जातियों के साथ यहोवा का विवाद
“पृथ्वी की छोर लों भी कोलाहल होगा, क्योंकि सब जातियों से यहोवा का मुक़द्दमा है।” —यिर्मयाह २५:३१.
१, २. (क) राजा योशिय्याह की मृत्यु के बाद यहूदा में क्या हुआ? (ख) यहूदा का आख़िरी राजा कौन था, और अपनी अविश्वासिता के कारण उसने कैसे सहा?
यहूदा देश को कठिन समयों का मुकाबला करना पड़ा। एक भले राजा, योशिय्याह ने परमेश्वर के भड़कते हुए क्रोध को कुछ समय के लिए रुकवा दिया। लेकिन सा.यु.पू. ६२९ में योशिय्याह के मारे जाने के बाद क्या हुआ? जो राजा उसके उत्तराधिकार में आए उन्होंने यहोवा का अनादर किया।
२ यहूदा के आख़िरी राजा, योशिय्याह के चौथे पुत्र, सिदकिय्याह ने, जैसे २ राजा २४:१९ कहता है, “ठीक [अपने बड़े भाई] यहोयाकीम की लीक पर चलकर वही किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है।” परिणाम? नबूकदनेस्सर यरूशलेम के विरुद्ध आया, सिदकिय्याह को बंदी बनाया, उसकी आँखों के सामने उसके पुत्रों की हत्या की, और उसे अंधा करके बाबुल ले गया। इसके अतिरिक्त, यहोवा की उपासना में प्रयोग किए जानेवाले बर्तनों को बाबुल के लोग लूट के तौर पर ले गए, और मंदिर तथा शहर को आग लगा दी। बचे हुए लोग बाबुल में निर्वासित जन बन गए।
३. सा.यु.पू. ६०७ में यरूशलेम के विनाश के साथ कौनसी अवधि शुरू हुई, और उस अवधि के अन्त में क्या होना था?
३ उस वर्ष, सा.यु.पू. ६०७ ने, न सिर्फ़ यरूशलेम के अंतिम उजड़ने को चिह्नित किया बल्कि लूका २१:२४ में उल्लिखित ‘अन्य जातियों के समय’ की शुरूआत को भी चिह्नित किया। यह २,५२०-वर्ष की अवधि हमारी शताब्दी में, वर्ष १९१४ में समाप्त हुई। तब तक यहोवा का समय आ गया था कि अपने सत्तारूढ़ पुत्र, यीशु मसीह के द्वारा, जो नबूकदनेस्सर से श्रेष्ठ है, इस भ्रष्ट संसार पर न्याय की घोषणा करे और न्याय निष्पन्न करे। यह न्याय यहूदा के आधुनिक-दिन समतुल्य के साथ शुरू होता है, एक ऐसा समतुल्य जो पृथ्वी पर परमेश्वर और मसीह का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है।
४. यिर्मयाह की भविष्यवाणी के सम्बन्ध में अब क्या प्रश्न उठते हैं?
४ अपने राजाओं के शासन काल में, यहूदा के आख़िरी वर्षों के दौरान की अशांति—जिसमें विनाशक घटनाओं ने पड़ोसी राष्ट्रों को भी प्रभावित किया—और आज मसीहीजगत में अशांति के बीच क्या हम कोई समानांतर देखते हैं? निश्चित ही हम देखते हैं! तो फिर, यहोवा आज मामलों को कैसे सम्भालेगा इस विषय में यिर्मयाह की भविष्यवाणी क्या सूचित करती है? आइए देखते हैं।
५, ६. (क) वर्ष १९१४ से किस प्रकार मसीहीजगत में स्थिति उसी समान है जैसे यहूदा में उसके विनाश से कुछ ही समय पहले थी? (ख) आधुनिक यिर्मयाह मसीहीजगत के पास क्या संदेश ले गया है?
५ ब्रिटिश गणितज्ञ और दर्शनशास्त्री बर्ट्रन्ड रस्सल ने कुछ ४० वर्ष पहले टिप्पणी की: “१९१४ से, महाविपदा की तरफ़ प्रतीयमान नियत और पूर्व-निर्धारित प्रयाण से संसार में प्रवृत्तियों के प्रति सचेत हर व्यक्ति बहुत ही व्याकुल हुआ है।” और जर्मन राजनेता कॉनराट अडिनॉअर ने कहा: “१९१४ से मनुष्यों के जीवन से सुरक्षा और शांति ग़ायब हो गयी है।”
६ आज, यिर्मयाह के दिनों की तरह, रीति-व्यवस्था के अंत की निकटता अत्यधिक मात्रा में निर्दोष लहू के बहाने के द्वारा चिह्नित है, ख़ासकर इस शताब्दी के दो विश्व युद्धों के दौरान। अधिकांशतः, ये युद्ध मसीहीजगत के राष्ट्रों द्वारा लड़े गए, जो बाइबल के परमेश्वर की उपासना करने का दावा करते हैं। क्या ही कपट! यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि यहोवा ने यिर्मयाह २५:५, ६ के शब्दों में कहते हुए उनके पास अपने गवाहों को भेजा है: “अपनी अपनी बुरी चाल और अपने अपने बुरे कामों से फिरो: . . . और दूसरे देवताओं के पीछे होकर उनकी उपासना और उनको दण्डवत् मत करो, और न अपनी बनाई हुई वस्तुओं के द्वारा मुझे रिस दिलाओ; तब मैं तुम्हारी कुछ हानि न करूंगा।”
७. क्या प्रमाण है कि मसीहीजगत ने यहोवा की चेतावनियों की उपेक्षा की है?
७ लेकिन, मसीहीजगत के राष्ट्र पीछे नहीं फिरे हैं। उनके द्वारा कोरिया और वियतनाम में युद्ध के देवता को चढ़ाए गए अतिरिक्त बलिदानों से यह प्रदर्शित किया गया है। और वे मौत के सौदागरों, शस्त्रों के निर्माताओं के लिए अर्थप्रबंध करते रहते हैं। मसीहीजगत के देशों ने, १९८० के दशक के दौरान हर वर्ष शस्त्रों पर ख़र्च किए गए लगभग दस ख़रब डॉलर्स् के अधिकांश हिस्से को प्रदान किया है। वर्ष १९५१ से १९९१ तक, केवल अमरीका का सेना-व्यय सभी अमरीकी निकायों के कुल लाभ से भी अधिक था। ज़ोरों से घोषित शीत युद्ध के अंत के बाद से, पुराने अणु-अस्त्रों में कटौती हुई है, लेकिन अन्य घातक अस्त्रों के विशाल शस्त्रागार शेष हैं और इनका विकास किया जा रहा है। किसी दिन शायद इनका प्रयोग किया जाए।
मसीहीजगत के अनुज्ञात्मक क्षेत्र के विरुद्ध न्याय
८. किस प्रकार यिर्मयाह २५:८, ९ के शब्द मसीहीजगत पर पूरे होंगे?
८ यिर्मयाह २५:८, ९ में यहोवा के अगले शब्द विशेषकर मसीहीजगत पर लागू होते हैं, जो धार्मिकता के मसीही स्तरों के अनुरूप चलने में विफल हुआ है: “इसलिये सेनाओं का यहोवा यों कहता है कि तुम ने जो मेरे वचन नहीं माने, इसलिये सुनो, मैं उत्तर में रहनेवाले सब कुलों को बुलाऊंगा, और अपने दास बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर को बुलवा भेजूंगा; और उन सभों को इस देश और इसके निवासियों के विरुद्ध और इसके आस पास की सब जातियों के विरुद्ध भी ले आऊंगा; और इन सब देशों का मैं सत्यानाश करके उन्हें ऐसा उजाड़ दूंगा कि लोग इन्हें देखकर ताली बजाएंगे; वरन ये सदा उजड़े ही रहेंगे, यहोवा की यही वाणी है।” अतः, बड़े क्लेश का आरंभ परमेश्वर के तथाकथित लोग, मसीहीजगत से होगा, और अन्त में विश्व-व्याप्त होगा, “आस पास की सब जातियों” तक फैलेगा।
९. किन तरीक़ों से मसीहीजगत की आध्यात्मिक स्थिति हमारे समय में बदतर हो गयी है?
९ मसीहीजगत में एक समय था जब बाइबल का आदर किया जाता था, जब विवाह और पारिवारिक जीवन को लगभग सभी आनंद के एक स्रोत के रूप में देखते थे, जब लोग जल्दी उठते थे और अपने दैनिक कार्य में परितोष पाते थे। अनेक लोग शाम को दीपक के उजियाले में परमेश्वर के वचन को पढ़ने और अध्ययन करने से ताज़गी प्राप्त करते थे। लेकिन आज, स्वच्छंद संभोग, तलाक़, नशीले पदार्थों का दुष्प्रयोग और पियक्कड़पन, अपचार, लोभ, काम करने की आलसी आदतें, टी.वी. की लत, और अन्य व्यसनों ने जीवन को भयप्रद हद तक भ्रष्ट किया है। यह उस विनाश की प्रारंभिक तैयारी है जो यहोवा परमेश्वर मसीहीजगत के अनुज्ञात्मक क्षेत्र पर लाने ही वाला है।
१०. यहोवा के न्याय निष्पन्न किए जाने के बाद मसीहीजगत की स्थिति का वर्णन कीजिए।
१० यहोवा घोषणा करता है, जैसे हम यिर्मयाह अध्याय २५, आयत १० और ११ में पढ़ते हैं: “मैं ऐसा करूंगा कि इन में न तो हर्ष और न आनन्द का शब्द सुनाई पड़ेगा, और न दुल्हे वा दुल्हिन का, और न चक्की का भी शब्द सुनाई पड़ेगा और न इस में दिया जलेगा। सारी जातियों का यह देश उजाड़ ही उजाड़ होगा।” यह सचमुच आश्चर्यजनक होगा जब मसीहीजगत के महान मंदिर और ठाठदार महल ढह कर तबाह हो जाएंगे। यह विनाश कितना विस्तृत होगा? यिर्मयाह के समय में, यहूदा और पड़ोसी देशों का विनाश ७० वर्ष तक रहा, जिसका वर्णन भजन ९०:१० एक प्रतिरूपी जीवन-काल के रूप में करता है। आज यहोवा के न्याय का निष्पादन पूर्ण, अनन्तकालीन होगा।
बड़े बाबुल के विरुद्ध न्याय
११. मसीहीजगत का नाश किस साधन द्वारा किया जाएगा? क्यों?
११ जैसे प्रकाशितवाक्य १७:१२-१७ में पूर्वबताया गया, वह समय आएगा जब झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य को नाश करने की “उसकी मनसा पूरी करने” के लिए यहोवा “दस सींग”—संयुक्त राष्ट्र संघ के सैन्यीकृत सदस्यों—के मन में यह डालकर अपना विचित्र कार्य आरंभ करता है। यह कैसे होगा? प्रकाशितवाक्य अध्याय १७ के “दस सींग” के पास, आयत १६ के शब्दों में, ‘उस वेश्या से बैर करने और उसे आग में जला देने’ के अनेक तरीक़े हो सकते हैं। यह सच है कि अणु-शस्त्र प्रचुर मात्रा में तैयार किए गए हैं और पृथ्वी पर ऐसे स्थानों में जहाँ युद्ध सन्निकट है अभी भी ये प्रचुर मात्रा में तैयार किए जा रहे हैं। लेकिन हमें प्रतीक्षा करके देखना होगा कि यहोवा उसका बदला लेने की मनसा राजनीतिक शासकों के हृदयों में कैसे डालता है।
१२. (क) यरूशलेम को नाश करने के बाद बाबुल को क्या हुआ? (ख) मसीहीजगत के नाश के बाद राष्ट्रों को क्या होगा?
१२ प्राचीन समयों में यहोवा का भड़कता हुआ क्रोध अनुभव करने के लिए बाबुल की बारी आयी। तदनुसार, यिर्मयाह अध्याय २५, आयत १२ से आरंभ होते हुए, यह भविष्यवाणी मामलों को परवर्ती, परिवर्तित दृष्टिकोण से देखती है। यहोवा के वधिक की भूमिका में न रहकर, नबूकदनेस्सर और बाबुल अब सारे सांसारिक राष्ट्रों में सम्मिलित किए गए हैं। यह आज की स्थिति के समान है। प्रकाशितवाक्य अध्याय १७ का “दस सींग” झूठे धर्म को उजाड़ देगा, लेकिन बाद में “पृथ्वी के” अन्य “राजाओं” के साथ स्वंय उसका भी नाश होगा, जैसे प्रकाशितवाक्य अध्याय १९ में वर्णित है। यिर्मयाह २५:१३, १४ वर्णन करता है कि कैसे बाबुल का न्याय, यहोवा के लोगों का शोषण करनेवाली “सारी जातियों” के साथ होगा। यहूदा को सज़ा देने के लिए यहोवा ने नबूकदनेस्सर को वधिक के रूप में प्रयोग किया था। लेकिन वह और बाबुल के परवर्ती राजा अहंकार से अपने आप को स्वयं यहोवा के विरुद्ध ऊँचा करने लगे, जैसे उदाहरण के लिए, यहोवा के मंदिर के बर्तनों के अपवित्रीकरण से प्रदर्शित हुआ। (दानिय्येल ५:२२, २३) और जब बाबुल के लोगों ने यरूशलेम का नाश किया, तब यहूदा के पड़ोसी राष्ट्र—मोआब, अम्मोन, सोर, एदोम, और अन्य राष्ट्र—फूले न समाए और उन्होंने परमेश्वर के लोगों का मज़ाक उड़ाया। उन्हें भी यहोवा की ओर से योग्य बदले की कटनी काटनी पड़ेगी।
“सब जातियों” के विरुद्ध न्याय
१३. “इस जलजलाहट के दाखमधु का कटोरा” का क्या अर्थ है, और जो इस कटोरे को पीते हैं उनको क्या होता है?
१३ इसलिए, जैसा अध्याय २५, आयत १५ और १६ में अभिलिखित है, यिर्मयाह घोषित करता है: “इस्राएल के परमेश्वर यहोवा ने मुझ से यों कहा, मेरे हाथ से इस जलजलाहट के दाखमधु का कटोरा लेकर उन सब जातियों को पिला दे जिनके पास मैं तुझे भेजता हूं। वे उसे पीकर उस तलवार के कारण जो मैं उनके बीच में चलाऊंगा लड़खड़ाएंगे और बावले हो जाएंगे।” यह क्यों ‘यहोवा की जलजलाहट के दाखमधु का कटोरा’ है? मत्ती २६:३९, ४२ और यूहन्ना १८:११ में, अपने लिए परमेश्वर की इच्छा के प्रतीक के रूप में यीशु ने एक ‘कटोरे’ के बारे में बात की। समान रूप से, जातियों को अपने ईश्वरीय बदले में से पिलाने के लिए यहोवा की इच्छा के प्रतीक के रूप में कटोरा प्रयोग किया जाता है। यिर्मयाह २५:१७-२६ उन राष्ट्रों की सूची देता है जो आज के राष्ट्रों का पूर्वसंकेत करते हैं।
१४. यिर्मयाह की भविष्यवाणी के अनुसार, किन लोगों को यहोवा की जलजलाहट के दाखमधु के कटोरे से पीने को मिलता है, और यह हमारे दिन के लिए क्या चित्रित करता है?
१४ यहूदा की तरह, मसीहीजगत का ‘उजाड़ हो जाने के बाद और लोगों के ताली बजाने, और उसकी उपमा देकर शाप देने,’ के बाद, झूठे धर्म के बाक़ी बचे विश्व साम्राज्य के लिए विनाश तैयार है। इसके बाद, समस्त संसार को, जिसका प्रतीक मिस्र है, यहोवा के जलजलाहट के दाखमधु के कटोरे से पीना होगा! जी हाँ, “क्या निकट क्या दूर के उत्तर दिशा के सब राजाओं को . . . निदान धरती भर में रहनेवाले जगत के राज्यों के सब लोगों को” पीना होगा। आख़िरकार, “इन सब के पीछे शेषक के राजा को भी पीना पड़ेगा।” और यह ‘शेषक का राजा’ कौन है? शेषक बाबुल के लिए एक प्रतीकात्मक नाम, गुप्त-संदेश, या कूट शब्द है। जिस तरह शैतान बाबुल पर अदृश्य राजा था, उसी तरह वह इस दिन तक “संसार का सरदार” है, जैसे यीशु द्वारा सूचित किया गया है। (यूहन्ना १४:३०) अतः, जैसे-जैसे यहोवा के जलजलाहट का कटोरा आगे बढ़ाया जाता है वैसे-वैसे घटनाओं का क्रम स्पष्ट करने में यिर्मयाह अध्याय २५:१७-२६ प्रकाशितवाक्य अध्याय १८ से २० का समानांतर है। पहले, झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य, उसके बाद राजनीतिक शक्तियों का विनाश होना है और फिर स्वयं शैतान को अथाह कुण्ड में बंद किया जाना है।—प्रकाशितवाक्य १८:८; १९:१९-२१; २०:१-३.
१५. तब क्या होगा जब “शांति और सुरक्षा” की पुकार सुनी जाती है?
१५ जबसे शीत युद्ध प्रतीयमानतः समाप्त हुआ है, सिर्फ़ एक ही महाशक्ति के रहने से शांति और सुरक्षा की काफ़ी बातें हुई हैं। जैसे प्रकाशितवाक्य १७:१० में कहा गया है, उस महाशक्ति, जंगली पशु के सातवें सिर, को ‘कुछ समय तक रहना’ है। लेकिन वह “कुछ समय” अपने अन्त के निकट आ रहा है। जल्द ही, राजनीतिक “शांति और सुरक्षा” की सभी पुकारों के बदले “उन पर एकाएक विनाश आ पड़ेगा।” प्रेरित पौलुस ऐसा कहता है।—१ थिस्सलुनीकियों ५:२, ३.
१६, १७. (क) यदि कोई यहोवा के न्याय से बचने की कोशिश करे, तो क्या परिणाम होगा? (ख) जल्द ही किस विनाशक तरीक़े से यहोवा की इच्छा पृथ्वी पर पूरी होगी?
१६ मसीहीजगत से शुरू होते हुए, शैतान की समस्त विश्व व्यवस्था को यहोवा के बदले के कटोरे से पीना होगा। अध्याय २५, आयत २७ से २९ में यिर्मयाह को दी गई उसकी अतिरिक्त आज्ञा इसकी पुष्टि करती है: “तब तू उन से यह कहना, सेनाओं का यहोवा जो इस्राएल का परमेश्वर है, यों कहता है, पीओ, और मतवाले हो और छाँट करो, गिर पड़ो और फिर कभी न उठो, क्योंकि यह उस तलवार के कारण से होगा जो मैं तुम्हारे बीच में चलाऊंगा। और यदि वे तेरे हाथ से यह कटोरा लेकर पीने से इनकार करें तो उन से कहना, सेनाओं का यहोवा यों कहता है कि तुम को निश्चय पीना पड़ेगा। देखो, जो नगर मेरा कहलाता है, मैं पहिले उसी में विपत्ति डालने लगूंगा, फिर क्या तुम लोग निर्दोष ठहर के बचोगे? तुम निर्दोष ठहर के न बचोगे, क्योंकि मैं पृथ्वी के सब रहनेवालों पर तलवार चलाने पर हूं, सेनाओं के यहोवा की यही वाणी है।”
१७ ये कड़े शब्द हैं—सचमुच, भय-प्रेरित करनेवाले शब्द, क्योंकि वे सारे विश्व-मण्डल के सर्वसत्ताधारी प्रभु, यहोवा परमेश्वर द्वारा कहे गए हैं। सहस्राब्दियों से, उसने अपने पवित्र नाम पर बरसायी गयी ईशनिन्दा, बदनामी, और नफ़रत को धैर्य से सहा है। लेकिन उस के लिए उस प्रार्थना का उत्तर देने का समय आ गया है जो उसके प्रिय पुत्र, यीशु मसीह ने पृथ्वी पर रहते हुए अपने शिष्यों को सिखायी थी: “सो तुम इस रीति से प्रार्थना किया करो; ‘हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए; तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।’” (मत्ती ६:९, १०) यहोवा की यह इच्छा है कि बदला लेने में यीशु उसकी तलवार के रूप में कार्य करे।
१८, १९. (क) कौन यहोवा के नाम में जय प्राप्त करने के लिए घोड़े पर सवार होकर निकलता है, और अपनी जय पूरी करने से पहले वह किस चीज़ के लिए रुकता है? (ख) जब स्वर्गदूत यहोवा के क्रोध की तूफ़ानी हवा को छोड़ेंगे, तब पृथ्वी पर क्या भयंकर घटनाएं होंगी?
१८ प्रकाशितवाक्य अध्याय ६ में, ‘जय करने तथा और भी जय प्राप्त करने’ के लिए हम पहले यीशु को एक श्वेत घोड़े पर सवार होकर जाने के विषय में पढ़ते हैं। (आयत २) यह १९१४ में स्वर्गीय राजा के रूप में उसके राज्याभिषेक से शुरू हुआ। अन्य घोड़े और सवार उसके पीछे आते हैं, जो सम्पूर्ण युद्ध, अकाल, और महामारी को चित्रित करते हैं जिन्होंने तब से पृथ्वी को पीड़ित किया है। लेकिन यह खलबली कब समाप्त होगी? प्रकाशितवाक्य अध्याय ७ हमें बताता है कि जब तक आध्यात्मिक इस्राएल और सारी जातियों से निकली बड़ी भीड़ उद्धार के लिए एकत्रित नहीं हो जाती, तब तक चार स्वर्गदूत “पृथ्वी की चारों हवाओं” को थामे हुए हैं। (आयत १) फिर क्या?
१९ यिर्मयाह अध्याय २५, आयत ३० और ३१ में आगे कहा गया है: “यहोवा ऊपर से गरजेगा, और अपने उसी पवित्र धाम में से अपना शब्द सुनाएगा; वह अपनी चराई के स्थान के विरुद्ध ज़ोर से गरजेगा; वह पृथ्वी के सारे निवासियों के विरुद्ध भी दाख लताड़नेवालों की नाईं ललकारेगा। पृथ्वी की छोर लों भी कोलाहल होगा, क्योंकि सब जातियों से यहोवा का मुक़द्दमा [विवाद, NW] है; वह सब मनुष्यों से वादविवाद [का न्याय, NW] करेगा, और दुष्टों को तलवार के वश में कर देगा।” इस प्रकार यहोवा की जलजलाहट के कटोरे से पीने में कोई भी जाति नहीं बचेगी। इसलिए, यह अत्यावश्यक है कि सभी सत्हृदय लोग जातियों की दुष्टता से अपने आपको अलग करें इससे पहले कि चार स्वर्गदूत यहोवा की जलजलाहट की तूफ़ानी हवा को छोड़ दें। यह सचमुच तूफ़ानी है, क्योंकि यिर्मयाह की भविष्यवाणी आयत ३२ और ३३ में आगे कहती है:
२०. क्या दृश्यलेख यहोवा के न्याय की प्रचण्डता का महत्त्व दिखाता है, लेकिन यह कार्यवाही क्यों ज़रूरी है?
२० “सेनाओं का यहोवा यों कहता है, देखो, विपत्ति एक जाति से दूसरी जाति में फैलेगी, और बड़ी आंधी पृथ्वी की छोर से उठेगी! उस समय यहोवा के मारे हुओं की लोथें पृथ्वी की एक छोर से दूसरी छोर तक पड़ी रहेंगी। उनके लिये कोई रोने-पीटनेवाला न रहेगा, और उनकी लोथें न तो बटोरी जाएंगी ओर न कबरों में रखी जाएंगी; वे भूमि के ऊपर खाद की नाईं पड़ी रहेंगी।” सचमुच एक बीभत्स दृश्यलेख, लेकिन परमेश्वर की प्रतिज्ञा के परादीस को लाने से पहले पृथ्वी को सभी दुष्टता से साफ़ करने के लिए यह कार्यवाही ज़रूरी है।
चरवाहे हाय हाय करें और चिल्लाएँ
२१, २२. (क) यिर्मयाह २५:३४-३६ में इस्राएल के “चरवाहे” कौन थे, और उन्हें हाय हाय करने के लिए क्यों मजबूर किया गया? (ख) कौनसे आधुनिक चरवाहे यहोवा के क्रोध के योग्य हैं, और वे पूरी तरह इसके योग्य क्यों हैं?
२१ आयत ३४ से ३६ यहोवा के न्याय के बारे में आगे कहती हैं: “हे चरवाहो, हाय हाय करो और चिल्लाओ, हे बलवन्त मेढ़ो और बकरो, राख में लोटो, क्योंकि तुम्हारे बध होने के दिन आ पहुंचे हैं, और मैं मनभाऊ बरतन की नाईं तुम्हारा सत्यानाश करूंगा। उस समय न तो चरवाहों के भागने के लिये कोई स्थान रहेगा, और न बलवन्त मेढ़े और बकरे भागने पाएंगे। चरवाहों की चिल्लाहट और बलवन्त मेढ़ों और बकरों के मिमियाने का शब्द सुनाई पड़ता है! क्योंकि यहोवा उनकी चराई को नाश करेगा।”
२२ ये चरवाहे कौन हैं? ये धार्मिक अगुए नहीं हैं, जो यहोवा के क्रोध से पहले ही पी चुके हैं। ये सैन्यवादी चरवाहे हैं, जिनका वर्णन यिर्मयाह ६:३ में भी किया गया है, जो यहोवा के विरोध में अपनी सेनाओं को एक बड़े झुण्ड में एकत्रित करते हैं। वे राजनीतिक शासक हैं, जो शासित लोगों की क़ीमत पर अमीर बन गए हैं। इन में से अनेक लोग हेरा-फेरी करनेवाले, भ्रष्टाचार के उस्ताद हैं। वे ऐसी भुखमरियों को मिटाने में धीमे रहे हैं जिनके कारण प्रतिकूल परिस्थितियों वाले देशों में अत्यधिक लोग मरे हैं। वे “बलवन्त मेढ़े और बकरे,” जैसे कि शस्त्रों के बड़े उद्योगपतियों और पर्यावरण के लोभी ध्वंसकों को धनी बनाते हैं, जबकि वे चिकित्सीय सहायता और पौष्टिक भोजन प्रदान करने से इन्कार करते हैं जो करोड़ों मरते हुए बच्चों को बहुत कम ख़र्च में बचा सकता है।
२३. यहोवा के विनाशक कार्यों के बाद शैतान के अधिकार-क्षेत्र की स्थिति का वर्णन कीजिए।
२३ यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि यिर्मयाह अध्याय २५, आयत ३७ और ३८ समाप्ति में उन लोगों के विषय में कहता है जिन्होंने स्वार्थी होकर सिर्फ़ अपने लिए ही शांति चाही: “यहोवा के क्रोध भड़कने के कारण शान्ति के स्थान नष्ट हो जाएंगे, जिन वासस्थानों में अब शान्ति है, वे नष्ट हो जाएंगे। युवा सिंह की नाईं वह अपने ठौर को छोड़कर निकलता है, क्योंकि अंधेर करनेहारी तलवार और उसके भड़के हुए कोप के कारण उनका देश उजाड़ हो गया है।” सचमुच उजड़ गया है! फिर भी, यहोवा का भड़कता हुआ क्रोध निश्चित ही उस के द्वारा व्यक्त किया जाएगा जिसका वर्णन प्रकाशितवाक्य १९:१५, १६ में ‘राजाओं के राजा और प्रभुओं के प्रभु’, के रूप में किया गया है, जो लोहे का राजदण्ड लिए हुए जातियों पर राज्य करता है। और इसके बाद क्या होता है?
२४. झूठे धर्म और शैतान के बाक़ी के संसार का विनाश धार्मिक मानवजाति के लिए क्या आशिषें लाएगा?
२४ क्या आपने कभी एक तूफ़ान या बवंडर का अनुभव किया है? यह एक भयानक अनुभव हो सकता है। लेकिन अगली सुबह, हालाँकि आप शायद चारों ओर मलबा देखें, हवा सामान्यतः इतनी साफ़ होती है और शांति इतनी स्फूर्तिदायक होती है कि आप असाधारण रूप से सुन्दर दिन के लिए यहोवा को धन्यवाद दे सकते हैं। इसी प्रकार, जैसे-जैसे महा क्लेश की तूफ़ानी हवा कम होती है, आप पृथ्वी पर कृतज्ञता के साथ देख सकते हैं कि आप जीवित हैं और साफ़ की गयी पृथ्वी को एक महिमावान परादीस बनाने के यहोवा के अतिरिक्त कार्य में भाग लेने के लिए तैयार हैं। यहोवा के नाम का पवित्रीकरण और मसीहाई राज्य के सहस्राब्दिक शासन में इस पृथ्वी पर उसकी इच्छा पूरी होने के लिए मार्ग तैयार करते हुए जातियों के साथ यहोवा का विवाद अपनी शानदार समाप्ति की ओर लाया जा चुका होगा। ऐसा हो कि वह राज्य जल्द आए!
इस लेख के अनुच्छेद ५-२४ पर पुनर्विचार करना
▫ मसीहीजगत के किन पाखण्डी तरीक़ों का अब न्याय है?
▫ यिर्मयाह २५:१२-३८ में न्याय का कौनसा विस्तारित दृष्टिकोण लिया गया है?
▫ क्रोध का कौनसा कटोरा सब जातियों को दिया गया है?
▫ वे चरवाहे कौन हैं जो हाय हाय करते और चिल्लाते हैं, और वे परेशान क्यों हैं?
[पेज 18 पर तसवीर]
यहोवा ने मसीहीजगत के विनाश का साधन चुना है
[पेज 22 पर तसवीर]
बड़े क्लेश की तूफ़ानी हवाओं के बाद, एक साफ़ पृथ्वी दिखेगी