‘धीरज धरनेवाले धन्य हैं’
१. १९१४ से, पृथ्वी पर कौनसी परिस्थिति से मत्ती २४:३-८ परिपूर्ण हुआ है, और राष्ट्र-संघ तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के कौनसे दावे विफल हुए हैं?
अपनी किताब द प्रेज़ेंट एज में, रॉबर्ट निस्बेट “उस पचहत्तर-वर्षीय युद्ध” के बारे में बताता है “जो, विरले ही रुककर, १९१४ से जारी रहा है।” जी हाँ, विश्व युद्धों समेत, “लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा”—यही यीशु मसीह ने अंत के इस समय के लिए पूर्वबतलाया था। (मत्ती २४:३-८) १९२० में राष्ट्र-संघ “युद्ध को हमेशा के लिए रोकने” के लिए उत्पन्न किया गया था। यह कितनी बुरी तरह विफल हुआ! १९४५ में संयुक्त राष्ट्र संघ को “युद्ध की महाविपत्ति से आनेवाली पीढ़ियों को बचाने के लिए” संघटित किया गया। लेकिन मॅक्स हॅरेल्सन की किताब फायर्स ऑल अराऊँड द होराइज़न बताती है: “दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति से ऐसा शायद ही कोई दिन था जब कहीं पर लड़ाई नहीं चल रही थी।”
२. कुछ लोग विश्व परिस्थितियों के बारे में क्या पूछते हैं, लेकिन हमें कौनसे सवाल पूछने चाहिए?
२ आतंकवाद और हिंसा, भ्रष्टाचार और ग़रीबी, ड्रग्स और महामारियाँ—ये सभी दुःखद तस्वीर को बढ़ाते हैं। कुछ लोग शायद पूछेंगे: ‘मानवजाति ऐसी विक्षुब्ध करनेवाली परिस्थितियों को कैसे सहन कर सकती है?’ फिर भी, उस से भी ज़्यादा महत्त्वपूर्ण, हमें यह पूछना चाहिए: ‘परमेश्वर अपनी पार्थिव सृष्टि की लूट कैसे सहन करता है? वह अब और कितनी देर तक दुष्ट लोगों को पृथ्वी बिगाड़ने और उसके बहुमूल्य नाम की निन्दा करने की अनुमति देगा?’
३. (अ) भविष्यद्वक्ता यशायाह ने कौनसा सवाल किया, और क्यों? (ब) यहोवा ने कौनसा जवाब दिया, और यह हमारे समय के लिए क्या संकेत करता है?
३ भविष्यद्वक्ता यशायाह ने एक समान सवाल किया। उसे अपने संगी देशवासियों को यहोवा से एक संदेश घोषित करने के लिए नियुक्त किया गया था। लेकिन उसे पहले से चेतावनी दी गयी कि वे न उसकी तरफ़, और न उसे भेजनेवाले परमेश्वर की तरफ़ ध्यान देते। इसलिए यशायाह ने पूछा: “हे यहोवा, कब तक?” जी हाँ, यशायाह को इन ज़िद्दी लोगों को कितनी देर तक प्रचार करना पड़ता, और यहोवा कितनी देर तक अपने संदेश की ओर ध्यान देने की उनकी अपमानजनक अस्वीकृति बरदाश्त करता? यहोवा ने जवाब दिया: “जब तक नगर न उजड़ें और उन में कोई रह न जाए, और घरों में कोई मनुष्य न रह जाए, और देश उजाड़ और सुनसान हो जाए।” (यशायाह ६:८-११, न्यू.व.) उसी तरह आज, परमेश्वर इस प्रकार की निन्दा सह लेता है, एक ऐसी दुनिया पर न्यायदण्ड लाने के अपने नियत समय तक, जिस में प्रधान अपराधी बेवफ़ा मसीहीजगत् रहा है।
४. अय्यूब के धीरज का परिणाम क्या था, और आज हमें इस से कैसा आश्वासन मिलता है?
४ यहोवा ने बहुत देर से शैतान के ताने सहे हैं। लगभग ३,६०० साल पहले, विश्वसनीय अय्यूब ने भी सहन किया, इस प्रकार शैतान की चुनौती को झूठा साबित करते हुए कि वह परीक्षा में ईमानदारी नहीं बनाए रख सकता था। इस से यहोवा का मन कैसा आनन्दित हुआ! (अय्यूब २:६-१०; २७:५; नीतिवचन २७:११) जैसा कि यीशु के सौतेले भाई ने बाद में कहा: “देखो, हम धीरज धरनेवालों को धन्य कहते हैं: तुम ने ऐयूब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और यहोवा की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है, जिस से यहोवा की अत्यन्त करुणा और दया प्रगट होती है।” उसी तरह, जो लोग यहोवा के साथ आज सहन करते हैं, उन्हें एक आनन्दित परिणाम का आश्वासन दिया जाता है।—याकूब ५:११, न्यू.व.
५. यीशु ने कैसे दिखाया कि आज परमेश्वर के लोगों की ओर से सहनशक्ति आवश्यक होती, और कौनसा कार्य करते समय उन्हें सहन करने की ज़रूरत होती?
५ यीशु ने स्पष्ट रूप से दिखाया कि हमारे समय में परमेश्वर के लोगों से सहनशक्ति आवश्यक होती। “रीति-व्यवस्था की समाप्ति” का चिन्ह पूर्वबतलाते हुए, उसने कहा: “जो अन्त तक धीरज धरे रहेगा, उसी का उद्धार होगा।” क्या करते समय धीरज धरे रहना? यीशु के अगले शब्दों से ही जवाब मिलता है: “और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो।” (मत्ती २४:३, १३, १४) तभी “अन्त आ जाएगा।”—मरकुस १३:१०, १३; लूका २१:१७-१९ भी देखें।
क्यों यहोवा धीरज धरता है
६. यहोवा सहनशक्ति का एक उत्कृष्ट आदर्श क्यों है, और ऐसा सहन करने का एक कारण क्या है?
६ प्रेरित पौलुस ने समझाया कि “परमेश्वर ने अपना क्रोध दिखाने और अपनी सामर्थ प्रगट करने की इच्छा से क्रोध के बरतनों की, जो विनाश के लिए तैयार किए गए थे, बड़े धीरज से सही।” (रोमियों ९:२२) यहोवा ने दुष्टों, इन क्रोध के बरतनों, का सतत अस्तित्व क्यों सहा है? एक कारण यह है: यह प्रमाणित करने के लिए कि, मनुष्य के सृजनहार से स्वतंत्र, मानव शासन विफलता ही पाएगा। (यिर्मयाह १०:२३) जल्द ही, परमेश्वर की प्रभुसत्ता सत्य सिद्ध की जाएगी, जब वह साबित करेगा कि सिर्फ़ वही, यीशु के राज्य शासन के ज़रिए, मानव परिवार के लिए शान्ति, मित्र-भाव और खुशी ला सकेगा।—भजन ३७:९-११; ४५:१, ६, ७.
७. यहोवा ने और किस कारणवश सहन किया है, और इस से १९३० के दशक से लाखों को कैसा फ़ायदा हुआ है?
७ इसके अतिरिक्त, यहोवा ने सहन इसलिए किया है कि “दया के बरतनों पर . . . अपने महिमा के धन को प्रगट” करे। (रोमियों ९:२३) ये दया के बरतन ख़राई रखनेवाले अभिष्क्ति लोग हैं जो “मनुष्यों में से मोल लिए गए हैं” ताकि मसीह यीशु के साथ उसके स्वर्गीय राज्य में शासन करे। १,४४,००० लोगों पर मुहर लगाने का कार्य प्रेरितों के समय से जारी रहा है। यह अब समाप्त होनेवाला है। (प्रकाशितवाक्य ७:३; १४:१, ४) और देखें! १९३० के दशक से यहोवा की सतत सहनशक्ति से लाखों अन्य लोगों, “हर एक जाति . . . में से एक बड़ी भीड़,” का एकत्र होना अनुमत हुआ है। ये लोग आख़री क्लेश में से बचकर एक परादीस पृथ्वी में अनन्त जीवन पाने की प्रत्याशा की वजह से आनन्द करते हैं। (प्रकाशितवाक्य ७:४, ९, १०, १३-१७) क्या आप उस बड़ी भीड़ का भाग हैं? अगर हैं, तो क्या आप को खुशी नहीं होती कि यहोवा ने क्रोध के बरतनों की मौजूदगी अब तक सही है? बहरहाल, आपको सहन करते रहना होगा, जिस तरह यहोवा ने सहन किया है।
सहनशक्ति प्रतिफलित होती है
८. हम सब को सहनशक्ति की आवश्यकता क्यों है, और हमें सहनशक्ति के कौनसे आदर्श पर एकाग्रता से ग़ौर करना चाहिए?
८ अगर हमें प्रतिज्ञा का फल पाना हो तो हम सब को सहनशक्ति की आवश्यकता है। इब्रानियों १०:३६ में यह आधारभूत सत्य बताने के बाद, प्रेरित पौलुस पुरातन समय के ‘गवाहों के बड़े बादल’ के उत्कृष्ट विश्वास और सहनशक्ति का सविस्तर वर्णन करता है। फिर वह हमें समझाता है कि “वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें, और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करनेवाले यीशु की ओर ताकते रहें।” यीशु ने “उस आनन्द के लिए जो उसके आगे धरा था,” एकनिष्ठ सेवा में सहन किया और प्रतिदान को दृष्टि से कभी ओझल न होने दिया। उसका आदर्श हमें भी सहन करने के लिए कितना सशक्त बनाता है!—इब्रानियों १२:१, २.
९. सहनशक्ति की आधुनिक मिसालों के बारे में जानने का क्या परिणाम हुआ है?
९ सहनशक्ति की बहुत सारी आधुनिक मिसालें भी हैं। आप शायद ऐसे भाई बहनों को जानते, या जान चुके हैं जो उनकी सहनशक्ति में विशिष्ट रहे हैं। उनकी विश्वसनीयता ने हमें कितना प्रोत्साहित किया है! और हर साल, जब यहोवा के गवाह अपनी सार्वभौम गतिविधि की रिपोर्ट वॉच टावर संस्था को देते हैं, सहनशक्ति के और भी रोमांचकारी विवरण पाए जाते हैं। १९८९ के दौरान संपन्न शानदार कार्य का सार जनवरी १, १९९० वॉचटावर के अँग्रेज़ी अंक के पृष्ठ २०-२३ पर दिए चार्ट में प्रस्तुत है, जो कि दिखाता है कि किस तरह इन गवाहों ने ‘अपने विश्वास पर धीरज बढ़ाया है।’—२ पतरस १:५, ६.
हमारा सबसे शानदार वर्ष
१०. (अ) १९८९ में कितने देशों और द्वीप समूहों ने राज्य का सुसमाचार प्रचार करने में हिस्सा लिया, और इस कार्य में कितनों ने हिस्सा लिया? (ब) शिखर महीने में कितने पायनियरों ने रिपोर्ट किया, और क्षेत्र सेवा में बिताए घंटों की कुल संख्या क्या थी?
१० जैसा कि चार्ट दिखाता है, २१२ देशों और द्वीप समूहों ने यहोवा के आनेवाले राज्य का प्रचार करने में हिस्सा लिया। प्रिय वॉचटावर पाठक, क्या आपको उन ३७,८७,१८८ में होने का खास अनुग्रह मिला, जिन्होंने इस शानदार कार्य में हिस्सा लिया? क्या आप उस सेवा के शिखर महीने में पायनियर के तौर से रिपोर्ट करनेवाले ८,०८,१८४ लोगों में थे? क्षेत्र सेवा में बिताए ८३,५४,२६,५३८ घंटों की १९८९ की सार्वभौम कुल संख्या में आपका जो भी हिस्सा रहा होगा, आपको आनन्द करने का कारण है।—भजन १०४:३३, ३४; फिलिप्पियों ४:४.
११. (अ) पिछले मार्च २२ के स्मरणार्थ की कैसी उपस्थिति आनन्द का कारण है, और क्यों? (ब) कितनों ने बपतिस्मा लिया, और इस संबंध में चार्ट में कौनसे देश विशिष्ट थे?
११ पिछले मार्च २२ को, यीशु की मृत्यु के दुनिया भर में मनाए स्मरणार्थ में उपस्थित ९४,७९,०६४ लोगों की उस बढ़िया कुल जोड़ में भी आनन्द करें! इस से ५६,९१,८७६ अतिरिक्त लोगों का राज्य उद्घोषक बनने की संभावना सूचित होती है, अगर इन दिलचस्पी रखनेवाले भेड़-समान लोगों को भेड़शाला में प्रेममय रूप से लाया जा सके, ताकि यहोवा की सेवा करने में नियमित हिस्सा लें। क्या हम इस में उनकी मदद कर सकते हैं? (यूहन्ना १०:१६; प्रकाशितवाक्य ७:९, १५) कई लोग अनुकूल अनुक्रिया दिखा रहे हैं, जैसा कि १९८९ के सेवा वर्ष के दौरान बपतिस्मा लिए हुए २,६३,८५५ नए गवाहों के सर्वयोग से सूचित है।
१२. कुछेक विशेषताएँ क्या हैं जो चार्ट में प्रकट नहीं: (अ) वॉचटावर संस्था की फ़ैक्ट्रियों के संबंध में? (ब) पत्रिकाओं और अभिदानों की बँटाई के संबंध में?
१२ ऐसी कुछ विशेषताएँ हैं जो चार्ट में प्रकट नहीं। बाइबल, किताबें, विवरणिकाएँ, और पत्रिकाएँ जैसे प्रकाशनों के लिए प्यास अतर्पणीय थी। उसके परिणामस्वरूप, न्यू यॉर्क में वॉचटावर फ़ैक्ट्रियों ने ३,५८,११,००० बाइबल, किताबें, और विवरणिकाएँ छपाने में १५,००० टन कागज़ इस्तेमाल किया, जो कि १९८८ से १०१-प्रतिशत की वृद्धि थी। वॉचटावर संस्था की अन्य बड़ी फ़ैक्ट्रियों ने, खास तौर से जर्मनी, इटली और जापान में, अधिक पाली काम करके, “सही समय पर” आत्मिक “भोजन” देने में “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” का समर्थन किया। (मत्ती २४:४५) अप्रैल और मई के दौरान, अनेक देशों में असाधारण रूप से पत्रिकाओं और अभिदानों की बढ़िया बँटाई रिपोर्ट की गयी, और “बड़ी बाबेलोन” के विषय पर के वॉचटावर अंकों की बँटाई पर खास ज़ोर दिया गया। (प्रकाशितवाक्य १७:५) बेशक, इस आगामी अप्रैल में, सहायक पायनियर और अन्य गवाह विश्व क्षेत्र में बड़ी संख्या में जाएँगे, जो कि १९९० सेवा वर्ष का गवाही देने का सबसे बढ़िया अभियान साबित होना चाहिए।—यशायाह ४०:३१; रोमियों १२:११, १२ से तुलना करें।
१३. चार्ट में कौनसे राष्ट्र सूचिबद्ध हैं जो पिछले वर्ष सूचिबद्ध नहीं किए गए थे? व्याख्या दें।
१३ चार्ट को एक बार फिर देखें। क्या आप को ऐसे कुछ राष्ट्र नज़र आ रहे हैं जो पिछले साल नाम से सूचिबद्ध नहीं किए गए थे? अजी, हाँ! हंगेरी और पोलैंड, जहाँ हमारा कार्य हाल में वैध बना दिया गया है। हम इन देशों के अधिकारी-वर्ग के आभारी हैं कि वे अब यहोवा के गवाहों को इतना लिहाज़ दिखाते हैं। इस संबंध में, विश्वव्याप्त भाईचारे की प्रार्थनाओं का जवाब मिला है, “इसलिए कि हम विश्राम और चैन के साथ सारी भक्ति और गंभीरता से जीवन बिताएँ।”—१ तीमुथियुस २:१, २.
१४. पोलैंड के “ईश्वरीय भक्ति” ज़िला सम्मेलनों की कुछ विशेषताएँ बताएँ।
१४ “ईश्वरीय भक्ति”! अजी, अगस्त में, पोलैंड में भी, तीन स्थानों पर, “ईश्वरीय भक्ति” ज़िला सम्मेलनों का आयोजन हो सका! हमारे ९१,०२४ पोलिश भाई कितने बढ़िया मेज़बान साबित हुए! (इब्रानियों १३:१, २, १६) मानो चमत्कार से, कई हज़ार भाइयों ने—चेक, जर्मन, रूसी और अन्य—बस से, रेल से, और पैदल भी आने का वीज़ा हासिल किया। कई और हज़ार लोग दोनों अमरीकाओं, पश्चिम यूरोप, और पैसिफिक के द्वीपों तथा जापान जैसी दूर जगहों से हवाई जहाज़ से आए। विशाल स्टेडियमों में, जो हमारे भाइयों ने बिल्कुल साफ़-सुथरे बना दिए थे, उपस्थित लोगों के लिए मुश्किल से जगह मिली—चोरज़ाउ में ६५,७१०, पोज़्नॅन में ४०,४४२ और वॉरसॉ में ६०,३६६ लोग थे—उपस्थिति का कुल जोड़ १,६६,५१८ था! हर केंद्र में, बपतिस्मा के दृश्य से आनन्दित भावनाओं के आँसू बहे। पोज़्नॅन में एक ९-वर्षीय और एक ९०-वर्षीय निमज्जित हुए, और तीन सम्मेलनों में कुल ६,०९३ लोगों ने बपतिस्मा लिया। इन में बहुत से किशोर-किशोरियाँ थे, जिनके कई ऐसे देशों से आए हुए थे जहाँ पर कहा गया था कि धर्म बूढ़ों के साथ मर जाएगा। लेकिन परमेश्वर के वचन पर आधारित सच्चे धर्म के विषय में ऐसा कहा नहीं जा सकता! (भजन १४८:१२, १३; प्रेरितों के काम २:४१; ४:४ से तुलना करें।) पूर्वी यूरोप के हमारे भाइयों की सहनशक्ति कैसे विस्मयकारी रूप से प्रतिफलित हुई है!
परीक्षा में सतत विश्वसनीयता
१५. लेबनॉन में गवाहों ने सहनशक्ति और स्थिरता कैसे दिखायी है, और इसके बढ़िया परिणाम क्या रहे हैं?
१५ प्रेरित पौलुस के जैसे, यहोवा के गवाहों को अनेक तथा विविध परिस्थितियों में सहनशक्ति दिखानी पड़ती है। (२ कुरिन्थियों ११:२४-२७) लेबनॉन में गृह युद्ध का प्रकोप जारी है। हमारे भाई कैसी अनुक्रिया दिखाते हैं? स्थिरता और कृतसंकल्प से। सन् १९८९ में भारी गोलाबारी और बमबारी हुई, लेकिन जहाँ ये सबसे भारी हुईं, वहाँ भी भाई धीमा न पड़ने के लिए कृतसंकल्प थे। बेरूट की एक मण्डली रिपोर्ट करती है: “हफ़्ते के हर शाम को क्षेत्र सेवा के लिए नियमित समूह आयोजित किए गए। सुरक्षा की मुश्किल परिस्थिति के बावजूद भी, भाई हतोत्साह न हुए। हम ने पहले से ज़्यादा क्षेत्रों में काम किया। अप्रैल में हमें पायनियरों की संख्या में एक शिखर प्राप्त हुआ। नए बाइबल अध्ययन शुरू किए गए, और अधिक पत्रिकाएँ और किताबें बँट दी गयीं।”
१६. कोलंबिया में हमारे भाइयों ने सुसमाचार को ऐसे नगरों में लाकर, जहाँ कोई गवाह न थे, सहनशक्ति कैसे दिखायी है?
१६ नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार और हिंसा की वजह से कोलंबिया का ज़िक्र ख़बरों में हुआ है। लेकिन वहाँ के मसीहियों की विश्वसनीय सहनशक्ति भी समाचार विषय होती है। हाल में, अस्थायी खास पायनियरों को दस हज़ार या ज़्यादा निवासियों वाले ३१ नगरों में, जहाँ कोई गवाह न थे, भेज दिया गया। एक नगर में, जब नए दिलचस्पी रखनेवाले व्यक्तियों को पता चला कि पायनियर वहाँ सिर्फ़ थोड़े ही महीनों के लिए रहनेवाले थे, उन्होंने पायनियरों से बिनती की कि वे ठहर जाएँ। एक और नगर में, १८ दिलचस्पी रखनेवाले लोगों ने एक चिट्ठी पर हस्ताक्षर किया जिस में पायनियरों के तीन महीने के ठहराव के दौरान दी गयी आध्यात्मिक मदद के लिए क़दरदानी व्यक्त की गयी और अधिक मदद के लिए बिनती की गयी। “यह महत्त्वपूर्ण मामला है,” उन्होंने कहा। यह कहने की कोई ज़रूरत नहीं, कि दोनों स्थितियों में उस दिलचस्पी को विकसित करने के लिए प्रबंध किया गया। ऐसे दूरस्थ क्षेत्र को विकसित करने के लिए सहनशक्ति आवश्यक होती है, लेकिन ऐसा करनेवाले पायनियरों के कड़े परिश्रम का प्रचुर मात्रा में फल मिलता है।
१७, १८. (अ) इटली में यहोवा के गवाहों ने किन किन परिस्थितियों में सहन किया है? (ब) गवाहों के बारे में झूठ फैलाए जाने के बावजूद भी वे क्या कर पाए हैं?
१७ इटली में, यहोवा के गवाह पादरी वर्ग की ओर से सख़्त विरोध का सामना करते हैं, लेकिन यहोवा की ताक़त में उन्होंने सहन किया है। कई पल्लियों में, पादरियों ने अपने पल्ली-वासियों के घरों के दरवाज़ों पर चिपकाने के लिए स्टिकर वितरित किए, जिस पर यहोवा के गवाहों को यह बताया गया था कि वे दरवाज़े की घंटी न बजाएँ। अनेक पादरियों ने छोटे लड़कों को किसी विशेष इलाके के सभी दरवाज़ों पर ये स्टिकर चिपकाने के काम पर लगा दिया—गवाह परिवारों के घरों पर भी! बहरहाल, गवाह आसानी से डराए नहीं जाते, और अक्सर वे इन्हीं स्टिकरों को बातचीत शुरू करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके अतिरिक्त, प्रेस और राष्ट्रीय दूरदर्शन ने इस मामले का व्यापक विज्ञापन किया, और धार्मिक असहिष्णुता की निन्दा करके इस बात पर ज़ोर दिया कि ऐसी चाल दरअसल गिरजे की तरफ़ से कमज़ोरी का चिह्न थी। एक विश्वविद्यालय का प्राध्यापक उन विवादास्पद गवाह-विरोधी स्टिकरों से इतना नाराज़ हुआ कि उसने द वॉचटावर तथा अवेक! पत्रिकाओं के लिए अभिदान दिया।
१८ इटली में कैथोलिक चर्च यहोवा के लोगों के बारे में झूठ फैलाने के लिए धर्मत्यागियों को भी इस्तोमल करता है, लेकिन इसका भी कोई फ़ायदा नहीं होता इसलिए कि १,७२,३८२ प्रचारक सुप्रसिद्ध और सम्मानित हैं। भेंट करनेवाले गवाहों को एक आदमी ने बताया कि उसने भूतपूर्व गवाहों द्वारा लिखे गए साहित्य में हमारे बारे में बुरी बातें पढ़ी थीं। इसीलिए, जब उसका भाई यहोवा का एक गवाह बन गया, उसने बहुत विरोध किया। यद्यपि, कुछ समय बाद, उसने यह ग़ौर किया कि उसके भाई के धर्म परिवर्तन से उस पर कितना अच्छा असर हुआ था। उसने सोचा: ‘ऐसा कैसे हो सकता है कि इतनी बुरी चीज़ ऐसे अच्छे परिणाम उत्पन्न कर सकती है?’ अतः, उसने भेंट करनेवाले गवाहों से एक बाइबल अध्ययन की माँग की।—कुलुस्सियों ३:८-१० से तुलना करें।
उदासीनता से निपटना
१९, २०. (अ) फ़िनलैंड में कौनसी स्थिति की वजह से गवाहों की ओर से सहनशक्ति आवश्यक हुई है, और एक चर्च सर्वे के विषय में कौनसी बात सचमुच अर्थपूर्ण है? (ब) सुसमाचार प्रचार करने में सहनशक्ति दिखाने का महत्त्व कौनसे अनुभव से चित्रित होता है?
१९ उन देशों में जहाँ गवाह लोगों को बारंबार भेंट करते हैं, अक्सर सुसमाचार के प्रति व्यापक उदासीनता है। फ़िनलैंड में स्थिति तो यही है। उस देश के चर्च ने एक सर्वे संचालित किया और पता लगाया कि जनसंख्या के ७० प्रतिशत हिस्से को यहोवा के गवाहों का उनके घरों में उन्हें भेंट करना पसंद नहीं। बहरहाल, ३० प्रतिशत लोग सख़्त आपत्ति नहीं करते, और इन में के ४ प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें यहोवा के गवाह सचमुच पसंद हैं। यह एक अर्थपूर्ण संख्या है। फ़िनलैंड की जनसंख्या के ४ प्रतिशत हिस्से का मतलब है २,००,००० लोग। उसकी तुलना १७,३०३ की वर्तमान प्रचारक संख्या से करें!
२० क्षेत्र सेवा में कार्यरत एक प्रचारक का ध्यान इस सर्वे की ओर आकृष्ट किया गया, और उस से पूछा गया: “क्या आपको पता नहीं कि हम में से ७० प्रतिशत लोग आपको अप्रिय समझते हैं? आप हमारे दरवाज़ों पर बार बार क्यों आते हैं?” प्रचारक ने जवाब दिया: “हाँ, मगर उसी जाँच में प्रकट हुआ कि आप लोगों में से ४ प्रतिशत लोग हमें पसंद करते हैं। हम उन लोगों को ढूँढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। और अगर वे सिर्फ़ १ प्रतिशत ही क्यों न होते, हम तब भी उन्हें ढूँढ़ने के लिए घर घर जाते।” गृहस्थ ने क्षण भर सोचा और फिर कहा: “क्या आपका संदेश उनके लिए इतना महत्त्वपूर्ण है?” प्रचारक ने यह पूछकर जवाब दिया: “क्या आप उसे सुनना पसंद करेंगे?” जल्द ही इस गृहस्थ ने सुसमाचार में दिलचस्पी दिखायी।
भविष्य में क्या रखा है
२१. (अ) हमें इस रीति-व्यवस्था में किस क़िस्म का संघर्ष करना चाहिए, और क्यों? (ब) हमें शायद क्या सहन करना पड़ेगा, और हबक्कूक की भविष्यद्वाणी से हमें किस बात का आश्वासन मिलता है?
२१ आज हम सब का क्या? क्या हम अंत तक यहोवा और मसीह यीशु के साथ सहन करने के लिए कृतसंकल्प हैं? यह शायद ज़्यादा देर न होगा, लेकिन हमें अवश्य सहन करना है! शैतान की रीति-व्यवस्था में, जब चारों ओर से इस दुनिया की अनैतिकता, भ्रष्टाचार, और बैर ने हमें घेर लिया है, हमें विश्वास के लिए ठोस संघर्ष करना पड़ता है। (यहूदा ३, २०, २१) शायद हमें किसी न किसी प्रकार का उत्पीड़न सहना पड़े। अब भी, हमारे हज़ारों भाई क़ैदखानों में तक़लीफ़ें उठा रहे हैं, और कुछों को क्रूरता से पीटा जाता है। ये हमारी प्रार्थनाओं के लिए आभारी हैं। (२ थिस्सलुनीकियों ३:१, २) जल्द ही, यह वर्तमान रीति-व्यवस्था नहीं रहेगी! जैसा कि हबक्कूक कहता है: “इस दर्शन की बात नियत समय में पूरी होनेवाली है, वरन इसके पूरे होने का समय वेग से आता है; इस में धोखा न होगा। चाहे इस में विलम्ब भी हो, तौभी उसकी बाट जोहते रहना; क्योंकि वह निश्चय पूरी होगी और उस में देर न होगी।”—हबक्कूक २:३.
२२. अगर हम भविष्यद्वक्ताओं की सहनशीलता और अय्यूब के धीरज का प्रयोग करें, तो हम कौनसे नतीजे की पक्की आशा रख सकते हैं?
२२ शिष्य याकूब हमें प्रेममय रूप से बताता है: “हे भाइयों, जिन भविष्यद्वक्ताओं ने यहोवा के नाम से बातें कीं, उन्हें दुख उठाने और धीरज धरने का एक आदर्श समझो।” हम लोग जो आज यहोवा के नाम में बोलते हैं, कड़ी परीक्षाओं में खराई रखनेवाले हो सकते हैं, जैसा कि यशायाह, यिर्मयाह, दानिय्येल और अन्य थे। अय्यूब के जैसे, हम सहन कर सकते हैं। अपनी सहनशक्ति के लिए उसे कितनी बढ़िया रीति से प्रतिफलित किया गया! यहोवा की करुणा और प्रेममय-कृपा से हमें समान प्रतिफल मिलेगा—अगर हम अंत तक सहन करेंगे। और याकूब के शब्द हम में से हर एक के लिए परिपूर्ण हों: “देखो, हम धीरज धरनेवालों को धन्य कहते हैं।”—याकूब ५:१०, ११; न्यू.व.; अय्यूब ४२:१०-१३.
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ यीशु ने सहनशक्ति की कौनसी आवश्यकता पर ज़ोर दिया?
◻ यहोवा ने किस कारण सहन किया है?
◻ १९८९ के दौरान संपन्न हुए शानदार कार्य की कुछ विशेषताएँ क्या हैं?
◻ पोलैंड में हमारे भाइयों की सहनशक्ति किस तरह प्रतिफलित हुई है?
◻ लेबनॉन, कोलंबिया और इटली में गवाहों ने परीक्षा में भी विश्वसनीयता कैसे दिखायी है?