मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
1-7 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | यिर्मयाह 32-34
“इसराएल की बहाली की निशानी”
इंसाइट-1 पेज 105 पै 2
अनातोत
यिर्मयाह अनातोत नाम के शहर से था, मगर वह एक ऐसा भविष्यवक्ता था, जिसका अपने ही लोगों ने आदर नहीं किया। उन्होंने यिर्मयाह को जान से मारने की धमकी दी, क्योंकि वह यहोवा की तरफ से उन्हें सच्चाई का संदेश दे रहा था। (यिर्म 1:1; 11:21-23; 29:27) इस वजह से यहोवा ने कहा कि वह इस शहर पर विपत्ति लाएगा और कुछ समय बाद वही हुआ, जब बैबिलोन ने यहूदा पर कब्ज़ा कर लिया। (यिर्म 11:21-23) यरूशलेम के नाश होने से पहले यिर्मयाह ने अपने कानूनी हक का इस्तेमाल करके अनातोत में अपने चचेरे भाई की ज़मीन खरीदी। यह उस बात की निशानी थी कि लोग बँधुआई से छूटकर इसराएल को दोबारा बसाएँगे। (यिर्म 32:7-9) बैबिलोन से सबसे पहले वापस आनेवालों में से जरुबाबेल के साथ अनातोत के 128 आदमी थे। इसके अलावा जो नगर दोबारा बसाए गए, उनमें से एक अनातोत था। इस तरह यिर्मयाह की भविष्यवाणी पूरी हुई।—एज 2:23; नहे 7:27; 11:32.
जेरेमायाह पेज 152 पै 22-23
“क्या इस तरह उसने नहीं दिखाया कि वह मुझे जानता था?”
22 जब कोई अपने कामों या अपनी बातों से आपको ठेस पहुँचाता है, तो क्या आप यहोवा की मिसाल पर चलेंगे? पुराने ज़माने के यहूदियों के बारे में परमेश्वर ने कहा कि वह उन लोगों को “शुद्ध” करेगा, जिन्हें उसने माफ किया है। (यिर्मयाह 33:8 पढ़िए।) जो पश्चाताप करते हैं, वह उनके अपराध भुलाकर उन्हें नए सिरे से अपनी सेवा करने का मौका देता है और इस तरह उन्हें शुद्ध करता है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यहोवा से माफी पाने के बाद एक इंसान इस कदर शुद्ध हो जाता है कि वह परिपूर्ण बन जाता है, उसमें कोई पाप नहीं रहता। वह अब भी अपरिपूर्ण ही रहता है। लेकिन यहोवा जिस तरह इंसानों को शुद्ध करता है, उससे हम कुछ बातें सीख सकते हैं। हमें भी दूसरों के अपराध भुलाने की कोशिश करनी चाहिए या एक तरह से कहें तो उनके बारे में अपनी सोच शुद्ध करनी चाहिए। यह हम कैसे कर सकते हैं?
23 सोचिए कि आपको एक पुश्तैनी बर्तन या कोई फूलदान तोहफे में मिलता है। अगर वह गंदा हो जाए या उस पर कोई दाग लग जाए, तो क्या आप उसे फेंक देंगे? बिलकुल नहीं। शायद आप उसे अच्छी तरह साफ करेंगे, उस पर लगे दाग या गंदगी को पूरी तरह मिटाएँगे। फिर जब सूरज की किरणें पड़ने पर वह चमकेगा, तो आप दोबारा उसकी खूबसूरती निहार पाएँगे। कुछ ऐसा ही आप तब कर सकते हैं, जब किसी भाई या बहन ने आपको ठेस पहुँचायी हो और उसके लिए अब भी आपके मन में नफरत या नाराज़गी है। ऐसी भावनाओं को अपने मन से निकालने में मेहनत कीजिए। उसकी गलतियों या कड़वी बातों के बारे में बार-बार मत सोचिए। जब आप इन्हें भुलाने की कोशिश करेंगे, तो एक तरह से आप उसकी गलतियाँ मिटा रहे होंगे, जिसे आपने माफ किया है। फिर आपके मन में उस व्यक्ति के लिए कोई बुरी भावना नहीं होगी या यूँ कहें कि उसके बारे में आपकी सोच शुद्ध हो जाएगी और आप उससे दोबारा दोस्ती कायम कर पाएँगे।
ढूँढ़े अनमोल रत्न
जेरेमायाह पेज 173 पै 10
आप नए करार से फायदा पा सकते हैं
10 यिर्मयाह ने आनेवाले मसीहा को दाविद के वंश का “अंकुर” यानी वारिस कहा। यह उसने बिलकुल ठीक कहा। यिर्मयाह के भविष्यवक्ता के तौर पर सेवा करने के दौरान ही दाविद के खानदान से राजशाही रोक दी गयी थी, लेकिन पूरी तरह खत्म नहीं हुई थी। कुछ समय बाद राजा दाविद के खानदान में यीशु पैदा हुआ। वह इस नाम से भी कहलाया जाता, “यहोवा हमारी नेकी है।” इन शब्दों से पता चलता है कि यहोवा यही चाहता है कि उसके काम हमेशा नेक हों। (यिर्मयाह 23:5, 6 पढ़िए।) जब यहोवा के इकलौते बेटे ने धरती पर तकलीफें झेलीं और उसे मार डाला गया, तब यहोवा ने सबकुछ बरदाश्त किया। दाविद के वारिस यीशु की यह कुरबानी कबूल करके यहोवा ने अपने न्याय की माँग पूरी की। इस कुरबानी की कीमत के आधार पर यहोवा अब लोगों के पाप माफ कर सकता है। (यिर्म. 33:15) इस वजह से कुछ इंसानों को यह मौका मिला कि वे ‘जीवन पाने’ के लिए “नेक ठहराए” जाएँ और पवित्र शक्ति से अभिषिक्त किए जाएँ। इस तरह वे नए करार का भाग बन पाए हैं। एक और बात दिखाती है कि यहोवा नेक काम करता है। वह यह कि जो सीधे-सीधे नए करार का भाग नहीं हैं, वे भी इससे फायदा पा सकते हैं और पाते हैं, जैसा हम आगे देखेंगे।—रोमि. 5:18.
8-14 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | यिर्मयाह 35-38
“एबेद-मेलेक—हिम्मत और कृपा की एक मिसाल”
इंसाइट-2 पेज 1228 पै 3
सिदकियाह
सिदकियाह बहुत कमज़ोर शासक था। यह हमें कैसे पता चलता है? एक बार हाकिमों ने यिर्मयाह पर इलज़ाम लगाया कि वह घेराबंदी किए गए लोगों की हिम्मत तोड़ रहा है। उन्होंने सिदकियाह से कहा कि यिर्मयाह को जान से मार डाला जाए। इस पर राजा सिदकियाह ने कहा, “देखो! वह तुम्हारे हाथ में है, तुम उसके साथ जो चाहे करो। राजा तुम्हें रोक नहीं सकता।” लेकिन फिर राजा ने एबेद-मेलेक की गुज़ारिश पर यिर्मयाह को बचाने की इजाज़त दी और कहा कि इसके लिए वह 30 आदमियों की मदद ले सकता है। बाद में सिदकियाह ने अकेले में यिर्मयाह से बात की। उसने यिर्मयाह को यकीन दिलाया कि वह उसे नहीं मारेगा और न ही उन आदमियों के हवाले करेगा, जो उसकी जान के पीछे पड़े हैं। यिर्मयाह ने राजा को परमेश्वर की तरफ से सलाह दी कि वह खुद को बैबिलोन के हाकिमों के हवाले कर दे। लेकिन सिदकियाह को डर था कि कहीं वे यहूदी उससे बदला न लें, जो कसदियों के पास चले गए हैं। इस वजह से उसने यिर्मयाह की सलाह नहीं मानी। लेकिन इस दौरान फिर से यह पता चलता है कि सिदकियाह इंसानों से डरता था। उसने यिर्मयाह से कहा कि अगर हाकिम उससे राजा से हुई बातचीत के बारे में पूछें, तो वह उन्हें न बताए।—यिर्म 38:1-28.
प्र12 5/1 पेज 31 पै 2-3, अँग्रेज़ी
वह उन लोगों को इनाम देता है जो उसकी सेवा करते हैं
एबेद-मेलेक कौन था? वह राजा सिदकियाह के दरबार का एक अधिकारी था। वह भविष्यवक्ता यिर्मयाह के ज़माने का था। यिर्मयाह परमेश्वर की तरफ से विश्वासघाती यहूदियों को संदेश दे रहा था कि उनका नाश होनेवाला है। हालाँकि एबेद-मेलेक के ज़माने के हाकिम परमेश्वर से नहीं डरते थे, लेकिन एबेद-मेलेक परमेश्वर का डर मानता था और यिर्मयाह की बहुत इज़्ज़त करता था। फिर एक वक्त ऐसा आया जब उसे अपने कामों से ये गुण दर्शाने थे। यहूदा के दुष्ट हाकिमों ने यिर्मयाह को देशद्रोह के इलज़ाम में कीचड़ से भरे कुंड में फिंकवा दिया कि वह वहाँ मर जाए। (यिर्मयाह 38:4-6) अब एबेद-मेलेक क्या करता?
एबेद-मेलेक ने हिम्मत से काम लिया और फौरन कदम उठाया। वह इस बात से नहीं डरा कि हाकिम उससे बदला ले सकते हैं। उसने लोगों के सामने राजा सिदकियाह से बात की और कहा कि यिर्मयाह के साथ अन्याय हुआ है। शायद उसने यिर्मयाह पर ज़ुल्म करनेवालों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इन “आदमियों ने भविष्यवक्ता यिर्मयाह के साथ बहुत बुरा किया।” (यिर्मयाह 38:9) एबेद-मेलेक की बात राजा ने सुनी। राजा के कहने पर वह 30 आदमियों को साथ लेकर गया और उसने यिर्मयाह को बचाया।
प्र12 5/1 पेज 31 पै 4, अँग्रेज़ी
वह उन लोगों को इनाम देता है जो उसकी सेवा करते हैं
एबेद-मेलेक में एक और मनभावना गुण था, कृपा। बाइबल कहती है कि उसने “कुछ फटे-पुराने कपड़े और चिथड़े लिए। फिर उन्हें रस्से से . . . यिर्मयाह के पास नीचे उतार दिए।” उसने फटे-पुराने कपड़े और चिथड़े क्यों लिए? वह इसलिए कि जब यिर्मयाह को कुंड से ऊपर खींचा जाता, तो वह उन्हें अपनी बगलों के नीचे रख सकता था, ताकि उसे चोट न लगे।—यिर्मयाह 38:11-13.
ढूँढ़े अनमोल रत्न
इंसाइट-2 पेज 759
रेकाबी
रेकाबियों के दिल में अपने पुरखे के लिए इज़्ज़त थी और उन्होंने हमेशा उसकी आज्ञा मानी, फिर चाहे कैसे भी हालात हों। इस बात से यहोवा खुश था। उनका यह रवैया उन यहूदियों से एकदम अलग था, जो अपने सृष्टिकर्ता की बिलकुल नहीं सुनते थे। (यिर्म 35:12-16) परमेश्वर ने रेकाबियों को यह आशीष दी, “ऐसा कभी नहीं होगा कि रेकाब के बेटे यहोनादाब के वंशजों में से कोई मेरी सेवा के लिए मेरे सामने हाज़िर न हो।”—यिर्म 35:19.
15-21 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | यिर्मयाह 39-43
“यहोवा हरेक को उसके काम के मुताबिक फल देगा”
इंसाइट-2 पेज 1228 पै 4
सिदकियाह
यरूशलेम का नाश। आखिरकार (ईसा पूर्व 607 में) ‘सिदकियाह के राज के 11वें साल के चौथे महीने के नौवें दिन’ यरूशलेम पर धावा बोल दिया गया। उसी रात सिदकियाह और उसके सैनिक भाग खड़े हुए। यरीहो के रेगिस्तानी मैदान में सिदकियाह को पकड़ लिया गया और उसे रिबला में नबूकदनेस्सर के पास ले जाया गया। सिदकियाह की आँखों के सामने उसके बेटों को मार डाला गया। उस वक्त सिदकियाह की उम्र करीब 32 साल थी, तो ज़ाहिर है कि उसके बेटे छोटे ही होंगे। उसके बेटों की मौत के बाद उसकी आँखें फोड़ दी गयीं और उसे ताँबे की बेड़ियों में जकड़कर बैबिलोन ले जाया गया। वह अपनी मौत तक कैद में रहा।—2रा 25:2-7; यिर्म 39:2-7; 44:30; 52:6-11; यिर्म 24:8-10 और यहे 12:11-16; 21:25-27 से तुलना कीजिए।
प्र12 5/1 पेज 31 पै 5, अँग्रेज़ी
वह उन लोगों को इनाम देता है जो उसकी सेवा करते हैं
एबेद-मेलेक ने जो किया, उस पर यहोवा ने ध्यान दिया। क्या यहोवा एबेद-मेलेक से खुश था? यिर्मयाह के ज़रिए यहोवा ने एबेद-मेलेक को बताया कि जल्द ही यहूदा का नाश होनेवाला है। फिर यहोवा ने एबेद-मेलेक से पक्का वादा किया कि वह उसका उद्धार करेगा। इस बारे में एक विद्वान कहता है कि यहोवा ने उसे “पाँच बार उद्धार की गारंटी दी।” यहोवा ने उससे कहा, “तुझे मैं . . . बचाऊँगा। तू उन लोगों के हाथ में नहीं किया जाएगा . . . मैं ज़रूर तेरी हिफाज़त करूँगा, तू तलवार से नहीं मारा जाएगा। तेरी जान सलामत रहेगी।” यहोवा ने एबेद-मेलेक को बचाने का वादा क्यों किया? यहोवा ने उससे कहा, “क्योंकि तूने मुझ पर भरोसा किया है।” (यिर्मयाह 39:16-18) यहोवा जानता था कि एबेद-मेलेक ने सिर्फ इसलिए यिर्मयाह को नहीं बचाया कि उसे उसकी चिंता थी, बल्कि इसलिए भी कि उसे परमेश्वर पर पूरा भरोसा और विश्वास था।
इंसाइट-2 पेज 482
नबूजरदान
नबूकदनेस्सर से आदेश मिलने पर नबूजरदान ने यिर्मयाह को रिहा कर दिया और उससे अच्छे से बात की। उसने यिर्मयाह से कहा कि वह जहाँ चाहे वहाँ रह सकता है। यहाँ तक कि वह यिर्मयाह की देखभाल करने के लिए भी तैयार था। उसने यिर्मयाह को ज़रूरत की कुछ चीज़ें भी दीं। नबूजरदान ने ही बैबिलोन के राजा की तरफ से कहा था कि गदल्याह को यरूशलेम में बचे हुए यहूदियों पर अधिकारी ठहराया गया है। (2रा 25:22; यिर्म 39:11-14; 40:1-7; 41:10) करीब पाँच साल बाद यानी ईसा पूर्व 602 में नबूजरदान उन यहूदियों को बँधुआई में ले गया, जो आस-पास के इलाकों में भाग गए थे।—यिर्म 52:30.
ढूँढ़े अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 463 पै 4
इतिहास की घटनाएँ
सिदकियाह के राज के 9वें साल (ईसा पूर्व 609) में यरूशलेम की आखिरी घेराबंदी की गयी और उसके राज के 11वें साल (ईसा पूर्व 607) में यरूशलेम का नाश हुआ। यह (ईसा पूर्व 625 में नबूकदनेस्सर के शासन की शुरूआत से गिनने पर) नबूकदनेस्सर के शासन का 19वाँ साल था। (2रा 25:1-8) उसी साल के पाँचवें महीने आब में (जुलाई-अगस्त के आस-पास) यरूशलेम शहर में आग लगा दी गयी, उसकी दीवारें गिरा दी गयीं और ज़्यादातर लोगों को बँधुआई में ले जाया गया। लेकिन ‘कुछ ऐसे लोगों को जो बहुत गरीब थे,’ वहीं छोड़ दिया गया। कुछ समय बाद जब नबूकदनेस्सर के ज़रिए चुने गए अधिकारी गदल्याह को मार डाला गया, तो वे मिस्र भाग गए और यहूदा पूरी तरह उजाड़ हो गया। (2रा 25:9-12, 22-26) यह सातवें महीने एतानीम या तिशरी में (सितंबर-अक्टूबर के आस-पास) हुआ। इसका मतलब है कि यरूशलेम के विनाश के 70 साल की शुरूआत ईसा पूर्व 607 में 1 अक्टूबर से हुई होगी और ईसा पूर्व 537 में खत्म हुई। ईसा पूर्व 537 के 7वें महीने में कुछ यहूदी वापस यहूदा आए यानी यहूदा के पूरी तरह उजाड़ होने के ठीक 70 साल बाद।—2इत 36:21-23; एज 3:1.
22-28 मई
पाएँ बाइबल का खज़ाना | यिर्मयाह 44-48
“‘बड़ी-बड़ी चीज़ों की ख्वाहिश करना’ बंद कीजिए”
जेरेमायाह पेज 104-105 पै 4-6
“बड़ी-बड़ी चीज़ों की ख्वाहिश” मत कीजिए
4 हो सकता है कि बारूक बड़ा नाम और शोहरत पाना चाहता हो। वह यिर्मयाह की कही बातें खर्रे पर लिखा करता था, पर ऐसा लगता है कि उसका ओहदा यिर्मयाह के निजी सचिव से कहीं बढ़कर था। खोजकर्ताओं के मुताबिक शायद बारूक का राज-दरबार में काफी ऊँचा ओहदा था। जैसे बारूक को “सचिव” का ओहदा दिया गया है, वही ओहदा एलीशामा को दिया गया था, जो यहूदा के हाकिमों में गिना जाता था। (यिर्मयाह 36:32) इससे पता चलता है कि बारूक एलीशामा का सहकर्मी था और इस नाते वह भी “राजमहल में राज-सचिव के कमरे में” जाता होगा। (यिर्म 36:11, 12, 14) इसका मतलब है कि बारूक राज-घराने का ऐसा अधिकारी होगा, जो काफी पढ़ा-लिखा था। उसके भाई सरायाह का भी काफी ऊँचा ओहदा था। वह राजा सिदकियाह का निजी प्रबंधक था। वह राजा के साथ एक खास काम के लिए बैबिलोन भी गया था। (यिर्मयाह 51:59 पढ़िए।) राजा का निजी प्रबंधक होने के नाते सरायाह सफर के दौरान राजा के खाने-पीने और ठहरने का बंदोबस्त करता होगा।
5 सोचिए कि बारूक का इतना ऊँचा ओहदा था, लेकिन उसे यहूदा के खिलाफ एक-के-बाद-एक संदेश लिखने थे। इस वजह से शायद वह इस काम से ऊबने लगा हो। परमेश्वर के भविष्यवक्ता का इस तरह साथ देने से बारूक राज-दरबार में अपने पद से भी हाथ धो बैठ सकता था। सोचिए कि जब यहोवा उस देश का नाश करता, जिसे उसने बनाया था, जैसा यिर्मयाह 45:4 में लिखा है, तो इसके क्या अंजाम होते। बारूक जिन “बड़ी-बड़ी चीज़ों” की ख्वाहिश कर रहा था, उनका मतलब चाहे राज-दरबार में और इज़्ज़त पाना हो या फिर पैसा, सब बेकार हो जाता। अगर बारूक यहूदा में अच्छा ओहदा पाने की सोच रहा था, जिस देश का बस नाश ही होनेवाला था, तो यहोवा ने उसकी सोच सुधारकर ठीक ही किया।
6 हो सकता है, बारूक जिन “बड़ी-बड़ी चीज़ों” की ख्वाहिश कर रहा था, उसमें धन-दौलत शामिल हो। यहूदा के आस-पास के देश धन-दौलत और ऐशो-आराम की चीज़ों को बहुत अहमियत देते थे। मोआब को अपने “कामों और खज़ानों” पर भरोसा था। अम्मोन देश के बारे में भी यही कहा जा सकता है। यहोवा ने यिर्मयाह के ज़रिए बैबिलोन के बारे में लिखवाया था कि उसके पास “ढेर सारा खज़ाना है।” (यिर्म 48:1, 7; 49:1, 4; 51:1, 13) लेकिन असल में परमेश्वर ने इन सब देशों की निंदा की।
जेरेमायाह पेज 103 पै 2
“बड़ी-बड़ी चीज़ों की ख्वाहिश” मत कीजिए
2 बारूक ने कहा, “हाय! मेरे साथ यह क्या हुआ। यहोवा ने मेरा दर्द बढ़ा दिया है! मैं कराहते-कराहते पस्त हो गया हूँ।” हो सकता है कि आपने भी कभी हिम्मत हारकर कुछ ऐसा ही कहा हो या सोचा हो। यह बात बारूक ने चाहे कही हो या बस उसके मन में आयी हो, यहोवा उसकी सुन रहा था। दिलों को जाँचनेवाला यहोवा जानता था कि बारूक क्यों दुखी है और यिर्मयाह के ज़रिए उसने प्यार से बारूक की सोच सुधारी। (यिर्मयाह 45:1-5 पढ़िए।) लेकिन आप शायद सोचें कि बारूक इतना पस्त क्यों हो गया था। क्या उसे जो ज़िम्मेदारी मिली थी, उसकी वजह से? या जिस माहौल में उसे वह ज़िम्मेदारी निभानी थी, उस वजह से? वजह चाहे जो भी हो, उसके दिल में जो था, उसे वह रोक नहीं पाया, वह “बड़ी-बड़ी चीज़ों की ख्वाहिश” करने लगा। वे चीज़ें क्या थीं? अगर वह यहोवा की सलाह मानता, तो उसे क्या आशीष मिलती? हम बारूक से क्या सीख सकते हैं?
ढूँढ़े अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 430
कमोश
भविष्यवक्ता यिर्मयाह ने मोआब के नाश के बारे में बताया और कहा कि उनका मुख्य देवता कमोश और उसके पुजारी और हाकिम बँधुआई में ले जाए जाएँगे। मोआब के लोगों को अपने देवता की वजह से शर्मिंदा होना पड़ेगा, क्योंकि वह उनकी कोई मदद नहीं कर पाएगा। उसी तरह जैसे दस-गोत्रवाले राज्य के इसराएलियों को बेतेल की वजह से शर्मिंदा होना पड़ा था, शायद इसलिए कि वहाँ बछड़े की पूजा की जाती थी।—यिर्म 48:7, 13, 46.
इंसाइट-2 पेज 422 पै 2
मोआब
मोआब के बारे में की गयी भविष्यवाणियाँ जिस तरह पूरी हुईं, उसे कोई झुठला नहीं सकता। मोआब के लोगों का वजूद सदियों पहले ही खत्म हो गया। (यिर्म 48:42) पुराने ज़माने के मोआबी शहर नबो, हेशबोन, अरोएर, बेत-गामूल और बेत-मोन आज बस खंडहर ही रह गए हैं। मोआब के कई इलाकों का तो नामो-निशान ही मिट गया है।
29 मई–4 जून
पाएँ बाइबल का खज़ाना | यिर्मयाह 49-50
“यहोवा नम्र लोगों को आशीष देता है और घमंडियों को सज़ा”
इंसाइट-1 पेज 54
दुश्मन
जब परमेश्वर के लोग उसके साथ विश्वासघात करते, तो उनके दुश्मन उन्हें लूटते और युद्ध में हरा देते, क्योंकि यहोवा उन्हें ऐसा करने देता। (भज 89:42; विल 1:5, 7, 10, 17; 2:17; 4:12) लेकिन दुश्मनों को लगता था कि वे अपने बल-बूते जीत हासिल कर रहे हैं और वे अपने देवताओं की बड़ाई करते। उन्हें लगता कि यहोवा के लोगों के साथ वे जो कर रहे हैं, उसके लिए उन्हें किसी को कोई जवाब नहीं देना होगा। (व्य 32:27; यिर्म 50:7) इस वजह से यहोवा ने इन घमंडी और मगरूर दुश्मनों को सबक सिखाया। (यश 1:24; 26:11; 59:18; नहू 1:2) उसने यह अपने पवित्र नाम की खातिर किया।—यश 64:2; यहे 36:21-24.
जेरेमायाह पेज 161 पै 15
“यहोवा ने जैसा करने की ठानी थी वैसा ही किया”
15 यिर्मयाह ने बैबिलोन के नाश के बारे में भी भविष्यवाणी की, जिसने मिस्र पर जीत हासिल की थी। बैबिलोन का अचानक नाश हो जाएगा, इस बारे में उसने करीब 100 साल पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। परमेश्वर के भविष्यवक्ता ने बताया कि इसकी नदी की धाराएँ “सूख जाएँगी” और इसके योद्धा युद्ध नहीं करेंगे। (यिर्म 50:38; 51:30) ये भविष्यवाणियाँ उस वक्त शब्द-ब-शब्द पूरी हुईं, जब मादी और फारस की सेनाओं ने फरात नदी के पानी का रुख मोड़ दिया। इससे नदी का पानी काफी कम हो गया और सेनाएँ शहर में घुस आयीं और बैबिलोन के लोगों पर अचानक हमला बोल दिया। इसके अलावा यह भी गौर करनेवाली बात है कि यिर्मयाह ने कहा था कि यह शहर उजाड़ पड़ा रहेगा। (यिर्म 50:39; 51:26) आज भी बैबिलोन उजाड़ पड़ा है, जो एक वक्त पर ताकतवर हुकूमत था। यह इस बात का सबूत है कि परमेश्वर की भविष्यवाणी हमेशा सच होती है।
ढूँढ़े अनमोल रत्न
इंसाइट-1 पेज 94 पै 6
अम्मोनी
तिगलत-पिलेसेर तृतीय और उसके बाद उसकी राजगद्दी पर बैठनेवाला एक राजा इसराएल के उत्तरी राज्य के लोगों को बंदी बना ले गए। (2रा 15:29; 17:6) शायद इसके बाद अम्मोनी लोग गाद गोत्र के इलाके पर कब्ज़ा करने लगे। यह वही इलाका था, जिसके लिए पहले उन्होंने यिप्तह से युद्ध किया था, मगर वे हार गए थे। (भज 83:4-8 से तुलना कीजिए।) अम्मोनियों ने गाद गोत्र की विरासत हड़प ली थी, इसलिए यहोवा ने यिर्मयाह के ज़रिए उन्हें फटकार लगायी और कहा कि उनका और उनके देवता मलकाम (मिल्कम) का नाश कर दिया जाएगा। (यिर्म 49:1-5) फिर भी अम्मोनियों ने सीनाजोरी दिखायी। जब यहूदा राज्य का नाश करीब था और उसका राजा यहोयाकीम था, उस वक्त अम्मोनियों ने यहूदा राज्य को सताने के लिए अपने लुटेरे-दल भेजे।—2रा 24:2, 3.
जेरेमायाह पेज 163 पै 18
“यहोवा ने जैसा करने की ठानी थी वैसा ही किया”
18 यिर्मयाह की एक और भविष्यवाणी पहली सदी में पूरी हुई। परमेश्वर ने एदोम के बारे में कहा कि यह भी उन राष्ट्रों में से एक होगा, जिन्हें बैबिलोन नाश करेगा। (यिर्म. 25:15-17, 21; 27:1-7) लेकिन उसने सिर्फ उसके नाश होने की बात नहीं की। उसने यह भी कहा कि एदोम का हश्र सदोम और अमोरा की तरह होगा यानी उसका वजूद ही खत्म हो जाएगा। (यिर्म. 49:7-10, 17, 18) ऐसा ही हुआ। क्या आपने कभी सुना है कि आज एदोमी लोग कहीं रहते हैं? या क्या आपको आज किसी नक्शे में एदोम नाम मिलता है? यह नाम सिर्फ प्राचीन किताबों में और बाइबल के इतिहास में मिलता है या पुराने ज़माने के नक्शों में। इतिहासकार फ्लेवियस जोसीफस ने बताया कि ईसा पूर्व दूसरी सदी में एदोमी लोगों को मजबूरन यहूदी धर्म अपनाना पड़ा। फिर ईसवी सन् 70 में यरूशलेम के नाश के साथ-साथ उनका वजूद खत्म हो गया।