आज का “मन्दिर” और “प्रधान”
“जब वे भीतर जाएं तो प्रधान भी उनके साथ प्रवेश करे, और जब वे निकलें तो वह भी बाहर निकले।”—यहेजकेल ४६:१०, NHT.
१, २. मंदिर के बारे में कौन-सी अहम जानकारी हमें यहेजकेल के दर्शन को काफी हद तक समझने में मदद देती है?
पुराने ज़माने में कुछ यहूदी धर्मगुरू यहेजकेल की किताब को लेकर दुविधा में पड़े थे। [यहूदी परंपराओं की एक किताब] तलमुद के मुताबिक, इनमें से कुछ ने तो यहेजकेल की किताब को बाइबल से निकाल देने तक की सोची। खासकर मंदिर का दर्शन समझाने में उनको इतनी परेशानी हुई कि उन्होंने कह दिया कि इस दर्शन को समझना इंसान के बस की बात नहीं है। बाइबल के दूसरे विद्वान भी यहोवा के मंदिर के बारे में यहेजकेल के दर्शन को लेकर काफी उलझन में रहे हैं। लेकिन हमारे बारे में क्या?
२ हमारे ज़माने में जब से शुद्ध उपासना की शुरूआत हुई है तब से यहोवा ने अपने लोगों को कई आध्यात्मिक बातों की अंदरूनी समझ दी है। वे यह भी समझ पाए हैं कि परमेश्वर का आत्मिक मंदिर क्या है—यह शुद्ध उपासना के लिए यहोवा का इंतज़ाम है।a मंदिर क्या है यह जानकर हम यहेजकेल के दर्शन को काफी हद तक समझ सकते हैं। आइए इस दर्शन के चार पहलुओं पर और अच्छी तरह गौर करें—मंदिर, याजकवर्ग, प्रधान और देश। आज इन सब का क्या मतलब है?
आप के लिए मंदिर की अहमियत
३. मंदिर के प्रवेशद्वारों की ऊँची छत और दीवारों पर की गई नक्काशी से हम क्या सीखते हैं?
३ मान लीजिए कि हम दर्शन के इस मंदिर की सैर कर रहे हैं। सात सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद हम एक बड़े फाटक में प्रवेश करते हैं। इस प्रवेशद्वार के अंदर जाकर जब हमारी नज़र ऊपर उठती है तो हम देखते ही रह जाते हैं। इसकी छत ३० मीटर से भी ज़्यादा ऊँची है! इसके ज़रिए हमें याद दिलाया जाता है कि यहोवा की उपासना के इंतज़ाम में शामिल होनेवालों से ऊँचे उसूलों पर चलने की माँग की जाती है। दीवारों पर खजूर के पेड़ों की नक्काशी बनी हुई है और खिड़कियों से आ रही रोशनी उन पर पड़ रही है। बाइबल में सीधाई के गुण को दर्शाने के लिए खजूर के पेड़ की मिसाल इस्तेमाल की गई है। (भजन ९२:१२; यहेजकेल ४०:१४, १६, २२) यह पवित्र स्थान उनके लिए है जो अपने आचरण में और आध्यात्मिक रूप से सीधे हैं। इसलिए हम भी चाहते हैं कि हमेशा धार्मिकता की राह पर सीधी चाल चलें ताकि हमारी उपासना यहोवा को पसंद आए।—भजन ११:७.
४. किन लोगों को मंदिर में नहीं आने दिया जाता है और इससे हमें क्या सबक मिलता है?
४ गलियारे के दोनों तरफ पहरेदारों के लिए तीन-तीन कोठरियाँ हैं। क्या पहरेदार हमें मंदिर के अंदर जाने देंगे? यहोवा यहेजकेल से कहता है कि कोई परदेशी जो ‘मन का खतनाहीन’ है, प्रवेश नहीं कर सकता। (यहेजकेल ४०:१०; ४४:९) इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है कि परमेश्वर सिर्फ उन लोगों की उपासना पसंद करता है जो उसके नियमों को दिल से चाहते हैं और उनके मुताबिक जीते हैं। (यिर्मयाह ४:४; रोमियों २:२९) वह अपने आत्मिक तंबू में यानी अपने उपासना के भवन में ऐसे ही लोगों को आने देता है। (भजन १५:१-५) सन् १९१९ में जब शुद्ध उपासना दोबारा शुरू हुई, तब से इस पृथ्वी पर यहोवा का संगठन उसके आचार नियमों पर अटल रहा है और दिन-ब-दिन इन नियमों को ज़्यादा अच्छी तरह समझाता रहा है। जो लोग जानबूझकर इन नियमों के खिलाफ जाते हैं उनके लिए परमेश्वर के लोगों के बीच कोई जगह नहीं रहती। बाइबल के आधार पर आज पश्चाताप किए बिना पाप करते रहनेवालों का कलीसिया से बहिष्कार कर दिया जाता है और इसी वज़ह से हमारी उपासना शुद्ध और पवित्र रह पाई है।—१ कुरिन्थियों ५:१३.
५. (क) यहेजकेल के दर्शन और प्रकाशितवाक्य ७:९-१५ में दिए गए यूहन्ना के दर्शन की कौन-सी बातें मिलती-जुलती हैं? (ख) यहेजकेल के दर्शन में बाहरी आंगन में उपासना करनेवाले १२ गोत्र किन लोगों को चित्रित करते हैं?
५ गलियारा आगे जाकर बाहरी आंगन में खुलता है, जहाँ लोग यहोवा की उपासना और स्तुति करते हैं। यह हमें प्रेरित यूहन्ना के दर्शन की याद दिलाता है जिसमें एक “बड़ी भीड़,” “मन्दिर में दिन रात” यहोवा की उपासना करती है। दोनों ही दर्शनों में खजूर के पेड़ दिखाई देते हैं। यहेजकेल के दर्शन में वे प्रवेशद्वार की दीवारों की शोभा बढ़ाते हैं। और यूहन्ना के दर्शन में यहोवा की उपासना करनेवालों के हाथों में खजूर की डालियाँ हैं, जो दिखाता है कि यहोवा की स्तुति करने और अपने राजा यीशु का स्वागत करने में उन्हें खुशी मिलती है। (प्रकाशितवाक्य ७:९-१५) यहेजकेल के दर्शन में इस्राएल के १२ गोत्र ‘अन्य भेड़ों’ को चित्रित करते हैं। (यूहन्ना १०:१६, NW; लूका २२:२८-३० से तुलना कीजिए।) क्या आप भी उन लोगों में शामिल हैं जो यहोवा के राज्य का ऐलान करते हुए उसकी स्तुति करने में खुशी पाते हैं?
६. बाहरी आंगन की कोठरियों में क्या किया जाता था और यह बात अन्य भेड़ के लोगों को उनके किस सम्मान की याद दिलाती है?
६ बाहरी आंगन की सैर करते वक्त, हम ३० कोठरियाँ देखते हैं जिनमें लोग उन चीज़ों में से भोजन करते हैं जिन्हें वे अपनी स्वेच्छा से बलिदान चढ़ाते हैं। (यहेजकेल ४०:१७) आज, अन्य भेड़ के लोग पशुओं की बलि तो नहीं चढ़ाते। लेकिन, वे आत्मिक मंदिर में खाली हाथ नहीं आते। (निर्गमन २३:१५ से तुलना कीजिए।) प्रेरित पौलुस ने लिखा: “हम [यीशु के] द्वारा स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें। पर भलाई करना, और उदारता न भूलो; क्योंकि परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है।” (इब्रानियों १३:१५, १६; होशे १४:२) यहोवा को ऐसे बलिदान चढ़ाना हमारे लिए बहुत बड़ा सम्मान है।—नीतिवचन ३:९, २७.
७. मंदिर को नापना हमें किस बात का यकीन दिलाता है?
७ यहेजकेल के सामने एक स्वर्गदूत इस दर्शन के मंदिर को नापता है। (यहेजकेल ४०:३) उसी तरह, प्रेरित यूहन्ना से कहा गया: “उठ, परमेश्वर के मन्दिर और वेदी, और उस में भजन करनेवालों को नाप ले।” (प्रकाशितवाक्य ११:१) इस तरह नापने का मतलब क्या है? दोनों दर्शनों में इसका मतलब यही है कि चाहे जो भी हो जाए, यहोवा इस बात की गारंटी देता है कि वह शुद्ध उपासना के लिए अपने मकसद को हर हाल में पूरा करेगा। उसी तरह आज, हम यकीन रख सकते हैं कि चाहे जो हो जाए, चाहे इस दुनिया की बड़ी-बड़ी सरकारें ही क्यों न हमें सताएँ फिर भी सच्चे परमेश्वर की उपासना बुलंद होकर ही रहेगी।
८. सिर्फ कौन लोग फाटकों से होते हुए भीतरी आंगन में जा सकते हैं और ये फाटक हमें किस बात की याद दिलाते हैं?
८ जब हम बाहरी आंगन को पार करते हैं, तो हम देखते हैं कि तीन फाटक भीतरी आंगन की ओर खुलते हैं; भीतरी फाटक बाहरी फाटकों की सीध में हैं और उसी आकार के हैं। (यहेजकेल ४०:६, २०, २३, २४, २७) भीतरी आंगन के फाटकों से सिर्फ याजक प्रवेश कर सकते हैं। भीतरी फाटक हमें याद दिलाते हैं कि अभिषिक्त जनों के लिए परमेश्वर के मापदंडों और नियमों की कसौटी पर खरा उतरना ज़रूरी है। लेकिन यही मापदंड और नियम सभी सच्चे मसीहियों पर भी लागू होते हैं। पर याजक वहाँ क्या काम करते हैं और आज इसका क्या मतलब है?
वफादार याजकवर्ग
९, १०. यहेजकेल के दर्शन के याजकवर्ग द्वारा चित्रित, आज के ‘राज-पदधारी, याजकों के समाज’ ने कैसे आध्यात्मिक शिक्षा दी है?
९ मसीह से पहले के ज़माने में याजक, मंदिर में बहुत मेहनत करते थे। बलि के जानवरों को काटना, उन्हें वेदी पर चढ़ाना, और उसमें से लेकर साथ काम करनेवाले याजकों और लोगों को देना बेहद थकाऊ काम था। इसके अलावा उन्हें दूसरे ज़रूरी काम भी करने पड़ते थे। यहोवा ने याजकों के बारे में यह आज्ञा दी थी: “वे मेरी प्रजा को पवित्र अपवित्र का भेद सिखाया करें, और शुद्ध अशुद्ध का अन्तर बताया करें।”—यहेजकेल ४४:२३; मलाकी २:७.
१० ‘राज-पदधारी, याजकों के समाज’ की हैसियत से अभिषिक्त जनों ने शुद्ध उपासना को बढ़ाने में कड़ी मेहनत और दीनता से जो सेवा की है क्या आप उसकी कदर करते हैं? (१ पतरस २:९) पुराने ज़माने के लेवी गोत्र के याजकों की तरह, अभिषिक्त जनों ने आध्यात्मिक शिक्षा देने में बढ़त ली है और लोगों को समझाया है कि परमेश्वर की नज़र में कैसी उपासना शुद्ध है और कैसी नहीं। (मत्ती २४:४५) उन्होंने यह शिक्षा बाइबल को समझानेवाली किताबों, मसीही सभाओं और अधिवेशनों के ज़रिए दी है और इस तरह लाखों लोगों की परमेश्वर से मेल-मिलाप करने में मदद की है।—२ कुरिन्थियों ५:२०.
११. (क) यहेजकेल के दर्शन में किस तरह इस बात पर ज़ोर दिया गया कि याजकों का शुद्ध रहना ज़रूरी है? (ख) इन अंतिम दिनों में अभिषिक्त जन किस तरह आध्यात्मिक मायनों में शुद्ध किए गए हैं?
११ लेकिन, याजकों का काम बस इतना नहीं कि दूसरों को शुद्ध रहना सिखाएँ; उन्हें खुद भी शुद्ध रहना है। इसलिए यहेजकेल ने दर्शन में देखा कि इस्राएल के याजकवर्ग को शुद्ध किया जाएगा। (यहेजकेल ४४:१०-१६) उसी तरह, इतिहास गवाह है कि १९१८ में, यहोवा अपने आत्मिक मंदिर में आया और ‘शुद्ध करनेवाले’ की हैसियत से उसने अभिषिक्त याजकवर्ग की जाँच-परख की। (मलाकी ३:१-५) जो आध्यात्मिक रूप से शुद्ध निकले या जिन्होंने मूर्तिपूजा से नाता तोड़कर पश्चाताप किया, उन्हें यहोवा के आत्मिक मंदिर में अपनी सेवा जारी रखने का सम्मान मिला। फिर भी, दूसरों की तरह कोई भी अभिषिक्त मसीही आध्यात्मिक रूप से या अपने आचरण से अशुद्ध हो सकता है। (यहेजकेल ४४:२२, २५-२७) अपने आपको “संसार से निष्कलंक” बनाए रखने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी है।—याकूब १:२७; मरकुस ७:२०-२३ से तुलना कीजिए।
१२. हमें अभिषिक्त जनों के काम की कदर क्यों करनी चाहिए?
१२ हममें से हर कोई खुद से यह सवाल पूछ सकता है, ‘क्या मैं अभिषिक्त जनों द्वारा रखी गई अच्छी मिसाल की कदर करता हूँ, जो सालों से वफादार रहकर सेवा कर रहे हैं? क्या उनके जैसा विश्वास मैं भी दिखा रहा हूँ?’ बड़ी भीड़ के लोगों के लिए यह याद रखना अच्छा होगा कि अभिषिक्त जन उनके साथ यहाँ पृथ्वी पर हमेशा तक नहीं रहेंगे। यहेजकेल के दर्शन के याजकों के बारे में यहोवा ने कहा: “तुम उन्हें इस्राएल के बीच कुछ ऐसी भूमि न देना जो उनकी निज हो; उनकी निज भूमि मैं ही हूं।” (यहेजकेल ४४:२८) उसी तरह, अभिषिक्त जनों को अनंत जीवन पृथ्वी पर नहीं मिलेगा। उनकी जगह स्वर्ग में है और जब तक वे पृथ्वी पर हैं तब तक उनकी मदद करने और उनका हौसला बढ़ाने में बड़ी भीड़ के लोगों को खुशी मिलती है और वे इसे एक आशीष मानते हैं।—मत्ती २५:३४-४०; १ पतरस १:३, ४.
प्रधान—वह कौन है?
१३, १४. (क) यह क्यों ज़रूरी है कि प्रधान अन्य भेड़ों में से ही हो? (ख) प्रधान किसे चित्रित करता है?
१३ अब एक दिलचस्प सवाल उठता है। प्रधान किसे चित्रित करता है? क्योंकि दर्शन में एक प्रधान और प्रधानों के समूह दोनों ही से बातें की गई हैं इसलिए हम यह कह सकते हैं वह पुरुषों के एक वर्ग को सूचित करता है। (यहेजकेल ४४:३; ४५:८, ९) लेकिन किस वर्ग को? बेशक, अभिषिक्त वर्ग को तो नहीं। दर्शन में प्रधान, याजकवर्ग के साथ-साथ काम करता है मगर वह खुद याजक नहीं है। याजकवर्ग को निज भूमि नहीं मिलती जबकि प्रधान को मिलती है जिसका मतलब है कि भविष्य में वह पृथ्वी पर रहेगा, स्वर्ग में नहीं। (यहेजकेल ४८:२१) इसके अलावा, यहेजकेल ४६:१० (NHT) कहता है: “जब वे [यानी, इस्राएल के गैर-याजकीय गोत्र मंदिर के बाहरी आंगन के] भीतर जाएं तो प्रधान भी उनके साथ प्रवेश करे, और जब वे निकलें तो वह भी बाहर निकले।” वह भीतरी आँगन में तो प्रवेश नहीं करता लेकिन बाहरी आँगन में उपासना करता है और लोगों के साथ मंदिर में आता-जाता है। इन बातों से साफ पता चलता है कि यह प्रधान अन्य भेड़ों की बड़ी भीड़ का ही एक हिस्सा है।
१४ ज़ाहिर है कि परमेश्वर के लोगों के बीच इस प्रधान की कुछ ज़िम्मेदारियाँ हैं। वह मंदिर के बाहरी आँगन में, पूर्वी फाटक के ओसारे में बैठता है। (यहेजकेल ४४:२, ३) यह निगरानी के पद को सूचित करता है। इस्राएल के पुरनियों का भी ऐसा ही पद होता था, वे नगर के फाटक के पास बैठकर न्याय किया करते थे। (रूत ४:१-१२; नीतिवचन २२:२२) आज अन्य भेड़ों के बीच निगरानी का काम किसे दिया गया है? उन प्राचीनों को जिन्हें इस पृथ्वी पर अनंत जीवन पाने की आशा है और जिन्हें पवित्र आत्मा द्वारा अध्यक्ष ठहराया गया है। (प्रेरितों २०:२८) इसलिए आज इस प्रधान वर्ग को तैयार किया जा रहा है ताकि आगे चलकर वे नई दुनिया में प्रशासन के पद पर सेवा कर सकें।
१५. (क) अभिषिक्त याजकवर्ग का बड़ी भीड़ के प्राचीनों के साथ कैसा रिश्ता है यह समझने में यहेजकेल का दर्शन किस तरह मदद करता है? (ख) अभिषिक्त प्राचीनों ने पृथ्वी पर परमेश्वर के संगठन में किस तरह अगुवाई की है?
१५ लेकिन आज, अभिषिक्त याजकवर्ग का बड़ी भीड़ के उन प्राचीनों के साथ क्या रिश्ता है जो अभी निगरानी के पदों पर सेवा कर रहे हैं? यहेजकेल के दर्शन से पता चलता है कि अभिषिक्त जन आध्यात्मिक बातों में अगुवाई करते हैं, जबकि बड़ी भीड़ के प्राचीन उनकी मदद करते हैं और उनके अधीन रहकर काम करते हैं। वह कैसे? आपको याद होगा, दर्शन में याजकों को यह ज़िम्मेदारी दी गयी थी कि लोगों को आध्यात्मिक बातें सिखाएँ। उन्हें मुकद्दमों में न्याय करने के लिए भी कहा गया था। साथ ही, लेवियों को मंदिर के फाटकों पर “निगरानी के पद” दिए गए थे। (यहेजकेल ४४:११, NW; २३, २४) इसका मतलब है याजक अगुवाई करते हैं और प्रधान को आध्यात्मिक बातों में उनके अधीन होना था। इसीलिए आज हमारे समय में भी अभिषिक्त जन ही शुद्ध उपासना में अगुवाई करते हैं। मिसाल के तौर पर, यहोवा के साक्षियों के शासी निकाय के सदस्य अभिषिक्त जनों में से चुने गये हैं। ऐसे वफादार अभिषिक्त प्राचीन, दिनोंदिन बढ़ रहे प्रधान वर्ग को सालों से लगातार ट्रेनिंग देते आ रहे हैं। इस तरह वे भविष्य में प्रधान वर्ग के सदस्य बननेवालों को उस दिन के लिए तैयार कर रहे हैं जब उन्हें परमेश्वर की नई दुनिया में बहुत ज़्यादा अधिकार और ज़िम्मेदारी सौंपी जाएगी।
१६. यशायाह ३२:१, २ के मुताबिक सभी प्राचीनों को क्या करना चाहिए?
१६ भविष्य में प्रधान वर्ग में शामिल होकर ज़्यादा ज़िम्मेदारी पानेवाले ये ओवरसियर किस तरह के इंसान हैं? यशायाह ३२:१, २ (NHT) में दी गयी भविष्यवाणी कहती है: “देखो, एक राजा धार्मिकता से राज्य करेगा, तथा शासक न्यायपूर्वक राज्य करेंगे। उनमें से प्रत्येक मानो आंधी से छिपने तथा तूफान से बचने का स्थान होगा, निर्जल प्रदेश में जल-धाराएं या तप्त भूमि में एक विशाल चट्टान की आड़ होगा।” यह भविष्यवाणी आज पूरी हो रही है। सभी मसीही प्राचीन, चाहे वे अभिषिक्त वर्ग के हों या बड़ी भीड़ के, झुंड को सताहट और निराशा के ‘तूफानों’ से बचाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
१७. मसीही चरवाहों को खुद के बारे में कैसा नज़रिया रखना चाहिए और झुंड को उनके बारे में कैसा नज़रिया रखना चाहिए?
१७ इब्रानी भाषा में “शासक” और “प्रधान” शब्दों का मतलब लगभग एक ही है। इन्हें किसी मनुष्य को ऊँचा दिखाने के लिए उपाधियों की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसके बजाय, ये शब्द उस ज़िम्मेदारी का वर्णन करते हैं जो परमेश्वर की भेड़ों की देखरेख करते वक्त ये पुरूष निभाते हैं। यहोवा कड़ी चेतावनी देता है: “हे इस्राएल के प्रधानो! बस करो, उपद्रव और उत्पात को दूर करो, और न्याय और धर्म के काम किया करो।” (यहेजकेल ४५:९) आज सभी प्राचीनों के लिए इस सलाह को मानना अच्छा होगा। (१ पतरस ५:२, ३) बदले में, झुंड यह मानता है कि यीशु ने इन चरवाहों के रूप में उन्हें ‘मनुष्यों के वरदान’ दिये हैं। (इफिसियों ४:८, न्यू हिंदी बाइबल) परमेश्वर के प्रेरित वचन में बताया गया है कि इन चरवाहों को कौन-सी माँगें पूरी करनी हैं। (१ तीमुथियुस ३:१-७; तीतुस १:५-९) इसलिए सभी मसीही, प्राचीनों की अगुवाई के मुताबिक काम करते हैं।—इब्रानियों १३:७.
१८. आज प्रधानवर्ग कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ निभा रहा है और भविष्य में उसे और कौन-सी ज़िम्मेदारियाँ दी जाएँगी?
१८ बाइबल के ज़माने में कुछ प्रधानों के पास ज़्यादा अधिकार था, दूसरों के पास कम। आज बड़ी भीड़ के प्राचीन भी अलग-अलग तरह की कई ज़िम्मेदारियाँ निभाते हैं। कुछ एक ही कलीसिया में सेवा करते हैं; दूसरे सफरी ओवरसियरों के नाते बहुत-सी कलीसियाओं की सेवा करते हैं; कुछ और ब्रांच कमिटी के सदस्यों के रूप में देश-भर की कलीसियाओं की सेवा करते हैं तो कुछ शासी निकाय की अलग-अलग कमिटियों को सहयोग देते हैं। नई दुनिया में, यीशु “सारी पृथ्वी पर हाकिम” नियुक्त करेगा जो पृथ्वी पर यहोवा के उपासकों की अगुवाई करेंगे। (भजन ४५:१६) बेशक, वह इस काम के लिए आज के वफादार प्राचीनों में से ही बहुतों को चुनेगा। ये पुरुष आज अपनी काबिलीयत ज़ाहिर कर रहे हैं। इसलिए जब यीशु भविष्य में इनमें से कई लोगों को इससे भी बड़ी ज़िम्मेदारियाँ सौंपेगा तो हमें पता चलेगा कि नई दुनिया में यह प्रधान वर्ग क्या काम करेगा।
आज परमेश्वर के लोगों का देश
१९. यहेजकेल के दर्शन में देश किस बात को चित्रित करता है?
१९ यहेजकेल का दर्शन फिर से बसाए गए इस्राएल देश का भी वर्णन करता है। दर्शन का यह हिस्सा किस बात को चित्रित करता है? इस्राएल देश के बसाए जाने के बारे में दूसरी भविष्यवाणियों में भी बताया गया था कि देश, यानी इस्राएल अदन की तरह एक खूबसूरत बगीचा या परादीस बन जाएगा। (यहेजकेल ३६:३४, ३५) आज, हम भी मानो फिर से बसाए गए एक “देश” में जीने का आनंद ले रहे हैं, और यह भी एक तरह का अदन का बगीचा है। इसी को हम अपना आध्यात्मिक परादीस भी कहते हैं। प्रहरीदुर्ग में हमारे इस “देश” को परमेश्वर के चुने हुए लोगों का “कार्यक्षेत्र” कहा गया है।b यहोवा का सेवक चाहे कहीं भी रहे, जब तक वह यीशु मसीह के नक्शे-कदम पर चलकर सच्ची उपासना को बुलंद करने की कोशिश करता रहता है तब तक वह फिर से बसाए गए इस देश का एक निवासी बना रहता है।—१ पतरस २:२१.
२०. यहेजकेल के दर्शन में बताए गए “पवित्र अर्पण” से हम क्या शिक्षा पाते हैं और किस तरह हम इस शिक्षा को लागू कर सकते हैं?
२० ज़मीन के उस भाग के बारे में क्या जिसे “पवित्र अर्पण” कहा गया है? यह लोगों द्वारा अर्पण की गयी ज़मीन थी जो याजकवर्ग और नगर के पालन के लिए दी गई थी। उसी तरह, ‘देश के सब लोगों’ को प्रधान के लिए ज़मीन का एक हिस्सा अर्पण करना था। आज इसका क्या मतलब है? बेशक, इसका यह मतलब नहीं है कि परमेश्वर के लोगों के बीच कोई पादरी वर्ग है जिसे महीना देकर उनका खर्च उठाना चाहिए। (२ थिस्सलुनीकियों ३:८) इसके बजाय, हमारे प्राचीनों को जो मदद दी जाती है वह ज़्यादातर आध्यात्मिक किस्म की होती है। यह मदद है उनके काम में हाथ बँटाना, दिल से उन्हें सहयोग देना और उनके अधीन रहना। लेकिन, जैसे यहेजकेल के दिनों में था वैसे ही आज भी यह योगदान इंसानों को नहीं पर “यहोवा को” ही दिया जा रहा है।—यहेजकेल ४५:१, ७, १६.
२१. यहेजकेल के दर्शन में ज़मीन के बँटवारे से हम क्या सीख सकते हैं?
२१ फिर से बसाए गए देश में सिर्फ प्रधान और याजकवर्ग को ही नियुक्त स्थान नहीं मिलते। ज़मीन का बँटवारा दिखाता है कि १२ गोत्रों में से हर गोत्र को अपनी-अपनी निज भूमि मिलती है। (यहेजकेल ४७:१३, २२, २३) सो बड़ी भीड़ के लोगों को न सिर्फ आज आध्यात्मिक परादीस में जगह मिलती है बल्कि जब वे परमेश्वर के राज्य में पृथ्वी पर जीएँगे तब भी उन्हें अपनी-अपनी निज भूमि मिलेगी।
२२. (क) यहेजकेल के दर्शन का नगर किसे चित्रित करता है? (ख) नगर के चारों तरफ फाटक हैं इससे हम क्या सीख सकते हैं?
२२ अब, दर्शन में बताए गए नगर का मतलब क्या है? यह कोई स्वर्गीय नगर नहीं, क्योंकि यह “साधारण” भाग के बीच में बसा है। (यहेजकेल ४८:१५-१७) इसलिए इसका संबंध पृथ्वी से होना चाहिए। एक नगर क्या होता है? नगर शब्द सुनकर क्या मन में यह विचार नहीं आता कि उसमें बहुत-से लोग बसे हैं और वहाँ कुछ कायदे-कानून होते हैं और एक व्यवस्था होती है? बेशक। इसलिए, पता चलता है कि दर्शन का नगर पृथ्वी के उस शासन-प्रबंध को चित्रित करता है जिससे पृथ्वी पर बसे धर्मी इंसानों के समाज को फायदा पहुँचेगा। यह शासन-प्रबंध आनेवाली “नई पृथ्वी” में पूरे ज़ोरों पर काम करेगा। (२ पतरस ३:१३) नगर के चारों तरफ हर गोत्र के लिए एक-एक फाटक है जो खुलेपन को दिखाते हैं। इसी तरह आज, परमेश्वर के लोग किसी रहस्यपूर्ण और खुफिया शासन-प्रबंध के अधीन नहीं हैं। तो फिर अधिकार के पद पर होनेवाले भाइयों को मिलनसार और खुला होना चाहिए; वे जिन नियमों के मुताबिक चलते हैं वे सब को पता हैं। जिस ज़मीन से नगर के लोगों का पालन-पोषण होता है उस पर खेती करने में सभी गोत्र के लोग हाथ बँटाते हैं। यह बात हमें याद दिलाती है कि अन्य भेड़ें अपनी माल-संपत्ति देकर भी उस शासन-प्रबंध को चलाने में योगदान देती हैं जो पूरी दुनिया में परमेश्वर के लोगों की देखभाल करता है।—यहेजकेल ४८:१९, ३०-३४.
२३. अगले लेख में हम किस बात पर चर्चा करेंगे?
२३ लेकिन, मंदिर के पवित्रस्थान से निकलनेवाली नदी के बारे में क्या? यह नदी आज और भविष्य में किसे चित्रित करती है, यह हमारी चर्चा के तीसरे और आखिरी लेख का विषय होगा।
[फुटनोट]
a वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा छापी गई किताब रॆवलेशन—इट्स ग्रैंड क्लाइमैक्स एट हैंड! का पेज ६४, अनुच्छेद २२ देखिए।
b जुलाई १, १९९५ का प्रहरीदुर्ग, पेज २० देखिए।
ध्यान देने के लिए कुछ मुद्दे
◻ यहेजकेल के दर्शन का मंदिर क्या है?
◻ मंदिर में सेवा करनेवाले याजक किसे चित्रित करते हैं?
◻ प्रधान वर्ग क्या है और उसकी कुछ ज़िम्मेदारियाँ क्या हैं?
◻ यहेजकेल के दर्शन का देश क्या है और यह किस मायने में १२ गोत्रों में बाँटा जाता है?
◻ नगर का मतलब क्या है?
[पेज 15 पर रेखाचित्र/नक्शा]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
यहेजकेल के दर्शन में बताया गया ज़मीन का बँटवारा
बारह गोत्र
महासागर
गलील सागर
यरदन नदी
खारा ताल
दान
आशेर
नप्ताली
मनश्शे
एप्रैम
रूबेन
यहूदा
प्रधान
बिन्यामीन
शिमोन
इस्साकार
जबूलून
गाद
[रेखाचित्र]
पवित्र अर्पण का बड़ा आकार दिखाया गया है
क. “यहोवा वहां है” (यहोवा शाम्मा); ख. नगर का चरागाह
लेवियों का भाग
यहोवा का मंदिर
याजकों का भाग
ख क ख