, वा कभी ओलों के भण्डार को तू ने देखा है, जिसको मैं ने संकट के समय और युद्ध और लड़ाई के दिन के लिये रख छोड़ा है?” बर्फ, ओले, बारिश, आँधी-तूफान और बिजली ये सभी उसके शस्त्र हैं। और कुदरत की ये शक्तियाँ कितनी भयानक और विनाशकारी हैं!—अय्यूब 38:22, 23.
16, 17. परमेश्वर की ज़बरदस्त शक्ति किस बात से नज़र आती है और उसने अपनी इस शक्ति का इस्तेमाल पहले कैसे किया था?
16 हरीकेन या टाइफून जैसे प्रचंड तूफान, और साइक्लोन, या फिर हिमपात या बाढ़ जैसी किसी भी प्राकृतिक शक्ति से अगर आपके इलाके में कोई तबाही हुई थी, तो वो नज़ारा आपको ज़रूर याद होगा। उदाहरण के लिए, अभी सन् 1999 के आखिर में दक्षिण-पश्चिमी यूरोप में एक भयानक तूफान आया जिससे मौसम विज्ञानी भी हैरत में पड़ गए। हवाएँ 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थीं, जिससे हज़ारों छत उड़ गयीं, बिजली के खंभे उखड़ गए और ट्रक उलट गए। उस मंज़र की कल्पना कीजिए जब 27 करोड़ पेड़ उखड़ गए या उनके दो टुकड़े हो गए। इनमें से 10,000 पेड़ पैरिस के बाहर वर्सैलिस पार्क के ही थे। बिजली चले जाने की वजह से लाखों घरों में अंधेरा छा गया था। करीब 100 लोग मारे गए। और ऐसा विनाश बस देखते-ही-देखते हो गया। वाकई, शक्ति का क्या ही ज़बरदस्त प्रदर्शन!
17 कोई शायद कहे कि ये तूफान तो बड़े अजीब होते हैं, और ये बिना किसी दिशा के चल देते हैं, इन पर किसी का बस नहीं चलता। लेकिन, तब क्या होगा अगर अद्भुत काम करने के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर इन शक्तियों का अपनी इच्छा के मुताबिक इस्तेमाल करे और इन पर नियंत्रण रखे? उसने इब्राहीम के दिनों में कुछ ऐसा ही किया था। इब्राहीम जान गया था कि सारे जगत के न्यायी परमेश्वर ने सदोम और अमोरा की दुष्टता की वजह से उनका न्याय करने का फैसला कर लिया। उन नगरों के लोग इतने भ्रष्ट हो चुके थे कि उनके विरुद्ध दुहाई स्वर्ग में परमेश्वर तक पहुँच गई थी। लेकिन परमेश्वर ने उनमें रहनेवाले धर्मी इंसानों को बचाने का इंतज़ाम किया। बाइबल में इस घटना के बारे में यूँ लिखा है: “तब यहोवा ने अपनी ओर से सदोम और अमोरा पर आकाश से गन्धक और आग बरसाई।” यह वाकई आश्चर्यकर्म थे, जिसमें धर्मी तो बचाए गए मगर दुष्टों का सर्वनाश हुआ।—उत्पत्ति 19:24.
18. यशायाह का 25वाँ अध्याय कौन-से आश्चर्यकर्मों की बात करता है?
18 बाद में परमेश्वर ने प्राचीन शहर बाबुल को न्यायदंड सुनाया था जो शायद वही शहर है जिसके बारे में यशायाह के 25वें अध्याय में लिखा है। परमेश्वर ने भविष्यवाणी की थी कि वह शहर खंडहर बन जाएगा: “तू ने नगर को डीह, और उस गढ़वाले नगर को खण्डहर कर डाला है; तू ने परदेशियों की राजपुरी को ऐसा उजाड़ा कि वह नगर नहीं रहा; वह फिर कभी बसाया न जाएगा।” (यशायाह 25:2) आज जो बाबुल जाते हैं, वे इस बात का सबूत देख सकते हैं। लेकिन क्या बाबुल का विनाश सिर्फ एक इत्तफाक था? बिलकुल नहीं। हम यशायाह की इस बात पर गौर कर सकते हैं: “हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है; मैं तुझे सराहूंगा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा; क्योंकि तू ने आश्चर्य कर्म किए हैं, तू ने प्राचीनकाल से पूरी सच्चाई के साथ युक्तियां की हैं।”—यशायाह 25:1.
भविष्य में आश्चर्यकर्म
19, 20. हम यशायाह 25:6-8 की किस भविष्यवाणी के पूरा होने की उम्मीद कर सकते हैं?
19 परमेश्वर ने बीते समय में ऊपर बतायी भविष्यवाणी को पूरा किया था, और वह भविष्य में भी ऐसे आश्चर्यकर्म करेगा। इस संदर्भ में जहाँ यशायाह यहोवा के ‘आश्चर्यकर्मों’ का ज़िक्र करता है, वहीं एक ऐसी भविष्यवाणी दी गई है, जिसका पूरा होना अभी बाकी है, ठीक जैसे बाबुल के विनाश की भविष्यवाणी भी पूरी हुई थी। वहाँ कौन-से “आश्चर्यकर्म” का वादा किया गया है? यशायाह 25:6 कहता है: “सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिये ऐसी जेवनार करेगा जिस में भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा; उत्तम से उत्तम चिकना भोजन और बहुत ही निथरा हुआ दाखमधु होगा।”
20 यह भविष्यवाणी यकीनन उस आनेवाली नई दुनिया में जल्द ही पूरी होगी, जिसका वादा परमेश्वर ने किया है। उस समय इंसानों को उन सभी दुःख-तकलीफों से राहत मिलेगी जो आज उन्हें तड़पा रही हैं। असल में, यशायाह 25:7, 8 की भविष्यवाणी हमें यह आश्वासन देती है कि यहोवा अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके एक आश्चर्यकर्म करेगा जैसा उसने पहले कभी नहीं किया था: “वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा, और अपनी प्रजा की नामधराई सारी पृथ्वी पर से दूर करेगा; क्योंकि यहोवा ने ऐसा कहा है।” प्रेरित पौलुस ने बाद में वही बात दोहराई और कहा कि परमेश्वर मौत की नींद सोए हुओं को ज़िंदगी देगा, यानी उनका पुनरुत्थान करेगा। वह क्या ही महान आश्चर्यकर्म होगा!—1 कुरिन्थियों 15:51-54.
21. मरे हुओं के लिए परमेश्वर कौन-से आश्चर्यकर्म करेगा?
21 हमारी आँखों से आँसू मिट जाने की एक और वजह यह होगी कि उस समय किसी भी तरह की बीमारी नहीं होगी। जब यीशु पृथ्वी पर था तो उसने कई लोगों को चंगा किया। उसने अंधों को आँखें दी, बहरों के कान खोले और अपाहिजों को शक्ति दी। यूहन्ना 5:5-9 बताता है कि यीशु ने एक ऐसे आदमी को चंगा किया जो 38 सालों से लंगड़ा था। देखनेवालों को लगा कि यह कोई चमत्कार या आश्चर्यकर्म है। और सचमुच वह आश्चर्यकर्म था! लेकिन यीशु ने कहा कि वे इससे भी बड़ा आश्चर्यकर्म देखेंगे जब मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा: “इस से अचम्भा मत करो, क्योंकि वह समय आता है, कि जितने कब्रों में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे। जिन्हों ने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे।”—यूहन्ना 5:28, 29.
22. गरीब और दुःखी जन क्यों एक अच्छे भविष्य की आशा कर सकते हैं?
22 यह तो होकर ही रहेगा क्योंकि इसका वादा करनेवाला और कोई नहीं बल्कि खुद परमेश्वर यहोवा है। आप यकीन रखिए कि जब वह अपनी अपार शक्ति को एक खास मकसद के लिए इस्तेमाल करेगा तो वह वाकई देखने लायक नज़ारा होगा। भजन 72 बताता है कि वह अपने बेटे, राजा यीशु मसीह के ज़रिए क्या करनेवाला है। उस समय धर्मी फूले-फलेंगे। हर तरफ असीम शांति होगी। परमेश्वर लोगों को गरीबी और दुःख से छुटकारा देगा। वह वादा करता है: “देश में पहाड़ों की चोटियों पर बहुत सा अन्न होगा; जिसकी बालें [प्राचीन] लबानोन के देवदारुओं की नाईं झूमेंगी; और नगर के लोग घास की नाईं लहलहाएंगे।”—भजन 72:16.
23. परमेश्वर के आश्चर्यकर्म हमें क्या करने के लिए प्रेरित करते हैं?
23 तो यह साफ ज़ाहिर है कि यहोवा के आश्चर्यकर्मों पर, जो उसने बीते समय में किए, जो वह आज कर रहा है और जो वह भविष्य में जल्द करनेवाला है, ध्यान देने के लिए हमारे पास बहुत-से कारण हैं। “धन्य है, यहोवा परमेश्वर जो इस्राएल का परमेश्वर है; आश्चर्य कर्म केवल वही करता है। उसका महिमायुक्त नाम सर्वदा धन्य रहेगा; और सारी पृथ्वी उसकी महिमा से परिपूर्ण होगी। आमीन फिर आमीन।” (भजन 72:18, 19) हमें नियमित रूप से अपने रिश्तेदारों और दूसरों के साथ इन आश्चर्यकर्मों के बारे में जोश के साथ बात करनी चाहिए। जी हाँ, आइए हम “अन्य जातियों में उसकी महिमा का, और देश देश के लोगों में उसके आश्चर्यकर्मों का वर्णन” करें।—भजन 78:3, 4; 96:3, 4.
आप क्या जवाब देंगे?
• अय्यूब को पूछे गए सवालों से इंसानों के ज्ञान की कमी किस तरह ज़ाहिर होती है?
• अय्यूब के अध्याय 37-41 में दर्ज़ परमेश्वर के कौन-से आश्चर्यकर्मों से आप प्रभावित हुए हैं?
• परमेश्वर के कुछ आश्चर्यकर्मों पर ध्यान देने के बाद हमारी क्या प्रतिक्रिया होनी चाहिए?
[पेज 10 पर तसवीरें]
इतने बड़े पैमाने पर बर्फ के कणों में पायी गयी विविधता और बिजली की विस्मयकारी शक्ति के बारे में आप किस नतीजे पर पहुँचे हैं?
[चित्र का श्रेय]
snowcrystals.net
[पेज 13 पर तसवीरें]
परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों की चर्चा रोज़-ब-रोज़ कीजिए