शास्त्रों से शिक्षा: सपन्याह १:१-३:२०
यहोवा को ढूंढ़ो और पूरे मन से उसकी सेवा करो
बाबेल द्वारा धर्मत्यागी यहूदा को उजाड देने के कुछ ५० वर्ष पहले यहोवा ने उसके भविष्यवक्ता सपन्याह के द्वारा उद्घोषित किया: “मैं धरती के ऊपर से सब का अन्त कर दूंगा।” (१:१, २) लेकिन परमेश्वर ने उसके लागों को सुरक्षा का मार्ग भी दिखाया। (२:३; ३:९) इस के सम्बन्ध में, सपन्याह की पुस्तक में उन सब के लिए मूल्यवान शिक्षाएं है जो अब “परमेश्वर के उस बड़े दिन की लड़ाई” का सामना कर रहे हैं।—प्रकाशितवाक्य १६:१४.
यहोवा का दिन निकट है
यहोवा का दिन इतना निकट होने के कारण, जो भी परमेश्वर से दूर हो गए है शीघ्र ही उसके पास लोट आना है। उन में जिसका यहोवा “अन्त” करेगा, वे हैं जो यहोवा के पीछे चलने से लौट गए हैं। वे दूर हो गए हैं और परमेश्वर की इच्छा से अपने आप का सम्बन्ध नहीं रखते। क्या ही एक खतरनाक परिस्थिति! इसे तुरन्त संशोधित किया जाना चाहिए।—सपन्याह १:३-११.
भौतिक धन यहोवा के दिन में सुरक्षा नहीं दे सकता। कुछ जो यहोवा की सेवा करने का दावा करते हैं, अपने आप को भौतिक लक्ष्यों में व्यस्त रखते हैं, एक आरामदेह स्थिति को छाती से लगाते हुए। लेकिन कैसी बहकावट! उनकी भौतिक वस्तुएं उन्हें “उस दिन” कुछ भी सुरक्षा नहीं देगी।—सपन्याह १:१२-१८.
उद्धार सम्भव है
यहोवा के दिन में गुप्त रहने के लिए शास्त्रों का ऊपरी ज्ञान से कुछ अधिक जरूरी है। “नम्र लोगों” को, जो उसके “नियम के माननेवाले” हैं, यहोवा को ‘ढूंढने’, धर्म को ढूंढने, नम्रता को ढूंढने’ के लिए चिताया जाता है। केवल वे जो “अन्त तक धीरज धरे” रहेंगे, रक्षा पाएंगे।—सपन्याह २:१-३; मत्ती २४:१३.
यहोवा के लोगों को आज सतानेवाले राष्ट्र नाश हो जाएंगे। उनका भी वही अनुभव होगा जो मोआब, अम्मोन, अश्शूर और यहूदा के पास के अन्य राष्ट्रों का था। विनाश बड़ी बाबेल के लिए भी तैयार है। (प्रकाशिवाक्य १८:४-८) यहोवा के न्याय की घोषणा करने में लगे रहने के लिए यह हमारे लिए कितना अच्छा प्रोत्साहन है।—सपन्याह २:४-१५.
एक पुनःस्थापित लोग
यहोवा अब उसके लोगों की उत्तरजीविता की तैयारी कर रहा है। क्या आपने बाबेल के विचारों को त्याग दिया है और मूल्यवान बाइबल सच्चाईयों की “शुद्ध भाषा” बोलना शुरु किया है? क्या आपने अपने आप को उसे समर्पित करने के द्वारा ‘यहोवा के नाम को पुकारा’ है? क्या आप एक ‘भेंट’ ला रहे हैं जो “उन होठों का फल” है “जो उस नाम का अंगीकार करते हैं?” उत्तरजीविता के लिए, आपको यहोवा के समर्पित लोगों के साथ ‘कन्धे से कन्धा’ मिलाए सेवा करना चाहिए।—सपन्याह ३:१-१०, न्यू.व.; रोमियों १०:१३-१५; इब्रानियों १३:१५.
उद्धार के लिए, हमें यहोवा को ढूंढ़ना है और उसके पवित्र नाम को ऊँचा उठाए रखना है। घमण्ड, अधार्मिकता और झूठ को उसके लोगों के बीच कोई स्थान नहीं। (इफीसियों ४:२५-३२) जब वह अपने नाम की महिमा करेगा, तब केवल “दीन और कंगाल” लोग बचाए जाएंगे।—सपन्याह ३:११-२०.
शास्त्रों से शिक्षा: हाग्गै १:१-२:२३
हग्गै की पुस्तक हमें सामान्य युग पूर्व ५२० में ले जाती है जो यहोवा के मन्दिर को पुनःस्थापित करने के लिए एक यहूदी अवशेष के आने के १७ वर्ष बाद है। (हग्गै १:१) वह एक ऐसा समय था जब सभों को परमेश्वर के कार्य में मन लगाना था। फिर भी, यहोवाने अपने भविष्यवक्ता हग्गै को उसके लोगों को उनका कर्तव्य याद दिलाने के लिए भेजना आवश्यक समझा। क्या इस में हमारे लिए शिक्षाएं है?
यहोवा के कार्य को पहला स्थान दो
कभी भी भौतिक हितों को अध्यात्मिक कर्त्तव्यों के आगे न रखें। यहूदियों के पास, जो उनके स्वदेश लोटे, आर्थिक अस्थिरता, वैरपूर्ण पड़ोसी और इत्यादी की चिन्ताओं के कारण थे। लेकिन उनके विलासी जीवन-चर्च्या को देखते हुए, उनकी उपेक्षा के कारण ये नहीं थे। केवल हाग्गै द्वारा उत्तेजित करने के बाद ही वे मन्दिर पर कार्य, आरम्भ किए। इसी प्रकार आज भी हमें अपनी अपनी चालचलन पर ध्यान रखने की आवश्यकता है और यह निश्चित करें कि हम परमेश्वर के कार्य को जिस कदर तक सम्भव हो उस कदर तक पूर्ण रूप से समर्थित करें।—हाग्गै १:२-१५.
यहोवा उनके प्रयत्नों को आशिष देता है जो पूरे मन से उसका कार्य करते हैं। परमेश्वर मन्दिर पूर्ण करने में जरूब्बाबेल और अन्य यहूदियों के कार्य पर आशिष देगा और उसकी महिमा पहले भवन से श्रेष्ठ होगा। “एक बड़ी भीड़” आज राज्य संदेश की ओर प्रतिक्रिया दिखाने के द्वारा, “सारी जातियों की मनभावनी वस्तुएं यहोवा के आध्यात्मिक मन्दिर में आ रही हैं और वह ‘इस भवन को अपनी महिमा के तेज से भर देगा।’—हाग्गै २:१-९; प्रकाशितवाक्य ७:९.
एकनिष्ठ सेवकाई आवश्यक
हमारी उपासना केवल तब ही मूल्यवान होगी, अगर हम स्वच्छ हैं, हमारे उद्देश्य शुद्ध हैं, और हम पूर्ण मन से यहोवा की सेवा कर रहे हैं। परमेश्वर के भवन की उपेक्षा करने से यहूदी अशुद्ध बन गए, लेकिन जैसे ही मन्दिर कार्य शुरु हुआ वह उन्हें आशिष देनेवाला है। इसलिए, अगर हमें यहोवा के अनुग्रह का आनन्द लेना है, तो हमें उसे संशोधित करना है जिसे ध्यान की आवश्यकता है और उसके कार्य में मन लगाना है। (गिनती १८:११-१३ से तुलना करें) परमेश्वर द्वारा आकाश और पृथ्वी को हिलाने, राष्ट्रों को उलट देने के लिए जैसे हम प्रतीक्षा करते हैं, चलो हम प्रतीकात्मक जरुब्बाबेल, यीशु मसीह का अनुसरण करें और यहोवा के कार्य में पूर्ण मन से भाग लें।
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बाइबल के मूल शास्त्रों का परीक्षण
○ सपन्याह १:५—मलकम, सम्भवतः वही मिल्कम, मोलेक या मोलोक है, जो अम्मोनियों का प्रमुख झूठा देवता था। (१ राजाओं ११:५, ७) मोलेक की उपासना में घृणित शिशु बलिदान शामिल था और वह नियम के द्वारा निन्दित था—लैव्यव्यवस्था २०:२-५; प्रेरित ७:४२, ४३.
○ सपन्याह २:१४—जैसे भविष्यवाणी की गई, उजाड़ निनवे के गिरे हुए स्तम्भ और उनके शीर्ष पक्षियों और पशुओं के लिए जगह बन गयी। पक्षियाँ और सम्भवतः हवा भी उजाड़ खिड़कियों में “गाती” है। द्वार और महल के भीतरी भाग भी उजाड़ किए गए।
○ सपन्याह ३:९—एक सर्वसामान्य मानव भाषा एकता की प्रत्याभूति नहीं देती, जैसे वही भाषा बोलनेवाले लोगों के बीच चली लड़ाईयाँ दिखाती हैं। उस “शुद्ध भाषा” शास्त्रीय सच्चाई है, “स्वास्थ्यकर शब्दों का प्रतिमान।” (२ तीमुथियुस १:१३, न्यू.व.) वह अभिमान से अधिक है, परमेश्वर की महिमा करती है, और उन सब को, जो उसे बोलते हैं एक करती है।
○ हाग्गै १:६—क्योंकि यहूदी यहोवा के मन्दिर की उपेक्षा करते थे, उन पर उसका आशिष नहीं था। इसलिए, वे अधिक बोए लेकिन कम फसल उत्पन्न किए और वे उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाना और पेय से रहित थे। उनका पहनावा उन्हें गरम रखने के लिए मात्रा और गुण में अपर्याप्त था और ऐसा प्रतीत होता था, मानो मज़दूर एक ऐसे बटुए में पैसे डाल रहे हैं जिस में बहुत छेद हैं। उन यहूदियों के असमान, हम ईश्वरीय इच्छाओं की उपेक्षा कभी न करें।—नीतिवचन १०:२२; नेहेमियाह १०:३९.
○ हाग्गै २:९—जब कि “पहला भवन”, सुलैमान द्वारा निर्मित, ४२० वर्षों तक रहा, पिछला भवन ५८४ वर्षों के लिए उपयोग किया गया (सामान्य युग पूर्व ५१५ से सामान्य युग ७० तक) इसलिए दूसरा भवन अधिक समय के लिए रहा और अधिक उपासक उस में एकत्रित हुए, जब पिन्तेकुस्त सामान्य युग ३३ में यहूदिया के बाहर से भी यहूदी और धर्मान्तरित व्यक्तियाँ उस में एकत्रित हुए। इसके अलावा, मसीहा, यीशु मसीह, उस “पिछले भवन” में सिखाया। ये कारण उसे और अधिक धार्मिक महिमा देते है।