हम यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे!
“हम लोग अपने परमेश्वर यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।”—मीका 4:5.
1. मीका के अध्याय 3 से 5 में कौन-से संदेश दर्ज़ हैं?
यहोवा अपने लोगों को कुछ बताने जा रहा है और इसके लिए उसने मीका को अपना भविष्यवक्ता ठहराया है। परमेश्वर ने ठान लिया है कि वह कुकर्मियों को उनके किए की सज़ा देकर ही रहेगा। वह इस्राएल को उसकी झूठी उपासना की वजह से दंड देनेवाला है। लेकिन, एक खुशी की बात है कि यहोवा उन लोगों को आशीष देगा जो उसका नाम लेकर चलते हैं। ये सभी संदेश, मीका की भविष्यवाणी के अध्याय 3 से 5 में साफ सुनायी पड़ते हैं।
2, 3. (क) इस्राएल के अगुवों को कौन-सा गुण दिखाना चाहिए था लेकिन असल में वे क्या कर रहे थे? (ख) मीका 3:2, 3 में इस्तेमाल की गयी मिसालों को आप कैसे समझाएँगे?
2 परमेश्वर का भविष्यवक्ता यह पैगाम सुनाता है: “हे याकूब के प्रधानो, हे इस्राएल के घराने के न्याइयो, सुनो! क्या न्याय का भेद जानना तुम्हारा काम नहीं?” बेशक, न्याय करना ही उनका काम था लेकिन वे असल में क्या कर रहे थे? मीका कहता है: “तुम तो भलाई से बैर, और बुराई से प्रीति रखते हो, मानो, तुम, लोगों पर से उनकी खाल, और उनकी हड्डियों पर से उनका मांस उधेड़ लेते हो; वरन तुम मेरे लोगों का मांस खा भी लेते, और उनकी खाल उधेड़ते हो; तुम उनकी हड्डियों को हंडी में पकाने के लिये तोड़ डालते और उनका मांस हंडे में पकाने के लिये टुकड़े टुकड़े करते हो।”—मीका 3:1-3.
3 ये अगुवे गरीबों और लाचारों को कितनी बुरी तरह सता रहे हैं! मीका ने इन आयतों में जो मिसाल दी हैं, उन्हें उस वक्त के लोग आसानी से समझ सकते थे। जब एक भेड़ का वध किया जाता है तो उसे उबालकर पकाने के लिए, पहले उसकी खाल निकाली जाती है और फिर हड्डियों को अलग किया जाता है। कभी-कभी हड्डियों को तोड़ा जाता है ताकि उनके अंदर से गूदा आसानी से निकाला जा सके। इसके बाद मांस और हड्डियों को मिलाकर एक ऐसे बड़े हंडे में उबाला जाता है, जिसका ज़िक्र मीका करता है। (यहेजकेल 24:3-5, 10) मीका ने वाकई सही उदाहरण देकर समझाया कि उसके ज़माने में प्रजा को अपने दुष्ट अगुवों के हाथों कितने ज़ुल्म सहने पड़े।
यहोवा हमसे न्याय से काम करने की उम्मीद करता है
4. यहोवा और इस्राएल के अगुवों में कैसा फर्क है?
4 इस्राएल के अगुवों और प्यार से चरवाही करनेवाले, यहोवा के बीच ज़मीन-आसमान का फर्क है। ये अगुवे न्याय के काम नहीं करते हैं जिस वजह से वे झुंड की हिफाज़त करने की अपनी ज़िम्मेदारी भी नहीं निभा पा रहे। इसके बजाय, जैसे मीका 3:10 कहता है, वे अपने स्वार्थ के लिए आध्यात्मिक भेड़ों को लूटते हैं, उन्हें इंसाफ नहीं दिलाते और यूँ ही भटकने के लिए छोड़ देते हैं ताकि उनकी “हत्या” हो जाए। इससे हम क्या सीख सकते हैं?
5. जो लोग यहोवा के लोगों की अगुवाई करते हैं, उनसे वह क्या उम्मीद करता है?
5 जो परमेश्वर के लोगों की अगुवाई करते हैं, उनसे वह उम्मीद करता है कि वे न्याय के काम करें। आज हम पाते हैं कि यहोवा के सेवकों के अगुवे न्याय से ही काम करते हैं। इसके अलावा, उनका ऐसा करना यशायाह 32:1 की भविष्यवाणी के मुताबिक है, जहाँ हम पढ़ते हैं: “देखो, एक राजा धर्म से राज्य करेगा, और राजकुमार न्याय से हुकूमत करेंगे।” लेकिन मीका के दिनों में हम क्या पाते हैं? ‘भलाई से बैर और बुराई से प्रीति रखनेवाले’ अन्याय करने से बाज़ नहीं आते।
किसकी प्रार्थनाएँ सुनी जाती हैं?
6, 7. मीका 3:4 में किस खास मुद्दे पर ज़ोर दिया गया है?
6 क्या मीका के दिनों के लोग यहोवा का अनुग्रह पाने की उम्मीद कर सकते हैं? बिलकुल नहीं! मीका 3:4 कहता है: “वे उस समय यहोवा की दोहाई देंगे, परन्तु वह उनकी न सुनेगा, वरन उस समय वह उनके बुरे कामों के कारण उन से मुंह फेर लेगा।” इससे हम एक बेहद ज़रूरी सबक सीखते हैं।
7 अगर हम पाप करते रहें तो यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ नहीं सुनेगा। उसी तरह अगर हम दोहरी ज़िंदगी जीएँ यानी परमेश्वर की सेवा वफादारी से करने का ढोंग करते हुए, चोरी-छिपे पाप करते रहें तो भी यहोवा हमारी प्रार्थना नहीं सुनेगा। भजन 26:4 के मुताबिक दाऊद ने गीत में गाया: “मैं निकम्मी चाल चलनेवालों के संग नहीं बैठा, और न मैं कपटियों के साथ कहीं जाऊंगा।” जिस तरह यहोवा कपटियों की प्रार्थनाएँ नहीं सुनता, उसी तरह वह उनकी प्रार्थनाएँ भी नहीं सुनेगा जो जानबूझकर उसके वचन के खिलाफ काम करते हैं!
परमेश्वर की आत्मा से ताकत पाना
8. मीका के दिनों के झूठे भविष्यवक्ताओं को क्या चेतावनी दी गयी थी?
8 इस्राएल के आध्यात्मिक अगुवे कैसे-कैसे नीच काम कर रहे हैं! झूठे भविष्यवक्ताओं ने आध्यात्मिक मायने में परमेश्वर के लोगों की यह हालत बना दी है कि वे दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। लालची अगुवे कहने को तो “शान्ति, शान्ति” पुकारते हैं, मगर यदि कोई उनके मुंह में कुछ न दे, तो उसके विरुद्ध युद्ध करने को तैयार हो जाते हैं। ‘इस कारण’ यहोवा कहता है: ‘तुम पर ऐसी रात आएगी, कि तुम को दर्शन न मिलेगा, और तुम ऐसे अन्धकार में पड़ोगे कि भावी न कह सकोगे। भविष्यद्वक्ताओं के लिये सूर्य अस्त होगा, और दिन रहते उन पर अन्धियारा छा जाएगा। दर्शी लज्जित होंगे, और भावी कहनेवालों के मुंह काले होंगे; और वे अपने ओठों को ढांपेंगे’ या जैसे न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल कहती है, “उन्हें मूछें ढांपनी पड़ेगी।”—मीका 3:5-7क।
9, 10. ‘अपनी मूछें ढांपने’ का मतलब क्या होता है और क्यों मीका को ऐसा करने की ज़रूरत नहीं है?
9 उन्हें क्यों ‘अपनी मूछें ढांपनी’ पड़ेंगी? मीका के समय के दुष्ट लोगों को शर्म के मारे ऐसा करना पड़ता है। और बेशक इन दुष्टों को शर्मिंदा होना ही चाहिए। जब वे प्रार्थना करते हैं, तो उन्हें “परमेश्वर की ओर से उत्तर नहीं मिलता।” (मीका 3:7ख) जी हाँ, यहोवा किसी भी घमंडी और दुष्ट की प्रार्थनाओं पर कान नहीं देता।
10 लेकिन मीका को अपनी ‘मूछें ढांपने’ की ज़रूरत नहीं है। वह शर्मिंदा नहीं है। यहोवा उसकी प्रार्थनाओं का जवाब देता है। मीका 3:8 पर ध्यान दीजिए, जहाँ यह वफादार भविष्यवक्ता कहता है: “परन्तु मैं तो यहोवा की आत्मा से शक्ति, न्याय और पराक्रम पाकर परिपूर्ण हूं।” मीका कितना शुक्रगुज़ार है कि वह एक लंबे अरसे से परमेश्वर की सेवा वफादारी से कर रहा है और इन सभी सालों के दौरान वह हमेशा “यहोवा की आत्मा से शक्ति . . . पाकर परिपूर्ण” रहा है! इसीलिए उसे ‘याकूब को उसका अपराध और इस्राएल को उसका पाप जताने’ की हिम्मत मिली है।
11. परमेश्वर का संदेश सुनाने के लिए इंसानों को किस तरह ताकत मिलती है?
11 मीका परमेश्वर की ओर से न्यायदंड का समाचार अपनी ताकत के बलबूते नहीं सुना सकता था। उसे यहोवा की आत्मा की सख्त ज़रूरत थी। तो आज हमारे बारे में क्या? हम प्रचार करने की अपनी ज़िम्मेदारी तभी निभा पाएँगे, जब यहोवा अपनी पवित्र आत्मा देकर हमें मज़बूत करेगा। लेकिन अगर हम लगातार पाप करते रहें और परमेश्वर से उसका काम करने की शक्ति माँगे, तो वह हमारी प्रार्थना नहीं सुनेगा। और हमारे प्रचार का कोई फायदा नहीं होगा। जब तक “यहोवा की आत्मा” हम पर काम न करे, तब तक हम उसके न्यायदंड का संदेश सुनाने की सोच भी नहीं सकते। जब हमारी प्रार्थनाएँ सुनी जाती हैं और हमें पवित्र आत्मा की मदद मिलती है, तब हम मीका की तरह बेधड़क होकर परमेश्वर का वचन सुना पाते हैं।
12. पहली सदी के यीशु के चेले क्यों “परमेश्वर का वचन हियाव से सुनाते” रह सके?
12 शायद आपको प्रेरितों 4:23-31 में दर्ज़ घटना याद हो। मान लीजिए कि आप पहली सदी में जी रहे यीशु के चेलों में से एक हैं। ज़ुल्म ढानेवाले कट्टरपंथी लोग यीशु के चेलों को प्रचार करने से रोकने की फिराक में घूम रहे हैं। लेकिन ये वफादार लोग, सारे विश्व के सम्राट से बिनती करते हैं: “हे प्रभु, उन की धमकियों को देख; और अपने दासों को यह बरदान दे, कि तेरा वचन बड़े हियाव से सुनाएं।” नतीजा क्या होता है? जब वे प्रार्थना कर चुके, तो वह स्थान जहाँ वे इकट्ठा हुए थे हिल गया, और वे सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गए, और परमेश्वर का वचन हियाव से सुनाने लगे। तो आइए हम भी यहोवा की सेवा करते वक्त, उससे प्रार्थना करें और उसकी पवित्र आत्मा की मदद लें।
13. यरूशलेम और सामरिया के साथ क्या होनेवाला है और क्यों?
13 एक बार फिर मीका के दिनों पर गौर कीजिए। मीका 3:9-12 के मुताबिक, शासक लोगों के खून के दोषी हैं और वे बिना घूस लिए इंसाफ नहीं करते हैं। याजक सिखाने का काम करने के लिए कीमत वसूल करते हैं और झूठे भविष्यवक्ता पैसे ऐंठकर शकुन विचारते हैं। इसलिए ताज्जुब नहीं कि परमेश्वर ने यहूदा की राजधानी, यरूशलेम के बारे में तय किया है कि वह “डीह ही डीह हो जाएगा”! चूँकि इस्राएल में भी हर जगह झूठी उपासना और बदचलनी फैली हुई है, इसलिए परमेश्वर, मीका को यह चेतावनी देने के लिए प्रेरित करता है कि वह सामरिया को “खेत का ढेर” बना देगा या जैसे न्यू हिन्दी ट्रांस्लेशन बाइबल कहती है “खण्डहर का ढेर” बना देगा। (मीका 1:6) ठीक इस भविष्यवाणी के मुताबिक, सा.यु.पू. 740 में अश्शूर की सेना आकर सामरिया को तहस-नहस कर देती है। और इस विनाश को मीका भी खुद अपनी आँखों से देखता है। (2 राजा 17:5, 6; 25:1-21) यह बिलकुल साफ है कि यरूशलेम और सामरिया के खिलाफ ये ज़ोरदार संदेश सिर्फ यहोवा की ताकत से ही सुनाए जा सकते थे।
14. मीका 3:12 में दर्ज़ भविष्यवाणी की पूर्ति कैसे हुई और उसका आज हम पर कैसा असर होना चाहिए?
14 बेशक यहूदा, यहोवा के न्यायदंड से हरगिज़ बच नहीं सकता। मीका 3:12 में लिखी भविष्यवाणी के मुताबिक, सिय्योन को “जोतकर खेत बनाया जाएगा।” आज 21वीं सदी में रहनेवाले हम लोग जानते हैं कि ये घटनाएँ सा.यु.पू. 607 में हुईं, जब बाबुलियों ने यहूदा और यरूशलेम को उजाड़ दिया था। हालाँकि यह नाश, मीका के भविष्यवाणी करने के सालों बाद हुआ था, मगर मीका को पक्का यकीन था कि ऐसा ज़रूर होगा। बेशक आज हममें भी उतना ही मज़बूत विश्वास होना चाहिए कि भविष्यवाणी में बताए “यहोवा के दिन” में आज का दुष्ट संसार भी नाश होकर रहेगा।—2 पतरस 3:11, 12, NW.
यहोवा मामलों को सुधारता है
15. मीका 4:1-4 में दर्ज़ भविष्यवाणी को आप अपने शब्दों में कैसे बयान करेंगे?
15 मीका के दिनों पर दोबारा गौर करने से हम पाते हैं कि मीका अब आशा का ऐसा पैगाम देता है, जिससे दिल में खुशी की लहर दौड़ जाती है। मीका 4:1-4 में दिए शब्दों को पढ़ने से आँखों में कैसी चमक आ जाती है! उनमें से कुछ आयतें कहती हैं: “अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊंचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा की नाईं उसकी ओर चलेंगे। . . . वह बहुत देशों के लोगों का न्याय करेगा, और दूर दूर तक की सामर्थी जातियों के झगड़ों को मिटाएगा; सो वे अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल, और अपने भालों से हंसिया बनाएंगे; तब एक जाति दूसरी जाति के विरुद्ध तलवार फिर न चलाएगी; और लोग आगे को युद्ध-विद्या न सीखेंगे। परन्तु वे अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले बैठा करेंगे, और कोई उनको न डराएगा; सेनाओं के यहोवा ने यही वचन दिया है।”
16, 17. किस तरह मीका 4:1-4 आज पूरा हो रहा है?
16 यहाँ ज़िक्र किए गए ‘बहुत देशों के लोग’ और ‘सामर्थी जातियां’ कौन हैं? वे इस संसार के राष्ट्र और सरकारें नहीं हैं। इसके बजाय यह भविष्यवाणी सभी राष्ट्रों के उन लोगों पर लागू होती है जो यहोवा के पर्वत यानी उसकी सच्ची उपासना के लिए पवित्र सेवा में एकजुट हुए हैं।
17 जैसे कि मीका ने भविष्यवाणी की थी, जल्द ही वह समय आएगा, जब सही मायनों में धरती के कोने-कोने में यहोवा की शुद्ध उपासना की जाएगी। आज भी, जो ‘अनंत जीवन के लिये सही मन रखते हैं’ उनको यहोवा के मार्गों के बारे में सिखाया जा रहा है। (प्रेरितों 13:48, NW) जो लोग यहोवा पर विश्वास करते और राज्य के पक्ष में खड़े रहते हैं, उनके लिए आध्यात्मिक मायने में यहोवा न्याय करता और मामलों को निपटाता है। वे “बड़ी भीड़” के सदस्यों के तौर पर, “बड़े क्लेश” से ज़िंदा बचेंगे। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 14) यहोवा के इन साक्षियों ने अपनी तलवारें पीटकर हल के फाल बनाए हैं, इसलिए आज भी वे अपने मसीही भाई-बहनों और दूसरों के साथ शांति से जीते हैं। उन लोगों में से एक होना क्या ही खुशी की बात है!
यहोवा का नाम लेकर चलने का पक्का इरादा
18. ‘अपनी-अपनी दाखलता और अंजीर के पेड़ों तले बैठना’ किस बात को दर्शाता है?
18 आज हमारे दिनों में जब लोगों पर एक तरफ डर का काला बादल मंडरा रहा है, वहीं हम यह देखकर फूले नहीं समाते कि बहुत-से लोग यहोवा के मार्गों के बारे में सीख रहे हैं। हम जल्द आनेवाले उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं, जब परमेश्वर से प्यार करनेवाले सभी लोग, युद्ध विद्या नहीं सीखेंगे और अपनी-अपनी दाखलता और अंजीर के पेड़ों तले निडर बैठा करेंगे। अंजीर के पेड़ों को अकसर, अंगूर की बारियों में लगाया जाता है। (लूका 13:6) अपनी-अपनी दाखलता और अंजीर के पेड़ तले बैठना, शांति, खुशहाली और सुरक्षा को दर्शाता है। आज भी यहोवा के साथ हमारा रिश्ता हमें मन की शांति और आध्यात्मिक सुरक्षा देता है। जब राज्य के शासन में ऐसा माहौल होगा, तो हमें किसी भी तरह का डर नहीं होगा और हम पूरी तरह से महफूज़ रहेंगे।
19. यहोवा का नाम लेकर चलने का मतलब क्या है?
19 यहोवा का अनुग्रह और उसकी आशीष पाने के लिए हमें उसका नाम लेकर चलना होगा। यह बात मीका 4:5 में बड़े ज़ोरदार तरीके से पेश की गयी है, जहाँ भविष्यवक्ता ऐलान करता है: “सब राज्यों के लोग तो अपने अपने देवता का नाम लेकर चलते हैं, परन्तु हम लोग अपने परमेश्वर यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे।” यहोवा का नाम लेकर चलने का मतलब सिर्फ यह कहना नहीं है कि वह हमारा परमेश्वर है। और जबकि मसीही सभाओं में भाग लेना और राज्य का प्रचार करना ज़रूरी है, फिर भी यह काफी नहीं। यहोवा का नाम लेकर चलने में ज़रूरी है कि हम खुद को उसे समर्पित करें और उसे तन-मन से प्यार करते हुए वफादारी से उसकी सेवा करने की कोशिश करें। (मत्ती 22:37) सच्चे उपासक होने की वजह से, बेशक हमने यह ठान लिया है कि हम अपने परमेश्वर, यहोवा का नाम लेकर सदा सर्वदा चलते रहेंगे!
20. मीका 4:6-13 में पहले से क्या बताया गया था?
20 अब कृपया मीका 4:6-13 में दी गयी भविष्यवाणी पर ध्यान दें। वहाँ लिखा है कि “सिय्योन की बेटी” को बंदी बनकर “बाबुल तक” जाना पड़ेगा। सामान्य युग पूर्व सातवीं सदी में यरूशलेम के निवासियों के साथ ठीक यही हुआ। लेकिन मीका की भविष्यवाणी बताती है कि बचे हुए कुछ लोग यहूदा लौट आएँगे और यहोवा इस बात का ध्यान रखेगा कि सिय्योन की बहाली के वक्त उसके दुश्मन मिट्टी में मिला दिए जाएँ।
21, 22. मीका 5:2 की पूर्ति कैसे हुई?
21 मीका के अध्याय 5 में और भी कुछ हैरतअंगेज़ घटनाओं की भविष्यवाणी की गयी है। मसलन, ध्यान दीजिए कि मीका 5:2-4 में क्या कहा गया है। मीका भविष्यवाणी करता है कि परमेश्वर का ठहराया हुआ एक राजा, ‘जिसका निकलना प्राचीनकाल से होता आया है,’ बेतलेहेम से निकलेगा। वह “यहोवा की दी हुई शक्ति से” एक चरवाहे की तरह हुकूमत करेगा। और यह शासक न सिर्फ इस्राएल में बल्कि “पृथ्वी की छोर तक” महान होगा। उसकी पहचान दुनिया के लिए भले ही एक अनबुझ पहेली हो, लेकिन हमारे लिए नहीं है।
22 बेतलेहेम में जन्म लेनेवाला अब तक का सबसे महान शख्स कौन था? और वह कौन था जो “पृथ्वी की छोर तक महान्” होता? वह कोई और नहीं बल्कि मसीहा, यीशु मसीह था! जब हेरोदेस महान ने प्रधान-याजकों और शास्त्रियों से पूछा कि मसीहा कहाँ जन्म लेनेवाला है, तो उन्होंने जवाब दिया: “यहूदिया के बैतलहम में।” उन्होंने मीका 5:2 का हवाला भी दिया। (मत्ती 2:3-6) उस समय के कुछ आम लोग भी इस बात से वाकिफ थे, इसलिए जैसा यूहन्ना 7:42 बताता है, उन्होंने कहा: “क्या पवित्र शास्त्र में यह नहीं आया, कि मसीह दाऊद के वंश से और बैतलहम गांव से आएगा जहां दाऊद रहता था?”
लोगों के लिए सच्ची ताज़गी
23. मीका 5:7 की पूर्ति में अब क्या हो रहा है?
23 मीका 5:5-15 में अश्शूरियों के एक हमले का ज़िक्र है जिन्हें सिर्फ कुछ ही समय के लिए कामयाबी मिलेगी। साथ ही यह बताया गया है कि परमेश्वर उसकी राह पर नहीं चलनेवाली जातियों को सज़ा देगा। मीका 5:7 में यह वादा किया गया है कि पश्चाताप करनेवाले यहूदी शेष जनों को उनके देश में बहाल किया जाएगा और ये शब्द हमारे दिनों में भी लागू होते हैं। मीका यह ऐलान करता है: “याकूब के बचे हुए लोग बहुत राज्यों के बीच ऐसा काम देंगे, जैसा यहोवा की ओर से पड़नेवाली ओस, और घास पर की वर्षा।” मीका, इस मनभावने उदाहरण का इस्तेमाल करके भविष्यवाणी करता है कि आध्यात्मिक अर्थ में याकूब यानी इस्राएल के बचे हुए जन, लोगों के लिए परमेश्वर की ओर से एक आशीष साबित होंगे। आज के ज़माने में, “परमेश्वर के इस्राएल” के बचे हुओं के साथ, धरती पर जीने की आशा रखनेवाली यीशु की ‘अन्य भेड़ें’ भी कंधे-से-कंधा मिलाकर दूसरों को खुशी-खुशी आध्यात्मिक ताज़गी पहुँचा रही हैं। (गलतियों 6:16; यूहन्ना 10:16, NW; सपन्याह 3:9) इस सिलसिले में एक खास मुद्दा, हमारे ध्यान देने के लायक है। वह यह है कि राज्य के प्रचारकों के तौर पर हमें दूसरों को सच्चा विश्राम देने का जो खास सम्मान मिला है, हम सभी उसे अनमोल समझें।
24. मीका के अध्याय 3 से 5 के किन मुद्दों ने आपके दिल पर गहरा असर किया है?
24 मीका की भविष्यवाणी के अध्याय 3 से 5 से आपने क्या सीखा है? शायद कुछ ऐसे मुद्दों पर आपने गौर किया होगा: (1) जो परमेश्वर के लोगों की अगुवाई करते हैं, परमेश्वर उनसे न्याय से काम करने की माँग करता है। (2) अगर हम जानबूझकर पाप करते रहें तो यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ नहीं सुनेगा। (3) हम प्रचार करने की अपनी ज़िम्मेदारी तभी पूरी कर पाएँगे, जब परमेश्वर अपनी पवित्र आत्मा देकर हमें मज़बूत करेगा। (4) यहोवा का अनुग्रह पाने के लिए हमें उसका नाम लेकर चलना चाहिए। (5) हमें राज्य के प्रचारकों की हैसियत से दूसरों को सच्चा विश्राम देने का जो खास सम्मान मिला है, उसे अनमोल समझना चाहिए। हो सकता है, इनके अलावा कुछ और मुद्दों ने भी आपके दिल पर गहरा असर किया हो। भविष्यवाणियों से भरी बाइबल की इस किताब से हम और क्या-क्या सीख सकते हैं? अगला लेख हमें बताएगा कि हम विश्वास मज़बूत करनेवाली मीका की भविष्यवाणियों के आखिरी दो अध्यायों से क्या-क्या व्यावहारिक सबक सीख सकते हैं।
आप क्या जवाब देंगे?
• यहोवा अपने लोगों की अगुवाई करनेवालों से क्या उम्मीद करता है?
• यहोवा की सेवा में प्रार्थना और पवित्र आत्मा क्यों महत्वपूर्ण हैं?
• लोग किस तरह ‘यहोवा का नाम लेकर चलते हैं’?
[पेज 15 पर तसवीर]
क्या आप मीका के उस दृष्टांत को समझा सकते हैं जिसमें हंडे में पकाने का ज़िक्र है?
[पेज 16 पर तसवीर]
हम भी मीका की तरह बड़ी हिम्मत से अपनी सेवा करते हैं