यहोवा—भलाई की सबसे बेहतरीन मिसाल
“सेनाओं के यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि यहोवा भला है”!—यिर्मयाह 33:11.
1. हमारा मन परमेश्वर की भलाई के बदले उसकी स्तुति करने को क्यों करता है?
यहोवा परमेश्वर भलाई में बेजोड़ है। भविष्यवक्ता जकर्याह ने उसके बारे में कहा: “अहा, उसकी भलाई कितनी अपार है!” (जकर्याह 9:17, NW) देखा जाए तो, परमेश्वर ने हमारी खुशी के लिए धरती पर जितनी भी चीज़ें बनायीं, उन सभी में उसकी भलाई नज़र आती है। (उत्पत्ति 1:31) यह सच है कि विश्वमंडल को रचने में परमेश्वर ने जितने जटिल नियमों का इस्तेमाल किया, उन सभी को समझना हमारे बस के बाहर है। (सभोपदेशक 3:11; 8:17) फिर भी विश्वमंडल के बारे में हमें जो थोड़ी-बहुत जानकारी है, वह हमें परमेश्वर की भलाई के बदले उसकी स्तुति करने को उकसाती है।
2. भलाई की आप क्या परिभाषा देंगे?
2 भलाई का मतलब क्या है? भलाई का मतलब, नैतिक उत्तमता या सद्गुण है। लेकिन इसका मतलब सिर्फ हर तरह की बुराई से दूर रहना नहीं है। भलाई, आत्मा का एक फल है और यह दूसरों की खातिर अच्छे काम करने के ज़रिए दिखाया जाता है। (गलतियों 5:22, 23) जब हम दूसरों के लिए अच्छे और फायदेमंद काम करते हैं तो हम भलाई का गुण दिखाते हैं। लेकिन इस दुनिया में जिस काम को कुछ लोग भला समझते हैं, वही दूसरों की नज़रों में बुरा होता है। इसलिए अगर हम शांति और खुशी पाना चाहते हैं, तो भलाई का एक स्तर होना ज़रूरी है। यह स्तर निर्धारित करने का हक किसको है?
3. उत्पत्ति 2:16, 17 से भलाई के स्तर निर्धारित करने के बारे में क्या पता चलता है?
3 भलाई का स्तर, परमेश्वर निर्धारित करता है। दुनिया की शुरूआत में यहोवा ने ही पहले पुरुष को यह आज्ञा दी थी: “तू बाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है: पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्य मर जाएगा।” (उत्पत्ति 2:16, 17) यह दिखाता है कि भले-बुरे का ज्ञान पाने के लिए इंसानों को अपने सिरजनहार की मदद लेने की ज़रूरत है।
उनके साथ भलाई, जो उसे पाने के लायक नहीं
4. आदम के पाप करने के बाद, परमेश्वर ने इंसानों के लिए क्या किया?
4 सभी इंसानों को हमेशा के लिए एक सुखी और सिद्ध जीवन मिल सकता था, मगर जब आदम ने पाप किया और यह मानने से इनकार कर दिया कि केवल परमेश्वर को भलाई के स्तर बनाने का हक है, तो इंसान की खुशियाँ दाँव पर लग गयीं। (उत्पत्ति 3:1-6) लेकिन इससे पहले कि आदम की संतान हो और वह पाप और मृत्यु को विरासत में पाए, परमेश्वर ने एक सिद्ध वंश के आने की भविष्यवाणी की। यह भविष्यवाणी यहोवा ने असल में ‘पुराने सांप,’ शैतान यानी इब्लीस को सुनाते हुए कहा: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करूंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (प्रकाशितवाक्य 12:9; उत्पत्ति 3:15) पापी इंसानों को छुटकारा दिलाना, यहोवा का मकसद था। उसने यह इंतज़ाम किया कि जो भी उसके प्रिय पुत्र की छुड़ौती बलिदान में विश्वास करते, वे उद्धार पा सकें। इस तरह उसने ऐसे लोगों के साथ भलाई की जो दरअसल इसके लायक नहीं थे।—मत्ती 20:28; रोमियों 5:8, 12.
5. बुरी इच्छाएँ पैदा करनेवाला हृदय पाने के बावजूद हम क्यों कुछ हद तक भलाई का गुण दिखा सकते हैं?
5 यह सच है कि आदम के पाप की वजह से हम सभी ने विरासत में ऐसा हृदय पाया है जिसमें हमेशा बुरी इच्छाएँ पैदा होती हैं। (उत्पत्ति 8:21) लेकिन हम शुक्रगुज़ार हैं कि यहोवा, भलाई का गुण दिखाने में हमारी मदद करता है। जब हम उसके अनमोल पवित्र शास्त्र से मिलनेवाली शिक्षा पर लगातार चलते हैं, तो हम न सिर्फ ‘उद्धार प्राप्त करने के लिये बुद्धिमान बनते हैं’ और ‘हर एक भले काम के लिये तत्पर होते’ हैं बल्कि यहोवा के स्तर के मुताबिक जो भला है, उसे करने की सामर्थ भी पाते हैं। (2 तीमुथियुस 3:14-17) लेकिन बाइबल की शिक्षा से लाभ पाने और भलाई करने के लिए हमें उस भजनहार के जैसा नज़रिया रखना ज़रूरी है, जिसने अपने गीत में कहा: “तू [यहोवा] भला है, और भला करता भी है; मुझे अपनी विधियां सिखा।”—भजन 119:68.
यहोवा की भलाई का गुणगान किया जाता है
6. जब राजा दाऊद की अगुवाई में वाचा का संदूक यरूशलेम लाया गया, तो लेवियों ने क्या कहकर गीत गाया?
6 प्राचीन इस्राएल के राजा, दाऊद ने परमेश्वर की भलाई की कदर की और उससे मार्गदर्शन माँगा। उसने कहा: “यहोवा भला और सीधा है; इसलिये वह पापियों को अपना मार्ग दिखलाएगा।” (भजन 25:8) इस्राएलियों को परमेश्वर से मिली शिक्षा में दस खास नियम या दस आज्ञाएँ भी शामिल थीं। इन्हें पत्थर की दो पटियाओं पर लिखा गया और उन पटियाओं को वाचा का संदूक कहलानेवाले एक पवित्र संदूक में रखा गया। जब दाऊद की अगुवाई में उस संदूक को इस्राएल की राजधानी, यरूशलेम लाया गया तो उस मौके पर लेवियों ने एक गीत गाया जिसके बोल कुछ इस तरह थे: “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; उसकी करुणा सदा की है।” (1 इतिहास 16:34, 37-41) उन लेवी गायकों को ऐसे शब्दों से गीत गाते सुनना लोगों को कितना मनभावना लगा होगा!
7. संदूक को परमपवित्रस्थान में रखने के बाद और सुलैमान की समर्पण की प्रार्थना के बाद क्या हुआ?
7 दाऊद के पुत्र सुलैमान के बनाए यहोवा के मंदिर के उद्घाटन-अवसर पर भी इन्हीं शब्दों से यहोवा की स्तुति की गयी। वाचा के संदूक को उस नए मंदिर के परमपवित्रस्थान में रखे जाने के बाद, लेवियों ने यह कहकर यहोवा की स्तुति की कि “वह भला है और उसकी करुणा सदा की है।” तब चमत्कार से पूरे मंदिर में एक बादल छा गया, जो यहोवा की तेजोमय उपस्थिति को दिखाता था। (2 इतिहास 5:13, 14) और जैसे ही सुलैमान ने मंदिर के समर्पण की प्रार्थना की तो “स्वर्ग से आग ने गिरकर होमबलियों तथा और बलियों को भस्म किया।” यह देखकर, ‘सब इस्राएलियों ने फर्श पर झुककर अपना अपना मुंह भूमि की ओर किए हुए दण्डवत किया, और यों कहकर यहोवा का धन्यवाद किया कि, वह भला है, उसकी करुणा सदा की है।’ (2 इतिहास 7:1-3) उस अवसर पर इस्राएलियों ने 14 दिन का पर्व मनाया और फिर सभी अपने-अपने घर लौट गए। “वे उस भलाई के कारण जो यहोवा ने दाऊद और सुलैमान और अपनी प्रजा इस्राएल पर की थी आनन्दित थे।”—2 इतिहास 7:10.
8, 9. (क) यहोवा की भलाई के लिए उसकी स्तुति करने के बावजूद इस्राएलियों ने बाद में कौन-सा रास्ता चुना? (ख) यिर्मयाह के ज़रिए यरूशलेम के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी और यह कैसे पूरी हुई?
8 दुःख की बात है कि इस्राएलियों ने परमेश्वर की स्तुति में गाए गीत के मुताबिक हमेशा अपनी ज़िंदगी नहीं बितायी। कुछ समय बाद, यहूदा के निवासी ‘सिर्फ मुंह से यहोवा का आदर करने लगे थे।’ (यशायाह 29:13) भलाई के बारे में परमेश्वर के ठहराए स्तरों पर चलने के बजाय, वे बुरे काम करने लगे। उन्होंने कौन-कौन-से बुरे काम किए? मूर्ति-पूजा, अनैतिकता, गरीबों पर अत्याचार और ऐसे बहुत-से गंभीर पाप! नतीजा यह हुआ कि सा.यु.पू. 607 में यरूशलेम को नाश कर दिया गया और यहूदा के निवासियों को बंदी बनाकर बाबुल ले जाया गया।
9 इस तरह परमेश्वर ने अपने लोगों को ताड़ना दी। मगर फिर उसने भविष्यवक्ता यिर्मयाह के ज़रिए बताया कि वह समय ज़रूर आएगा जब यरूशलेम में यह कहनेवाले लोगों के शब्द सुनायी पड़ेंगे: “सेनाओं के यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि यहोवा भला है, और उसकी करुणा सदा की है!” (यिर्मयाह 33:10, 11) और सचमुच ऐसा ही हुआ। यहूदा देश के 70 साल तक उजाड़ पड़े रहने के बाद, सा.यु.पू. 537 में बचे हुए कुछ यहूदी यरूशलेम वापस लौटे। (यिर्मयाह 25:11; दानिय्येल 9:1, 2) उन्होंने मोरिय्याह पहाड़ पर उसी जगह एक वेदी बनायी जहाँ पहले मंदिर था और वहाँ बलिदान अर्पित करना शुरू किया। और वापस लौटने के दूसरे साल उन्होंने मंदिर की नींव भी डाली। उस वक्त इस्राएलियों ने कितना आनंद मनाया! एज्रा कहता है कि “जब राजों ने यहोवा के मन्दिर की नेव डाली तब अपने वस्त्र पहिने हुए, और तुरहियां लिये हुए याजक, और झांझ लिये हुए आसाप के वंश के लेवीय इसलिये नियुक्त किए गए कि इस्राएलियों के राजा दाऊद की चलाई हुई रीति के अनुसार यहोवा की स्तुति करें। सो वे यह गा गाकर यहोवा की स्तुति और धन्यवाद करने लगे, कि वह भला है, और उसकी करुणा इस्राएल पर सदैव बनी है।”—एज्रा 3:1-11.
10. भजन 118 किन खास शब्दों से शुरू और खत्म होता है?
10 यहोवा की भलाई के बारे में इससे मिलते-जुलते स्तुति के बोल कई भजनों में पाए जाते हैं। उनमें से एक है भजन 118 जिसे इस्राएल के घराने, फसह के पर्व के आखिर में गाया करते थे। यह भजन इन शब्दों के साथ शुरू और खत्म होता है: “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है, और उसकी करुणा सदा की है!” (भजन 118:1, 29, NHT) यीशु ने सा.यु. 33 में अपनी मौत से पहले की रात, वफादार प्रेरितों के साथ जो स्तुति-गीत गाया था, उसके आखिरी बोल भी शायद ये ही थे।—मत्ती 26:30.
“मुझे अपना तेज दिखा दे”
11, 12. परमेश्वर की महिमा की झलक पाने के बाद मूसा को कौन-सी घोषणा सुनायी पड़ी?
11 यहोवा की भलाई और उसकी करुणा के बीच नाता है, यह बात दरअसल एज्रा के समय से सदियों पहले ज़ाहिर की गयी थी। यह तब की बात है जब वीराने में सोने के बछड़े की पूजा करने के अपराध में कई इस्राएलियों को घात कर दिया गया था। उस घटना के तुरंत बाद, मूसा ने यहोवा से बिनती की: “मुझे अपना तेज दिखा दे।” लेकिन यहोवा जानता था कि मूसा उसका मुख देखकर ज़िंदा नहीं बच सकता, इसलिए उसने मूसा से कहा: “मैं तेरे सम्मुख होकर चलते हुए तुझे अपनी सारी भलाई दिखाऊंगा।”—निर्गमन 33:13-20.
12 अगले ही दिन, सीनै पर्वत पर यहोवा की भलाई मूसा के सामने प्रकट हुई। उस वक्त उसे परमेश्वर की महिमा की एक झलक मिली और यह घोषणा सुनायी पड़ी: “यहोवा, यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी, कोप करने में धीरजवन्त, और अति करुणामय और सत्य, हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला, अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है, परन्तु दोषी को वह किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा, वह पितरों के अधर्म का दण्ड उनके बेटों वरन पोतों और परपोतों को भी देनेवाला है।” (निर्गमन 34:6, 7) ये शब्द दिखाते हैं कि यहोवा की भलाई का उसकी करुणा और उसके व्यक्तित्व के दूसरे गुणों से संबंध है। इन गुणों पर विचार करने से हमें भलाई का गुण दिखाने में मदद मिलेगी। आइए हम सबसे पहले उस गुण पर विचार करें, जिसके बारे में परमेश्वर की भलाई की इस शानदार घोषणा में दो बार ज़िक्र किया गया है।
“ईश्वर . . . अति करुणामय”
13. परमेश्वर की भलाई की घोषणा में किस गुण का दो बार ज़िक्र किया गया है और ऐसा करना क्यों उचित है?
13 ‘यहोवा, अति करुणामय और हज़ारों पीढ़ियों तक निरन्तर करुणा करनेवाला ईश्वर है।’ जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “करुणामय” किया गया है, उसका मतलब “सच्चा प्रेम” भी है। मूसा को सुनायी गयी यहोवा की घोषणा में सिर्फ इसी गुण का दो बार ज़िक्र किया गया है। इस गुण पर इतना ज़ोर देना बिलकुल उचित है क्योंकि यहोवा का सबसे अहम गुण प्रेम ही तो है! (1 यूहन्ना 4:8) “क्योंकि वह भला है, और उसकी करुणा [“सच्चा प्रेम,” ईज़ी-टू-रीड वर्शन] सदा की है!”—यहोवा की स्तुति में बोले जानेवाले इन जाने-माने शब्दों में भी प्रेम को ही सबसे अधिक महत्त्व दिया गया है।
14. परमेश्वर की भलाई और उसकी करुणा से खासकर कौन लाभ उठाते हैं?
14 यहोवा की भलाई का एक पहलू यह है कि वह “अति करुणामय” है। उसकी करुणा खासकर इस बात से देखी जा सकती है कि जो लोग उसे समर्पित हैं और वफादारी से उसकी सेवा करते हैं, उनकी वह प्यार से देखभाल करता है। (1 पतरस 5:6, 7) यहोवा की साक्षी देनेवाले यह सबूत दे सकते हैं कि जो उससे प्रेम करते और उसकी सेवा करते हैं, उन पर वह ‘निरन्तर करुणा करता है।’ (निर्गमन 20:6) यहोवा ने इस्राएल जाति के लिए भी करुणा या सच्चा प्रेम दिखाया मगर जब इस जाति ने परमेश्वर के पुत्र को ठुकरा दिया, तो वह यह आशीष खो बैठी। लेकिन सभी जातियों से आए वफादार मसीहियों पर परमेश्वर की भलाई और उसका सच्चा प्रेम सदा तक कायम रहेगा।—यूहन्ना 3:36.
यहोवा—दयालु और अनुग्रहकारी
15. (क) सीनै पर्वत पर मूसा ने जो घोषणा सुनी, उसकी शुरूआत किन शब्दों से हुई? (ख) दया दिखाने का मतलब क्या है?
15 सीनै पर्वत पर मूसा ने जो घोषणा सुनी, उसकी शुरूआत इन शब्दों से हुई: “यहोवा, यहोवा, ईश्वर दयालु और अनुग्रहकारी।” जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “दया” किया गया है, उसका मतलब “अंतड़ियाँ” भी हो सकता है और यह शब्द “गर्भ” के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द से गहरा ताल्लुक रखता है। यह दिखाता है कि दया का मतलब प्यार और कोमलता की भावनाएँ हैं, जो एक इंसान के अंदर गहराई तक समायी होती हैं। लेकिन दया दिखाने का मतलब सिर्फ यह नहीं कि दूसरों का दुःख देखकर हमारा दिल पसीज जाए। बल्कि इस भावना से हमारे अंदर यह इच्छा पैदा होनी चाहिए कि हम उनका दुःख दूर करने के लिए कुछ कदम भी उठाएँ। उदाहरण के लिए, प्यार करनेवाले मसीही प्राचीन जानते हैं कि उन्हें अपने भाई-बहनों के साथ दया से पेश आना है और ज़रूरत पड़े तो उन पर ‘प्रसन्नता से दया दिखाना’ है।—रोमियों 12:8, ईज़ी-टू-रीड वर्शन; याकूब 2:13; यहूदा 22, 23.
16. यहोवा को अनुग्रहकारी कहना क्यों सही होगा?
16 परमेश्वर अपनी भलाई, अनुग्रह करने के ज़रिए भी प्रकट करता है। अनुग्रही व्यक्ति वह होता है, जो “दूसरों की भावनाओं का लिहाज़ करने के लिए जाना जाता है।” वह “सबके साथ और खासकर अपने से कम दर्जे के लोगों के साथ दया से पेश आता है।” अनुग्रह दिखाने में यहोवा सबसे बेहतरीन मिसाल है और अपने वफादार सेवकों के साथ पेश आते वक्त उसने यह गुण बखूबी दिखाया। उदाहरण के लिए, उसने अनुग्रह दिखाते हुए स्वर्गदूतों के ज़रिए बूढ़े भविष्यवक्ता, दानिय्येल की हिम्मत बँधायी और कुँवारी मरियम को पहले से बताया कि उसे यीशु को जन्म देने की अनोखी आशीष मिलेगी। (दानिय्येल 10:19; लूका 1:26-38) आज हम यहोवा के लोग बेशक इस बात के एहसानमंद हैं कि वह हम पर अनुग्रह करते हुए बाइबल के पन्नों के ज़रिए हमें प्यार से समझाता है। हम परमेश्वर की इस भलाई के लिए उसकी स्तुति करते हैं और खुद भी दूसरों के साथ प्यार और हमदर्दी से पेश आने के ज़रिए उन पर अनुग्रह करते हैं। और आध्यात्मिक रूप से काबिल भाई, जब किसी भाई या बहन को “नम्रता के साथ” ताड़ना देते हैं, तो वे भी उन पर अनुग्रह करने यानी उनके साथ कोमलता से पेश आने की कोशिश करते हैं।—गलतियों 6:1.
कोप करने में धीरजवन्त परमेश्वर
17. हम क्यों इस बात के शुक्रगुज़ार हैं कि यहोवा “कोप करने में धीरजवन्त है”?
17 ‘ईश्वर जो कोप करने में धीरजवन्त है।’ इन शब्दों से यहोवा की भलाई के एक और पहलू पर हमारा ध्यान जाता है। वह यह है कि यहोवा हमारी गलतियों को सह लेता है और हमें अपनी बड़ी-बड़ी कमज़ोरियों पर जीत पाने और आध्यात्मिक तरक्की करने के लिए समय देता है। (इब्रानियों 5:12–6:3; याकूब 5:14, 15) परमेश्वर के धीरज से उन लोगों को भी लाभ होता है जो अभी तक उसके उपासक नहीं बने हैं। उनके पास राज्य संदेश सुनने और पश्चाताप करने का अब भी मौका है। (रोमियों 2:4) लेकिन यहोवा की भलाई उसे धीरज धरने के साथ-साथ, कभी-कभी क्रोध प्रकट करने के लिए भी उकसाती है, जैसा कि उसने सीनै पर्वत के पास सोने के बछड़े की पूजा करनेवाले इस्राएलियों पर प्रकट किया था। भविष्य में बहुत जल्द जब परमेश्वर, शैतान के दुष्ट संसार का अंत करेगा, तब उसके क्रोध की जलजलाहट और भी बड़े पैमाने पर प्रकट होगी।—यहेजकेल 38:19, 21-23.
18. सत्य के मामले में यहोवा और दुनिया के नेताओं के बीच क्या फर्क है?
18 ‘यहोवा परमेश्वर, सत्य से भरपूर है।’ (NHT) यहोवा, दुनिया के नेताओं से कितना अलग है, जो लंबे-चौड़े वादे तो करते हैं मगर उन्हें पूरा करने में नाकाम रहते हैं। लेकिन हम यहोवा के उपासक, उसके प्रेरित वचन में लिखी हर बात पर पूरा यकीन रख सकते हैं। परमेश्वर, सत्य से भरपूर है इसलिए हम हमेशा भरोसा रख सकते हैं कि उसके वादे ज़रूर पूरे होंगे। जब हम आध्यात्मिक सच्चाइयाँ प्रकट करने के लिए यहोवा से प्रार्थना करते हैं, तो वह अपनी भलाई के कारण हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है और हमें बहुतायत में सच्चाइयाँ सिखाता है।—भजन 43:3; 65:2.
19. पश्चाताप दिखानेवाले पापियों की खातिर यहोवा ने किस उम्दा तरीके से अपनी भलाई दिखायी है?
19 “यहोवा . . . अधर्म और अपराध और पाप का क्षमा करनेवाला है।” अपनी भलाई के कारण यहोवा, पश्चाताप दिखानेवाले पापियों को माफ करने के लिए तैयार रहता है। हम वाकई इस बात के लिए एहसानमंद हैं कि स्वर्ग में रहनेवाले पिता ने हमारे पापों की माफी के लिए यीशु के बलिदान का इंतज़ाम किया है। (1 यूहन्ना 2:1, 2) हम बेहद खुश हैं कि छुड़ौती में विश्वास करनेवाले सभी लोग यहोवा के साथ एक अच्छे रिश्ते का आनंद उठाते हैं और उन्हें उसके वादे के मुताबिक नए संसार में हमेशा की ज़िंदगी मिलने की आशा है। इंसानों की भलाई के लिए जब यहोवा ने इतना कुछ किया है, तो क्या हमें उसकी स्तुति नहीं करनी चाहिए?—2 पतरस 3:13.
20. हमारे पास इस बात का क्या सबूत है कि परमेश्वर बुराई को बरदाश्त नहीं करता?
20 “दोषी को [यहोवा] किसी प्रकार निर्दोष न ठहराएगा।” यहोवा की भलाई के लिए उसकी तारीफ करने का यह दरअसल एक और कारण है। क्यों? क्योंकि भलाई की एक खासियत है कि यह बुराई को हरगिज़ बरदाश्त नहीं कर सकती। इसके अलावा, जब “प्रभु यीशु अपने सामर्थी दूतों के साथ . . . स्वर्ग से प्रगट होगा” तब उन सभी लोगों से पलटा लिया जाएगा, “जो परमेश्वर को नहीं पहचानते, और हमारे प्रभु यीशु के सुसमाचार को नहीं मानते।” वे “अनन्त विनाश का दण्ड पाएंगे।” (2 थिस्सलुनीकियों 1:6-9) इसके बाद, उस नाश से बचनेवाले यहोवा के उपासक हमेशा की ज़िंदगी का पूरा-पूरा आनंद उठाएँगे क्योंकि तब उनकी शांति में खलबली मचानेवाले “भले के बैरी,” अधर्मी लोग नहीं होंगे।—2 तीमुथियुस 3:1-3.
यहोवा की तरह भलाई कीजिए
21. हमें भलाई क्यों करनी चाहिए?
21 यहोवा की भलाई के बदले उसकी स्तुति करने और उसका धन्यवाद देने के लिए बेशक हमारे पास ढेरों कारण हैं। और हम जो उसके सेवक हैं, तो क्या हमें भी यह गुण दिखाने के लिए अपना भरसक नहीं करना चाहिए? ज़रूर, क्योंकि प्रेरित पौलुस ने अपने साथी मसीहियों से आग्रह किया: ‘प्रिय बालकों की नाईं परमेश्वर के सदृश्य बनो।’ (इफिसियों 5:1) स्वर्ग में रहनेवाला हमारा पिता हमेशा भलाई करता है और हमें भी ऐसा ही करना चाहिए।
22. अगले लेख में हम किस बात पर चर्चा करेंगे?
22 अगर हम तन-मन से यहोवा को समर्पित हैं तो हमारे अंदर भी ज़रूर उसकी तरह भलाई करने का जोश होगा। लेकिन आदम की पापी संतान होने की वजह से भले काम करना हमारे लिए आसान नहीं होता। फिर भी भलाई का गुण दिखाना हमारे लिए मुमकिन है। कैसे? यह हम अगले लेख में देखेंगे। साथ ही हम यह भी देखेंगे कि भलाई की सबसे बेहतरीन मिसाल, यहोवा का किन-किन तरीकों से अनुकरण कर सकते हैं और क्यों करना चाहिए।
आप क्या जवाब देंगे?
• भलाई का मतलब क्या है?
• बाइबल में दिए गए कौन-से बोल परमेश्वर की भलाई पर खास रोशनी डालते हैं?
• ऐसे कुछ तरीके क्या हैं जिनसे यहोवा भलाई करता है?
• हमें यहोवा की तरह भलाई क्यों करनी चाहिए?
[पेज 12 पर तसवीर]
यहोवा ने प्राचीन समय में अपने लोगों को ताड़ना दी क्योंकि उन्होंने उसकी स्तुति में जो कहा, उसके मुताबिक काम नहीं किया
[पेज 12 पर तसवीर]
बचे हुए कुछ वफादार जन यरूशलेम लौटे
[पेज 13 पर तसवीर]
मूसा ने परमेश्वर की भलाई की शानदार घोषणा सुनी
[पेज 15 पर तसवीर]
यहोवा की भलाई इस बात से देखी जा सकती है कि वह बाइबल के पन्नों के ज़रिए हमें प्यार से समझाता है