पिता और प्राचीन —दोनों भूमिकाएँ पूरी करना
“जब कोई अपने घर ही का प्रबन्ध करना न जानता हो, तो परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली क्योंकर करेगा”? —१ तीमुथियुस ३:५.
१, २. (क) प्रथम शताब्दी में, अविवाहित ओवरसियर और निःसंतान विवाहित ओवरसियर अपने भाइयों की सेवा करने में कैसे समर्थ थे? (ख) अक्विला और प्रिस्किल्ला आज अनेक विवाहित दम्पतियों के लिए कैसे एक उदाहरण हैं?
आरंभिक मसीही कलीसिया में ओवरसियर अविवाहित पुरुष या निःसंतान विवाहित पुरुष या बाल-बच्चेदार गृहस्थीवाले पुरुष हो सकते थे। निःसंदेह उनमें से कुछ मसीही कुरिन्थियों को उसकी पहली पत्री, अध्याय ७ में दी गयी प्रेरित पौलुस की सलाह पर अमल करने में समर्थ हुए, और अविवाहित रहे। यीशु ने कहा था: “कुछ नपुंसक ऐसे हैं, जिन्हों ने स्वर्ग के राज्य के लिये अपने आप को नपुंसक बनाया है।” (मत्ती १९:१२) ऐसे अविवाहित पुरुष, पौलुस और संभवतः उसके कुछ सफ़री साथियों की तरह, अपने भाइयों की मदद करने के लिए यात्रा करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
२ बाइबल नहीं बताती कि बरनबास, मरकुस, सीलास, लूका, तीमुथियुस, और तीतुस अविवाहित पुरुष थे या नहीं। यदि विवाहित थे तो प्रत्यक्षतः वे पारिवारिक ज़िम्मेदारियों से काफ़ी हद तक स्वतंत्र थे ताकि विभिन्न कार्य-नियुक्तियों पर दूर-दूर तक यात्रा करने में समर्थ हों। (प्रेरितों १३:२; १५:३९-४१; २ कुरिन्थियों ८:१६, १७; २ तीमुथियुस ४:९-११; तीतुस १:५) हो सकता है कि वे अपनी पत्नियों के साथ गए, जैसे पतरस और ‘और प्रेरितों’ ने किया, जो प्रत्यक्षतः जगह-जगह जाते समय अपने साथ अपनी पत्नियों को ले गए। (१ कुरिन्थियों ९:५) अक्विला और प्रिस्किल्ला एक विवाहित दम्पति का उदाहरण हैं जो कहीं-भी जाने को तैयार थे, पौलुस के पीछे-पीछे कुरिन्थ से इफिसुस गए, फिर रोम में बसे, और फिर दुबारा इफिसुस आए। बाइबल नहीं बताती कि उनके कोई बच्चा था या नहीं। अपने भाइयों के लिए उनकी समर्पित सेवा से उन्हें ‘अन्यजातियों की सारी कलीसियाओं’ का आभार प्राप्त हुआ। (रोमियों १६:३-५; प्रेरितों १८:२, १८; २ तीमुथियुस ४:१९) आज, निश्चित ही अनेक विवाहित दम्पति हैं जो अक्विला और प्रिस्किल्ला की तरह, अन्य कलीसियाओं में सेवा कर सकते हैं, संभवतः वहाँ जा बसने के द्वारा जहाँ और अधिक आवश्यकता है।
पिता और प्राचीन
३. कौन-सी बात सुझाती है कि अनेक प्रथम-शताब्दी प्राचीन गृहस्थीवाले विवाहित पुरुष थे?
३ ऐसा प्रतीत होता है कि सा.यु. प्रथम शताब्दी में, अधिकांश मसीही प्राचीन बाल-बच्चेदार विवाहित पुरुष थे। जब पौलुस ने वे योग्यताएँ बतायीं जिनकी माँग उस पुरुष से की जाती है जो “अध्यक्ष होना चाहता है,” तब उसने कहा कि ऐसे मसीही को ऐसा पुरुष होना चाहिए जो “अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करता हो, और लड़के-बालों को सारी गम्भीरता से आधीन रखता हो।”—१ तीमुथियुस ३:१, ४.
४. बाल-बच्चेदार विवाहित प्राचीनों से क्या माँग की गयी थी?
४ जैसा हमने देखा है, एक ओवरसियर बच्चे पैदा करने, या यहाँ तक कि विवाहित होने के लिए बाध्य नहीं था। लेकिन यदि विवाहित हो, तो एक प्राचीन या सहायक सेवक के रूप में योग्य होने के लिए, एक मसीही को अपनी पत्नी पर उचित और प्रेममय मुखियापन चलाना था और दिखाना था कि वह अपने बच्चों को उचित अधीनता में रखने में समर्थ है। (१ कुरिन्थियों ११:३; १ तीमुथियुस ३:१२, १३) अपने घरबार को चलाने में कोई गंभीर कमज़ोरी एक भाई को कलीसिया में ख़ास विशेषाधिकारों के लिए अयोग्य बना देती। क्यों? पौलुस समझाता है: “जब कोई अपने घर ही का प्रबन्ध करना न जानता हो, तो परमेश्वर की कलीसिया की रखवाली क्योंकर करेगा।” (१ तीमुथियुस ३:५) यदि उसके अपने सगे उसकी देखरेख की अधीनता में आने को तैयार नहीं थे, तो दूसरे कैसी प्रतिक्रिया दिखाते?
“जिन के लड़केबाले विश्वासी हों”
५, ६. (क) बच्चों के बारे में पौलुस ने तीतुस से कौन-सी माँग का उल्लेख किया? (ख) जिन प्राचीनों के बच्चे हैं उन से क्या अपेक्षा की जाती है?
५ क्रेते की कलीसियाओं में ओवरसियरों को नियुक्त करने के लिए तीतुस को निर्देशन देते समय, पौलुस ने माँग रखी: “जो निर्दोष और एक ही पत्नी के पति हों, जिन के लड़केबाले विश्वासी हों, और जिन्हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं। क्योंकि अध्यक्ष को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए।” इस माँग का आख़िर क्या अर्थ है, “जिन के लड़केबाले विश्वासी हों”?—तीतुस १:६, ७.
६ पद ‘विश्वासी लड़केबाले’ उन युवाओं को सूचित करता है जो यहोवा को अपना जीवन समर्पित कर चुके हैं और बपतिस्मा ले चुके हैं या उन युवजनों को जो समर्पण और बपतिस्मे की ओर प्रगति कर रहे हैं। कलीसिया के सदस्य अपेक्षा करते हैं कि प्राचीनों के बच्चे सामान्य रूप से सुशील और आज्ञाकारी हों। यह प्रत्यक्ष होना चाहिए कि प्राचीन अपने बच्चों में विश्वास बढ़ाने के लिए अपनी भरसक कोशिश कर रहा है। राजा सुलैमान ने लिखा: “लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिस में उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उस से न हटेगा।” (नीतिवचन २२:६) लेकिन तब क्या यदि एक युवा जिसने ऐसा प्रशिक्षण पाया है यहोवा की सेवा करने से इनकार कर देता है या यहाँ तक कि घोर कुकर्म करता है?
७. (क) यह क्यों प्रत्यक्ष है कि नीतिवचन २२:६ एक सुदृढ़ नियम नहीं व्यक्त करता? (ख) यदि एक प्राचीन का बच्चा यहोवा की सेवा करने का चुनाव नहीं करता, तो प्राचीन स्वतः अपने विशेषाधिकारों को क्यों नहीं खोता?
७ यह स्पष्ट है कि ऊपर-उद्धृत नीतिवचन कोई पक्का नियम नहीं बता रहा है। यह स्वतंत्र इच्छा के सिद्धान्त को रद्द नहीं करता। (व्यवस्थाविवरण ३०:१५, १६, १९) जब एक पुत्र या पुत्री ज़िम्मेदारी की उम्र पर पहुँचती है, तब समर्पण और बपतिस्मे के सम्बन्ध में उसे एक व्यक्तिगत निर्णय करना है। यदि प्राचीन ने ज़रूरी आध्यात्मिक मदद, मार्गदर्शन, और अनुशासन स्पष्ट रूप से दिया है, फिर भी युवा यहोवा की सेवा करने का चुनाव नहीं करता, तो पिता एक ओवरसियर के रूप में सेवा करने के लिए स्वतः अयोग्य नहीं हो जाता। दूसरी ओर, यदि एक प्राचीन के पास घर में रह रहे कई नाबालिग़ बच्चे हैं जो, एक के बाद एक, आध्यात्मिक रूप से बीमार हो जाते हैं और मुसीबत में पड़ जाते हैं, तो शायद उसे अब “अपने घर का अच्छा प्रबन्ध” करनेवाला न समझा जाए। (१ तीमुथियुस ३:४) बात यह है, यह प्रकट होना चाहिए कि ओवरसियर अपनी पूरी कोशिश कर रहा है कि उसके “लड़केबाले विश्वासी हों, और जिन्हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं।”a
“अविश्वासिनी पत्नी” से विवाहित
८. एक प्राचीन को अपनी अविश्वासिनी पत्नी के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए?
८ अविश्वासिनों से विवाहित मसीही पुरुषों के बारे में, पौलुस ने लिखा: “यदि किसी भाई की पत्नी अविश्वासिनी हो और उसके साथ रहने को सहमत हो, तो वह उसे न त्यागे . . . क्योंकि . . . अविश्वासिनी पत्नी अपने विश्वासी पति के कारण पवित्र ठहरती है, अन्यथा तुम्हारे बाल-बच्चे अशुद्ध होते, परन्तु अब तो वे पवित्र हैं। क्योंकि, . . . हे पति, तू [क्या जानता है] कि तू अपनी पत्नी का उद्धार करा लेगा?” (१ कुरिन्थियों ७:१२-१४, १६, NHT) यहाँ शब्द “अविश्वासिनी” उस पत्नी को सूचित नहीं करता जिसका कोई धार्मिक विश्वास न हो परन्तु उसे जो यहोवा को समर्पित नहीं। वह एक यहूदी हो सकती थी, या विधर्मी ईश्वरों में विश्वास करनेवाली। आज, एक प्राचीन शायद एक ऐसी स्त्री से विवाहित हो जो एक अलग धर्म का पालन करती है, अज्ञेयवादी है, या हो सकता है कि नास्तिक है। यदि वह स्त्री उसके साथ रहने के लिए तैयार है, तो प्राचीन को उसे मात्र अलग-अलग विश्वासों के कारण नहीं छोड़ना चाहिए। उसे अब भी चाहिए कि ‘बुद्धिमानी से पत्नी के साथ जीवन निर्वाह करे और स्त्री को निर्बल पात्र जानकर उसका आदर करे,’ उसे बचाने की आशा में जीए।—१ पतरस ३:७; कुलुस्सियों ३:१९.
९. उन देशों में जहाँ कानून पति-पत्नी दोनों को यह अधिकार देता है कि अपने बच्चों को अपने अपने धार्मिक विश्वासों से परिचित कराएँ, एक प्राचीन को कैसे कार्य करना चाहिए, और यह उसके विशेषाधिकारों को कैसे प्रभावित करेगा?
९ यदि एक ओवरसियर के बच्चे हैं, तो “प्रभु की शिक्षा और अनुशासन में” उनका पालन-पोषण करने में वह उचित पतिवत् और पितृवत् मुखियापन चलाएगा। (इफिसियों ६:४, NHT) अनेक देशों में कानून दोनों विवाह-साथियों को अधिकार देता है कि अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा दें। ऐसी परिस्थिति में पत्नी शायद बच्चों को अपने धार्मिक विश्वासों और अभ्यासों से परिचित कराने के अपने अधिकार का प्रयोग करने की माँग करे, जिसमें उन्हें अपने गिरजे ले जाना सम्मिलित हो सकता है।b निःसंदेह, झूठे धार्मिक अनुष्ठानों में भाग न लेने के बारे में बच्चों को अपने बाइबल-प्रशिक्षित अंतःकरण के अनुसार चलना चाहिए। परिवार के सिर के रूप में, पिता अपने बच्चों के साथ अध्ययन करने और जब संभव हो उन्हें राज्यगृह में सभाओं में ले जाने के स्वयं अपने अधिकार का प्रयोग करेगा। जब वे उस उम्र के हो जाते हैं कि अपने निर्णय कर सकें, तब वे अपना निर्णय स्वयं कर लेंगे कि वे किस मार्ग पर जाएँगे। (यहोशू २४:१५) यदि उसके संगी प्राचीन और कलीसिया के सदस्य यह देख सकते हैं कि सत्य के मार्ग में उचित रूप से अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए कानून उसे जितनी अनुमति देता है उसके हिसाब से वह अपनी भरसक कोशिश कर रहा है, तो वह एक ओवरसियर के रूप में अयोग्य नहीं होगा।
‘अपने घर का अच्छा प्रबन्ध करना’
१०. यदि एक गृहस्थीवाला पुरुष प्राचीन है, तो उसका पहला कर्तव्य क्या है?
१० उस प्राचीन के लिए भी जो एक पिता है और जिसकी पत्नी संगी मसीही है, अपने समय और ध्यान को अपनी पत्नी, बच्चों, और कलीसिया ज़िम्मेदारियों के बीच ठीक-से बाँटना कोई आसान काम नहीं है। शास्त्र काफ़ी स्पष्ट है कि एक मसीही पिता की एक बाध्यता है अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल करना। पौलुस ने लिखा: “यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिन्ता [“देखभाल,” NHT] न करे, तो वह विश्वास से मुकर गया है, और अविश्वासी से भी बुरा बन गया है।” (१ तीमुथियुस ५:८) उसी पत्री में, पौलुस ने कहा कि ओवरसियरों के रूप में सेवा करने के लिए केवल उन विवाहित पुरुषों की सिफ़ारिश की जानी चाहिए जो दिखा चुके हैं कि वे अच्छे पति और पिता हैं।—१ तीमुथियुस ३:१-५.
११. (क) किन तरीक़ों से एक प्राचीन को ‘अपनों की देखभाल’ करनी चाहिए? (ख) यह एक प्राचीन को अपनी कलीसिया ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में कैसे मदद दे सकता है?
११ एक प्राचीन को न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक और भावात्मक रूप से भी अपनों की “देखभाल” करनी चाहिए। बुद्धिमान राजा सुलैमान ने लिखा: “अपना बाहर का कामकाज ठीक करना, और खेत में उसे तैयार कर लेना; उसके बाद अपना घर बनाना।” (नीतिवचन २४:२७) सो अपनी पत्नी और बच्चों की भौतिक, भावात्मक, और मनोरंजन की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ-साथ, एक ओवरसियर को उन्हें आध्यात्मिक रूप से भी मज़बूत करना चाहिए। इसमें समय लगता है—समय जो वह कलीसिया मामलों में लगाने में समर्थ नहीं होगा। लेकिन यह वह समय है जिसका पारिवारिक सुख और आध्यात्मिकता के रूप में भरपूर प्रतिफल मिल सकता है। आगे चलकर, यदि उसका परिवार आध्यात्मिक रूप से मज़बूत है, तो प्राचीन को पारिवारिक समस्याओं से निपटने में शायद अधिक समय बिताने की ज़रूरत न हो। इससे कलीसिया मामलों की देखरेख करने के लिए उसके पास अधिक समय होगा। एक अच्छे पति और एक अच्छे पिता के रूप में उसका उदाहरण कलीसिया के आध्यात्मिक लाभ के लिए होगा।—१ पतरस ५:१-३.
१२. कौन-सी पारिवारिक बात में उन पिताओं को जो प्राचीन हैं, एक उत्तम उदाहरण रखना चाहिए?
१२ घर का अच्छा प्रबन्ध करने में पारिवारिक अध्ययन चलाने के लिए समय नियोजित करना सम्मिलित है। यह ख़ासकर महत्त्वपूर्ण है कि प्राचीन इस सम्बन्ध में एक अच्छा उदाहरण रखें, क्योंकि मज़बूत परिवारों से मज़बूत कलीसियाएँ बनती हैं। सेवा के अन्य विशेषाधिकारों में नियमित रूप से एक ओवरसियर का इतना समय नहीं बीतना चाहिए कि उसके पास अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अध्ययन करने के लिए कोई समय न हो। यदि ऐसा रहा है, तो उसे अपनी सारणी की फिर से जाँच करनी चाहिए। उसे शायद वह समय फिर से नियत करना या घटाना पड़े जो वह अन्य बातों में लगाता है, हो सकता है कि कभी-कभी कुछ विशेषाधिकारों से भी इनकार करना पड़े।
संतुलित देखरेख
१३, १४. “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने ऐसे गृहस्थीवाले पुरुषों को क्या सलाह दी है जो प्राचीन हैं?
१३ पारिवारिक और कलीसिया ज़िम्मेदारियों को संतुलित करने की सलाह नयी नहीं है। सालों से “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” प्राचीनों को इस विषय पर सलाह देता रहा है। (मत्ती २४:४५) सैंतीस साल से भी पहले, सितम्बर १५, १९५९ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ ५५३ और ५५४ पर सलाह दी गयी: “सचमुच, क्या कुल मिलाकर यह हमारे समय से की गयी इन सब माँगों को संतुलित करने की बात नहीं है? इस संतुलन में अपने परिवार के हितों पर उचित ज़ोर दीजिए। निश्चित ही यहोवा परमेश्वर एक पुरुष से अपेक्षा नहीं करता कि वह अपना सारा समय कलीसिया गतिविधि में, अपने भाइयों और पड़ोसियों को उद्धार पाने में मदद देने के लिए प्रयोग करे, और फिर भी स्वयं अपने घराने के उद्धार की चिन्ता न करे। एक पुरुष की पत्नी और बच्चे एक मुख्य ज़िम्मेदारी हैं।”
१४ नवम्बर १, १९८६ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ २२ पर सलाह दी गयी: “एक परिवार के रूप में क्षेत्र सेवा में भाग लेना आपको और निकट लाएगा, लेकिन बच्चों की अनोखी ज़रूरतें आपके निजी समय और भावात्मक शक्ति लगाने की माँग करती हैं। इसलिए, यह निर्धारित करने के लिए कि आप कलीसिया कार्यों में कितना समय प्रयोग कर सकते हैं जिस बीच आप ‘अपनों की’ आध्यात्मिक, भावात्मक, और भौतिक रूप से देखरेख भी करते हैं, संतुलन की ज़रूरत है। एक मसीही को ‘पहिले अपने ही घराने के साथ भक्ति का बर्ताव करना सीखना’ चाहिए। (१ तीमुथियुस ५:४, ८)”
१५. पत्नी और बच्चोंवाले प्राचीन को बुद्धि और समझ की ज़रूरत क्यों है?
१५ एक शास्त्रीय नीतिवचन कहता है: “घर बुद्धि से बनता है, और समझ के द्वारा स्थिर होता है।” (नीतिवचन २४:३) जी हाँ, यदि एक ओवरसियर को अपने ईश्वरशासित कर्तव्यों को पूरा करना है और साथ ही अपने घराने को मज़बूत करना है, तो अति निश्चित रूप से उसे बुद्धि और समझ की ज़रूरत है। शास्त्रीय रूप से, उसके पास देखरेख के एक से अधिक क्षेत्र हैं। इसमें उसका परिवार और उसकी कलीसिया ज़िम्मेदारियाँ सम्मिलित हैं। उसे इनके बीच संतुलन करने के लिए समझ की ज़रूरत है। (फिलिप्पियों १:९, १०) उसे अपनी प्राथमिकताएँ स्थापित करने के लिए बुद्धि की ज़रूरत है। (नीतिवचन २:१०, ११) वह अपने कलीसिया विशेषाधिकारों को संभालने के लिए चाहे कितना ही ज़िम्मेदार महसूस करता है, उसे समझना चाहिए कि एक पति और पिता के रूप में, उसकी मुख्य परमेश्वर-प्रदत्त ज़िम्मेदारी है अपने परिवार की देखभाल और उद्धार।
अच्छे पिता साथ ही अच्छे प्राचीन
१६. यदि एक प्राचीन पिता भी है तो उसे क्या लाभ है?
१६ जिस प्राचीन के बच्चे सुशील हैं वह एक असल सम्पत्ति हो सकता है। यदि उसने अपने परिवार की अच्छी देखभाल करना सीख लिया है, तो वह कलीसिया में अन्य परिवारों को मदद देने की स्थिति में है। वह उनकी समस्याओं को ज़्यादा अच्छी तरह से समझता है और ऐसी सलाह दे सकता है जो स्वयं उसके अनुभव को प्रकट करती है। ख़ुशी की बात है कि संसार-भर में हज़ारों प्राचीन पतियों, पिताओं, और ओवरसियरों के रूप में अच्छा कार्य कर रहे हैं।
१७. (क) उस पुरुष को जो पिता और प्राचीन दोनों है, कभी-भी क्या नहीं भूलना चाहिए? (ख) कलीसिया के अन्य सदस्यों को समानुभूति कैसे दिखानी चाहिए?
१७ यदि एक गृहस्थीवाले पुरुष को प्राचीन होना है, तो उसे एक प्रौढ़ मसीही होना चाहिए जो अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल करने के साथ-साथ, अपने कार्यों को इस प्रकार व्यवस्थित कर सकता है कि कलीसिया में दूसरों को समय और ध्यान देने में समर्थ हो। उसे कभी नहीं भूलना चाहिए कि उसका रखवाली कार्य घर से शुरू होता है। यह जानते हुए कि पत्नी और बच्चोंवाले प्राचीनों के पास दोनों, अपने परिवार और अपने कलीसिया कर्तव्यों की ज़िम्मेदारी है, कलीसिया के सदस्य कोशिश करेंगे कि उनके समय की अनुचित माँग न करें। उदाहरण के लिए, एक प्राचीन जिसके बच्चे हैं जिन्हें अगली सुबह स्कूल जाना है, शायद हमेशा शाम की सभाओं के बाद कुछ समय तक रुकने में समर्थ न हो। कलीसिया के अन्य सदस्यों को यह बात समझनी चाहिए और सहानुभूति दिखानी चाहिए।—फिलिप्पियों ४:५.
अपने प्राचीन हमें प्रिय होने चाहिए
१८, १९. (क) पहला कुरिन्थियों अध्याय ७ की हमारी जाँच ने हमें क्या समझने में समर्थ किया है? (ख) हमें ऐसे मसीही पुरुषों को किस तरह देखना चाहिए?
१८ कुरिन्थियों को पौलुस की पहली पत्री के अध्याय ७ की अपनी जाँच से हम यह देखने में समर्थ हुए हैं कि, पौलुस की सलाह को मानकर, ऐसे अनेक अविवाहित पुरुष हैं जो अपनी स्वतंत्रता को राज्य हितों को बढ़ाने के लिए प्रयोग कर रहे हैं। ऐसे भी हज़ारों निःसंतान विवाहित भाई हैं जो अपनी पत्नियों को उचित ध्यान देने के साथ-साथ, अपनी पत्नियों के सराहनीय सहयोग के साथ ज़िलों, सर्किटों, कलीसियाओं, और वॉच टावर की शाखाओं में उत्तम ओवरसियरों के रूप में सेवा कर रहे हैं। अंततः, यहोवा के लोगों की लगभग ८०,००० कलीसियाओं में अनेक पिता हैं जो न केवल अपनी पत्नियों और बच्चों की प्रेममय परवाह करते हैं बल्कि परवाह करनेवाले चरवाहों के रूप में अपने भाइयों की सेवा करने के लिए भी समय निकालते हैं।—प्रेरितों २०:२८.
१९ प्रेरित पौलुस ने लिखा: “जो प्राचीन अच्छा प्रबन्ध करते हैं, विशेष करके वे जो वचन सुनाने और सिखाने में परिश्रम करते हैं, दो गुने आदर के योग्य समझे जाएं।” (१ तीमुथियुस ५:१७) जी हाँ, जो प्राचीन अपने घरों में और कलीसिया में अच्छा प्रबन्ध करते हैं वे हमारे प्रेम और आदर के योग्य हैं। हमें सचमुच “ऐसों का आदर” करना चाहिए।—फिलिप्पियों २:२९.
[फुटनोट]
a फरवरी १, १९७८ की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ ३१-२ देखिए।
b दिसम्बर १, १९६० की प्रहरीदुर्ग (अंग्रेज़ी) के पृष्ठ ७३५-६ देखिए।
पुनर्विचार के रूप में
◻ हम कैसे जानते हैं कि सा.यु. प्रथम शताब्दी में अनेक प्राचीन गृहस्थीवाले पुरुष थे?
◻ बाल-बच्चेदार विवाहित प्राचीनों से क्या माँग की जाती है, और क्यों?
◻ ‘विश्वासी लड़केबाले’ होने का क्या अर्थ है, लेकिन यदि एक प्राचीन का बच्चा यहोवा की सेवा करने का चुनाव नहीं करता तब क्या?
◻ किन-किन बातों में एक प्राचीन को ‘अपनों की देखभाल’ करनी चाहिए?
[पेज 23 पर तसवीरें]
मज़बूत परिवारों से मज़बूत कलीसियाएँ बनती हैं