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मसीहा के आने का समय बताया गयादानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
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25 यह सच है कि यीशु के काट डाले जाने और पुनरुत्थान पाकर स्वर्ग जाने के बाद भी इंसान पाप और मौत के शिकंजे से आज़ाद नहीं हुआ। मगर इससे भविष्यवाणी की पूर्ति हुई कि ‘अपराध का होना बन्द हुआ, और पापों का अन्त और अधर्म का प्रायश्चित्त किया गया, और धार्मिकता प्रगट हुई।’ यीशु के बलिदान के साथ परमेश्वर ने व्यवस्था को हटा दिया था, जो यहूदियों को दोषी ठहराती थी और लगातार पापी होने का एहसास कराती थी। (रोमियों 5:12, 19, 20; गलतियों 3:13, 19; इफिसियों 2:15; कुलुस्सियों 2:13, 14) लेकिन अब मसीहा के प्रायश्चित बलिदान के आधार पर जो लोग अपने पापों से पश्चाताप करते, उनके पाप माफ किए जा सकते थे और उनकी सज़ा रद्द की जा सकती थी। इस बलिदान पर विश्वास करनेवाले अब परमेश्वर से मेल-मिलाप कर सकते थे। वे ‘मसीह यीशु में परमेश्वर से अनन्त जीवन’ का इनाम पाने की उम्मीद रख सकते थे।—रोमियों 3:21-26; 6:22, 23; 1 यूहन्ना 2:1, 2.
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मसीहा के आने का समय बताया गयादानिय्येल की भविष्यवाणी पर ध्यान दें!
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27. किस “परमपवित्र” का अभिषेक किया गया और कैसे?
27 भविष्यवाणी में कहा था कि इसी 70वें सप्ताह में “परमपवित्र का अभिषेक” भी किया जाएगा। लेकिन यहाँ यरूशलेम के मंदिर में परमपवित्र स्थान के अभिषेक की बात नहीं हो रही। यहाँ “परमपवित्र” का मतलब है स्वर्ग में परमेश्वर का निवासस्थान। वहीं यीशु ने अपने स्वर्गीय पिता को अपने इंसानी जीवन का बलिदान पेश किया। सा.यु. 29 में यीशु के बपतिस्मे से स्वर्ग के इसी परमपवित्र का अभिषेक हुआ या एक आत्मिक मंदिर की शुरूआत हुई। और इस आत्मिक मंदिर में स्वर्ग में यहोवा का वासस्थान वह असली परमपवित्र है जिसके नमूने के मुताबिक पृथ्वी पर मूसा के समय में निवासस्थान में और बाद में मंदिर में परमपवित्र भाग बनाया गया था।—इब्रानियों 9:11, 12.
एक भविष्यवाणी जिसकी परमेश्वर ने गारंटी दी
28. ‘दर्शन की बात पर और भविष्यद्वाणी पर छाप देने’ या उसे “मुहरबन्द” करने का क्या मतलब है?
28 मसीहा के बारे में जिब्राएल ने जो भविष्यवाणी की थी, उसमें ‘दर्शन की बात पर और भविष्यद्वाणी पर छाप देने’ या उसे “मुहरबन्द” (NHT) करने की बात भी कही गयी थी। इसका मतलब यह था कि मसीहा के बलिदान, पुनरुत्थान, स्वर्ग में परमेश्वर के सामने हाज़िर होने और 70वें सप्ताह में होनेवाली सभी घटनाओं को पूरा करने के पीछे परमेश्वर का हाथ होता यानी उन पर उसकी मुहर होती। इसलिए यह भविष्यवाणी ज़रूर पूरी होती और इस पर भरोसा किया जा सकता था। यह दर्शन मुहरबन्द किया गया था जिसका मतलब है कि यह दर्शन सिर्फ मसीहा के लिए था। इस दर्शन की पूर्ति सिर्फ उसी में और उसके द्वारा किए जा रहे परमेश्वर के कामों से होती। दर्शन की बातें ठहराए गए मसीहा पर ही पूरी उतरतीं इसलिए सिर्फ उसी में इस दर्शन की पूर्ति समझ में आती। कोई और इस भविष्यवाणी की मुहर नहीं खोल सकता था।
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