शास्त्रों से शिक्षा: नहूम १:१-३:१९
जब परमेश्वर बदला लेता है, उद्धार सम्भव है
“थोड़े दिन के बीतने पर दुष्ट रहेगा ही नहीं।” (भजन ३७:१०) नहूम और हबक्कूक द्वारा लिखित बाइबल पुस्तकों में प्रभावशाली रूप से दिखाया गया है कि ये शब्द पूर्ण होंगे। ये साहसी पुरुषों ने यहूदा के राज्य में सामान्य युग पूर्व सातवीं सदी के अवरोक्त काल के दौरान उनकी भविष्यवाणियों का अभिलेखन पूर्ण किया।
पहले, नहूम द्वारा घोषित भविष्यवाणी पर विचार करें। इस में कौनसी शिक्षाएं अन्तर्विष्ट हैं?
परमेश्वर का बदला निश्चित
यहोवा अनन्य भक्ति की अपेक्षा रखता है। (निर्गमन २०:५) अश्शूर की राजधानी, निनवे, के विरुद्ध एक उद्घोषण में, नहूम दिखाता है कि परमेश्वर का बदला उन शत्रुओं पर कार्यान्वित किया जाएगा जो उसे ऐसी भक्ति नहीं देते। अजी, उसके सामने पहाड़ काँप उठते हैं, पहाड़ियाँ गल जाती हैं और संसार थरथरा उठता है! उसके क्रोध के सामने कौन ठहर सकता है?—१:१-६.
हम यहोवा पर एक आश्रय के रूप में भरोसा रख सकते हैं। जी हाँ, परमेश्वर उनकी रक्षा करता है जो उस में आश्रय चाहता है। उसके दुश्मन नाश किए जाने से विपत्ति दोबारा नहीं उत्पन्न होगी। यहूदा के लिए शान्ति का सुसमाचार है, क्योंकि सच्ची उपासना में विघ्न नहीं होगा.—१:७-२:२.
अधार्मिक व्यक्ति सफल नहीं होंगे। निनवे को जो हुआ, इससे यह स्पष्ट है। क़ैदियों की ओर उसके क्रूर व्यवहार ने उसे “हत्यारी नगरी” बना दिया। सिंहों की एक माँद की तरह यह बहुत अधिक मज़बूत शहर उसकी मोटी दीवारों के पीछे सुरक्षित लग रहा था। लेकिन परमेश्वर के निर्णय के अनुसार निनवे पर वही अन्त होगा जो उसने नील नदी पर स्थित अमोन या तीब्ज़ पर लाया था। उसके पापों के कारण अश्शूर की राजधानी उजाड़ दी जाएगी। यह भविष्यवाणी तब पूर्ण हुई जब बाबुल के राजा नबोपोलस्सर और मादी सायक्सरस की संयुक्त सेना ने सामान्य युग पूर्व ६३२ में निनवे को जीत लिया।—२:३-३:१९.
शास्त्रों से शिक्षा: हबक्कूक १:१-३:१९
हबक्कूक ने सीखा कि यहोवा उसके यथोचित समय में क्रूर अत्याचारियों के विरुद्ध कार्यवाही करेगा। परन्तु ‘धर्मी अपने विश्वास के द्वारा जीवित रहेगा।’ (२:४) फिर भी, इस भविष्यवाणी से कौनसे अधिक शिक्षाएं हम सीख सकते है?
विश्वास रखनेवालों के लिए उद्धार
यहोवा उसके सेवकों के निवेदन सुनता है। हबक्कूक पूछता है: “हे यहोवा मैं कब तक तेरी दोहाई देता रहूंगा, और तू न सुनेगा?” जी हाँ, इंसाफ नहीं है, और पापियों ने धर्मी लोगों को घेर लिया है। लेकिन परमेश्वर ज़रूर सुनता है और दण्ड देने के माध्यम के रूप में वह “कसदियों को उभारने” पर है। फिर भी, वह एक सामरिक शक्ति का उपयोग कैसे करेगा? यह भविष्यवक्ता एक फटकार की प्रत्याशा करके परमेश्वर के उत्तर की राह देखता है।—१:१-२:१.
केवल धर्मी और वफ़ादार जीते रहेंगे। यहोवा हबक्कूक को इसका आश्वासन देता है। भले ही, विलम्ब प्रतीत हो, परमेश्वर के नियुक्त समय पर वह भविष्यसूचक दर्शन “निश्चय पूरा होगा।” वह अभिमानी शत्रु जो जातियों को लूटता है कभी भी उसके लक्ष्य पर नहीं पहुँचेगा। सचमुच, कसदी अदंडित नहीं रहेंगे।—२:२-५.
दुष्ट लोगों पर हाय!
अधार्मिक लाभ, हिंसा, और मूर्तिपूजा से दूर रहें। क्यों? क्योंकि उस पर, जो उसको बढ़ाता है जो उसका नहीं, दुष्ट लाभ बनाता है, रक्तपात के द्वारा एक शहर निर्माण करता है, बलपूर्वक औरों को लज्जाजनक पराजय का दुःखद अनुभव देता है, और निर्जीव मूर्तियों पर भरोसा रखता है, विपत्ति निश्चित है। सम्पूर्ण पृथ्वी में यहोवा की महिमा बतलायी जाएगी, जिसके सामने सभों को श्रद्धापूर्ण मौन के साथ खड़ा रहना है।—२:६-२०.
यहोवा से उद्धार के लिए सहनशीलता से प्रतीक्षा करें। प्रार्थना में हबक्कूक परमेश्वर की शक्ति के भूतपूर्व प्रदर्शन याद करता है। अन्य बातों के अलावा, यहोवा पृथ्वी पर चल निकला, जाति जाति को क्रोध से नाश किया। वह अपनी प्रजा के उद्धार के लिए भी निकला। हावी होकर, हबक्कूक शान्ति से उस दिन की बाट जोहता” रहने के लिए निश्चित है। उन बुरे कालों के बावजूद जिनका सामना किया जाना चाहिए वह यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहेगा और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहेगा।—३:१-१९.
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बाईबल के मूल शास्त्रों का परीक्षण
● १:४—बाशान, कर्म्मेल और लबानोन सुन्दरता, उपजाऊपन और परिपूर्णता के क्षेत्र थे। उनके मुरझाने का अर्थ होगा उन लोगों पर दारुण विपत्ति, जो उन पर निर्भर थे। यह यहोवा के क्रोध के उद्गार की सख़्ती पर बल देता है।
● १:१०—निनवे अपने आप को अन्तर्ग्रथित काँटो के समान अभेद्य मानती थी और वह महत्त्वाकांक्षाओं में मस्त थी। लेकिन उसे उतनी आसानी से निगल दिया जाएगा जितनी आसानी से आग सूखी खूँटी निगल देती है। उसी तरह, परमेश्वर के आधुनिक दिन के लोगों के दुश्मन यहोवा के प्रचण्ड न्याय के सामने ठहर नहीं सकते।
● २:६—निनवे पर आक्रमण के समय भारी वर्षा के कारण हिद्देकेल नदी बह निकली। इस ने शहर के एक भाग को जलमग्न कर दिया और दिवार के एक हिस्से को गिरा दिया। इस तरह, अश्शूरी राजधानी को अधिकार में लेना विजेताओं के लिए आसान बन गया।
● २:११-१३—वन्य पशुओं की तरह अश्शूरी लोगों ने जातियों को आतंकित किया और लूटते रहे। ऐसा भी प्रतीत होता है कि सिंह एक राष्ट्रीय प्रतीक था। निनवे के भग्नावशेष में सिंहों की कई मूर्तियाँ पायी गयी।
● ३:३, ४—मित्रता और सहायता के वचन के शामक प्रस्तावों के द्वारा, एक वेश्या की तरह, निनवे ने जातियों को धोखा दिया। लेकिन जो इस तरह फँसे, वे जल्द ही उसकी कठोर दासता के अधीन दर्द महसूस करने लगे, जैसे यहूदिया के राजा आहाज़ के उदाहरण में दिखाया गया है।—२ इतिहास २८:१६, २०, २१.
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बाईबल के मूल शास्त्रों का परीक्षण
● १:२-४—दुष्टता बरदाश्त न करनेवाले परमेश्वर होने के कारण, यहोवा में हबक्कूक के विश्वास ने, उसे यह पूछने तक उत्तेजित किया कि दुष्टता क्यों प्रचलित थी। वह अपनी विचारणा को समायोजित करने के लिए इच्छुक था। (२:१) जब हम सोचते हैं कि क्यों कुछ अमुक बातें बरदाश्त किए जाते हैं, यहोवा की धार्मिकता पर हमारा भरोसा इसी तरह उसकी प्रतीक्षा करने और हमारा संतुलन बनाए रखने में मदद करना चाहिए।—भजन ४२:५, ११.
● २:५—बाबेली एक संग्रथित मनुष्य हैं जिन्होंने अपना युद्ध का यन्त्र राष्ट्रों पर विजय पाने के लिए उपयोग किया। अधोलोक और मृत्यु की तरह जो हमेशा अधिक व्यक्तियों के लिए तैयार रहते हैं, वह अधिक सैनिक विजय की चाह रखने लगा। (तुलना नीतिवचन ३०:१५, १६ से करें) मानो भारी मदिरा-सेवन के द्वारा प्रभावित हो, वह विजय से मादक बन गया। लेकिन जब बाबुल सामान्य युग पूर्व ५३९ में गिर गयी तब उसके विजय के युद्ध समाप्त हुए।
● ३:१३—परमेश्वर की उद्धारक शक्ति बहुधा उसके चुने हुए और अभिषिक्त लोग, इस्राएल जाति, द्वारा अनुभव की जाती थी। (भजन २८:८, ९) ठीक समय पर, उसने मसीहा को उत्पन्न किया, परमेश्वर की स्वर्गीय “स्त्री” की “सन्तान”। (उत्पत्ति ३:१५) यहोवा उस “सन्तान” के बचे हुए सदस्य, यीशु के आत्मा से अभिषिक्त शिष्यों के अवशेष को, शैतान और राष्ट्रों के आक्रमण से बचाएगा।—प्रकाशितवाक्य १२:१७.
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एक अश्शूरी राजभवन को चित्रित करते हुए पुरातत्त्वज्ञ ए.एच. लेयार्ड द्वारा किया गया चित्रांकन
[चित्र का श्रेय]
Courtesy of the Trustees of the British Museum, London