यहोवा हमसे क्या उम्मीद करता है?
“यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से चले?”—मीका 6:8.
1, 2. यहोवा के कुछ सेवक क्यों निराश हो सकते हैं, लेकिन किस बात से उन्हें हिम्मत मिल सकती है?
विरा करीब 75 साल की एक वफादार मसीही है जो बीमार रहती है। वह कहती है: “कभी-कभी जब मैं खिड़की से बाहर देखती हूँ कि मेरे मसीही भाई-बहन घर-घर जाकर प्रचार काम कर रहे हैं तो मेरे आँसू छलक पड़ते हैं क्योंकि मैं उनके साथ जाना तो चाहती हूँ मगर अपनी बीमारी की वजह से मैं यहोवा की सेवा में ज़्यादा नहीं कर पाती हूँ।”
2 क्या आपने भी कभी ऐसा महसूस किया है? बेशक यहोवा से प्यार करनेवाले सभी यह तमन्ना रखते हैं कि वे यहोवा का नाम लेकर चलते रहें और उसकी माँगें पूरी करते रहें। लेकिन तब क्या, जब हमारी सेहत खराब रहती है, या हम बूढ़े हो गए हैं, या हम पर परिवार की ज़िम्मेदारियाँ हैं? ऐसे में हम निराश हो सकते हैं क्योंकि हमारे हालात शायद हमें यहोवा की उतनी सेवा न करने दें, जितना करने को हमारा मन तरसता है। अगर ऐसा है तो मीका अध्याय 6 और 7 में लिखे शब्दों पर विचार करने से हमें ज़रूर हिम्मत मिलेगी। इन अध्यायों में बताया गया है कि यहोवा हमसे हद-से-ज़्यादा की माँग नहीं करता और उसकी माँगें ज़रूर पूरी की जा सकती हैं।
परमेश्वर अपने लोगों के साथ कैसे पेश आता है
3. यहोवा बगावती इस्राएलियों के साथ किस तरह पेश आता है?
3 सबसे पहले, आइए हम मीका 6:3-5 पर गौर करें और ध्यान दें कि यहोवा अपने लोगों के साथ कैसे पेश आता है। याद रखिए कि मीका के ज़माने के इस्राएली बगावती थे। फिर भी यहोवा बड़ी करुणा से उन्हें “हे मेरी प्रजा” कहकर बुलाता है। वह उनसे गुज़ारिश करता है: “हे मेरी प्रजा, स्मरण कर।” कठोरता से उनकी निंदा करने के बजाय वह उनके दिलों तक पहुँचने की कोशिश करता है और पूछता है: “मैं ने तेरा क्या किया”? यहाँ तक कि वह उनसे अपने खिलाफ “साक्षी” देने के लिए कहता है।
4. करुणा दिखाने के परमेश्वर के उदाहरण का हम पर क्या असर होना चाहिए?
4 यहोवा हम सभी के लिए क्या ही उम्दा मिसाल है! मीका के दिनों के इस्राएल और यहूदा के बगावती लोगों को भी वह बड़ी करुणा से “मेरी प्रजा” कहकर बुलाता है और उनसे निवेदन करता है। तो हमें भी कलीसिया के सदस्यों के साथ ज़रूर करुणा और दया से पेश आना चाहिए। माना कि कुछ लोगों के साथ इस तरह पेश आना आसान नहीं होता, या हो सकता है कि वे आध्यात्मिक रूप से ही कमज़ोर हों। फिर भी, अगर वे यहोवा से प्यार करते हैं तो हम ज़रूर उनकी मदद करेंगे और उन पर करुणा दिखाएँगे।
5. मीका 6:6, 7 में कौन-सी बुनियादी बात बतायी गयी है?
5 अब आइए हम मीका 6:6, 7 पर ध्यान दें। मीका एक-के-बाद-एक कई सवाल पूछता है: “मैं क्या लेकर यहोवा के सम्मुख आऊं, और ऊपर रहनेवाले परमेश्वर के साम्हने झुकूं? क्या मैं होमबलि के लिये एक एक वर्ष के बछड़े लेकर उसके सम्मुख आऊं? क्या यहोवा हजारों मेढ़ों से, वा तेल की लाखों नदियों से प्रसन्न होगा? क्या मैं अपने अपराध के प्रायश्चित्त में अपने पहिलौठे को वा अपने पाप के बदले में अपने जन्माए हुए किसी को दूं?” जी हाँ, यहोवा को “हजारों मेढ़ों से, वा तेल की लाखों नदियों से” खुश नहीं किया जा सकता। लेकिन कुछ और बात है जो यहोवा को खुश कर सकती है। वह क्या है?
हमें न्याय से काम करना चाहिए
6. मीका 6:8 में परमेश्वर की कौन-सी तीन माँगें दर्ज़ हैं?
6 मीका 6:8 में भविष्यवक्ता, चंद शब्दों में बताता है कि यहोवा हमसे क्या उम्मीद करता है। मीका पूछता है: “यहोवा तुझ से इसे छोड़ और क्या चाहता है, कि तू न्याय से काम करे, और कृपा से प्रीति रखे, और अपने परमेश्वर के साथ नम्रता से [“मर्यादा में,” NW] चले?” इन तीन माँगों में बताया गया है कि हमारी भावनाएँ, हमारे सोच-विचार और काम कैसे होने चाहिए। इन गुणों को दिखाने की हममें इच्छा होनी चाहिए, हमें सोचना चाहिए कि हम इन्हें कैसे दिखा सकते हैं और फिर अपने कार्यों से इन्हें ज़ाहिर करना चाहिए। आइए हम एक-एक करके इन तीनों माँगों की चर्चा करें।
7, 8. (क) ‘न्याय से काम करने’ का मतलब क्या है? (ख) मीका के दिनों में किस तरह के अन्याय किए जाते थे?
7 ‘न्याय से काम करने’ का मतलब है जो काम सही, वह करना। परमेश्वर के काम करने का तरीका ही न्याय की कसौटी है। लेकिन मीका के समय के लोग न्याय नहीं बल्कि अन्याय करते हैं। कैसे? मीका 6:10 पर ज़रा ध्यान दीजिए। इस आयत के आखिर में कहा गया है कि व्यापारी नाप के लिए “छोटा एपा” इस्तेमाल करते हैं, जिसका आकार बहुत ही छोटा है। और आयत 11 बताती है कि वे ‘घटबढ़ के बटखरे’ इस्तेमाल करते हैं। और आयत 12 के मुताबिक, उनके “मुंह से छल की बातें” निकलती हैं। इससे पता चलता है कि मीका के दिनों में व्यापार में जाली माप और जाली बटखरों का इस्तेमाल करना और झूठ बोलना आम था।
8 ऐसा अन्याय सिर्फ बाज़ारों में ही नहीं, बल्कि अदालतों में भी बहुत आम है। मीका 7:3 बताता है कि “हाकिम घूस मांगता, और न्यायी घूस लेने को तैयार रहता है।” न्यायियों को इसलिए घूस दी गयी ताकि वे अन्याय करके बेगुनाहों को सज़ा सुनाएँ। “रईस” यानी समाज के बड़े-बड़े लोग इन अपराधों में उनका साथ देते हैं। मीका यह भी बताता है कि हाकिम, न्यायी और रईस “सब मिलकर” दुष्ट काम करते हैं।
9. दुष्टों के अन्याय भरे कामों से यहूदा और इस्राएल पर क्या असर हुआ?
9 दुष्ट अगुवों के अन्याय के कामों का असर पूरे यहूदा और इस्राएल देश पर होता है। मीका 7:5 बताता है कि न्याय की कमी की वजह से साथियों, जिगरी दोस्तों, यहाँ तक कि पति-पत्नी का भी एक-दूसरे पर से भरोसा उठ गया है। आयत 6 कहती है कि इस वजह से समाज में ऐसी अराजकता फैली है कि खून का रिश्ता होने पर भी बाप-बेटा और माँ-बेटी एक-दूसरे से नफरत करने लगे हैं।
10. अन्याय के इस माहौल में मसीही किस तरह की चाल चलते हैं?
10 आज के बारे में क्या? क्या आज भी ऐसे ही हालात नहीं हैं? मीका की तरह आज हम भी चारों तरफ न्याय और भरोसे की कमी पाते हैं, और देखते हैं कि समाज और परिवार में फूट पड़ी है। लेकिन, परमेश्वर के सेवक होने के नाते इस अधर्मी संसार में रहते हुए भी, हम मसीही कलीसिया में अन्याय के कामों की इज़ाज़त नहीं देते। इसके बजाय, हम ईमानदारी और खराई के उसूलों पर चलने की कोशिश करते हैं और अपनी रोज़मर्रा ज़िंदगी में ये गुण दिखाते हैं। जी हाँ, हम “सब बातों में अच्छी [या, ईमानदारी की] चाल” चलते हैं। (इब्रानियों 13:18) क्या आप इससे सहमत नहीं कि न्याय के काम करने की वजह से आज हम एक ऐसी बिरादरी का हिस्सा हैं जिसके लोग एक-दूसरे पर सच्चे दिल से भरोसा करते हैं और इसलिए हम ढेरों आशीषें पाते हैं?
किस तरह लोग ‘यहोवा की पुकार’ सुनते हैं?
11. मीका 7:12 की पूर्ति कैसे हो रही है?
11 मीका भविष्यवाणी करता है कि हर जगह अन्याय होने के बावजूद, सभी तरह के लोगों को न्याय दिलाया जाएगा और “समुद्र-समुद्र और पहाड़-पहाड़ के बीच के देशों से” लोगों को इकट्ठा किया जाएगा कि वे यहोवा के उपासक बनें। (मीका 7:12) आज इस भविष्यवाणी की आखिरी पूर्ति में, न सिर्फ किसी एक देश के बल्कि दुनिया के सभी देशों के लोग परमेश्वर के न्याय से फायदा पा रहे हैं, जो पक्षपाती नहीं है। (यशायाह 42:1) यह कैसे हो रहा है?
12. आज किस तरह ‘यहोवा की पुकार’ सुनायी दे रही है?
12 इसके जवाब के लिए मीका के पहले के शब्दों पर गौर कीजिए। मीका 6:9 बताता है: “यहोवा इस नगर को पुकार रहा है, और सम्पूर्ण ज्ञान, तेरे नाम का भय मानना है।” किस तरह सभी देशों के लोग ‘यहोवा की पुकार’ सुन रहे हैं और इसका हमारे न्याय के काम करने से क्या ताल्लुक है? यह सच है कि आज लोग सचमुच में परमेश्वर की आवाज़ नहीं सुन रहे। लेकिन संसार भर में हो रहे हमारे प्रचार काम के ज़रिए, हर जाति और हर ओहदे के लोगों को यहोवा की पुकार सुनायी पड़ रही है। इसलिए जो सुनते हैं, वे ‘परमेश्वर के नाम का भय मानते’ हैं यानी उसके नाम के लिए गहरी श्रद्धा रखते हैं। जब हम पूरे जोश से राज्य का प्रचार करते हैं, तो हम बिलकुल सही काम करते और प्यार ज़ाहिर करते हैं। बिना किसी पक्षपात के हर किसी को परमेश्वर का नाम बताकर हम ‘न्याय से काम कर रहे हैं।’
हमें कृपा से प्रीति रखनी चाहिए
13. निरंतर प्रेम-कृपा और प्रेम में क्या अंतर है?
13 इसके बाद, आइए हम मीका 6:8 में बतायी दूसरी माँग पर चर्चा करें। यहोवा उम्मीद करता है कि हम ‘कृपा से प्रीति रखें।’ जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद, “कृपा” किया गया है उसका मतलब “निरंतर प्रेम-कृपा” या “सच्चा प्रेम” है। निरंतर प्रेम-कृपा का मतलब है, अपने कामों से दूसरों को करुणा दिखाना या उनका लिहाज़ करना। निरंतर प्रेम-कृपा, प्रेम के गुण से अलग है। वह कैसे? प्रेम शब्द का अर्थ बहुत बड़ा है, यह चीज़ों और धारणाओं के लिए भी दिखाया जा सकता है। मसलन, बाइबल में ‘दाखमधु और तेल से प्रीति’ रखनेवाले और “बुद्धि से प्रीति” रखनेवाले का ज़िक्र है। (नीतिवचन 21:17; 29:3) लेकिन ‘निरंतर प्रेम-कृपा’ सिर्फ इंसानों के लिए और खासकर परमेश्वर के सेवकों के लिए दिखायी जाती है। इसलिए न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल में मीका 7:20 परमेश्वर के सेवक, ‘इब्राहीम पर दिखायी गयी निरंतर प्रेम-कृपा’ के बारे में बताता है।
14, 15. निरंतर प्रेम-कृपा कैसे दिखायी जाती है और इसका कौन-सा सबूत दिया गया है?
14 न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल के मुताबिक, मीका 7:18 में भविष्यवक्ता मीका कहता है कि परमेश्वर “निरंतर प्रेम-कृपा से खुश होता है।” मीका 6:8 में हमसे न सिर्फ निरंतर प्रेम-कृपा दिखाने बल्कि उस गुण से प्रीति रखने के लिए भी कहा गया है। इन आयतों से हम क्या सीखते हैं? यही कि निरंतर प्रेम-कृपा खुशी-खुशी और उदारता से दिखायी जाती है क्योंकि हम यह गुण दिखाना चाहते हैं। यहोवा की तरह हम भी ज़रूरतमंद लोगों को निरंतर प्रेम-कृपा दिखाने में खुशी पाते हैं।
15 आज निरंतर प्रेम-कृपा दिखाना, परमेश्वर के लोगों की एक खासियत है। इसकी बस एक मिसाल पर गौर कीजिए। सन् 2001 के जून महीने में, अमरीका के टॆक्सस राज्य में एक भयानक तूफान के आने से ज़ोरदार बाढ़ आयी। इससे हज़ारों घर तबाह हो गए, जिनमें सैकड़ों घर यहोवा के साक्षियों के थे। अपने इन ज़रूरतमंद मसीही भाइयों की मदद करने के लिए करीब 10,000 साक्षियों ने खुशी-खुशी अपना समय और ताकत लगायी। उन्होंने छः महीनों से ज़्यादा समय तक दिन-रात एक करके, साथ ही शनिवार-रविवार के दिन भी काम करके अपने मसीही भाइयों के लिए 8 राज्यगृह और 700 से ज़्यादा घर दोबारा बनाए। जो भाई-बहन इस काम में भाग नहीं ले सके, उन्होंने कपड़े-लत्ते, खाने-पीने की चीज़ें और पैसे दान दिए। ये हज़ारों साक्षी अपने भाइयों की मदद करने के लिए क्यों आगे आए? क्योंकि वे “कृपा से प्रीति” रखते हैं। और यह देखकर हमें कितनी खुशी होती है कि पूरी दुनिया में रहनेवाले हमारे भाई-बहन, कृपा या निरंतर प्रेम-कृपा दिखाकर ऐसी मदद करते हैं! जी हाँ, “कृपा से प्रीति” रखने की यह माँग पूरी करना कोई बोझ नहीं, बल्कि इससे खुशी मिलती है!
परमेश्वर के साथ मर्यादा में चलना
16. कौन-से उदाहरण से हम यह अच्छी तरह समझ पाते हैं कि परमेश्वर के साथ मर्यादा में चलते रहना ज़रूरी है?
16 मीका 6:8 में बतायी गयी तीसरी माँग है, ‘परमेश्वर के साथ मर्यादा में चलना।’ इसका मतलब है, अपनी हद पहचानना और परमेश्वर पर निर्भर रहना। इसे समझने के लिए इस उदाहरण पर ध्यान दीजिए: पल भर के लिए कल्पना कीजिए कि एक तूफान में एक छोटी बच्ची अपने पापा का हाथ कसकर पकड़े हुए साथ-साथ चल रही है। वह बच्ची अच्छी तरह जानती है कि उसकी ताकत बहुत कम है, मगर उसे अपने पापा पर पूरा भरोसा है। उसी तरह हमें भी अपनी हद पहचाननी चाहिए, साथ ही स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता पर पूरा भरोसा रखना चाहिए। हम अपना यह भरोसा कैसे बनाए रख सकते हैं? एक तरीका है, यह याद रखना कि क्यों यहोवा के करीब रहने में अक्लमंदी है। और मीका इसके तीन कारण बताता है: यहोवा हमारा छुड़ानेवाला है, हमें राह दिखानेवाला है और हमारी हिफाज़त करनेवाला है।
17. यहोवा ने अपने प्राचीन समय के लोगों को किस तरह छुड़ाया, उन्हें राह दिखायी और उनकी हिफाज़त की?
17 मीका 6:4, 5 के मुताबिक परमेश्वर कहता है: “मैं तो तुझे मिस्र देश से निकाल ले आया।” जी हाँ, यहोवा, इस्राएल का छुड़ानेवाला था। यहोवा आगे कहता है: ‘मैंने तेरी अगुवाई करने को मूसा, हारून और मरियम को भेजा।’ मूसा और हारून उस जाति के लिए अगुवे ठहराए गए थे और मरियम ने जीत की खुशी के नाच में इस्राएली स्त्रियों की अगुवाई की। (निर्गमन 7:2; 15:1, 19-21; व्यवस्थाविवरण 34:10) इस तरह यहोवा ने अपने सेवकों के ज़रिए राह दिखायी। आयत 5 में यहोवा, उस जाति को याद दिलाता है कि उसने उन्हें बालाक और बिलाम जैसे दुश्मनों से बचाया और उन्हें मोआब के शित्तीम से लेकर वादा किए देश के गिल्गाल तक यानी उनके सफर के आखिरी दौर तक उनकी हिफाज़त की।
18. किस तरह परमेश्वर आज हमारा छुड़ानेवाला, मार्गदर्शक और हिफाज़त करनेवाला ठहरा है?
18 जब हम परमेश्वर के साथ-साथ चलते हैं तो वह हमें शैतान की दुनिया से छुड़ाता है, अपने वचन और संगठन के ज़रिए हमें मार्गदर्शन देता है और जब विरोधी हम पर हमला करते हैं, तो एक समूह के तौर पर हमारी हिफाज़त करता है। इसलिए हमारे पास बहुत-से कारण हैं कि हम अपने सफर के तूफानी और आखिरी दौर से गुज़रते वक्त अपने स्वर्गीय पिता का हाथ कसकर पकड़ लें ताकि हम उसके धर्मी नए संसार में पहुँचें जो इस्राएलियों से वादा किए गए देश से कहीं बढ़कर है।
19. मर्यादा दिखाने में अपनी हद को पहचानना कैसे शामिल है?
19 परमेश्वर के साथ मर्यादा में चलने की वजह से हम अपने हालात को सही नज़रिए से देख पाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि मर्यादा दिखाने में अपनी हद को पहचानना भी शामिल है। ढलती उम्र या खराब स्वास्थ्य की वजह से हम शायद यहोवा की सेवा में उतना न कर पाएँ जितना चाहते हैं। लेकिन इससे निराश होने के बजाय यह याद रखना अच्छा होगा कि परमेश्वर हमारी हर कोशिश और त्याग को “उसके अनुसार” स्वीकार करता है, ‘जो हमारे पास है न कि उसके अनुसार जो हमारे पास नहीं’ है। (2 कुरिन्थियों 8:12) वाकई यहोवा यही चाहता है कि अपने हालात के मुताबिक हमसे जितना बन पड़ता है, उतना हम तन-मन से उसकी सेवा करें। (कुलुस्सियों 3:23) जब हम परमेश्वर की सेवा में पूरी लगन और जोश के साथ अपना भरसक करते हैं तो परमेश्वर हमें भरपूर आशीषें देता है।—नीतिवचन 10:22.
बाट जोहने से आशीषें मिलती हैं
20. क्या जानने से हमें मीका की तरह बाट जोहने में मदद मिलनी चाहिए?
20 परमेश्वर की आशीष पाने पर हम ठीक वैसा ही महसूस करते हैं जैसा मीका ने किया। वह अटल इरादे के साथ कहता है: “मैं अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर की बाट जोहता रहूंगा।” (मीका 7:7) इन शब्दों का यहोवा के साथ मर्यादा में चलने का क्या नाता है? अगर हम बाट जोहने का रवैया दिखाएँगे, या धीरज धरेंगे तो हम यह सोचकर निराश नहीं होंगे कि यहोवा का दिन क्यों अब तक नहीं आया है। (नीतिवचन 13:12) सच पूछो तो हम सभी इस दुष्ट संसार के अंत का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन जब हम यह ध्यान रखेंगे कि अभी भी हर हफ्ते हज़ारों लोग परमेश्वर के साथ चलने का सफर शुरू कर रहे हैं तो हमें बाट जोहते रहने का हौसला मिलेगा। लंबे समय से सच्चाई में रहनेवाले एक साक्षी ने कहा: “प्रचार काम में बिताए पिछले 55 सालों को जब मैं याद करता हूँ, तो मुझे पक्का यकीन होता है कि यहोवा के वक्त के इंतज़ार में मैंने कुछ खोया नहीं है। इसके बजाय, मैं कितनी ही मुसीबतों से बचा हूँ।” क्या आपका भी ऐसा ही अनुभव रहा है?
21, 22. मीका 7:14 की पूर्ति आज किस तरह हो रही है?
21 बेशक, यहोवा के साथ-साथ चलने से हमें फायदा होता है। जैसे मीका 7:14 में हम पढ़ते हैं, मीका परमेश्वर के लोगों की तुलना ऐसी भेड़ों से करता है, जो अपने चरवाहे के पास हिफाज़त से रहती हैं। आज यह भविष्यवाणी बड़े पैमाने पर पूरी हो रही है क्योंकि आध्यात्मिक इस्राएल के शेष जन और ‘अन्य भेड़’ के लोग अपने भरोसेमंद चरवाहे यहोवा के पास हिफाज़त से रहते हैं। न्यू हिन्दी ट्रांस्लेशन बाइबल के मुताबिक मीका 7:14 कहता है कि वह “वन में अर्थात् हरी चरागाह में” निवास करते हैं। आध्यात्मिक अर्थ में यह चरागाह, इस संसार से अलग है जो मुसीबतों के भँवर में दिन-ब-दिन फँसता जा रहा है।—यूहन्ना 10:16, NW; व्यवस्थाविवरण 33:28; यिर्मयाह 49:31; गलतियों 6:16.
22 इसके अलावा, जैसे मीका 7:14 में भविष्यवाणी की गयी है, परमेश्वर के लोग फल-फूल रहे हैं। परमेश्वर की भेड़ों या उसकी प्रजा के बारे में मीका कहता है: “वे . . . बाशान और गिलाद में चरा करें।” जिस तरह बाशान और गिलाद में भेड़ें हरी-भरी चराइयों में चरती थीं और मोटी-ताज़ी हो जाती थीं, उसी तरह आज परमेश्वर के लोग आध्यात्मिक रूप से फल-फूल रहे हैं। यह एक और आशीष है जो परमेश्वर के साथ मर्यादा में चलनेवालों को मिलती है।—गिनती 32:1; व्यवस्थाविवरण 32:14.
23. मीका 7:18, 19 पर गौर करके हम कौन-सा सबक सीख सकते हैं?
23 मीका 7:18, 19 में भविष्यवक्ता बताता है कि यहोवा, पश्चाताप करनेवालों को माफ करने की इच्छा रखता है। मीका आयत 18 कहती है कि यहोवा “अधर्म को क्षमा” करता और “अपराध को ढांप” देता है। और जैसा कि मीका आयत 19 कहती है, वह “उनके सब पापों को गहिरे समुद्र में डाल देगा।” हम इससे कौन-सा सबक सीख सकते हैं? हम खुद से पूछ सकते हैं कि क्या हम दूसरों को माफ करने में यहोवा की मिसाल पर चलते हैं? दूसरे हमारे खिलाफ जो गलतियाँ करते हैं, क्या हम उन्हें माफ करते हैं? जब वे पश्चाताप करके, अपने अंदर बदलाव लाते हैं, तब हमें यहोवा के जैसे उन्हें पूरी तरह और हमेशा के लिए माफ कर देना चाहिए।
24. मीका की भविष्यवाणी से आपने कैसे फायदा पाया है?
24 मीका की भविष्यवाणी पर गौर करने से हमें क्या फायदा हुआ है? इसमें हमें ध्यान दिलाया गया कि जो यहोवा के करीब आते हैं, उन्हें वह सच्ची आशा प्रदान करता है। (मीका 2:1-13) हमें हौसला दिलाया गया कि हम सच्ची उपासना को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरफ से हर मुमकिन कोशिश करें ताकि हम परमेश्वर का नाम लेकर सदा-सर्वदा चलते रहें। (मीका 4:1-4) और हमें यकीन दिलाया गया कि हमारे हालात चाहे जो भी हों, हम यहोवा की माँगें ज़रूर पूरी कर सकते हैं। जी हाँ, मीका की भविष्यवाणी यहोवा का नाम लेकर चलते रहने के लिए वाकई हमें मज़बूत करती है।
आप क्या जवाब देंगे?
• मीका 6:8 के मुताबिक यहोवा हमसे क्या माँग करता है?
• ‘न्याय से काम करने’ के लिए क्या करना ज़रूरी है?
• हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम “कृपा से प्रीति” रखते हैं?
• ‘परमेश्वर के साथ मर्यादा में चलने’ में क्या शामिल है?
[पेज 21 पर तसवीरें]
अपने दिनों के दुष्ट हालात के बावजूद मीका यहोवा की माँगों के मुताबिक चला। आप भी चल सकते हैं
[पेज 23 पर तसवीर]
हर तरह के लोगों को गवाही देकर न्याय से काम कीजिए
[पेज 23 पर तसवीरें]
दूसरों की ज़रूरतों को पूरा करके दिखाइए कि आप कृपा से प्रीति रखते हैं
[पेज 23 पर तसवीर]
अपनी हद को पहचानते हुए जितना बन पड़ता है, उतना कीजिए