पड़ोसी के प्रति प्रेम को क्या हो गया है?
लाखों लोग लाचार, घबराये हुए और दुःखी हैं। उनके पास कोई मददगार नहीं है। “मैं अकेले खाती, अकेले घूमती, अकेले सोती और अकेले ही अपने आपसे बात करती हूँ,” एक स्त्री ने दुःख जताते हुए कहा। बहुत कम हैं जो आगे बढ़कर प्रेम के साथ ज़रूरतमंदों की मदद करने को तैयार हैं।
एक अवकाश-प्राप्त व्यवसायी स्त्री ने कहा: ‘एक शाम मेरे पड़ोस में रहनेवाली एक विधवा ने मेरा दरवाज़ा खटखटाकर कहा कि वह सूना-सूना महसूस कर रही है। मैंने बड़ी तमीज़ से लेकिन साफ-साफ उससे कह दिया कि मेरे पास वक़्त नहीं है। उसने कहा, माफ कीजिए आपको परेशान किया, और चली गयी।’
इस स्त्री ने आगे कहा: ‘मैंने सोचा कि मैंने बड़ा अच्छा किया कि ऐसी उबाऊ औरत के साथ बातों में नहीं उलझी। अगली शाम मेरी एक सहेली ने फोन किया और पूछा कि क्या मैं अपनी बिल्डिंग की उस औरत को जानती हूँ जिसने कल रात आत्महत्या कर ली। आपको पता चल ही गया होगा कि यह वही औरत थी जिसने मेरा दरवाज़ा खटखटाया था।’ बाद में, इस व्यवसायी स्त्री ने कहा कि उसने “बड़ी भारी गलती करके सबक सीखा।”
यह बात कोई राज़ नहीं कि नन्हे बच्चों को प्यार न मिले तो वे मर सकते हैं। प्यार न मिले तो बड़े लोग भी मर सकते हैं। १५ साल की एक सुंदर लड़की ने आत्महत्या करने से पहले लिखा: “प्रेम तो यह है कि फिर कभी अकेले न पड़ें।”
आधुनिक त्रासदी
नृजातीय घृणा के बारे में कुछ साल पहले टिप्पणी करते हुए न्यूज़वीक ने रिपोर्ट किया: “लगता है कि इस साल का नारा है ‘अपने पड़ोसी से घृणा कर।’” बॉस्नीया और हट्र्सगोवीना में लड़ाइयों के दौरान, जो पहले युगोस्लाविया का भाग थे, दस लाख से ज़्यादा लोगों को मजबूरन अपने घरों से भागना पड़ा और हज़ारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। यह सब किसने किया? “हमारे पड़ोसियों ने,” एक लड़की ने बड़े अफसोस के साथ कहा जिसे उसके गाँव से खदेड़ दिया गया था। “वे हमारी जान-पहचान के थे।”
“हम मिलजुलकर एकसाथ रहते थे,” एक स्त्री ने रूगाण्डा गाँव में रहनेवाले ३,००० हूटू और टूटसियों के बारे में कहा। द न्यू यॉर्क टाइम्स ने कहा: “इस गाँव की कहानी पूरे रूवाण्डा की कहानी है: हूटू और टूटसी एकसाथ रहते, आपस में शादी-ब्याह करते, न तो इसकी परवाह करते और न ही यह जानते कि कौन हूटू है और कौन टूटसी। फिर अचानक कुछ हुआ,” और “खून-खराबा शुरू हो गया।”
उसी तरह, इज़राइल में यहूदी और अरबी अड़ोस-पड़ोस में रहते हैं, लेकिन अनेक लोग एक दूसरे से घृणा करते हैं। इस पूरी २०वीं सदी के दौरान उत्तरी आयरलॆंड में, भारत और पाकिस्तान में, मलेशिया और इंडोनीशिया में, और अमरीका में जातियों के बीच—जी हाँ, पूरे संसार में—इसी तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है।
नृजातीय और धार्मिक घृणा के उदाहरण पर उदाहरण दिये जा सकते हैं। इतिहास में पहले कभी प्रेम की इतनी कमी नहीं थी।
ज़िम्मेदारी किस पर है?
प्रेम की तरह घृणा भी सिखायी जाती है। अंग्रेज़ी में एक जाना-माना गाना है कि बच्चे को “जल्द-ही सिखाया जाता है/इससे पहले कि वह छः या सात या आठ का हो जाता है/कि उन सब लोगों से नफरत करे जिनसे उसका परिवार नफरत करता है।” खासकर आज घृणा सिखायी जाती है। और खास तौर पर गिरजे अपने सदस्यों को प्रेम करना सिखाने से चूक गये हैं।
फ्राँसीसी अखबार ल मॉन्ड ने पूछा: “व्यक्ति कैसे न यह सोचे कि टूटसी और हूटू जो बुरुण्डी और रूवाण्डा में युद्ध कर रहे हैं वे एक ही मसीही मिशनरियों द्वारा सिखाये गये थे और एक ही गिरजों में जाया करते थे?” असल में, नैशनल कैथोलिक रिपोर्टर के अनुसार रूवाण्डा में “७०% लोग कैथोलिक” हैं।
इस सदी की शुरूआत में, पूर्वी यूरोप के देश निरीश्वर साम्यवाद की ओर मुड़ गये। क्यों? १९६० में प्राग, चकोस्लोवाकिया में एक धार्मिक निकाय के पादरी ने कहा: “साम्यवाद के लिए हम, सिर्फ हम ईसाई ही ज़िम्मेदार हैं। . . . याद रखिए कि साम्यवादी भी कभी ईसाई थे। यदि वे एक न्यायसंगत परमेश्वर में विश्वास नहीं रखते, तो किसका दोष है?”
इस पर विचार कीजिए कि पहले विश्व युद्ध के दौरान गिरजों ने क्या किया। ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल फ्रैंक क्रोज़र ने उस युद्ध के बारे में कहा: “ईसाई गिरजे खून-खराबा कराने में सबसे आगे हैं और हमने उनका खुलकर इस्तेमाल किया है।” फिर दूसरे विश्व युद्ध के बाद, द न्यू यॉर्क टाइम्स ने कहा: “अतीत में स्थानीय कैथोलिक धर्माधिकारी-वर्ग लगभग हमेशा अपने देश के युद्धों का समर्थन करता था, सेनाओं को आशिष देता और उनकी विजय के लिए प्रार्थना करता, और सीमा के पार बिशपों का दूसरा समूह इसके विपरीत परिणाम के लिए खुलेआम प्रार्थना करता।”
लेकिन यीशु मसीह ने अपने सभी कार्यों में प्रेम प्रदर्शित किया और प्रेरित पौलुस ने लिखा: “आपस में प्रेम रखना तुम ने आप ही परमेश्वर से सीखा है।” (तिरछे टाइप हमारे।) (१ थिस्सलुनीकियों ४:९) “सच्चे मसीही यीशु मसीह में भाई-बहन हैं,” वैनकूवर सन के स्थायी लेखक ने कहा। “वे कभी-भी और जानबूझकर तो कभी-भी एक दूसरे को चोट नहीं पहुँचाते।”
स्पष्ट है कि आज प्रेम की जो कमी है उसके लिए काफी हद तक गिरजे ज़िम्मेदार हैं। इंडिया टुडे पत्रिका में प्रकाशित एक लेख ने कहा: “धर्म के झंडे तले घोर अपराध हुए हैं।” लेकिन इसका एक मूलभूत कारण है कि क्यों खासकर हमारी पीढ़ी में दूसरों के प्रति इतनी निर्ममता है।
प्रेम क्यों ठंडा पड़ गया है
हमारा सृष्टिकर्ता इसका उत्तर देता है। उसके वचन, बाइबल में हमारे समय को ‘अंतिम दिन’ कहा गया है। बाइबल भविष्यवाणी कहती है कि यह वह समय है जब लोग “स्नेहरहित” (NHT) होंगे। इस “कठिन समय” के बारे में जिसे शास्त्र में “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” (NW) भी कहा गया है, यीशु मसीह ने पूर्वबताया कि “बहुतों का प्रेम ठण्डा हो जाएगा।”—२ तीमुथियुस ३:१-५; मत्ती २४:३, १२.
इसलिए आज जो प्रेम की कमी है वह इस प्रमाण का हिस्सा है कि हम इस संसार के अंतिम दिनों में जी रहे हैं। खुशी की बात है कि इसका यह अर्थ भी है कि अधर्मी लोगों का यह संसार जल्द ही हटा दिया जाएगा और उसके बदले धर्मी नया संसार आएगा जिसमें प्रेम का राज होगा।—मत्ती २४:३-१४; २ पतरस ३:७, १३.
लेकिन क्या हमारे पास यह मानने का सचमुच कारण है कि ऐसा परिवर्तन संभव है—कि हम ऐसे संसार में जी सकेंगे जहाँ सब लोगों के बीच प्रेम होगा और वे एकसाथ मिलजुलकर रहेंगे?