अध्याय 2
परमेश्वर के इंतज़ाम में मसीह की भूमिका समझना और उसे कबूल करना
“शुरूआत में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की।” उसने जो कुछ बनाया वह “बहुत बढ़िया” था। (उत्प. 1:1, 31) यहोवा ने जब इंसान को बनाया तो उनके सामने एक शानदार भविष्य रखा। लेकिन अदन के बाग में हुई बगावत की वजह से इंसान की खुशहाली में कुछ वक्त के लिए रुकावट आ गयी। फिर भी, यहोवा ने धरती और इंसान के लिए अपना मकसद नहीं बदला। परमेश्वर ने बताया कि आदम की संतानों में से जो लोग परमेश्वर की आज्ञा मानेंगे, वह उन्हें छुटकारा दिलाने का इंतज़ाम करेगा। वह दुष्ट शैतान को और उसके सभी बुरे कामों को नष्ट कर देगा। फिर सभी इंसान सच्चे परमेश्वर की उपासना करेंगे। (उत्प. 3:15) एक बार फिर सबकुछ “बहुत बढ़िया” हो जाएगा। यहोवा यह सब अपने बेटे यीशु मसीह के ज़रिए करेगा। (1 यूह. 3:8) इस वजह से यह ज़रूरी है कि हम परमेश्वर के इंतज़ाम में मसीह की भूमिका को समझें और उसे कबूल करें।—प्रेषि. 4:12; फिलि. 2:9, 11.
मसीह की क्या भूमिका है?
2 जब हम परमेश्वर के इंतज़ाम में मसीह की भूमिका के बारे में सोचते हैं, तो समझ पाते हैं कि उसकी भूमिका के कई पहलू हैं। यीशु इंसानों का छुड़ानेवाला, महायाजक, मसीही मंडली का मुखिया और आज परमेश्वर के राज का राजा है। जब हम उसकी इन भूमिकाओं पर मनन करते हैं, तो परमेश्वर के इंतज़ाम के लिए हमारी कदर बढ़ जाती है और मसीह यीशु के लिए हमारा प्यार भी बढ़ने लगता है। बाइबल मसीह की अलग-अलग भूमिकाओं के बारे में कुछ जानकारी देती है।
यीशु इंसानों के लिए यहोवा का मकसद पूरा करने में एक अहम भूमिका निभाता है
3 जब मसीह ने धरती पर रहकर परमेश्वर की सेवा की, तो उस दौरान यह ज़ाहिर हो गया कि सिर्फ उसी के ज़रिए आज्ञा माननेवाले इंसान परमेश्वर के साथ दोबारा रिश्ता कायम कर सकते हैं। (यूह. 14:6) सभी इंसानों का छुड़ानेवाला होने के नाते यीशु ने बहुतों की फिरौती के लिए अपनी जान दे दी। (मत्ती 20:28) यीशु सिर्फ एक अच्छी मिसाल नहीं है मगर यहोवा का मकसद पूरा करने में एक अहम भूमिका भी निभाता है। हम सिर्फ उसी के ज़रिए दोबारा परमेश्वर की मंज़ूरी पा सकते हैं। (प्रेषि. 5:31; 2 कुरिं. 5:18, 19) यीशु के बलिदान और उसके दोबारा ज़िंदा होने से आज्ञा माननेवाले इंसानों को बहुत बढ़िया मौका मिला है। वे परमेश्वर के राज में ऐसी आशीषें पाने की आस लगा सकते हैं जो हमेशा कायम रहेंगी।
4 महायाजक होने के नाते यीशु “हमारी कमज़ोरियों में हमसे हमदर्दी” रखता है। साथ ही, वह अपने वफादार चेलों की खातिर यहोवा से बिनती करता है कि उनके पाप माफ किए जाएँ। प्रेषित पौलुस ने समझाया, “हमारा महायाजक ऐसा नहीं जो हमारी कमज़ोरियों में हमसे हमदर्दी न रख सके। मगर वह ऐसा है जो हमारी तरह सब बातों में परखा गया, फिर भी वह निष्पाप निकला।” इसके बाद पौलुस ने यीशु पर विश्वास करनेवालों को बढ़ावा दिया कि वे परमेश्वर के इंतज़ाम का पूरा फायदा उठाएँ और उससे सुलह करें। उसने कहा, “आओ हम परमेश्वर की महा-कृपा की राजगद्दी के सामने बेझिझक बोलने की हिम्मत के साथ जाएँ ताकि हम सही वक्त पर मदद पाने के लिए उसकी दया और महा-कृपा पा सकें।”—इब्रा. 4:14-16; 1 यूह. 2:2.
5 यीशु, मसीही मंडली का मुखिया भी है। जैसे पहली सदी में चेलों को किसी इंसानी अगुवे या नेता की ज़रूरत नहीं थी, वैसे हमें भी ज़रूरत नहीं है। आज भी यीशु पवित्र शक्ति और अपने अधीन काम करनेवाले काबिल चरवाहों के ज़रिए हमें हिदायतें देता है। ये चरवाहे परमेश्वर के झुंड की देखभाल करते हैं और परमेश्वर और यीशु को हिसाब देते हैं। (इब्रा. 13:17; 1 पत. 5:2, 3) यहोवा ने यीशु के बारे में यह भविष्यवाणी की, “देखो, मैंने उसे राष्ट्रों के लिए गवाह ठहराया है, राष्ट्रों के लिए उसे अगुवा और शासक बनाया है।” (यशा. 55:4) यह भविष्यवाणी तब पूरी हुई जब यीशु ने अपने चेलों से कहा, ‘तुम “नेता” न कहलाना क्योंकि तुम्हारा एक ही नेता या अगुवा है, मसीह।’—मत्ती 23:10.
6 यीशु हमें यह न्यौता देता है: “हे कड़ी मज़दूरी करनेवालो और बोझ से दबे लोगो, तुम सब मेरे पास आओ, मैं तुम्हें तरो-ताज़ा करूँगा। मेरा जुआ उठाओ और मुझसे सीखो क्योंकि मैं कोमल स्वभाव का और दिल से दीन हूँ और तुम ताज़गी पाओगे। इसलिए कि मेरा जुआ उठाना आसान है और मेरा बोझ हलका है।” (मत्ती 11:28-30) इस न्यौते से पता चलता है कि यीशु की सोच और उसका नज़रिया कैसा है और वह हमारी मदद करने के लिए कितना बेताब है। यीशु, मसीही मंडली के साथ कोमलता से पेश आता है। वह इस तरह मंडली को हिदायतें देता है और उसकी देखभाल करता है जिससे सभी को ताज़गी मिलती है। इस तरह उसने साबित किया है कि वह अपने पिता यहोवा की तरह एक “अच्छा चरवाहा” है।—यूह. 10:11; यशा. 40:11.
7 पौलुस ने कुरिंथ मंडली को लिखी अपनी पहली चिट्ठी में मसीह की एक और भूमिका के बारे में बताया। उसने कहा, “उसका तब तक राजा बनकर राज करना ज़रूरी है जब तक कि परमेश्वर सारे दुश्मनों को उसके पैरों तले नहीं कर देता। मगर जब सबकुछ बेटे के अधीन कर दिया जाएगा, तब बेटा भी अपने आपको परमेश्वर के अधीन कर देगा जिसने सबकुछ उसके अधीन किया था ताकि परमेश्वर ही सबके लिए सबकुछ हो।” (1 कुरिं. 15:25, 28) यीशु परमेश्वर की सबसे पहली सृष्टि है और धरती पर आने से पहले वह परमेश्वर का “कुशल कारीगर” था। (नीति. 8:22-31) जब परमेश्वर ने यीशु को धरती पर भेजा, तो यहाँ भी उसने हर वक्त परमेश्वर की मरज़ी पूरी की। वह सबसे बड़ी परीक्षा से गुज़रा और आखिरी साँस तक अपने पिता का वफादार रहा। (यूह. 4:34; 15:10) परमेश्वर ने अपने बेटे को उसकी वफादारी का बढ़िया इनाम दिया। उसे ज़िंदा करके स्वर्ग में जीवन दिया और स्वर्ग के राज का राजा बनने का अधिकार दिया। (प्रेषि. 2:32-36) मसीह यीशु को परमेश्वर से एक बहुत ही शानदार और महान ज़िम्मेदारी मिली है। वह धरती से इंसानी हुकूमत हटाने और बुराई को जड़ से मिटाने के लिए लाखों शक्तिशाली स्वर्गदूतों की अगुवाई करेगा। (नीति. 2:21, 22; 2 थिस्स. 1:6-9; प्रका. 19:11-21; 20:1-3) इसके बाद पूरी धरती पर सिर्फ परमेश्वर का राज होगा, जिसे मसीह स्वर्ग से चलाएगा।—प्रका. 11:15.
यीशु की भूमिका समझने और उसे कबूल करने का मतलब क्या है?
8 हमारा आदर्श यीशु मसीह परिपूर्ण है, उसमें कोई कमी नहीं। उसे हमारी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी दी गयी है। वह यह ज़िम्मेदारी बड़े प्यार से निभाता है और हमारी हर ज़रूरत का खयाल रखता है। अगर हम इससे फायदा पाना चाहते हैं, तो हमें यहोवा के वफादार रहना होगा और उसके संगठन के साथ कदम-से-कदम मिलाकर चलना होगा।
9 पहली सदी में चेलों ने परमेश्वर के इंतज़ाम में मसीह की भूमिका को अच्छी तरह समझा और कबूल किया। इस वजह से उन्होंने अपने मुखिया मसीह के अधीन रहकर काम किया। उन्होंने वे सभी हिदायतें मानीं जो यीशु ने पवित्र शक्ति के ज़रिए दी थीं और एक होकर काम किया। (प्रेषि. 15:12-21) प्रेषित पौलुस ने अभिषिक्त मसीहियों की मंडली की एकता के बारे में लिखा, “आओ हम सच बोलें और सब बातों में प्यार से मसीह में बढ़ते जाएँ जो हमारा सिर है। मसीह से शरीर के सारे अंग आपस में जुड़े हुए हैं और ज़रूरी काम करनेवाले हर जोड़ के ज़रिए एक-दूसरे को सहयोग देते हैं। जब शरीर का हर अंग सही तरीके से काम करता है तो इससे शरीर बढ़ता जाता है और प्यार में मज़बूत होता जाता है।”—इफि. 4:15, 16.
10 जब मंडली में सभी लोग एक-दूसरे को सहयोग देते हैं, अपने मुखिया मसीह के अधीन रहते हैं और एक होकर काम करते हैं, तो मंडली तरक्की करती है और सबके बीच प्यार होता है, जो “पूरी तरह से एकता में जोड़नेवाला जोड़ है।”—यूह. 10:16; कुलु. 3:14; 1 कुरिं. 12:14-26.
11 आज दुनिया में होनेवाली घटनाओं से बाइबल की भविष्यवाणियाँ पूरी हो रही हैं। इससे साफ पता चलता है कि 1914 में यीशु मसीह को राज करने का अधिकार सौंपा गया था। अब वह अपने दुश्मनों के बीच राज कर रहा है। (भज. 2:1-12; 110:1, 2) यह बात आज धरती पर जीनेवालों के लिए क्यों मायने रखती है? बहुत जल्द यीशु, परमेश्वर के हुक्म पर अपने दुश्मनों को सज़ा देगा, जिससे यह साबित हो जाएगा कि यीशु राजाओं का राजा और प्रभुओं का प्रभु है। (प्रका. 11:15; 12:10; 19:16) उस वक्त यहोवा उन लोगों को छुटकारा दिलाएगा जो मसीह के दायीं तरफ हैं और जिन पर उसकी मंज़ूरी है। इस तरह यहोवा ने अदन में हुई बगावत के वक्त छुटकारे का जो वादा किया था, उसे पूरा करेगा। (मत्ती 25:34) हम कितने खुश हैं कि हमने परमेश्वर के इंतज़ाम में मसीह की भूमिका समझी और उसे कबूल किया है! इन आखिरी दिनों में, आइए हम मसीह की आज्ञा मानें और एकता से यहोवा की सेवा करते रहें।