पुनःस्थापित “देश” में निवासी एकसाथ रहते हैं
“तुम यहोवा के याजक कहलाओगे, वे तुम को हमारे परमेश्वर के सेवक कहेंगे।” —यशायाह ६१:६.
१, २. (क) इस्राएल में यहूदी-मतधारकों की स्थिति क्या थी? (ख) आधुनिक समय में “बड़ी भीड़” के सदस्यों ने कौन-सी मनोवृत्ति दिखायी है?
प्राचीन समय में, इस्राएल जब विश्वासी था तब वह संसार के दृश्य पटल पर यहोवा की महिमा के एक गवाह के तौर कार्य करता था। (यशायाह ४१:८, ९; ४३:१०) अनेक परदेशियों ने प्रतिक्रिया दिखायी और यहोवा के चुने हुए लोगों की संगति में उसकी उपासना करने के लिए आए। असल में, उन्होंने इस्राएल से वही कहा जो रूत ने नाओमी से कहा: “तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा।” (रूत १:१६) उन्होंने व्यवस्था वाचा की शर्तों को स्वीकार किया, जिसके अनुसार पुरुषों को ख़तना करवाना था। (निर्गमन १२:४३-४८) कुछ स्त्रियों ने इस्राएलियों से विवाह किया। यरीहो की राहब और मोआबी रूत यीशु मसीह की पूर्वज बनीं। (मत्ती १:५) ऐसे यहूदी-मतधारक इस्राएल की कलीसिया का भाग थे।—व्यवस्थाविवरण २३:७, ८.
२ इस्राएल में यहूदी-मतधारकों के समान, आज “बड़ी भीड़” ने अभिषिक्त शेषवर्ग से कहा है: “हम तुम्हारे संग चलेंगे, क्योंकि हम ने सुना है कि परमेश्वर तुम्हारे साथ है।” (प्रकाशितवाक्य ७:९; जकर्याह ८:२३) वे स्वीकार करते हैं कि ये अभिषिक्त मसीही यहोवा का “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” है और वे उनके साथ इतनी नज़दीकी से काम करते हैं कि अभिषिक्त और ‘अन्य भेड़’ (NW) “एक ही झुण्ड और एक ही चरवाहा” हैं। (मत्ती २४:४५-४७; यूहन्ना १०:१६) जब उनके सभी अभिषिक्त भाइयों को अपना स्वर्गीय प्रतिफल मिल जाएगा तब बड़ी भीड़ का क्या होगा? उन्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। इन ‘अन्तिम दिनों’ के दौरान, यहोवा ने उस समय के लिए तैयारी की है।—२ तीमुथियुस ३:१.
एक आध्यात्मिक “देश”
३. पतरस द्वारा पूर्वबताए गए “नए आकाश” क्या हैं, और ये कब स्थापित किए गए?
३ प्रेरित पतरस ने उस स्वर्गीय शासकीय प्रबन्ध की भविष्यवाणी की थी जिसका १,४४,००० अभिषिक्त मसीही भाग होंगे। उसने कहा: “उस की प्रतिज्ञा के अनुसार हम एक नए आकाश और नई पृथ्वी की आस देखते हैं जिन में धार्मिकता बास करेगी।” (२ पतरस ३:१३) ये “नए आकाश” १९१४ में स्थापित किए गए, जब मसीह को स्वर्गीय राज्य में राजा के रूप में सत्तारूढ़ किया गया था। लेकिन, “नई पृथ्वी” के बारे में क्या?
४. (क) १९१९ में कौन-सी अप्रत्याशित घटना घटी? (ख) ‘क्षणमात्र में ही उत्पन्न हुई जाति’ क्या थी, और ‘प्रसव-पीड़ा से उत्पन्न होनेवाला देश’ क्या था?
४ वर्ष १९१९ में, यहोवा ने अभिषिक्त शेषवर्ग को महा बाबुल के दासत्व से बाहर निकाला। (प्रकाशितवाक्य १८:४) मसीहीजगत के अगुओं के लिए, यह उल्लेखनीय घटना पूरी तरह से अप्रत्याशित थी। इसके सम्बन्ध में, बाइबल कहती है: “ऐसी बात किस ने कभी सुनी? किस ने कभी ऐसी बातें देखीं? क्या देश एक ही दिन में [प्रसव-पीड़ा से, NW] उत्पन्न हो सकता है? क्या एक जाति क्षणमात्र में ही उत्पन्न हो सकती है?” (यशायाह ६६:८) जब अभिषिक्त कलीसिया जातियों के सामने मुक्त किए गए लोगों के तौर पर अचानक प्रकट हुई, तो वह वाक़ई “क्षणमात्र में ही उत्पन्न” एक जाति थी। लेकिन, यह “देश” क्या था? एक अर्थ में, यह प्राचीन इस्राएल के देश का एक आध्यात्मिक समानक था। यह वह कार्यक्षेत्र था जो इस नवजात “जाति” को दिया गया था, एक ऐसी जगह जहाँ यशायाह की किताब की परादीसीय भविष्यवाणियों की आधुनिक, आध्यात्मिक पूर्ति होती है। (यशायाह ३२:१६-२०; ३५:१-७. इब्रानियों १२:१२-१४ से तुलना कीजिए।) एक मसीही शारीरिक रूप से चाहे जहाँ कहीं हो, वह इस “देश” में है।
५. १९१९ में कौन-सा केन्द्र अस्तित्व में आया? समझाइए।
५ इसका पतरस द्वारा पूर्वबतायी गयी “नई पृथ्वी” के साथ क्या सम्बन्ध था? उस नयी “जाति” को, जिसका जन्म पुनःस्थापित “देश” में १९१९ में हुआ, एक विश्वव्यापी संगठन में विकसित होना था जो यहोवा के अभिषिक्त और अनाभिषिक्त स्तुतिकर्ताओं से बना था। यह संगठन अरमगिदोन से बचकर परमेश्वर के नए संसार में प्रवेश करेगा। इस प्रकार उस जाति को धर्मी मानव समाज, अर्थात् नयी पृथ्वी, का केन्द्र समझा जा सकता है, जो शैतान के संसार के विनाश के बाद अस्तित्व में रहेगा।a १९३० के दशक के मध्य भाग तक, अभिषिक्त जन, एक समूह के तौर पर, पुनःस्थापित देश में इकट्ठे किए जा चुके थे। तब से, अन्य भेड़ों की बड़ी भीड़ को इकट्ठा किए जाने पर महत्त्व दिया गया है, जिसकी संख्या आज क़रीब-क़रीब ५० लाख है। (प्रकाशितवाक्य १४:१५, १६) क्या इस “देश” की जनसंख्या ज़रूरत से ज़्यादा है? नहीं, इसकी सरहदों को जितनी ज़रूरत हो उतना फैलाया जा सकता है। (यशायाह २६:१५) वाक़ई, जैसे-जैसे अभिषिक्त शेषवर्ग “देश” को “फलों”—स्वास्थ्यकर, शक्तिदायक आध्यात्मिक भोजन—से भर रहा है, तो इसकी जनसंख्या को बढ़ते देखना रोमांचक है। (यशायाह २७:६) लेकिन परमेश्वर के लोगों के पुनःस्थापित “देश” में इन अन्य भेड़ों का स्थान क्या है?
“देश” में परदेशी सक्रिय
६. परमेश्वर के लोगों के “देश” में परदेशी कैसे सक्रिय रहे हैं?
६ जिस प्रकार इस्राएल के देश में यहूदी-मतधारकों ने मूसा की व्यवस्था को स्वीकारा, उसी प्रकार आज पुनःस्थापित “देश” में बड़ी भीड़ यहोवा की आज्ञाओं को मानती है। अपने अभिषिक्त भाइयों द्वारा शिक्षित, वे झूठी उपासना से पूरी तरह दूर रहते हैं और लहू की पवित्रता को मानते हैं। (प्रेरितों १५:१९, २०; गलतियों ५:१९, २०; कुलुस्सियों ३:५) वे अपने पूरे हृदय, मन, प्राण और शक्ति से यहोवा को प्रेम करते हैं और अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करते हैं। (मत्ती २२:३७; याकूब २:८) प्राचीन इस्राएल में यहूदी-मतधारकों ने सुलैमान के मन्दिर के निर्माण-कार्य में सहायता की और सच्ची उपासना की पुनःस्थापनाओं का समर्थन किया। (१ इतिहास २२:२; २ इतिहास १५:८-१४; ३०:२५) आज, बड़ी भीड़ भी निर्माण परियोजनाओं में भाग लेती है। उदाहरण के लिए, वे कलीसियाओं और सर्किटों को बनाने में मदद करते हैं, और राज्यगृह, सम्मेलन गृह और शाखा सुविधाओं जैसी भौतिक निर्माण परियोजनाओं का बीड़ा उठाने का तो हिसाब ही नहीं है।
७. निर्वासनोत्तर यरूशलेम में, जब मन्दिर की सेवाएँ पूरी करने के लिए पर्याप्त लेवी नहीं थे तो क्या हुआ?
७ सामान्य युग पूर्व ५३७ में, जब इस्राएल बाबुल में निर्वासन से लौटा, तो उन्होंने मन्दिर के स्थल पर सेवा व्यवस्थित करनी शुरू की। लेकिन, जो लेवी लौटे उनकी संख्या ज़्यादा नहीं थी। इसीलिए, नतिनों को—ख़तना-प्राप्त विदेशी जो पहले लेवियों के सहायक थे—मन्दिर की सेवा में ज़्यादा विशेषाधिकार दिए गए। लेकिन, वे हारून के घराने के अभिषिक्त याजकों के बराबर नहीं थे।b—एज्रा ७:२४; ८:१५-२०; नहेमायाह ३:२२-२६.
८, ९. अन्तिम दिनों के दौरान पवित्र सेवा करने में अन्य भेड़ों ने किस तरह ज़्यादा-से-ज़्यादा काम को पूरा करने का बीड़ा उठाया है?
८ आज अभिषिक्त मसीहियों ने इस नमूने का पालन किया है। जैसे-जैसे “अन्तसमय” बीता है, परमेश्वर के लोगों के “देश” में अभिषिक्त वर्ग के शेषजन कम होते गए हैं। (दानिय्येल १२:९; प्रकाशितवाक्य १२:१७) इसकी वजह से, बड़ी भीड़ अब “पवित्र सेवा” करने का ज़्यादातर काम निष्पन्न करती है। (प्रकाशितवाक्य ७:१५, NW) अपने अभिषिक्त भाइयों की अगुआई पर चलकर, वे ‘स्तुतिरूपी बलिदान, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं, परमेश्वर के लिये चढ़ाते’ हैं। वे “भलाई करना, और उदारता” नहीं भूलते, वे जानते हैं कि “परमेश्वर ऐसे बलिदानों से प्रसन्न होता है।”—इब्रानियों १३:१५, १६.
९ इसके अतिरिक्त, बड़ी भीड़ के हर साल लाखों की संख्या में बढ़ने के कारण, निरीक्षण की ज़रूरत बढ़ती जा रही है। एक समय पर इसे सिर्फ़ अभिषिक्त मसीही सँभालते थे। अब अधिकांश कलीसियाओं, साथ ही सर्किटों, ज़िलों और शाखाओं का निरीक्षण, ज़रूरत होने के कारण अन्य भेड़ों को सौंप दिया गया है। १९९२ में इनमें से कुछ को शासी निकाय की समितियों की सभाओं में उपस्थित रहने का और अमत सहायकों के रूप में कार्य करने का विशेषाधिकार दिया गया। फिर भी, अन्य भेड़ अपने अभिषिक्त संगी मसीहियों के प्रति निष्ठावान् रहते हैं और यहोवा के विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास के तौर पर उनका समर्थन करने को विशेषाधिकार समझते हैं।—मत्ती २५:३४-४०.
“अधिपति सा”
१०, ११. कुछ पलिश्तियों के नमूने के अनुरूप, परमेश्वर के लोगों के कुछ भूतपूर्व दुश्मनों में कैसे हृदय-परिवर्तन हुआ है? इसका परिणाम क्या रहा है?
१० जिस तरीक़े से विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास ने अन्य भेड़ों को ज़िम्मेदारी के पदों पर इस्तेमाल किया है, उसकी भविष्यवाणी जकर्याह ९:६, ७ में की गयी थी। वहाँ हम पढ़ते हैं: “मैं पलिश्तियों के गर्व को तोड़ूंगा। मैं उसके मुंह में से आहेर का लोहू और घिनौनी वस्तुएं निकाल दूंगा, तब उन में से जो बचा रहेगा, वह हमारे परमेश्वर का जन होगा, और यहूदा में अधिपति सा होगा; और एक्रोन के लोग यबूसियों के समान बनेंगे।”c पलिश्ती यहोवा के लोगों के कट्टर दुश्मन थे, जैसे आज शैतान का संसार है। (१ यूहन्ना ५:१९) जिस तरह पलिश्तियों को जाति के तौर पर आख़िरकार नाश कर दिया गया था, उसी तरह यह संसार अपने धार्मिक, राजनैतिक और वाणिज्यिक तत्त्वों सहित जल्द ही यहोवा के विनाशक रोष का अनुभव करेगा।—प्रकाशितवाक्य १८:२१; १९:१९-२१.
११ लेकिन, जकर्याह के शब्दों के अनुसार, कुछ पलिश्तियों में हृदय-परिवर्तन हुआ, और इसने यह पूर्वसंकेत किया कि आज कुछ सांसारिक व्यक्ति यहोवा के साथ दुश्मनी नहीं रखते। वे धार्मिक मूर्तिपूजा को उसके घृणित रिवाज़ों और घृणास्पद बलियों सहित छोड़ देते और यहोवा की नज़रों में स्वच्छ हो जाते। हमारे समय में ऐसे परिवर्तित ‘पलिश्ती’ बड़ी भीड़ में पाए जाते हैं।
१२. आधुनिक समय में, “एक्रोन” कैसे “यबूसियों के समान” बना है?
१२ भविष्यवाणी के अनुसार, पलिश्तियों का मुख्य नगर एक्रोन “यबूसियों के समान” बन जाता। यबूसी भी एक समय पर इस्राएल के दुश्मन थे। दाऊद के यरूशलेम पर विजय प्राप्त करने से पहले वह नगर उनके हाथों में था। फिर भी, इस्राएल के साथ युद्धों में बचनेवालों में से कुछ व्यक्ति प्रत्यक्षतः यहूदी-मतधारक बने। उन्होंने इस्राएल देश में दासों के तौर पर कार्य किया और उन्हें मन्दिर के निर्माण में भी काम करने का विशेषाधिकार मिला। (२ शमूएल ५:४-९; २ इतिहास ८:१-१८) आज, जो ‘एक्रोनी’ यहोवा की उपासना करना शुरू करते हैं, उन्हें भी “देश” में विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास के निरीक्षण के अधीन सेवा के विशेषाधिकार प्राप्त हैं।
१३. प्राचीन संसार में अधिपति क्या थे?
१३ जकर्याह कहता है कि यह पलिश्ती यहूदा में एक अधिपति सा होगा। इब्रानी शब्द अल्लुफ को जब “अधिपति” अनुवादित किया जाता है, तब उसका अर्थ है “एक हज़ार का अगुआ” (या, “सहस्त्रपति”)। यह बहुत ही ऊँचा ओहदा था। एदोम की प्रारंभिक जाति में प्रत्यक्षतः सिर्फ़ १३ अधिपति थे। (उत्पत्ति ३६:१५-१९) इस्राएल के बारे में बात करते वक़्त अकसर “अधिपति” शब्द इस्तेमाल नहीं किया जाता, इसके बजाय “एक हज़ार में मुख्य पुरुष (सहस्त्रपति)” अभिव्यक्ति अकसर आती है। जब मूसा ने इस्राएल जाति के प्रतिनिधियों को बुलाया, उसने ‘इस्राएल के हज़ारों में मुख्य पुरुषों’ को बुलाया।d ये १२ व्यक्ति थे, और प्रत्यक्षतः सिर्फ़ मूसा के अधीन थे। (गिनती १:४-१६) समान रूप से, सेना के संगठन में सहस्त्रपतियों का स्थान सेनापति अथवा राजा के बाद दूसरा था।—२ शमूएल १८:१, २; २ इतिहास २५:५.
१४. आज वह “पलिश्ती” एक अधिपति सा कैसे बना है?
१४ जकर्याह ने यह नहीं पूर्वबताया कि पश्चातापी पलिश्ती इस्राएल में वास्तव में एक अधिपति होता। यह उचित नहीं होता, क्योंकि वह जन्म-जात इस्राएली नहीं था। लेकिन वह एक अधिपति सा होता, अधिकार के ऐसे पद पर होता जिस पर एक अधिपति होता है। और यही बात सच साबित हुई है। जैसे-जैसे अभिषिक्त मसीहियों का शेषवर्ग संख्या में कम होता जाता है, और जो जीवित हैं वे उम्र के कारण सीमित हैं, सुप्रशिक्षित अन्य भेड़ ज़रूरत को पूरा करते हैं। वे अपने अभिषिक्त भाइयों का स्थान नहीं लेना चाहते। लेकिन विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास उन्हें “देश” में ज़रूरत के अनुसार अधिकार देता है, ताकि परमेश्वर का संगठन व्यवस्थित रीति से प्रगति कर सके। ऐसी प्रगतिशील प्रक्रिया एक और भविष्यवाणी में भी नज़र आती है।
याजक और किसान
१५. (क) यशायाह ६१:५, ६ की पूर्ति में, “यहोवा के याजक” कौन हैं, और वे इस स्थान पर कब पूरे अर्थ में कार्य करते हैं? (ख) इस्राएल के लिए खेती करनेवाले “परदेशी” कौन हैं, और—आध्यात्मिक अर्थ में—इस काम में क्या बात शामिल है?
१५ यशायाह ६१:५, ६ कहता है: “परदेशी आ खड़े होंगे और तुम्हारी भेड़-बकरियों को चराएंगे और विदेशी लोग तुम्हारे हरवाहे [किसान, NW] और दाख की बारी के माली होंगे; पर तुम यहोवा के याजक कहलाओगे, वे तुम को हमारे परमेश्वर के सेवक कहेंगे; और तुम अन्यजातियों की धन-सम्पत्ति को खाओगे, उनके विभव की वस्तुएं पाकर तुम बड़ाई करोगे।” आज, “यहोवा के याजक” अभिषिक्त मसीही हैं। आख़री और पूरे अर्थ में, वे स्वर्गीय राज्य में, ‘यहोवा के याजकों, हमारे परमेश्वर के सेवकों’ के तौर पर कार्य करेंगे। (प्रकाशितवाक्य ४:९-११) ये “परदेशी” कौन हैं जो खेती के लिए ज़िम्मेदार हैं? ये अन्य भेड़ हैं, जो परमेश्वर के इस्राएल के “देश” में निवास करते हैं। यह चरवाही, खेती और बाग़बानी क्या है जो उन्हें सौंपा गया है? एक महत्त्वपूर्ण आध्यात्मिक अर्थ में, इन कामों का सम्बन्ध लोगों की सहायता करने, उनका पोषण करने, और कटनी करने से है।—यशायाह ५:७; मत्ती ९:३७, ३८; १ कुरिन्थियों ३:९; १ पतरस ५:२.
१६. परमेश्वर के लोगों के “देश” में कौन आख़िरकार सारा काम सँभालेंगे?
१६ वर्तमान में, आत्मिक इस्राएलियों की एक छोटी संख्या पृथ्वी पर शेष बची है जो आध्यात्मिक चराने, खेती और बाग़बानी में भाग लेती है। जब अभिषिक्त कलीसिया अपनी पूर्णता में आख़िरकार मसीह के साथ मिल जाती है, तब यह सारा काम अन्य भेड़ों के लिए रह जाएगा। तब इस “देश” का मानवीय निरीक्षण भी योग्य अन्य भेड़ों के हाथों में होगा, जिन्हें यहेजकेल की किताब में प्रधान वर्ग कहा गया है।—यहेजकेल अध्याय ४५, ४६.e
वह “देश” बना रहता है
१७. इन अन्तिम दिनों के दौरान यहोवा कौन-सी तैयारियाँ करता रहा है?
१७ जी हाँ, बड़ी भीड़ को डरने की कोई ज़रूरत नहीं है! यहोवा ने उनके लिए पर्याप्त तैयारियाँ की हैं। इन अन्तिम दिनों के दौरान पृथ्वी पर सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य अभिषिक्त जनों का इकट्ठा किया जाना और उन पर मुहर लगाया जाना रहा है। (प्रकाशितवाक्य ७:३) लेकिन, जब यह काम पूरा किया जा रहा है, यहोवा पुनःस्थापित आध्यात्मिक देश में अन्य भेड़ों को उनकी संगति में लाया है। वहाँ उन्हें आध्यात्मिक रूप से पोषित किया गया है और मसीही जीवन के लिए प्रशिक्षित किया गया है। इसके अतिरिक्त, उन्हें पवित्र सेवा में, जिसमें निरीक्षण भी शामिल है, सुशिक्षित किया गया है। इसके लिए वे यहोवा और अपने अभिषिक्त भाइयों के बहुत एहसानमन्द हैं।
१८. कौन-सी घटनाओं से बचकर अन्य भेड़ निष्ठापूर्वक आध्यात्मिक इस्राएल के “देश” में बने रहेंगे?
१८ जब मागोग देश का गोग परमेश्वर के लोगों पर अपना आख़री हमला करता है, तब “बिन शहरपनाह के गांवों के देश” में अभिषिक्त शेषवर्ग के साथ अन्य भेड़ अपनी खराई बनाए रखेंगे। जब वे राष्ट्रों के विनाश से बचकर निकलते हैं और परमेश्वर के नए संसार में प्रवेश करते हैं, “अन्य भेड़” तब भी उस “देश” में होंगे। (यहेजकेल ३८:११; ३९:१२, १३; दानिय्येल १२:१; प्रकाशितवाक्य ७:९, १४) निरन्तर विश्वासी रहने पर, उन्हें कभी उस आनन्दमय स्थान को छोड़ने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।—यशायाह ११:९.
१९, २०. (क) नए संसार में, “देश” के निवासी कौन-से महान निरीक्षण का आनन्द उठाएँगे? (ख) हम किस बात का बड़ी उत्सुकता से इंतज़ार करते हैं?
१९ प्राचीन इस्राएल पर मानव राजा राज्य करते थे और उनके पास लेवीय याजक थे। नए संसार में, मसीहियों को कहीं महान निरीक्षण प्राप्त होगा: यहोवा परमेश्वर के अधीन वे महान महायाजक और राजा, यीशु मसीह के और १,४४,००० संगी याजकों और राजाओं के अधीन होंगे—और जिनमें से कुछ व्यक्तियों को वे पहले पृथ्वी पर अपने मसीही भाई-बहनों के तौर पर जानते थे। (प्रकाशितवाक्य २१:१) आध्यात्मिक देश के विश्वासी निवासी एक ऐसी पृथ्वी पर जीएँगे जो आक्षरिक परादीस में पुनःस्थापित की गयी होगी, और वे नए यरूशलेम के माध्यम से आनेवाली चंगाई की आशीषों में आनन्द पाएँगे।—यशायाह ३२:१; प्रकाशितवाक्य २१:२; २२:१, २.
२० जैसे-जैसे यहोवा का महान दिव्य रथ उसके उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बेरोक बढ़ता जाता है, हम सभी अपना नियत भाग पूरा करने के लिए उत्सुक प्रत्याशा से इंतज़ार करते हैं। (यहेजकेल १:१-२८) जब ये उद्देश्य आख़िरकार पूरे हो जाएँगे, तो सोचिए कि यहोवा का विजयी पवित्रीकरण कितने आनन्द के साथ मनाया जाएगा! प्रकाशितवाक्य ५:१३ में अभिलिखित यह शक्तिशाली जयगान तब सारी सृष्टि द्वारा गाया जाएगा: “जो सिंहासन पर बैठा है, उसका, और मेम्ने का धन्यवाद, और आदर, और महिमा, और राज्य, युगानुयुग रहे”! हमारा स्थान चाहे स्वर्ग में हो चाहे पृथ्वी पर, क्या हम वहाँ उपस्थित होने के लिए, स्तुति के उस प्रभावशाली कोरस में अपनी आवाज़ मिलाने के लिए तरसते नहीं हैं?
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा १९५३ में प्रकाशित “नए आकाश और नई पृथ्वी” (अंग्रेज़ी), पृष्ठ ३२२-३.
b पूरी चर्चा के लिए, प्रहरीदुर्ग के जुलाई १, १९९२ अंक में “यहोवा का प्रबन्ध, ‘अर्पण किए हुए’” लेख देखिए।
c वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा १९७२ में प्रकाशित ईशतंत्र द्वारा मनुष्यजाति के लिए परादीस पुनःस्थापित! (अंग्रेज़ी) पृष्ठ २६४-९ देखिए।
d इब्रानी: राशेह अलफेह यिस्राएल, जिसका अनुवाद सेप्टुअजिंट में खिलिआरखोइ इस्राएल “इस्राएल के सहस्त्रपति” किया गया है।
e वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा १९७१ में प्रकाशित “जातियाँ जान लेंगी कि मैं यहोवा हूँ”—कैसे? (अंग्रेज़ी), पृष्ठ ४०१-७ देखिए।
आप कैसे उत्तर देते हैं?
◻ १९१९ में कौन-सा “देश” पुनःस्थापित किया गया, और यह निवासियों से कैसे भर गया?
◻ अन्य भेड़ों को परमेश्वर के पुनःस्थापित लोगों के “देश” में अधिक ज़िम्मेदारियाँ कैसे दी गयी हैं?
◻ किस तरीक़े से बड़ी भीड़ के सदस्य “यबूसियों के समान” हैं? ‘यहूदा में एक अधिपति से’ हैं?
◻ विश्वासी अन्य भेड़ कब तक “देश” में रहेंगे?
[पेज 23 पर तसवीरें]
आधुनिक पलिश्ती “यहूदा में अधिपति सा” होगा
[पेज 24 पर तसवीरें]
अभिषिक्त जन और अन्य भेड़ आध्यात्मिक देश में इकट्ठे सेवा करते हैं