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आप शायद अपने भाई को पा लेंप्रहरीदुर्ग—1999 | अक्टूबर 15
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तजुर्बेकार भाइयों की मदद लेना
१२, १३. (क) गलतियों को सुधारने की कार्यवाही में यीशु ने दूसरा कदम कौन-सा बताया? (ख) इस सलाह को लागू करने में कौन-सी सावधानी बरतना अच्छा होगा?
१२ अगर आपने कोई बड़ी गलती की है तो क्या आप चाहेंगे कि आपकी मदद करनेवाले थोड़ी-बहुत कोशिश करके जल्द ही हार मानकर बैठ जाएँ? बिलकुल नहीं। उसी तरह, यीशु ने दिखाया कि पहले कदम से अगर आप अपने भाई को नहीं पाते हैं, तो आपको चुप नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि आप चाहते हैं कि परमेश्वर की सेवा सही तरीके से करने में वह आपके और दूसरों के साथ मिला रहे। यीशु ने दूसरा कदम भी बताया: “यदि वह न सुने, तो और एक दो जन को अपने साथ ले जा, कि हर एक बात दो या तीन गवाहों के मुंह से ठहराई जाए।”
१३ यीशु ने कहा ‘एक दो जन’ को साथ ले जा। उसने यह नहीं कहा कि पहला कदम उठाने के बाद आप इस बारे में किसी से भी बात कर सकते हैं, सफरी ओवरसियर से भी मशविरा कर सकते हैं या दूसरे भाइयों को भी चिट्ठी लिख सकते हैं। आपको पूरा यकीन हो सकता है कि भाई ने गलती की है, मगर इसे पूरी तरह साबित नहीं किया गया। आप ऐसी गलत बातें नहीं फैलाना चाहेंगे जिसकी वज़ह से आप पर किसी के खिलाफ झूठ बोलने का इलज़ाम लग सकता है। (नीतिवचन १६:२८; १८:८) लेकिन यीशु ने तो कहा था कि एक या दो जन को साथ ले जा। क्यों? ये एक या दो जन कौन हो सकते हैं?
१४. दूसरे कदम के लिए आप किसे अपने साथ ले जा सकते हैं?
१४ आप चाहते हैं कि आपका भाई अपने किए पर पछताए और आपके साथ और परमेश्वर के साथ फिर से शांति कायम करे, इस तरह आप उसे पा लेना चाहते हैं। मगर, ये सब करने के लिए अच्छा होगा कि वे ‘एक दो जन’ ऐसे व्यक्ति हों जो इस गलती के चश्मदीद गवाह हैं। शायद वे उस वक्त वहीं मौजूद थे या उन्हें इस बात की सही-सही जानकारी हो कि बिज़नॆस के मामले में क्या किया गया (या क्या नहीं)। अगर कोई गवाह नहीं है, तो आप उन भाइयों को शामिल कर सकते हैं जिन्हें ऐसे मामले सुलझाने का तजुर्बा हो ताकि वे फैसला कर सकें कि जो कुछ हुआ वह सही था या गलत। इसके अलावा, अगर बाद में ज़रूरत पड़े, तो ये भाई गवाही दे सकते हैं कि जो कुछ कहा गया है वह सच है या नहीं और गलती को सुधारने के लिए क्या किया गया है। (गिनती ३५:३०; व्यवस्थाविवरण १७:६) इसलिए ये भाई सिर्फ सलाह-मशविरा देने के लिए नहीं होते हैं बल्कि वे इस मामले में पूरी-पूरी दिलचस्पी लेते हैं ताकि उस व्यक्ति को पा लें जो आपका और उनका भी भाई है।
१५. अगर हमें दूसरा कदम उठाना है तो मसीही प्राचीन क्यों हमारी मदद कर सकते हैं?
१५ यह ज़रूरी नहीं कि आप जिन भाइयों को अपने साथ ले जाएँगे वे कलीसिया के प्राचीन ही होने चाहिए। लेकिन, प्राचीन आध्यात्मिक बातों में तजुर्बेकार और काबिल होते हैं इसलिए वे आपकी अच्छी तरह मदद कर सकते हैं। ऐसे प्राचीन “मानो आंधी से छिपने का स्थान, और बौछार से आड़ [हैं]; या निर्जल देश में जल के झरने, व तप्त भूमि में बड़ी चट्टान की छाया” हैं। (यशायाह ३२:१, २) उन्हें भाई-बहनों को समझाने और उन्हें फिर से सही राह पर ले आने का तजुर्बा होता है। और जिसने गलती की है वह भी ऐसे ‘मनुष्यों में दान’c पर भरोसा रख सकता है। (इफिसियों ४:८, ११, १२) ऐसे तजुर्बेकार मसीहियों के सामने इस मामले पर बात करने से और उनके साथ प्रार्थना करने से माहौल में ऐसी ताज़गी पैदा हो सकती है कि बहुत ही उलझी हुई समस्या भी सुलझ जाए।—याकूब ५:१४, १५ से तुलना कीजिए।
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आप शायद अपने भाई को पा लेंप्रहरीदुर्ग—1999 | अक्टूबर 15
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c बाइबल के एक विद्वान कहते हैं: “कभी-कभी ऐसा होता है कि गलती करनेवाला, एक आदमी के बजाय दो या तीन लोगों की सलाह पर ज़्यादा ध्यान देता है (खासकर अगर वे ऐसे लोग हैं जिनका वह आदर करता है)। और अगर सलाह देनेवाले आदमी से उसका मतभेद है तो वह शायद उसकी बात सुनना नहीं चाहेगा”।
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