निबटारे की तराई में न्यायदंड दिया जाता है
“जाति जाति के लोग . . . चढ़ जाएं और यहोशापात की तराई में जाएं, क्योंकि वहां मैं . . . सारी जातियों का न्याय करने को बैठूंगा।”—योएल ३:१२.
१. योएल “निबटारे की तराई” में भीड़ इकट्ठी हुई क्यों देखता है?
“निबटारे की तराई में भीड़ की भीड़ है!” इन उत्तेजक शब्दों को हम योएल ३:१४ में पढ़ते हैं। और ये भीड़ क्यों इकट्ठी हुई है? योएल जवाब देता है: “यहोवा का दिन निकट है।” यह यहोवा के दोषनिवारण का महान दिन है—उन अनेक लोगों को न्यायदंड देने का दिन है जिन्होंने मसीह यीशु के अधीन परमेश्वर के स्थापित राज्य को ठुकरा दिया है। आखिरकार, प्रकाशितवाक्य अध्याय ७ के “चार स्वर्गदूत,” “पृथ्वी की चारों हवाओं” की मज़बूत पकड़ को छोड़नेवाले हैं जिसका नतीजा “ऐसा भारी क्लेश होगा, जैसा जगत के आरम्भ से न अब तक हुआ, और न कभी होगा।”—प्रकाशितवाक्य ७:१; मत्ती २४:२१.
२. (क) यहोवा के न्यायदंड देने की जगह को उचित ही “यहोशापात की तराई” क्यों कहा गया है? (ख) हमला किए जाने पर यहोशापात ने कैसी उचित प्रतिक्रिया दिखायी?
२ योएल ३:१२ में, न्यायदंड देने की इस जगह को “यहोशापात की तराई” कहा गया है। यह उचित है क्योंकि यहूदा के इतिहास की एक संकटकालीन अवधि के दौरान, यहोवा ने वहाँ अच्छे राजा यहोशापात के कारण न्यायदंड दिया, जिसके नाम का अर्थ है “यहोवा न्यायी है।” उस समय जो हुआ उस पर विचार करना, हमें आज जो होनेवाला है उसे और अच्छी तरह समझने में मदद देगा। यह रिकार्ड २ इतिहास अध्याय २० में है। उस अध्याय की आयत १ में, हम पढ़ते हैं कि “मोआबियों और अम्मोनियों ने और उनके साथ कई मूनियों ने युद्ध करने के लिये यहोशापात पर चढ़ाई की।” यहोशापात ने कैसी प्रतिक्रिया दिखाई? उसने वही किया जो यहोवा का एक वफादार सेवक संकट में हमेशा करता है। वह मार्गदर्शन के लिए यहोवा की ओर फिरा, उसने भावनापूर्ण प्रार्थना की: “हे हमारे परमेश्वर, क्या तू उनका न्याय न करेगा? यह जो बड़ी भीड़ हम पर चढ़ाई कर रही है, उसके साम्हने हमारा तो बस नहीं चलता और हमें कुछ सूझता नहीं कि क्या करना चाहिये? परन्तु हमारी आंखें तेरी ओर लगी हैं।”—२ इतिहास २०:१२.
यहोवा प्रार्थना का जवाब देता है
३. जब यहूदा के लोग पड़ोसी देशों के आक्रमण का सामना कर रहे थे, तब यहोवा ने उन्हें क्या आदेश दिए?
३ जिस वक्त “सब यहूदी अपने अपने बालबच्चों, स्त्रियों और पुत्रों समेत यहोवा के सम्मुख खड़े” थे, यहोवा ने अपना जवाब दिया। (२ इतिहास २०:१३) ठीक जैसे वह आज “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” को इस्तेमाल करता है, वैसे ही प्रार्थनाओं के महान सुननेवाले ने उन इकट्ठा हुए लोगों को अपना जवाब देने के लिए लेवीय भविष्यवक्ता यहजीएल को प्रेरित किया। (मत्ती २४:४५) हम पढ़ते हैं: “यहोवा तुम से यों कहता है, तुम इस बड़ी भीड़ से मत डरो और तुम्हारा मन कच्चा न हो; क्योंकि युद्ध तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है। . . . इस लड़ाई में तुम्हें लड़ना न होगा; . . . ठहरे रहना, और खड़े रहकर यहोवा की ओर से अपना बचाव देखना। मत डरो, और तुम्हारा मन कच्चा न हो; कल उनका साम्हना करने को चलना और यहोवा तुम्हारे साथ रहेगा।”—२ इतिहास २०:१५-१७.
४. यहोवा ने किस तरीके से माँग की कि दुश्मन की चुनौती का सामना करते वक्त उसके लोग सक्रिय हों, निष्क्रिय नहीं?
४ यहोवा ने राजा यहोशापात और उसके लोगों से केवल हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहकर एक चमत्कारिक छुटकारा देखने से और अधिक की माँग की थी। उन्हें शत्रु की चुनौती का सामना करने में पहल करनी थी। राजा और ‘सब यहूदियों ने अपने अपने बालबच्चों, स्त्रियों और पुत्रों समेत’ दृढ़ विश्वास ज़ाहिर किया जब वे आज्ञा मानते हुए तड़के उठे और आक्रमणकारी भीड़ का सामना करने के लिए उन्होंने कूच किया। रास्ते में, राजा ने लगातार ईश्वरशासित निर्देशन और प्रोत्साहन देना जारी रखा, उसने आग्रह किया: “अपने परमेश्वर यहोवा पर विश्वास रखो, तब तुम स्थिर रहोगे; उसके नबियों की प्रतीत करो, तब तुम कृतार्थ हो जाओगे।” (२ इतिहास २०:२०) यहोवा में विश्वास! उसके नबियों पर विश्वास! यही सफलता की कुंजी है। इसी प्रकार आज, जब हम लगातार यहोवा की सेवा में सक्रिय रहते हैं, तो आइए हम इसमें कभी-भी संदेह न करें कि वह हमारे विश्वास को विजयी करेगा!
५. आज यहोवा के साक्षी यहोवा का धन्यवाद करने में कैसे सक्रिय हैं?
५ यहोशापात के दिनों के यहूदियों की तरह, हमें ‘यहोवा का धन्यवाद करना’ चाहिए “क्योंकि उसकी करुणा सदा की है।” और हम यह धन्यवाद कैसे करते हैं? हमारे उत्साही राज्य प्रचार कार्य के द्वारा! जैसे वे यहूदियावासी “गाकर स्तुति करने लगे,” सो हम अपने विश्वास को कामों द्वारा दृढ़ बनाते हैं। (२ इतिहास २०:२१, २२) जी हाँ, आइए हम भी ऐसे ही उत्कृष्ट विश्वास का प्रदर्शन करें जब यहोवा हमारे शत्रुओं के खिलाफ कार्यवाही करने की तैयारी करता है! हालाँकि मंज़िल शायद दूर नज़र आए, आइए हम धीरज धरने का निश्चय करें, विश्वास में सक्रिय होकर, जैसा उसके विजयी लोग पृथ्वी के खतरनाक क्षेत्रों में आज कर रहे हैं। कुछ देशों में जो सताहट, हिंसा, अकाल और गंभीर आर्थिक समस्याओं से ग्रस्त हैं, हमारे वफादार भाई शानदार बढ़ोतरी का अनुभव कर रहे हैं, जैसा कि १९९८ के यहोवा के साक्षियों का इयरबुक (अंग्रेज़ी) रिपोर्ट करता है।
यहोवा अपने लोगों को बचाता है
६. दृढ़ विश्वास हमें आज वफादार रहने में कैसे मदद देता है?
६ यहूदा के आस-पास की विधर्मी जातियों ने परमेश्वर के लोगों को निगल जाना चाहा, लेकिन यहोवा के सेवकों ने अनुकरणीय विश्वास के साथ यहोवा की स्तुति गाने के द्वारा जवाब दिया। हम भी आज ऐसा विश्वास दिखा सकते हैं। अपने जीवन को यहोवा की स्तुति के कामों में लगाने के द्वारा, हम अपने आध्यात्मिक हथियारों को मज़बूत करते हैं, शैतान की धूर्त युक्तियों के आगे बढ़ने के लिए कोई जगह नहीं छोड़ते। (इफिसियों ६:११) दृढ़ विश्वास पतित मनोरंजन, भौतिकवाद और उदासीनता द्वारा विकर्षित होने के प्रलोभन को, जो हमारे चारों ओर के नष्ट होते संसार के लक्षण हैं, कुचलने में मदद करेगा। यह अजेय विश्वास हमें “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” वर्ग के साथ वफादारी से सेवा करने में लगे रहने देगा जैसे-जैसे हम “समय पर” आध्यात्मिक भोजन के सेवन द्वारा लगातार पोषित हो रहे हैं।—मत्ती २४:४५.
७. यहोवा के साक्षियों ने उन पर किए गए अनेक हमलों का जवाब कैसे दिया है?
७ हमारा बाइबल-आधारित विश्वास हमें मज़बूती देगा कि उन घृणापूर्ण अभियानों के खिलाफ दृढ़ बने रहें जो ऐसे लोगों द्वारा भड़काए जाते हैं जो मत्ती २४:४८-५१ के “दुष्ट दास” की आत्मा प्रदर्शित करते हैं। इस भविष्यवाणी को असाधारण रूप से पूरा करते हुए, धर्मत्यागी आज अनेक देशों में सक्रिय रूप से झूठ और मत-प्रचार के बीज बो रहे हैं, यहाँ तक कि वे राष्ट्रों में अधिकार के पदों पर नियुक्त लोगों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचते हैं। जहाँ उचित है, वहाँ यहोवा के साक्षियों ने जवाब दिया है, जैसा फिलिप्पियों १:७ (NHT) में वर्णन किया गया है, ‘सुसमाचार की रक्षा और [कानून के माध्यम से] उसका पुष्टिकरण करने’ के द्वारा। उदाहरण के लिए, यूनान के एक मुकद्दमे में सितंबर २६, १९९६ को स्ट्रॉज़बर्ग में, मानव अधिकार की यूरोपीय अदालत के नौ न्यायाधीशों ने सर्वसम्मति से दोबारा पुष्टि की कि “यहोवा के साक्षी ‘ज्ञात धर्म’ की परिभाषा पर ठीक बैठते हैं,” जिन्हें विचार ज़ाहिर करने, अंतःकरण के अनुसार चलने, निश्चित विश्वास रखने की स्वतंत्रता है और अपने धर्म को प्रचार करने का अधिकार है। जहाँ तक धर्मत्यागियों का सवाल है, परमेश्वर का न्यायदंड कहता है: “उन पर यह कहावत ठीक बैठती है, कि कुत्ता अपनी छांट की ओर और धोई हुई सूअरनी कीचड़ में लोटने के लिये फिर चली जाती है।”—२ पतरस २:२१, २२.
८. यहोशापात के दिनों में, यहोवा ने अपने लोगों के दुश्मनों को कैसे दंड दिया?
८ अतीत में यहोशापात के दिनों में, यहोवा ने ऐसे लोगों को दंड दिया जो उसके लोगों को चोट पहुँचाना चाहते थे। हम पढ़ते हैं: “यहोवा ने अम्मोनियों, मोआबियों और सेईर के पहाड़ी देश के लोगों पर जो यहूदा के विरुद्ध आ रहे थे, घातकों को बैठा दिया और वे मारे गए। क्योंकि अम्मोनियों और मोआबियों ने सेईर के पहाड़ी देश के निवासियों को डराने और सत्यानाश करने के लिये उन पर चढ़ाई की, और जब वे सेईर के पहाड़ी देश के निवासियों का अन्त कर चुके, तब उन सभों ने एक दूसरे के नाश करने में हाथ लगाया।” (२ इतिहास २०:२२, २३) यहूदियों ने उस तराई का नाम बराका की तराई रखा, बराका का अर्थ है “आशीष।” आज भी, यहोवा द्वारा अपने शत्रुओं को दंड देना उसके अपने लोगों के लिए आशीष का कारण होगा।
९, १०. किसने खुद को यहोवा के कठोर न्यायदंड के लिए योग्य दिखाया है?
९ हम पूछ सकते हैं, आज किन लोगों को यहोवा की ओर से कठोर न्यायदंड मिलेगा? इस सवाल का जवाब पाने के लिए, हमें वापस योएल की भविष्यवाणी की ओर जाना होगा। योएल ३:३ उसके लोगों के शत्रुओं के बारे में बात करता है जिन्होंने “एक लड़का वेश्या के बदले में दे दिया, और एक लड़की बेचकर दाखमधु पीया है।” जी हाँ, वे परमेश्वर के सेवकों को अपने से बहुत नीचा समझते हैं, उनके बच्चों को वे एक वेश्या की कीमत या दाखमधु की एक सुराही के दाम से ज़्यादा मूल्य का नहीं समझते हैं। उन्हें इसके लिए जवाब देना होगा।
१० आध्यात्मिक व्यभिचार करनेवाले इसी के बराबर न्यायदंड के योग्य हैं। (प्रकाशितवाक्य १७:३-६) और खासकर वे लोग निंदा के योग्य हैं जो राजनैतिक शक्तियों को यहोवा के साक्षियों को सताने और उनके काम को रोकने के लिए उकसाते हैं, जैसा हाल ही में पूर्वी यूरोप में कुछ हुल्लड़ मचानेवाले धार्मिक अगुए कर रहे हैं। यहोवा ऐसे दुष्ट काम करनेवालों के विरुद्ध कार्यवाही करने का अपना निश्चय ज़ाहिर करता है।—योएल ३:४-८.
“युद्ध की तैयारी करो”!
११. यहोवा अपने दुश्मनों को युद्ध के लिए चुनौती कैसे देता है?
११ इसके बाद, यहोवा जातियों के बीच एक चुनौती की घोषणा करने के लिए अपने लोगों को पुकारता है: “युद्ध की तैयारी करो, अपने शूरवीरों को उभारो। सब योद्धा निकट आकर लड़ने को चढ़ें।” (योएल ३:९) यह एक अनोखे किस्म के युद्ध, धर्मी युद्ध की घोषणा है। यहोवा के निष्ठावान साक्षी झूठे प्रचार का जवाब देते वक्त आध्यात्मिक हथियारों पर भरोसा रखते हैं, झूठ को सच्चाई से हराते हैं। (२ कुरिन्थियों १०:४; इफिसियों ६:१७) जल्द ही, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई” परमेश्वर द्वारा घोषित की जाएगी। यह पृथ्वी से परमेश्वर की सर्वसत्ता के सभी विरोधियों का सफाया करेगी। पृथ्वी पर उसके लोगों को शारीरिक रूप से उसमें कोई भी हिस्सा नहीं लेना पड़ेगा। वास्तविक और लाक्षणिक रूप से, उन्होंने ‘अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल और अपने भालों को हंसिया बनाया’ है। (यशायाह २:४) इसके विपरीत, यहोवा जातियों को इसके उल्टा करने की चुनौती देता है: “अपने अपने हल की फाल को पीटकर तलवार, और अपनी अपनी हंसिया को पीटकर बर्छी बनाओ।” (योएल ३:१०) वह उन्हें आमंत्रित करता है कि इस लड़ाई में अपने सारे अस्त्र-शस्त्र और आधुनिक हथियार लगा लें। फिर भी वे सफल नहीं हो सकते, क्योंकि लड़ाई और जीत यहोवा की है!
१२, १३. (क) शीत युद्ध के समाप्त होने के बावजूद, अनेक राष्ट्रों ने कैसे दिखाया है कि वे अब भी युद्ध के लिए तैयार हैं? (ख) राष्ट्र किस बात के लिए तैयार नहीं हैं?
१२ राष्ट्रों ने १९९० के दशक के आरंभ में घोषणा की कि शीत युद्ध समाप्त हो गया है। इस बात को मद्देनज़र रखते हुए, क्या संयुक्त राष्ट्र का शांति और सुरक्षा का बुनियादी लक्ष्य हासिल किया जा चुका है? बिलकुल नहीं! इराक, कांगो का लोकतांत्रिक गणराज्य, बुरुण्डी, भूतपूर्व युगोस्लाविया, रुवाण्डा, लाइबीरिया, और सोमालिया में हाल में हुई घटनाएँ हमें क्या बताती हैं? यिर्मयाह ६:१४ के शब्दों में वे कह रहे हैं: “‘शान्ति है, शान्ति,’ . . . परन्तु शान्ति कुछ भी नहीं।”
१३ कुछ जगहों पर खुल्लमखुल्ला युद्ध नहीं होता, फिर भी संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्र अभी-भी युद्ध के जटिल हथियार बनाने के लिए एक दूसरे से होड़ में लगे हैं। कुछ राष्ट्रों ने परमाणु हथियारों का स्टॉक बनाए रखा है। दूसरे कत्लेआम के लिए रासायनिक या जीवाणु हथियार बनाते हैं। जैसे-जैसे अरमगिदोन नामक लाक्षणिक स्थान में वे जातियाँ इकट्ठी होती हैं, वह उन्हें चुनौती देता है: “जो बलहीन हो वह भी कहे, मैं वीर हूं। हे चारों ओर के जाति जाति के लोगो, फुर्ती करके आओ और इकट्ठे हो जाओ।” योएल तब अपना आग्रह बीच में लाता है: “हे यहोवा, तू भी अपने शूरवीरों को वहां ले जा।” (तिरछे टाइप हमारे।)—योएल ३:१०, ११.
यहोवा अपनों की रक्षा करता है
१४. यहोवा के शूरवीर कौन हैं?
१४ यहोवा के शूरवीर कौन हैं? बाइबल में कुछ २८० बार, सच्चे परमेश्वर को “सेनाओं का यहोवा” पुकारा गया है। (२ राजा ३:१४) ये सेनाएँ स्वर्ग में रहनेवाले स्वर्गदूत हैं जो यहोवा का कहना पूरा करने के लिए तैयार रहते हैं। जब आरामियों ने एलीशा को पकड़ने की कोशिश की, तब यहोवा ने आखिरकार एलीशा के सेवक की आँखें खोल दीं ताकि वह देख सके कि क्यों वे सफल नहीं होंगे: “एलीशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भरा हुआ” था। (२ राजा ६:१७) यीशु ने कहा कि वह अपने पिता से “स्वर्गदूतों की बारह पलटन से अधिक” की बिनती कर सकता था। (मत्ती २६:५३) यीशु के, अरमगिदोन में न्यायदंड देने के लिए सवार होकर आने का वर्णन करते हुए, प्रकाशितवाक्य कहता है: “स्वर्ग की सेना श्वेत घोड़ों पर सवार और श्वेत और शुद्ध मलमल पहिने हुए उसके पीछे पीछे हैं। और जाति जाति को मारने के लिये उसके मुंह से एक चोखी तलवार निकलती है, और वह लोहे का राजदण्ड लिए हुए उन पर राज्य करेगा, और वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के भयानक प्रकोप की जलजलाहट की मदिरा के कुंड में दाख रौंदेगा।” (प्रकाशितवाक्य १९:१४, १५) इस लाक्षणिक मदिरा के कुंड का वर्णन सुस्पष्ट शब्दों में “परमेश्वर के प्रकोप के बड़े रस के कुण्ड” के रूप में किया गया है।—प्रकाशितवाक्य १४:१७-२०.
१५. जातियों के विरुद्ध यहोवा के युद्ध का वर्णन योएल कैसे करता है?
१५ तो फिर, परमेश्वर के अपने शूरवीरों को वहाँ भेजने के योएल के आग्रह का जवाब यहोवा कैसे देता है? इन स्पष्ट शब्दों में: “जाति जाति के लोग उभरकर चढ़ जाएं और यहोशापात की तराई में जाएं, क्योंकि वहां मैं चारों ओर की सारी जातियों का न्याय करने को बैठूंगा। हंसुआ लगाओ, क्योंकि खेत पक गया है। आओ, दाख रौंदो, क्योंकि हौज़ भर गया है। रसकुण्ड उमण्डने लगे, क्योंकि उनकी बुराई बहुत बड़ी है। निबटारे की तराई में भीड़ की भीड़ है! क्योंकि निबटारे की तराई में यहोवा का दिन निकट है। सूर्य और चन्द्रमा अपना अपना प्रकाश न देंगे, और न तारे चमकेंगे। और यहोवा सिय्योन से गरजेगा, और यरूशलेम से बड़ा शब्द सुनाएगा; और आकाश और पृथ्वी थरथराएंगे।”—योएल ३:१२-१६.
१६. जिन लोगों को यहोवा न्यायदंड देता है उनमें कौन शामिल होंगे?
१६ जैसे यह पक्की बात है कि यहोशापात नाम का अर्थ है “यहोवा न्यायी है,” वैसे ही यह पक्की बात है कि न्यायदंड देकर परमेश्वर यहोवा अपनी सर्वसत्ता को पूरी तरह दोषनिवारित करेगा। भविष्यवाणी उन लोगों का वर्णन “निबटारे की तराई में भीड़ की भीड़” के रूप में करती है जो कठोर न्यायदंड पाते हैं। झूठे धर्म का अगर कोई समर्थक बचा हुआ है तो वह भी उस भीड़ में होगा। इनमें वे लोग भी शामिल होंगे जिनका वर्णन दूसरे भजन में किया गया है, जाति जाति, देश देश, पृथ्वी के राजा और हाकिम, जिन्होंने ‘डरते हुए यहोवा की उपासना करने’ के बजाय इस संसार की भ्रष्ट व्यवस्था को चुना है। ये ‘पुत्र को चूमने’ से इनकार करते हैं। (भजन २:१, २, ११, १२) वे यीशु को यहोवा के संगी राजा के रूप में मान्यता नहीं देते। इसके अलावा, विनाश के लिए चिन्हित भीड़ में वे सभी लोग शामिल होंगे जिन्हें वह महिमावान राजा “बकरी” घोषित करेगा। (मत्ती २५:३३, ४१) जब स्वर्गीय यरूशलेम से गरजने का यहोवा का निश्चित समय आएगा, तब उसका नियुक्त राजाओं का राजा उस न्यायदंड को देने के लिए निकलेगा। आकाश और पृथ्वी निश्चय ही काँप उठेंगे! लेकिन, हमें आश्वस्त किया गया है: “यहोवा अपनी प्रजा के लिये शरणस्थान और इस्राएलियों के लिये गढ़ ठहरेगा।”—योएल ३:१६.
१७, १८. किसकी पहचान बड़े क्लेश से बचनेवालों के रूप में करायी गयी है, और वे किन परिस्थितियों का आनंद उठाएँगे?
१७ प्रकाशितवाक्य ७:९-१७ “एक ऐसी बड़ी भीड़” की पहचान उन लोगों के तौर पर कराता है जो यीशु के लहू की छुड़ौती शक्ति में विश्वास जताने के कारण उस बड़े क्लेश में से निकलकर आए हैं। ये लोग यहोवा के दिन में सुरक्षा पाएँगे, जबकि योएल की भविष्यवाणी की भीड़ की भीड़ कठोर न्यायदंड पाती है। योएल बचनेवालों से कहता है: “इस प्रकार तुम जानोगे कि यहोवा जो अपने पवित्र पर्वत सिय्योन पर वास किए रहता है, वही हमारा परमेश्वर है।” सिय्योन यहोवा का स्वर्गीय निवास-स्थान है।—योएल ३:१७क.
१८ उसके बाद भविष्यवाणी हमें बताती है कि परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य का अधिकार-क्षेत्र “पवित्र ठहरेगा, और परदेशी उस में होकर फिर न जाने पाएंगे।” (योएल ३:१७ख) उस स्वर्गीय राज्य के स्वर्गीय और पार्थिव क्षेत्र में कोई भी परदेशी नहीं होगा, क्योंकि सभी शुद्ध उपासना में संयुक्त होंगे।
१९. आज परमेश्वर के लोगों की परादीसीय खुशी का वर्णन योएल ने कैसे किया है?
१९ आज भी, यहाँ पृथ्वी पर यहोवा के लोगों में प्रचुर शांति व्याप्त है। एकता से वे २३० से अधिक देशों में और कुछ ३०० विभिन्न भाषाओं में यहोवा के न्यायदंड की घोषणा कर रहे हैं। उनकी समृद्धि का वर्णन सुंदर ढंग से योएल ने किया है: “उस समय पहाड़ों से नया दाखमधु टपकने लगेगा, और टीलों से दूध बहने लगेगा, और यहूदा देश के सब नाले जल से भर जाएंगे।” (योएल ३:१८) जी हाँ, यहोवा पृथ्वी पर अपने स्तुति करनेवालों पर अपरंपार आनंददायक आशीषें और समृद्धि तथा मूल्यवान सच्चाई की बढ़ती धारा की लगातार बरसात करेगा। निबटारे की तराई में यहोवा की सर्वसत्ता पूर्ण रूप से दोषनिवारित हो चुकी होगी, और आनंद की बहुतायत होगी क्योंकि वह अपने छुड़ाए हुए लोगों के बीच सदा वास किए रहता है।—प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
क्या आपको याद है?
◻ यहोवा ने यहोशापात के दिनों में अपने लोगों को कैसे बचाया?
◻ “निबटारे की तराई में” यहोवा ने किसे विनाश के योग्य होने का न्यायदंड दिया?
◻ यहोवा के शूरवीर कौन हैं और वे अंतिम युद्ध में कौन-सी भूमिका निभाएँगे?
◻ वफादार उपासक किन खुशियों का आनंद उठाते हैं?
[पेज 21 पर तसवीर]
यहूदा से कहा गया: ‘मत डरो, युद्ध तुम्हारा नहीं, परमेश्वर का है’
[पेज 23 पर तसवीर]
यहोवा अपने दुश्मनों को चुनौती देता है कि “हल की फाल को पीटकर तलवार” बनाएँ
[पेज 24 पर तसवीर]
बाइबल बड़े क्लेश से बचनेवालों की बड़ी भीड़ की पहचान कराती है