“तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा होगा”!
“तुम सिर उठाकर सीधे खड़े हो जाना, क्योंकि तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा होगा।”—लूका 21:28.
1. ईसवी सन् 66 में क्या घटनाएँ घटीं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)
कल्पना कीजिए कि आप यरूशलेम में रहनेवाले एक मसीही हैं। वक्त है ईसवी सन् 66 का। आपके चारों तरफ बहुत कुछ हो रहा है। एक रोमी अधिकारी फ्लोरस ने मंदिर के खज़ाने से 17 तोड़े लूट लिए हैं। यहूदी फौरन आग-बबूला हो जाते हैं और वे बगावत पर उतर आते हैं। उन्होंने बहुत-से रोमी सैनिकों को मार गिराया है और यह ऐलान किया कि वे रोमियों से आज़ाद हैं। लेकिन रोम फौरन उन्हें इसका करारा जवाब देता है। तीन महीने के अंदर ही रोमी राज्यपाल सेस्टियस गैलस 30,000 सैनिकों को लेकर यरूशलेम पर हमला बोल देता है। वे यरूशलेम को चारों तरफ से घेर लेते हैं। बगावती यहूदी मंदिर में छिप जाते हैं। लेकिन रोमी सैनिक शहर के अंदर घुसकर मंदिर की बाहरी दीवार तक पहुँच जाते हैं और उसे तोड़कर अंदर घुसने की कोशिश करते हैं। पूरे शहर में अफरा-तफरी मच जाती है। यह सब देखकर आप कैसा महसूस करेंगे?
2. (क) जब मसीहियों ने देखा कि रोमी सेना ने शहर को घेर लिया है, तो उन्हें क्या करना था? (ख) उन्हें ऐसा करने का मौका कैसे मिलता है?
2 इसमें कोई शक नहीं आपको यीशु की कही बातें याद आएँगी। उसने कहा था, “जब तुम यरूशलेम को डेरा डाली हुई फौजों से घिरा हुआ देखो, तब जान लेना कि उसके उजड़ने का समय पास आ गया है। इसके बाद जो यहूदिया में हों, वे पहाड़ों की तरफ भागना शुरू कर दें और जो यरूशलेम शहर के अंदर हों, वे बाहर निकल जाएँ और जो देहातों में हों वे इस शहर के अंदर न जाएँ।” (लूका 21:20, 21) आप शायद सोचें, ‘यरूशलेम को तो चारों तरफ से सेना ने घेर लिया है, फिर मैं यीशु की हिदायतें और चेतावनी कैसे मानूँ? मैं शहर से बाहर कैसे निकलूँ?’ लेकिन तभी एक हैरान कर देनेवाली घटना घटती है। रोमी सेना यरूशलेम से वापस जा रही है! जैसे यीशु ने कहा था, ठीक वैसा ही हो रहा है, हमले के “दिन घटाए” जा रहे हैं। (मत्ती 24:22) अब आपके पास यीशु की हिदायतें मानने का मौका है। आप शहर में रहनेवाले और आस-पास के बाकी सभी वफादार मसीहियों के साथ फौरन यरदन नदी के पार पहाड़ों पर भाग जाते हैं!a फिर ईसवी सन् 70 में, एक नयी रोमी सेना यरूशलेम पर धावा बोलती है। इस बार वे शहर को खाक में मिला देते हैं। लेकिन आपकी जान बच जाती है, क्योंकि आपने यीशु की हिदायतें मानी हैं।
3. (क) जल्द ही मसीही किस तरह के हालात का सामना करनेवाले हैं? (ख) इस लेख में हम किस बात पर गौर करेंगे?
3 यीशु ने पहली सदी के मसीहियों को जो चेतावनी और हिदायतें दीं, वे आज भी लागू होती हैं। क्योंकि बहुत जल्द हम भी कुछ वैसे ही हालात का सामना करनेवाले हैं। यीशु ने पहली सदी में हुई घटनाओं के बारे में बताकर यह समझाया कि जब अचानक “महा-संकट” शुरू होगा तब कैसे हालात होंगे। (मत्ती 24:3, 21, 29) जैसे यरूशलेम के विनाश के समय वफादार मसीही बच गए थे, वैसे ही पूरी दुनिया पर आनेवाले विनाश से एक “बड़ी भीड़” बच निकलेगी। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 13, 14 पढ़िए।) भविष्य में होनेवाली इन घटनाओं के बारे में बाइबल क्या बताती है? यह जानना हमारे लिए बहुत ज़रूरी है क्योंकि हमारा उद्धार इसी पर निर्भर है। तो आइए गौर करें कि इन घटनाओं का हमारी ज़िंदगी पर क्या असर होगा।
महा-संकट की शुरूआत
4. महा-संकट की शुरूआत कैसे होगी?
4 महा-संकट की शुरूआत कैसे होगी? सभी झूठे धर्मों के नाश से। बाइबल में झूठे धर्मों को “महानगरी बैबिलोन, वेश्याओं की माँ” कहा गया है। (प्रका. 17:5-7) झूठे धर्मों को वेश्या क्यों कहा गया है? क्योंकि इनके धर्म-गुरुओं ने परमेश्वर से विश्वासघात किया है। इन्होंने यीशु और उसके राज का वफादारी से साथ देने के बजाय इंसानी सरकारों का साथ दिया है। साथ ही, उन्होंने बाइबल की शिक्षाएँ ठुकरा दीं ताकि लोगों पर उनकी खूब धाक हो। उनकी उपासना शुद्ध नहीं है, जैसी शुद्ध उपासना परमेश्वर के अभिषिक्त जनों की है, जो कुँवारियों की तरह हैं। (2 कुरिं. 11:2; याकू. 1:27; प्रका. 14:4) अब सवाल है, महानगरी बैबिलोन का नाश कौन करेगा? यहोवा “सुर्ख लाल रंग के एक जंगली जानवर” के ‘दस सींगों’ को उभारेगा कि वे “उसकी सोच पूरी करें।” यहाँ ‘सुर्ख लाल रंग का जंगली जानवर’ संयुक्त राष्ट्र को दर्शाता है और “दस सींग” उन सभी राजनैतिक शक्तियों को दर्शाते हैं जो संयुक्त राष्ट्र का साथ देती हैं।—प्रकाशितवाक्य 17:3, 16-18 पढ़िए।
5, 6. हम ऐसा क्यों कह सकते हैं कि जब महानगरी बैबिलोन का नाश होगा तो उसके सभी सदस्यों की मौत नहीं होगी?
5 तो क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि जब महानगरी बैबिलोन का नाश होगा, तब झूठे धर्म के सभी सदस्यों का नाश हो जाएगा? शायद नहीं। ऐसा हम क्यों कह सकते हैं? यहोवा ने भविष्यवक्ता जकर्याह को यह लिखने के लिए उभारा कि उस दौरान क्या होगा। जो व्यक्ति एक समय पर झूठे धर्म का हिस्सा था, उसके बारे में जकर्याह ने लिखा, “वह कहेगा, ‘मैं भविष्यद्वक्त्ता नहीं, किसान हूँ; क्योंकि लड़कपन ही से मैं दूसरों का दास हूँ।’ तब उस से यह पूछा जाएगा, ‘तेरी छाती में ये घाव कैसे हुए,’ तब वह कहेगा, ‘ये वे ही हैं जो मेरे प्रेमियों के घर में मुझे लगे हैं।’” (जक. 13:4-6) इस तरह, यहाँ तक कि कुछ धर्म-गुरु भी यह जताने की कोशिश करेंगे कि वे धार्मिक नहीं हैं और वे इस बात से इनकार करेंगे कि वे कभी उन झूठे धर्मों का हिस्सा थे।
6 उस समय परमेश्वर के लोगों के साथ क्या होगा? यीशु ने समझाया, “दरअसल, अगर वे दिन घटाए न गए होते, तो कोई भी नहीं बच पाता; मगर चुने हुओं की खातिर वे दिन घटाए जाएँगे।” (मत्ती 24:22) पहली सदी में, यरूशलेम पर आए संकट के दिन “घटाए” गए थे। इससे “चुने हुओं” यानी अभिषिक्त मसीहियों को भागने का मौका मिला। उसी तरह, “चुने हुओं की खातिर” महा-संकट के पहले भाग के दिन भी “घटाए जाएँगे।” “दस सींग” यानी राजनैतिक शक्तियाँ परमेश्वर के लोगों को नाश नहीं कर पाएँगी। इसके बजाय, झूठे धर्मों का नाश होने के बाद कुछ समय के लिए शांति होगी।
परीक्षा और न्याय की घड़ी
7, 8. (क) झूठे धर्मों के विनाश के बाद, सच्चे उपासकों के पास क्या मौका होगा? (ख) उस समय परमेश्वर के लोग कैसे बाकी लोगों से एकदम अलग होंगे?
7 झूठे धर्मों के विनाश के बाद क्या होगा? उस दौरान यह ज़ाहिर करने का मौका होगा कि असल में हमारे दिल में क्या है। उस समय ज़्यादातर लोग “पहाड़ी चट्टानों की दरारों” यानी इंसानी संगठनों से हिफाज़त और मदद पाने की कोशिश करेंगे। (प्रका. 6:15-17) लेकिन यहोवा के लोग हिफाज़त और मदद पाने के लिए यहोवा की शरण में जाएँगे। जब पहली सदी में, संकट के दिन ‘घटाए गए थे,’ तो यह वक्त सभी यहूदियों के लिए मसीही बनने का समय नहीं था। इसके बजाय, यीशु की आज्ञा के मुताबिक, यह वक्त उन लोगों के लिए यरूशलेम से निकल जाने का मौका था जो पहले से मसीही थे। उसी तरह भविष्य में जब महा-संकट के दिन ‘घटाए जाएँगे’ तो हमें यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि उस वक्त बहुत-से लोग सच्चे मसीही बन जाएँगे। इसके बजाय, वह वक्त सभी सच्चे उपासकों के पास यह मौका होगा कि वे यहोवा के लिए अपना प्यार दिखाएँ और अभिषिक्त मसीहियों का साथ दें।—मत्ती 25:34-40.
8 हम पूरी तरह तो नहीं जानते कि परीक्षा की उस घड़ी में क्या घटनाएँ घटेंगी। लेकिन हम इतना ज़रूर कह सकते हैं कि उस दौरान ज़िंदगी आसान नहीं होगी और हमें कई त्याग करने पड़ेंगे। पहली-सदी में, मसीहियों को अपनी जान बचाने के लिए अपना घर-बार छोड़ना पड़ा और बहुत-सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। (मर. 13:15-18) हमें खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या मैं अपनी धन-दौलत या ऐशो-आराम की चीज़ें छोड़ने के लिए तैयार हूँ? और यहोवा का वफादार बने रहने के लिए जो ज़रूरी है, क्या मैं वह सब करने के लिए तैयार हूँ?’ ज़रा सोचिए! उस वक्त सिर्फ हम लोग ही ऐसे होंगे जो भविष्यवक्ता दानिय्येल की तरह अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करते रहेंगे, फिर चाहे दुनिया में कुछ भी हो।—दानि. 6:10, 11.
9, 10. (क) महा-संकट के दौरान, परमेश्वर के लोग क्या संदेश सुनाएँगे? (ख) परमेश्वर के लोगों के दुश्मन कैसा रवैया दिखाएँगे?
9 महा-संकट का समय ‘राज की खुशखबरी’ का ऐलान करने का समय नहीं होगा। इस काम का समय पहले ही बीत चुका होगा। यह दरअसल “अंत” का समय होगा! (मत्ती 24:14) उस समय परमेश्वर के लोग निडर होकर न्याय का ज़बरदस्त संदेश सुनाएँगे जिसका सभी लोगों पर असर पड़ेगा। उनका संदेश शायद यह होगा कि दुष्टता से भरी शैतान की दुनिया बस खत्म होनेवाली है। बाइबल में इस संदेश की तुलना ओलों से की गयी है। उसमें लिखा है, “लोगों पर आकाश से बड़े-बड़े ओले गिरे और हर ओले का वज़न करीब बीस किलो था। और लोगों ने ओलों के कहर की वजह से परमेश्वर की निंदा की क्योंकि इस कहर ने बहुत ज़्यादा तबाही मचायी।”—प्रका. 16:21.
10 हम जो संदेश सुनाएँगे, उससे हमारे दुश्मन बेखबर नहीं रहेंगे। यह संदेश सुनकर हमारे दुश्मन, यानी राष्ट्रों का समूह, जिसे बाइबल मागोग का गोग कहती है, कैसा रवैया दिखाएगा? इस बारे में परमेश्वर की प्रेरणा से भविष्यवक्ता यहेजकेल ने बताया, “परमेश्वर यहोवा यों कहता है, उस दिन तेरे मन में ऐसी ऐसी बातें आएँगी कि तू एक बुरी युक्ति भी निकालेगा; और तू कहेगा, ‘मैं बिन शहरपनाह के गाँवों के देश पर चढ़ाई करूँगा; मैं उन लोगों के पास जाऊँगा जो चैन से निडर रहते हैं; जो सब के सब बिना शहरपनाह और बिना बेड़ों और पल्लों के बसे हुए हैं,’ ताकि छीनकर तू उन्हें लूटे और अपना हाथ उन खण्डहरों पर बढ़ाए जो फिर बसाए गए, और उन लोगों के विरुद्ध जाए जो जातियों में से इकट्ठे हुए थे और पृथ्वी की नाभी पर बसे हुए पशु और अन्य सम्पत्ति रखते हैं।” (यहे. 38:10-12) उस वक्त परमेश्वर के लोग बाकी सभी से एकदम अलग नज़र आएँगे मानो वे “पृथ्वी की नाभी” पर यानी उसके बीचों-बीच बसे हों। तब राष्ट्र खुद को रोक नहीं पाएँगे, वे यहोवा के अभिषिक्त लोगों और उनका साथ देनेवालों पर हमला करने के लिए तमतमा उठेंगे।
11. (क) महा-संकट के दौरान कौन-सी घटना किसके बाद होगी, इस बारे में हमें क्या ध्यान रखना चाहिए? (ख) जब लोग आसमान में निशानियाँ और घटनाएँ देखेंगे तो उन पर क्या असर होगा?
11 इसके बाद क्या होगा? यह जाँच करते वक्त हमें ध्यान रखना चाहिए कि बाइबल यह नहीं बताती कि कौन-सी घटना किसके बाद होगी, लेकिन कुछ घटनाएँ शायद एक ही वक्त पर होंगी। जब यीशु ने दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त के बारे में भविष्यवाणी की तो उसने कहा, “सूरज, चाँद और तारों में निशानियाँ दिखायी देंगी और धरती पर राष्ट्र बड़ी मुसीबत में होंगे, क्योंकि समुद्र के गरजने और उसकी बड़ी हलचल की वजह से उन्हें बचने का कोई रास्ता नहीं सूझेगा। साथ ही, धरती पर और क्या-क्या होनेवाला है इस फिक्र और डर के मारे लोगों के जी में जी न रहेगा, इसलिए कि आकाश की शक्तियाँ हिलायी जाएँगी। और इसके बाद वे इंसान के बेटे को एक बादल में शक्ति और बड़ी महिमा के साथ आता देखेंगे।” (लूका 21:25-27; मरकुस 13:24-26 पढ़िए।) क्या इस भविष्यवाणी के मुताबिक आसमान में कुछ खौफनाक निशानियाँ दिखायी देंगी और दिल दहलानेवाली घटनाएँ घटेंगी? इसका ठीक-ठीक जवाब तो वक्त ही देगा, हमें बस इंतज़ार करना है। मगर हाँ, हम इतना ज़रूर जानते हैं कि जब परमेश्वर के दुश्मन ये निशानियाँ देखेंगे तो वे घबरा जाएँगे और उनमें दहशत फैल जाएगी।
12, 13. (क) जब यीशु “शक्ति और बड़ी महिमा के साथ” आएगा, तब क्या होगा? (ख) उस वक्त परमेश्वर के लोग कैसा रवैया दिखाएँगे?
12 जब यीशु “शक्ति और बड़ी महिमा के साथ” आएगा, तब क्या होगा? तब वह उन लोगों को तो इनाम देगा जो वफादार होंगे, लेकिन जो वफादार नहीं होंगे उन्हें सज़ा देगा। (मत्ती 24:46, 47, 50, 51; 25:19, 28-30) इस बात को और अच्छी तरह समझाने के लिए यीशु ने एक मिसाल दी। उसने कहा, “जब इंसान का बेटा अपनी पूरी महिमा के साथ आएगा और सब स्वर्गदूत उसके साथ होंगे, तब वह अपनी शानदार राजगद्दी पर बैठेगा। और सब राष्ट्रों के लोग उसके सामने इकट्ठे किए जाएँगे। तब वह लोगों को एक-दूसरे से अलग करेगा, ठीक जैसे एक चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग करता है। वह भेड़ों को अपनी दायीं तरफ मगर बकरियों को बायीं तरफ करेगा।” (मत्ती 25:31-33) भेड़ों और बकरियों के साथ क्या होगा? उनका न्याय किया जाएगा। बकरियाँ यानी जो लोग वफादार नहीं होंगे, वे “हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे।” लेकिन भेड़ें यानी वफादार लोग हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे।—मत्ती 25:46.
13 जब बकरी समान लोगों को पता चलेगा कि उन्हें नाश कर दिया जाएगा, तो वे कैसा रवैया दिखाएँगे? वे ‘विलाप करते हुए छाती पीटेंगें।’ (मत्ती 24:30) लेकिन अभिषिक्त मसीही और उनका साथ देनेवाले कैसा रवैया दिखाएँगे? वे वही करेंगे जो यीशु ने कहा था। उसने कहा था, “जब ये बातें होने लगें, तो तुम सिर उठाकर सीधे खड़े हो जाना, क्योंकि तुम्हारे छुटकारे का वक्त पास आ रहा होगा।”—लूका 21:28.
वे राज में सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे
14, 15. (क) जब मागोग का गोग हमला करना शुरू करेगा, उसके बाद इकट्ठा किए जाने का काम किस बात को दर्शाता है? (ख) इकट्ठा किए जाने का यह काम कैसे होगा?
14 जब मागोग का गोग परमेश्वर के लोगों पर हमला करना शुरू करेगा, उसके बाद क्या होगा? बाइबल बताती है कि इंसान का बेटा “स्वर्गदूतों को भेजेगा और पृथ्वी के इस छोर से लेकर आकाश के उस छोर तक चारों दिशाओं से अपने चुने हुओं को इकट्ठा करेगा।” (मर. 13:27; मत्ती 24:31) इस आयत में इकट्ठा करने की जो बात की गयी है, उसका ताल्लुक अभिषिक्त मसीहियों के पहली बार चुने जाने से नहीं है। और न ही इसका ताल्लुक उन अभिषिक्त मसीहियों पर आखिरी मुहर लगने से है जो अब भी धरती पर हैं। (मत्ती 13:37, 38) उन पर आखिरी मुहर महा-संकट शुरू होने से ठीक पहले लग चुकी होगी। (प्रका. 7:1-4) तो फिर यहाँ इकट्ठा किया जाना किस बात को दर्शाता है? यह धरती पर बचे अभिषिक्त मसीहियों के इनाम पाने और उनके स्वर्ग जाने को दर्शाता है। (1 थिस्स. 4:15-17; प्रका. 14:1) यह घटना गोग का हमला शुरू होने के बाद किसी समय होगी। (यहे. 38:11) फिर यीशु की कही यह बात पूरी होगी, “जो परमेश्वर की नज़र में नेक हैं, वे उस वक्त अपने पिता के राज में सूरज की तरह तेज़ चमकेंगे।”—मत्ती 13:43.b
15 क्या इसका मतलब अभिषिक्त मसीहियों को इंसानी शरीर में ही धरती से स्वर्ग में उठा लिया जाएगा? ईसाईजगत के बहुत-से लोग मानते हैं कि मसीहियों को इंसानी शरीर में ही स्वर्ग में उठा लिया जाएगा। वे यह भी सोचते हैं कि जब यीशु धरती पर शासन करने आएगा तो वे उसे देख सकेंगे। लेकिन बाइबल साफ-साफ कहती है कि “इंसान के बेटे की निशानी आकाश में दिखायी देगी” और यीशु “आकाश के बादलों पर” आएगा। (मत्ती 24:30) ये दोनों बातें असल में ज़ाहिर करती हैं कि उसका आना अदृश्य होगा। बाइबल यह भी कहती है कि “माँस और लहू परमेश्वर के राज के वारिस नहीं हो सकते।” तो इसका मतलब जिन्हें स्वर्ग में उठा लिया जाएगा उन्हें पहले ‘बदले जाने’ की ज़रूरत है, जो “पल-भर में पलक झपकते ही, आखिरी तुरही फूँके जाने के दौरान” होगा।c (1 कुरिंथियों 15:50-53 पढ़िए।) इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि उन्हें इंसानी शरीर में स्वर्ग में उठा लिया जाएगा क्योंकि यह झूठी शिक्षा है। लेकिन इतना ज़रूर है कि धरती पर बचे वफादार अभिषिक्त मसीही पल-भर में ही स्वर्ग में इकट्ठा किए जाएँगे।
16, 17. मेम्ने की शादी से पहले क्या होगा?
16 जब सभी 1,44,000 मसीही स्वर्ग चले जाएँगे तब मेम्ने की शादी की आखिरी तैयारियाँ शुरू हो जाएँगी। (प्रका. 19:9) लेकिन इस खुशी के मौके से पहले कुछ और भी होगा। क्या? यह जानने के लिए याद कीजिए कि जब गोग परमेश्वर के लोगों पर हमला करेगा, उस वक्त कुछ अभिषिक्त मसीही धरती पर ही होंगे। (यहे. 38:16) उस वक्त परमेश्वर के लोग कैसा रवैया दिखाएँगे? वे बाइबल की यह हिदायत मानेंगे, “इस लड़ाई में तुम्हें लड़ना न होगा; . . . ठहरे रहना, और खड़े रहकर यहोवा की ओर से अपना बचाव देखना। मत डरो, और तुम्हारा मन कच्चा न हो।” (2 इति. 20:17) तब तक सभी अभिषिक्त मसीही स्वर्ग जा चुके होंगे। और तब स्वर्ग से गोग के हमले का जवाब दिया जाएगा। इस बारे में प्रकाशितवाक्य 17:14 कहता है कि परमेश्वर के लोगों के दुश्मन “मेम्ने के साथ लड़ेंगे, मगर मेम्ना उन पर जीत हासिल करेगा क्योंकि वह प्रभुओं का प्रभु और राजाओं का राजा है। और जो बुलाए गए और चुने हुए और विश्वासयोग्य जन उसके साथ हैं, वे भी जीत हासिल करेंगे।” इस तरह यीशु अपने 1,44,000 अभिषिक्त राजाओं के साथ मिलकर स्वर्ग से धरती पर परमेश्वर के लोगों को बचाएगा।
17 यही लड़ाई हर-मगिदोन का युद्ध है जिससे यहोवा के पवित्र नाम की महिमा होगी। (प्रका. 16:16) उस समय, बकरी समान सभी लोगों को नाश कर दिया जाएगा। तब धरती पर दुष्टता का नामो-निशान नहीं रहेगा। मगर “बड़ी भीड़” हर-मगिदोन के युद्ध से बच निकलेगी। आखिरकार, प्रकाशितवाक्य की किताब में दर्ज़ सबसे अनोखी घटना घटेगी, मेम्ने की शादी! (प्रका. 21:1-4)d जितने लोग धरती पर बचेंगे, उन सबसे परमेश्वर खुश होगा, वह उन पर अपना प्यार लुटाएगा और उन्हें दरियादिली दिखाएगा। हम उस समय का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। वाकई, मेम्ने की शादी की दावत क्या ही शानदार होगी!—2 पतरस 3:13 पढ़िए।
18. जल्द ही हैरतअंगेज़ घटनाएँ घटनेवाली हैं, तो हममें से हर एक को क्या करने की ठान लेनी चाहिए?
18 जल्द ही हैरतअंगेज़ घटनाएँ घटनेवाली हैं। तो फिर हममें से हर एक को आज क्या करना चाहिए? परमेश्वर की प्रेरणा से प्रेषित पतरस ने लिखा, “इसलिए, जब ये सारी चीज़ें इस तरह पिघल जाएँगी, तो सोचो कि आज तुम्हें कैसे इंसान होना चाहिए! तुम्हें पवित्र चालचलन रखनेवाले और परमेश्वर की भक्ति के काम करनेवाले इंसान होना चाहिए, और यहोवा के दिन का इंतज़ार करते हुए उस दिन के बहुत जल्द आने की बात को हमेशा अपने मन में रखना चाहिए। . . . इसलिए मेरे प्यारो, क्योंकि तुम इन सब बातों का इंतज़ार कर रहे हो, तो अपना भरसक करो कि आखिरकार उसके सामने तुम निष्कलंक और बेदाग और शांति में पाए जाओ।” (2 पत. 3:11, 12, 14) तो आइए हम ठान लें कि हम शुद्ध उपासना करते रहेंगे, झूठे धर्मों से कोई नाता नहीं रखेंगे और शांति के राजा यीशु मसीह का साथ देते रहेंगे।
c उस दौरान जो अभिषिक्त मसीही धरती पर होंगे वे इंसानी शरीर में स्वर्ग नहीं जाएँगे। (1 कुरिं. 15:48, 49) मुमकिन है उनका इंसानी शरीर उसी तरह धरती से गायब कर दिया जाएगा जैसे यीशु का शरीर गायब हो गया था।