यिर्मयाह की तरह जागते रहिए
“मैं [यहोवा] अपने वचन को पूरा करने के लिये जागृत हूं।”—यिर्म. 1:12.
1, 2. यहोवा के “जागृत” रहने की तुलना बादाम के पेड़ से क्यों की गयी है?
लबानोन की पहाड़ियों पर और इसराएल में पतझड़ के बाद सबसे पहले बादाम के पेड़ पर कलियाँ खिलती हैं। इसके मनमोहक गुलाबी या सफेद रंग के फूल, जनवरी के आखिर में या फरवरी की शुरूआत में देखे जा सकते हैं। इसके इब्रानी नाम का शाब्दिक अर्थ है “जागनेवाला।”
2 जब यहोवा ने यिर्मयाह को अपना भविष्यवक्ता चुना तब एक ज़रूरी सच्चाई समझाने के लिए उसने बादाम के पेड़ की इस खासियत का ज़िक्र किया जो बिलकुल सही भी था। यिर्मयाह की सेवा की शुरूआत में परमेश्वर ने उसे एक दर्शन में बादाम के पेड़ की टहनी दिखायी। बादाम के पेड़ की टहनी ही क्यों? यहोवा ने समझाया: “मैं अपने वचन को पूरा करने के लिये जागृत हूं।” (यिर्म. 1:11, 12) जिस तरह बादाम का पेड़ जल्दी “जागृत” हो जाता है यानी उसकी कोपलें फूटने लगती हैं वैसे ही यहोवा लाक्षणिक तौर पर “तड़के उठकर” अपने भविष्यवक्ताओं को अपने लोगों के पास चेतावनी देने के लिए भेजता था कि उसकी आज्ञा न मानने का क्या अंजाम हो सकता है। (यिर्म. 7:25 NHT, फुटनोट) और वह उस वक्त तक आराम नहीं करेगा, यानी तब तक ‘जागृत रहेगा’ जब तक उसकी भविष्यवाणी पूरी नहीं हो जाती। ईसा पूर्व 607 में एकदम ठीक समय पर भविष्यवाणी पूरी हुई और यहोवा ने धर्मत्यागी यहूदा राष्ट्र पर न्यायदंड सुनाया।
3. यहोवा के बारे में हम क्या भरोसा रख सकते हैं?
3 उसी तरह आज भी यहोवा जागा हुआ है और अपनी मरज़ी पूरी करने का ध्यान रखता है। ऐसा हो ही नहीं सकता कि उसकी कही बात अधूरी रह जाए। यहोवा जिस तरह अपनी बात पूरी होने का इतना ध्यान रखता है, उसका आप पर क्या असर होता है? क्या आपको विश्वास है कि इस साल, 2011 में वह अपने वादों को पूरा करने के लिए “जागृत” है? यहोवा के वादों पर अगर हमें कोई शक है तो यही घड़ी है कि हम आध्यात्मिक नींद से जाग जाएँ। (रोमि. 13:11) यहोवा का भविष्यवक्ता होने के नाते यिर्मयाह जागता रहा। परमेश्वर के दिए काम को पूरा करने के लिए यिर्मयाह क्यों और कैसे जागता रहा, इस पर गौर करने से हमें यह देखने में मदद मिलेगी कि हम कैसे यहोवा के दिए काम को पूरा करने में लगे रह सकते हैं।
बेहद ज़रूरी संदेश
4. संदेश सुनाने में यिर्मयाह को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा और वह संदेश क्यों इतना ज़रूरी था?
4 जब यहोवा ने यिर्मयाह को पहरुए का काम दिया तो वह करीब 25 साल का रहा होगा। (यिर्म. 1:1, 2) यिर्मयाह ने यहोवा से कहा कि वह एक लड़का ही है क्योंकि वह खुद को उस राष्ट्र के पुरनियों, बुज़ुर्गों और अधिकारियों के सामने बोलने के काबिल नहीं समझता था। (यिर्म. 1:6) उसे बहुत ही कड़वा और भयानक न्यायदंड सुनाना था, खासकर याजकों, झूठे भविष्यवक्ताओं, शासकों और उन लोगों को जो ‘अपनी ही दौड़ में दौड़ते’ और ‘दूर ही दूर भटक’ रहे थे। (यिर्म. 6:13; 8:5, 6) राजा सुलैमान का शानदार मंदिर जो चार सदियों से सच्ची उपासना का केंद्र बना हुआ था, उसका जल्द ही नाश हो जाता। यरूशलेम और यहूदा उजाड़ दिए जाते और उनके निवासियों को बंदी बनाकर ले जाया जाता। इससे साफ है कि जो संदेश यिर्मयाह को सुनाना था वह बहुत ज़रूरी था!
5, 6. (क) आज यहोवा किस तरह यिर्मयाह वर्ग का इस्तेमाल कर रहा है? (ख) इस लेख में किस बात पर गौर किया जाएगा?
5 आज के ज़माने में यहोवा ने मानवजाति के लिए अपने प्यार का सबूत देते हुए अभिषिक्त मसीहियों के समूह का इंतज़ाम किया है। यह समूह लाक्षणिक तौर पर पहरुए का काम करता है और इस दुनिया पर आनेवाले न्यायदंड के बारे में चेतावनी देता है। यह यिर्मयाह वर्ग दशकों से लोगों से गुज़ारिश कर रहा है कि वे ध्यान दें कि हम किन समयों में जी रहे हैं। (यिर्म. 6:17) बाइबल ज़ोर देती है कि यहोवा वक्त का बहुत पाबंद है और वह देर नहीं करता। उसका दिन बिलकुल सही वक्त पर एक ऐसी घड़ी आएगा जिसकी लोगों को उम्मीद नहीं होगी।—सप. 3:8; मर. 13:33; 2 पत. 3:9, 10.
6 इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा जागृत है और वह अपना धर्मी नया संसार ठीक समय पर लाएगा। इस बात को जानने से यिर्मयाह वर्ग और उनके समर्पित साथियों को यह समझने में मदद मिलनी चाहिए कि उनके संदेश की अहमियत बढ़ती जा रही है। इसका आप पर क्या असर होता है? यीशु ने ज़ाहिर किया था कि सभी इंसानों को परमेश्वर के राज का पक्ष लेने की ज़रूरत है। आइए उन तीन गुणों पर गौर करें जिनकी वजह से यिर्मयाह अपने काम के प्रति जागता रहा और जिनसे हमें उसके उदाहरण पर चलने में मदद मिलेगी।
लोगों के लिए प्यार
7. समझाइए कि मुश्किलों के बावजूद प्यार ने किस तरह यिर्मयाह को प्रचार करने के लिए उभारा।
7 यिर्मयाह के दिनों के हालात बहुत बुरे थे फिर भी किस बात ने उसे प्रचार काम में लगे रहने का बढ़ावा दिया? उसके दिल में लोगों के लिए प्यार था। यिर्मयाह जानता था कि लोगों की दुख-तकलीफ के सबसे बड़े ज़िम्मेदार झूठे चरवाहे थे। (यिर्म. 23:1, 2) यही वजह थी कि वह अपना काम प्यार और करुणा के साथ कर सका। वह चाहता था कि उसके देश के लोग परमेश्वर का वचन सुनें और अपनी जान बचाएँ। उसे लोगों की इतनी फिक्र थी कि उन पर जो विपत्ति आनेवाली थी उसके बारे में सोचकर वह रो पड़ा। (यिर्मयाह 8:21; 9:1 पढ़िए।) यहोवा के नाम और उसके लोगों के लिए यिर्मयाह के सच्चा प्यार और चिंता की झलक हम विलापगीत की किताब में पाते हैं। (विला. 4:6, 9) जब आप देखते हैं कि लोग ‘उन भेड़ों की तरह हैं जिनकी खाल खींच ली गयी है और जिन्हें बिन चरवाहे के यहाँ-वहाँ भटकने के लिए छोड़ दिया गया है’ तो क्या आपका दिल आपको नहीं उभारता कि आप उन्हें जाकर परमेश्वर के राज की खबर सुनाएँ ताकि उन्हें सुकून मिले?—मत्ती 9:36.
8. क्या बात दिखाती है कि अत्याचार भी यिर्मयाह के दिल में कड़वाहट न भर सका?
8 यिर्मयाह को उन्हीं लोगों के हाथों अत्याचार सहना पड़ा जिनकी वह मदद करना चाहता था। लेकिन फिर भी उसने बदला नहीं लिया, ना ही उनके लिए अपने मन में कड़वाहट पाली। वह लोगों से धीरज और दया के साथ पेश आता था, यहाँ तक कि भ्रष्ट राजा सिदकिय्याह के साथ भी। सिदकिय्याह ने जब यिर्मयाह को मार डालने के लिए सौंप दिया, उसके बाद भी उसने उससे गुज़ारिश की कि वह यहोवा की बात माने। (यिर्म. 38:4, 5, 19, 20) क्या हम भी लोगों से यिर्मयाह के जितना गहरा प्यार करते हैं?
परमेश्वर की दी हिम्मत
9. हम कैसे जानते हैं कि यिर्मयाह ने जो हिम्मत दिखायी, वह उसे परमेश्वर से मिली थी?
9 जब यहोवा ने पहली बार यिर्मयाह से बात की तो वह ज़िम्मेदारी लेने से आनाकानी करने लगा। इससे पता चलता है कि आगे चलकर उसने जो दृढ़ता और हिम्मत दिखायी वह उसमें पैदाइशी नहीं थी। यिर्मयाह ने पूरी ज़िंदगी भविष्यवाणी के काम में जो गज़ब की ताकत दिखायी वह असल में परमेश्वर पर पूरी तरह निर्भर रहने से उसे मिली। वाकई यहोवा, यिर्मयाह भविष्यवक्ता के साथ “भयंकर वीर के समान” था। किस मायने में? उसने यिर्मयाह का साथ दिया और उसे अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने की ताकत दी। (यिर्म. 20:11) यिर्मयाह की दृढ़ता और हिम्मत इतनी मशहूर हो गयी कि जब यीशु धरती पर आया तो उसे देखकर कुछ लोग कहने लगे कि यिर्मयाह लौट आया है।—मत्ती 16:13, 14.
10. यह क्यों कहा जा सकता है कि बचे हुए अभिषिक्त जन “जातियों और राज्यों पर” ठहराए गए हैं?
10 “सब जातियों के राजा” होने के नाते यहोवा ने यिर्मयाह को आदेश दिया कि वह सब जातियों और राज्यों को परमेश्वर का न्यायदंड सुनाए। (यिर्म. 10:6, 7) लेकिन आज अभिषिक्त जनों को किस मायने में “जातियों और राज्यों पर” ठहराया गया है? (यिर्म. 1:10) पुराने ज़माने के इस भविष्यवक्ता की तरह यिर्मयाह वर्ग को विश्व के मालिक की तरफ से एक ज़िम्मेदारी मिली है। इसलिए परमेश्वर के अभिषिक्त सेवकों को जातियों और राज्यों के खिलाफ न्यायदंड सुनाने का पूरा-पूरा हक है। महान परमेश्वर से अधिकार पाकर और उसके प्रेरित वचन में दी गयी शुद्ध भाषा का इस्तेमाल करके यिर्मयाह वर्ग ऐलान करता है कि परमेश्वर के नियत समय में और उसके चुने हुए तरीके से आज की सारी जातियाँ और राज्य खाक में मिला दिए जाएँगे। (यिर्म. 18:7-10; प्रका. 11:18) यिर्मयाह वर्ग ने ठान लिया है कि पूरी धरती पर यहोवा के न्यायदंड का ऐलान करने में वे कतई ढिलाई नहीं बरतेंगे।
11. क्या बात मुश्किलों के दौर में प्रचार करते रहने में हमारी मदद कर सकती है?
11 विरोध, बेरुखी या मुश्किल हालात का सामना करते वक्त कभी-कभी हम निराश हो जाते हैं। (2 कुरिं. 1:8) लेकिन यिर्मयाह की तरह आइए हम अपने काम में लगे रहें। दिल छोटा मत कीजिए। हममें से हरेक को चाहिए कि वह परमेश्वर से मदद पाने के लिए उससे बिनती करता रहे, उस पर निर्भर रहे और ‘हिम्मत जुटाए।’ (1 थिस्स. 2:2) सच्चे उपासकों के नाते हमें परमेश्वर की ओर से मिली ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए जागते रहना चाहिए। अधर्मी यरूशलेम के विनाश से ज़ाहिर होता है कि ईसाईजगत का विनाश भी तय है, इसलिए हमें उसके विनाश के बारे में दृढ़ता के साथ प्रचार करते रहना चाहिए। यिर्मयाह वर्ग न सिर्फ “यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष” का ऐलान करता है बल्कि वह “हमारे परमेश्वर के पलटा लेने के दिन का” भी ऐलान करता है।—यशा. 61:1, 2; 2 कुरिं. 6:2.
दिली खुशी
12. हम कैसे कह सकते हैं कि यिर्मयाह ने अपनी खुशी बनाए रखी और किस खास वजह से वह ऐसा कर पाया?
12 यिर्मयाह को अपने काम से खुशी मिली। उसने यहोवा से कहा: “जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनन्द का कारण हुए; क्योंकि, हे . . . यहोवा, मैं तेरा कहलाता हूं।” (यिर्म. 15:16) यिर्मयाह के लिए सच्चे परमेश्वर का नुमाइंदा बनना और उसके वचन का प्रचार करना बड़े ही सम्मान की बात थी। दिलचस्पी की बात है कि जब यिर्मयाह ने इस बात पर गौर किया कि लोग किस तरह उसकी खिल्ली उड़ाते हैं तो उसकी खुशी खो गयी। लेकिन जब उसने अपने संदेश की अहमियत और उसकी खूबसूरती पर ध्यान दिया तो उसकी खुशी लौट आयी।—यिर्म. 20:8, 9.
13. खुशी बनाए रखने के लिए अपने मन को बाइबल की गहरी सच्चाइयों से भरना ज़रूरी क्यों है?
13 आज प्रचार में अपनी खुशी बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि हम परमेश्वर के वचन की गहरी सच्चाइयों का “ठोस आहार” लें। (इब्रा. 5:14) गहराई से अध्ययन करने से विश्वास बढ़ता है। (कुलु. 2:6, 7) इससे हमारे मन में यह बात बैठ जाती है कि हमारे कामों का असल में यहोवा पर असर होता है। अगर हमें बाइबल पढ़ाई और अध्ययन के लिए समय निकालने में दिक्कत हो रही है, तो हमें अपने कामों को जाँचना होगा। अगर हम अध्ययन और मनन करने के लिए हर दिन थोड़ा-सा भी वक्त निकालें तो हम यहोवा के करीब आते जाएँगे और यिर्मयाह की तरह हमारा मन भी “हर्ष और आनन्द” से भरता जाएगा।
14, 15. (क) वफादारी से अपने काम में लगे रहने से यिर्मयाह को क्या फल मिला? (ख) परमेश्वर के लोग प्रचार काम को किस नज़र से देखते हैं?
14 यिर्मयाह ने बिना रुके यहोवा की चेतावनियाँ और न्यायदंड लोगों को सुनाया, फिर भी वह “बनाने और रोपने” के अपने काम को नहीं भूला। (यिर्म. 1:10) बनाने और रोपने का उसका काम फल लाया। ईसा पूर्व 607 में यरूशलेम के विनाश से कुछ यहूदियों, यहाँ तक कि गैर यहूदियों की जान बची, जैसे कि रेकाबी, एबेदमेलेक और बारूक। (यिर्म. 35:19; 39:15-18; 43:5-7) ये वफादार और परमेश्वर का भय माननेवाले यिर्मयाह के दोस्त, आज उन लोगों को दर्शाते हैं जिन्हें धरती पर जीने की आशा है और जो यिर्मयाह वर्ग का साथ देते हैं। इस “बड़ी भीड़” को आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत करने में यिर्मयाह वर्ग को बहुत खुशी होती है। (प्रका. 7:9) उसी तरह अभिषिक्त जनों के इन वफादार साथियों को भी नेक दिल लोगों को सच्चाई बताने में दिली खुशी मिलती है।
15 परमेश्वर के लोग इस बात को समझते हैं कि खुशखबरी का प्रचार करके हम सिर्फ समाज-सेवा नहीं करते खासकर उनकी जो हमारी बात सुनते हैं, बल्कि यह हमारे लिए परमेश्वर की उपासना का भाग है। चाहे लोग हमारी बात सुनें या न सुनें, प्रचार के ज़रिए यहोवा की पवित्र सेवा करने से हमें बहुत खुशी मिलती है।—भज. 71:23; रोमियों 1:9 पढ़िए।
अपनी ज़िम्मेदारी पूरी करने के लिए ‘जागृत रहिए!’
16, 17. प्रकाशितवाक्य 17:10 और हबक्कूक 2:3 से कैसे हमें वक्त की नज़ाकत का एहसास होता है?
16 जब हम प्रकाशितवाक्य 17:10 की भविष्यवाणी पर गौर करते हैं तो हमें वक्त की नज़ाकत का एहसास होता है। सातवाँ राजा यानी ब्रिटेन-अमरीकी विश्वशक्ति उभरकर आ चुका है। इसके बारे में हम पढ़ते हैं: “जब वह आएगा [सातवीं विश्व शक्ति] तो कुछ देर तक उसका रहना ज़रूरी है।” अब वह “कुछ देर” का समय बस खत्म होनेवाला होगा। इस दुष्ट व्यवस्था के नाश के बारे में भविष्यवक्ता हबक्कूक हमें यह भरोसा दिलाता है: “इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है . . . उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।”—हब. 2:3.
17 खुद से पूछिए: ‘क्या मेरी ज़िंदगी से ज़ाहिर होता है कि मैं वक्त की नज़ाकत को समझता हूँ? क्या मेरे जीने के तरीके से यह पता चलता है कि मुझे यकीन है कि अंत जल्द ही आनेवाला है? या मेरे फैसलों या जिन कामों को मैं पहली जगह देता हूँ उनसे ज़ाहिर होता है कि मेरे हिसाब से अंत जल्द नहीं आनेवाला या मुझे नहीं लगता कि अंत आएगा भी?’
18, 19. आज का वक्त धीमे पड़ने का क्यों नहीं है?
18 पहरुए वर्ग का काम अभी खत्म नहीं हुआ है। (यिर्मयाह 1:17-19 पढ़िए।) यह देखकर कितनी खुशी होती है कि अभिषिक्त शेष जन बिना डगमगाए ‘लोहे के खम्भे’ और ‘गढ़वाले नगर’ की तरह खड़े हैं! वे “सच्चाई से अपनी कमर” कस लेते हैं, यानी परमेश्वर के वचन से खुद को मज़बूत करते हैं जब तक कि वे अपना काम पूरा नहीं कर लेते। (इफि. 6:14) ऐसे ही अटल इरादे के साथ बड़ी भीड़ के लोग, परमेश्वर का दिया काम पूरा करने में यिर्मयाह वर्ग का साथ देते हैं।
19 यह वक्त राज के काम में धीमे पड़ने का नहीं है, बल्कि यिर्मयाह 12:5 की अहमियत पर गौर करने का है। (पढ़िए।) हममें से हर किसी पर परीक्षाएँ आती हैं जिनका सामना हमें करना ही पड़ता है। विश्वास की इन परीक्षाओं की तुलना “प्यादों” से की जा सकती है, जिनके साथ हमें दौड़ना है। लेकिन जैसे-जैसे “महा-संकट” नज़दीक आ रहा है, हम मुसीबतों के बढ़ने की उम्मीद कर सकते हैं। (मत्ती 24:21) आगे आनेवाली बड़ी-बड़ी मुश्किलों का सामना करना ‘घोड़ों के संग दौड़ने’ के समान होगा। सरपट भागते घोड़ों के संग दौड़ने के लिए एक इंसान को ज़्यादा धीरज दिखाने की ज़रूरत होगी। इसलिए आज हम जिन परीक्षाओं से गुज़र रहे हैं, हमें उनका सामना करना चाहिए ताकि आगे आनेवाली परीक्षाओं का भी सामना करने के लिए तैयार रहें।
20. आपने क्या करने की ठान ली है?
20 हम सब यिर्मयाह के उदाहरण पर चल सकते हैं और प्रचार करने के अपने काम को पूरा करने में कामयाब हो सकते हैं! प्यार, हिम्मत और खुशी जैसे गुणों की वजह से यिर्मयाह वफादारी से 67 साल तक प्रचार करता रहा। बादाम के पेड़ की खूबसूरत कलियाँ हमें याद दिलाती हैं कि यहोवा अपने वचन को पूरा करने के लिए ‘जागृत रहेगा।’ इसलिए हमारे पास भी ‘जागृत रहने’ की ठोस वजह है। यिर्मयाह ऐसा कर सका और हम भी ऐसा कर सकते हैं!
क्या आपको याद है?
• प्यार ने किस तरह यिर्मयाह को अपने काम के प्रति ‘जागृत रहने’ में मदद दी?
• हमें परमेश्वर से हिम्मत की ज़रूरत क्यों है?
• खुशी बनाए रखने में किस बात ने यिर्मयाह की मदद की?
• आप क्यों ‘जागृत रहना’ चाहते हैं?
[पेज 31 पर तसवीरें]
विरोध के बावजूद भी क्या आप प्रचार करते रहेंगे?