“भारी क्लेश” से पहले सुरक्षा की ओर भागना
“जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, . . . तब जो यहूदिया में हों वह पहाड़ों पर भाग जाएं।”—लूका २१:२०, २१.
१. उनके लिए भागना क्यों अत्यावश्यक है जो अभी-भी संसार का भाग हैं?
उन सभी के लिए जो शैतान के संसार का भाग हैं, उससे भाग निकलना अत्यावश्यक है। यदि उन्हें उस समय बचना है जब वर्तमान रीति-व्यवस्था पृथ्वी पर से मिटा दी जाएगी, तो उन्हें इस बात का विश्वासोत्पादक प्रमाण देना है कि उन्होंने यहोवा के पक्ष में दृढ़तापूर्वक अपनी स्थिति ले ली है और अब उस संसार का भाग नहीं रहे जिसका सरदार शैतान है। —याकूब ४:४; १ यूहन्ना २:१७.
२, ३. मत्ती २४:१५-२२ में अभिलिखित यीशु के शब्दों के सम्बन्ध में हम कौन-से प्रश्नों की चर्चा करने जा रहे हैं?
२ इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति के बारे में अपनी महान भविष्यवाणी में, यीशु ने इस प्रकार से भागने की अत्यावश्यकता पर ज़ोर दिया। हम मत्ती २४:४-१४ में अभिलिखित बातों पर प्रायः चर्चा करते हैं; लेकिन उसके बाद की बातें भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण हैं। हम आपको प्रोत्साहित करते हैं कि अब अपनी बाइबल खोलें और १५ से २२ आयत पढ़ें।
३ उस भविष्यवाणी का क्या अर्थ है? प्रथम शताब्दी में, “उजाड़नेवाली घृणित वस्तु” क्या थी? “पवित्र स्थान में” उसकी उपस्थिति ने क्या सूचित किया? उस घटना का हमारे लिए क्या महत्त्व है?
“जो पढ़े, वह समझे”
४. (क) दानिय्येल ९:२७ के अनुसार यहूदियों द्वारा मसीहा को अस्वीकार करने के बाद क्या होता? (ख) इसका उल्लेख करते समय, प्रत्यक्षतः, यीशु ने क्यों कहा, “जो पढ़े, वह समझे”?
४ ध्यान दीजिए कि मत्ती २४:१५ में यीशु ने दानिय्येल की पुस्तक में लिखी बात का उल्लेख किया। उस पुस्तक के अध्याय ९ में एक भविष्यवाणी है जिसने मसीहा के आगमन और उस न्यायदंड के बारे में पूर्वबताया जो यहूदी जाति को उसे स्वीकार न करने के कारण दिया जाता। आयत २७ (NHT फुटनोट) का दूसरा भाग कहता है: ‘और घृणित वस्तुओं के पंख पर वह उजाड़ने वाला दिखाई देगा।’ प्रारम्भिक यहूदी लोक-कथा के अनुसार दानिय्येल की भविष्यवाणी के उस भाग को सा.यु.पू. दूसरी शताब्दी में ऎंटाइअकस चौथे द्वारा यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर के दूषित किए जाने पर लागू किया गया। लेकिन यीशु ने चिताया: “जो पढ़े, वह समझे।” हालाँकि ऎंटाइअकस चौथे द्वारा मन्दिर का अपवित्रीकरण निश्चित ही घृणित था, उसका परिणाम विनाश नहीं था—यरूशलेम का, मन्दिर का, अथवा यहूदी जाति का। सो प्रत्यक्षतः यीशु अपने श्रोताओं को चिता रहा था कि इसकी पूर्ति अतीत में नहीं, बल्कि आगे भविष्य में होनी थी।
५. (क) सुसमाचार वृत्तान्तों की तुलना करना प्रथम शताब्दी “घृणित वस्तु” की पहचान करने में हमारी मदद कैसे करता है? (ख) सॆसटीअस गैलस ने सा.यु. ६६ में रोमी टुकड़ियों को जल्दी से यरूशलेम क्यों भेजा?
५ वह “घृणित वस्तु” क्या थी जिसके बारे में उन्हें सतर्क रहना था? यह ध्यान देने योग्य है कि मत्ती का वृत्तान्त कहता है: ‘जब तुम उस उजाड़नेवाली घृणित वस्तु को पवित्र स्थान में खड़ी हुई देखो।’ लेकिन, लूका २१:२० का समतुल्य वृत्तान्त इस प्रकार है: “जब तुम यरूशलेम को सेनाओं से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसका उजड़ जाना निकट है।” (तिरछे टाइप हमारे) सामान्य युग ६६ में, यरूशलेम में रहनेवाले मसीहियों ने वह देखा जो यीशु ने पूर्वबताया था। यहूदियों और रोमी अधिकारियों के बीच हुए संघर्ष की अनेक घटनाओं के कारण यरूशलेम रोम के विरुद्ध विद्रोह का अड्डा बन गया। फलस्वरूप, पूरे यहूदिया, सामरिया, गलील, दिकापुलिस, और फिनीके, उत्तर में सीरिया तक, और दक्षिण में मिस्र तक हिंसा भड़क उठी। रोमी साम्राज्य के उस भाग में कुछ हद तक शान्ति पुनःस्थापित करने के लिए, सॆसटीअस गैलस ने जल्दी से सैन्य दलों को सीरिया से यरूशलेम भेजा, जिसे यहूदी अपना “पवित्र नगर” कहते थे।—नहेमायाह ११:१; यशायाह ५२:१.
६. यह कैसे सच हुआ कि एक “घृणित वस्तु” जो उजाड़ कर सकती थी “पवित्र स्थान में खड़ी” थी?
६ रोमी सैनिकों के लिए ध्वज, या झण्डे लेकर चलना सामान्य था, जिन्हें वे पवित्र समझते थे परन्तु जिसे यहूदी मूर्तिपूजक समझते थे। दिलचस्पी की बात है कि दानिय्येल की पुस्तक में “घृणित वस्तु” अनुवादित इब्रानी शब्द मुख्यतः मूर्तियों और मूर्तिपूजा के सम्बन्ध में प्रयोग किया जाता है।a (व्यवस्थाविवरण २९:१७) यहूदियों द्वारा प्रतिरोध के बावजूद, अपने मूर्तिपूजक झण्डे लिए हुए रोमी सेना सा.यु. ६६ के नवम्बर में यरूशलेम में घुस आयी, और फिर मन्दिर की उत्तरी दीवार में सुरंग बनाना शुरू कर दिया। इसमें कोई संदेह नहीं था—एक “घृणित वस्तु” जो यरूशलेम को पूरी तरह उजाड़ सकती थी “पवित्र स्थान में खड़ी” थी! लेकिन कोई भागता कैसे?
भागना अत्यावश्यक था!
७. रोमी सेना ने सहसा क्या किया?
७ अचानक और मानवी दृष्टिकोण से किसी प्रत्यक्ष कारण के बिना, जब ऐसा लगा कि यरूशलेम को आसानी से जीता जा सकता था, रोमी सेना पीछे हट गयी। यहूदी विद्रोहियों ने वापस जाती रोमी टुकड़ियों का पीछा किया लेकिन यरूशलेम से कुछ ५० किलोमीटर दूर, केवल अन्तिपत्रिस तक। फिर वे लौट आए। यरूशलेम पहुँचने पर, वे अपनी आगे की युद्ध नीति निर्धारित करने के लिए मंदिर में इकट्ठा हुए। किलाबंदी मज़बूत करने और सेना में कार्य करने के लिए युवाओं को भरती किया गया। क्या मसीही इसमें उलझ जाते? यदि वे इससे दूर रहते, तो भी क्या वे ख़तरे के क्षेत्र में ही होते जब रोमी सेनाएँ लौटतीं?
८. यीशु के भविष्यसूचक शब्दों की आज्ञाकारिता में मसीहियों ने कौन-सा अत्यावश्यक क़दम उठाया?
८ यरूशलेम और सारे यहूदिया के मसीहियों ने यीशु मसीह द्वारा दी गयी भविष्यसूचक चेतावनी के अनुसार तुरन्त कार्य किया और उस ख़तरे के क्षेत्र से बाहर भाग गए। भागना अत्यावश्यक था! कुछ समय में वे पहाड़ी इलाक़ों में पहुँच गए, और संभवतः कुछ लोग पीरिया प्रदेश में, पेल्ला में बस गए। जिन्होंने यीशु की चेतावनी को माना वे अपनी भौतिक सम्पत्ति को बचाने की कोशिश में मूर्खता करके लौटे नहीं। (लूका १४:३३ से तुलना कीजिए।) उन परिस्थितियों में प्रस्थान करते समय, गर्भवती स्त्रियों और दूध पिलानेवाली माताओं को पैदल यात्रा तय करना निश्चित ही कठिन लगा। उनके भागने में सब्त के दिन के प्रतिबन्धों की रुकावट नहीं थी, और जबकि जाड़ा नज़दीक था, वह अब तक आया नहीं था। जिन्होंने शीघ्रता से भागने के बारे में यीशु की चेतावनी को माना था, वे जल्द ही सुरक्षित रूप से यरूशलेम और यहूदिया के बाहर थे। इस पर उनका जीवन निर्भर था।—याकूब ३:१७ से तुलना कीजिए।
९. रोमी सेना कितनी जल्दी लौटी, और परिणाम क्या हुआ?
९ उसके अगले ही साल, सा.यु. ६७ में, रोमियों ने यहूदियों के विरुद्ध युद्ध प्रक्रियाओं को फिर से शुरू किया। पहले, गलील पर क़ब्ज़ा किया गया। अगले साल, यहूदिया को छिन्न-विछिन्न कर दिया गया। सामान्य युग ७० तक, रोमी सेना ने स्वयं यरूशलेम को घेर लिया। (लूका १९:४३) अकाल बहुत बढ़ गया। नगर में फंसे हुए लोग एक दूसरे के विरुद्ध हो गए। जिसने भी बचकर भागने की कोशिश की उसकी हत्या कर दी गयी। जैसा यीशु ने कहा था, उनका अनुभव “भारी क्लेश” था।—मत्ती २४:२१.
१०. यदि हम समझ के साथ पढ़ते हैं, तो हम और किस बात को नोट करेंगे?
१० क्या इससे यीशु के पूर्वकथन की पूर्ण रूप से पूर्ति हो गयी? जी नहीं, और भी कुछ होना था। जैसे यीशु ने सलाह दी, यदि हम समझ के साथ शास्त्र पढ़ते हैं, तो हम उस पर ध्यान देने से नहीं चूकेंगे जो अभी होना बाक़ी है। हम स्वयं अपने जीवन में इसके अर्थ के बारे में भी गंभीरता से सोचेंगे।
आधुनिक-दिन “घृणित वस्तु”
११. कौन-से अन्य दो लेखांशों में दानिय्येल “घृणित वस्तु” का उल्लेख करता है, और वहाँ कौन-सी समयावधि की चर्चा हो रही है?
११ ध्यान दीजिए कि हम ने दानिय्येल ९:२७ में जो देखा है उसके अतिरिक्त, दानिय्येल ११:३१ और १२:११ में “उस घृणित वस्तु” के “जो उजाड़ करा देती है,” और भी उल्लेख हैं। इन बाद के उदाहरणों में से किसी में भी यरूशलेम के विनाश की चर्चा नहीं हो रही है। असल में, दानिय्येल १२:११ में जो कहा गया है, वह “अन्तसमय” के एक उल्लेख के मात्र दो आयत बाद आता है। (दानिय्येल १२:९) हम १९१४ से एक ऐसी ही समयावधि में जी रहे हैं। सो हमें उस आधुनिक-दिन “घृणित वस्तु” को “जो उजाड़ करा देती है,” पहचानने के लिए सतर्क रहने की और फिर यह निश्चित करने की ज़रूरत है कि हम ख़तरे के क्षेत्र से बाहर निकल जाएँ।
१२, १३. राष्ट्र संघ को आधुनिक-दिन “घृणित वस्तु” के रूप में वर्णित करना क्यों उपयुक्त है?
१२ वह आधुनिक-दिन “घृणित वस्तु” क्या है? प्रमाण राष्ट्र संघ की ओर संकेत करता है, जो १९२० में प्रभावी हुआ, इस संसार के अपने अन्तसमय में प्रवेश करने के कुछ ही समय बाद। लेकिन वह एक “उजाड़नेवाली घृणित वस्तु” कैसे हो सकता था?
१३ याद रखिए कि “घृणित वस्तु” के लिए इब्रानी शब्द बाइबल में मुख्यतः मूर्तियों और मूर्तिपूजक प्रथाओं के सम्बन्ध में प्रयोग किया गया है। क्या राष्ट्र संघ की पूजा की गयी? जी हाँ की गयी! पादरीवर्ग ने उसे “पवित्र स्थान में” रखा, और उनके अनुयायी उसे भावभीनी भक्ति देने लगे। अमरीका में ‘फॆडरल काउन्सिल ऑफ़ द चर्चेज़ ऑफ़ क्राइस्ट’ ने घोषित किया कि यह संघ “पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य की राजनीतिक अभिव्यक्ति” होगा। अमरीकी सॆनॆट को धार्मिक समूहों से ढेरों-ढेर पत्र प्राप्त हुए जिनमें उससे राष्ट्र संघ के प्रतिज्ञा-पत्र की पुष्टि करने का आग्रह किया गया। ब्रिटेन में बैपटिस्ट्स, कॉन्ग्रिगेशनलिस्ट्स, और प्रॆस्बिटेरियन्स के महा-निकाय ने “[पृथ्वी पर शान्ति] लाने के लिए एकमात्र उपलब्ध साधन” के रूप में इसकी प्रशंसा की।—प्रकाशितवाक्य १३:१४, १५ देखिए।
१४, १५. किस प्रकार संघ और बाद में संयुक्त राष्ट्र “पवित्र स्थान में” आया?
१४ परमेश्वर का मसीहाई राज्य १९१४ में स्वर्ग में स्थापित हो चुका था, लेकिन राष्ट्रों ने अपनी ही सर्वसत्ता के लिए लड़ना शुरू किया। (भजन २:१-६) जब राष्ट्र संघ का प्रस्ताव रखा गया, तब जिन राष्ट्रों ने अभी-अभी प्रथम विश्व युद्ध में लड़ाई की थी, वे और साथ ही उनकी सेनाओं पर आशिष देनेवाले पादरी पहले ही प्रदर्शित कर चुके थे कि उन्होंने परमेश्वर की व्यवस्था को त्याग दिया था। वे राजा के रूप में मसीह की ओर नहीं देख रहे थे। अतः उन्होंने एक मानवी संगठन को परमेश्वर के राज्य की भूमिका दे दी; उन्होंने राष्ट्र संघ को “पवित्र स्थान में” रख दिया, ऐसे स्थान में जहाँ उसे नहीं होना चाहिए था।
१५ संघ के उत्तराधिकारी के रूप में, अक्तूबर २४, १९४५ में संयुक्त राष्ट्र अस्तित्व में आया। बाद में, रोम के धर्मगुरुओं ने संयुक्त राष्ट्र को “मैत्री और शान्ति की अंतिम आशा” और “शान्ति और न्याय का सर्वोच्च न्यायालय” कहकर उसकी प्रशंसा की। जी हाँ, राष्ट्र संघ, अपने उत्तराधिकारी, संयुक्त राष्ट्र के साथ, सचमुच एक मूर्ति बन गया, परमेश्वर और उसके लोगों की दृष्टि में एक “घृणित वस्तु।”
किससे भागें?
१६. धार्मिकता के प्रेमियों को आज किस में से भागने की ज़रूरत है?
१६ इसे ‘देखने’ पर, अर्थात् यह पहचानने पर कि वह अन्तर्राष्ट्रीय संगठन क्या है और कैसे उसकी पूजा की जा रही है, धार्मिकता के प्रेमियों को सुरक्षा की ओर भागने की ज़रूरत है। किस में से भागने की? उस में से जो विश्वासघाती यरूशलेम का आधुनिक-दिन प्रतिरूप है, अर्थात्, मसीहीजगत, और समस्त बड़े बाबुल, झूठे धर्म की विश्वव्यापी व्यवस्था में से।—प्रकाशितवाक्य १८:४.
१७, १८. आधुनिक-दिन “घृणित वस्तु” क्या उजाड़ करेगी?
१७ यह भी याद रखिए कि प्रथम शताब्दी में, जब रोमी सेना ने अपने मूर्तिपूजक ध्वजों के साथ यहूदियों के पवित्र नगर में प्रवेश किया, तो वह यरूशलेम और उसकी उपासना व्यवस्था को उजाड़ने के लिए आयी थी। हमारे समय में विनाश केवल एक नगर पर नहीं, ना ही केवल मसीहीजगत पर, बल्कि झूठे धर्म की सम्पूर्ण विश्वव्यापी व्यवस्था पर आनेवाला है।—प्रकाशितवाक्य १८:५-८.
१८ प्रकाशितवाक्य १७:१६ में यह पूर्वबताया गया है कि एक लाक्षणिक किरमिजी रंग का जंगली पशु, जो कि संयुक्त राष्ट्र साबित हुआ है, वेश्या-समान बड़े बाबुल के विरुद्ध हो जाएगा और हिंसक रूप से उसका नाश करेगा। स्पष्ट भाषा प्रयोग करते हुए, वह कहता है: “जो दस सींग तू ने देखे, वे और पशु उस वेश्या से बैर रखेंगे, और उसे लाचार और नंगी कर देंगे; और उसका मांस खा जाएंगे, और उसे आग में जला देंगे।” इसका क्या अर्थ होगा, उस पर विचार करना विस्मयकारी है। इसका परिणाम होगा पृथ्वी के सभी भागों से हर क़िस्म के झूठे धर्म का अन्त। यह सचमुच दिखाएगा कि भारी क्लेश शुरू हो गया है।
१९. संयुक्त राष्ट्र की स्थापना से ही कौन-से तत्व उसका हिस्सा रहे हैं, और यह महत्त्वपूर्ण क्यों है?
१९ यह ध्यान देने योग्य है कि १९४५ में संयुक्त राष्ट्र के प्रभावी होने के समय से, नास्तिकवादी, धर्मविरोधी तत्व उसकी सदस्यता में प्रमुख रहे हैं। अलग-अलग समय पर संसार-भर में, धार्मिक अभ्यासों पर या तो अत्यधिक सीमाएँ लगाने या पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाने में ऐसे उग्र तत्वों का हाथ रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों में, अनेक स्थानों में धार्मिक समूहों पर सरकारी दबाव कम किया गया है। कुछ लोगों को शायद यह लगे कि धर्म के लिए कोई ख़तरा नहीं रहा।
२०. संसार के धर्मों ने अपने लिए किस क़िस्म का नाम कमाया है?
२० बड़े बाबुल के धर्म अभी-भी संसार में एक हिंसक रूप से विघटनकारी शक्ति हैं। समाचार सुर्ख़ियाँ अकसर युद्धरत गुटों और आतंकवादी दलों की पहचान उनके धर्म का नाम बताने के द्वारा करती हैं। विरोधी धार्मिक गुटों के बीच हिंसा रोकने के लिए बलवा पुलिस और सैनिकों को ज़बरदस्ती मन्दिरों में घुसना पड़ा है। धार्मिक निकायों ने राजनीतिक क्रांति के लिए पैसे दिए हैं। धार्मिक घृणा ने नृजातीय समूहों के बीच स्थिर सम्बन्ध बनाए रखने के संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों को निष्फल कर दिया है। शान्ति और सुरक्षा का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र के ही तत्व ऐसे किसी भी धार्मिक प्रभाव को मिटाए जाते देखना चाहेंगे जो उनके रास्ते में आता है।
२१. (क) कौन निर्धारित करेगा कि बड़े बाबुल का विनाश कब होना है? (ख) उससे पहले क्या करना अत्यावश्यक है?
२१ एक और महत्त्वपूर्ण बात पर भी विचार किया जाना चाहिए। हालाँकि संयुक्त राष्ट्र के बीच से ही सैन्यीकृत “सींग” बड़े बाबुल का नाश करने के लिए प्रयोग किए जाएँगे, वह विनाश वास्तव में ईश्वरीय न्याय की एक अभिव्यक्ति होगा। वह न्याय परमेश्वर के नियुक्त समय में कार्यान्वित किया जाएगा। (प्रकाशितवाक्य १७:१७) इस बीच हमें क्या करना चाहिए? “उस में से निकल आओ”—बड़े बाबुल में से निकल आओ—बाइबल उत्तर देती है।—प्रकाशितवाक्य १८:४.
२२, २३. इस प्रकार से भागने में क्या सम्मिलित है?
२२ सुरक्षा की ओर इस प्रकार से भागना एक भौगोलिक स्थानांतरण नहीं है, जैसे यहूदी मसीहियों ने यरूशलेम को छोड़कर भागते समय किया। यह मसीहीजगत के धर्मों से भागना है, जी हाँ, बड़े बाबुल के किसी भी हिस्से से भागना। इसका अर्थ है अपने आपको झूठे धार्मिक संगठनों से ही नहीं बल्कि उनकी प्रथाओं से और उस आत्मा से भी जो वे उत्पन्न करते हैं, पूरी तरह अलग करना। यह यहोवा के ईश्वरशासित संगठन में सुरक्षा के स्थान की ओर भागना है।—इफिसियों ५:७-११.
२३ जब प्रथम विश्व युद्ध के बाद, यहोवा के अभिषिक्त सेवकों ने पहली बार आधुनिक-दिन घृणित वस्तु, राष्ट्र संघ की पहचान करायी, तब साक्षियों ने कैसी प्रतिक्रिया दिखायी? वे मसीहीजगत के गिरजों की सदस्यता से पहले ही निकल चुके थे। परन्तु धीरे-धीरे उन्हें यह एहसास हुआ कि वे अब भी मसीहीजगत की कुछ प्रथाओं और अभ्यासों को मान रहे थे, जैसे क्रूस का प्रयोग और बड़े-दिन और अन्य विधर्मी त्योहारों को मनाना। जब उन्होंने इन बातों के बारे में सच्चाई सीखी, उन्होंने तुरन्त क़दम उठाया। उन्होंने यशायाह ५२:११ में दी गयी सलाह को माना: “दूर हो, दूर, वहां से निकल जाओ, कोई अशुद्ध वस्तु मत छुओ; उसके बीच से निकल जाओ; हे यहोवा के पात्रों के ढोनेवालो, अपने को शुद्ध करो।”
२४. ख़ासकर १९३५ से, भागने में कौन साथ हो लिए हैं?
२४ ख़ासकर १९३५ से, अन्य लोगों की एक बढ़ती हुई भीड़ ने, ऐसे लोग जिन्होंने परादीस पृथ्वी पर सर्वदा जीवित रहने की प्रत्याशा के बारे में सीखा, समान क़दम उठाना शुरू किया। उन्होंने भी ‘उस उजाड़नेवाली घृणित वस्तु को पवित्र स्थान में खड़ी हुई देखा है,’ और वे समझते हैं कि इसका अर्थ क्या है। भागने के लिए अपना फ़ैसला करने के बाद, उन्होंने ऐसे संगठनों की सदस्यता सूची में से अपना नाम कटवा दिया है जो बड़े बाबुल का भाग हैं।—२ कुरिन्थियों ६:१४-१७.
२५. एक व्यक्ति का झूठे धर्म के साथ सभी सम्बन्ध तोड़ने के अतिरिक्त और किस बात की ज़रूरत है?
२५ लेकिन, बड़े बाबुल से भागने में झूठे धर्म को त्यागने से कहीं अधिक सम्मिलित है। इसमें राज्यगृह की कुछ सभाओं में जाने, या महीने में एकाध बार क्षेत्र सेवा में जाकर सुसमाचार का प्रचार करने से अधिक सम्मिलित है। एक व्यक्ति शायद शारीरिक रूप से बड़े बाबुल के बाहर हो, लेकिन क्या उसने सचमुच उसे पीछे छोड़ दिया है? क्या उसने अपने आपको उस संसार से अलग कर लिया है जिसका एक प्रमुख भाग बड़ा बाबुल है? क्या वह अब भी उन बातों को थामे हुए है जो उसकी आत्मा प्रदर्शित करती हैं—एक ऐसी आत्मा जो परमेश्वर के धर्मी स्तरों की उपेक्षा करती है? क्या वह लैंगिक नैतिकता और वैवाहिक विश्वसनीयता को कम महत्त्व का समझ रहा है? क्या वह व्यक्तिगत और भौतिक हितों पर आध्यात्मिक हितों से ज़्यादा ज़ोर देता है? उसे अपने आपको इस रीति-व्यवस्था के सदृश्य नहीं बनाना चाहिए।—मत्ती ६:२४; १ पतरस ४:३, ४.
किसी कारण भागने से न चूकें!
२६. भागना सिर्फ़ शुरू करना ही नहीं बल्कि उसे सफलतापूर्वक पूरा करने में कौन-सी बात हमारी मदद करेगी?
२६ सुरक्षा की ओर भागते समय यह अनिवार्य है कि हम पीछे छूटी वस्तुओं को लालसा के साथ न देखें। (लूका ९:६२) हमें अपना मन और हृदय दृढ़ता से परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता पर लगाने की ज़रूरत है। क्या हम पहले इनकी खोज करने के द्वारा अपना विश्वास प्रदर्शित करने के लिए दृढ़संकल्प हैं, इस विश्वास के साथ कि यहोवा ऐसे विश्वासपूर्ण मार्ग पर आशीष देगा? (मत्ती ६:३१-३३) जैसे-जैसे हम संसार के दृश्य-पटल पर महत्त्वपूर्ण घटनाएँ होने की उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं, हमारे शास्त्र पर आधारित विश्वासों से हमें इसी लक्ष्य की ओर प्रेरित होना चाहिए।
२७. यहाँ पूछे गए प्रश्नों के बारे में गंभीरतापूर्वक सोचना क्यों महत्त्वपूर्ण है?
२७ ईश्वरीय न्याय का कार्यान्वयन बड़े बाबुल के विनाश के साथ शुरू होगा। उस वेश्या-समान झूठे धर्म के साम्राज्य का हमेशा के लिए नामो-निशान मिटा दिया जाएगा। वह समय बहुत निकट है! जब वह निर्णायक समय आएगा तब व्यक्तियों के रूप में हमारी क्या स्थिति होगी? और भारी क्लेश की पराकाष्ठा के समय, जब शैतान की बाक़ी की दुष्ट व्यवस्था नाश की जाती है, हम किस पक्ष में पाए जाएँगे? यदि हम अभी ज़रूरी क़दम उठाते हैं, तो हमारी सुरक्षा निश्चित की जाती है। यहोवा हमसे कहता है: “जो मेरी सुनेगा, वह निडर बसा रहेगा।” (नीतिवचन १:३३) इस व्यवस्था की समाप्ति के दौरान, निष्ठा और आनन्द के साथ यहोवा की सेवा करना जारी रखने के द्वारा, शायद हम सर्वदा यहोवा की सेवा करने के योग्य ठहरें।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित शास्त्रवचनों पर अंतर्दृष्टि (अंग्रेज़ी), खण्ड १, पृष्ठ ६३४-५ देखिए।
क्या आपको याद है?
◻ आधुनिक-दिन “घृणित वस्तु” क्या है?
◻ किस अर्थ में “घृणित वस्तु . . . पवित्र स्थान में खड़ी हुई” है?
◻ अभी सुरक्षा की ओर भागने में क्या सम्मिलित है?
◻ ऐसा क़दम उठाना क्यों अत्यावश्यक है?
[पेज 16 पर तसवीरें]
बचने के लिए, यीशु के अनुयायियों को बिना देर किए भागना था