सत्ताइसवाँ अध्याय
यहोवा जातियों पर अपना कोप उंडेलता है
1, 2. (क) यहोवा के पलटा लेने के बारे में हम किस बात का यकीन रख सकते हैं? (ख) यहोवा जब पलटा लेता है तो उससे क्या-क्या मकसद पूरे होते हैं?
यहोवा परमेश्वर अपने वफादार सेवकों के साथ तो धीरज से काम लेता ही है, मगर जब उसके उद्देश्य को पूरा करने के लिए ज़रूरी होता है तो वह अपने दुश्मनों के साथ भी धीरज से बर्ताव करता है। (1 पतरस 3:19,20; 2 पतरस 3:15) यहोवा के विरोधी शायद उसकी सहनशीलता को समझ न पाएँ और यह मान लें कि वह या तो कोई कदम उठाना नहीं चाहता या फिर उसमें ऐसा करने की ताकत नहीं है। लेकिन, जैसा यशायाह के 34वें अध्याय में बताया गया है, वक्त आने पर यहोवा हमेशा अपने दुश्मनों से लेखा लेता है। (सपन्याह 3:8) पुराने ज़माने में, कुछ समय तक परमेश्वर ने एदोम और दूसरी जातियों को उसके चुने हुए लोगों का विरोध करने की इजाज़त दी और उन्हें बिलकुल नहीं रोका। मगर यहोवा ने अपने ठहराए हुए समय पर इन दुश्मन जातियों से पलटा लिया। (व्यवस्थाविवरण 32:35) उसी तरह, आज भी अपने ठहराए हुए समय पर यहोवा मौजूदा दुष्ट संसार के उन सभी तत्वों से पलटा लेगा जो उसकी हुकूमत को ठुकरा देते हैं।
2 दुष्टों से पलटा लेने में परमेश्वर का खास मकसद होता है। इससे वह अपने नाम की महिमा करता है और यह ज़ाहिर करता है कि वही इस सारे जहान का महाराजा और मालिक है। (भजन 83:13-18) जब वह पलटा लेता है तो उसके सेवकों के बारे में भी यह साबित होता है कि वे उसके सच्चे दूत हैं और उन्हें तकलीफों से छुटकारा मिलता है। यही नहीं, यहोवा हमेशा अपने न्याय के स्तर के मुताबिक ही पलटा लेता है।—भजन 58:10,11.
जाति-जाति के लोगो, ध्यान से सुनो
3. यशायाह के ज़रिए यहोवा जातियों को क्या न्यौता देता है?
3 एदोम से पलटा लेने की बात करने से पहले यहोवा, यशायाह के ज़रिए सब जातियों को एक न्यौता देता है, जिसे उन्हें गंभीरता से लेनी चाहिए: “हे जाति जाति के लोगो, सुनने के लिये निकट आओ, और हे राज्य राज्य के लोगो, ध्यान से सुनो! पृथ्वी भी, और जो कुछ उस में है, जगत और जो कुछ उस में उत्पन्न होता है, सब सुनो।” (यशायाह 34:1) इस भविष्यवक्ता ने अधर्मी जातियों के खिलाफ बार-बार चेतावनी दी है। अब वह उनके खिलाफ परमेश्वर के न्यायदंडों का निचोड़ पेश करनेवाला है। क्या इन चेतावनियों में हमारे लिए कोई संदेश है?
4. (क) यशायाह 34:1 के मुताबिक, जातियों को क्या करने का बुलावा दिया जा रहा है? (ख) यहोवा का जातियों को दंड देना, क्या यह साबित करता है कि वह एक गुस्सैल परमेश्वर है? (पेज 362-3 पर बक्स देखिए।)
4 जी हाँ। सारे विश्व का सम्राट इस अधर्मी संसार के हर भाग से वाद-विवाद करनेवाला है। इसी कारण आज ‘राज्य राज्य के लोगों’ और “पृथ्वी” को बुलावा दिया जा रहा है कि वे बाइबल के इस संदेश पर ध्यान दें जिसका ऐलान यहोवा सारी दुनिया में करवा रहा है। भजन 24:1 के जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए यशायाह कहता है कि यह संदेश पृथ्वी के कोने-कोने में सुनाया जाएगा। यह भविष्यवाणी हमारे दिनों में पूरी हुई है, क्योंकि यहोवा के साक्षी “पृथ्वी की छोर तक” जाकर प्रचार कर रहे हैं। (प्रेरितों 1:8) लेकिन, जातियों ने इस संदेश पर कान नहीं लगाया है। उन्होंने इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया है कि उनका अंत होनेवाला है। मगर यहोवा पीछे हटनेवाला नहीं, वह अपना वचन ज़रूर पूरा करेगा।
5, 6. (क) परमेश्वर दुनिया के देशों से लेखा क्यों लेता है? (ख) इसका मतलब क्या है कि “उनके लोहू से पहाड़ गल जाएंगे”?
5 भविष्यवाणी अब बताती है कि इन अधर्मी जातियों का भविष्य कैसा अंधकारमय होगा, मगर जैसे बाद में बताया गया है, परमेश्वर के लोगों को उज्ज्वल भविष्य मिलेगा। (यशायाह 35:1-10) भविष्यवक्ता कहता है: “यहोवा सब जातियों पर क्रोध कर रहा है, और उनकी सारी सेना पर उसकी जलजलाहट भड़की हुई है, उस ने उनको सत्यानाश होने, और संहार होने को छोड़ दिया है। उनके मारे हुए फेंक दिये जाएंगे, और उनकी लोथों की दुर्गन्ध उठेगी; उनके लोहू से पहाड़ गल जाएंगे।”—यशायाह 34:2,3.
6 यहाँ जातियों के रक्तदोष पर ध्यान दिलाया जा रहा है। आज ईसाईजगत के देश सबसे ज़्यादा खून बहाने के दोषी हैं। दोनों विश्वयुद्धों में और दूसरी कई छोटी लड़ाइयों में, इन देशों ने सारी पृथ्वी को इंसान के खून से तर कर दिया है। उन्होंने जो इतना सारा खून बहाया है, उसका लेखा लेने का असली हकदार कौन है? कोई और नहीं, बल्कि ज़िंदगी देनेवाला, हमारा सिरजनहार ही इसका हकदार है। (भजन 36:9) यहोवा की कानून-व्यवस्था में यह नियम दिया गया था: “प्राण की सन्ती प्राण का . . . दण्ड हो।” (निर्गमन 21:23-25; उत्पत्ति 9:4-6) इस नियम के मुताबिक, यहोवा भी इन देशों का खून बहाएगा और उन्हें मौत की सज़ा देगा। उनकी लाशें यूँ ही पड़ी रहेंगी, जिसकी वजह से हर तरफ दुर्गन्ध फैल जाएगी। वाकई उनकी मौत बड़ी शर्मनाक होगी! (यिर्मयाह 25:33) उनका बदला चुकाते वक्त उनसे इतने खून की माँग की जाएगी कि मानो उससे पहाड़ भी गल जाएँगे। (सपन्याह 1:17) दुनिया के देश देखेंगे कि उनकी फौज को पूरी तरह मिटा दिए जाने से किस तरह उनकी सरकारें, जिनकी तुलना बाइबल की कुछ भविष्यवाणियों में पहाड़ों से की गयी है, गिर जाती हैं।—दानिय्येल 2:35,44,45; प्रकाशितवाक्य 17:9.
7. “आकाश” और “आकाश की सेना” क्या है?
7 फिर एक बार, ज़बरदस्त शब्दों से एक जीती-जागती तसवीर पेश करते हुए यशायाह आगे कहता है: “आकाश की सेना में जो कुछ है वह गल जाएगा। और चर्मपत्र की तरह आकाश लपेटा जाएगा; और उसकी सारी सेना मुरझा जाएगी, वैसे ही जैसे दाखलता से पत्तियाँ मुरझाकर गिर पड़ती हैं और अंजीर के वृक्ष से सूखा हुआ अंजीर गिर पड़ता है।” (यशायाह 34:4, NW) “आकाश की सेना में जो कुछ है,” इसका मतलब सचमुच के तारे और ग्रह नहीं हैं। क्योंकि आयत 5 और 6 बताती हैं कि इसी “आकाश” में, वध करनेवाली एक तलवार लहू से भर गयी है। इसलिए यह “आकाश” ज़रूर इंसानों से जुड़ी किसी चीज़ का प्रतीक होगा। (1 कुरिन्थियों 15:50) इंसान की सरकारें, प्रधान अधिकारियों के रूप में ऊँचे ओहदों पर हैं और इसी वजह से उन्हें आकाश कहा गया है जो अपने से नीचे, यानी पृथ्वी के मानव समाज पर शासन करती हैं। (रोमियों 13:1-4) इसलिए, “आकाश की सेना” का मतलब, इन इंसानी सरकारों की तमाम सेनाओं से है।
8. लाक्षणिक आकाश कैसे एक “चर्मपत्र की तरह” है और उसकी “सेना” का क्या होता है?
8 यह “सेना” किसी नाशवान वस्तु की तरह “गल” जाएगी या सड़ जाएगी। (भजन 102:26; यशायाह 51:6) जब हम अपनी आँखें उठाकर आकाश को देखते हैं तो यह गोलाई में मुड़ा हुआ नज़र आता है और इससे हमें प्राचीनकाल के किसी चर्मपत्र की याद आती है, जिसमें आम तौर पर लिखाई अंदर की तरफ होती थी। चर्मपत्र के अंदर लिखी बातों को पढ़ लेने के बाद लोग उसे लपेटकर रख देते थे। तो “चर्मपत्र की तरह आकाश लपेटा जाएगा,” इसका मतलब यह है कि इंसान की सरकारों का अंत होना है। अपने इतिहास के आखिरी पन्ने तक पहुँच जाने की वजह से, हरमगिदोन में इन सरकारों को खत्म कर दिया जाएगा। उनकी बड़ी-बड़ी और विशाल ‘सेनाएँ’ उसी तरह गिर पड़ेंगी जैसे सूखी पत्तियाँ दाखलता से या “सूखा हुआ अंजीर” वृक्ष से गिर पड़ता है। उनका वक्त अब बीत चुका होगा।—प्रकाशितवाक्य 6:12-14 से तुलना कीजिए।
पलटा लेने का दिन
9. (क) एदोम जाति की शुरूआत किससे हुई, और इस्राएल और एदोम के बीच कैसा रिश्ता पैदा हुआ? (ख) यहोवा, एदोम के बारे में क्या फैसला सुनाता है?
9 अब भविष्यवाणी खास तौर से एक जाति के बारे में बताती है जो यशायाह के दिनों में मौजूद थी। यह जाति है एदोम। एदोमी लोग एसाव (एदोम) के वंशज थे, जिसने रोटी और दाल के बदले में अपने जुड़वा भाई याकूब को पहिलौठे का अधिकार बेच डाला था। (उत्पत्ति 25:24-34) इससे एसाव के मन में अपने भाई याकूब के लिए नफरत भर गयी क्योंकि उसने पहिलौठे के अधिकार में अब उसकी जगह ले ली थी। हालाँकि एदोम जाति और इस्राएल जाति दो जुड़वा भाइयों के वंशज थे, लेकिन बाद में उनमें दुश्मनी पैदा हो गयी। परमेश्वर के लोगों के खिलाफ दुश्मनी दिखाने की वजह से, एदोम पर यहोवा का क्रोध भड़क उठा। अब वह कहता है: “मेरी तलवार आकाश में पीकर तृप्त हुई है; देखो, वह न्याय करने को एदोम पर, और जिन पर मेरा शाप है उन पर पड़ेगी। यहोवा की तलवार लोहू से भर गई है, वह चर्बी से और भेड़ों के बच्चों और बकरों के लोहू से, और मेढ़ों के गुर्दों की चर्बी से तृप्त हुई है। क्योंकि बोस्रा नगर में यहोवा का एक यज्ञ और एदोम देश में बड़ा संहार हुआ है।”—यशायाह 34:5,6.
10. (क) जब यहोवा “आकाश में” अपनी तलवार चलाता है तो वह किसे नीचे गिराता है? (ख) यहूदा पर बाबुल का हमला होते समय एदोम ने कैसा रवैया दिखाया?
10 एदोम पहाड़ी इलाके में ऊँची जगह पर बसा हुआ है। (यिर्मयाह 49:16; ओबद्याह 8,9,19,21) लेकिन, इन पहाड़ों से मिलनेवाली सुरक्षा भी उस वक्त किसी काम न आएगी, जब यहोवा “आकाश में” अपने न्यायदंड की तलवार चलाएगा और एदोम के राजाओं को ऊँचे-ऊँचे स्थानों से गिराकर नीचे फेंक देगा। एदोम की फौज बहुत बड़ी और हथियारों से लैस है, और उसके हथियारबंद सैनिक देश की रक्षा करने के लिए बड़ी-बड़ी पहाड़ियों में गश्त लगाते हैं। लेकिन, जब यहूदा देश पर बाबुल की फौजों का हमला हुआ तब शक्तिशाली एदोम उसकी मदद करने नहीं आया। इसके बजाय एदोम, यहूदा के राज्य को गिरता हुआ देखकर खुशी से फूल उठा। और उसने यहूदा पर आक्रमण करनेवालों को उसे नाश करने के लिए और भी उकसाया। (भजन 137:7) और कुछ यहूदी जब अपनी जान बचाकर भाग रहे थे, तो एदोम ने उन्हें खदेड़कर बाबुलियों के हाथों पकड़वा दिया। (ओबद्याह 11-14) एदोमी, इस्राएलियों के उजड़े हुए देश पर कब्ज़ा करने की योजना बनाने लगे और यहोवा के खिलाफ डींगें मारने लगे।—यहेजकेल 35:10-15.
11. एदोमियों ने अपने भाइयों से जो विश्वासघात किया, उसका बदला यहोवा कैसे देगा?
11 एदोमियों ने जिस कदर अपने भाइयों से बुरा व्यवहार किया, उसे क्या यहोवा ने नज़रअंदाज़ कर दिया? नहीं। इसके बजाय वह एदोम के बारे में भविष्यवाणी करता है: “उनके संग जंगली सांढ़ और बछड़े और बैल बध होंगे, और उनकी भूमि लोहू से भीग जाएगी और वहां की मिट्टी चर्बी से अघा जाएगी।” (यशायाह 34:7) यहोवा, इस देश के बड़े और छोटे लोगों की तुलना जंगली सांढ़ों और बछड़ों, मेढ़ों और बकरों से करता है। जब यहोवा की वध करनेवाली “तलवार” उन्हें दंड देने आएगी, तब इस रक्तदोषी देश की ज़मीन उसके ही लोगों के लहू से भीग जाएगी।
12. (क) एदोम को दंड देने के लिए यहोवा किसे इस्तेमाल करता है? (ख) एदोम के बारे में भविष्यवक्ता ओबद्याह क्या बताता है?
12 यहोवा, एदोम को सज़ा देने की ठान लेता है क्योंकि उसने सिय्योन यानी पृथ्वी पर यहोवा के संगठन के खिलाफ बैरभाव दिखाते हुए उसके साथ बुरा सलूक किया है। भविष्यवाणी कहती है: “पलटा लेने को यहोवा का एक दिन और सिय्योन का मुक़द्दमा चुकाने का एक वर्ष नियुक्त है।” (यशायाह 34:8) सामान्य युग पूर्व 607 में यरूशलेम के विनाश के कुछ ही समय बाद, यहोवा ने एदोमियों से पलटा लेना शुरू किया, जो कि उसके धर्मी उसूलों के मुताबिक सही था। ऐसा करने के लिए उसने बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर का इस्तेमाल किया। (यिर्मयाह 25:15-17,21) जब बाबुल की फौज एदोम के खिलाफ चढ़ाई करती है, तब एदोमियों को कोई नहीं बचा पाता! यह उस पहाड़ी देश से ‘पलटा लेने का वर्ष’ है। भविष्यवक्ता ओबद्याह के ज़रिए यहोवा भविष्यवाणी करता है: “उस उपद्रव के कारण जो तू ने अपने भाई याकूब पर किया, तू लज्जा से ढंपेगा; और सदा के लिये नाश हो जाएगा। . . . जैसा तू ने किया है, वैसा ही तुझ से भी किया जाएगा, तेरा व्यवहार लौटकर तेरे ही सिर पर पड़ेगा।”—ओबद्याह 10,15; यहेजकेल 25:12-14.
ईसाईजगत उजाड़ हो जाएगा
13. आज एदोम की तरह कौन है, और ऐसा क्यों कहा जा सकता है?
13 आज के ज़माने में भी एक संगठन है, जिसने एदोम जैसे ही काम किए हैं। यह कौन-सा संगठन है? ज़रा सोचकर देखिए, हमारे समय में कौन-सा संगठन यहोवा के सेवकों को बदनाम करने और उन्हें सताने में सबसे आगे रहा है? क्या ईसाईजगत ने अपने पादरी वर्ग के ज़रिए ऐसा ही नहीं किया? बेशक! ईसाईजगत ने इस दुनिया के मामलों में दखल देकर खुद को पहाड़ों जैसी ऊँचाई तक उठाया है। उसका यह दावा है कि इंसान के समाज में उसका बहुत दबदबा है और उसके धर्म बड़े बाबुल का अहम हिस्सा हैं। मगर यहोवा ने आज के ज़माने के इस एदोम से ‘पलटा लेने का वर्ष’ नियुक्त किया है, क्योंकि इसने परमेश्वर के लोगों, उसके साक्षियों के खिलाफ बहुत ही घिनौना व्यवहार किया है।
14, 15. (क) एदोम देश का और ईसाईजगत का भविष्य कैसा होगा? (ख) जलते हुए राल और सदा तक उठनेवाले धुएँ का क्या मतलब है, और क्या नहीं?
14 इसलिए, जब हम यशायाह की भविष्यवाणी के इस बाकी भाग पर चर्चा करेंगे, तब हमें ध्यान रखना है कि यह न सिर्फ प्राचीन एदोम पर बल्कि ईसाईजगत पर भी लागू होती है। “एदोम की नदियां राल से और उसकी मिट्टी गन्धक से बदल जाएगी; उसकी भूमि जलती हुई राल बन जाएगी। वह रात-दिन न बुझेगी; उसका धूंआं सदैव उठता रहेगा।” (यशायाह 34:9,10क) एदोम की ज़मीन इस कदर झुलस जाती है कि ऐसा लगेगा मानो इसकी धूल गन्धक हो और इसकी नदियों में पानी के बजाय राल बहता हो। और फिर इन्हीं ज्वलनशील चीज़ों में आग लगा दी जाती है!—प्रकाशितवाक्य 17:16 से तुलना कीजिए।
15 कुछ लोग मानते हैं कि इन आयतों में आग, राल और गन्धक का ज़िक्र होने से नरक के होने का सबूत मिलता है, जहाँ हमेशा आग सुलगती रहती है। मगर एदोम को किसी काल्पनिक नरक की आग में हमेशा तक जलते रहने के लिए नहीं झोंका जाएगा। जी नहीं, इसे नाश किया जाएगा, यह दुनिया से ऐसे मिट जाएगा मानो आग और गन्धक से पूरी तरह जलकर खाक हो गया हो। जैसे कि भविष्यवाणी में आगे बताया गया है, इसका आखिरी अंजाम सदा तक आग में जलाया जाना नहीं है, बल्कि ‘उजाड़, सुनसान और अन्त’ होना है। (यशायाह 34:10-12) ‘सदैव उठनेवाला उसका धूंआं,’ इस बात की जीती-जागती तसवीर पेश करता है। जब किसी घर को आग लग जाती है और वह जलकर खाक हो जाता है, तो ज्वालाओं के ठंडा होने के बाद भी काफी समय तक उस राख के ढेर से धुआँ निकलता रहता है। इससे देखनेवालों को मालूम पड़ता है कि वहाँ कुछ देर पहले बहुत बड़ी आग लगी थी। आज भी मसीही एदोम के विनाश से सबक सीख रहे हैं, इसलिए एक तरीके से एदोम के जलने का धुआँ आज भी उठ रहा है।
16, 17. एदोम का क्या होगा और वह इस दशा में कब तक रहेगा?
16 यशायाह की भविष्यवाणी आगे बताती है कि एदोम में एक भी इंसान नहीं रहेगा बल्कि वहाँ जंगली जानवर वास करेंगे। इससे ज़ाहिर होता है कि वह उजाड़ होनेवाला है: “युग युग वह उजाड़ पड़ा रहेगा; कोई उस में से होकर कभी न चलेगा। उस में धनेशपक्षी और साही पाए जाएंगे और वह उल्लू और कौवे का बसेरा होगा। वह उस पर गड़बड़ की डोरी और सुनसानी का साहूल तानेगा। वहां न तो रईस होंगे और न ऐसा कोई होगा जो राज्य करने को ठहराया जाए; उसके सब हाकिमों का अन्त होगा। उसके महलों में कटीले पेड़, गढ़ों में बिच्छू पौधे और झाड़ उगेंगे। वह गीदड़ों का वासस्थान और शुतुर्मुर्गों का आंगन हो जाएगा। वहां निर्जल देश के जन्तु सियारों के संग मिलकर बसेंगे और रोंआर जन्तु एक दूसरे को बुलाएंगे; वहां लीलीत नाम जन्तु वासस्थान पाकर चैन से रहेगा। वहां उड़नेवाली सांपिन का बिल होगा; वे अण्डे” देंगी।—यशायाह 34:10ख-15.a
17 जी हाँ, एदोम सुनसान हो जाएगा। वह ऐसा वीराना हो जाएगा जहाँ सिर्फ जंगली जानवर, पक्षी और साँप ही बसेरा करेंगे। और जैसे आयत 10 कहती है यह देश सदा तक, जी हाँ “युग युग” तक झुलसी हुई दशा में रहेगा। यह देश फिर कभी बहाल न होगा।—ओबद्याह 18.
यहोवा का वचन हर हाल में पूरा होगा
18, 19. “यहोवा की पुस्तक” क्या है, और ईसाईजगत के लिए इस “पुस्तक” में क्या लिखा जा चुका है?
18 इससे एक झलक मिलती है कि आज के ज़माने के एदोम यानी ईसाईजगत के कैसे बुरे दिन आनेवाले हैं! वह यहोवा परमेश्वर के साक्षियों को बड़ी बेरहमी से सताता है और इस तरह उसने खुद को यहोवा का एक कट्टर दुश्मन साबित किया है। और इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं कि यहोवा ने जो कहा है, उसे वह ज़रूर पूरा करेगा। ठीक जैसे उजाड़ पड़े एदोम में बसनेवाले हर जंतु का अपना “जोड़ा” रहेगा, उसी तरह जब कोई जाँच करेगा तो पाएगा कि हर भविष्यवाणी का भी जोड़ा यानी उसकी पूर्ति है, और यह दोनों एक-दूसरे से पूरी तरह मेल खाते हैं। आनेवाले समय में बाइबल की भविष्यवाणियों का अध्ययन करनेवालों से यशायाह कहता है: “यहोवा की पुस्तक से ढूंढ़कर पढ़ो: इन में से एक भी बात बिना पूरा हुए न रहेगी; कोई बिना जोड़ा न रहेगा। क्योंकि मैं ने अपने मुंह से यह आज्ञा दी है और उसी की आत्मा ने उन्हें इकट्ठा किया है। उसी ने उनके लिये चिट्ठी डाली, उसी ने अपने हाथ से डोरी डालकर उस देश को उनके लिये बांट दिया है; वह सर्वदा उनका ही बना रहेगा और वे पीढ़ी से पीढ़ी तक उस में बसे रहेंगे।”—यशायाह 34:16,17.
19 ईसाईजगत पर जल्द आ रहे विनाश के बारे में “यहोवा की पुस्तक” में पहले से बता दिया गया था। “यहोवा की” यह “पुस्तक” ब्यौरा देती है कि कैसे यहोवा अपने दुश्मनों से बदला लेगा जो बेरहम होकर उसके लोगों पर ज़ुल्म ढाते रहते हैं और कभी सुधरते नहीं। प्राचीन एदोम के बारे में जो लिखा गया था, वह सच हुआ और इससे हमारा यह विश्वास मज़बूत होता है कि आज के एदोम यानी ईसाईजगत के मामले में भी यह भविष्यवाणी ज़रूर पूरी होगी। मापने की “डोरी” यानी कार्यवाही करने के लिए यहोवा का कानून, इस बात की गारंटी देता है कि यह संगठन जो आध्यात्मिक मायनों में आखिरी सांसें गिन रहा है, एक दिन उसका पूरी तरह खात्मा हो जाएगा।
20. प्राचीन एदोम की तरह, ईसाईजगत के साथ क्या होगा?
20 ईसाईजगत अपने राजनीतिक दोस्तों को मनाने के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगा, मगर इसका कोई फायदा न होगा! प्रकाशितवाक्य के 17 और 18 अध्याय के मुताबिक, सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा उसके राजनीतिक दोस्तों के दिलों में यह विचार डालेगा कि वे ईसाईजगत और बड़े बाबुल के बाकी सभी हिस्सों के खिलाफ कार्यवाही करें। इससे सारी पृथ्वी पर से झूठी मसीहियत का नामो-निशान मिट जाएगा। ईसाईजगत की हालत वैसी ही निराशाजनक हो जाएगी जैसे यशायाह के 34वें अध्याय में वर्णन किया गया है। “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई” में जब सारी दुनिया का फैसला किया जाएगा, तो उस दिन को देखने तक के लिए ईसाईजगत वहाँ मौजूद नहीं होगा! (प्रकाशितवाक्य 16:14) प्राचीन एदोम की तरह, ईसाईजगत को “युग युग” के लिए इस धरती से मिटा दिया जाएगा।
[फुटनोट]
a यह भविष्यवाणी मलाकी के दिनों तक पूरी हो चुकी थी। (मलाकी 1:3) मलाकी बताता है कि एदोम के लोगों को उम्मीद थी कि वे अपने उजड़े हुए देश में जाकर फिर से बस जाएँगे। (मलाकी 1:4) मगर यह यहोवा की मरज़ी नहीं थी इसलिए बाद में नबायोती कहलानेवाले किसी और जाति के लोगों ने उस इलाके पर कब्ज़ा कर लिया, जो पहले एदोमियों का देश हुआ करता था।
[पेज 363 पर बक्स]
क्या वह गुस्सैल परमेश्वर है?
यशायाह 34:2-7 जैसी आयतों को लेकर कई लोग इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि इब्रानी शास्त्र में बताया गया परमेश्वर यहोवा, बहुत ही क्रूर और गुस्सैल परमेश्वर है। मगर क्या यह सच है?
जी नहीं। हालाँकि परमेश्वर कभी-कभी अपना क्रोध प्रकट करता है, मगर इसकी हमेशा एक सही वजह भी होती है। वह कभी-भी गुस्से से बेकाबू नहीं हो जाता, बल्कि उसका क्रोध हमेशा सिद्धांतों पर आधारित होता है। इतना ही नहीं, सृष्टिकर्ता होने के नाते यह माँग करना उसका हक बनता है कि सभी इंसान सिर्फ उसी की उपासना करें और वह चाहता है कि हमेशा सच्चाई की जीत हो। और जब ऐसा नहीं होता, तो उसका क्रोध भड़क उठता है। परमेश्वर के क्रोधित होने की एक और वजह यह है कि वह धार्मिकता का प्रेमी है और जो धार्मिकता के मार्ग पर चलते हैं, वह उनसे प्यार करता है। यहोवा, किसी एक मामले के सभी पहलुओं से अच्छी तरह वाकिफ होता है और उसे हालात की इतनी ज़्यादा जानकारी होती है जितनी किसी और को नहीं हो सकती। (इब्रानियों 4:13) परमेश्वर जानता है कि एक इंसान के दिल में क्या है; इसलिए अगर किसी इंसान ने पाप किया है, तो वह देखता है कि वह किस हद तक परमेश्वर के नियमों से अनजान था, या इनको मानने में लापरवाह था या फिर क्या उसने जानबूझकर पाप किया है। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए वह उस इंसान का बिना किसी पक्षपात के न्याय करता है।—व्यवस्थाविवरण 10:17,18; 1 शमूएल 16:7; प्रेरितों 10:34,35.
लेकिन, यहोवा परमेश्वर “जल्दी क्रोधित नहीं होता,” और वह “कृपालु परमेश्वर” है। (निर्गमन 34:6, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) जो लोग उसका भय मानते हैं और धार्मिकता के काम करने की कोशिश करते हैं, उन पर वह दया करता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर जानता है कि इंसान को असिद्धता विरासत में मिली है इसीलिए वह उसके साथ दया से पेश आता है। आज, यीशु के बलिदान के आधार पर परमेश्वर ऐसी दया दिखाता है। (भजन 103:13,14) जो अपने पाप को स्वीकार करके, प्रायश्चित्त करते हैं और सच्चे दिल से उसकी सेवा करते हैं, सही वक्त पर उन पर से यहोवा का क्रोध हट जाता है। (यशायाह 12:1) यह अहम बात ध्यान देने लायक है कि यहोवा एक गुस्सैल परमेश्वर नहीं बल्कि आनंदित परमेश्वर है। वह ऐसा शख्स नहीं कि उसके पास जाने से लोगों को झिझक महसूस हो, बल्कि जो उसकी मरज़ी के मुताबिक खुद को उसके सामने पेश करते हैं, उनको वह खुशी से स्वीकार करता है, उनसे मेल करता है और वे उसे बहुत विनम्र पाते हैं। (1 तीमुथियुस 1:11, NW) वह झूठे धर्मों के देवी-देवताओं से बिलकुल अलग है जिनकी मूर्तियों और तसवीरों में उन्हें बहुत ही बेरहम और क्रूर दिखाया जाता है।
[पेज 362 पर नक्शा]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
महा सागर
दमिश्क
सीदोन
सोर
इस्राएल
दान
गलील सागर
मगिद्दो
यरदन नदी
गिलाद का रामोत
शोमरोन
पलिश्तीन
यहूदा
यरूशलेम
लिब्ना
लाकीश
बेर्शेबा
कादेशबर्ने
खारा ताल
अम्मोन
रब्बा
मोआब
कीरहरासत
एदोम
बोस्रा
तेमान
[पेज 359 पर तसवीरें]
ईसाईजगत ने आज पृथ्वी को खून से तर कर दिया है
[पेज 360 पर तसवीर]
“चर्मपत्र की तरह आकाश लपेटा जाएगा”