पाठ 3
बाइबल की सच्चाई को दोबारा कैसे ढूँढ़ा गया?
बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी कि यीशु की मौत के बाद, मसीहियों में से झूठे शिक्षक उठ खड़े होंगे जो बाइबल की सच्चाई को तोड़-मरोड़कर सिखाएँगे। (प्रेषितों 20:29, 30) और ऐसा ही हुआ। ये शिक्षक, यीशु की सिखायी बातों में झूठे धर्मों की शिक्षाएँ मिलाने लगे और एक नकली मसीही धर्म शुरू हो गया। (2 तीमुथियुस 4:3, 4) तो फिर, हम कैसे यकीन रख सकते हैं कि आज हमारे पास बाइबल की जो समझ है वह सही है?
सच्चाई की रौशनी फैलाने का यहोवा का समय आया। यहोवा ने पहले ही बता दिया था कि ‘अंत के समय में सच्चा ज्ञान बहुत बढ़ जाएगा।’ (दानियेल 12:4) सन् 1870 में सच्चाई की तलाश करनेवाले एक छोटे समूह को एहसास हुआ कि चर्च की बहुत-सी शिक्षाएँ बाइबल के मुताबिक नहीं हैं। इसलिए वे इस खोज में लग गए कि बाइबल असल में क्या सिखाती है और यहोवा ने उन्हें बाइबल की सही समझ पाने में मदद दी।
सच्चे मनवालों ने गहराई से बाइबल का अध्ययन किया। उन बाइबल विद्यार्थियों ने, जो अब यहोवा के साक्षी के नाम से जाने जाते हैं, अध्ययन का एक ऐसा तरीका अपनाया जिसे हम आज भी इस्तेमाल करते हैं। वे एक विषय चुनते थे और बाइबल से उस पर चर्चा करते थे। जब बाइबल का कोई भाग उनके लिए समझना मुश्किल होता था, तो उसकी सही समझ पाने के लिए वे दूसरी आयतें देखते थे। और जब वे किसी नतीजे पर पहुँचते, जो बाइबल की बाकी आयतों से मेल खाता, तो वे उसे लिख लेते थे। इस तरह वे बाइबल को समझने के लिए बाइबल की ही मदद लेते थे। ऐसा करके वे उन सच्चाइयों को दोबारा ढूँढ़ पाए जो गुमनामी के अँधेरे में खो गयी थीं। जैसे वे परमेश्वर के नाम और उसके राज, इंसानों और पृथ्वी के लिए उसके मकसद, मरे हुओं की दशा और उनके दोबारा जी उठने के बारे में सही-सही समझ हासिल कर पाए। अपनी इस खोजबीन से वे कई झूठी शिक्षाओं और झूठे रीति-रिवाज़ों से आज़ाद हो पाए।—यूहन्ना 8:31, 32.
सन् 1879 के आते-आते बाइबल विद्यार्थी समझ गए कि अब समय आ गया है कि पूरी दुनिया में सच्चाई का ऐलान किया जाए। इसलिए उस साल से वे एक पत्रिका छापने लगे जो आज तक छापी जा रही है और वह है, प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है। आज हम 240 देशों में 750 से भी ज़्यादा भाषाओं में लोगों तक बाइबल की सच्चाई पहुँचा रहे हैं। वाकई, सच्चा ज्ञान बहुत बढ़ गया है!
यीशु की मौत के बाद बाइबल की सच्चाई का क्या हुआ?
हम किस तरह परमेश्वर के वचन में दी सच्चाई दोबारा ढूँढ़ पाए?