-
सच्ची ख़ुशी कहाँ मिल सकती है?प्रहरीदुर्ग—1997 | मार्च 15
-
-
अपने पहाड़ी उपदेश में, यीशु मसीह ने कहा: “ख़ुश हैं वे जो अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है।” (मत्ती ५:३, NW) यीशु ने ऐसा भी कहा: “चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आप को बचाए रखो: क्योंकि किसी का जीवन उस की संपत्ति की बहुतायात से नहीं होता।”—लूका १२:१५.
-
-
सच्ची ख़ुशी कहाँ मिल सकती है?प्रहरीदुर्ग—1997 | मार्च 15
-
-
अन्य लोग ख़ुशी की तलाश में अपना स्वाभिमान बढ़ाने की कोशिश करते हुए, अन्दर की ओर उन्मुख हो जाते हैं। पुस्तकालय और किताबों की दुकानें ‘सॆल्फ-हॆल्प’ किताबों से भरी पड़ी हैं, लेकिन ऐसे प्रकाशन लोगों को स्थायी ख़ुशी नहीं ला सके हैं। तो फिर, हमें सच्ची ख़ुशी कहाँ मिल सकती है?
सचमुच ख़ुश होने के लिए, हमें अपनी जन्मजात आत्मिक ज़रूरत को पहचानना होगा। यीशु ने कहा: “ख़ुश हैं वे जो अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत हैं।” निःसन्देह, यदि हम इस ज़रूरत को समझते हैं लेकिन इसके बारे में कुछ करते नहीं हैं, तो कोई लाभ नहीं होगा। उदाहरण के लिए: उस मैराथन धावक का क्या होगा, जिसने दौड़ के बाद पानी के लिए अपने शरीर की तलब के प्रति अनुक्रिया नहीं दिखाई? क्या वह जल्दी ही पानी की कमी और अन्य गम्भीर परिणामों का सामना नहीं करेगा? इसी प्रकार, यदि हम आध्यात्मिक पोषण के लिए अपनी ज़रूरत की ओर प्रतिक्रिया दिखाने में असफल होते हैं, तो हम अंततः आध्यात्मिक रूप से कुम्हला जाएँगे। इसका परिणाम होगा आनन्द और ख़ुशी को खोना।
-