बाइबल क्या कहती है?
आप कैसे दूसरों के साथ सुलह कर सकते हैं?
बाइबल इंसानों के बारे में कहती है: “सब ने पाप किया है और वे परमेश्वर के शानदार गुण ज़ाहिर करने में नाकाम रहे हैं।” (रोमियों 3:23) आज दुनिया की आबादी 7 अरब से भी ज़्यादा है और हम सब पापी हैं। इसलिए ज़ाहिर-सी बात है कि हमारे बीच झगड़ा और मन-मुटाव होगा। ऐसे में हम एक-दूसरे के साथ सुलह कैसे कर सकते हैं?
इस मामले में बाइबल हमें बढ़िया सलाह देती है। यह कहती है कि सृष्टिकर्ता जिसका नाम यहोवा है, वह “शांति का परमेश्वर” है। (इब्रानियों 13:20; भजन 83:18) इसलिए वह चाहता है कि धरती पर उसके सभी बच्चे एक-दूसरे के साथ शांति से रहें। दूसरों के साथ शांति बनाए रखने में खुद यहोवा ने हमारे आगे एक उम्दा मिसाल रखी। जब पहले इंसानी जोड़े ने परमेश्वर के खिलाफ पाप किया, तो परमेश्वर के साथ उनका रिश्ता टूट गया। इस पर यहोवा ने इंसानों के साथ सुलह करने के लिए फौरन कदम उठाया। (2 कुरिंथियों 5:19) आइए अब हम देखें कि दूसरों के साथ सुलह करने के लिए हम कौन-से तीन कदम उठा सकते हैं।
दिल खोलकर माफ कीजिए
बाइबल क्या कहती है? “अगर किसी के पास दूसरे के खिलाफ शिकायत की कोई वजह है, तो एक-दूसरे की सहते रहो और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करो। जैसे यहोवा ने तुम्हें दिल खोलकर माफ किया है, वैसे ही तुम भी दूसरे को माफ करो।”—कुलुस्सियों 3:13.
रुकावट: हो सकता है आपके पास किसी के “खिलाफ शिकायत की कोई [जायज़] वजह” हो और आपको लगे कि उस व्यक्ति के साथ नाता तोड़ लेना ही सही है। शायद आप यह भी सोचें कि पहले उसे माफी माँगनी चाहिए। लेकिन अगर उस व्यक्ति को पता ही नहीं कि उसने कोई गलती की है या उसे लगता है कि गलती आपकी है, तो आप दोनों के बीच झगड़ा कभी नहीं सुलझ पाएगा।
आप क्या कर सकते हैं? बाइबल की सलाह मानते हुए गलती करनेवाले को माफ कर दीजिए, खासकर अगर उससे छोटी-मोटी गलती हुई हो। याद रखिए, अगर परमेश्वर हमारी गलतियों का हिसाब रखता तो हम उसके सामने खड़े ही नहीं हो पाते। (भजन 130:3) बाइबल कहती है: “यहोवा दयालु और अनुग्रहकारी, विलम्ब से कोप करनेवाला और अति करुणामय है। क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही हैं।”—भजन 103:8, 14.
बाइबल के इस नीतिवचन पर भी गौर कीजिए: “मनुष्य की समझ-बूझ उसे शीघ्र क्रोधित नहीं होने देती, और अपराध पर ध्यान न देना उसकी महानता है।” (नीतिवचन 19:11, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) जो इंसान समझ-बूझ से काम लेता है, वह मामले की तह तक जाता है और यह भाँपने की कोशिश करता है कि सामनेवाले ने ऐसा क्यों कहा या ऐसा क्यों किया। खुद से पूछिए, ‘जिस व्यक्ति ने मुझे ठेस पहुँचायी है क्या वह थका हुआ था, बीमार था या फिर किसी तनाव में था?’ दूसरों के इरादे, उनकी भावनाओं और उनके हालात को समझने से आप अपने गुस्से पर काबू पा सकते हैं और उनकी गलतियों को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं।
ठेस पहुँचानेवाले से बात कीजिए
बाइबल क्या कहती है? “अगर तेरा भाई कोई पाप करता है, तो जा और अकेले में जब सिर्फ तू और वह हो, उसकी गलती उसे बता दे। अगर वह तेरी सुने, तो तू ने अपने भाई को पा लिया है।”—मत्ती 18:15.
रुकावट: हो सकता है डर, गुस्सा या शर्मिंदगी जैसी भावनाओं की वजह से आप गलती करनेवाले के पास जाने से हिचकिचाएँ। शायद आपका मन करे कि आप इस बारे में दूसरों को बताएँ, जिससे वे आपके साथ हमदर्दी जताएँ और आपका साथ दें। लेकिन इससे बात और बिगड़ सकती है और मामला हाथ से निकल सकता है।
आप क्या कर सकते हैं? अगर आपको लगता है कि समस्या बहुत गंभीर है और उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, तो गलती करनेवाले के पास जाकर उससे बात कीजिए। मामले को इस तरह सुलझाने की कोशिश कीजिए:
(1) फौरन जाकर बात कीजिए: टाल-मटोल मत कीजिए। आप जितनी ज़्यादा देर करेंगे मामला उतना ही बिगड़ सकता है। यीशु की इस सलाह पर अमल कीजिए: “अगर तू मंदिर में वेदी के पास अपनी भेंट ला रहा हो और वहाँ तुझे याद आए कि तेरे भाई को तुझसे कुछ शिकायत है, तो तू अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ दे और जाकर पहले अपने भाई के साथ सुलह कर और जब तू लौट आए तब अपनी भेंट चढ़ा।”—मत्ती 5:23, 24.
(2) अकेले में बात कीजिए: हो सकता है आपका दिल करे कि आप समस्या के बारे में जाकर सबको बताएँ। अगर ऐसी बात है तो खुद को रोकिए। बाइबल कहती है: “यदि पड़ौसी के साथ तेरा मतभेद है तो आपस में बातचीत के द्वारा हल कर लेना; और एक-दूसरे का भेद मत खोलना।”—नीतिवचन 25:9, हिंदी—कॉमन लैंग्वेज।
(3) शांति से बात कीजिए: यह साबित करने की फितरत से दूर रहिए कि कौन सही है, कौन गलत। आपका लक्ष्य है शांति कायम करना न कि बहस जीतना। “तुम” या “आप” कहकर दोष लगाने के बजाय “मैं” या “मुझे” शब्द का इस्तेमाल करने की कोशिश कीजिए। मिसाल के लिए, यह कहने के बजाय कि “तुमने मुझे चोट पहुँचायी है,” यह कहना ज़्यादा असरदार होगा कि “मुझे बहुत बुरा लगा क्योंकि . . . ।” बाइबल कहती है: “हम उन बातों में लगे रहें जिनसे शांति कायम होती है और एक-दूसरे का हौसला मज़बूत होता है।”—रोमियों 14:19.
सब्र रखिए
बाइबल क्या कहती है? “किसी को भी बुराई का बदला बुराई से न दो। . . . लेकिन ‘अगर तेरा दुश्मन भूखा हो तो उसे खाना खिला। अगर वह प्यासा है तो उसे पानी पिला।’”—रोमियों 12:17, 20.
रुकावट: अगर आप सुलह करने में पहल करते हैं और आपकी कोशिश नाकाम हो जाती है, तो आप शायद हार मान बैठें।
आप क्या कर सकते हैं? सब्र रखिए। हर किसी का स्वभाव अलग होता है, इसलिए कई लोगों को अपना गुस्सा शांत करने में ज़्यादा वक्त लगता है। साथ ही कुछ लोगों में उतनी समझ नहीं होती, क्योंकि वे परमेश्वर के गुण ज़ाहिर करना सीख रहे होते हैं। इसलिए लगातार उनके साथ प्यार से पेश आइए और उन्हें लिहाज़ दिखाइए। बाइबल कहती है: “बुराई से न हारो बल्कि भलाई से बुराई को जीतते रहो।”—रोमियों 12:21.
दूसरों से सुलह करने के लिए हमें भी अपने अंदर कुछ गुण बढ़ाने की ज़रूरत है, जैसे नम्रता, अंदरूनी समझ, सब्र और प्यार। इन सबको बढ़ाने में मेहनत लगती है, लेकिन ऐसा करने से अगर हम दूसरों के साथ शांति से रह पाते हैं तो हमें बेशक मेहनत करनी चाहिए! (g12-E 03)
क्या आपने कभी सोचा है?
● दिल खोलकर माफ करने में क्या बात आपकी मदद करेगी?—कुलुस्सियों 3:13.
● जिससे आपका मतभेद हुआ है, उससे बात करने के लिए क्या बात आपकी मदद करेगी?—मत्ती 5:23, 24.
● अगर सुलह करने में आपकी कोशिश नाकाम हो जाती है, तो आप क्या कर सकते हैं?—रोमियों 12:17-21.
[पेज 11 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“मनुष्य की समझ-बूझ उसे शीघ्र क्रोधित नहीं होने देती, और अपराध पर ध्यान न देना उसकी महानता है।”—नीतिवचन 19:11, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन