पाएँ बाइबल का खज़ाना | मत्ती 25
“जागते रहो”
यीशु ने दस कुँवारियों की मिसाल खास तौर से अभिषिक्त मसीहियों को ध्यान में रखकर दी थी, मगर इससे सभी मसीही कुछ सीख सकते हैं। (प्र15 3/15 पेज 12-16) यीशु ने कहा था, “जागते रहो क्योंकि तुम न तो उस दिन को जानते हो, न ही उस घड़ी को।” (मत 25:13) क्या आप दस कुँवारियों की मिसाल का मतलब समझा सकते हैं?
दूल्हा (आय. 1)—यीशु
समझदार कुँवारियाँ, जो दूल्हे के लिए तैयार थीं (आय. 2)—वे अभिषिक्त मसीही जो तैयार रहने की वजह से अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभाते हैं और अंत तक इस दुनिया में रौशनी की तरह चमकते हैं (फिल 2:15)
पुकार लगायी गयी, “देखो, दूल्हा आ रहा है!” (आय. 6)—यीशु की मौजूदगी की निशानी
मूर्ख कुँवारियाँ (आय. 8)—वे अभिषिक्त मसीही जो दूल्हे से मिलने तो जाते हैं, लेकिन जागते नहीं रहते और वफादार नहीं रहते
समझदार कुँवारियाँ अपना तेल दूसरों को नहीं देतीं (आय. 9)—आखिरी मुहर लगने के बाद वफादार अभिषिक्त मसीही ऐसे लोगों की मदद नहीं कर पाएँगे, जो वफादार नहीं रहेंगे। तब तक बहुत देर हो चुकी होगी
“दूल्हा आ गया” (आय. 10)—महा-संकट के आखिर में यीशु न्याय करने आएगा
समझदार कुँवारियाँ दूल्हे के साथ शादी की दावत के लिए अंदर चली जाती हैं और दरवाज़ा बंद कर दिया जाता है (आय. 10)—यीशु अपने वफादार अभिषिक्त जनों को इकट्ठा करके स्वर्ग ले जाएगा। पर जो वफादार नहीं रहेंगे, वे स्वर्ग में जीवन पाने का इनाम खो देंगे