झूठे शिक्षकों के विरुद्ध यहोवा का न्याय
“यरूशलेम के नबियों में मैं ने ऐसे काम देखे हैं, जिन से रोंगटे खड़े हो जाते हैं, अर्थात् व्यभिचार और पाखण्ड [असत्य में चलना, NW] . . . सब निवासी मेरी दृष्टि में सदोमियों और अमोरियों के समान हो गए हैं।”—यिर्मयाह २३:१४.
१. वह व्यक्ति जो ईश्वरीय शिक्षा में भाग लेता है क्यों एक बहुत भारी ज़िम्मेदारी लेता है?
जो व्यक्ति ईश्वरीय शिक्षा में भाग लेता है, वह एक बहुत ही भारी ज़िम्मेदारी लेता है। याकूब ३:१ चेतावनी देता है: “हे मेरे भाइयो, तुम में से बहुत उपदेशक न बनें, क्योंकि जानते हो, कि हम उपदेशक और भी दोषी ठहरेंगे।” जी हाँ, एक स्वीकार्य लेखा देने के लिए परमेश्वर के वचन के शिक्षकों पर सामान्य मसीहियों से अधिक गंभीर ज़िम्मेदारी है। जो झूठे शिक्षक साबित होते हैं उन के लिए यह क्या अर्थ रखेगा? आइए हम यिर्मयाह के दिनों की स्थिति को देखें। हम देखेंगे कि कैसे उस स्थिति ने आज घटित होनेवाली बातों का पूर्वसंकेत किया।
२, ३. यरूशलेम के झूठे शिक्षकों के सम्बन्ध में यहोवा ने यिर्मयाह के द्वारा क्या न्याय दिया?
२ सामान्य युग पूर्व ६४७ में, राजा योशिय्याह के शासनकाल के १३वें साल, यिर्मयाह को यहोवा के भविष्यवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया। यहोवा को यहूदा के विरुद्ध शिकायत थी, इसलिए उसने यिर्मयाह को इसकी घोषणा करने के लिए भेजा। यरूशलेम के झूठे भविष्यवक्ता, या शिक्षक, परमेश्वर की दृष्टि में “भयंकर काम” (NW) कर रहे थे। उनकी बुराई इतनी अधिक थी कि परमेश्वर ने यरूशलेम की तुलना सदोम और अमोरा से की। यिर्मयाह अध्याय २३ हमें इसके बारे में बताता है। आयत १४ कहती है:
३ “यरूशलेम के नबियों में मैं ने ऐसे काम देखे हैं, जिन से रोंगटे खड़े हो जाते हैं, अर्थात् व्यभिचार और पाखण्ड [असत्य में चलना, NW]; वे कुकर्मियों को ऐसा हियाव बन्धाते हैं कि वे अपनी अपनी बुराई से पश्चात्ताप भी नहीं करते; सब निवासी मेरी दृष्टि में सदोमियों और अमोरियों के समान हो गए हैं।”
४. किस प्रकार यरूशलेम के शिक्षकों के बुरे नैतिक उदाहरण का समान्तर आज मसीहीजगत में है?
४ जी हाँ, इन भविष्यवक्ताओं, या शिक्षकों ने स्वयं बहुत बुरे नैतिक उदाहरण रखे और असल में, लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया। आज मसीहीजगत की परिस्थितियों को देखिए! क्या वे ठीक यिर्मयाह के दिनों की परिस्थितियों की तरह नहीं हैं? आज पादरीवर्ग परगामियों और समलिंगकामियों को अपने वर्ग में रहने देते हैं और उन्हें गिरजे की सेवाओं का अनुष्ठान भी करने देते हैं। क्या यह कोई आश्चर्य की बात है कि गिरजों के इतने सारे सदस्य भी अनैतिक हैं?
५. मसीहीजगत की अनैतिक स्थिति क्यों सदोम और अमोरा से बदतर है?
५ यहोवा ने यरूशलेम के निवासियों की तुलना सदोम और अमोरा के निवासियों से की। लेकिन मसीहीजगत की अनैतिक स्थिति सदोम और अमोरा की स्थिति से बदतर है। जी हाँ, यहोवा की दृष्टि में वह और भी दोषी है। उसके शिक्षक मसीही नैतिक नियम की अवज्ञा करते हैं। और यह नैतिक निम्नीकरण का वातावरण उत्पन्न करता है जिसमें बुरा कार्य करने के लिए हर क़िस्म के कपटपूर्ण प्रलोभन हैं। यह नैतिक स्थिति इतनी व्यापक है कि बुराई आज सामान्य बात मानी जाती है।
“असत्य में चलना”
६. यरूशलेम के भविष्यवक्ताओं की बुराई के बारे में यिर्मयाह ने क्या कहा?
६ अब नोट कीजिए कि यरूशलेम के भविष्यवक्ताओं के विषय में आयत १४ क्या कहती है। वे ‘असत्य में चल रहे थे।’ और आयत १५ का परवर्ती भाग कहता है: “यरूशलेम के भविष्यद्वक्ताओं के . . . कारण सारे देश में भक्तिहीनता फैल गई है।” फिर आयत १६ आगे कहती है: “सेनाओं के यहोवा ने तुम से यों कहा है, इन भविष्यद्वक्ताओं की बातों की ओर जो तुम से भविष्यद्वाणी करते हैं कान मत लगाओ, क्योंकि ये तुम को व्यर्थ बातें सिखाते हैं; ये दर्शन का दावा करके यहोवा के मुख की नहीं, अपने ही मन की बातें कहते हैं।”
७, ८. मसीहीजगत का पादरीवर्ग यरूशलेम के झूठे भविष्यवक्ताओं के समान क्यों है, और इसने गिरजा जानेवालों को कैसे प्रभावित किया है?
७ यरूशलेम के झूठे भविष्यवक्ताओं की तरह, मसीहीजगत के पादरीवर्ग भी असत्य में चलते हैं, धर्मत्यागी सिद्धांत फैलाते हैं, ऐसी शिक्षाएँ जो परमेश्वर के वचन में नहीं पायी जातीं। ऐसी कुछेक झूठी शिक्षाएँ क्या हैं? आत्मा का अमरत्व, त्रियेक, शोधन-स्थान, और अनन्तकाल तक लोगों को संताप देने के लिए नरकाग्नि। लोगों को जो सुनना पसंद है, उसका प्रचार करने के द्वारा वे अपने सुननेवालों के कानों में खुजली भी करते हैं। वे राग अलापते हैं कि मसीहीजगत के सामने कोई विपत्ति नहीं क्योंकि उस पर परमेश्वर की शांति है। लेकिन पादरीवर्ग “अपने मन ही की बातें” कह रहे हैं। वह झूठ है। ऐसे झूठ पर विश्वास करनेवाले आध्यात्मिक रूप से विषाक्त किए जा रहे हैं। वे अपने ही विनाश की ओर भरमाए जा रहे हैं!
८ विचार कीजिए कि यहोवा इन झूठे शिक्षकों के बारे में आयत २१ में क्या कहता है: “ये भविष्यद्वक्ता बिना मेरे भेजे दौड़ जाते और बिना मेरे कुछ कहे भविष्यद्वाणी करने लगते हैं।” सो आज, पादरीवर्ग परमेश्वर द्वारा नहीं भेजे गए हैं, ना ही वे उसकी सच्चाइयों को सिखाते हैं। परिणाम? गिरजा जानेवालों में भयंकर बाइबल निरक्षरता है क्योंकि उनके पादरी उन्हें सांसारिक दर्शन-शास्त्र द्वारा पोषित करते हैं।
९, १०. (क) यरूशलेम के झूठे शिक्षकों ने किस प्रकार के स्वप्न देखे? (ख) किस तरह मसीहीजगत के पादरीवर्ग ने समान रूप से “झूठे स्वप्न” सिखाए हैं?
९ इसके अतिरिक्त, पादरीवर्ग आज झूठी आशा प्रचारित करते हैं। आयत २५ पर ध्यान दीजिए: “मैं ने इन भविष्यद्वक्ताओं की बातें भी सुनीं हैं जो मेरे नाम से यह कहकर झूठी भविष्यद्वाणी करते हैं कि मैं ने स्वप्न देखा है, स्वप्न!” वे किस प्रकार के स्वप्न हैं? आयत ३२ हमें बताती है: “यहोवा की यह भी वाणी है कि जो बिना मेरे भेजे वा बिना मेरी आज्ञा पाए स्वप्न देखने का झूठा दावा करके भविष्यद्वाणी करते हैं, और उसका वर्णन करके मेरी प्रजा को झूठे घमण्ड में आकर भरमाते हैं, उनके भी मैं विरुद्ध हूं; और उन से मेरी प्रजा के लोगों का कुछ लाभ न होगा।”
१० पादरीवर्ग ने कौनसे झूठे स्वप्न, या आशाएं, सिखाई हैं? यह कि आज शांति और सुरक्षा के लिए मनुष्य की एकमात्र आशा संयुक्त राष्ट्र संघ है। हाल के सालों में उन्होंने यू.एन. को “मैत्री और शांति की अंतिम आशा,” “शांति और न्याय का सर्वोच्च न्यायालय,” “विश्व शांति के लिए प्रमुख लौकिक आशा” कहा है। क्या ही भ्रम! मनुष्यजाति के लिए एकमात्र आशा परमेश्वर का राज्य है। लेकिन पादरीवर्ग उस स्वर्गीय सरकार के बारे में सच्चाई का न तो प्रचार करते और न ही सिखाते हैं, जो यीशु के प्रचार का मुख्य विषय था।
११. (क) परमेश्वर के अपने नाम पर यरूशलेम के झूठे शिक्षकों का क्या बुरा प्रभाव पड़ा? (ख) यिर्मयाह वर्ग की विषमता में, आज के झूठे धार्मिक शिक्षकों ने परमेश्वरीय नाम के सम्बन्ध में क्या किया है?
११ आयत २७ हमें और अधिक बताती है। “जैसे मेरी प्रजा के लोगों के पुरखा मेरा नाम भूलकर बाल का नाम लेने लगे थे, वैसे ही अब ये भविष्यद्वक्ता उन्हें अपने अपने स्वप्न बता बताकर मेरा नाम भुलाना चाहते हैं।” यरूशलेम के झूठे भविष्यवक्ताओं ने लोगों को परमेश्वर का नाम भुलाने के लिए प्रेरित किया। क्या आज के झूठे धार्मिक शिक्षकों ने ऐसा ही नहीं किया है? इस से बदतर, वे परमेश्वर के नाम, यहोवा को छिपाते हैं। वे सिखाते हैं कि इसे प्रयोग करना ज़रूरी नहीं है, और वे इसे अपने बाइबल अनुवादों से हटा देते हैं। वे दृढ़ता से उनका विरोध करते हैं जो लोगों को सिखाते हैं कि परमेश्वर का नाम यहोवा है। लेकिन यिर्मयाह वर्ग, आत्मा-अभिषिक्त मसीहियों के शेषजनों ने अपने साथियों के साथ मिलकर ठीक वैसा ही किया है जैसा यीशु ने किया था। उन्होंने लाखों लोगों को परमेश्वर के नाम के बारे में सिखाया है।—यूहन्ना १७:६.
उनके दोष का पर्दाफ़ाश करना
१२. (क) झूठे धार्मिक शिक्षकों की ओर से बड़ा रक्तदोष क्यों है? (ख) दो विश्व युद्धों में पादरीवर्ग की क्या भूमिका रही है?
१२ यिर्मयाह वर्ग ने बारंबार पादरीवर्ग का पर्दाफ़ाश किया है कि वे झूठे शिक्षक हैं जो अपने झुंड को विनाश के बड़े मार्ग पर ले जा रहे हैं। जी हाँ, शेषजन ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि क्यों ये स्वप्न देखनेवाले यहोवा के प्रतिकूल न्याय के योग्य हैं। उदाहरण के लिए, यहोवा के सेवकों ने अकसर प्रकाशितवाक्य १८:२४ का उल्लेख किया है, जो कहता है कि बड़े बाबुल में “पृथ्वी पर सब घात किए हुओं का लोहू” पाया गया। उन सब युद्धों के बारे में सोचिए जो धार्मिक मतभेद के कारण लड़े गए। झूठे धार्मिक शिक्षकों पर कितना बड़ा रक्तदोष है! उनकी शिक्षाओं ने विभाजन उत्पन्न किया है और असमान मतों के धर्मों और राष्ट्रीय समूहों के लोगों की नफ़रत को बढ़ाया है। प्रथम विश्व युद्ध के विषय में, प्रचारक शस्त्र प्रस्तुत करते हैं (अंग्रेज़ी) पुस्तक कहती है: “पादरियों ने युद्ध को अपना भावपूर्ण आध्यात्मिक महत्त्व और कर्मशक्ति दी। . . . इस कारण गिरजा युद्ध में बहुत ज़्यादा अंतर्ग्रस्त हुआ।” द्वितीय विश्व-युद्ध में भी यह सच था। पादरीवर्ग ने युद्ध करनेवाले राष्ट्रों का पूरी तरह समर्थन किया और उनके सैनिकों को आशीर्वाद दिया। दो विश्व युद्ध मसीहीजगत में शुरू हुए जिसमें एक ही धर्म के लोगों ने एक दूसरे का क़त्ल किया। मसीहीजगत के अन्दर ही लौकिक और धार्मिक दल वर्तमान समय तक ख़ून बहाते जा रहे हैं। उनकी झूठी शिक्षाओं के क्या ही भयानक परिणाम हुए हैं!
१३. यिर्मयाह २३:२२ किस तरह साबित करता है कि मसीहीजगत के पादरीवर्ग का यहोवा के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है?
१३ कृपया यिर्मयाह अध्याय २३, आयत २२ पर ध्यान दीजिए: “यदि ये मेरी शिक्षा में स्थिर रहते, तो मेरी प्रजा के लोगों को मेरे वचन सुनाते; और वे अपनी बुरी चाल और कामों से फिर जाते।” यदि मसीहीजगत के धार्मिक भविष्यवक्ता यहोवा के अंतरंग समूह में खड़े रहते, मानो एक विश्वासयोग्य और बुद्धिमान सेवक के रूप में उसके साथ घनिष्ठ सम्बन्ध में होते, तो वे भी परमेश्वर के स्तरों के अनुसार जीते। वे भी मसीहीजगत के लोगों को परमेश्वर के अपने शब्द सुनाते। इसके बजाय, आधुनिक-दिन के झूठे शिक्षकों ने अपने अनुयायियों को परमेश्वर के दुश्मन, शैतान अर्थात् इब्लीस के अंधे सेवक बनाया है।
१४. वर्ष १९५८ में मसीहीजगत के पादरीवर्ग का क्या प्रभावशाली पर्दाफ़ाश किया गया?
१४ यिर्मयाह वर्ग द्वारा पादरीवर्ग का पर्दाफ़ाश प्रभावशाली रहा है। उदाहरण के लिए, न्यू यॉर्क शहर में यहोवा के गवाहों के १९५८ के ईश्वरीय इच्छा अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में, वॉच टावर सोसाइटी के उप-अध्यक्ष ने एक वक्तव्य प्रस्तुत किया जिसका एक अंश कहता था: “द्विअर्थी भाषा या हिचकिचाहट के बिना हम ग़लत धर्म, झूठे धर्म को सभी अपराध, अपचार, नफ़रत, संघर्ष, द्वेष, . . . और पागल अस्तव्यस्तता का मूल कारण घोषित करते हैं; जिसके पीछे मनुष्य का अदृश्य दुश्मन, शैतान अर्थात् इब्लीस है। संसार की स्थिति के लिए सबसे अधिक ज़िम्मेदार मनुष्य धार्मिक उपदेशक और नेता हैं; और इन में सबसे अधिक दोषी हैं मसीहीजगत के धार्मिक पादरीवर्ग। . . . प्रथम विश्व युद्ध के इतने सालों बाद, परमेश्वर के साथ मसीहीजगत का सम्बन्ध यिर्मयाह के दिनों में इस्राएल के सम्बन्ध के समान है। जी हाँ, मसीहीजगत के सामने एक ऐसा विनाश है जो यिर्मयाह द्वारा देखे गए यरूशलेम के विनाश से भी अधिक डरावना और विनाशक है।”
झूठे शिक्षकों का न्याय
१५. पादरीवर्ग ने शान्ति की क्या भविष्यवाणियाँ की हैं? क्या वे पूरी होंगी?
१५ इस चेतावनी के बावजूद, पादरीवर्ग ने तब से किस तरह का व्यवहार किया है? जैसे आयत १७ वर्णन करती है: “जो लोग मेरा तिरस्कार करते हैं उन से ये भविष्यद्वक्ता सदा कहते रहते हैं कि यहोवा कहता है, तुम्हारा कल्याण होगा; और जितने लोग अपने हठ ही पर चलते हैं, उन से ये कहते हैं, तुम पर कोई विपत्ति न पड़ेगी।” क्या यह सच है? नहीं! यहोवा पादरीवर्ग की इन भविष्यवाणियों के झूठ का पर्दाफ़ाश करेगा। वह उन बातों की पूर्ति नहीं करेगा जो वे उसके नाम से कह रहे हैं। तथापि, पादरीवर्ग का परमेश्वर के साथ शांति का झूठा आश्वासन बहुत ही भ्रामक है!
१६. (क) इस संसार का नैतिक वातावरण क्या है, और इसकी ज़िम्मेदारी के भागी कौन हैं? (ख) इस संसार के अपभ्रष्ट नैतिक दृष्टिकोणों के बारे में यिर्मयाह वर्ग क्या कर रहा है?
१६ क्या आप सोच रहे हैं, ‘क्या, मैं और पादरीवर्ग की झूठी शिक्षाओं से धोखा खा जाऊँ? कभी नहीं!’ ख़ैर, इतना निश्चित न होइए! याद रखिए कि पादरीवर्ग की झूठी शिक्षाओं ने एक कपटपूर्ण, भयंकर नैतिक वातावरण को बढ़ावा दिया है। उनकी अनुज्ञात्मक शिक्षा तक़रीबन किसी भी चीज़ को उचित सिद्ध करती है, चाहे वह कितनी ही अनैतिक क्यों न हो। और यह पतित नैतिक वातावरण मनोरंजन के हर क्षेत्र, फिल्मों, टी.वी., पत्रिकाओं, और संगीत में फैलता है। तो फिर, हमें अत्यंत सावधानी बरतनी चाहिए, कहीं हम इस पतित लेकिन धूर्त रीति से आकर्षक नैतिक वातावरण के प्रभाव में न गिर जाएँ। युवजन अपभ्रष्ट विडियो और संगीत में फँस सकते हैं। याद रखिए, आज लोगों की यह कुछ-भी-चलता-है मनोवृत्ति पादरीवर्ग की झूठी शिक्षाओं और परमेश्वर के धार्मिक स्तरों का समर्थन करने में उनकी विफलता का सीधा परिणाम है। यिर्मयाह वर्ग इन अनैतिक दृष्टिकोणों से जूझ रहा है और यहोवा के सेवकों को उस बुराई को ठुकराने में मदद कर रहा है जिसमें मसीहीजगत डूबा हुआ है।
१७. (क) यिर्मयाह के अनुसार, दुष्ट यरूशलेम पर क्या न्याय आना था? (ख) जल्द ही मसीहीजगत को क्या होगा?
१७ यहोवा, महान न्यायी से मसीहीजगत के झूठे शिक्षक क्या न्याय पाएँगे? आयत १९, २०, ३९ और ४० उत्तर देती हैं: “देखो, यहोवा की जलजलाहट का प्रचण्ड बवण्डर और आंधी चलने लगी है; और उसका झोंका दुष्टों के सिर पर ज़ोर से लगेगा। जब तक यहोवा अपना काम और अपनी युक्तियों को पूरी न कर चुके, तब तक उसका क्रोध शान्त न होगा। . . . मैं तुम को बिलकुल भूल जाऊंगा और तुम को और इस नगर को जिसे मैं ने तुम्हारे पुरखाओं को, और तुम को भी दिया है, त्यागकर अपने साम्हने से दूर कर दूंगा। और मैं ऐसा करूंगा कि तुम्हारी नामधराई और अनादर सदा बना रहेगा; और कभी भूला न जाएगा।” यह सब दुष्ट यरूशलेम और उसके मंदिर के साथ हुआ, और अब एक समान विपत्ति दुष्ट मसीहीजगत पर जल्द आएगी!
“यहोवा का भार” घोषित करना
१८, १९. “यहोवा का भार” क्या था जिसकी घोषणा यिर्मयाह ने यहूदा को की, तात्पर्य क्या थे?
१८ अतः, यिर्मयाह वर्ग और उनके साथियों की क्या ज़िम्मेदारी है? आयत ३३ हमें बताती है: “यदि साधारण लोगों में से कोई जन वा कोई भविष्यद्वक्ता वा याजक तुम से पूछे कि यहोवा का भार क्या है? तो तू उन से कहना, तुम लोग—एक भार हो! यहोवा की यह वाणी है, मैं तुम को त्याग दूंगा।”—NW.
१९ “भार” के लिए इब्रानी शब्द का द्विअर्थ है। यह एक भारी ईश्वरीय घोषणा या एक ऐसी चीज़ को सूचित कर सकता है जो एक व्यक्ति को दबा देती है और थका देती है। यहाँ अभिव्यक्ति “यहोवा का भार” एक भारी भविष्यवाणी को सूचित करती है—वह घोषणा कि यरूशलेम को विनाश की दण्डाज्ञा दी गयी थी। क्या लोगों को ऐसे भारी भविष्यसूचक कथन सुनना पसंद था जो यिर्मयाह बारंबार उन्हें यहोवा से सुनाया करता था? नहीं, लोगों ने यिर्मयाह की खिल्ली उड़ाई: ‘अब तेरे पास क्या भविष्यवाणी (भार) है? हम निश्चित हैं कि तेरी भविष्यवाणी एक और थकाऊ भार होगी!’ लेकिन यहोवा ने उन्हें क्या कहा? यह: “तुम लोग—एक भार हो! . . . मैं तुम को त्याग दूंगा।” जी हाँ, ये लोग यहोवा के लिए एक भार थे, और उसे और अधिक भार देने से पहले वह उन्हें हटानेवाला था।
२०. आज “यहोवा का भार” क्या है?
२० आज “यहोवा का भार” क्या है? यह परमेश्वर के वचन से भारी भविष्यसूचक संदेश है। यह संदेश दण्डाज्ञा से भरा हुआ है, और मसीहीजगत के सन्निकट विनाश की घोषणा करता है। यहोवा के लोगों के विषय में, हम पर ‘यहोवा के भार’ की घोषणा करने की भारी ज़िम्मेदारी है। जैसे-जैसे अंत निकट आता जाता है, हमें सब को बताना चाहिए कि मसीहीजगत के हठधर्मी लोग यहोवा परमेश्वर के लिए एक “भार” हैं, और कि जल्द ही मसीहीजगत को विपत्ति के लिए त्यागकर वह अपने आप पर से यह “भार” हटानेवाला है।
२१. (क) यरूशलेम का विनाश सा.यु.पू. ६०७ में क्यों हुआ? (ख) यरूशलेम के विनाश के बाद, झूठे भविष्यवक्ताओं को और यहोवा के सच्चे भविष्यवक्ता को क्या हुआ, और यह हमें आज क्या आश्वासन देता है?
२१ यिर्मयाह के दिनों में यहोवा का न्याय तब पूरा किया गया जब बाबुल के लोगों ने सा.यु.पू. ६०७ में यरूशलेम का नाश किया। जैसे भविष्यवाणी की गई थी वह उन ज़िद्दी, अविश्वासी इस्राएलियों के लिए “नामधराई और अनादर” था। (यिर्मयाह २३:३९, ४०) इस नाश ने उन्हें दिखाया कि यहोवा ने, जिसका उन्होंने बार-बार निरादर किया था, आख़िरकार उन्हें उनकी बुराई के परिणामों के लिए त्याग दिया था। आख़िरकार उनके अहंकारी झूठे भविष्यवक्ताओं का मुँह बन्द कर दिया गया। लेकिन, यिर्मयाह का मुँह भविष्यवाणी करता रहा। यहोवा ने उसे नहीं त्यागा। इस नमूने के अनुरूप, यहोवा यिर्मयाह वर्ग को नहीं त्यागेगा जब उसका भारी फ़ैसला मसीहीजगत के पादरीवर्ग और उनके झूठ पर विश्वास करनेवालों को ख़त्म करने का कारण बनेगा।
२२. यहोवा के न्यायों के द्वारा मसीहीजगत की स्थिति क्या हो जाएगी?
२२ जी हाँ, अपने धन-दौलत से वंचित किए जाने और शर्मनाक रूप से नग्न किए जाने के बाद धार्मिक मसीहीजगत बिलकुल सा.यु.पू. ६०७ के बाद यरूशलेम की उजाड़, वीरान स्थिति की तरह दिखेगा। यह वह योग्य न्याय है जो यहोवा ने झूठे शिक्षकों के विरुद्ध ठहराया है। यह न्याय कभी नहीं चूकेगा। जिस तरह यिर्मयाह के सभी उत्प्रेरित चेतावनी देनेवाले संदेश अतीत में सच साबित हुए, वे अपनी आधुनिक-दिन की पूर्ति में भी सच साबित होंगे। सो ऐसा हो कि हम यिर्मयाह की तरह बनें। आइए यहोवा का भविष्यसूचक भार लोगों को निडरता से घोषित करें, ताकि वे जानें कि क्यों सभी झूठे धार्मिक शिक्षकों पर उसके धार्मिक न्याय का पूरा भार आ रहा है!
पुनर्विचार प्रश्न
▫ यहोवा के दृष्टिकोण से प्राचीन यरूशलेम कितना बुरा था?
▫ किन तरीक़ों से मसीहीजगत ‘असत्य में चला’ है?
▫ आधुनिक-दिन के पादरीवर्ग के दोष का पर्दाफ़ाश कैसे किया गया है?
▫ “यहोवा का भार” क्या है जिसकी अभी घोषणा की जा रही है?
[पेज 8 पर तसवीर]
यिर्मयाह ने ‘भयंकर कामों’ का पर्दाफ़ाश किया
[पेज 9 पर तसवीर]
“ये . . . अपने ही मन की बातें कहते हैं”
[पेज 10 पर तसवीरें]
अपने विनाश के बाद की यरूशलेम मसीहीजगत की अन्तिम नियति को चित्रित करती है