बाइबल की किताब नंबर 34—नहूम
लेखक: नहूम
लिखने की जगह: यहूदा
लिखना पूरा हुआ: सा.यु.पू. 632 से पहले
“नीनवे के विषय में भारी वचन।” (नहू. 1:1) नहूम अपनी भविष्यवाणी इन रोंगटे खड़े करनेवाले शब्दों के साथ शुरू करता है। मगर उसने नीनवे के सर्वनाश का ऐलान क्यों किया? हम प्राचीन नीनवे के बारे में क्या जानते हैं? नहूम इस नगरी के इतिहास का निचोड़ दो शब्दों में देता है: “हत्यारी नगरी।” (3:1) आज उत्तरी इराक में मोसुल शहर के ठीक सामने टिग्रिस नदी के पूर्वी तट पर जो दो टीले हैं, वहीं पर एक ज़माने में प्राचीन नीनवे हुआ करता था। यह नगरी मज़बूत शहरपनाहों से घिरी हुई थी और इसके चारों तरफ गहरी खाई भी थी। अश्शूरी साम्राज्य के बाद के सालों में नीनवे उसकी राजधानी थी। मगर, इस नगरी की शुरूआत निम्रोद के दिनों में हुई थी, जो ‘यहोवा की दृष्टि में [“के विरोध में,” NW] पराक्रमी शिकार खेलनेवाला था। वह निकलकर अश्शूर को गया और उसने नीनवे को बसाया।’ (उत्प. 10:9-12) इस तरह नीनवे ने शुरू से ही यहोवा के साथ एक अच्छा नाम नहीं कमाया। यह नगरी खासकर सर्गोन, सन्हेरीब, एसर्हद्दोन और अश्शूरबनीपाल की हुकूमत के दौरान मशहूर हुई, यानी तब जब अश्शूरी साम्राज्य का आखिरी दौर चल रहा था। युद्ध लड़कर और नगरों पर कब्ज़ा करके इस नगरी ने जो लूट का माल कमाया था, उससे वह अमीर बन बैठी। यही नहीं, यह अपनी बेरहमी के लिए बदनाम थी, क्योंकि इसके शासक, अपने बहुत-सारे कैदियों के साथ खूँखार और वहशियाना तरीके से पेश आते थे।a अपनी किताब ईश्वर, कब्र और विद्वान (1954, अँग्रेज़ी) के पेज 266 में सी. डब्ल्यू. सेराम कहते हैं: “नीनवे का नाम सुनते ही ऐसी नगरी की तसवीर उभर आती थी जो निर्बलों की हत्या करने, उन्हें लूटने, दबोचकर रखने और उन पर अत्याचार करने; युद्ध लड़ने और हर तरह के ज़ुल्म ढाने के लिए बदनाम थी। इसके अलावा, ऐसी नगरी का भी खयाल आता था जिसके खूँखार शासकों के कारनामे सुनकर लोगों का दिल सहम जाता था; और जो ऐसे दुश्मनों से मात खा जाते थे जो उनसे बढ़कर क्रूर और खूँखार होते थे।”
2 नीनवे के धर्म के बारे में क्या कहा जा सकता है? इस नगरी में ढेर सारे देवताओं की पूजा की जाती थी, जिनमें से कइयों को बाबुल से लाया गया था। नीनवे के शासक युद्ध के लिए निकलने से पहले इन देवताओं से फरियाद करते थे। इस नगरी के लालची पुजारी उन्हें इन अभियानों में जाने के लिए उकसाते थे और फिर इस इंतज़ार में बैठे रहते थे कि लूट के माल से उन्हें भी अपना हिस्सा मिलेगा। अपनी किताब प्राचीन नगर (अँग्रेज़ी, 1886, पेज 25) में डब्ल्यू. बी. राइट कहते हैं: “वे शक्ति की पूजा करते थे और सिर्फ बड़ी और विशालकाय मूरतों के सामने प्रार्थना करते थे। शेर और बैलों की इन मूरतों का एक-एक अंग बहुत भारी-भरकम दिखता था, इनके उकाब के पंख होते थे और सिर इंसान के। इन्हें बल, साहस और विजय का प्रतीक माना जाता था। उस देश का काम ही युद्ध करना था। और उनके पुजारी हमेशा लोगों में युद्ध की भावनाएँ भरते रहते थे। इन पुजारियों का गुज़ारा जीत में मिलनेवाली लूट से ही होता था। अश्शूरी लुटेरों की धर्म पर गहरी आस्था थी, इसलिए वे हर बार लूट का माल आपस में बाँटने से पहले, इन पुजारियों को उनका हिस्सा देते थे।”
3 हालाँकि नहूम की भविष्यवाणी की किताब छोटी है, मगर इसमें बहुत-सी दिलचस्प बातें हैं। हमें नहूम के बारे सिर्फ उतनी ही जानकारी है, जितनी इसकी पहली आयत में दी गयी है: “एल्कोशी नहूम के दर्शन की पुस्तक।” उसके नाम (इब्रानी में, नाखूम) का मतलब है “सांत्वना देनेवाला।” बेशक, उसके संदेश से नीनवे के लोगों को कोई सांत्वना नहीं मिली, मगर परमेश्वर के सच्चे लोगों को इससे यह पक्की उम्मीद नज़र आयी कि वे अपने कठोर और ताकतवर दुश्मन, अश्शूर से हमेशा के लिए राहत पाएँगे। यह बात भी सांत्वना देनेवाली थी कि नहूम ने अपनी किताब में, अपने लोगों के पापों का कोई ज़िक्र नहीं किया। यह ठीक-ठीक बताना मुश्किल है कि एल्कोश कहाँ था, मगर ऐसा मालूम होता है कि नहूम ने अपनी किताब यहूदा में लिखी थी। (नहू. 1:15) जब नहूम ने अपनी भविष्यवाणी दर्ज़ की थी, उस वक्त तक नीनवे का पतन नहीं हुआ था। यह घटना आगे चलकर सा.यु.पू. 632 में घटी। इसके कुछ ही समय पहले मिस्र की अमोन (थीब्ज़) नगरी का पतन हुआ था और नहूम बताता है कि जिस तरह उस नगरी का अंत हुआ था, उसी तरह नीनवे का भी अंत होगा। (3:8) इससे यह समझ में आता है कि नहूम ने अपनी किताब ज़रूर अमोन के पतन के बाद, मगर नीनवे के पतन से पहले लिखी होगी।
4 इस किताब की लेखन-शैली बड़ी अनूठी है। इसमें फिज़ूल की बातें नहीं लिखी गयी हैं। यह किताब भी बाकी ईश्वर-प्रेरित किताबों की तरह दमदार है और इसमें सच्ची बातें दर्ज़ हैं। नहूम घटनाओं को खुलकर बताने, भावनाएँ जगाने और ज़बरदस्त भाषा का इस्तेमाल करने में माहिर था। इतना ही नहीं, वह गरिमा-भरे शब्दों, जीती-जागती तसवीरों और ऐसे शब्दों-मुहावरों का चयन करना भी जानता था जिन्हें आसानी से भुलाया नहीं जा सकता। (1:2-8, 12-14; 2:4, 12; 3:1-5, 13-15, 18, 19) मूल भाषा में, नहूम के पहले अध्याय की ज़्यादातर आयतों, यानी आयत 1-8 को अक्षरबद्ध कविता के रूप में लिखा गया है। और इस कविता में इब्रानी वर्णमाला के सिर्फ पहले कुछ अक्षर, यानी आलेफ से लेकर काफ तक इस्तेमाल किए गए हैं। (1:8, NW, फुटनोट) नहूम की शैली में चार चाँद लगानेवाली एक और खासियत यह है कि वह अपनी पूरी किताब में सिर्फ एक ही विषय पर बात करता है—नीनवे का सर्वनाश। वह इस्राएल के इस मक्कार दुश्मन से इतनी नफरत करता है कि उसके विनाश के सिवा उसे और कुछ नहीं सूझता।
5 नहूम की भविष्यवाणी का अचूक तरीके से पूरा होना, उसकी किताब को सच्चा ठहराता है। नहूम के दिनों में, यहोवा के नबी के सिवा और कौन यह भविष्यवाणी करने की हिम्मत कर सकता था कि “नहरों के द्वार” को तोड़कर विश्वशक्ति अश्शूर की घमंडी राजधानी को नीचा किया जाएगा, उसके राजभवन को मिट्टी में मिला दिया जाएगा और वह “खाली, छूछी और सूनी” हो जाएगी? (2:6-10) इन घटनाओं के पूरा होने से यह साबित हो गया कि नहूम की भविष्यवाणी सचमुच परमेश्वर की ओर से थी। मादियों और बाबुलियों के ज़रिए नीनवे पर किए गए हमले के बारे में बाबुली राजा नबोपोलास्सर के ऐतिहासिक लेख कहते हैं: ‘उन्होंने नगर को पूरी तरह उजाड़ दिया और उसे मलबे का ढेर बना दिया . . .।’b नीनवे इस कदर दफन हो चुका था कि कई सदियों तक उसका वजूद तो क्या, लोगों को यह तक मालूम नहीं था कि वह कहाँ बसा था। कुछ आलोचक तो बाइबल में नीनवे के ज़िक्र पर नुक्स निकालने लगे, क्योंकि उनका दावा था कि नीनवे नाम की कोई जगह थी ही नहीं।
6 लेकिन नहूम की किताब के सच्चे होने के और भी सबूत मिले। नीनवे की जगह का पता लगाया गया और 19वीं सदी में वहाँ खुदाई शुरू की गयी। यह अनुमान लगाया गया था कि नीनवे के पूरे-के-पूरे नगर की खुदाई करने में लाखों टन मिट्टी निकाली जाती। नीनवे की खुदाई करने पर क्या मिला? ऐसे बहुत-से सबूत बरामद हुए जो पुख्ता करते हैं कि नहूम की किताब सौ फीसदी सच थी! मिसाल के लिए, नीनवे के स्मारक और शिलालेख इस बात की गवाही देते हैं कि अश्शूरी बड़े क्रूर थे। इस खुदाई से पंखवाले साँड और शेर की विशालकाय मूर्तियों के अवशेष भी मिले। इसलिए इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि नहूम ने नीनवे को ‘सिंहों की मांद’ कहा!—2:11.c
7 नहूम की किताब बाइबल के संग्रह का हिस्सा है, यह इस बात से साबित होता है कि यहूदी इसे ईश्वर-प्रेरित शास्त्र की किताबों में से एक मानते हैं। यह बाइबल की बाकी किताबों से पूरी तरह मेल खाती है। इसमें यहोवा के नाम से भविष्यवाणियाँ सुनायी गयी हैं और यह किताब उसके गुणों की और सारे जहान पर उसके अधिकार की ज़बरदस्त गवाही देती है।
क्यों फायदेमंद है
11 नहूम की भविष्यवाणी बाइबल के कुछ बुनियादी सिद्धांतों पर ध्यान दिलाती है। परमेश्वर ने दस आज्ञाओं में से दूसरी आज्ञा क्यों दी थी, उसकी वजह नहूम के दर्शन के शुरूआती शब्दों में दोहरायी गयी है: ‘यहोवा जल उठनेवाला ईश्वर है।’ इसके फौरन बाद यहोवा कहता है कि वह “अपने द्रोहियों से बदला” लेकर ही रहता है। क्रूर अश्शूरियों का घमंड और उनके झूठे देवी-देवता उन्हें यहोवा के न्यायदंड से नहीं बचा पाए। उसी तरह, आज हम पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा अपने ठहराए वक्त पर सभी दुष्टों से बदला लेगा। “यहोवा विलम्ब से क्रोध करनेवाला और बड़ा शक्तिमान है; वह दोषी को किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।” यहोवा के हाथों शक्तिशाली अश्शूरियों का सर्वनाश उसके न्याय को और सारे जहान पर उसके अधिकार को बुलंद करता है। नीनवे नगरी वाकई “खाली, छूछी और सूनी हो गई”!—1:2, 3; 2:10.
12 नीनवे तो “पूरी रीति से नाश” हो गया, मगर इसके बिलकुल उलट नहूम ऐलान करता है कि ‘याकूब और इस्राएल का वैभव’ (NHT) लौटाया जाएगा। यहोवा अपने लोगों को यह खुशखबरी भी देता है: “देखो, पहाड़ों पर शुभसमाचार का सुनानेवाला और शान्ति का प्रचार करनेवाला आ रहा है!” शांति की इस खुशखबरी का परमेश्वर के राज्य से ताल्लुक है। यह हम कैसे जानते हैं? क्योंकि यशायाह भी इन्हीं शब्दों का इस्तेमाल करता है, साथ ही वह आगे एक और बात भी कहता है: “जो . . . कल्याण का शुभ समाचार और उद्धार का सन्देश देता है, जो सिय्योन से कहता है, तेरा परमेश्वर राज्य करता है।” (नहू. 1:15; 2:2; यशा. 52:7) यही नहीं, रोमियों 10:15 में प्रेरित पौलुस इन्हीं शब्दों को उन मसीहियों पर लागू करता है, जिन्हें यहोवा सुसमाचार के प्रचारक के तौर पर भेजता है। ये प्रचारक ‘राज्य का सुसमाचार’ सुनाते हैं। (मत्ती 24:14) अपने नाम के मतलब के मुताबिक, नहूम उन सभी लोगों को सांत्वना देता है जो परमेश्वर के राज्य से मिलनेवाली शांति और उद्धार की खोज करते हैं। वे इस बात को सच होते ज़रूर देखेंगे: ‘यहोवा भला है; संकट के दिन में वह अपने शरणागतों के लिए दृढ़ गढ़ ठहरता है।’—नहू. 1:7.
[फुटनोट]
a इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 201.
b एन्शियंट नियर ईस्टर्न टॆक्स्ट्स, जे. बी. प्रिट्चर्ड द्वारा संपादित, सन् 1974, पेज 305; इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 958.
c इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, भाग 1, पेज 955.