शास्त्रों से शिक्षा: होशे १:१-१४:९
यहोवा हमारा परमेश्वर दयालु है
यहोवा “क्षमा करनेवाला अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से कोप करनेवाला, और अति करुणामय ईश्वर है।” (नहेमायाह ९:१७) वह अपने धर्मी आदर्शों का पालन करता है पर अपराधियों को पश्चाताप करने और उस से एक अच्छे संबंध का आनन्द लेने के लिए निमंत्रित करता है। यह कितनी अच्छी तरह उस बात से चित्रित होती है, जो परमेश्वर ने अपने भविष्यद्वक्ता होशे के ज़रिए दुराग्रही इस्राएलियों से कहा!
होशे के नाम की किताब भविष्यद्वक्ता द्वारा अपनी लंबी सेवाकाल के कुछ ५९ वर्ष बाद (सामान्य युग पूर्व लगभग ८०४ से लेकर सा.यु.पू. ७४५ के बाद तक), शोमरोन के ज़िले में पूर्ण की गयी। होशे ने यहूदा के शासक उज्जियाह, योतान, आहाज, और हिजकिय्याह तथा राजा यारोबाम II के दिनों में इस्राएल के दस-जातीय राज्य में भविष्यवाणी की। (होशे १:१) इसलिए कि इस्राएल ने पश्चाताप करने के आह्वानों की उपेक्षा की, राष्ट्र अश्शूरियों के कब्ज़े में आ गया, और उसकी राजधानी, शोमरोन, सा.यु.पू. ७४० में विनष्ट हो गयी। हालाँकि होशे की भविष्यवाणी पिछले शतकों के लोगों की ओर निर्दिष्ट थी, उस में अपने परमेश्वर, यहोवा, की दया से संबंधित हमारे लिए सबक़ हैं।
इस्राएल का दुराग्रही आचरण
यहोवा पापी के हार्दिक पश्चाताप के आधार पर दया करता है। (भजन संहिता ५१:१७; नीतिवचन २८:१३) इस्राएल को दया दिखाने के लिए परमेश्वर की स्वैच्छिकता, होशे के अपनी पत्नी गोमेर के साथ व्यवहार से चित्रित है। जैसे आदेश दिया गया, उसने “एक वेश्या को अपनी पत्नी” बना लिया। होशे को एक पुत्र जनने के बाद, गोमेर ने प्रकट रूप से दो जारज बच्चों को जन्म दिया। फिर भी, भविष्यद्वक्ता ने दयालुता से अपनी पत्नी को वापस ले लिया। उसी तरह, इस्राएल की जाति यहोवा के प्रति एक व्यभिचारिनी पत्नी समान थी, जो अनुचित ढंग से झूठे देवता बाल को आशीर्वादों का श्रेय दे रही थी। लेकिन यहोवा उन्हें दया दिखाने के लिए तैयार था, अगर वे अपनी आत्मिक व्यभिचार के लिए पश्चाताप करते।—१:१-३:५.
जो पापी दैवी दया चाहते हैं, उन्हें अपने पापपूर्ण आचरण से हटकर परमेश्वर के ज्ञान के अनुरूप होना चाहिए। (भजन संहिता ११९:५९, ६६, ६७) यहोवा को इस्राएल के निवासियों के विरुद्ध एक मुक़दमा था इसलिए कि उनके देश में सच्चाई, प्रेममय-कृपा और परमेश्वर के ज्ञान का अभाव था। चूँकि उन्होंने ज्ञान को ठुकराया, यहोवा उन्हें ठुकरा देता। मूर्तिपूजक इस्राएल और यहूदा का लेखा-जोखा होने वाला था। लेकिन यह पूर्वबतलाया गया कि जब वे अपने आप को “संकट में” पाते, तभी वे परमेश्वर को खोजते।—४:१; ५:१५.
एक आँधी लवना!
अगर अपराधियों को परमेश्वर की दया का अनुभव करना है तो पश्चाताप के योग्य कार्य आवश्यक हैं। (प्रेरितों के काम २६:२०) होशे ने बिनती की, कि “हम यहोवा की ओर फिरें।” लेकिन इस्राएल (जो उसके प्रमुख गोत्र एप्रैम के नाम से बुलाया गया था) और यहूदा की प्रेममय-कृपा “सवेरे उड़ जानेवाले ओस के समान” थी। उन लोगों ने परमेश्वर के क़रार का उल्लंघन किया था और पश्चाताप के योग्य ऐसे कोई फल उत्पन्न नहीं किए थे। ‘एक भोले पण्डुक के समान, जिस की कुछ बुद्धि नहीं,’ उन्होंने मिस्र और अश्शूर से सहायता माँगी। पर ये राजनीतिक उपाय उतने ही फायदे के होते जितना एक ‘ढीला धनुष,’ जो किसी निशाने पर तीर मारने में अक्षम था, फायदे का हो सकता था।—६:१-७:१६.
जो भला है उसे लवने के लिए, यहोवा की दया खोजनेवालों को भलाई बोनी चाहिए। (गलतियों ६:७, ८) चूँकि इस्राएलियों ने भलाई त्याग दी, उन्होंने बुराई लवन की। ‘वे वायु बोते रहे और वे आँधी लवते।’ परमेश्वर “उनके पाप का दण्ड” देता, और वे उसकी दया नहीं बल्कि उसका हानिकर दण्ड लवते। वे ‘अन्यजातियों के बीच मारे मारे फिरते,’ और संभवतः इस स्थिति में अश्शूरी विजय का योग था।—८:१-९:१७; व्यवस्थाविवरण २८:६४, ६५; २ राजा १५:२९; १७:१-६, २२, २३; १८:९-१२; १ इतिहास ५:२६.
हम परमेश्वर की दया से तभी लाभ प्राप्त करते रहेंगे अगर हम पवित्र वस्तुओं की क़दर सतत करेंगे। (इब्रानियों १२:१४-१६) इस्राएलियों में ऐसी क़दर का अभाव था। धार्मिकता में बीज बोने और प्रेममय-कृपा के अनुसार लवने के बजाय, उन्होंने दुष्टता की जोताई की और अधर्म को लवना। परमेश्वर ने इस्राएल को मिस्र में से एक पुत्र के जैसे बुला लिया, लेकिन उसका प्रेम धोखे से चुकाया गया। यहोवा ने चेतावनी दी, “तू अपने परमेश्वर की ओर फिर; प्रेममय-कृपा और न्याय के काम करता रह।” लेकिन एप्रैम घोर अपराध में लग गया और दया के बजाय फटकार के योग्य था।—१०:१-१२:१४.
यहोवा की ओर फिरो
जो लोग गंभीर रूप से ग़लती करते हैं, वे भी यहोवा की ओर फिर सकते हैं और उन्हें दया दिखायी जा सकती है। (भजन संहिता १४५:८, ९) होशे ने फिर से इस्राएलियों के लिए परमेश्वर के कोमल ध्यान का ज़िक्र किया। यद्यपि जाति यहोवा के विरुद्ध हुई, उसने पुनःस्थापना की प्रतिज्ञा की, यह कहकर कि: ‘मैं उसको शीओल से छुड़ा लूँगा; और मृत्यु से उनको छुटकारा दूँगा।’ शोमरोन (इस्राएल) को अवज्ञापूर्णता की क़ीमत चुकानी पड़ती। पर इस्राएलियों को हितकर शब्द, ‘होठों के तरुण बैलों,’ के साथ परमेश्वर की ओर फिरने के लिए प्रोत्साहित किया गया। भविष्यवाणी इस सांत्वनादायक विचार से समाप्त हुई कि बुद्धिमान और धर्मी लोग जो यहोवा के सीधे मार्गों में चलते हैं, वे उसकी दया और प्रेम का आनन्द लेते।—१३:१-१४:९.
याद रखने के लिए शिक्षा: यहोवा किसी अपराधी के हार्दिक पश्चाताप के आधार पर दया करता है। लेकिन उसकी दया चाहनेवाले पापियों को परमेश्वर के ज्ञान के अनुरूप होकर पश्चाताप के योग्य कार्य प्रस्तुत करने चाहिए। उन्हें भलाई बोना आवश्यक है और पवित्र वस्तुओं की क़दर सतत करना चाहिए। और इस ज्ञान से सांत्वना ली जा सकती है कि जो लोग गंभीर रूप से ग़लती कर बैठते हैं, वे भी सर्वश्रेष्ठ की ओर आशा से फिर सकते हैं, इसलिए कि यहोवा हमारा परमेश्वर दयालु है।
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बाइबल के मूल शास्त्रों का परीक्षण
२:२१-२३—यिज्रेल का मतलब है “परमेश्वर बीज बोएगा।” यहोवा एक विश्वसनीय अवशेष को एकत्रित करके उन्हें यहूदा में बीज के जैसे बोता, जहाँ अनाज, नया दाखमधु, और तेल होता। ज़रूरतमंद अवशेष के पक्ष में, ये अच्छी चीज़ें पृथ्वी को अनाज के डंठल, अंगूर लता, और ज़ैतून के पेड़ों को खनिज पदार्थ निर्मुक्त करने के लिए पूछते। पृथ्वी गगन को बारिश के लिए निवेदन करती और वह परमेश्वर को बादल उत्पन्न करने के लिए कहते जो आवश्यक वर्षा देते।
५:१—झूठी उपासना में लग जाने के लिए लोगों को फुसलाने के ज़रिए, इस्राएल के धर्मत्यागी याजक और राजा लोगों के लिए एक फंदा और जाल बन गए। संभवतः, ताबोर की पहाड़ी (यरदन के पश्चिमी ओर) और मिसपा (उस नदी के पूरब की ओर एक नगर) झूठी उपासना के केंद्र थे। इस्राएल भर में, लोग अपने अगुवाओं के बुरे उदाहरण, जो कि परमेश्वर का हानिकर दण्ड का अनुभव करते, उनकी वजह से मूर्तिपूजा का अभ्यास कर रहे थे।
७:४-८—प्रकट रूप से उनमें धधकनेवाली दुष्ट कामनाओं की वजह से, व्यभिचारी इस्राएलियों की तुलना एक नानबाई (बेकर) के तंदूर या भट्ठी से की गयी। अन्यजातियों का आचरण ग्रहण करने और उनके साथ विवाह संबंध जोड़ने की कोशिश करने के द्वारा उन में घुल-मिल जाने की वजह से, एप्रैम (इस्राएल) एक ही तरफ सेंकी गयी गोल रोटी की तरह था।
९:१०—इस्राएलियों ने ‘अपने तईं को लज्जाजनक वस्तु के लिए अपर्ण कर दिया’ जब उन्होंने मोआब की खुली भूमि पर पोर के बाल के साथ जुड़ गए। (गिनती २५:१-५) होशे ने एक ऐसे इब्रानी क्रिया को इस्तेमाल किया जिसका मतलब है “अपने आप को किसी चीज़ के लिए पीछे हटाना; अपने आप को किसी के लिए अलग रखना।” इस्राएली लोग परमेश्वर के प्रति समर्पित थे, परंतु उन्होंने अपने आप को पोर के बाल के लिए अलग रखा। उस घटना का ज़िक्र शायद इसलिए किया गया कि बाल की उपासना दस-जातीय राज्य का प्रधान पाप था। (होशे २:८, १३) हम इस चेतावनी की ओर ध्यान दें और कभी यहोवा के प्रति अपने समर्पण को न तोड़ें।—१ कुरिन्थियों १०:८, ११.
१०:५—बेतावेन (मतलब “दुखदायिता का भवन”) एक अनादरसूचक रीति से बेतेल के लिए इस्तेमाल किया गया, जिसका अर्थ है “परमेश्वर का भवन।” बेतेल परमेश्वर का भवन रहा था लेकिन वहाँ अभ्यस्त बछड़े की पूजा की वजह से दुखदायिता का भवन बन गया। (१ राजा १२:२८-३०) जब बछड़े की मूर्ति निर्वासन में ले ली जाती, लोग उसके लिए भयभीत होते। निर्जीव मूर्ति अपनी रक्षा तो बिल्कुल नहीं कर सकती, और उसकी पूजा करनेवालों की रक्षा करने की बात ही छोड़ो।—भजन संहिता ११५:४-८.
१३:१४—यहोवा अवज्ञाकारी इस्राएलियों को उस वक्त शीओल के वश से बचाने या मृत्यु में से उन्हें छुड़ा लेने के द्वारा उन्हें नहीं बख़्शता। वह कोई करुणा नहीं दिखाता, इसलिए कि वे दया के योग्य न थे। लेकिन प्रेरित पौलुस ने दिखाया कि परमेश्वर अंत में मृत्यु को हमेशा के लिए निगलेगा और उसकी जीत को निष्प्रभाव कर देगा। यहोवा ने ऐसा करने की अपनी शक्ति यीशु मसीह को मृत्यु और शीओल से जिलाकर प्रदर्शित की, इस प्रकार एक गारंटी देते हुए कि राज्य के शासनकाल के अंतर्गत परमेश्वर की याददाश्त में बसे लोगों का उसके पुत्र द्वारा पुनरुत्थान किया जाएगा।—यूहन्ना ५:२८, २९.