अध्याय ९
नरक किस प्रकार का स्थान है?
१. नरक के विषय में धर्म क्या शिक्षा देते रहे हैं?
करोड़ों लोगों को उनके धर्मों द्वारा यह शिक्षा दी गयी है कि नरक वह स्थान है जहाँ लोगों को यातना दी जाती है। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानीका के अनुसार, “रोमन कैथोलिक संस्था यह शिक्षा देती है कि नरक . . . सदा बना रहेगा; उसकी यातनाओं का कोई अन्त नहीं है।” एनसाइक्लोपीडिया यह भी कहती है कि इस कैथोलिक शिक्षा को “अनेक रूढ़िवादी प्रोटेस्टेंट समुदाय अभी तक अपनाए हुए हैं।” हिन्दू और बौद्ध धर्म के अनुयायी और मुस्लिम भी यही शिक्षा देते हैं कि नरक यातनाओं का स्थान है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि वे लोग जिनको यह शिक्षा दी गयी है, बहुधा यह कहते हैं कि यदि नरक इतना बुरा स्थान है तो वे उसके विषय में बात नहीं करना चाहते हैं।
२. आग में बच्चों को जलाये जाने के संबंध में परमेश्वर क्या सोचता था?
२ इससे यह प्रश्न उठता है: क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने इस प्रकार के यातना-स्थान की रचना की थी? उस समय परमेश्वर का दृष्टिकोण क्या था जब इस्राएलियों ने उन लोगों के उदाहरण का अनुकरण करके जो उनके आस-पास रहते थे, अपने बच्चों को आग में जलाने लगे थे? वह अपने वचन में व्याख्या देता है: “उन्होंने हिन्नोमवंशियों की तराई में तोपेत नामक ऊंचे स्थान बनाकर, अपने बेटे और बेटियों को आग में जलाया है जिसकी आज्ञा मैंने कभी नहीं दी, न इस बात का विचार मेरे मन में कभी आया।”—यिर्मयाह ७:३१.
३. क्यों यह सोचना कि परमेश्वर लोगों को यातना देगा, तर्कहीन और पवित्र शास्त्र के विरुद्ध है?
३ अब आप इस विषय पर ग़ौर कीजिए। यदि आग में लोगों को भूनने का विचार परमेश्वर के मन में कभी नहीं आया था, तो क्या यह बात तर्कसंगत लगती है कि उसने एक अग्निमय नरक उन लोगों के लिये बनाया जो उसकी सेवा नहीं करते हैं? बाइबल कहती है, “परमेश्वर प्रेम है।” (१ यूहन्ना ४:८) क्या एक स्नेही परमेश्वर वास्तव में लोगों को सर्वदा यातना देता रहेगा? क्या आप ऐसा करेंगे? परमेश्वर के प्रेम के ज्ञान से, हमें इस बात की प्रेरणा मिलनी चाहिये, कि यह जानने के लिये हम उसका वचन देखें कि नरक वास्तव में क्या है। वहाँ कौन जाते हैं और कितने समय तक रहते हैं?
शीओल और हेडीस
४. (क) वे इब्रानी और यूनानी शब्द क्या हैं जिनका अनुवाद अंग्रेजी में “हेल्ल” (नरक) किया है? (ख) किंग जेम्स वर्शन में शब्द शीओल का अनुवाद क्या हुआ है?
४ वेबस्टरर्स डिक्शनरी यह कहती है कि यह अंग्रेज़ी शब्द “हेल्ल” (नरक) इब्रानी शब्द शीओल और यूनानी शब्द हेडीस के तुल्य है। जर्मन भाषा की बाइबलों में शब्द होएले शब्द “हेल्ल” के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है; पुर्तगाली भाषा में शब्द इनफरनो, स्पॅनिश भाषा में शब्द इनफियरनो, और फ्रेंच भाषा में एनफर का प्रयोग हुआ है। ऑथराइज़्ड वर्शन अथवा किंग जेम्स वर्शन के अंग्रेज़ी अनुवादकों ने शीओल का अनुवाद ३१ बार “नरक” (अंग्रेज़ी में ‘हेल्ल’) और ३१ बार “क़ब्र” (अंग्रेज़ी में ‘ग्रेव’) और तीन बार “गड्ढा” (अंग्रेज़ी में ‘पिट’) किया है। बाइबल के कैथोलिक डूवे वर्शन ने शीओल का अनुवाद ६४ बार “नरक” (हेल्ल) किया है। मसीही यूनानी शास्त्र में (जो साधारणतया न्यू टेस्टामेंट कहलाता है) किंग जेम्स वर्शन ने १० स्थानों पर जहाँ हेडीस का प्रयोग हुआ है, वहाँ उसका अनुवाद “नरक” (हेल्ल) किया है।—मत्ती ११:२३; १६:१८; लूका १०:१५; १६:२३; प्रेरितों के काम २:२७, ३१; प्रकाशितवाक्य १:१८; ६:८; २०:१३, १४.
५. शीओल और हेडीस के संबंध में क्या प्रश्न उठता है?
५ प्रश्न यह है: शीओल अथवा हेडीस किस प्रकार का स्थान है? यह तथ्य कि किंग जेम्स वर्शन एक इब्रानी शब्द शीओल का अनुवाद तीन भिन्न तरीकों से करता है, यह प्रदर्शित करता है कि नरक (हेल्ल), क़ब्र (ग्रेव) और गड्ढ़ा (पिट) का अर्थ एक ही है। और यदि नरक का अर्थ मानवजाति की सामान्य क़ब्र है तो उसी समय उसका अर्थ अग्निमय यातना का स्थान नहीं हो सकता। तब क्या शीओल और हेडीस का अर्थ क़ब्र है या उनका अर्थ यातना का स्थान है?
६.(क) बाइबल कैसे प्रदर्शित करती है कि शीओल और हेडीस एक ही अर्थ रखते हैं? (ख) इस वास्तविकता से कि यीशु हेडीस में था, क्या प्रदर्शित होता है?
६ इस प्रश्न का उत्तर देने से पहले हम इस बात को स्पष्ट करें कि इब्रानी शब्द शीओल और यूनानी शब्द हेडीस का एक ही अर्थ है। यह इब्रानी शास्त्र में भजन संहिता १६:१० और मसीही यूनानी शास्त्र में प्रेरितों के काम २:३१ को देखकर स्पष्ट होता है, इन पदों को आप अगले पृष्ठ पर देख सकते हैं। इस बात पर ध्यान दीजिए कि प्रेरितों के काम २:३१ में उद्धृत भजन संहिता १६:१० में जहाँ शब्द शीओल का प्रयोग हुआ है, उसका अनुवाद हेडीस किया गया है। और इस पर भी ग़ौर कीजिये कि यीशु मसीह हेडीस अथवा नरक (हेल्ल) में था। क्या हम इस बात पर विश्वास करें कि परमेश्वर अग्निमय नरक में मसीह को दुःख देता रहा? निश्चय नहीं! यीशु केवल अपनी क़ब्र में था।
७, ८. याकूब और उसके पुत्र यूसुफ के संबंध में और अय्यूब के संबंध में जो कुछ कहा गया है वह कैसे सिद्ध करता है कि शीओल यातना देने का एक स्थान नहीं है?
७ जब याकूब अपने प्रिय पुत्र यूसुफ के लिये शोक कर रहा था जिसके विषय में वह सोचता था कि वह मार दिया गया था, उसने यह कहा: “मैं शोक करता हुआ अपने पुत्र के पास शीओल में उतर जाऊंगा!” (उत्पत्ति ३७:३५) तथापि किंग जेम्स वर्शन यहाँ शीओल का अनुवाद “क़ब्र” करता है और डूवे वर्शन उसका अनुवाद “नरक” करता है। अब आप, क्षण भर के लिये रुकिये और सोचिये। क्या याकूब यही विश्वास करता था कि उसका पुत्र यूसुफ अनन्त काल के लिये यातना के स्थान में चला गया था और क्या वह वहाँ जाकर उससे मिलना चाहता था? या इसकी अपेक्षा क्या यह बात थी कि याकूब केवल यही सोचता था कि उसका प्रिय पुत्र मर गया था और क़ब्र में था और कि याकूब स्वयं मरना चाहता था?
८ हाँ, अच्छे लोग बाइबल में वर्णित नरक में जाते हैं। उदाहरणतया अय्यूब जो भला पुरुष था और अत्यधिक दुःख उठा रहा था, परमेश्वर से यह प्रार्थना की: “भला होता कि तू मुझे शीओल [किंग जेम्स वर्शन में क़ब्र; और डूवे वर्शन में नरक] में छिपा लेता . . . तू मेरे लिये समय नियुक्त करता और फिर मेरी सुधि लेता!” (अय्यूब १४:१३) अब सोचिये: यदि शीओल का अर्थ अग्नि और यातना का स्थान होता तो क्या अय्यूब वहाँ जाने के लिये इच्छुक होता और उस समय तक वहाँ रहता जब तक परमेश्वर उसको याद नहीं करता? स्पष्टतया, अय्यूब मरना चाहता था और क़ब्र में जाना चाहता था जिससे उसके दुःखों का अन्त हो जाय।
९. (क) वे जो शीओल में हैं किस दशा में हैं? (ख) अतः शीओल और हेडीस क्या है?
९ बाइबल में जिन स्थानों में शब्द शीओल आता है, वह कभी जीवन, सक्रियता अथवा यातना से संयुक्त नहीं है। इसकी अपेक्षा वह बहुधा मृत्यु और निष्क्रियता से सम्बन्धित है। उदाहरणतया, सभोपदेशक ९:१० पर गौर कीजिए जहाँ यह लिखा है: “जो काम तेरे हाथ को करने के लिये मिले उसे अपनी शक्ति भर कर क्योंकि शीओल [क़ब्र, किंग जेम्स वर्शन और नरक, डूवे वर्शन] अर्थात् वह स्थान जहाँ तुझे जाना है, न काम है न युक्ति, न ज्ञान और न बुद्धि है।” अतः इससे उपर्युक्त प्रश्नों का उत्तर स्पष्ट हो जाता है। शीओल और हेडीस यातना के स्थान की ओर नहीं, बल्कि मानवजाति की सामान्य क़ब्र की ओर संकेत करते हैं। (भजन संहिता १३९:८) अच्छे लोग और बुरे लोग दोनों बाइबल में वर्णित नरक में जाते हैं।
नरक से बाहर निकलना
१०, ११. क्यों योना ने जब वह मछली के पेट में था, यह कहा कि वह नरक में था?
१० क्या लोग नरक में से बाहर निकल सकते हैं? योना, भविष्यवक्ता की स्थिति पर ग़ौर कीजिए। जब योना को डूबने से बचाने के लिये परमेश्वर के आदेश पर एक बड़ी मछली ने उसे निगल लिया तो योना ने मछली के पेट में यह प्रार्थना की: “मैंने अपने संकट में यहोवा को पुकारा और उसने मेरी सुनी। मैं शीओल [नरक, किंग जेम्स वर्शन और डूवे वर्शन (२:३)] के पेट में से सहायता के लिये चिल्लाया और तूने मेरी सुन ली।”—योना २:२.
११ योना के लिये “नरक के पेट में से चिल्लाने” का क्या अर्थ था? निश्चय उस मछली का पेट एक अग्निमय यातना का स्थान नहीं था। परन्तु वह योना की क़ब्र बन सकता था। वास्तविकता यह है कि यीशु मसीह ने अपने सम्बन्ध में यह कहा था: “जिस प्रकार योना बड़ी मछली के पेट में तीन दिन और तीन रात रहा इसी प्रकार परमेश्वर का पुत्र भी तीन दिन और तीन रात पृथ्वी के अन्दर रहेगा।”—मत्ती १२:४०.
१२. (क) इस बात का क्या प्रमाण है कि वे जो नरक में हैं, उसमें से बाहर निकल सकते हैं? (ख) इस बात का कि शब्द “नरक” का अर्थ “कब्र” है क्या अतिरिक्त प्रमाण है?
१२ यीशु मर गया था और अपनी क़ब्र में तीन दिन रहा। परन्तु बाइबल यह सूचना देती है: “उसके प्राण को नरक में नहीं छोड़ा गया . . . इस यीशु को परमेश्वर ने जी उठाया।” (प्रेरितों के काम २:३१, ३२, किंग जेम्स वर्शन) इसी समान रीति से परमेश्वर के निर्देश द्वारा योना को उस नरक में से अर्थात् उसमें से जो उसकी क़ब्र हो जाती, जी उठाया गया। यह उस समय घटित हुआ जब उस मछली ने उसे सूखी भूमि पर उगल दिया। हाँ, लोग नरक में से अवश्य निकल सकते हैं! वास्तव में स्नेहपूर्ण प्रतिज्ञा यह है कि नरक (हेडीस) अपने तमाम मृतकों से खाली हो जायेगा। यह प्रकाशितवाक्य २०:१३ को पढ़कर देखा जा सकता है जहाँ वह यह कहता है: “समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उसमें थे, दे दिया; और मृत्यु और नरक [हेडीस] ने उन मरे हुओं को जो उनमें थे, दे दिया और प्रत्येक व्यक्ति के कामों के अनुसार उनका न्याय किया गया।”—किंग जेम्स वर्शन।
गेहन्ना और आग की झील
१३. क्या है वह यूनानी शब्द जो बाइबल में १२ बार आता है, जिसका अनुवाद किंग जेम्स वर्शन में “हेल्ल” (नरक) हुआ है?
१३ फिर भी कोई यह कहकर विरोध कर सकता है: ‘बाइबल अवश्य नरक की अग्नि और आग की झील के विषय में बताती है। क्या इससे यह सिद्ध नहीं होता है कि नरक एक यातना का स्थान है?’ यह सच है कि कुछ बाइबल अनुवाद उदाहरणतया किंग जेम्स वर्शन “नरक अग्नि” और “नरक अर्थात् कभी न बुझनेवाली आग में डाले जाने” के विषय में बताते हैं। (मत्ती ५:२२; मरकुस ९:४५) मसीही यूनानी शास्त्र में कुल मिलाकर १२ पद ऐसे हैं, जहाँ किंग जेम्स वर्शन यूनानी शब्द गेहन्ना का अनुवाद “नरक” करता है। क्या वास्तव में गेहन्ना अग्निमय यातना का स्थान है और जबकि हेडीस जिसका अनुवाद “नरक” किया जाता है, उसका अर्थ केवल क़ब्र है?
१४. गेहन्ना क्या है और वहाँ क्या होता था?
१४ स्पष्टतया इब्रानी शब्द शीओल और यूनानी शब्द हेडीस दोनों का अर्थ क़ब्र है। तब गेहन्ना का क्या अर्थ है? इब्रानी शास्त्र में गेहन्ना “हिन्नोम की तराई” है। याद कीजिए कि हिन्नोम उस तराई का नाम था जो यरूशलेम की दीवारों के बाहर थी, और जहाँ इस्राएली आग में अपने बच्चों की बलि चढ़ाते थे। बाद में एक भले राजा योशिय्याह ने इस तराई को इस प्रकार के भयंकर कार्य के लिये अशुद्ध ठहरा दिया था। (२ राजा २३:१०) वह एक कूड़ा करकट फेंकने का एक बहुत बड़ा स्थान बना दिया गया था।
१५. (क) यीशु के दिनों में गेहन्ना किस कार्य के लिए इस्तेमाल होता था? (ख) वह क्या था जो वहाँ कभी नहीं फेंका जाता था?
१५ अतः जब यीशु पृथ्वी पर था तब उस समय गेहन्ना यरूशलेम का कूड़ा करकट फेंकने का स्थान था। वहाँ कूड़ा करकट जलाने के लिये गंधक डालकर आग को निरन्तर प्रज्वलित रखा जाता था। स्मिथ की बाइबल डिक्शनरी, पुस्तक १, व्याख्या करती है: “वह नगर का सामान्य कूड़ा करकट फेंकने का स्थान बन गया था जहाँ अपराधियों के मृत शरीर और पशुओं की लाशें और हर अन्य प्रकार की गन्दगी फेंकी जाती थी।” तथापि वहाँ कोई जीवित प्राणी नहीं फेंके जाते थे।
१६. इस बात का प्रमाण क्या है कि गेहन्ना अनन्त विनाश के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल होता था?
१६ यरूशलेम के निवासी अपने नगर के कूड़ा करकट फेंकने के स्थान के विषय में भली भांति परिचित थे इसलिये वे समझते थे कि यीशु का क्या अर्थ था जब उसने कुछ धार्मिक नेताओं से यह कहा था: “हे सर्पो और करैतों के बच्चो, तुम गेहन्ना के न्याय से कैसे बच निकलोगे?” (मत्ती २३:३३) स्पष्टतया यीशु का यह अर्थ नहीं था कि वे धार्मिक नेता वहाँ यातना अनुभव करेंगे। इसलिये, कि जब इस्राएली अपने बच्चों को जीवित उस तराई में जलाते थे तो परमेश्वर ने कहा था कि उसके मन में इस प्रकार की भयंकर बात कभी नहीं आयी थी! अतः यह बात स्पष्ट थी कि यीशु गेहन्ना को पूर्ण और अनन्त विनाश के एक उपयुक्त प्रतीक के रूप में प्रयोग कर रहा था। उसका यह अर्थ था कि वे दुष्ट धार्मिक नेता पुनरुत्थान पाने के योग्य नहीं थे। वे जो यीशु की सुन रहे थे, समझ सकते थे कि जो गेहन्ना में जायेंगे, कूड़ा करकट के समान सदा के लिये नष्ट कर दिये जायेंगे।
१७. “आग की झील” क्या है और इस बात का वहाँ क्या प्रमाण है?
१७ तब बाइबल की प्रकाशितवाक्य पुस्तक में वर्णित “आग की झील” क्या है? इसका और गेहन्ना का समान अर्थ है। उसका अर्थ चेतनावस्था में यातना नहीं बल्कि अनन्त मृत्यु अथवा विनाश है। ग़ौर कीजिये कि स्वयं बाइबल यही बात प्रकाशितवाक्य के २०:१४ में कैसे कहती है: “मृत्यु और हेडीस [नरक, किंग जेम्स वर्शन और डूवे वर्शन] आग की झील में डाले गये। यह आग की झील दूसरी मृत्यु है।” हाँ, आग की झील का अर्थ “दूसरी मृत्यु” है, अर्थात् वह मृत्यु जिसमें से पुनरुत्थान नहीं है। यह स्पष्ट है कि यह “झील” एक प्रतीक है क्योंकि मृत्यु और नरक (हेडीस) उसमें फेंके गये हैं। मृत्यु और नरक अक्षरशः आग में जलाये नहीं जा सकते हैं। परन्तु वे समाप्त अथवा नष्ट किये जा सकते हैं और कर दिये जायेंगे।
१८. इसका क्या अर्थ है कि इबलीस “आग की झील” में सर्वदा पीड़ा उठाता रहेगा?
१८ परन्तु कोई शायद यह कहे: ‘फिर भी बाइबल कहती है कि इबलीस आग की झील में सर्वदा पीड़ा उठाता रहेगा।’ (प्रकाशितवाक्य २०:१०) इसका क्या अर्थ है? जब यीशु पृथ्वी पर था तो उस समय कारापाल कभी-कभी “यन्त्रणा देने वाले” कहे जाते थे। जैसाकि यीशु ने अपने एक उदाहरण में किसी एक आदमी के विषय में यह कहा: “और उसके स्वामी ने क्रोध में आकर उसे यन्त्रणा देनेवालों के हाथ में उस समय तक सौंप दिया जब तक वह अपना सारा कर्ज अदा न कर दे।” (मत्ती १८:३४, किंग जेम्स वर्शन) क्योंकि वे जो “आग की झील” में फेंक दिये जाते हैं “दूसरी मृत्यु” को प्राप्त करते हैं जिसमें से पुनरुत्थान नहीं है इसलिये कहा जा सकता है कि वे मृत्यु के कारागार में सदा के लिये बंद है। वे मृत रहते हैं अर्थात् दूसरे शब्दों में वे अनन्त काल के लिए कारापाल की हिरासत में हैं। निश्चय दुष्ट अक्षरशः उत्पीड़ित नहीं होते हैं क्योंकि जैसाकि हम देख चुके हैं कि जब एक व्यक्ति मर जाता है तो वह पूर्ण रूप से अनास्तित्व की स्थिति में आ जाता है। उसे किसी बात की चेतना नहीं रहती है।
धनवान पुरुष और लाज़र
१९. हम कैसे जानते हैं कि धनवान पुरुष और लाजर के विषय में दिया हुआ यीशु का वृत्तांत एक उदाहरण है?
१९ यीशु का क्या अभिप्राय था जब उसने अपने एक उदाहरण में यह कहा था: “ऐसा हुआ कि वह कंगाल मर गया और स्वर्गदूतों ने उसे लेकर इब्राहीम के पास पहुंचा दिया: वह धनवान भी मर गया और दफ़न किया गया; और नरक [हेडीस] में जहाँ वह पीड़ित था उसमें अपनी आँखें ऊपर उठायीं और दूर से इब्राहीम को और लाज़र को उसके पास देखा”? (लूका १६:१९-३१; किंग जेम्स वर्शन) क्योंकि जैसाकि हम देख चुके हैं हेडीस मानवजाति की क़ब्र की ओर न कि यातना के स्थान की ओर संकेत करता है तो यह बात स्पष्ट हो जाती है कि यीशु यहाँ एक कहानी द्वारा एक उदाहरण दे रहा था। इस बात का एक अतिरिक्त प्रमाण कि वह एक शाब्दिक वर्णन नहीं था बल्कि वह एक उदाहरण था, इस पर विचार कीजिये: क्या शाब्दिक रूप से नरक और स्वर्ग के बीच इतना कम फासला है कि इस प्रकार का वास्तविक वार्तालाप हो सकता था? इसके अतिरिक्त यदि वह धनवान पुरुष शाब्दिक रूप से एक जलती हुई झील में था तो इब्राहीम लाज़र को धनवान पुरुष के पास भेज सकता था कि वह जाकर अपनी उंगुली पर पड़ी हुई पानी की बूंद से उसकी जीभ को ठंड करे? तब यीशु किस बात का उदाहरण दे रहा था?
२०. (क) धनवान पुरुष (ख) लाजर (ग) प्रत्येक की मृत्यु (घ) धनवान पुरुष की पीड़ा के संबंध में इस उदाहरण का क्या अर्थ है?
२० इस उदाहरण में धनवान पुरुष उन धार्मिक नेताओं का प्रतिनिधित्व करता था जो स्वयं को महत्वपूर्ण समझते थे और जिन्होंने यीशु को अस्वीकार किया था और बाद में उसे जान से मार दिया था। लाज़र उन साधारण लोगों को चित्रित करता था, जिन्होंने परमेश्वर के पुत्र को स्वीकार किया था। धनवान पुरुष और लाज़र दोनों की मृत्यु उनकी स्थिति में एक परिवर्तन का प्रतिनिधित्व कहती थी। यह परिवर्तन उस समय हुआ जब यीशु ने आध्यात्मिक रूप से उपेक्षित लाज़र समान लोगों को भोजन दिया, जिससे कि वे इस प्रकार महान इब्राहीम अर्थात् यहोवा परमेश्वर का अनुग्रह में आ गये थे। उसी समय झूठे धार्मिक नेता परमेश्वर का अनुग्रह प्राप्त करने से वंचित रहे अर्थात् उसके प्रति “मर गये”। क्योंकि वे परमेश्वर की दृष्टि से गिर गये थे तब उन्होंने उस समय पीड़ा अनुभव की जब मसीह के अनुयायियों ने उनके बुरे कार्यों को खुला किया। (प्रेरितों के काम ७:५१-५७) अतः यह उदाहरण इस बात की शिक्षा नहीं देता है कि कुछ मरे हुए लोग वास्तविक अग्निमय नरक में यातना उठाते हैं।
इबलीस-उत्प्रेरित शिक्षायें
२१. (क) इबलीस ने क्या क्या झूठ फैलाये हैं? (ख) हम कैसे निश्चित हो सकते हैं कि शोधन स्थान की शिक्षा झूठी है?
२१ इबलीस था जिसने हव्वा से यह कहा था: “तुम निश्चय नहीं मरोगे।” (उत्पत्ति ३:४; प्रकाशितवाक्य १२:९) परन्तु वह अवश्य मर गयी; उसका कोई भाग जीवित नहीं रहा। यह कहना कि प्राण मृत्यु के बाद जीवित रहता है एक झूठ है जो इबलीस द्वारा हर जगह फैलाया गया है। दुष्टों के प्राण नरक अथवा शोधन स्थान में पीड़ा उठाते हैं यह भी एक झूठ है जो इबलीस ने फैलाया है। क्योंकि बाइबल स्पष्टतया यह प्रदर्शित करती है कि मरे हुए लोग अचेतन अवस्था में होते हैं, ये शिक्षाएं सच नहीं हो सकती हैं। वास्तव में यह शब्द “शोधन स्थान” और न शोधन स्थान की कल्पना बाइबल में मिलती है।
२२. (क) हमने इस अध्याय से क्या सीखा है? (ख) आप पर इस ज्ञान का क्या प्रभाव हुआ है?
२२ हम देख चुके हैं कि नरक (शीओल अथवा हेडीस) मरे हुओं के लिए आशा में, विश्राम करने का स्थान है। वहाँ अच्छे और बुरे दोनों व्यक्ति पुनरुत्थान प्राप्त करने के इन्तजार में जाते हैं। हम यह भी सीख चुके हैं कि गेहन्ना का अर्थ यातना का स्थान नहीं है बल्कि वह बाइबल में अनन्त विनाश के प्रतीक के रूप में प्रयुक्त हुआ है। उसी तरीके से “आग की झील” वास्तविक रूप से अग्नि का स्थान नहीं है बल्कि वह उस “दूसरी मृत्यु” का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें से पुनरुत्थान कभी प्राप्त नहीं होगा। नरक यातना का स्थान नहीं हो सकता है क्योंकि इस प्रकार का विचार परमेश्वर के मन अथवा मस्तिष्क में कभी नहीं आया था। इसके अतिरिक्त एक व्यक्ति को जिसने पृथ्वी पर केवल कुछ वर्ष गलत कार्य किये थे, अनन्त काल के लिये यातना देना न्याय के विपरीत है। मरे हुओं के विषय में सच्चाई जानना कितना अच्छा है! वह वास्तव में किसी को भय और अन्धविश्वास से छुटकारा दे सकता है।—यूहन्ना ८:३२.
[पेज ८३ पर तसवीरें]
इब्रानी शब्द “शीओल” और यूनानी शब्द “हेडीस” समानार्थी हैं
अमेरिकन स्टेंडर्ड वर्शन का हिन्दी अनुवाद
१० क्योंकि तू मेरे प्राण
को शीओल
में न छोड़ेगा और
न तू अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा,
३१ उसने उसके होने से पहले ही से देखकर मसीह के जी उठने के विषय में भविष्यवाणी की कि न तो उसका प्राण हेडीस में छोड़ा गया और न उसकी देह सड़ने पायी
[पेज ८४, ८५ पर तसवीरें]
मछली द्वारा निगले जाने के पश्चात् योना ने क्यों यह कहा: ‘मैं नरक में से चिल्ला उठा’?
[पेज ८६ पर तसवीरें]
गेहन्ना यरूशलेम के बाहर एक तराई थी। अनन्त मृत्यु के चिन्ह के रूप में उसका प्रयोग होता था