“तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं”
“तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं। तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है।”—सपन्याह ३:१६, १७.
१. सपन्याह की भविष्यवाणी के सम्बन्ध में एक बाइबल विद्वान ने क्या कहा?
सपन्याह की भविष्यवाणी ने सा.यु.पू. छठवीं और सातवीं शताब्दी में अपनी पहली पूर्ति से भी बहुत आगे की ओर संकेत किया। सपन्याह पर अपनी व्याख्या में, प्रोफ़ॆसर सी. एफ़. काइल ने लिखा: “सपन्याह की भविष्यवाणी . . . न केवल पूरे संसार पर सम्पूर्ण न्यायदण्ड से शुरू होती है, जिसमें से वह न्यायदण्ड निकलता है जो यहूदा पर उसके पापों के कारण, और जातियों के संसार पर यहोवा के लोगों के प्रति उनकी शत्रुता के कारण आ पड़ेगा, बल्कि यह शुरू से लेकर अन्त तक यहोवा के बड़े और भयानक दिन के बारे में विवेचन करती है।”
२. सपन्याह के दिनों की परिस्थितियों में और आज मसीहीजगत की आन्तरिक स्थिति में कौन-सी समानताएँ पाई जाती हैं?
२ आज, यहोवा ने यह ठाना है कि सपन्याह के दिनों से बहुत बड़े पैमाने पर विनाश के लिए राष्ट्रों को इकट्ठा करे। (सपन्याह ३:८) वे राष्ट्र जो मसीही होने का दावा करते हैं परमेश्वर की दृष्टि में ख़ासकर निन्दनीय हैं। ठीक जैसे यरूशलेम ने यहोवा के प्रति अपनी बेवफ़ाई की भारी क़ीमत चुकाई, वैसे ही मसीहीजगत को अपने लुचपन के मार्गों का हिसाब परमेश्वर को देना पड़ेगा। सपन्याह के दिनों में यहूदा और यरूशलेम पर ईश्वरीय न्यायदण्ड की घोषणा गिरजों और मसीहीजगत के संप्रदायों पर और भी कड़ाई के साथ लागू होती है। उन्होंने शुद्ध उपासना को भी परमेश्वर का अनादर करनेवाले धर्मसिद्धान्तों द्वारा दूषित किया है, जिनमें से अनेक विधर्मी उद्गम के हैं। उन्होंने अपने लाखों तंदुरुस्त बेटों को आधुनिक युद्ध की वेदी पर बलि चढ़ाया है। इसके अलावा, प्रतिरूपी यरूशलेम के निवासी तथाकथित मसीहियत को ज्योतिषविद्या, प्रेतात्मवादी कार्यों, और घिनौनी लैंगिक अनैतिकता के साथ मिला देते हैं, जो बाल उपासना की याद दिलाता है।—सपन्याह १: ४, ५.
३. आज के अधिकतर लौकिक नेताओं और राजनैतिक सरकारों के बारे में क्या कहा जा सकता है, और सपन्याह ने क्या भविष्यवाणी की थी?
३ मसीहीजगत के अनेक राजनैतिक नेता गिरजों में प्रमुख होने का आनन्द लेते हैं। लेकिन यहूदा के ‘हाकिमों’ की तरह, उनमें से अनेकों ने लोगों को “गरजते हुए सिंह” और खूँख़ार “भेड़िये” के समान शोषित किया है। (सपन्याह ३:१-३, NHT) ऐसों के राजनैतिक ताबेदार ‘अपने स्वामी के घर को उपद्रव और छल से भर रहे हैं।’ (सपन्याह १:९) घूसख़ोरी और भ्रष्टाचार प्रबल है। और जहाँ तक मसीहीजगत के भीतर और बाहर की राजनैतिक सरकारों का सवाल है, तो उनकी बढ़ती संख्या ने सेनाओं के यहोवा के लोगों के विरुद्ध, उसके साक्षियों के विरुद्ध “बड़ाई मारी” और उनके साथ एक तुच्छ “पन्थ” जैसा व्यवहार किया है। (सपन्याह २:८; प्रेरितों २४:५, १४) ऐसे सभी राजनैतिक नेताओं और उनके अनुयायियों के बारे में, सपन्याह ने भविष्यवाणी की: “यहोवा के रोष के दिन में, न तो चान्दी से उनका बचाव होगा, और न सोने से; क्योंकि उसके जलन की आग से सारी पृथ्वी भस्म हो जाएगी; वह पृथ्वी के सारे रहनेवालों को घबराकर उनका अन्त कर डालेगा।”—सपन्याह १:१८.
“यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ”
४. क्या दिखाता है कि यहोवा के भयानक दिन के उत्तरजीवी होंगे, लेकिन उन्हें क्या करना होगा?
४ सामान्य युग पूर्व सातवीं शताब्दी में यहूदा के सभी निवासियों का संहार नहीं हुआ था। उसी प्रकार, यहोवा के भयानक दिन के भी उत्तरजीवी होंगे। ऐसों को यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता सपन्याह के माध्यम से कहा: “इस से पहिले कि दण्ड की आज्ञा पूरी हो और बचाव का दिन भूसी की नाईं निकले, और यहोवा का भड़कता हुआ क्रोध तुम पर आ पड़े, और यहोवा के क्रोध का दिन तुम पर आए, तुम इकट्ठे हो। हे पृथ्वी के सब नम्र लोगो, हे यहोवा के नियम के माननेवालो, उसको ढूंढ़ते रहो; धर्म को ढूंढ़ो, नम्रता को ढूंढ़ों; सम्भव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ।”—सपन्याह २:२, ३.
५. अंत के इस समय में, सपन्याह की भविष्यवाणी को सुननेवाले पहले लोग कौन थे, और यहोवा ने उन्हें कैसे इस्तेमाल किया है?
५ संसार के अंत के इस समय में, भविष्यसूचक आमंत्रण को सबसे पहले सुननेवाले, आत्मिक इस्राएलियों का शेषवर्ग, अभिषिक्त मसीही थे। (रोमियों २:२८, २९; ९:६; गलतियों ६:१६) धार्मिकता और नम्रता को ढूँढ़ने और यहोवा ने जो ठाना है उसके प्रति आदर दिखाने की वजह से, उन्हें झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य, बड़े बाबुल से छुड़ाया गया, और १९१९ में ईश्वरीय अनुग्रह में पुनःस्थापित किया गया। तब से, और ख़ासकर १९२२ से, यह वफ़ादार शेषवर्ग गिरजों और मसीहीजगत के संप्रदायों और राजनैतिक राष्ट्रों के विरुद्ध यहोवा के न्यायदण्ड की घोषणा निडरतापूर्वक करता रहा है।
६. (क) वफ़ादार शेषवर्ग के बारे में सपन्याह ने क्या भविष्यवाणी की? (ख) यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई है?
६ इस वफ़ादार शेषवर्ग के बारे में, सपन्याह ने भविष्यवाणी की: “मैं तेरे बीच में दीन और कंगाल लोगों का एक दल बचा रखूंगा, और वे यहोवा के नाम की शरण लेंगे। इस्राएल के बचे हुए लोग न तो कुटिलता करेंगे और न झूठ बोलेंगे, और न उनके मुंह से छल की बातें निकलेंगी। वे चरेंगे और विश्राम करेंगे, और कोई उनको डरानेवाला न होगा।” (सपन्याह ३:१२, १३) इन अभिषिक्त मसीहियों ने हमेशा यहोवा के नाम को आगे रखा है, लेकिन उन्होंने ख़ासकर १९३१ से ऐसा किया है, जब उन्होंने यहोवा के साक्षी नाम धारण किया। (यशायाह ४३:१०-१२) यहोवा की सर्वसत्ता के वाद-विषय को विशिष्ट करने के द्वारा, उन्होंने ईश्वरीय नाम का आदर किया है, और यह उनके लिए एक शरण साबित हुआ है। (नीतिवचन १८:१०) यहोवा ने उन्हें आध्यात्मिक रूप से बहुतायत से तृप्त किया है, और वे बिना किसी भय के एक आध्यात्मिक परादीस में जी रहे हैं।—सपन्याह ३:१६, १७.
“सारी जातियों के बीच . . . कीर्त्ति और प्रशंसा”
७, ८. (क) आत्मिक इस्राएल के शेषवर्ग पर और कौन-सी भविष्यवाणी पूरी हुई? (ख) लाखों लोगों ने क्या स्वीकार किया है, और इस सम्बन्ध में आपकी अपनी भावनाएँ क्या हैं?
७ शेषवर्ग का यहोवा के नाम और उसके वचन के धर्मी सिद्धान्तों के प्रति गहरा लगाव अनदेखा नहीं रहा है। निष्कपट लोगों ने शेषवर्ग के आचरण और इस संसार के राजनैतिक और धार्मिक नेताओं के भ्रष्टाचार और कपट के बीच फर्क़ को देखा है। यहोवा ने “[आत्मिक] इस्राएल के बचे हुए” लोगों को आशीषित किया है। उसने उन्हें अपना नाम धारण करने के विशेषाधिकार से सम्मानित किया है, और वह पृथ्वी के लोगों के बीच उनकी उत्तम प्रतिष्ठा पाने का कारण हुआ है। यह वैसा ही है जैसी सपन्याह ने भविष्यवाणी की थी: “उसी समय मैं तुम्हें ले जाऊंगा, और उसी समय मैं तुम्हें इकट्ठा करूंगा; और जब मैं तुम्हारे साम्हने तुम्हारे बंधुओं को लौटा लाऊंगा, तब पृथ्वी की सारी जातियों के बीच में तुम्हारी कीर्त्ति और प्रशंसा फैला दूंगा, यहोवा का यही वचन है।”—सपन्याह ३:२०.
८ वर्ष १९३५ से, शाब्दिक रूप से लाखों लोगों ने यह स्वीकार किया है कि शेषवर्ग पर यहोवा की आशिष है। ये ख़ुशी-ख़ुशी इन आत्मिक यहूदियों, अथवा इस्राएलियों के पीछे यह कहते हुए हो लेते हैं: “हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्वर तुम्हारे साथ है।” (जकर्याह ८:२३) ये “अन्य भेड़” इस अभिषिक्त शेषवर्ग को “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के रूप में पहचानती हैं जिसे मसीह ने “अपनी सारी [पार्थिव] संपत्ति पर सरदार” ठहराया है। ये कृतज्ञता से दास वर्ग द्वारा “समय पर” तैयार किए गए आध्यात्मिक भोजन का सेवन करती हैं।—यूहन्ना १०:१६, NW; मत्ती २४:४५-४७.
९. कौन-सी “भाषा” लाखों लोगों ने बोलनी सीखी है, और कौन-से महान कार्य में अन्य भेड़ें अभिषिक्त शेषवर्ग के साथ “कन्धे से कन्धा मिलाए हुए” सेवा कर रही हैं?
९ शेषवर्ग के साथ, ये लाखों अन्य भेड़ें “शुद्ध भाषा” के सामंजस्य में जीना और बोलना सीख रही हैं।a यहोवा ने सपन्याह द्वारा भविष्यवाणी की: “उस समय मैं देश-देश के लोगों से एक नई और शुद्ध भाषा बुलवाऊंगा, कि वे सब के सब यहोवा से प्रार्थना करें, और एक मन से कन्धे से कन्धा मिलाए हुए उसकी सेवा करें।” (सपन्याह ३:९) जी हाँ, अन्य भेड़ें “छोटे झुण्ड” के अभिषिक्त सदस्यों के साथ “कन्धे से कन्धा मिलाए हुए” ‘सारी जातियों पर गवाही के लिये राज्य के इस सुसमाचार’ के अत्यावश्यक प्रचार कार्य में संयुक्त होकर यहोवा की सेवा करती हैं।—लूका १२:३२; मत्ती २४:१४.
‘प्रभु का दिन आ जाएगा’
१०. किस बात के बारे में अभिषिक्त शेषवर्ग हमेशा विश्वस्त रहा है, और एक वर्ग के तौर पर, वह क्या देखने के लिए जीवित रहेगा?
१० अभिषिक्त शेषवर्ग ने प्रेरित पतरस के उत्प्रेरित कथन को लगातार मन में रखा है: “प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले। परन्तु प्रभु [“यहोवा,” NW] का दिन चोर की नाईं आ जाएगा।” (२ पतरस ३:९, १०) विश्वासयोग्य दास वर्ग के सदस्यों को हमारे समय में यहोवा के दिन के आने के बारे में कभी भी कोई संदेह नहीं रहा है। उस भयानक दिन की शुरूआत मसीहीजगत, अर्थात् प्रतिरूपी यरूशलेम, और बड़े बाबुल के शेषभाग के विरुद्ध परमेश्वर के न्यायदण्ड के कार्यान्वयन के साथ होगी।—सपन्याह १:२-४; प्रकाशितवाक्य १७:१, ५; १९:१, २.
११, १२. (क) सपन्याह की भविष्यवाणी का कौन-सा अन्य भाग शेषवर्ग पर पूरा हुआ है? (ख) किस प्रकार अभिषिक्त शेषवर्ग ने इस पुकार को सुना है, “तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं”?
११ वफ़ादार शेषवर्ग १९१९ में, झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य, बड़े बाबुल की आध्यात्मिक बंधुवाई से छुटकारा पाए जाने पर आनन्द मनाता है। उसने सपन्याह की भविष्यवाणी की पूर्ति का अनुभव किया है: “हे सिय्योन, ऊंचे स्वर से गा; हे इस्राएल, जयजयकार कर! हे यरूशलेम अपने सम्पूर्ण मन से आनन्द कर, और प्रसन्न हो! यहोवा ने तेरा दण्ड दूर कर दिया और तेरा शत्रु भी दूर किया गया है। इस्राएल का राजा यहोवा तेरे बीच में है, इसलिये तू फिर विपत्ति न भोगेगी। उस समय यरूशलेम से यह कहा जाएगा, हे सिय्योन मत डर, तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं। तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है।”—सपन्याह ३:१४-१७.
१२ इस बात के विश्वास और अनेक प्रमाणों के साथ कि यहोवा उनके बीच में है, अभिषिक्त शेषवर्ग अपनी ईश्वरीय नियुक्ति को पूरा करने में निडरतापूर्वक आगे बढ़ता गया है। उसने राज्य के सुसमाचार का प्रचार किया है और मसीहीजगत, बड़े बाबुल के शेषभाग, और शैतान की संपूर्ण दुष्ट रीति-व्यवस्था के विरुद्ध यहोवा के न्यायदण्ड की घोषणा की है। सभी कठिनाइयों के बावजूद, १९१९ से लेकर अनेक दशकों के दौरान, उसने ईश्वरीय आज्ञा का पालन किया है: “हे सिय्योन मत डर, तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं।” उसने यहोवा के राज्य की घोषणा करनेवाले अरबों ट्रैक्ट, पत्रिकाओं, पुस्तकों और पुस्तिकाओं को वितरित करने में अपने हाथों को ढीला नहीं पड़ने दिया है। वह अन्य भेड़ों के लिए एक विश्वासोत्पादक उदाहरण रहा है, जो १९३५ से उसके पक्ष में इकट्ठी हुई हैं।
‘तेरे हाथ ढीले न पड़ने पाएं’
१३, १४. (क) क्यों कुछ यहूदियों ने यहोवा का अनुसरण करना छोड़ दिया, और यह कैसे प्रकट हुआ? (ख) क्या करना हमारे लिए मूर्खता होगी, और किस कार्य में हमें अपने हाथों को ढीले नहीं पड़ने देना चाहिए?
१३ जबकि हम यहोवा के भयानक दिन की ‘बाट जोहते रहते हैं,’ हम सपन्याह की भविष्यवाणी से व्यावहारिक सहायता कैसे पा सकते हैं? सबसे पहले, हम सपन्याह के दिनों के उन यहूदियों की तरह बनने से सावधान रहेंगे जिन्होंने यहोवा का अनुसरण करना छोड़ दिया था, क्योंकि वे यहोवा के दिन की निकटता के बारे में संदेह करने लगे थे। ज़रूरी नहीं कि ऐसे यहूदियों ने सार्वजनिक रूप से अपने संदेह व्यक्त किए, लेकिन उनके कार्यों ने यह प्रकट किया कि वे वास्तव में यह विश्वास नहीं करते थे कि यहोवा का भयानक दिन निकट था। उन्होंने यहोवा की बाट जोहते रहने के बजाय धन बटोरने पर ध्यान लगाया।—सपन्याह १:१२, १३; ३:८.
१४ आज संदेह को अपने हृदय में जड़ पकड़ने देने का समय नहीं है। यहोवा के दिन के आने को अपने मन अथवा हृदय में ताक़ पर रख देना बड़ी मूर्खता होगी। (२ पतरस ३:१-४, १०) हमें यहोवा के पीछे चलने से लौट जाने अथवा उसकी सेवा में ‘अपने हाथ ढीले पड़ने देने’ से दूर रहना चाहिए। इसमें हमारे “सुसमाचार” प्रचार करने के “काम में ढिलाई” न करना शामिल है।—नीतिवचन १०:४; मरकुस १३:१०.
उदासीनता से लड़ना
१५. कौन-सी बात हमारा यहोवा की सेवा में अपने हाथ ढीले करने का कारण बन सकती है, और सपन्याह की भविष्यवाणी में इस समस्या के बारे में कैसे पूर्वबताया गया था?
१५ दूसरी बात, हमें उदासीनता के कमज़ोर बनानेवाले प्रभावों से सावधान रहना चाहिए। अनेक पश्चिमी देशों में, आध्यात्मिक मामलों के बारे में लापरवाही कुछ सुसमाचार के प्रचारकों के बीच निरुत्साह का कारण बन सकती है। ऐसी उदासीनता सपन्याह के दिनों में अस्तित्व में थी। यहोवा ने अपने भविष्यवक्ता के द्वारा कहा: “जो लोग . . . मन में कहते हैं कि यहोवा न तो भला करेगा और न बुरा, उनको मैं दण्ड दूंगा।” (सपन्याह १:१२) स्कूलों और कॉलेजों के लिए केम्ब्रिज बाइबल (अंग्रेज़ी) में इस लेखांश पर लिखते हुए ए. बी. डेविडसन ने लिखा कि यह उन लोगों के बारे में कहती है जो “मानवजाति के मामलों में परमेश्वर के किसी भी हस्तक्षेप के बारे में भावशून्य उदासीनता और यहाँ तक कि अविश्वास में डूब गए” हैं।
१६. मसीहीजगत के गिरजों के अनेक सदस्यों में कौन-सी मनोवृत्ति मौजूद है, लेकिन यहोवा हमें कौन-सा प्रोत्साहन देता है?
१६ उदासीनता पृथ्वी के अनेक भागों में, ख़ासकर ज़्यादा समृद्ध देशों में आज प्रचलित मनोवृत्ति है। यहाँ तक कि मसीहीजगत के गिरजों के सदस्य यह विश्वास ही नहीं करते कि यहोवा परमेश्वर हमारे दिनों में मानवी मामलों में हस्तक्षेप करेगा। वे उन तक हमारे राज्य सुसमाचार को पहुँचाने के प्रयास को या तो संदेहपूर्ण मुस्कराहट से अथवा “मुझे दिलचस्पी नहीं है!” के रूखे जवाब के साथ टाल देते हैं। इन हालातों में, गवाही कार्य में लगे रहना एक वास्तविक चुनौती हो सकता है। यह हमारे धीरज को परखता है। लेकिन सपन्याह की भविष्यवाणी के माध्यम से, यहोवा अपने वफ़ादार लोगों को यह कहकर शक्ति प्रदान करता है: “तेरे हाथ ढीले पड़ने न पाएं। तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे बीच में है, वह उद्धार करने में पराक्रमी है; वह तेरे कारण आनन्द से मगन होगा, वह अपने प्रेम के मारे चुपका रहेगा; फिर ऊंचे स्वर से गाता हुआ तेरे कारण मगन होगा।”—सपन्याह ३:१६, १७.
१७. कौन-से उदाहरण पर अन्य भेड़ों के बीच नए जनों को चलना चाहिए, और कैसे?
१७ यहोवा के लोगों के आधुनिक-दिन इतिहास में यह सच है कि शेषवर्ग, साथ-ही-साथ अन्य भेड़ों के वृद्ध जनों ने इन अंतिम दिनों में एक भारी एकत्रीकरण का कार्य पूरा किया है। इन सभी वफ़ादार मसीहियों ने दशकों से धीरज दिखाया है। उन्होंने मसीहीजगत के अधिकांश लोगों की उदासीनता से स्वयं को निरुत्साहित नहीं होने दिया है। सो ऐसा हो कि अन्य भेड़ों में नए जन आध्यात्मिक मामलों के प्रति उस उदासीनता से, जो आज अनेक देशों में इतनी प्रचलित है, स्वयं को निराश न होने दें। ऐसा हो कि वे अपने “हाथ ढीले” अथवा धीमें न पड़ने दें। ऐसा हो कि वे प्रहरीदुर्ग, सजग होइए! और दूसरे उत्तम प्रकाशनों को पेश करने के लिए प्रत्येक अवसर का इस्तेमाल करें जो ख़ासकर भेड़-समान लोगों को यहोवा के दिन और उसके बाद आनेवाली आशिषों के बारे में सच्चाई को सीखने में मदद देने के लिए तैयार किए गए हैं।
उस भयानक दिन की बाट जोहते समय प्रगतिशील!
१८, १९. (क) मत्ती २४:१३ और यशायाह ३५:३, ४ में धीरज धरने के बारे में हम क्या प्रोत्साहन पाते हैं? (ख) हम कैसे आशिष प्राप्त करेंगे यदि हम संयुक्त रूप से यहोवा की सेवा में आगे बढ़ते जाते हैं?
१८ यीशु ने कहा: “जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।” (मत्ती २४:१३) सो जब हम यहोवा के भयानक दिन की बाट जोहते हैं, “ढीले हाथों” अथवा “थरथराते हुए घुटनों” की कोई आवश्यकता नहीं! (यशायाह ३५:३, ४) सपन्याह की भविष्यवाणी यहोवा के बारे में आश्वासित करते हुए कहती है: “वह उद्धार करने में पराक्रमी है।” (सपन्याह ३:१७) जी हाँ, यहोवा “बड़ी भीड़” को “बड़े क्लेश” के अंतिम चरण से बचा लेगा, जब वह अपने पुत्र को राजनैतिक राष्ट्रों के टुकड़े-टुकड़े करने की आज्ञा देगा, जिन्होंने लगातार उसके लोगों के विरुद्ध “बड़ाई मारी है।”—प्रकाशितवाक्य ७:९, १४; सपन्याह २:१०, ११; भजन २:७-९.
१९ जैसे-जैसे यहोवा का भयानक दिन निकट आता है, आइए हम “कन्धे से कन्धा मिलाए हुए” उसकी सेवा करते हुए उत्साहपूर्वक आगे बढ़ें! (सपन्याह ३:९) ऐसा करने से, हम स्वयं और अन्य अनगिनत लोग “यहोवा के दिन में शरण” पाने और उसके नाम के पवित्रीकरण के साक्षी होने की स्थिति में होंगे।
[फुटनोट]
a “शुद्ध भाषा” पर सम्पूर्ण चर्चा के लिए अप्रैल १, १९९१ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) पृष्ठ २०-५ और मई १, १९९२ की प्रहरीदुर्ग, पृष्ठ १६-२६ देखिए।
पुनर्विचार में
◻ किन तरीक़ों से मसीहीजगत की धार्मिक आन्तरिक स्थिति सपन्याह के दिनों से मेल खाती है?
◻ आज अनेक राजनैतिक नेता सपन्याह के समय के लौकिक “हाकिमों” से कैसे मेल खाते हैं?
◻ सपन्याह में दी गईं कौन-सी प्रतिज्ञाएँ शेषवर्ग पर पूरी हुई हैं?
◻ लाखों लोगों ने क्या स्वीकार किया है?
◻ क्यों हमें यहोवा की सेवा में अपने हाथों को ढीले नहीं पड़ने देना चाहिए?
[पेज 15 पर तसवीरें]
सपन्याह की तरह, अभिषिक्त मसीहियों का वफ़ादार शेषवर्ग यहोवा के न्यायदण्डों को निडरतापूर्वक घोषित करता रहा है
[पेज 18 पर तसवीरें]
‘अन्य भेड़ों’ ने लोगों की उदासीनता से स्वयं को निरुत्साहित नहीं होने दिया