परमेश्वर के प्रेरित वचन का निष्ठापूर्वक समर्थन करना
“हम ने लज्जा के गुप्त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं।” —२ कुरिन्थियों ४:२.
१. (क) मत्ती २४:१४ और २८:१९, २० में दिए गए काम को पूरा करने के लिए किस बात की ज़रूरत रही है? (ख) जब अंतिम दिनों की शुरुआत हुई तो लोगों की भाषाओं में किस हद तक बाइबल उपलब्ध थी?
अपनी शाही उपस्थिति के समय के और पुरानी रीति-व्यवस्था की समाप्ति के बारे में अपनी महान भविष्यवाणी में, यीशु मसीह ने पूर्वबताया: “राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।” साथ ही उसने अपने अनुयायियों को निर्देश दिया: “जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ . . . और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।” (मत्ती २४:१४; २८:१९, २०) इन भविष्यवाणियों की पूर्ति में बाइबल का अनुवाद और मुद्रण करने में, लोगों को उसका अर्थ सिखाने में, और उसे उनकी ज़िंदगी में अमल में लाने के लिए उनकी मदद करने में बहुत सारा काम शामिल करता है। ऐसी गतिविधि में भाग लेना क्या ही एक विशेषाधिकार है! १९१४ तक बाइबल या उसका कुछ भाग ५७० भाषाओं में प्रकाशित किया जा चुका था। लेकिन तब से सैकड़ों अधिक भाषाओं और कई बोलियों को जोड़ा गया है, और कई भाषाओं में तो एक से ज़्यादा मुहैया उपलब्ध कराए गए हैं।a
२. किस-किस प्रकार की नीयत ने बाइबल अनुवादकों और प्रकाशकों के कार्य को प्रभावित किया है?
२ किसी भी अनुवादक के लिए यह एक चुनौती है कि एक भाषा में सामग्री को लेकर उन लोगों के लिए समझनेयोग्य बनाए जो दूसरी भाषा पढ़ते और सुनते हैं। कुछ बाइबल अनुवादकों ने अपना काम यह अच्छी तरह जानते हुए किया है कि जो वे अनुवाद कर रहे थे वह परमेश्वर का वचन था। अन्य अनुवादक तो इस परियोजना की शैक्षिक चुनौती से आकर्षित हुए हैं। शायद उन्होंने बाइबल के विषयवस्तु को महज़ मूल्यवान सांस्कृतिक विरासत समझा हो। कुछ लोगों के लिए तो, धर्म उनका व्यापार है, और एक ऐसी पुस्तक प्रकाशित करना जिसमें एक अनुवादक या प्रकाशक के रूप में उनका नाम है, जीविका कमाने का एक भाग है। लाज़िमी है कि उनकी नीयत इस बात को प्रभावित करती है कि वे अपना काम कैसे करते हैं।
३. नया संसार बाइबल अनुवाद समिति ने अपने काम को किस नज़र से देखा?
३ नया संसार बाइबल अनुवाद समिति द्वारा किया गया यह कथन उल्लेखनीय है: “पवित्र शास्त्र का अनुवाद करने का अर्थ है यहोवा परमेश्वर के विचारों और बातों का दूसरी भाषा में अनुवाद करना . . . यह एक बहुत ही गंभीर विचार है। इस रचना के अनुवादक, जो इस पवित्र शास्त्र के ईश्वरीय लेखक का भय मानते और उससे प्रेम करते हैं, उसके प्रति एक ख़ास ज़िम्मेदारी महसूस करते हैं कि जितना संभव हो सके उतना वे उसके विचारों और घोषणाओं को यथार्थतापूर्वक संचारित करें। वे छानबीन करनेवाले पाठकों के प्रति भी एक ज़िम्मेदारी महसूस करते हैं जो अपने अनंत उद्धार के लिए परमप्रधान परमेश्वर के उत्प्रेरित वचन के अनुवाद पर निर्भर करते हैं। एक ऐसी ही गंभीर ज़िम्मेदारी की भावना के साथ, कई सालों के दरमियान समर्पित लोगों की इस समिति ने पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद बनाया है।” समिति का लक्ष्य था कि बाइबल का एक ऐसा अनुवाद उपलब्ध हो जो स्पष्ट और समझनेयोग्य हो और मूल इब्रानी और यूनानी से इतनी नज़दीकी से जुड़ा हो कि यह यथार्थ ज्ञान में लगातार हो रही उन्नति के लिए एक नींव प्रदान करे।
परमेश्वर के नाम को क्या हो गया है?
४. बाइबल में परमेश्वर का नाम कितना महत्त्वपूर्ण है?
४ बाइबल का एक प्रमुख उद्देश्य है सच्चे परमेश्वर को जानने में लोगों की मदद करना। (निर्गमन २०:२-७; ३४:१-७; यशायाह ५२:६) यीशु मसीह ने अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखाया कि उसके पिता का नाम “पवित्र माना जाए,” पावन समझा जाए, या पूज्य माना जाए। (मत्ती ६:९) परमेश्वर ने अपना व्यक्तिगत नाम बाइबल में ७,००० से भी ज़्यादा बार इस्तेमाल किया। वह चाहता है कि लोग उसका नाम और उस नाम को धारण करनेवाले के गुणों को जानें।—मलाकी १:११.
५. विविध अनुवादकों ने ईश्वरीय नाम को कैसे प्रस्तुत किया है?
५ अनेक बाइबल अनुवादकों ने ईश्वरीय नाम के लिए निष्कपट आदर दिखाया है और उसे अपने काम में बार-बार इस्तेमाल किया है। कुछ अनुवादकों को याहवेह पसंद है। दूसरों ने ईश्वरीय नाम का एक ऐसा रूप चुना है जो उनकी अपनी भाषा का है, पर फिर भी इब्रानी पाठ में जो मिलता है उसके साथ स्पष्ट रूप से पहचाना जाता है, संभवतः एक ऐसा रूप जो काफ़ी समय से इस्तेमाल के द्वारा विख्यात है। पवित्र शास्त्र का नया संसार अनुवाद अपने मुख्य पाठ में यहोवा को ७,२१० बार इस्तेमाल करता है।
६. (क) हाल के वर्षों में, ईश्वरीय नाम के उल्लेखों के बारे में अनुवादकों ने क्या किया है? (ख) यह अभ्यास कितना व्यापक है?
६ हाल के वर्षों में, हालाँकि बाइबल अनुवादक बाल और मोलेक जैसे विधर्मी देवताओं का नाम रहने देते हैं, बढ़ती हुई रफ़्तार से वे सच्चे परमेश्वर का व्यक्तिगत नाम उसके उत्प्रेरित वचन के अनुवादों में से निकाल रहे हैं। (निर्गमन ३:१५; यिर्मयाह ३२:२५) मत्ती ६:९ और यूहन्ना १७:६, २६ जैसे परिच्छेदों में, व्यापक रूप से वितरित अल्बेनियाई वर्शन यूनानी अभिव्यक्ति “तेरे नाम” (अर्थात्, परमेश्वर का नाम) का अनुवाद केवल “तू” करता है, मानो वे पाठ किसी नाम का कोई भी ज़िक्र नहीं करते। भजन ८३:१८ में द न्यू इंग्लिश बाइबल और टुडेज़ इंग्लिश वर्शन परमेश्वर का व्यक्तिगत नाम और इस तथ्य का हर उल्लेख निकाल देते हैं कि परमेश्वर का एक नाम है। हालाँकि यह ईश्वरीय नाम इब्रानी शास्त्र के पुराने अनुवादों की अधिकांश भाषाओं में आया था, नए-नए अनुवाद अकसर उसे निकाल देते हैं या तो हाशिए में उसका केवल ज़िक्र करते हैं। यही बात अंग्रेज़ी, साथ ही यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण अमरीका, भारत, और प्रशान्त महासागर के द्वीपों की भाषाओं के बारे में भी सच है।
७. (क) अफ्रीकी बाइबलों के अनुवादक ईश्वरीय नाम के साथ कैसा व्यवहार कर रहे हैं? (ख) इसके बारे में आपको क्या लगता है?
७ अफ्रीकी भाषा के बाइबल के अनुवादक तो एक क़दम और आगे जा रहे हैं। ईश्वरीय नाम के स्थान पर केवल एक शास्त्रीय उपाधि, जैसे परमेश्वर या प्रभु रखने के बजाय, वे स्थानीय धार्मिक विश्वासों से लिए गए नामों को शामिल कर रहे हैं। ज़ूलू में नया नियम और भजन (१९८६ वर्शन) में, उपाधि परमेश्वर (उंकूलूंकूलू) को एक ऐसे व्यक्तिगत नाम (म्वेलिंगाँगी) से अन्तर्बदल करके इस्तेमाल किया गया जिसे ज़ूलू लोग ‘उस परमपूर्वज’ का ज़िक्र समझते हैं ‘जिसे मानवी पूर्वजों द्वारा पूजा जाता है।’ अक्तूबर १९९२ की बाइबल अनुवादक पत्रिका के एक लेख ने रिपोर्ट की कि चिचेवा बाइबल को बनाने में, जिसे बूकू लोयॆरा कहा जाना है, अनुवादक चाउटा को एक व्यक्तिगत नाम के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे जो यहोवा की जगह लेगा। लेख ने समझाया कि चाउटा “वह परमेश्वर [है] जिसे उन्होंने हमेशा-से जाना और पूजा है।” फिर भी, इनमें से अनेक लोग उसे भी पूजते हैं जिसे वे मृतकों की आत्मा समझते हैं। क्या यह सच है कि अगर लोग एक “परम आत्मा” को प्रार्थना करेंगे, तो वे उस “परम आत्मा” के लिए चाहे जो भी नाम इस्तेमाल करें, वह व्यक्तिगत नाम यहोवा के लिए वैध समतुल्य है, चाहे उनकी उपासना में कुछ और भी शामिल हो? हरग़िज़ नहीं! (यशायाह ४२:८; १ कुरिन्थियों १०:२०) परमेश्वर के व्यक्तिगत नाम की जगह ऐसा नाम इस्तेमाल करना जिससे लोगों को लगे कि उनके पारंपरिक विश्वास दरअसल सही हैं, उन्हें सच्चे परमेश्वर के नज़दीक आने में मदद नहीं करता।
८. अपने नाम को विख्यात करने का परमेश्वर का उद्देश्य विफल क्यों नहीं हुआ है?
८ इन सभी बातों ने यहोवा के नाम को विख्यात करने के उसके उद्देश्य को ना तो बदला है ना ही विफल किया है। यूरोप, अफ्रीका, अमरीकी देशों, पूर्व के देशों और समुद्र के द्वीपों की ऐसी भाषाओं में अब भी अनेक बाइबलों का वितरण चालू है जिनमें ईश्वरीय नाम शामिल है। साथ ही, २३३ देशों और क्षेत्रों में ५४,००,००० से भी ज़्यादा यहोवा के साक्षी हैं जो सामूहिक रूप से सच्चे परमेश्वर के नाम और उसके उद्देश्य के बारे में लोगों को बताने में एक साल में एक अरब से भी ज़्यादा घंटे समर्पित करते हैं। वे बाइबल को—जो ईश्वरीय नाम का इस्तेमाल करती हैं—पृथ्वी की आबादी के कुछ ३,६०,००,००,००० लोगों द्वारा बोली जानेवाली भाषाओं में, जिनमें अंग्रेज़ी, चीनी, रूसी, स्पेनी, पुर्तगाली, फ्रेंच, और डच भी शामिल हैं, मुद्रित कर वितरित करते हैं। वे लोग उन भाषाओं में बाइबल अध्ययन के लिए साधन भी मुद्रित करते हैं जिन्हें पृथ्वी की आबादी की अधिकांश जनसंख्या जानती है। जल्द ही परमेश्वर ख़ुद एक ऐसे तरीक़े से क़दम उठाएगा जो निर्णायक रूप से उसकी घोषणा को पूरा करेगा कि जातियों को ‘जानना होगा कि वही यहोवा है।’—यहेजकेल ३८:२३.
जब व्यक्तिगत विश्वास अनुवाद को प्रभावित करते हैं
९. बाइबल उस गंभीर ज़िम्मेदारी का संकेत कैसे करती है जो परमेश्वर के वचन के साथ व्यवहार करनेवालों पर है?
९ परमेश्वर के वचन के अनुवादकों पर साथ ही उसे सिखानेवालों पर एक गंभीर ज़िम्मेदारी है। प्रेरित पौलुस ने अपनी सेवकाई के और अपने संगियों के बारे में कहा: “हम ने लज्जा के गुप्त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, परन्तु सत्य को प्रगट करके, परमेश्वर के साम्हने हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई बैठाते हैं।” (२ कुरिन्थियों ४:२) मिलावट करने का मतलब है कुछ बाहरी या निम्न-स्तर की चीज़ को मिलाने के द्वारा भ्रष्ट करना। प्रेरित पौलुस यिर्मयाह के दिनों के इस्राएल के उन अविश्वासी चरवाहों की तरह नहीं था जिन्हें यहोवा ने ताड़ना दी क्योंकि वे परमेश्वर ने जो कहा है उसे सिखाने के बजाय अपने ही विचार सिखा रहे थे। (यिर्मयाह २३:१६, २२) लेकिन आधुनिक समय में क्या हुआ है?
१०. (क) परमेश्वर के प्रति निष्ठा को छोड़ अन्य उद्देश्यों ने आधुनिक समय में कुछ अनुवादकों को कैसे प्रभावित किया है? (ख) वे लोग अनुचित रूप से कौन-सी भूमिका अपना रहे थे?
१० दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, धर्मशास्त्रियों और पास्टरों की एक समिति ने जर्मनी की नात्ज़ी सरकार को एक ऐसा संशोधित “नया नियम” बनाने में सहयोग दिया जिसमें से यहूदियों के सभी अनुकूल उल्लेखों को और यीशु मसीह की यहूदी वंशावली के सभी संकेतों को निकाल दिया गया था। और अभी हाल ही में, न्यू टॆस्टमॆंट एण्ड साम्स: एन इन्क्लूसिव वर्शन बनानेवाले अनुवादक तो दूसरी ही दिशा में मुड़ गए हैं। वे उन सभी संकेतों को मिटाने के प्रयास में जुट गए हैं कि यहूदी लोग मसीह की मृत्यु के संबंध में ज़िम्मेदार हैं। उन अनुवादकों को यह भी लगा कि स्त्री स्वातंत्रवादी पाठक ख़ुश हो जाएँगे अगर परमेश्वर को पिता नहीं, बल्कि माता-पिता कहा जाए और यीशु को परमेश्वर का पुत्र नहीं, बल्कि उसकी संतान कहा जाए। (मत्ती ११:२७) जब वे ऐसा कर रहे थे, तब उन्होंने पतियों के प्रति पत्नियों की अधीनता और माता-पिताओं के प्रति बच्चों के आज्ञापालन के सिद्धांत को निकाल दिया। (कुलुस्सियों ३:१८, २०) उन अनुवादों को करनेवालों का दृढ़संकल्प प्रेरित पौलुस की तरह नहीं था कि ‘परमेश्वर के वचन में मिलावट’ न करें। वे लोग अनुवादक की भूमिका भूल रहे थे, लेखक का स्थान ले रहे थे, और ऐसी किताबें बना रहे थे जिन्होंने अपनी ही राय को बढ़ावा देने के एक माध्यम के रूप में बाइबल की प्रतिष्ठा का इस्तेमाल किया।
११. मसीहीजगत की शिक्षाएँ, प्राण और मृत्यु के बारे में बाइबल जो कहती है उसके विरोध में कैसे हैं?
११ मसीहीजगत के गिरजे सामान्यतः सिखाते हैं कि मानव जीव ही आत्मा है, जो मृत्यु पर शरीर छोड़ जाती है, और वह अमर है। इसके विपरीत, अधिकांश भाषाओं में पुराने बाइबल अनुवाद स्पष्ट रूप से कहते हैं कि मनुष्य ख़ुद जीव [प्राणी] है, पशु जीव [प्राणी] है, और जीव [प्राणी] मरता है। (उत्पत्ति १२:५; ३६:६; गिनती ३१:२८; याकूब ५:२०) इसने पादरियों को उलझन में डाल दिया है।
१२. हाल के कुछ वर्शन मूल बाइबल सच्चाइयों को कैसे धुँधला करते हैं?
१२ आजकल के कुछ नए संस्करण इन सच्चाइयों को धुँधला कर देते हैं। कैसे? वे लोग कुछ पाठों में इब्रानी संज्ञा नेफ़ेश (जीव) का सीधा अनुवाद बस टाल जाते हैं। उत्पत्ति २:७ में, वे शायद कहें कि पहला मनुष्य (“जीवता प्राणी बन गया” के बजाय) “जीने लगा।” या वे लोग पशु जीवन के मामले में “जीव” के बजाय शायद “जानवर” कहें। (उत्पत्ति १:२१) यहेजकेल १८:४, २० जैसे पाठों में, वे लोग कहते हैं कि (“प्राणी” के बजाय) “वह व्यक्ति” मरता है। शायद, ऐसे अनुवाद अनुवादक के लिए न्यायसंगत हैं। लेकिन वे सच्चाई के निष्कपट ढूँढ़नेवालों की कितनी मदद करते हैं, जिनके सोच-विचार को पहले से ही मसीहीजगत की अशास्त्रीय शिक्षाओं द्वारा प्रभावित किया गया है?b
१३. कुछ बाइबल वर्शन ने किन तरीक़ों से पृथ्वी के बारे में परमेश्वर के उद्देश्य को छिपाया है?
१३ अपने विश्वास का समर्थन करने के प्रयास में कि सभी भले लोग स्वर्ग जाते हैं, अनुवादक—या शायद धर्मशास्त्री भी जो उनकी रचना की समीक्षा करते हैं—पृथ्वी के लिए परमेश्वर के उद्देश्य के बारे में बाइबल जो कहती है उसे छिपाने की कोशिश करें। भजन ३७:११ में, कई अनुवाद कहते हैं कि नम्र लोग “भूमि” के अधिकारी होंगे। “भूमि” इब्रानी पाठ में इस्तेमाल किए गए शब्द (एरेट्स) का एक संभव अनुवाद है। लेकिन, टुडेज़ इंग्लिश वर्शन (जिसने कई अन्य भाषाओं में अनुवादों के लिए आधार प्रदान किया है) और भी आगे जाती है। हालाँकि यह वर्शन यूनानी शब्द गे का अनुवाद मत्ती की सुसमाचार पुस्तक में १७ बार “पृथ्वी” करता है, पर मत्ती ५:५ में यह “पृथ्वी” की जगह वाक्यांश “परमेश्वर ने जिसकी प्रतिज्ञा की है” इस्तेमाल करता है। स्वाभाविक है कि गिरजे के सदस्य स्वर्ग के बारे में सोचते हैं। ईमानदारी से उन्हें यह जानकारी नहीं दी जा रही है कि अपने पहाड़ी उपदेश में, यीशु मसीह ने कहा कि नरम-मिजाज़, दीन, या नम्र लोग “पृथ्वी के अधिकारी” होंगे।
१४. कुछ बाइबल वर्शन में कौन-सा स्वार्थी अभिप्राय स्पष्ट दिखता है?
१४ शास्त्र के कुछ अनुवाद स्पष्ट रूप से इस उद्देश्य से किए जाते हैं कि पादरियों को मोटी तनख़ा मिले। यह सच है कि बाइबल कहती है: “मजदूर अपनी मजदूरी का हक्कदार है।” (१ तीमुथियुस ५:१८) लेकिन १ तीमुथियुस ५:१७ में, जहाँ यह कहती है कि जो प्राचीन अच्छा प्रबंध करते हैं उन्हें “दो गुने आदर के योग्य समझे” जाना चाहिए, कुछ लोगों ने समझा कि ज़िक्र करनेलायक़ आदर का एकमात्र तरीक़ा आर्थिक है। (१ पतरस ५:२ से तुलना कीजिए।) अतः, द न्यू इंग्लिश बाइबल कहती है कि इन प्राचीनों को “दो गुने वज़ीफ़े के योग्य समझा जाना चाहिए,” और कंटेंपररी इंग्लिश वर्शन कहता है कि वे “दुगनी तनख़ा दिए जाने के योग्य हैं।”
निष्ठापूर्वक परमेश्वर के वचन का समर्थन करना
१५. हम कैसे निर्धारित कर सकते हैं कि कौन-सा बाइबल अनुवाद इस्तेमाल करें?
१५ इन सब का वैयक्तिक बाइबल पाठक के लिए और उन लोगों के लिए क्या अर्थ है जो दूसरों को सिखाने के लिए बाइबल का उपयोग करते हैं? व्यापक रूप से इस्तेमाल की जानेवाली भाषाओं में से अधिकांश भाषाओं में, एक से ज़्यादा बाइबल अनुवाद होते हैं जिनमें से आप चुनाव कर सकते हैं। आप जिस बाइबल का इस्तेमाल करते हैं उसे चुनने में समझ से काम लीजिए। (नीतिवचन १९:८) अगर एक अनुवाद ख़ुद परमेश्वर की पहचान के बारे में ईमानदार नहीं है—किसी भी बहाने से उसके उत्प्रेरित वचन से उसका नाम निकालता है—तो क्या अनुवादकों ने बाइबल पाठ के दूसरे भागों में भी फेर-बदल नहीं किया होगा? जब अनुवाद की वैधता के बारे में शक हो, तो उसकी तुलना पुराने अनुवादों से करने की कोशिश कीजिए। अगर आप परमेश्वर के वचन के एक शिक्षक हैं, तो ऐसे वर्शन को पसंद कीजिए जो मूल इब्रानी और यूनानी पाठ से नज़दीकी से जुड़े रहते हैं।
१६. परमेश्वर के उत्प्रेरित वचन के अपने इस्तेमाल में हम व्यक्तिगत रूप से निष्ठा कैसे दिखा सकते हैं?
१६ हम में से हरेक व्यक्ति को परमेश्वर के वचन के प्रति निष्ठावान रहना है। उसमें जो है उसके बारे में परवाह करने के द्वारा हम ऐसा करते हैं ताकि, अगर संभव हो, तो हम हर दिन कुछ समय बाइबल पढ़ने में बिताएँ। (भजन १:१-३) जो यह कहती है उसे अपने जीवन में पूरी तरह से लागू करने के द्वारा, और ठोस निर्णय करने के लिए उसके सिद्धांतों और उदाहरणों का इस्तेमाल करना सीखने के द्वारा हम निष्ठावान रहते हैं। (रोमियों १२:२; इब्रानियों ५:१४) दूसरों को परमेश्वर के वचन को उत्साहपूर्वक प्रचार करने के द्वारा हम दिखाते हैं कि हम उसके निष्ठावान समर्थक हैं। बाइबल को सावधानी से इस्तेमाल करने के द्वारा, हमारे अपने विचारों को बिठाने के लिए जो यह कहती है उसे कभी भी नहीं तोड़ने-मरोड़ने या बढ़ा-चढ़ाने के द्वारा शिक्षकों के रूप में ऐसा करते हैं। (२ तीमुथियुस २:१५) परमेश्वर ने जो पूर्वबताया है वह अचूक रूप से पूरा होगा। वह अपने वचन को पूरा करने में निष्ठावान है। ऐसा हो कि हम भी उसका समर्थन करने में निष्ठावान हों।
[फुटनोट]
a युनाइटेड बाइबल सोसाइटीज़ ने १९९७ में २,१६७ भाषाओं और बोलियों की सूचि जारी की जिनमें बाइबल को, संपूर्णतः या अंशतः प्रकाशित किया गया है। इस संख्या में कुछ भाषाओं की कई बोलियाँ शामिल हैं।
b यह चर्चा उन भाषाओं पर ध्यान केंद्रित करती है जिनमें इस मामले को स्पष्ट करने की क्षमता है, लेकिन जिसमें अनुवादकों ने ऐसा करने का चुनाव नहीं किया है। उपलब्ध शब्दावली, कुछ भाषाओं में अनुवादक जो कर सकते हैं उसे बहुत ही सीमित करती है। तो फिर, ईमानदार धर्मोपदेशक समझाएँगे कि हालाँकि अनुवादक ने विविध शब्द इस्तेमाल किए हों या चाहे उसने ऐसा शब्द इस्तेमाल किया हो जो अशास्त्रीय रूप से प्रभावित है, मूल-भाषा शब्द, नेफ़ेश मनुष्यों और पशुओं, दोनों के लिए लागू किया जाता है और वह किसी ऐसी वस्तु को सूचित करता है जो साँस लेती है, खाना खाती है, और मर सकती है।
क्या आपको याद है?
◻ किन उद्देश्यों ने आधुनिक समय में बाइबल अनुवादकों के कार्य को प्रभावित किया है?
◻ आधुनिक अनुवाद शैलियों ने परमेश्वर के नाम के संबंध में उसके उद्देश्य को विफल क्यों नहीं किया है?
◻ कुछ बाइबल अनुवाद प्राण, मृत्यु, और पृथ्वी के बारे में बाइबल सच्चाइयों को कैसे धुँधला कर देते हैं?
◻ किन तरीक़ों से हम दिखा सकते हैं कि हम निष्ठापूर्वक परमेश्वर के वचन का समर्थन करते हैं?
[पेज 16 पर तसवीर]
आपको कौन-सा बाइबल अनुवाद इस्तेमाल करना चाहिए?