जब यहोवा ने नरेशों को सबक़ सिखाए
“उसके सब काम सच्चे, और उसके सब व्यवहार न्याय के हैं; और जो लोग घमंड से चलते हैं, उन्हें वह नीचा कर सकता है।”—दानिय्येल ४:३७.
१. एलीहू यहोवा की कौनसी विशेषता की ओर ध्यान केंद्रित करता है?
“देख, ईश्वर अपने सामर्थ्य से बड़े बड़े काम करता है, उसके समान शिक्षक कौन है?” दुःख सह रहे अय्यूब को निर्दिष्ट एलीहू के वे शब्द सृजनहार, यहोवा परमेश्वर, के एक अनुपम विशेषता की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। दूसरों को शिक्षण देने, या सिखाने में उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती।—अय्यूब ३६:२२.
२, ३. (अ) एक सबक़ क्या है जो यहोवा ने मनुष्यों को सिखाना आवश्यक पाया है? (ब) मूसा के समय में वह शासक कौन था जिसको यहोवा को सबक़ सिखाना पड़ा, और किस ज़रिए से? (क) परमेश्वर मनुष्यों को यह सबक़ सिखाने का अपना उद्देश्य अपने वचन में कितनी बार बताता है?
२ जो बातें परमेश्वर को मनुष्यों और जातियों को सिखाना ज़रूरी हुआ है, उन में से एक है, उस से उनका उचित संबंध। यह भजन ९:१९, २० में भजनकार दाऊद के शब्दों से विशिष्ट किया गया है: “उठ, हे यहोवा! मनुष्य शक्ति में प्रबल साबित न होने पाए। जातियों का न्याय तेरे सम्मुख किया जाए। हे यहोवा, उनको भय दिला, कि जातियाँ अपने को मनुष्यमात्र ही जानें।” (न्यू.व.)
३ मूसा के समय का फिरौन पृथ्वी के शासकों में से एक था जिसे यहोवा परमेश्वर ने यह सबक़ सिखाना ज़रूरी पाया। परमेश्वर ने ऐसा उन महामारियों के ज़रिए किया जो उसने मिस्रियों पर भेजे। इसके सिवा, यहोवा ने अहंकारी फिरौन को कहा: “सचमुच, मैं ने इसी कारण तुझे बनाए रखा है, कि तुझे अपना सामर्थ्य दिखाऊँ, और अपना नाम सारी पृथ्वी पर प्रसिद्ध करूँ।” (निर्गमन ९:१६) इसके अतिरिक्त, निर्गमन ६:७ से लेकर योएल ३:१७ तक, ७० से अधिक बार, यहोवा अपने वचन में कहता है कि वह समान प्रबल कार्य करेगा ताकि नरेश, लोग, और जातियाँ जान लें कि वही यहोवा है, जो सारी पृथ्वी के ऊपर परमप्रधान है।
४. दानिय्येल के समय में, यहोवा ने किन तीन शासकों को सिखाया और किस ज़रिए से?
४ दानिय्येल की किताब में ऐसे कई प्रभावशाली उदाहरण हैं जो दिखाते हैं कि यहोवा ने नरेशों को सबक़ किस तरह सिखाए। ये शासक नबूकदनेस्सर, बेलशस्सर, और दारा थे। उसने उन्हें कब सिखाया? संभवतः सामान्य युग पूर्व ६१७ और सा.यु.पू. ५३५ के दौरान। और कैसे? सपनों और उनके अर्थ और उसकी शक्ति के प्रदर्शनों के द्वारा। यहोवा ने इन मानवी शासकों को सिखाया कि वही विश्व के सर्वोच्च सम्राट हैं और वे केवल अदने मानव ही थे—ऐसे सबक़ जो आधुनिक-समय के विश्व शासकों को भी सीखना पड़ेगा।
५. जो लोग दानिय्येल की किताब की अधिप्रामाणिकता पर संदेह करते हैं, उनका खंडन किस प्रमाण से किया जा सकता है?
५ पर क्या अनेक आधुनिक समालोचक दानिय्येल की किताब की अधिप्रामाणिकता पर संदेह उत्पन्न नहीं करते? इन समालोचकों को जवाब देने में, एक बाइबल विद्वान ने भली-भाँति कहा: “जो चमत्कार यह सूचित करती है, जिन भविष्यवाणियों को यह सत्य सिद्ध करती है, इस से लगता है कि ये एक समसामयिक दानिय्येल के द्वारा रिकार्ड किए गए हैं। या तो हमारे पास सच्चे चमत्कार और सच्ची भविष्यवाणी हैं, या फिर हमारे पास असत्य के सिवा कुछ भी नहीं।” (ई. बी. पूसी द्वारा लिखित, डॅनिय्येल द प्रॉफेट [भविष्यद्वक्ता दानिय्येल] पृष्ठ ७५) अजी, बार-बार इस किताब का लेखक खुद की पहचान कराता है, मसलन यह कहकर कि “मैं, दानिय्येल”! (दानिय्येल ८:१५; ९:२; १०:२) क्या ये सब जालसाज़ी थी? वास्तविकता यह है कि १८वीं सदी के आरंभिक हिस्से से पहले, दानिय्येल की किताब की लेखकता पर न यहूदियों ने और न ही मसीहियों ने संदेह उत्पन्न किया। परंतु, किसी आधुनिक बाइबल विद्वान के मत से ज़्यादा प्रभावपूर्ण, दानिय्येल की किताब के विषय धर्मशास्त्रीय गवाही प्रभावपूर्ण है। इस प्रकार, हम पाते हैं कि दानिय्येल का ज़िक्र यहेजकेल की किताब में तीन बार होता है। (यहेजकेल १४:१४, २०; २८:३) परमेश्वर के पुत्र, यीशु, के शब्द सबसे निर्णायक हैं, जैसा मत्ती २४:१५, १६ पर लेखबद्ध है: “जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्तु को जिस की चर्चा दानिय्येल भविष्यद्वक्ता के द्वारा हुई थी, पवित्र स्थान में खड़ी हुई देखो, (जो पढ़े, वह समझे,) तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों पर भाग जाएँ।”a
नबूकदनेस्सर जान जाता है कि कौन सच्चा परमेश्वर है
६. बाबुल के राजा के घमंड को किस से बढ़ावा मिला होगा, और अपने लेखन में उसने अपने बारे में क्या कहा?
६ जैसा भविष्यद्वक्ता यशायाह दिखाता है, बाबुल के राजा बहुत ही घमंडी मनुष्य थे। (यशायाह १४:४-२३) नबूकदनेस्सर एक अत्यधिक धार्मिक मनुष्य भी था। अपने लेखन में, उसने अपने “निर्माण योजनाओं और बाबिलोनिया देश के देवताओं को दिए अपने आदर-सत्कार” के बारे में बताया। बेशक, इस बात से उसका दिमाग़ चढ़ गया कि वह यरूशलेम और यहूदिया को कब्ज़े में ले आने की कोशिश में समर्थ हुआ, खास तौर से जब यही करने की अपनी कोशिश में सन्हेरीब इतने अनर्थकारी रीति से असमर्थ हुआ था।
७. दानिय्येल अध्याय १ में बताए गए कौनसे अनुभव से नबूकदनेस्सर को इब्रानियों के परमेश्वर का आदर करने के लिए सीखना चाहिए था?
७ नबूकदनेस्सर के सामने दानिय्येल और उसके तीन साथियों के पेश होने के बाद, उसे उनके परमेश्वर का आदर करने का निश्चय ही कारण था, इसलिए कि “बुद्धि और हर प्रकार की समझ के विषय में जो कुछ राजा उन से पूछता था उस में वे राज्य भर के सब ज्यातिषियों और तान्त्रियों से दसगुणे निपुण ठहरते थे।” जी हाँ, जिन बुद्धिमानियों का परमेश्वर यहोवा था, वे उन सब से अत्यधिक मात्रा में उत्कृष्ट थे, जो अन्य देवताओं की उपासना करते थे। नबूकदनेस्सर ने इस वास्तविकता पर ज़रूर ग़ौर किया होगा।—दानिय्येल १:२०.
८. यहोवा ने किस ज़रिए से बाबुल के ज्ञानियों का कोई विशेष ज्ञान न होने के तौर से परदाफ़ाश किया?
८ यहोवा के पास राजा नबूकदनेस्सर को सिखाने के लिए और बातें थीं। अगला सबक़ दानिय्येल अध्याय २ में लेखबद्ध किया गया था। परमेश्वर ने राजा को एक भयानक सपना दिया और फिर उसे वह भूलने दिया। इस सपने से बाबेली नरेश बहुत ही व्यग्र हो उठा, और उसने अपने सभी ज्ञानियों को उसे सपना और उसका अर्थ प्रदर्शन बतलाने के लिए बुला भेजा। निःसंदेह, अर्थ प्रदर्शन को छोड़, वे सपना भी प्रकट न कर सके, उस से यह मौन रूप से स्वीकार करके कि उनका कोई विशेष ज्ञान न था। इस से राजा इतना क्रोधोन्मत्त हुआ कि उसने उन सभियों को प्राण दंड देने का आदेश दिया। जब दानिय्येल और उसके तीन साथियों को राजा के निर्णय के बारे में बताया गया, दानिय्येल ने कुछ समय की माँग की, जो उसे दी गयी। फिर उसके तीन साथियों और उसने इस बात को सच्ची प्रार्थना का विषय बनाया, जिसके फलस्वरूप यहोवा ने दानिय्येल को वह सपना और उसका अर्थ प्रकट किया।—दानिय्येल २:१६-२०.
९. (अ) केवल कौन नबूकदनेस्सर के सपने का अर्थ प्रदर्शन दे सका और उसने उसका क्या अर्थ प्रदर्शन दिया? (ब) उसके फलस्वरूप, राजा किस निष्कर्ष पर पहुँचा?
९ जब दानिय्येल राजा के सामने पेश किया गया, तब नबूकदनेस्सर ने उससे पूछा: “क्या तुझ में इतनी शक्ति है कि जो स्वप्न मैं ने देखा है, उसे फल समेत मुझे बताए?” घमंडी नरेश को यह याद दिलाने के बाद कि उसके ज्ञानी उसे उसके सपने और उसके अर्थ प्रदर्शन का भेद न बता सके थे, दानिय्येल ने कहा: “परंतु भेदों का प्रगटकर्ता परमेश्वर स्वर्ग में है, और उसी ने नबूकदनेस्सर राजा को जताया है कि अन्त के दिनों में क्या क्या होनेवाला है।” बात को जारी रखकर दानिय्येल ने राजा को उसके सपने में देखे विशालकाय मूर्ति और उसके मतलब के बारे में बताया। राजा इतना अत्यधिक प्रभावित हुआ कि उसने घोषित किया: “सचमुच, तुम लोगों का परमेश्वर, सब ईश्वरों का ईश्वर, राजाओं का राजा और भेदों का खोलनेवाला है, इसलिए कि तू यह भेद प्रगट कर पाया।” इस प्रकार, यहोवा ने राजा नबूकदनेस्सर को सिखाया कि वे ही एकमात्र सच्चे परमेश्वर हैं।—दानिय्येल २:२६, २८, ४७.
१०, ११. (अ) अपने बड़े घमंड में, राजा नबूकदनेस्सर ने क्या बनवाया, और उसके बाद कौनसी आज्ञा दी? (ब) राजा की आज्ञा मानना इन्कार करने से, तीन इब्रानियों ने कौनसा विवाद-विषय उठाया, और इसका क्या परिणाम हुआ?
१० हालाँकि राजा नबूकदनेस्सर इब्रानियों के परमेश्वर के ज्ञान और बुद्धि से बेशक प्रभावित हुआ था, उसे और भी कई बातें सीखनी थीं। अपने घमंड में, उसने दूरा नाम मैदान में सोने की एक भव्य मूर्ति खड़ी करवायी। मूर्ति ६० हाथ ऊँची और ६ हाथ चौड़ी थी, जो हमें ६६६, इस अंक की याद दिलाती है, जो कि प्रकाशितवाक्य १३:१८ में ज़िक्र किए गए शैतान के “जंगली पशु” का चिह्न है। (चूँकि एक हाथ लगभग ०.५ मीटर है, मूर्ति लगभग २७ मीटर ऊँची और २.७ मीटर चौड़ी थी) राजा ने अपने राज्य के सभी अधिकारियों को “मूरत की प्रतिष्ठा के लिए” आने का आदेश दिया और आज्ञा की, कि जब एक वाद्यवृंद बजता, तब सभी को गिरकर मूर्ति की पूजा करनी थी। कुछ ईर्ष्यालु कसदी अधिकारियों ने ग़ौर करके कि उस समय उपस्थित तीन इब्रानियों ने उस अनुष्ठान में हिस्सा नहीं लिया, राजा से इनकी शिकायत की।—दानिय्येल ३:१, २.
११ यह नबूकदनेस्सर के लिए एक बहुत ही गंभीर मामला था, इसलिए कि उसने एक बार शेखी मारी थी कि “उसी ने लोगों के मन में महान देवताओं के लिए श्रद्धा बैठायी थी।” इस तरह, नबूकदनेस्सर का शाही प्रताप और धार्मिक जोश, दोनों को बहुत अधिक मात्रा में ठेस पहुँचाए गए थे। गुस्से और आवेश से प्रतिक्रिया करके, अहंकारी नरेश ने तीन इब्रानियों को एक और मौक़ा दिया, पर इस अंतिम चेतावनी के साथ कि: “यदि तुम दण्डवत् न करो तो इसी घड़ी धधकते हुए भट्ठे के बीच में डाले जाओगे। फिर ऐसा कौन देवता है, जो तुम को मेरे हाथ से छुड़ा सके?” ख़ैर, नबूकदनेस्सर को यह पता करना पड़ा कि उनका परमेश्वर वाक़ई अपने सेवकों को एक अदने नरेश के हाथों से छुड़ा सका और कोई और ऐसा देवता आस्तित्व में नहीं जो इस्रानियों के परमेश्वर के जैसे बचा सकता है।—दानिय्येल ३:१५.
वृक्ष का सपना
१२, १३. (अ) दानिय्येल ने नबूकदनेस्सर को उसके वृक्ष के सपने के बारे में क्या अर्थ प्रदर्शन दिया? (ब) नबूकदनेस्सर ने कैसे दिखाया कि उस सपने के अर्थ प्रदर्शन से उस पर गंभीर करानेवाला कोई असर नहीं हुआ?
१२ वे सबक़ सीखकर आप पर किस तरह का प्रभाव हुआ होगा? प्रत्यक्षतः, नबूकदनेस्सर को अपनी सही जगह का भान कराने के लिए ये तीन सबक़ काफ़ी नहीं हुए। तो यहोवा को उसे अब एक और सबक़ सिखाना पड़ा। फिर से, एक सपना अंतर्ग्रस्त था, और एक बार फिर, बाबुल का कोई ज्ञानी उसका अर्थ प्रदर्शन न दे सका। आख़िरकार, दानिय्येल को बुलवाया गया, और वह राजा को सपने के मतलब से अवगत करा सका, अर्थात्, सात वर्षों तक वह “मैदान के पशुओं” की तरह रहता, और उसके बाद उसकी समझदारी ज्यों की त्यों हो जाती।—दानिय्येल ४:१-३७.
१३ जो बातें उसके बाद घटीं, उस से साफ़ ज़ाहिर होता है कि उस सपने का नबूकदनेस्सर पर गंभीर करानेवाला कोई असर ही न हुआ। इस तरह, लगभग एक वर्ष बाद, जब राजा अपने राजभवन में टहल रहा था, उसने घमंड से शेखी मारी: “क्या यह बड़ा बाबुल नहीं है, जिसे मैं ही ने अपने बल और सामर्थ से राजनिवास होने को और अपने प्रताप की बड़ाई के लिए बसाया है?” कैसा दंभ! तो ऐसा हुआ कि उसी क्षण अहंकारी राजा को यह बताते हुए स्वर्ग से एक आवाज़ सुनाई दी कि उसका राज्य उस से लिया जाता और वह मैदान के पशुओं के साथ सात काल तक रहता, “जब तक कि तू न जान ले कि परमप्रधान, मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है।”—दानिय्येल ४:३०-३२.
१४. वृक्ष के बारे में वह सपना किस तरह परिपूर्ण हुआ, और इसका नबूकदनेस्सर पर कैसा परिणाम हुआ?
१४ नबूकदनेस्सर के उन सात काल, या वर्षों तक एक पशु के समान जीने के बाद, यहोवा ने उसकी बुद्धि ज्यों की त्यों कर दी और उसे स्वीकार करना ही पड़ा कि ‘कोई उसका हाथ मार कर उस से नहीं कह सकता कि: तू ने यह क्या किया है?’ इसके अतिरिक्त, बाबेली शासक ने यह कहकर दिखाया कि उसने अपना सबक़ और अधिक सीख लिया था कि: “अब मैं, नबूकदनेस्सर, स्वर्ग के राजा को सराहता हूँ और उसकी स्तुति और महिमा करता हूँ क्योंकि उसके सब काम सच्चे, और उसके सब व्यवहार न्याय के हैं; और जो लोग घमंड से चलते हैं,”—जैसा राजा ने किया था—“उन्हें वह नीचा कर सकता है।” सर्वश्रेष्ठता के विवाद-विषय को जिस रीति से यहोवा ने बारंबार निपटाया, क्या उस से संबंधित ऐसा सारा प्रमाण स्वयं में प्रभावकारी पारिस्थितिक सबूत नहीं, कि ये विवरण किसी की कल्पना की मनगढ़ंत बातें नहीं, बल्कि यथार्थ इतिहास लिख लेने के लिए परमेश्वर द्वारा प्रेरित एक लेखक का काम है?—दानिय्येल ४:३५, ३७.
बेलशस्सर दीवार पर लिखाई देखता है
१५. बेलशस्सर ने सच्चे परमेश्वर, यहोवा, के प्रति अवमान किस तरह दिखाया?
१५ एक और नरेश बेलशस्सर था जिसे सबक़ सिखाने के लिए यहोवा को अवसर हुआ। वह राजा नबोनिदस का बेटा और सह-शासक था, जो स्वयं राजा नबूकदनेस्सर का वारिस था। एक बड़े भोज के अवसर पर, बेलशस्सर ने यरूशलेम में यहोवा के मंदिर से अपने दादा द्वारा लाए गए सोने के पात्रों को मँगवाने का दुस्साहस किया, ताकि वह, उसके प्रधान, उसकी पत्नियाँ, और उसकी रखेलियाँ उन में से पी सके। तो ‘उन्होंने दाखमधु पी पीकर सोने, चान्दी, तांबे, लोहे, काठ और पत्थर के देवताओं की स्तुति की।’—दानिय्येल ५:३, ४.
१६, १७. (अ) यहोवा ने बेलशस्सर के मन में किस तरह भय बैठाया? (ब) दीवार पर की लिखाई के संबंध में दानिय्येल ने क्या अर्थ प्रदर्शन दिया, और यह किस तरह सही साबित हुआ?
१६ बाबुल की हुकूमत ख़त्म करने के लिए परमेश्वर का समय आया था। इसलिए, उसने दीवार पर विचित्र लिखाई प्रकट करवायी। इस चमत्कार से राजा का साहस इतने अधिक मात्रा में छूट गया कि उसने फ़ौरन अपने सभी ज्ञानियों को उसका अर्थ प्रदर्शन देने के लिए बुलवाया। उन में से एक भी यह दे न सका। फिर उसकी माँ ने उसे याद दिलाया कि दानिय्येल, जिसने नबूकदनेस्सर को उसके सपनों के अर्थ प्रदर्शन दिए थे, इस लिखाई का अर्थ प्रदर्शन दे पाएगा। (दानिय्येल ५:१०-१२) जब उसे बुलाकर पूछा गया कि क्या वह ऐसा कर सकता है, दानिय्येल ने नरेश को याद दिलाया कि परमेश्वर ने किस तरह उसके घमंडी दादा का घमंड़ तोड़ दिया था ताकि वह जान ले कि परमप्रधान मनुष्यों के राज्य में प्रभुता करता है।—दानिय्येल ५:२०, २१.
१७ दानिय्येल ने आगे बेलशस्सर से कहा: “परमेश्वर जिनके हाथ में तेरा प्राण है, और जिसके वश में तेरा सब चलना-फिरना है, उसका सन्मान तू ने नहीं किया।” (दानिय्येल ५:२३) तो उस लिखाई से बाबेली शासक को नोटिस दी गयी कि उसके राजत्व के दिन ख़त्म होन को आए थे, और तराजू में तोले जाकर उसे हलका पाया गया था, और उसका राज्य मादियों और फ़ारसियों को दिया जानेवाला था। और उसी रात, यहोवा का उस अहंकारी नरेश को यह अत्यावश्यक सबक़ सिखाने के बाद, बेलशस्सर, कसदी राजा, मारा गया।—दानिय्येल ४:२३.
१८. यहोवा आज के विश्व शासकों को अपनी सर्वश्रेष्ठता और बचानेवाली शक्ति से संबंधित समान सबक़ किस ज़रिए से सिखाएगा?
१८ जिस तरह यहोवा ने अपने सर्वश्रेष्ठता और बचानेवाली शक्ति के बारे में घमंडी नरेश नबूकदनेस्सर और बेलशस्सर को सबक़ सिखाए, उसी तरह हर-मगिदोन में परमेश्वर यह देख लेगा कि पृथ्वी के सभी शासक जान लें कि वही सर्वश्रेष्ठ शासक, सर्वशक्तिमान विश्व सम्राट है। आप के जीवन पर भी प्रभाव होगा। कैसे? क्योंकि उस समय यहोवा अपने विश्वसनीय सेवकों को भी मुक्त करेगा, उसी तरह जिस तरह उसने तीन इब्रानियों को धधकते भट्ठे से मुक्त किया था।—दानिय्येल ३:२६-३०.
दारा यहोवा की बचानेवाली शक्ति के विषय जान लेता है
१९, २०. दानिय्येल की ज़िंदगी की कौनसी घटना से दारा यहोवा की बचानेवाली शक्ति के विषय सीखा?
१९ दानिय्येल अध्याय ६ एक और उदाहरण के बारे में बताता है, जिस में यहोवा ने एक नरेश, दारा, को सबक़ सिखाया—परमेश्वर की बचानेवाली शक्ति का सबक़। एक षड्यंत्र के फलस्वरूप राजा ने दानिय्येल को सिंहों के गड्ढे में फेंका, जो कि नरेश की इच्छा के बिल्कुल ही विपरीत था। वह ऐसा व्यक्ति न था जिसने घमंड से खुद को सच्चे परमेश्वर के विरुद्ध खड़ा किया। दिलचस्प रीति से, हालाँकि दारा ने दानिय्येल को आश्वासन दिया कि उसका परमेश्वर उसे मुक्त करता, ऐसा नहीं लगता कि उसने वास्तव में इस बात पर पूर्णरूप से विश्वास किया। वरना, वह एक निद्रारहित रात बीताकर भोर की पौ फटने तक, जब वह जल्द से सिंहों के गड्ढे के पास गया, परेशान क्यों रहता? फिर उसने पुकारकर कहा: “हे दानिय्येल, हे जीवते परमेश्वर के दास, क्या तेरा परमेश्वर जिसकी तू नित्य उपासना करता है, तुझे सिंहों से बचा सका है?”—दानिय्येल ६:१८-२०.
२० जी हाँ, परमेश्वर दानिय्येल को बचा सका था। राजा दारा इतना हर्षमय हुआ कि उसने यह आदेश जारी किया: “जहाँ जहाँ मेरे राज्य का अधिकार है, वहाँ के लोग दानिय्येल के परमेश्वर के सम्मुख काँपते और थरथराते रहें। क्योंकि जीवता और युगानुयुग तक रहनेवाला परमेश्वर वही है, और उसका राज्य अविनाशी . . . रहेगा। जिस ने दानिय्येल को सिंहों से बचाया है, वही बचाने और छुडानेवाला है, और स्वर्ग में और पृथ्वी पर चिह्नों और चमत्कारों का प्रगट करनेवाला है।”—दानिय्येल ६:२६, २७.
२१. (अ) दानिय्येल की किताब के पहले छः अध्याय किस बात के प्रभावशाली उदाहरण देते हैं? (ब) इन बातों के विवरण का हम पर कैसा असर होना चाहिए?
२१ दानिय्येल की किताब के पहले छः अध्याय सचमुच ही हमें प्रभावशाली उदाहरण देते हैं कि कैसे यहोवा ने अपने नाम के लिए उत्साहपूर्ण—हाँ, जलनशील—होकर, इस संसार के ताक़तवर नरेशों को सिखाया कि वही वास्तव में सर्वसमर्थ, विश्व सम्राट है, जो घमंडी शासकों का घमंड तोड़ सकता है, जब कि अपने वफ़ादार सेवकों को मुक्त कर सकता है। इन विवरणों से हमारे मन में परमेश्वर के प्रति हितकर भय और यहोवा के सर्वसामर्थ्य और सर्वश्रेष्ठता के लिए आदर बैठना चाहिए। उसी समय, यह ईश्वर-प्रेरित विवरण विश्वास को शक्तिशाली बनानेवाला है, इसलिए कि यह यहोवा परमेश्वर के सेवकों के उत्कृष्ट उदाहरण पेश करता है, जिन्होंने बड़ा विश्वास और साहस प्रकट किया, जैसा कि उत्तरवर्ती लेख स्पष्ट रूप से दिखाएगा।
[फुटनोट]
a द वॉचटावर, अक्तूबर १, १९८६, पृष्ठ ३-७ देखें।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ यहोवा को संसार के शासकों को कौनसा सबक़ सिखाना आवश्यक हुआ है?
◻ दानिय्येल की किताब की यथार्थता के विषय क्या कहा जा सकता है?
◻ वह कौनसा सबक़ था जिस से नबूकदनेस्सर का घमंड और भी तोड़ा गया?
◻ यहोवा का नरेशों को सबक़ सिखाने से हम पर कैसा प्रभाव होना चाहिए?