अध्याय 22
परमेश्वर का राज धरती पर उसकी मरज़ी पूरी करेगा
1, 2. (क) फिरदौस की आशा पर ध्यान लगाना कभी-कभी क्यों मुश्किल हो सकता है? (ख) हम परमेश्वर के वादों पर अपना विश्वास कैसे मज़बूत कर सकते हैं?
एक वफादार भाई सभा में आता है। वह बहुत थका हुआ है। वह सारा दिन काफी तनाव से गुज़रा। उसके बॉस ने उससे बहुत ज़्यादा काम कराया, अपने परिवार की देखभाल को लेकर वह काफी चिंता में रहा और अपनी पत्नी की बिगड़ती सेहत को लेकर भी बहुत परेशान रहा। मगर जैसे ही सभा शुरू होती है और संगीत बजता है, उसे बड़ी राहत मिलती है। वह खुश है कि वह राज-घर में अपने भाई-बहनों के साथ है। गीत फिरदौस की आशा के बारे में है और गीत के बोल उसे उभारते हैं कि वह अपने मन में फिरदौस की तसवीर बनाए और खुद को उस माहौल में देखे। उसे हमेशा से यह गीत बहुत पसंद था और अब जब वह अपने परिवार के साथ मिलकर यह गीत गाता है तो उसके दुखी मन को सुकून मिलता है।
2 क्या आपने भी कभी फिरदौस की आशा पर ध्यान लगाने से दिलासा पाया है? हममें से कई लोगों का यह अनुभव रहा है। मगर इस पुरानी दुनिया में जीना इतना मुश्किल हो गया है कि हम कई बार इस बात पर ध्यान नहीं लगा पाते कि फिरदौस सचमुच आएगा। यह वाकई ‘संकटों से भरा वक्त है जिसका सामना करना बहुत मुश्किल है।’ आज दुनिया के हालात फिरदौस जैसे तो बिलकुल नहीं हैं। (2 तीमु. 3:1) हम कैसे इस बात पर ध्यान लगा सकते हैं कि फिरदौस हकीकत में आएगा? हमें क्यों पूरा यकीन है कि परमेश्वर का राज जल्द ही सभी इंसानों पर हुकूमत करेगा? आइए यहोवा की बतायी कुछ भविष्यवाणियों पर ध्यान दें जिन्हें पुराने ज़माने में उसके लोगों ने पूरा होते देखा था। इसके बाद हम चर्चा करेंगे कि वे भविष्यवाणियाँ और उनके जैसी दूसरी भविष्यवाणियाँ आज के ज़माने में कैसे रोमांचक तरीके से पूरी हो रही हैं। इससे हमारा विश्वास मज़बूत होगा। फिर हम देखेंगे कि ये भविष्यवाणियाँ आगे चलकर कैसे पूरी होंगी।
यहोवा ने पुराने ज़माने में अपने वादे कैसे पूरे किए
3. यहूदी बँधुओं को किस वादे से दिलासा मिला?
3 कल्पना कीजिए कि ईसा पूर्व छठी सदी में जब यहूदी बैबिलोन में बंदी थे तो वहाँ उनकी ज़िंदगी कैसी थी। उनमें से ज़्यादातर लोगों का बचपन बँधुआई में ही बीता था, ठीक जैसे उनके माता-पिता का बचपन वहीं बीता था। उनकी ज़िंदगी बहुत मुश्किल थी। वे यहोवा को मानते थे इसलिए बैबिलोन के लोग उनका मज़ाक उड़ाते थे। (भज. 137:1-3) कई सालों से यहोवा के एक वादे ने उन वफादार यहूदियों के दिल में आशा जगायी थी। वह वादा यह था कि एक दिन यहोवा अपने लोगों को वापस उनके देश में ले जाएगा। यहोवा ने कहा था कि उनके देश में हालात बहुत बढ़िया हो जाएँगे। उसने यह तक कहा कि जब यहूदा देश दोबारा बसाया जाएगा तो अदन के बाग जैसा होगा, यानी फिरदौस! (यशायाह 51:3 पढ़िए।) परमेश्वर ने अपने लोगों से ये वादे इसलिए किए थे ताकि उन्हें दिलासा मिले और भविष्य को लेकर उनका सारा शक दूर हो जाए। वह कैसे? आइए कुछ भविष्यवाणियों पर ध्यान दें।
4. यहोवा ने यहूदियों को कैसे यकीन दिलाया कि वे अपने देश में सुरक्षित रहेंगे?
4 सुरक्षा: उन बंदियों को जो दूर देश लौटना था वह सचमुच का कोई फिरदौस नहीं था बल्कि 70 साल से उजाड़ पड़ा था। उनमें से कइयों ने कभी वह देश देखा भी नहीं था। बाइबल के ज़माने में उन इलाकों में शेर, भेड़िए, चीते और दूसरे जंगली जानवर बहुत हुआ करते थे। इसलिए एक यहूदी आदमी के मन में इस तरह के सवाल उठ सकते थे, ‘मैं अपने बीवी-बच्चों की कैसे हिफाज़त करूँगा? मेरी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों का क्या होगा?’ ऐसी चिंताएँ होना स्वाभाविक था। मगर जब वह यहोवा का एक वादा याद करता तो उसे कितना दिलासा मिलता होगा। वह वादा यशायाह 11:6-9 में दर्ज़ है। (पढ़िए।) कविता के रूप में कहे गए उन सुंदर शब्दों से यहोवा ने यहूदी बंदियों को यकीन दिलाया कि उन्हें और उनके मवेशियों को कोई खतरा नहीं होगा। शेर घास-फूस खाएगा, जिसका मतलब यह है कि वह उनके मवेशियों को नहीं खाएगा। उन वफादार लोगों को ऐसे जंगली जानवरों से डरने की कोई ज़रूरत नहीं होगी। यहोवा ने अपने लोगों से वादा किया था कि जब यहूदा देश दोबारा बसाया जाएगा तो वहाँ वे सुरक्षित रहेंगे, यहाँ तक कि वीराने और जंगलों में भी महफूज़ रहेंगे।—यहे. 34:25.
5. यहूदी बँधुओं को किन भविष्यवाणियों से यकीन हुआ कि यहोवा उनकी ज़रूरतें पूरी करेगा?
5 बहुतायत: एक यहूदी को कुछ और चिंताएँ भी सता सकती थीं, ‘क्या मैं उस देश में अपने परिवार को खिला सकूँगा? हम कहाँ रहेंगे? मैं क्या काम करूँगा? क्या यहाँ की तरह उस देश में भी मुझे क्रूर मालिकों के पास कड़ी मज़दूरी करनी होगी या हालात कुछ बेहतर होंगे?’ यहोवा ने भविष्यवाणियों के ज़रिए इन सवालों के भी जवाब दिए। यहोवा ने आज्ञा माननेवाले लोगों से वादा किया कि यहूदा देश में समय पर बारिश होगी, इसलिए “खेतों में खूब फसल होगी और भरपूर उपज पैदा होगी।” (यशा. 30:23) यहोवा ने यकीन दिलाया कि वहाँ घर और काम की समस्या नहीं रहेगी। उसने कहा, “वे घर बनाकर उसमें बसेंगे, अंगूरों के बाग लगाएँगे और उनका फल खाएँगे। ऐसा नहीं होगा कि वे घर बनाएँ और कोई दूसरा उसमें रहे, वे बाग लगाएँ और कोई दूसरा उसका फल खाए।” (यशा. 65:21, 22) जी हाँ, वे झूठे उपासकों के देश बैबिलोन में बंदियों के नाते जो बदतर ज़िंदगी बिता रहे थे उसके मुकाबले यहूदा में उनकी ज़िंदगी बहुत बेहतर होगी। लेकिन एक यहूदी के मन में एक और सवाल उठ सकता था। वह यह कि क्या वे गंभीर समस्याएँ फिर से उठ खड़ी होंगी जिनकी वजह से ही उन्हें बँधुआई में जाना पड़ा था?
6. (क) परमेश्वर के लोग लंबे अरसे से किन बीमारियों के शिकार थे? (ख) यहोवा ने यहूदी बँधुओं को क्या यकीन दिलाया?
6 अच्छी सेहत: बँधुआई में जाने से लंबे अरसे पहले परमेश्वर के साथ उसके लोगों का रिश्ता कमज़ोर पड़ गया था। लाक्षणिक तौर पर वे बीमार हो गए थे। यहोवा ने भविष्यवक्ता यशायाह के ज़रिए उनकी हालत के बारे में कहा, “तुम्हारा पूरा सिर घाव से भरा है और दिल पूरी तरह बीमार है।” (यशा. 1:5) एक मायने में वे अंधे हो गए थे क्योंकि वे यहोवा से मिलनेवाली ज्ञान की रौशनी देख नहीं रहे थे। वे बहरे भी हो गए थे क्योंकि उन्होंने यहोवा की सलाह सुननी बंद कर दी थी। (यशा. 6:10; यिर्म. 5:21; यहे. 12:2) यहूदा लौटने के बाद क्या वे फिर से इन्हीं समस्याओं के शिकार होंगे और दोबारा यहोवा की मंज़ूरी खो देंगे? यहोवा के इस वादे से उन्हें ज़रूर दिलासा मिला होगा: “उस दिन बहरे भी उस किताब की बातें सुनेंगे, अंधों की आँखों के सामने से धुँधलापन और अंधकार दूर हो जाएगा।” (यशा. 29:18) जी हाँ, लाक्षणिक तौर पर यहोवा अपने लोगों की बीमारियाँ ठीक कर देगा, क्योंकि उन्होंने पश्चाताप किया होगा। जब तक वे यहोवा की आज्ञा मानेंगे वह उन्हें सही मार्गदर्शन और समझ देता रहेगा।
7. (क) बँधुआई से लौटे यहूदियों के मामले में परमेश्वर के वादे कैसे पूरे हुए? (ख) इससे हमारा विश्वास क्यों मज़बूत होता है?
7 क्या यहोवा ने अपने वादे पूरे किए? इतिहास दिखाता है कि उसने अपने वादे पूरे किए। जो यहूदी अपने देश लौटे वे वहाँ सुरक्षित रहे, उन्हें सब चीज़ें बहुतायत में मिलीं और लाक्षणिक तौर पर उनकी सेहत अच्छी रही, यानी यहोवा के साथ उनका रिश्ता मज़बूत रहा। मिसाल के लिए, सुरक्षा की बात लीजिए। यहोवा ने उन्हें पड़ोसी देशों से बचाया जो उनसे ज़्यादा ताकतवर थे और गिनती में भी ज़्यादा थे। जंगली जानवरों ने उनके मवेशियों को नहीं खाया। यह सच है कि उन यहूदियों ने फिरदौस की भविष्यवाणियों को छोटे पैमाने पर पूरा होते देखा था, जिनके बारे में यशायाह, यिर्मयाह और यहेजकेल जैसे आदमियों ने लिखा था। फिर भी उन्हें जो आशीषें मिलीं उससे वे खुश हुए और उनकी उस वक्त की ज़रूरतें पूरी हुईं। उस ज़माने में यहोवा ने अपने लोगों के लिए जो किया था, उस पर मनन करने से आज हमारा भी विश्वास मज़बूत होगा। ज़रा सोचिए, अगर उस ज़माने में छोटे पैमाने पर उन भविष्यवाणियों का पूरा होना इतना रोमांचक था, तो बड़े पैमाने पर उनका पूरा होना और कितना रोमांचक होगा! गौर कीजिए कि यहोवा ने आज हमारे लिए क्या किया है।
हमारे समय में यहोवा कैसे अपने वादों को पूरा करने लगा है
8. आज परमेश्वर के लोग जिस “देश” में हैं वह कैसा है?
8 आज यहोवा के लोगों से बना कोई सचमुच का राष्ट्र नहीं है, न ही वे सब मिलकर एक ही जगह रहते हैं। इसके बजाय, अभिषिक्त मसीही मिलकर एक लाक्षणिक राष्ट्र बनते हैं जिसे ‘परमेश्वर का इसराएल’ कहा जाता है। (गला. 6:16) वे और उनके साथी, “दूसरी भेड़ें,” मिलकर मानो एक ही “देश” में रहते हैं यानी वे मिलकर यहोवा की उपासना करते हैं। यह उपासना उनकी ज़िंदगी पर गहरा असर करती है। (यूह. 10:16; यशा. 66:8) यहोवा ने हमें जो “देश” दिया है वह कैसा है? वह फिरदौस जैसा है जहाँ परमेश्वर के वादे शानदार तरीके से पूरे हो रहे हैं। आइए कुछ वादों पर गौर करें।
9, 10. (क) यशायाह 11:6-9 की भविष्यवाणी आज कैसे पूरी हो रही है? (ख) आज परमेश्वर के लोगों के बीच हम किस तरह की शांति देखते हैं?
9 सुरक्षा: यशायाह 11:6-9 की भविष्यवाणी में एक खूबसूरत तसवीर पेश की गयी है कि जंगली जानवर, इंसानों और उनके पालतू जानवरों के साथ कैसे शांति से रहेंगे। क्या यह भविष्यवाणी आज लाक्षणिक तौर पर पूरी हो रही है? जी हाँ। आयत 9 पर गौर कीजिए। वहाँ बताया गया है कि जंगली जानवर क्यों नुकसान नहीं पहुँचाएँगे। आयत कहती है, “क्योंकि पृथ्वी यहोवा के ज्ञान से ऐसी भर जाएगी, जैसे समुंदर पानी से भरा रहता है।” क्या ‘यहोवा का ज्ञान’ जानवरों के बरताव में कोई बदलाव लाता है? नहीं। इससे पता चलता है कि यहाँ जानवरों का मतलब ऐसे खूँखार इंसान हैं जो परम-प्रधान परमेश्वर को जानने के बाद बदल जाते हैं और उसकी तरह शांति से पेश आने लगते हैं। इसलिए आज हमारे बीच जो फिरदौस जैसा माहौल है, उसमें हम इस भविष्यवाणी को पूरा होते देख सकते हैं। मसीह के राज में उसके चेले सीख रहे हैं कि वे कैसे खूँखार जानवरों जैसा बरताव करना छोड़ दें और अपने मसीही भाई-बहनों के साथ शांति से रहें।
10 मिसाल के लिए, इस किताब में हमने मसीही निष्पक्षता के बारे में चर्चा की थी। हमने देखा कि बाइबल में बतायी किन वजहों से परमेश्वर के लोग निष्पक्ष रहते हैं और इस वजह से उन पर कितना ज़ुल्म हुआ है। क्या यह बात गौर करने लायक नहीं कि हिंसा से भरी इस दुनिया में भी इतने सारे लोग, जिनकी तादाद एक राष्ट्र जितनी है, दूसरों पर हिंसा करने से इनकार कर देते हैं, फिर चाहे उन्हें मार डालने की धमकी दी जाए? यह इस बात का क्या ही ठोस सबूत है कि राजा मसीह की प्रजा सचमुच ऐसी शांति का आनंद उठा रही है जिसके बारे में यशायाह ने बताया था! यीशु ने कहा था कि उसके चेलों की पहचान उनके आपसी प्यार से होगी। (यूह. 13:34, 35) मसीह अपने “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के ज़रिए मंडलियों में सभी सच्चे मसीहियों को सिखा रहा है कि उन्हें कैसे शांति से रहना चाहिए और कोमलता से व्यवहार करना चाहिए।—मत्ती 24:45-47.
11, 12. (क) आज दुनिया में किस तरह का अकाल है? (ख) यहोवा कैसे अपने लोगों को सबकुछ बहुतायत में दे रहा है?
11 बहुतायत: देखा जाए तो आज पूरी दुनिया में अकाल है। बाइबल में पहले से बताया गया था, “सारे जहान का मालिक यहोवा ऐलान करता है, ‘देखो! वे दिन आ रहे हैं, जब मैं देश में अकाल भेजूँगा, रोटी और पानी के लिए नहीं बल्कि यहोवा के वचन सुनने के लिए लोग भूखे-प्यासे रह जाएँगे।’” (आमो. 8:11) क्या परमेश्वर के राज के नागरिक भी उस अकाल की मार सह रहे हैं? यहोवा ने भविष्यवाणी की थी कि उसके लोगों और उसके दुश्मनों के हालात में फर्क होगा। उसने कहा, “मेरे सेवक खाएँगे, मगर तुम भूखे रहोगे, मेरे सेवक पीएँगे, मगर तुम प्यासे रहोगे, मेरे सेवक खुशियाँ मनाएँगे, मगर तुम शर्मिंदा होगे।” (यशा. 65:13) क्या आपने इस भविष्यवाणी को पूरा होते देखा है?
12 परमेश्वर के साथ एक मज़बूत रिश्ता बनाने में मदद करने के लिए कई इंतज़ाम किए गए हैं। ये ऐसी नदी की तरह हैं जो लगातार बड़ी और गहरी होती जा रही है। हमारे पास बाइबल की समझ देनेवाले प्रकाशनों की भरमार है। साथ ही ढेरों रिकॉर्डिंग, वीडियो, सभाएँ, अधिवेशन और वेबसाइट पर मिलनेवाली जानकारी भी है। एक तरफ जहाँ दुनिया में सही मार्गदर्शन का अकाल पड़ा है, वहीं परमेश्वर से हमें कितनी बहुतायत में शिक्षा मिल रही है। (यहे. 47:1-12; योए. 3:18) क्या आप रोज़मर्रा की ज़िंदगी में यह देखकर रोमांचित नहीं होते कि यहोवा बहुतायत में सबकुछ देने का वादा पूरा कर रहा है? क्या आप यहोवा की मेज़ से नियमित तौर पर खाते हैं?
13. आप कैसे यहोवा का यह वादा पूरा होते देख रहे हैं कि अंधों की आँखें और बहरों के कान खोले जाएँगे?
13 अच्छी सेहत: आज दुनिया के ज़्यादातर लोग लाक्षणिक तौर पर अंधे और बहरे हैं। (2 कुरिं 4:4) मगर यीशु दुनिया-भर में कई लोगों की ये बीमारियाँ दूर कर रहा है। क्या आपने अंधों को देखते हुए और बहरों को सुनते हुए देखा है? आपने ज़रूर देखा होगा। सच्चाई सीखने के बाद कुछ लोग उन झूठी शिक्षाओं को मानना छोड़ देते हैं जिनकी वजह से वे अंधों और बहरों जैसे थे और सच्चाई को देख और सुन नहीं पा रहे थे। जब आप उनमें यह बदलाव देखते हैं तो दरअसल आप इस वादे को पूरा होते देख रहे हैं: “उस दिन बहरे भी उस किताब की बातें सुनेंगे, अंधों की आँखों के सामने से धुँधलापन और अंधकार दूर हो जाएगा।” (यशा. 29:18) दुनिया-भर में हर साल हज़ारों लोगों की आँखें और कान खोले जा रहे हैं। हर वह इंसान जो महानगरी बैबिलोन से निकल आता है और हमारे साथ मिलकर फिरदौस जैसे माहौल में उपासना करता है, वह इस बात का जीता-जागता सबूत है कि यहोवा के वादे पूरे हो रहे हैं!
14. किस सबूत पर मनन करने से हमारा विश्वास मज़बूत होगा?
14 इस किताब के हर अध्याय में इस बात के ज़बरदस्त सबूत दिए गए हैं कि अंत के इस समय में मसीह अपने चेलों को एक फिरदौस जैसे माहौल में ले आया है। आइए हम इस बारे में मनन करते रहें कि इस माहौल में हमें कितनी सारी आशीषें मिल रही हैं। ऐसा करने से हमारा विश्वास मज़बूत होगा कि भविष्य के बारे में यहोवा ने जो वादे किए हैं वे भी ज़रूर पूरे होंगे।
“तेरा राज आए”
15. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि धरती फिरदौस बन जाएगी?
15 पूरी धरती को एक फिरदौस बनाना, शुरू से यहोवा का मकसद रहा है। उसने आदम और हव्वा को एक सुंदर बाग में रखा था और उन्हें आज्ञा दी थी कि वे धरती को अपनी संतान से आबाद करें और सभी जीव-जंतुओं की देखभाल करें। (उत्प. 1:28) मगर आदम और हव्वा ने शैतान के साथ मिलकर बगावत की और अपनी सारी संतान को पाप और मौत की खाई में धकेल दिया। फिर भी परमेश्वर का मकसद नहीं बदला है। एक बार जब वह कोई बात कह देता है तो वह पूरी होकर ही रहती है। (यशायाह 55:10, 11 पढ़िए।) इसलिए हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि आदम और हव्वा की संतान से यह धरती ज़रूर आबाद होगी, वे इस पर अधिकार रखेंगे और फिरदौस में प्यार से यहोवा की सृष्टि की देखभाल करेंगे। उस वक्त फिरदौस की वे सारी भविष्यवाणियाँ हर मायने में पूरी होंगी जो यहूदी बंदियों को बतायी गयी थीं! आइए कुछ भविष्यवाणियों पर गौर करें।
16. फिरदौस में मिलनेवाली सुरक्षा का बाइबल में कैसे वर्णन किया गया है?
16 सुरक्षा: आखिरकार यशायाह 11:6-9 में लिखे सुंदर शब्द हर मायने में और सचमुच पूरे होंगे। आदमी, औरत, बच्चे सभी महफूज़ रहेंगे। वे चाहे धरती के किसी भी कोने में जाएँ उन्हें कोई खतरा नहीं होगा, न जानवरों से न इंसानों से। ज़रा उस समय की कल्पना कीजिए, जब यह पूरी धरती आपका घर होगी, आप नदियों, तालाबों और समुंदरों में तैर सकेंगे, पहाड़ों पर चढ़ सकेंगे और मैदानों में घूम सकेंगे और आपको किसी बात का डर नहीं होगा। रात को भी आप नहीं डरेंगे। यहेजकेल 34:25 के शब्द सच होंगे। परमेश्वर के लोग ‘वीराने में भी महफूज़ रह सकेंगे और जंगलों में भी सो सकेंगे।’
17. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि जब धरती पर राज हुकूमत करेगा, तब यहोवा हमें सबकुछ बहुतायत में देगा?
17 बहुतायत: एक ऐसे वक्त की कल्पना कीजिए जब गरीबी, कुपोषण और अकाल नहीं होगा। आज परमेश्वर के लोगों के पास उसके बारे में ज्ञान की जो बहुतायत है वह एक गारंटी है कि राजा मसीह भविष्य में हर मायने में उन्हें तृप्त करेगा। जब वह धरती पर था तो उसने छोटे पैमाने पर दिखाया कि वह इन वादों को पूरा कर सकता है। उसने कुछ रोटियों और मछलियों से हज़ारों भूखे लोगों को खिलाया। (मत्ती 14:17, 18; 15:34-36; मर. 8:19, 20) जब परमेश्वर का राज सारी धरती पर हुकूमत करेगा तो इस तरह की भविष्यवाणियाँ सचमुच पूरी होंगी: “परमेश्वर तेरे लगाए बीजों को सींचने के लिए बारिश लाएगा। तेरे खेतों में खूब फसल होगी और भरपूर उपज पैदा होगी। उस दिन तेरे मवेशी बड़े-बड़े चरागाह में चरेंगे।”—यशा. 30:23.
18, 19. (क) यशायाह 65:20-22 की भविष्यवाणी को आप क्यों पूरा होते देखना चाहते हैं? (ख) किस मायने में हमारी उम्र “पेड़ों के समान होगी”?
18 आज कई लोग सपने में भी नहीं सोच सकते कि उनका अपना आरामदायक घर होगा या वे ऐसा काम करेंगे जिससे उन्हें संतुष्टि और अपनी मेहनत का फल मिले। इस भ्रष्ट दुनिया में बहुत-से लोग सारा दिन कड़ी मेहनत करते हैं, मगर खुद के लिए या अपने परिवार के लिए ज़्यादा कुछ कमा नहीं पाते जबकि सारा फायदा अमीरों और लालची लोगों को होता है। ज़रा सोचिए, जब आगे दी गयी भविष्यवाणी पूरी दुनिया में सच होगी तो कैसा होगा: “वे घर बनाकर उसमें बसेंगे, अंगूरों के बाग लगाएँगे और उनका फल खाएँगे। ऐसा नहीं होगा कि वे घर बनाएँ और कोई दूसरा उसमें रहे, वे बाग लगाएँ और कोई दूसरा उसका फल खाए, क्योंकि मेरे लोगों की उम्र, पेड़ों के समान होगी, मेरे चुने हुए अपनी मेहनत के फल का पूरा-पूरा मज़ा लेंगे।”—यशा. 65:20-22.
19 इसका मतलब क्या है कि हमारी उम्र “पेड़ों के समान होगी”? जब आप एक ऊँचे विशाल पेड़ के नीचे खड़े होते हैं तो क्या यह सोचकर हैरान नहीं रह जाते कि वह पेड़ कैसे मुद्दतों से वहीं खड़ा है, शायद आपके परदादाओं के ज़माने से भी पहले से? शायद आप यह भी सोचें कि अपरिपूर्णता की वजह से आपकी मौत हो जाएगी और आपकी याद भी भुला दी जाएगी, जबकि वह पेड़ और भी कई साल ज़िंदा रहेगा। लेकिन यहोवा की बड़ी कृपा है कि वह हमें यकीन दिलाता है कि आनेवाले फिरदौस में हम भी एक लंबी और चैन की ज़िंदगी जीएँगे! (भज. 37:11, 29) और वह दिन भी आएगा जब मुद्दतों से खड़े पेड़ हमारे लिए घास जैसे होंगे जो आज है तो कल नहीं, क्योंकि हम हमेशा-हमेशा के लिए जीएँगे!
20. राज की वफादार प्रजा कैसे बढ़िया सेहत का आनंद उठाएगी?
20 बढ़िया सेहत: आज की दुनिया में बीमारी और मौत हर किसी को अपनी गिरफ्त में ले लेती हैं। एक मायने में हम सब बीमार हैं, हमें पाप की जानलेवा बीमारी है। इसका सिर्फ एक ही इलाज है, मसीह का फिरौती बलिदान। (रोमि. 3:23; 6:23) हज़ार साल के राज में यीशु और उसके साथी राजा उस बलिदान से फायदा पाने में लोगों की मदद करेंगे और वफादार इंसानों पर से धीरे-धीरे पाप का हर दाग मिटा देंगे। यशायाह की यह भविष्यवाणी हर मायने में पूरी होगी: “देश का कोई निवासी न कहेगा, ‘मैं बीमार हूँ।’ क्योंकि उसमें रहनेवालों का पाप माफ किया जाएगा।” (यशा. 33:24) कल्पना कीजिए कि वह समय कैसा होगा जब कोई अंधा, बहरा या अपंग नहीं होगा। (यशायाह 35:5, 6 पढ़िए।) किसी भी तरह की बीमारी दूर करना यीशु के लिए मुश्किल नहीं होगा, फिर चाहे वह शारीरिक बीमारी हो या मानसिक रोग। राज की वफादार प्रजा परिपूर्ण हो जाएगी और बढ़िया सेहत का आनंद उठाएगी!
21. (क) मौत का क्या होगा? (ख) आपको इस वादे से क्यों दिलासा मिलता है?
21 लेकिन बीमारी और पाप के खतरनाक अंजाम, मौत का क्या होगा? मौत हमारा “आखिरी दुश्मन” है। यह ऐसा दुश्मन है जिससे हर पापी इंसान एक-न-एक-दिन हार जाता है। (1 कुरिं. 15:26) लेकिन क्या मौत इतनी ताकतवर है कि यहोवा भी उसे हरा नहीं सकता? यशायाह की इस भविष्यवाणी पर गौर कीजिए: “वह मौत को हमेशा के लिए निगल जाएगा, सारे जहान का मालिक यहोवा हर इंसान के आँसू पोंछ देगा।” (यशा. 25:8) क्या आप मन की आँखों से वह समय देख सकते हैं? न शोक सभाएँ होंगी, न कब्रिस्तान होंगे, न ही कोई दुख के आँसू बहाएगा! इसके बजाय, हमारी आँखों में खुशी के आँसू होंगे क्योंकि जब यहोवा अपने वादे के मुताबिक मरे हुओं को ज़िंदा करेगा तो वह बड़ा ही रोमांचक समय होगा! (यशायाह 26:19 पढ़िए।) मौत ने हमें जो बेहिसाब ज़ख्म दिए हैं वे सब मिट जाएँगे।
22. जब मसीहा का राज धरती पर परमेश्वर की मरज़ी पूरी कर चुका होगा तो उसके बाद क्या होगा?
22 हज़ार साल के आखिर तक, परमेश्वर का राज धरती पर उसकी मरज़ी पूरी कर चुका होगा। तब मसीह राज करने का अधिकार वापस अपने पिता को दे देगा। (1 कुरिं. 15:25-28) सभी इंसान परिपूर्ण हो चुके होंगे और उस अंतिम परीक्षा का सामना करने के लिए तैयार होंगे जो शैतान उन पर लाएगा। शैतान यह परीक्षा तब लाएगा जब उसे अथाह-कुंड से यानी उसकी निष्क्रिय हालत से बाहर निकाला जाएगा। आखिरकार मसीह उस धूर्त साँप को कुचल देगा और उन सबका नाश कर देगा जो उसका साथ देते हैं। (उत्प. 3:15; प्रका. 20:3, 7-10) मगर यहोवा से प्यार करनेवाले सभी वफादार लोगों को एक उज्ज्वल भविष्य मिलेगा। बाइबल जिन शब्दों में उस भविष्य का वर्णन करती है उससे बेहतर वर्णन और क्या हो सकता है। यह कहती है कि वे “परमेश्वर के बच्चे होने की शानदार आज़ादी” पाएँगे।—रोमि. 8:21.
23, 24. (क) हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि परमेश्वर के वादे ज़रूर पूरे होंगे? (ख) आपने क्या करने की ठानी है?
23 ये सभी वादे खोखले नहीं हैं, न ही किसी की ख्वाहिशें या सपने हैं। यहोवा के वादे ज़रूर पूरे होंगे! हम क्यों यकीन रख सकते हैं? यीशु की वह बात याद कीजिए जिसके बारे में हमने इस किताब के पहले अध्याय में चर्चा की थी। उसने अपने चेलों को यहोवा से यह प्रार्थना करना सिखाया था: “तेरा राज आए। तेरी मरज़ी जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे धरती पर भी पूरी हो।” (मत्ती 6:9, 10) परमेश्वर का राज किसी की कल्पना नहीं है। वह असली है! आज यह राज स्वर्ग में हुकूमत कर रहा है। यह सौ साल से यहोवा के वादे पूरे कर रहा है, जैसा कि आज मसीही मंडली में हम साफ देख सकते हैं। इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि जब परमेश्वर का राज धरती पर पूरी तरह हुकूमत करेगा तो यहोवा के सभी वादे पूरे होंगे!
24 हम जानते हैं कि परमेश्वर का राज ज़रूर आएगा। हम यह भी जानते हैं कि यहोवा की एक-एक बात सच होगी। यह हम कैसे कह सकते हैं? क्योंकि आज परमेश्वर का राज हुकूमत कर रहा है! हममें से हरेक को खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मेरे जीने का तरीका दिखाता है कि परमेश्वर का राज मेरी ज़िंदगी पर भी हुकूमत कर रहा है?’ आइए हम सब उस राज की वफादार प्रजा के नाते जीने की पूरी कोशिश करें ताकि हम हमेशा के लिए उसकी नेक और बढ़िया हुकूमत में आशीष पाते रहें!