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“तुम मेरी बाट जोहते रहो”प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
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३ यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि जबकि सपन्याह ने ईश्वरीय न्यायदण्ड की उद्घोषणा यहूदा के पदाधिकारी “हाकिमों” (अधिपतियों, अथवा कुलपतियों) और “राजकुमारों” के विरुद्ध की थी, अपनी आलोचना में उसने स्वयं राजा का ज़िक्र कभी नहीं किया।a (सपन्याह १:८; ३:३) इससे यह सूचित होता है कि युवा राजा योशिय्याह ने पहले ही सच्ची उपासना की ओर झुकाव दिखाया था, हालाँकि सपन्याह ने जिस स्थिति की निन्दा की उसको देखते हुए, स्पष्टतः उसने अब तक अपने धार्मिक सुधार के कार्य शुरु नहीं किए थे। यह सब सूचित करता है कि सपन्याह ने यहूदा में योशिय्याह के आरंभिक सालों में भविष्यवाणी की, जिसने सा.यु.पू. ६५९ से ६२९ तक शासन किया। निःसन्देह सपन्याह के ओजस्वी रूप से भविष्यवाणी करने से युवा योशिय्याह का उस समय यहूदा में प्रचलित मूर्तिपूजा, हिंसा और भ्रष्टाचार का बोध बढ़ा और इसने मूर्तिपूजा के विरुद्ध किए गए उसके भावी अभियान को प्रोत्साहित किया।—२ इतिहास ३४:१-३.
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“तुम मेरी बाट जोहते रहो”प्रहरीदुर्ग—1996 | मार्च 1
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a ऐसा लगता है कि अभिव्यक्ति “राजकुमारों” सभी राजकीय हाकिमों को सूचित करती है चूँकि योशिय्याह के अपने बेटे उस समय बहुत ही छोटे थे।
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