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“तुम न तो उस दिन को और न ही उस वक्त को जानते हो”प्रहरीदुर्ग—2012 | सितंबर 15
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“तुम न तो उस दिन को और न ही उस वक्त को जानते हो”
“इसलिए जागते रहो, क्योंकि तुम न तो उस दिन को और न ही उस वक्त को जानते हो।”—मत्ती 25:13.
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“तुम न तो उस दिन को और न ही उस वक्त को जानते हो”प्रहरीदुर्ग—2012 | सितंबर 15
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1-3. (क) यीशु अपने दो दृष्टांतों से जो सीख देना चाहता था, यह हम किन दो हालात से समझ सकते हैं? (ख) हम किन सवालों के जवाब देखेंगे?
मान लीजिए, एक बड़ा अधिकारी आपसे कहता है कि उसे एक ज़रूरी मीटिंग के लिए जाना है और आप उसे गाड़ी में वहाँ तक छोड़ दें। आप उसे लेने के लिए निकलने ही वाले होते हैं कि आपको एहसास होता है कि गाड़ी में बहुत कम पेट्रोल है। आप फौरन पेट्रोल भराने जाते हैं। तभी वह अधिकारी आ जाता है। वह इधर-उधर आपको ढूँढ़ता है मगर आप कहीं दिखायी नहीं देते। उसे देर हो रही है, इसलिए वह किसी और से बोलता है कि वह उसे गाड़ी में ले जाए। आप जैसे ही वापस आते हैं, आपको पता चलता है कि वह अधिकारी आपको छोड़कर चला गया है। उस वक्त आपको कैसा लगेगा?
2 अब सोचिए कि आप एक अधिकारी हैं। आपको कहीं जाना है मगर उससे पहले आप कुछ ज़रूरी काम के लिए तीन काबिल आदमियों को चुनते हैं। आप उन्हें काम समझाते हैं और वे उसे करने के लिए राज़ी हो जाते हैं। मगर लौटने पर आपको पता चलता है कि तीन लोगों में से सिर्फ दो ने वह काम किया है। और जिसने काम नहीं किया, वह तो बहाने भी गढ़ रहा है। दरअसल, उसने वह काम करने की कोशिश ही नहीं की। ऐसे में आपको कैसा लगेगा?
3 जिन हालात पर हमने अभी गौर किया, वे यीशु के बताए कुंवारियों और तोड़ों के दृष्टांतों से मिलते-जुलते हैं। दोनों दृष्टांत अंत के समय के बारे में हैं और दिखाते हैं कि क्यों इस दौरान कुछ अभिषिक्त मसीही, विश्वासयोग्य और सूझ-बूझ से काम लेनेवाले साबित होंगे और कुछ नहीं।a (मत्ती 25:1-30) इन दृष्टांतों से जो सीख मिलती है, उस पर ज़ोर देने के लिए यीशु ने कहा: “जागते रहो, क्योंकि तुम न तो उस दिन को और न ही उस वक्त को जानते हो।” यीशु उस दिन की बात कर रहा था जब वह शैतान की दुनिया पर परमेश्वर का न्यायदंड लाएगा। (मत्ती 25:13) आज हमें भी ‘जागते रहने’ की ज़रूरत है। यीशु की इस सलाह को मानने से हमें क्या फायदे होंगे? किन लोगों ने उस दिन के लिए तैयार रहने का सबूत दिया है? और जागते रहने के लिए आज हमें क्या करना होगा?
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