यहोवा का भय-प्रेरक दिन निकट है
“जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।”—मलाकी ३:१६.
१, २. कौन-से भय-प्रेरक दिन के बारे में मलाकी पूर्व चेतावनी देता है?
भय-प्रेरक! जैसे अगस्त ६, १९४५ को दिन उदय हुआ, एक बड़ा शहर क्षण-भर में नष्ट कर दिया गया। कुछ ८०,००० लोगों की मृत्यु! हज़ारों लोग घातक रूप से घायल! प्रचंड आग! परमाणु बम अपना कार्य कर चुका था। उस विध्वंस के दौरान यहोवा के साक्षियों की क्या स्थिति थी? हिरोशिमा में केवल एक साक्षी था—अपनी मसीही खराई की वजह से क़ैदखाने की रक्षात्मक दीवारों के अन्दर क़ैद। क़ैदखाना मलबा होकर ढह गया, लेकिन हमारे भाई को चोट नहीं लगी। जैसे कि उसने कहा, वह क़ैदखाने से बम द्वारा बाहर निकाला गया—संभवतः एकमात्र अच्छा कार्य जो बम ने निष्पन्न किया।
२ वह बम विस्फोट भयानक था। लेकिन, वह “यहोवा के उस बड़े और भयानक दिन,” जो एकदम सामने है, की तुलना में महत्त्वहीन हो जाता है। (मलाकी ४:५) ओह, हाँ, अतीत में भय-प्रेरक दिन रहे हैं, लेकिन यहोवा का यह दिन उन सब को मात दे देगा।—मरकुस १३:१९.
३. जल-प्रलय के आने तक “सब प्राणियों” और नूह के परिवार के बीच क्या विषमता देखी जा सकती है?
३ नूह के दिनों में “सब प्राणियों ने पृथ्वी पर अपनी अपनी चाल चलन बिगाड़ ली थी,” और परमेश्वर ने घोषणा की: “उनके कारण पृथ्वी उपद्रव से भर गई है, इसलिये मैं उनको पृथ्वी समेत नाश कर डालूंगा।” (उत्पत्ति ६:१२, १३) जैसे मत्ती २४:३९ में अभिलेख किया गया है, यीशु ने कहा कि “जब तक जल-प्रलय आकर उन सब को बहा न ले गया, तब तक” लोगों को “कुछ भी मालूम न पड़ा।” लेकिन ‘धर्म का प्रचारक,’ विश्वासी नूह, परमेश्वर का भय माननेवाले अपने परिवार के साथ, उस जल-प्रलय से बचकर निकला।—२ पतरस २:५.
४. सदोम और अमोरा के द्वारा क्या चेतावनी उदाहरण प्रदान किया गया है?
४ यहूदा ७ (NHT) कहता है, “जिस रीति से सदोम और अमोरा और उनके आस-पास के नगर, जो . . . घोर अनैतिकता में लीन होकर पराए शरीर के पीछे लग गए थे, वे कभी न बुझने वाली अग्नि के दण्ड में पड़ कर उदाहरण-स्वरूप ठहरे हैं।” वे अधर्मी लोग अपनी घृणित ढंग की घिनौनी जीवन-शैली की वजह से नष्ट हो गए। इस आधुनिक संसार के सेक्स-निर्देशित समुदाय सावधान रहें! लेकिन, नोट कीजिए कि जैसे परमेश्वर का भय माननेवाला लूत और उसकी बेटियाँ उस विध्वंस के दौरान जीवित बचाए गए, वैसे ही तेज़ी से आनेवाले बड़े क्लेश के दौरान यहोवा के उपासकों की रक्षा की जाएगी।—२ पतरस २:६-९.
५. यरूशलेम पर कार्यान्वित किए गए न्याय से हम क्या सीख सकते हैं?
५ जब यहोवा ने यरूशलेम, उस शानदार शहर को जो कभी “सारी पृथ्वी के हर्ष का कारण” था, नाश करने के लिए आक्रमणकारी सेनाओं का प्रयोग किया, तब प्रस्तुत किए गए चेतावनी उदाहरणों पर ग़ौर कीजिए। (भजन ४८:२) ये दुःखद घटनाएँ पहले सा.यु.पू. ६०७ में और फिर सा.यु. ७० में घटित हुईं, क्योंकि परमेश्वर के तथाकथित लोगों ने सच्ची उपासना को त्याग दिया था। ख़ुशी की बात है, यहोवा के निष्ठावान सेवक बचकर निकल गए। सामान्य युग ७० की घोर विपत्ति (आगे चित्रित) को “ऐसे क्लेश” के रूप में वर्णित किया गया है जो ‘सृष्टि के आरम्भ से जो परमेश्वर ने सृजी है तब तक न हुआ।’ इसने हमेशा-हमेशा के लिए धर्मत्यागी यहूदी रीति-व्यवस्था को हटा दिया, और निश्चय ही उस अर्थ से यह ‘न फिर कभी होगा।’ (मरकुस १३:१९) लेकिन ईश्वरीय न्याय का यह कार्यान्वयन भी उस “बड़े क्लेश” की मात्र एक छाया थी जो अब सम्पूर्ण संसार की रीति-व्यवस्था पर ख़तरे के रूप में मंडरा रहा है।—प्रकाशितवाक्य ७:१४.
६. यहोवा विपत्तियों की अनुमति क्यों देता है?
६ परमेश्वर भयंकर विपत्तियों की अनुमति क्यों देगा, जिसमें इतनी जानें जाती हैं? नूह, सदोम और अमोरा, और यरूशलेम के मामलों में, यहोवा उन लोगों पर न्याय कार्यान्वित कर रहा था जिन्होंने पृथ्वी पर अपना चाल चलन बिगाड़ लिया था, जिन्होंने इस खूबसूरत ग्रह को शाब्दिक प्रदूषण और नैतिक पतन से दूषित किया था, और जिन्होंने सच्ची उपासना से धर्मत्याग किया था या उसे अस्वीकार किया था। आज हम न्याय के एक सर्व-सम्मिलित कार्यान्वयन की दहलीज़ पर खड़े हैं जो सम्पूर्ण संसार को समाविष्ट करेगा।—२ थिस्सलुनीकियों १:६-९.
“अन्तिम दिनों में”
७. (क) प्राचीन ईश्वरीय न्यायदडं किस बात के भविष्यसूचक थे? (ख) कौन-सी शानदार प्रत्याशा सामने है?
७ प्राचीन समयों के वे नाश २ पतरस ३:३-१३ में वर्णित भय-प्रेरक बड़े क्लेश के भविष्यसूचक थे। प्रेरित कहता है: “यह पहिले जान लो, कि अन्तिम दिनों में हंसी ठट्ठा करनेवाले आएंगे, जो अपनी ही अभिलाषाओं के अनुसार चलेंगे।” फिर, नूह के दिन की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, पतरस लिखता है: “उस युग का जगत जल में डूब कर नाश हो गया। पर वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी उसी वचन के द्वारा इसलिये रखे हैं, कि जलाए जाएं; और वह भक्तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे।” उस सबसे बड़े क्लेश के बाद, काफ़ी समय से प्रतीक्षित मसीहा का राज्य शासन नए आयाम लेगा—“नए आकाश और नई पृथ्वी . . . जिन में धार्मिकता बास करेगी।” क्या ही हर्षपूर्ण प्रत्याशा!
८. संसार की घटनाएँ एक पराकाष्ठा की ओर कैसे बढ़ रही हैं?
८ हमारी २०वीं शताब्दी के दौरान, संसार की घटनाएँ एक पराकाष्ठा की ओर क्रमिक रूप से बढ़ी हैं। हालाँकि हिरोशिमा की तबाही ईश्वरीय निरीक्षण का दिन नहीं था, वह शायद उन ‘भयंकर बातों’ में सम्मिलित की जा सकती है जिनके बारे में यीशु ने अन्त के समय के लिए भविष्यवाणी की थी। (लूका २१:११) उस तबाही ने एक परमाणु ख़तरे की शुरूआत की जो अब भी मानवजाति के ऊपर ख़तरे के तूफ़ानी बादल की तरह मँडराता है। अतः, नवम्बर २९, १९९३ के द न्यू यॉर्क टाइम्स् में एक शीर्षक यों कहता है: “बन्दूकें शायद थोड़ी पुरानी हो गयी होंगी लेकिन परमाणु शस्त्र अब भी कार्य के लिए तैयार हैं।” इसी बीच, अन्तर्राष्ट्रीय, अन्तर-जातीय, और अन्तर-जनजातीय युद्ध के भयानक परिणाम निकलना जारी हैं। अतीत के युद्धों में, हताहतों की बड़ी संख्या सैनिकों में से थी। आज, रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध के हताहतों के ८० प्रतिशत आम नागरिक हैं, जिनमें वे भी सम्मिलित हैं जो शरणार्थियों के रूप में अपने स्वदेश को छोड़कर भाग जाते हैं।
९. धार्मिक नेताओं ने संसार से मित्रता कैसे प्रदर्शित की है?
९ धार्मिक नेताओं ने युद्धों और खूनी क्रांतियों में सक्रिय रूप से अन्तर्ग्रस्त होने के द्वारा “संसार से मित्रता” को अकसर दिखाया है, और दिखाना जारी रखा है। (याकूब ४:४) कुछ लोग व्यापारिक संसार के लालची उद्योगपतियों को सहयोग देते हैं जब ये शस्त्रों का बहुमात्र-उत्पादन करते हैं और बड़े संगठनों को बनाते हैं जो नशीली दवाइयों को बेचते और उनका प्रसार करते हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिण अमरीकी नशीले पदार्थ के सरदार की हत्या की रिपोर्ट करते वक़्त, द न्यू यॉर्क टाइम्स् ने कहा: “वैध व्यापारिक दौलत के दावों और हितकारक की छवि के पीछे अपने नशीले पदार्थों के व्यापार को छिपाते हुए, वह अपने रेडियो शो ख़ुद प्रायोजित करता था और अकसर रोमन कैथोलिक पादरी उसके साथ चलते थे।” द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने रिपोर्ट किया कि नशीले पदार्थों के व्यसनी बन गए लाखों लोगों के जीवन को बरबाद करने के अतिरिक्त, इस नशीले पदार्थ के सरदार ने व्यक्तिगत रूप से हज़ारों लोगों की हत्या करवायी। लंदन के द टाइम्स् ने नोट किया: “हत्यारे उसी समय पर धन्यवाद देने के लिए एक विशेष मिस्सा के लिए अकसर पैसे देते हैं . . . जिस समय शिकार की अन्त्येष्टि मिस्सा किसी और स्थान पर हो रही होती है।” कितनी दुष्टता!
१०. हमें संसार की बिगड़ती हुई परिस्थितियों को किस दृष्टिकोण से देखना है?
१० कौन जानता है कि पिशाच-उत्प्रेरित मनुष्य अब भी इस पृथ्वी पर कौन-सी तबाही मचा सकते हैं? जैसे १ यूहन्ना ५:१९ कहता है, “सारा संसार उस दुष्ट” शैतान, अर्थात् इब्लीस “के वश में पड़ा है।” आज “पृथ्वी, और समुद्र . . . पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।” (प्रकाशितवाक्य १२:१२) लेकिन, ख़ुशी की बात है, रोमियों १०:१३ हमें आश्वस्त करता है कि “जो कोई प्रभु [यहोवा, NW] का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा।”
परमेश्वर न्याय के लिए निकट आता है
११. इस्राएल में किन परिस्थितियों ने मलाकी की भविष्यवाणी को प्रेरित किया?
११ मानवजाति के निकट भविष्य के विषय में, क्या होनेवाला है उस पर मलाकी की भविष्यवाणी प्रकाश डालती है। प्राचीन इब्रानी भविष्यवक्ताओं की लम्बी सूची में मलाकी सबसे आख़िर में है। इस्राएल ने सा.यु.पू. ६०७ में यरूशलेम की तबाही का अनुभव किया था। लेकिन ७० साल बाद यहोवा ने उस राष्ट्र को अपने देश में पुनःस्थापित करने के द्वारा दयापूर्ण प्रेममय-कृपा प्रदर्शित की थी। लेकिन, सौ सालों के अन्दर ही, इस्राएल फिर से धर्मत्याग और दुष्टता की ओर जा रहा था। लोग यहोवा के नाम का अनादर कर रहे थे, उसके धार्मिक नियमों की उपेक्षा कर रहे थे, और बलिदान के लिए अन्धे, लँगड़े, और रोगी पशुओं को लाने के द्वारा उसके मन्दिर को दूषित कर रहे थे। वे अपनी जवानी की पत्नियों को तलाक़ दे रहे थे ताकि वे परदेशी स्त्रियों से विवाह कर सकें।—मलाकी १:६-८; २:१३-१६.
१२, १३. (क) अभिषिक्त याजकीय वर्ग के लिए कौन-से शुद्धीकरण की आवश्यकता रही है? (ख) शुद्धीकरण से बड़ी भीड़ भी कैसे लाभ प्राप्त करती है?
१२ एक शुद्धीकरण कार्य की ज़रूरत थी। यह मलाकी ३:१-४ में वर्णित है। प्राचीन इस्राएल की तरह, यहोवा के आधुनिक-दिन साक्षियों को शुद्ध करने की ज़रूरत थी, इसलिए मलाकी द्वारा वर्णित शुद्धी करण कार्य उन पर लागू किया जा सकता है। जैसे पहला विश्वयुद्ध अपने अन्त की ओर आया, कुछ बाइबल विद्यार्थियों ने, जैसे साक्षी तब जाने जाते थे, सांसारिक मामलों में सख़्त तटस्थता बनाए नहीं रखी। १९१८ में, यहोवा ने अपने ‘वाचा के दूत,’ मसीह यीशु को अपनी आत्मिक मन्दिर व्यवस्था में भेजा। उसे वहाँ यहोवा के उपासकों के छोटे समूह को सांसारिक त्रुटियों से शुद्ध करना था। भविष्यसूचक रूप से, यहोवा ने पूछा था: “[दूत के] आने के दिन की कौन सह सकेगा? और जब वह दिखाई दे, तब कौन खड़ा रह सकेगा? क्योंकि वह सोनार की आग और धोबी के साबुन के समान है। वह रूपे का तानेवाला और शुद्ध करनेवाला बनेगा, और लेवियों [अभिषिक्त याजकीय वर्ग] को शुद्ध करेगा और उनको सोने रूपे की नाईं निर्मल करेगा, तब वे यहोवा की भेंट धर्म से चढ़ाएंगे।” शुद्ध किए गए लोगों के रूप में, उन्होंने वैसा ही किया है!
१३ उस अभिषिक्त याजकीय वर्ग की संख्या केवल १,४४,००० है। (प्रकाशितवाक्य ७:४-८; १४:१, ३) लेकिन, आज अन्य समर्पित मसीहियों के बारे में क्या? अब लाखों की संख्या में बढ़ते हुए, ये लोग ‘एक बड़ी भीड़’ बनते हैं जिसे भी ‘अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत करते हुए’ सांसारिक रीतियों से शुद्ध किया जाना है। (प्रकाशितवाक्य ७:९, १४) अतः, मेम्ने अर्थात् मसीह यीशु के छुड़ौती बलिदान में विश्वास करने के द्वारा, वे यहोवा के सामने एक शुद्ध स्थिति बनाए रखने में समर्थ होते हैं। उनसे सम्पूर्ण बड़े क्लेश, यहोवा के भय-प्रेरक दिन से उत्तरजीविता की प्रतिज्ञा की गयी है।—सपन्याह २:२, ३.
१४. जैसे-जैसे वे नए व्यक्तित्व को विकसित करना जारी रखते हैं, परमेश्वर के लोगों को आज किन शब्दों का पालन करना चाहिए?
१४ याजकीय शेषजनों के साथ, इस बड़ी भीड़ को परमेश्वर के आगे के शब्दों को ध्यान देना है: “मैं न्याय करने को तुम्हारे निकट आऊंगा; और टोन्हों, और व्यभिचारियों, और झूठी किरिया खानेवालों के विरुद्ध, और जो मज़दूर की मज़दूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अन्धेर करते, और परदेशी का न्याय बिगाड़ते, और मेरा भय नहीं मानते, उन सभों के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूंगा, . . . क्योंकि मैं यहोवा बदलता नहीं।” (मलाकी ३:५, ६) जी नहीं, यहोवा के स्तर बदलते नहीं हैं, सो यहोवा के भय में, उसके लोगों को आज सभी प्रकार की मूर्तिपूजा से दूर रहना चाहिए और जैसे-जैसे वे मसीही व्यक्तित्व को विकसित करना जारी रखते हैं उन्हें सच्चा, ईमानदार, और उदार होना चाहिए।—कुलुस्सियों ३:९-१४.
१५. (क) यहोवा कौन-सा दयापूर्ण निमंत्रण देता है? (ख) हम यहोवा को ‘लूटने’ से कैसे दूर रह सकते हैं?
१५ यहोवा उन सब को निमंत्रण देता है जो कोई उसके धार्मिक रास्तों से परे हट गए होंगे। वह कहता है: “तुम मेरी ओर फिरो, तब मैं भी तुम्हारी ओर फिरूंगा।” यदि ये पूछें: “हम किस बात में फिरें?” वह उत्तर देता है: “तुम मुझे लूटते हो।” और आगे के प्रश्न: “हम ने किस बात में तुझे लूटा है?” के उत्तर में, यहोवा कहता है कि उन्होंने उसके मन्दिर की सेवा के लिए भेंट के रूप में अपना सर्वोत्तम नहीं लाने के द्वारा उसे लूटा है। (मलाकी ३:७, ८, NHT) यहोवा के लोगों का भाग बनने पर, हमें वाक़ई अपनी शक्तियों, क्षमताओं, और भौतिक संपत्तियों का सर्वोत्तम भाग यहोवा की सेवा में समर्पित करने की इच्छा होनी चाहिए। इस प्रकार, परमेश्वर को लूटने के बजाय, हम ‘पहिले उसके राज्य और धर्म की खोज करते’ रहते हैं।—मत्ती ६:३३.
१६. मलाकी ३:१०-१२ में हम क्या प्रोत्साहन पाते हैं?
१६ जैसे मलाकी ३:१०-१२ सूचित करता है, उन सभी लोगों के लिए एक महान प्रतिफल है जो संसार के स्वार्थी, भौतिकवादी तरीक़ों को अस्वीकार करते हैं: “सेनाओं का यहोवा यह कहता है, कि ऐसा करके मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे तुम्हारे लिये खोलकर तुम्हारे ऊपर अपरम्पार आशीष की वर्षा करता हूं कि नहीं।” सभी मूल्यांकन करनेवाले जनों को, यहोवा आध्यात्मिक समृद्धि और फलदायक होने की प्रतिज्ञा करता है। वह आगे कहता है: “सारी जातियां तुम को धन्य कहेंगी, क्योंकि तुम्हारा देश मनोहर देश होगा।” क्या यह आज पूरी पृथ्वी पर परमेश्वर के लाखों शुक्रगुज़ार लोगों के बीच सच साबित नहीं हुआ है?
जीवन की पुस्तक में खराई रखनेवाले
१७-१९. (क) रुवाण्डा में खलबली ने वहाँ हमारे भाइयों को कैसे प्रभावित किया है? (ख) किस दृढ़-विश्वास के साथ ये सभी विश्वासी जन आगे बढ़े हैं?
१७ यहाँ, हम रुवाण्डा के अपने भाइयों और बहनों की खराई पर टिप्पणी कर सकते हैं। वे हमेशा यहोवा की उपासना के आध्यात्मिक भवन में सर्वोत्तम आध्यात्मिक भेंट ही लाए हैं। उदाहरण के लिए, दिसम्बर १९९३ में अपने “ईश्वरीय शिक्षा” ज़िला अधिवेशन में, उनके २,०८० राज्य प्रकाशकों ने ४,०७५ की कुल उपस्थिति प्राप्त की। २३० नए साक्षियों ने बपतिस्मा लिया, और इनमें से, लगभग १५० लोगों ने उसके अगले महीने में सहयोगी पायनियर सेवा के लिए नाम लिखवाया।
१८ अप्रैल १९९४ को जब नृजातीय घृणा फूट पड़ी, कम-से-कम १८० साक्षी मारे गए, जिनमें राजधानी, किगाली का सिटी ओवरसियर और उसका पूरा परिवार सम्मिलित है। किगाली में वॉच टावर संस्था के दफ़्तर में छः अनुवादकों ने, जिनमें से चार हूटू और दो टूटसी थे, गंभीर ख़तरों के अधीन कई सप्ताहों तक काम करना जारी रखा, जब तक कि टूटसियों को भागना न पड़ा, जिन्हें अंततः एक चेक-पॉइन्ट पर मार दिया गया। अंततः, अपने बचे हुए कम्प्यूटर उपकरणों को लेकर बाक़ी के चार लोग ज़ाएर में गोमा को भागे, जहाँ उन्होंने निष्ठापूर्वक प्रहरीदुर्ग को किन्यारवाण्डा भाषा में अनुवाद करना जारी रखा।—यशायाह ५४:१७.
१९ भयानक परिस्थितियों में होने पर भी, इन शरणार्थी साक्षियों ने हमेशा भौतिक सामग्रियों से पहले आध्यात्मिक भोजन माँगा। बड़े त्याग करके, अनेक देशों से प्रेममय भाई उन तक सामान पहुँचाने में समर्थ हुए। शब्दों के ज़रिए और दबावपूर्ण स्थिति के अधीन उनकी सुव्यवस्था के ज़रिए, इन शरणार्थियों ने एक अद्भुत साक्षी दी है। उन्होंने वाक़ई यहोवा की उपासना में अपना सर्वोत्तम देना जारी रखा है। उन्होंने पौलुस की तरह दृढ़-विश्वास प्रदर्शित किया है, जैसे कि रोमियों १४:८ में व्यक्त किया गया है: “यदि हम जीवित हैं, तो प्रभु के लिये जीवित हैं; और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिये मरते हैं; सो हम जीएं या मरें, हम प्रभु ही के हैं।”
२०, २१. (क) यहोवा की स्मरण की पुस्तक में किन लोगों का नाम नहीं लिखा है? (ख) पुस्तक में किन लोगों का नाम है, और क्यों?
२० यहोवा उन सभी लोगों का रिकार्ड रखता है जो खराई से उसकी सेवा करते हैं। मलाकी की भविष्यवाणी आगे कहती है: “तब यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें कीं, और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।”—मलाकी ३:१६.
२१ आज यह कितना महत्त्वपूर्ण है कि हम यहोवा के नाम का सम्मान करने में ईश्वरीय भय दिखाएँ! ऐसा करने पर, हम प्रतिकूल न्याय नहीं पाएँगे, जैसा कि वे पाएँगे जो इस संसार की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए समर्थन करते हैं। प्रकाशितवाक्य १७:८ कहता है कि ‘उन के नाम जीवन की पुस्तक में लिखे नहीं गए।’ तर्कसंगत रूप से, वह सर्वश्रेष्ठ नाम जो यहोवा की जीवन की पुस्तक में लिखा गया है वह जीवन के मुख्य कर्ता, परमेश्वर के अपने पुत्र, यीशु मसीह का नाम है। मत्ती १२:२१ घोषणा करता है: “अन्यजातियां [राष्ट्र, NW] उसके नाम पर आशा रखेंगी।” यीशु का छुड़ौती बलिदान उन सभी लोगों के लिए अनन्त जीवन की गारन्टी देता है जो उस पर विश्वास करते हैं। उस पुस्तक में यीशु के नाम के साथ हमारे व्यक्तिगत नाम को जुड़वाना क्या ही विशेषाधिकार है!
२२. कौन-सी भिन्नता स्पष्ट होगी जब यहोवा न्याय कार्यान्वित करता है?
२२ उस न्याय के समय परमेश्वर के सेवकों का क्या परिणाम होगा? यहोवा मलाकी ३:१७, १८ में उत्तर देता है: “मैं उन से ऐसी कोमलता करूंगा जैसी कोई अपने सेवा करनेवाले पुत्र से करे। तब तुम फिरकर धर्मी और दुष्ट का भेद, अर्थात् जो परमेश्वर की सेवा करता है, और जो उसकी सेवा नहीं करता, उन दोनों का भेद पहिचान सकोगे।” विभाजन सभी के सामने स्पष्ट होगा: दुष्ट, अनन्त दण्ड के लिए अलग किए गए, और धर्मी, राज्य के क्षेत्र में अनन्त जीवन के लिए अनुमोदित। (मत्ती २५:३१-४६) इस प्रकार भेड़-समान लोगों की एक बड़ी भीड़ यहोवा के बड़े और भय-प्रेरक दिन से बचकर निकलेगी।
क्या आपको याद है?
◻ बाइबल के समयों में यहोवा ने कौन-से न्याय कार्यान्वित किए?
◻ आज की परिस्थितियाँ प्राचीन समयों की परिस्थितियों से कैसे समानान्तर हैं?
◻ मलाकी की भविष्यवाणी की पूर्ति में कौन-सा शुद्धीकरण हुआ है?
◻ परमेश्वर की स्मरण की पुस्तक में किन लोगों के नाम लिखे हुए हैं?