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आत्म-बलिदान की आत्मा के साथ यहोवा की सेवा करनाप्रहरीदुर्ग—1993 | जून 1
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२. यीशु पर आनेवाले दुःखों के बारे में उसके शब्दों के प्रति पतरस की क्या प्रतिक्रिया थी?
२ यीशु की मृत्यु निकट है। लेकिन पतरस, इतना निराशाजनक प्रतीत होनेवाले विचार पर क्रुद्ध होता है। वह यह स्वीकार नहीं कर सकता कि मसीहा सचमुच मारा जाएगा। इसलिए, पतरस ने अपने स्वामी को झिड़कने की हिम्मत की। सर्वोतम इरादों से प्रेरित होकर, वह जल्दबाज़ी में आग्रह करता है: “हे प्रभु, परमेश्वर न करे; तुम पर ऐसा कभी न होगा।” परन्तु जैसे एक व्यक्ति निश्चित ही एक ज़हरीले साँप के सिर को कुचलता, वैसे ही यीशु तुरंत पतरस के अनुपयुक्त अनुग्रह को ठुकराता है। “हे शैतान, मेरे साम्हने से दूर हो: तू मेरे लिये ठोकर का कारण है; क्योंकि तू परमेश्वर की बातें नहीं, पर मनुष्यों की बातों पर मन लगाता है।”—मत्ती १६:२२, २३.
३. (क) पतरस ने अनजाने में कैसे अपने आपको शैतान का एक अभिकर्ता बनाया? (ख) एक आत्म-बलिदान की ज़िन्दगी के प्रति पतरस कैसे एक ठोकर का कारण था?
३ पतरस ने अनजाने में अपने आपको शैतान का अभिकर्ता बनाया है। यीशु का प्रत्युत्तर उतना ही निश्चित है जितना कि तब था जब उसने जंगल में शैतान को उत्तर दिया। वहाँ इब्लीस ने यीशु को, बिना दुःख भोगे एक राजत्व, एक आराम की ज़िन्दगी के साथ प्रलोभित करने की कोशिश की। (मत्ती ४:१-१०) अब पतरस उसे अपने आप से अन्याय न करने के लिए प्रोत्साहित करता है। यीशु जानता है कि यह उसके पिता की इच्छा नहीं। उसकी ज़िन्दगी आत्म-बलिदान की ज़िन्दगी होनी थी, आत्म-संतोष की नहीं। (मत्ती २०:२८) ऐसी ज़िन्दगी बिताने में पतरस उसके लिए ठोकर का कारण बनता है; उसकी नेकनीयत सहानुभूति एक जाल बन जाती है।a लेकिन, यीशु स्पष्ट रीति से समझता है कि यदि उसने बलिदान से मुक्त एक ज़िन्दगी का विचार भी किया, तो वह एक शैतानी जाल के घातक चुंगल में फंसकर परमेश्वर के अनुग्रह को खो बैठेगा।
४. एक असंयमी आराम की ज़िन्दगी क्यों यीशु और उसके अनुयायियों के लिए नहीं थी?
४ इसलिए, पतरस की समझ में समंजन की ज़रूरत थी। यीशु को कहे गए उसके शब्द परमेश्वर के विचार के बजाय, मनुष्य के विचार को चित्रित करते थे। दुःख को न भोगने का एक आसान तरीक़ा, असंयमी आराम की ज़िन्दगी, यीशु के लिए नहीं थी; न ही ऐसी ज़िन्दगी उसके अनुयायियों के लिए थी, क्योंकि यीशु आगे पतरस से तथा बाक़ी के शिष्यों से कहता है: “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप को त्यागे और अपना यातना स्तंभ उठाए, और मेरे पीछे हो ले।”—मत्ती १६:२४, NW.
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आत्म-बलिदान की आत्मा के साथ यहोवा की सेवा करनाप्रहरीदुर्ग—1993 | जून 1
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a यूनानी भाषा में, “ठोकर का कारण” (σκάνδαλον, skanʹda·lon) मौलिक रूप से “जाल के उस भाग का नाम था जिसके साथ चुग्गा लगा होता था, और इस प्रकार स्वयं जाल या फंदा था।”—वाइन्स् एकस्पॉज़ीटरी डिक्शनरि ऑफ़ ओल्ड एण्ड न्यू टेस्टमेंट वर्डस् (Vine’s Expository Dictionary of Old and New Testament Words).
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