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यहोवा की आशीष धनी बनाती हैप्रहरीदुर्ग—1993 | मार्च 1
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“प्रभु” द्वारा न्याय किया गया
१८. (क) यहोवा किसके आगमन के बारे में चेतावनी देता है? (ख) मन्दिर में आगमन कब हुआ, कौन शामिल था, और इस्राएल के लिए क्या परिणाम था?
१८ यहोवा ने मलाकी के ज़रिये यह भी चेतावनी दी कि वह अपने लोगों का न्याय करने के लिए आएगा। “देखो, मैं अपने दूत को भेजता हूं, और वह मार्ग को मेरे आगे सुधारेगा, और प्रभु, जिसे तुम ढूंढ़ते हो, वह अचानक अपने मन्दिर में आ जाएगा; हां वाचा का वह दूत, जिसे तुम चाहते हो, सुनो, वह आता है।” (मलाकी ३:१) मन्दिर में प्रतिज्ञात आगमन कब हुआ? मत्ती ११:१० में, यीशु ने एक दूत के विषय में मलाकी की भविष्यवाणी को उद्धृत किया, जो मार्ग तैयार करेगा, और इसे यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले पर लागू किया। (मलाकी ४:५; मत्ती ११:१४) अतः सा.यु. २९ में, न्याय का समय आ गया था! दूसरा दूत कौन था, वाचा का वह दूत जो यहोवा, “प्रभु” के साथ मन्दिर जाएगा? स्वयं यीशु, और दो मौक़ों पर उसने यरूशलेम में मन्दिर आकर नाटकीय रूप से बेईमान सर्राफ़ों को बाहर निकालकर उसे साफ़ किया। (मरकुस ११:१५-१७; यूहन्ना २:१४-१७) पहली सदी के इस न्याय के समय के बारे में, यहोवा भविष्यसूचक रूप से पूछता है: “उसके आने के दिन की कौन सह सकेगा? और जब वह दिखाई दे, तब कौन खड़ा रह सकेगा?” (मलाकी ३:२) दरअसल, इस्राएल खड़ा नहीं रहा। उनकी जाँच की गयी, उन में कमी पायी गयी, और सा.यु. ३३ में, उन्हें यहोवा के चुने गए राष्ट्र की हैसियत से हटा दिया गया।—मत्ती २३:३७-३९.
१९. पहली सदी में किस तरह शेष जन यहोवा की ओर फिरे, और उन्हें क्या आशीष मिली?
१९ बहरहाल, मलाकी ने यह भी लिखा: “[यहोवा] रूपे का तानेवाला और शुद्ध करनेवाला बनेगा, और लेवियों को शुद्ध करेगा और उनको सोने रूपे की नाईं निर्मल करेगा, तब वे यहोवा की भेंट धर्म से चढ़ाएंगे।” (मलाकी ३:३) इसके अनुरूप, जबकि पहली सदी में यहोवा की सेवा करने का दावा करनेवाले अधिकांश जन निकाले गए, कई जन शुद्ध किए गए और वे स्वीकार्य बलिदान देते हुए यहोवा के पास आए। कौन? वे जन जिन्होंने वाचा के दूत, यीशु की तरफ़ प्रतिक्रिया दिखायी थी। पिन्तेकुस्त सा.यु. ३३ में, प्रतिक्रिया दिखानेवाले ऐसे १२० जन यरूशलेम में एक ऊपरी कमरे में एकत्रित थे। पवित्र आत्मा द्वारा बल प्रदान किए जाने पर, वे धर्म से भेंट चढ़ाने लगे, और शीघ्र ही उनकी संख्या बढ़ गयी। जल्द ही, वे सारे रोमी साम्राज्य में फैल गए। (प्रेरितों २:४१; ४:४; ५:१४) इस प्रकार, शेष जन यहोवा की ओर फिरे।—मलाकी ३:७.
२०. जब यरूशलेम और मन्दिर नाश किए गए, तब परमेश्वर के नए इस्राएल का क्या हुआ?
२० इस्राएल के ये शेष जन, जिस में अन्यजाति के लोग मानो, इस्राएल के प्रकन्द में कलम बाँधे गए शामिल हुए थे, “परमेश्वर के” एक नए “इस्राएल” थे, एक राष्ट्र जो आत्मा-अभिषिक्त मसीहियों से बना है। (गलतियों ६:१६; रोमियों ११:१७) सा.यु. ७० में, शारीरिक इस्राएल पर “धधकते भट्ठे का सा दिन” आया जब रोमी सेना द्वारा यरूशलेम और उसका मंदिर नाश किया गया। (मलाकी ४:१; लूका १९:४१-४४) परमेश्वर के आध्यात्मिक इस्राएल का क्या हुआ? यहोवा ने ‘उन से ऐसी कोमलता की, जैसी कोई अपने सेवा करनेवाले पुत्र से करता है।’ (मलाकी ३:१७) अभिषिक्त मसीही कलीसिया ने यीशु की भविष्यसूचक चेतावनी को माना। (मत्ती २४:१५, १६) वे बच गए, और यहोवा की आशीष उन्हें लगातार आध्यात्मिक रीति से धनी बनाती गयी।
२१. मलाकी ३:१ और १० के बारे में कौनसे सवाल बाक़ी हैं?
२१ यहोवा का क्या ही दोषनिवारण! लेकिन, मलाकी ३:१ आज कैसे पूरा हो रहा है? सारे दशमांश को भण्डार में लाने के मलाकी ३:१० में दिए प्रोत्साहन की तरफ़ एक मसीही को कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए? इस पर अगले लेख में चर्चा की जाएगी।
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“सारे दशमांस भण्डार में ले आओ”प्रहरीदुर्ग—1993 | मार्च 1
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१. (क) सामान्य युग पूर्व पाँचवी सदी में, यहोवा ने अपने लोगों को क्या निमंत्रण दिया? (ख) सामान्य युग पहली सदी में, न्याय करने के लिए मंदिर में यहोवा के आगमन का क्या परिणाम हुआ?
सामान्य युग पूर्व पाँचवी सदी में, इस्राएलियों ने यहोवा के साथ विश्वासघात किया था। उन्होंने दशमांश को रोक रखा था और अयोग्य पशुओं को मंदिर में भेंट के तौर पर लाए। फिर भी, यहोवा ने वादा किया कि अगर वे सारे दशमांश को भण्डार में लाएंगे, तो वह उन पर अपरम्पार आशीष की वर्षा करेगा। (मलाकी ३:८-१०) कुछ ५०० साल बाद, यहोवा, जिसका प्रतिनिधित्व वाचा के दूत की हैसियत से यीशु कर रहा था, न्याय करने के लिए यरूशलेम के मंदिर में आया। (मलाकी ३:१) एक जाति की हैसियत से इस्राएल में कमी पायी गयी, पर जो व्यक्ति यहोवा की तरफ़ फिरे उन्हें प्रचुर मात्रा में आशीष मिली। (मलाकी ३:७) वे यहोवा के आध्यात्मिक पुत्र, एक नयी सृष्टि, ‘परमेश्वर का इस्राएल’ बनने के लिए अभिषिक्त किए गए।—गलतियों ६:१६; रोमियों ३:२५, २६.
२. मलाकी ३:१-१० की दूसरी पूर्ति कब होनेवाली थी, और इस सम्बन्ध में हमें क्या करने का निमंत्रण दिया गया है?
२ तक़रीबन १,९०० साल बाद, १९१४ में, परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य के राजा की हैसियत से यीशु सिंहासनारूढ़ किया गया, और मलाकी ३:१-१० के ईश्वरीय रूप से उत्प्रेरित शब्दों की दूसरी पूर्ति का समय आ गया था। इस रोमांचक घटना के सम्बन्ध में, आज मसीहियों को भण्डार में सारे दशमांश लाने का निमंत्रण दिया गया है। अगर हम ऐसा करें, तो हम भी अपरम्पार आशिषों का आनन्द लेंगे।
३. (क) पहली सदी में, (ख) और प्रथम विश्व युद्ध से पहले, यहोवा के आगे मार्ग सुधारनेवाला दूत कौन था?
३ मंदिर में अपने आगमन के विषय में, यहोवा ने कहा: “देखो, मैं अपने दूत को भेजता हूं, और वह मार्ग को मेरे आगे सुधारेगा।” (मलाकी ३:१) इसकी पहली-सदी की पूर्ति के तौर पर, पापों के पश्चात्ताप का प्रचार करते हुए यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला इस्राएल आया। (मरकुस १:२, ३) मंदिर में यहोवा के दूसरे आगमन के सम्बन्ध में क्या कोई प्रारंभिक कार्य था? जी हाँ। प्रथम विश्व युद्ध से पहले के दशकों में, शुद्ध बाइबल सिद्धांत सिखाते हुए और परमेश्वर का निरादर करनेवाले झूठ, जैसे त्रियेक और नरक-यातना के सिद्धांतों का पर्दाफ़ाश करते हुए, बाइबल विद्यार्थी प्रकट हुए। उन्नीस सौ चौदह में अन्यजातियों के समय के आनेवाले अंत के बारे में भी उन्होंने चेतावनी दी। सच्चाई के इन ज्योति वाहकों की तरफ़ अनेकों ने प्रतिक्रिया दिखायी।—भजन ४३:३; मत्ती ५:१४, १६.
४. प्रभु के दिन के दौरान कौनसा सवाल सुलझाया जाना था?
४ वर्ष १९१४ से, जिसे बाइबल ‘प्रभु का दिन’ कहती है की शुरूआत हुई। (प्रकाशितवाक्य १:१०) उस दिन के दौरान महत्त्वपूर्ण घटनाएँ घटित होनेवाली थीं, जिस में “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” का पहचानकर और उसका “[स्वामी की] सारी संपत्ति पर सरदार” ठहराए जाना सम्मिलित था। (मत्ती २४:४५-४७) उन्नीस सौ चौदह में, हज़ारों गिरजाओं ने मसीही होने का दावा किया। कौनसा समूह स्वामी, यीशु मसीह द्वारा उसके विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास की हैसियत से मंज़ूर किया जाएगा? वह सवाल तब सुलझाया जानेवाला था जब यहोवा मंदिर में आता।
आध्यात्मिक मंदिर में आना
५, ६. (क) न्याय करने के लिए यहोवा कौनसे मंदिर में आया? (ख) मसीहीजगत ने यहोवा से क्या न्याय प्राप्त किया?
५ तौभी, वह कौनसे मंदिर में आया? यह स्पष्ट है कि वह यरूशलेम में किसी आक्षरिक मंदिर में नहीं आया। उन में से आख़री मंदिर तो सा.यु. ७० में नाश किया गया। तथापि, यहोवा का एक ज़्यादा महान् मंदिर है जिसका यरूशलेम के उस मंदिर द्वारा पूर्वसंकेत किया गया। इस ज़्यादा महान् मंदिर के बारे में पौलुस ने बात की और दिखाया कि यह सचमुच कितना शानदार है, जिसका पवित्र स्थान स्वर्ग में और यहाँ पृथ्वी पर आँगन है। (इब्रानियों ९:११, १२, २४; १०:१९, २०) एक न्याय कार्य करने के लिए यहोवा इस महान् आध्यात्मिक मंदिर आया।—प्रकाशितवाक्य ११:१; १५:८ से तुलना कीजिए.
६ यह कब हुआ? उपलब्ध ठोस सबूत के मुताबिक, १९१८ में।a परिणाम क्या था? मसीहीजगत के विषय में, यहोवा ने एक ऐसा संगठन देखा जिसके हाथों से लहू टपक रहा था, एक भ्रष्ट धार्मिक व्यवस्था जिसने इस संसार के साथ अपने आपको वेश्यावृत्ति में लगाया, ख़ुद को अमीरों के साथ एक कर दिया और ग़रीबों को सताया, सच्ची उपासना करने के बजाय मूर्तिपूजक धर्म-सिद्धांतों को सिखाया। (याकूब १:२७; ४:४) मलाकी के ज़रिये, यहोवा ने चेतावनी दी थी: “तब मैं . . . टोन्हों, और व्यभिचारियों, और झूठी किरिया खानेवालों के विरुद्ध, और जो मज़दूर की मज़दूरी को दबाते, और विधवा और अनाथों पर अन्धेर करते, . . . उन सभों के विरुद्ध मैं तुरन्त साक्षी दूंगा।” (मलाकी ३:५) मसीहीजगत ने यह सब और इससे भी बुरे कार्य किए थे। उन्नीस सौ उन्नीस तक यह साफ़-साफ़ दिखायी दिया कि यहोवा ने बाक़ी बड़े बाबुल, झूठे धर्म के विश्व भवन के साथ विनाश के लिए उन्हें धिक्कारा था। तब से लेकर, सच्चे दिलवालों को यह आह्वान दिया गया: “हे मेरे लोगो, उस में से निकल आओ।”—प्रकाशितवाक्य १८:१, ४.
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