हमारे पास आनन्द से जयजयकार करने का कारण है
“वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।”—यशायाह ३५:१०.
१. किसके पास आज आनन्द के लिए विशेष कारण है?
संभवतः आपने देखा है कि आजकल थोड़े लोगों के पास वास्तविक आनन्द है। फिर भी, सच्चे मसीहियों के तौर पर, यहोवा के साक्षियों के पास आनन्द है। और उसी आनन्द को पाने की प्रत्याशा अब तक बपतिस्मा-रहित अतिरिक्त लाखों जनों, जवान और बूढ़े, जो साक्षियों के साथ संगति करते हैं, के ठीक सामने है। यह तथ्य कि आप इस पत्रिका में इन शब्दों को अभी पढ़ रहे हैं यही सूचित करता है कि यह आनन्द पहले से ही आपका है या आपकी पकड़ में है।
२. एक मसीही के आनन्द की विषमता अधिकांश लोगों की आम अवस्था के साथ कैसे होती है?
२ अधिकांश लोग महसूस करते हैं कि उनके जीवन में कुछ कमी है। आपके बारे में क्या? माना कि आपके पास वह हर भौतिक वस्तु शायद न हो जिसे आप इस्तेमाल कर सकते, निश्चय ही वे सब वस्तुएँ नहीं जो आज के अमीर और शक्तिशाली जनों के पास हैं। और अच्छी तंदुरुस्ती और ताक़त के विषय में आप शायद और अधिक पाना चाहें। फिर भी, विरोध के डर के बिना यह कहा जा सकता है कि आनन्द के सम्बन्ध में, पृथ्वी के करोड़ों लोगों में अधिकांश लोगों से आप ज़्यादा धनी और स्वस्थ हैं। वो कैसे?
३. कौन-से अर्थपूर्ण शब्द हमारे ध्यान के योग्य हैं, और क्यों?
३ यीशु के शब्दों को याद कीजिए: “मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।” (यूहन्ना १५:११) “तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।” क्या ही वर्णन! जीने के मसीही तरीक़े का एक गहरा अध्ययन हमारे आनन्द के पूरा होने के अनेक कारणों को प्रकट करेगा। लेकिन अभी, यशायाह ३५:१० के अर्थपूर्ण शब्दों पर ध्यान दीजिए। ये अर्थपूर्ण हैं क्योंकि इनका आज हमारे साथ काफ़ी ताल्लुक़ है। हम पढ़ते हैं: “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।”
४. यशायाह ३५:१० में किस प्रकार के आनन्द के बारे में ज़िक्र किया गया है, और हमें इस पर क्यों ध्यान देना चाहिए?
४ “सदा का आनन्द।” इब्रानी में यशायाह ने जो लिखा उसका सही अनुवाद, वाक्यांश “सदा का” है। लेकिन, जैसे अन्य शास्त्रवचन अनुवाद करते हैं, इस आयत का आशय है “सर्वदा।” (भजन ४५:६; ९०:२; यशायाह ४०:२८) सो आनन्द मनाना अन्तहीन होगा, ऐसी परिस्थितियों में जो अनन्तकाल तक आनन्द मनाने की अनुमति देंगी—जी हाँ, उसे न्यायसंगत ठहराएँगी। क्या यह आनन्दप्रद नहीं लगता? लेकिन, शायद यह आयत आपको किसी काल्पनिक स्थिति पर एक टिप्पणी के तौर पर प्रभावित करती हो, जिससे आप यह महसूस करते हैं: ‘यह वास्तव में मुझे इस हद तक शामिल नहीं करता जिस हद तक मेरी हर रोज़ की समस्याएँ और चिन्ताएँ करती हैं।’ लेकिन तथ्य कुछ और ही साबित करते हैं। यशायाह ३५:१० की भविष्यसूचक प्रतिज्ञा का आज आपके लिए अर्थ है। यह पता लगाने के लिए कि कैसे, आइए हम इस सुन्दर अध्याय, यशायाह ३५ की जाँच करें, और उसके हरेक भाग पर संदर्भ के साथ ध्यान दें। आश्वस्त रहिए कि जो हम पाएँगे उसका आप आनन्द उठाएँगे।
लोग जिन्हें आनन्द मनाने की ज़रूरत थी
५. किस भविष्यसूचक सॆटिंग में यशायाह अध्याय ३५ में दी गयी भविष्यवाणी पायी जाती है?
५ एक मदद के तौर पर, आइए हम इस मोहक भविष्यवाणी की पृष्ठभूमि, अर्थात् ऐतिहासिक सॆटिंग को देखें। इब्रानी भविष्यवक्ता यशायाह ने इसे सा.यु.पू. ७३२ के आस-पास लिखा। यह बाबुल की सेनाओं द्वारा यरूशलेम के नाश होने के दशकों पहले था। जैसे यशायाह ३४:१, २ सूचित करता है, परमेश्वर ने पूर्वबताया था कि वह जातियों पर प्रतिशोध व्यक्त करनेवाला था, जैसे कि एदोम, जिसका ज़िक्र यशायाह ३४:६ में किया गया है। स्पष्टतया ऐसा करने के लिए उसने प्राचीन बाबुलियों का इस्तेमाल किया। समान रीति से, परमेश्वर ने बाबुलियों द्वारा यहूदा को उजाड़ करवाया क्योंकि यहूदी अविश्वासी थे। इसका नतीजा? परमेश्वर के लोगों को बन्दी बनाया गया, और ७० साल तक उनका स्वदेश उजाड़ पड़ा रहा।—२ इतिहास ३६:१५-२१.
६. एदोमियों पर जो घटनेवाला था और यहूदियों पर जो घटनेवाला था, उसके बीच क्या विषमता है?
६ लेकिन, एदोमियों और यहूदियों के बीच एक महत्त्वपूर्ण भिन्नता है। एदोमियों को दिया गया ईश्वरीय दण्ड अनन्त था; अंततः वे जाति के तौर पर ग़ायब हो गए। जी हाँ, आप अब भी उस क्षेत्र के खाली खंडहरों में जा सकते हैं जहाँ एदोमी रहा करते थे, जैसे कि पेट्रा के विश्व-प्रसिद्ध अवशेष। लेकिन आज, ऐसा कोई राष्ट्र या जाति नहीं है जिसे ‘एदोमी’ करके पहचाना जा सकता है। दूसरी ओर, क्या बाबुलियों द्वारा यहूदा का उजड़ना सर्वदा के लिए था, जिससे वह देश सदा सर्वदा के लिए आनन्दहीन रह जाता?
७. जो यहूदी बाबुल की बन्धुवाई में थे, उन्होंने यशायाह अध्याय ३५ के प्रति कैसे अनुक्रिया दिखायी होगी?
७ यहाँ यशायाह अध्याय ३५ की अद्भुत भविष्यवाणी का उत्तेजक अर्थ है। इसे पुनःस्थापना की भविष्यवाणी कहा जा सकता है, क्योंकि इसकी प्रथम पूर्ति तब हुई जब सा.यु.पू. ५३७ में यहूदी अपने स्वदेश वापस आए। जो इस्राएली बाबुल की बन्धुवाई में थे, उन्हें अपने स्वदेश लौटने के लिए स्वतंत्रता दी गयी। (एज्रा १:१-११) फिर भी, ऐसा होने तक जो यहूदी बाबुल की बन्धुवाई में थे, जिन्होंने इस ईश्वरीय भविष्यवाणी पर ग़ौर किया, उन्होंने शायद सोचा हो कि वे अपने राष्ट्रीय स्वदेश यहूदा में किस प्रकार की परिस्थिति पाते। और वे ख़ुद कौन-सी परिस्थिति में होते? इनके जवाब इस बात से सीधे रूप से सम्बन्धित हैं कि हमारे पास आनन्द से जयजयकार करने का कारण सचमुच क्यों है। आइए देखें।
८. बाबुल से लौटने पर यहूदी कौन-सी परिस्थितियाँ पाते? (यहेजकेल १९:३-६; होशे १३:८ से तुलना कीजिए।)
८ यहूदियों को स्थिति निश्चय ही आशाजनक नहीं लगी होगी, तब भी जब उन्होंने सुना की वे अपने स्वदेश को लौट सकते थे। उनका देश सात दशकों तक, अर्थात् एक पूरे जीवन-काल तक उजाड़ पड़ा हुआ था। उस देश का क्या हुआ था? कोई भी जोता हुआ खेत, दाखबारी, या फलोद्यान बंजर-भूमि बन जाता। सींचे हुए बगीचे या ज़मीन सूखी हुई बंजर-भूमि या रेगिस्तान में बदल गए होते। (यशायाह २४:१, ४; ३३:९; यहेजकेल ६:१४) उन जंगली जानवरों के बारे में भी सोचिए जो वहाँ भरपूर होते। इनमें मांसाहारी जानवर, जैसे कि शेर और चीते शामिल होते। (१ राजा १३:२४-२८; २ राजा १७:२५, २६; श्रेष्ठगीत ४:८) ना ही वे भालुओं को अनदेखा कर सकते थे, जिनके पास पुरुष, स्त्री, या बच्चे को मार गिराने की क्षमता थी। (१ शमूएल १७:३४-३७; २ राजा २:२४; नीतिवचन १७:१२) और हमें करैत और अन्य विषैले साँपों, या बिच्छुओं का ज़िक्र करने की शायद ही ज़रूरत है। (उत्पत्ति ४९:१७; व्यवस्थाविवरण ३२:३३; अय्यूब २०:१६; भजन ५८:४; १४०:३; लूका १०:१९) यदि आप सा.यु.पू. ५३७ में बाबुल से लौट रहे यहूदियों के साथ होते, तो आप संभवतः ऐसे इलाक़े में चलने-फिरने से हिचकिचाते। जब वे वहाँ पहुँचे तो वह कोई परादीस नहीं था।
९. किस कारण से लौटनेवालों के पास आशा और विश्वास का आधार था?
९ फिर भी, यहोवा ख़ुद अपने उपासकों को घर ले गया था, और उसके पास एक उजाड़ स्थिति की कायापलट देने की क्षमता है। क्या आप सृष्टिकर्ता के बारे में ऐसा विश्वास नहीं रखते? (अय्यूब ४२:२; यिर्मयाह ३२:१७, २१, २७, ३७, ४१) सो वह लौट रहे यहूदियों और उनके देश के लिए क्या करता—उसने क्या किया? आधुनिक समय में परमेश्वर के लोगों पर और आपकी स्थिति—वर्तमान और भविष्य—पर इसका क्या असर होता है? आइए पहले देखें कि उस वक़्त क्या हुआ।
एक बदली हुई स्थिति पर आनन्दित
१०. यशायाह ३५:१, २ ने कौन-से परिवर्तन के बारे में पूर्वबताया?
१० तब क्या होता जब कुस्रू यहूदियों को उस वर्जित देश को लौटने की अनुमति देता? यशायाह ३५:१, २ में उस रोमांचक भविष्यवाणी को पढ़िए: “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर की नाईं फूलेगी; वह अत्यन्त प्रफुल्लित होगी और आनन्द के साथ जयजयकार करेगी। उसकी शोभा लबानोन की सी होगी और वह कर्मेल और शारोन के तुल्य तेजोमय हो जाएगी। वे यहोवा की शोभा और हमारे परमेश्वर का तेज देखेंगे।”
११. देश के किस ज्ञान को यशायाह ने इस्तेमाल किया?
११ बाइबल समय में, लबानोन, कर्मेल, और शारोन अपनी हरी-भरी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध थे। (१ इतिहास ५:१६; २७:२९; २ इतिहास २६:१०; श्रेष्ठगीत २:१; ४:१५; होशे १४:५-७) परमेश्वर की मदद से, यशायाह ने रूपान्तरित देश कैसा होगा, इसका वर्णन करने के लिए इन उदाहरणों का इस्तेमाल किया। लेकिन क्या यह असर मात्र मिट्टी पर होना था? निश्चय ही नहीं!
१२. हम क्यों कह सकते हैं कि यशायाह अध्याय ३५ की भविष्यवाणी लोगों पर केन्द्रित है?
१२ यशायाह ३५:२ उस देश के ‘अत्यन्त प्रफुल्लित होने और आनन्द के साथ जयजयकार करने’ के बारे में कहता है। हम जानते हैं कि मिट्टी और पौधे शाब्दिक रूप से “अत्यन्त प्रफुल्लित” नहीं थे। फिर भी, उनका रूपान्तरित होकर उपजाऊ और उत्पादक बनना, लोगों को इस तरह महसूस करने का कारण हो सकता था। (लैव्यव्यवस्था २३:३७-४०; व्यवस्थाविवरण १६:१५; भजन १२६:५, ६; यशायाह १६:१०; यिर्मयाह २५:३०; ४८:३३) ख़ुद भूमि में ये शाब्दिक परिवर्तन लोगों में परिवर्तनों के साथ मेल खाते, क्योंकि लोग इस भविष्यवाणी के केन्द्र-बिन्दु हैं। इसलिए, हमारे पास यशायाह के शब्दों को समझने का कारण है कि वे मुख्यतः लौटनेवाले यहूदियों में परिवर्तनों पर, विशेषकर उनकी प्रफुल्लता पर केन्द्रित होती है।
१३, १४. यशायाह ३५:३, ४ ने लोगों में कौन-से परिवर्तन के बारे में पूर्वबताया?
१३ तदनुसार, आइए हम यह देखने के लिए इस उत्प्रेरक भविष्यवाणी की अधिक जाँच करें कि यहूदियों की बाबुल से मुक्ति और वापसी के बाद इसकी पूर्ति कैसे हुई। आयत ३ और ४ में, यशायाह उन लौटनेवालों में अन्य परिवर्तनों के बारे में बात करता है: “ढीले हाथों को दृढ़ करो और थरथराते हुए घुटनों को स्थिर करो। घबरानेवालों से कहो, हियाव बान्धो, मत डरो! देखो, तुम्हारा परमेश्वर पलटा लेने और प्रतिफल देने को आ रहा है। हां, परमेश्वर आकर तुम्हारा उद्धार करेगा।”
१४ क्या यह सोचना शक्तिदायक नहीं है कि हमारा परमेश्वर, जो भूमि की उजाड़ स्थिति की कायापलट सकता था, अपने उपासकों में इतनी दिलचस्पी लेता है? वह नहीं चाहता था कि बन्दी-स्थिति में यहूदी भविष्य के बारे में कमज़ोर, निरुत्साहित, या चिन्तित महसूस करें। (इब्रानियों १२:१२) उन यहूदी बन्दियों की परिस्थिति के बारे में सोचिए। अपने भविष्य के बारे में परमेश्वर की भविष्यवाणियों से जो आशा वे पा सकते थे, उसे छोड़ उनके लिए आशावादी होना मुश्किल होता। यह ऐसा था मानो वे एक अन्धेरे तहख़ाने में थे, और यहाँ-वहाँ हिलने-डुलने और यहोवा की सेवा करने में सक्रिय होने के लिए आज़ाद नहीं थे। उनको शायद ऐसा लगा हो मानो आगे कोई प्रकाश नहीं है।—व्यवस्थाविवरण २८:२९; यशायाह ५९:१० से तुलना कीजिए।
१५, १६. (क) यहोवा ने लौटनेवालों के लिए जो किया, इसके बारे में हम क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं? (ख) लौटनेवालों ने चमत्कारिक शारीरिक चंगाई की उम्मीद क्यों नहीं की होगी, लेकिन यशायाह ३५:५, ६ के सामंजस्य में परमेश्वर ने क्या किया?
१५ लेकिन, जब यहोवा ने कुस्रू द्वारा उन्हें घर लौटने के लिए रिहा करवाया तब उस स्थिति में क्या ही परिवर्तन हुआ! इसका कोई बाइबलीय सबूत नहीं है कि परमेश्वर ने वहाँ चमत्कारिक रूप से लौट रहे यहूदियों में से किन्हीं अन्धी आँखों को खोला, किन्हीं बहरे कानों को खोला, या किन्हीं विकलांगों या अपाहिजों को चंगा किया हो। लेकिन, उसने सचमुच कहीं ज़्यादा महान कार्य किया। उसने उन्हें उनके प्रिय देश के प्रकाश और स्वतंत्रता को पुनःस्थापित किया।
१६ कोई संकेत नहीं है कि लौटनेवालों ने यहोवा से ऐसी चमत्कारिक शारीरिक चंगाई की उम्मीद की। वे समझ गए होंगे कि परमेश्वर ने इसहाक, शिमशोन, या एली के साथ ऐसा नहीं किया था। (उत्पत्ति २७:१; न्यायियों १६:२१, २६-३०; १ शमूएल ३:२-८; ४:१५) लेकिन यदि उन्होंने लाक्षणिक तौर पर अपनी परिस्थिति की ईश्वरीय कायापलट की उम्मीद की, तो उन्हें निराश नहीं होना पड़ा। निश्चय ही लाक्षणिक अर्थ में, आयत ५ और ६ की वास्तविक पूर्ति हुई। यशायाह ने यथार्थ रूप से पूर्वबताया: “तब अन्धों की आंखें खोली जाएंगी और बहिरों के कान भी खोले जाएंगे; तब लंगड़ा हरिण की सी चौकड़िया भरेगा और गूंगे अपनी जीभ से जयजयकार करेंगे।”
देश को एक परादीस के समान बनाना
१७. यहोवा ने स्पष्ट रूप से कौन-से भौतिक परिवर्तन लाए?
१७ उन लौटनेवालों के पास उन परिस्थितियों के बारे में ख़ुशी से जयजयकार करने के लिए निश्चय ही कारण रहे होंगे, जिनका वर्णन यशायाह आगे करता है: “क्योंकि जंगल में जल के सोते फूट निकलेंगे और मरुभूमि में नदियां बहने लगेंगी; मृगतृष्णा ताल बन जाएगी और सूखी भूमि में सोते फूटेंगे; और जिस स्थान में सियार बैठा करते हैं उस में घास और नरकट और सरकण्डे होंगे।” (यशायाह ३५:६ख, ७) हालाँकि हम इसे आज उस पूरे क्षेत्र में शायद नहीं देख पाएँ, लेकिन सबूत संकेत करता है कि वह क्षेत्र जो यहूदा था, किसी समय “एक रमणीय परादीस” था।a
१८. परमेश्वर की आशीषों के प्रति लौटनेवाले यहूदी संभवतः कैसी प्रतिक्रिया दिखाते?
१८ आनन्द के कारणों के सम्बन्ध में, विचार कीजिए कि यहूदी शेषजनों ने कैसा महसूस किया होगा जब उन्हें प्रतिज्ञात देश को पुनःस्थापित किया गया! बंजर-भूमि को लेने, जो सियारों और ऐसे अन्य जानवरों का बसेरा था, और उसे रूपान्तरित करने का उनके पास मौक़ा था। क्या आप पुनःस्थापना के ऐसे कार्य करने में आनन्द नहीं पाते, विशेषकर यदि आप जानते कि परमेश्वर आपके प्रयासों पर आशीष दे रहा था?
१९. किस अर्थ में बाबुल की बन्धुवाई से वापसी शर्तबन्द थी?
१९ लेकिन, ऐसा नहीं था कि बाबुल का हर यहूदी बन्दी उस आनन्दप्रद रूपान्तरण में हिस्सा लेने के लिए वापस जा सकता था या गया। परमेश्वर ने शर्तें रखीं। बाबुलीय, विधर्मी धार्मिक अभ्यासों से दूषित किसी भी व्यक्ति को लौटने का हक नहीं था। (दानिय्येल ५:१, ४, २२, २३; यशायाह ५२:११) ना ही कोई ऐसा व्यक्ति लौट सकता था जो बेवकूफ़ी से एक मूर्खतापूर्ण मार्ग पर चला था। ऐसे सभी व्यक्तियों को अयोग्य ठहराया गया। दूसरी ओर, जिन्होंने परमेश्वर के स्तरों को पूरा किया था, जिन्हें वह सापेक्षिक अर्थ में पवित्र समझता था, वे यहूदा को लौट सकते थे। वे मानो पवित्र मार्ग पर सफ़र कर सकते थे। यशायाह ने इसे आयत ८ में स्पष्ट किया: “वहां एक सड़क अर्थात् राजमार्ग होगा, उसका नाम पवित्र मार्ग होगा; कोई अशुद्ध जन उस पर से न चलने पाएगा; वह तो उन्हीं के लिये रहेगा और उस मार्ग पर जो चलेंगे वह चाहे मूर्ख भी हों तौभी कभी न भटकेंगे।”
२०. लौटते वक़्त यहूदियों को किस बात से डरने की ज़रूरत नहीं थी, और इसका परिणाम क्या हुआ?
२० लौटनेवाले यहूदियों को पशुसमान मनुष्यों या लुटेरों के गिरोह के किसी हमले से डरने की ज़रूरत नहीं थी। क्यों? क्योंकि यहोवा फिर से मोल लिए गए अपने लोगों के साथ मार्ग पर ऐसे लोगों की अनुमति नहीं देता। सो वे आनन्दपूर्ण आशावाद और सुखद प्रत्याशाओं के साथ सफ़र कर सकते थे। ध्यान दीजिए कि यशायाह ने अपनी भविष्यवाणी को समाप्त करने में इसका वर्णन कैसे किया: “वहां सिंह न होगा और कोई हिंसक जन्तु उस पर न चढ़ेगा न वहां पाया जाएगा, परन्तु छुड़ाए हुए उस में नित चलेंगे। और यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।”—यशायाह ३५:९, १०.
२१. यशायाह अध्याय ३५ की पूर्ति को, जो पहले ही हो चुकी है, हमें आज किस दृष्टिकोण से देखना चाहिए?
२१ हमारे पास यहाँ क्या ही भविष्यसूचक तस्वीर है! लेकिन, हमें इसे मात्र बीते इतिहास से ताल्लुक़ रखता हुआ नहीं सोचना चाहिए, मानो यह एक सुन्दर वृत्तान्त था जिसका हमारी स्थिति या हमारे भविष्य से कोई वास्ता न हो। सच्चाई यह है कि इस भविष्यवाणी की आज परमेश्वर के लोगों के बीच में आश्चर्यजनक पूर्ति होती है, सो यह सचमुच हम में से प्रत्येक व्यक्ति को शामिल करती है। यह हमें आनन्द से जयजयकार करने के लिए ठोस कारण देती है। अभी और भविष्य में आपके जीवन को सम्मिलित करनेवाले इन पहलुओं के बारे में आगामी लेख में विचार किया गया है।
[फुटनोट]
a उस क्षेत्र के अपने अध्ययनों से, (अमरीकी खाद्य और कृषि संगठन का प्रतिनिधित्व करनेवाले) कृषिशास्त्री वॉल्टर सी. लाउडरमिल्क ने निष्कर्ष निकाला: “यह देश कभी एक रमणीय परादीस था।” उसने यह भी सूचित किया कि वहाँ का मौसम “रोमी समयों से” उल्लेखनीय रूप से बदला नहीं है, और “जिस ‘रेगिस्तान’ ने उस देश की जगह ले ली जो कभी समृद्ध था, वह मनुष्य का कार्य था, ना कि प्रकृति का।”
क्या आपको याद है?
◻ यशायाह अध्याय ३५ की प्रथम पूर्ति कब हुई?
◻ भविष्यवाणी की प्रारम्भिक पूर्ति क्या असर उत्पन्न करती?
◻ यहोवा ने यशायाह ३५:५, ६ को कैसे पूरा किया?
◻ लौटनेवाले यहूदियों ने देश और अपनी स्थिति में कौन-से परिवर्तनों का अनुभव किया?
[पेज 9 पर तसवीरें]
पेट्रा के खंडहर, उस क्षेत्र में जहाँ किसी समय एदोमी रहा करते थे
[चित्र का श्रेय]
Garo Nalbandian
[पेज 10 पर तसवीरें]
जब यहूदी निर्वासन में थे, तो यहूदा का अधिकांश भाग बंजर-भूमि की तरह बन गया, जो भालू और शेर जैसे खूँख़ार जानवरों से भर गया था
[चित्र का श्रेय]
Garo Nalbandian
Bear and Lion: Safari-Zoo of Ramat-Gan, Tel Aviv