उन्हें मसीहा मिल गया!
“हमें मसीहा मिल गया है।”—यूह. 1:41.
1. “हमें मसीहा मिल गया है,” अन्द्रियास के यह कहने से पहले क्या हुआ?
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला अपने दो चेलों के साथ खड़ा है। जब यीशु उसके पास आता है तो वह खुशी से कहता है: “देखो, परमेश्वर का मेम्ना!” तुरंत दोनों, अन्द्रियास और दूसरा चेला, यीशु के पीछे हो लेते हैं और उसके साथ पूरा दिन बिताते हैं। बाद में अन्द्रियास अपने भाई शमौन पतरस से मिलता है और बड़े जोश के साथ ऐलान करता है, “हमें मसीहा मिल गया है।” फिर वह उसे यीशु के पास ले जाता है।—यूह. 1:35-41.
2. मसीहा के बारे में और भी भविष्यवाणियों पर जाँच करके हमें क्या फायदा होगा?
2 जैसे-जैसे वक्त बीतेगा अन्द्रियास, पतरस और दूसरे लोगों को शास्त्र पर खोजबीन करने का काफी मौका मिलेगा और वे पूरे विश्वास के साथ ऐलान करेंगे कि नासरत का यीशु ही वादा किया हुआ मसीहा है। उसी तरह जब हम मसीहा के बारे में और भी भविष्यवाणियों पर जाँच करेंगे तो परमेश्वर के वचन और उसके अभिषिक्त पर हमारा विश्वास और भी बढ़ेगा।
“देख! तेरा राजा तेरे पास आ रहा है”
3. यरूशलेम में यीशु के बड़ी शान से दाखिल होने के बारे में कौन-सी भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं?
3 यरूशलेम में मसीहा बड़ी शान से दाखिल होगा। जकर्याह की भविष्यवाणी कहती है: “हे सिय्योन बहुत ही मगन हो! हे यरूशलेम जयजयकार कर! क्योंकि तेरा राजा तेरे पास आएगा; वह धर्मीं और उद्धार पाया हुआ है, वह दीन है, और गदहे पर वरन गदही के बच्चे पर चढ़ा हुआ आएगा।” (जक. 9:9) भजनहार ने लिखा: “धन्य है वह जो यहोवा के नाम से आता है!” (भज. 118:26) जब यीशु यरूशलेम में दाखिल हुआ तब भीड़ खुशी के मारे ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। लेकिन यीशु ने उन्हें ऐसा करने को नहीं कहा था, उनके ऐसा करने से भविष्यवाणी पूरी हुई। यह घटना पढ़ते वक्त उस दृश्य की कल्पना कीजिए और खुशी से चिल्ला रही उस भीड़ की आवाज़ सुनिए।—मत्ती 21:4-9 पढ़िए।
4. समझाइए कि भजन 118:22, 23 कैसे पूरा हुआ।
4 यीशु के मसीहा होने के पक्के सबूतों के बावजूद बहुत-से लोगों ने उसे ठुकराया, फिर भी वह परमेश्वर के लिए अनमोल है। जैसा कि भविष्यवाणी की गयी थी कुछ लोगों ने सबूतों को ठुकरा दिया और यीशु के साथ ‘ऐसा सलूक किया, मानो उसका कोई मोल न हो।’ (यशा. 53:3; मर. 9:12) लेकिन परमेश्वर ने भजनहार को यह कहने के लिए उभारा: “राजमिस्त्रियों ने जिस पत्थर को निकम्मा ठहराया था वही कोने का सिरा हो गया है। यह तो यहोवा की ओर से हुआ है।” (भज. 118:22, 23) यीशु ने धार्मिक विरोधियों का ध्यान इस आयत की तरफ दिलाया और पतरस ने कहा, यह मसीह में पूरा हुआ। (मर. 12:10, 11; प्रेषि. 4:8-11) यीशु वाकई मसीही मंडली के “कोने का सिरा” साबित हुआ। हालाँकि लोगों ने विश्वास की कमी दिखाते हुए मसीह को ठुकरा दिया लेकिन वही “परमेश्वर का चुना हुआ” था।—1 पत. 2:4-6.
धोखा दिया और अकेला छोड़ दिया गया!
5, 6. मसीहा को धोखा देने के बारे में क्या कहा गया था और वह कैसे पूरा हुआ?
5 बताया गया था कि मसीहा का धोखेबाज़ दोस्त उससे छल करेगा। दाविद ने भविष्यवाणी की थी कि “मेरा परम मित्र जिस पर मैं भरोसा रखता था, जो मेरी रोटी खाता था, उस ने भी मेरे विरुद्ध लात उठाई है।” (भज. 41:9) जो इंसान किसी के साथ रोटी खाता है, उसे दोस्त माना जाता है। (उत्प. 31:54) इसलिए यहूदा इस्करियोती का उसे धोखा देना बहुत बड़ा छल था। यीशु उस वक्त अपने प्रेषितों का ध्यान दाविद की भविष्यवाणी की तरफ खींच रहा था जब उसने अपने धोखेबाज़ चेले की तरफ इशारा करते हुए कहा: “मैं तुम सबके बारे में बात नहीं कर रहा। जिन्हें मैंने चुना है उन्हें मैं जानता हूँ, मगर शास्त्र की इस बात का पूरा होना ज़रूरी है, ‘जो मेरी रोटी खाया करता था उसी ने मेरे खिलाफ लात उठाई है।’”—यूह. 13:18.
6 जो मसीहा को धोखा देता उसे 30 चाँदी के सिक्के दिए जाते! यह एक दास को खरीदने की रकम थी। जकर्याह 11:12, 13 की तरफ ध्यान खींचते हुए मत्ती कहता है कि यीशु के साथ महज़ 30 चाँदी के सिक्कों के लिए विश्वासघात किया गया। लेकिन मत्ती ने ऐसा क्यों कहा कि उसके बारे में “यिर्मयाह भविष्यवक्ता से कहलवाया गया”? मत्ती के ज़माने में बाइबल की कुछ किताबों के संग्रह में यिर्मयाह की किताब सबसे पहली थी, इसलिए उन किताबों के संग्रह को ‘यिर्मयाह’ नाम दिया गया, जिसमें जकर्याह की किताब भी शामिल थी। (लूका 24:44 से तुलना कीजिए।) यहूदा ने धोखे से पाए उन चाँदी के सिक्कों का इस्तेमाल भी नहीं किया। उसने उन्हें मंदिर में फेंक दिया और खुदकुशी कर ली।—मत्ती 26:14-16; 27:3-10, फुटनोट।
7. जकर्याह 13:7 कैसे पूरा हुआ?
7 यहाँ तक कि मसीहा के चेले भी तितर-बितर हो जाएँगे। जकर्याह ने लिखा: “तू उस चरवाहे को काट, तब भेड़-बकरियां तितर-बितर हो जाएंगी।” (जक. 13:7) ईसवी सन् 33 के निसान 14 को यीशु ने अपने चेलों से कहा: “आज की रात मेरे साथ जो होगा उसकी वजह से, तुम सबका विश्वास डगमगा जाएगा। क्योंकि यह लिखा है, ‘मैं चरवाहे को मारूँगा और झुंड की भेड़ें तित्तर-बित्तर हो जाएँगी।’” और ठीक ऐसा ही हुआ। मत्ती ने लिखा कि “सारे चेले [यीशु को] छोड़कर भाग गए।”—मत्ती 26:31, 56.
इलज़ाम लगाया और मारा-पीटा गया
8. यशायाह 53:8 किस तरह पूरा हुआ?
8 मसीहा को परखा जाएगा और उसकी निंदा की जाएगी। (यशायाह 53:8 पढ़िए।) निसान 14 को पूरी महासभा इकट्ठी होती है और यीशु को बाँधकर उसे रोमी गवर्नर पुन्तियुस पीलातुस के सामने पेश करती है। पीलातुस यीशु से सवाल करता है, मगर उसमें कोई दोष नहीं पाता। जब वह यीशु को रिहा करने की बात कहता है तो भीड़ चिल्लाने लगती है: “उसे सूली पर चढ़ा दे” और कहती है कि अपराधी बरअब्बा को रिहा कर दे। भीड़ को शांत करने के लिए पीलातुस बरअब्बा को रिहा कर देता है और यीशु को कोड़े लगवाता है, फिर उसे सूली पर चढ़ाने के लिए सिपाहियों को सौंप देता है।—मर. 15:1-15.
9. भजन 35:11 में कही गयी बात यीशु के दिनों में कैसे पूरी हुई?
9 मसीहा के खिलाफ झूठी गवाही दी जाएगी। भजनहार दाविद ने कहा: “झूठे साक्षी खड़े होते हैं; और जो बात मैं नहीं जानता, वही मुझ से पूछते हैं।” (भज. 35:11) ठीक जैसी भविष्यवाणी की गयी थी, “प्रधान याजक और पूरी महासभा यीशु के खिलाफ झूठी गवाही की खोज में थी ताकि उसे मरवा डालें।” (मत्ती 26:59) और “बेशक, बहुत-से उसके खिलाफ झूठी गवाही दे रहे थे, मगर उनके बयान एक-दूसरे से मेल नहीं खाते थे।” (मर. 14:56) पर यीशु के दुश्मनों को इससे क्या फर्क पड़ता! वे तो बस यीशु की मौत चाहते थे!
10. समझाइए कि यशायाह 53:7 कैसे पूरा हुआ।
10 अपने दुश्मनों के सामने मसीहा शांत रहेगा। यशायाह ने भविष्यवाणी की थी: “वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ बध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उस ने भी अपना मुंह न खोला।” (यशा. 53:7) “जिस दौरान प्रधान याजक और बुज़ुर्ग उस पर इलज़ाम लगा रहे थे,” पीलातुस ने उससे पूछा: “क्या तू सुनता नहीं कि ये तेरे खिलाफ कितनी बातों की गवाही दे रहे हैं?” फिर भी यीशु ने “उसे कोई जवाब न दिया, यहाँ तक कि एक शब्द भी न कहा, इसलिए राज्यपाल को बड़ा ताज्जुब हुआ।” (मत्ती 27:12-14) यीशु ने अपने दोष लगानेवालों पर दोष नहीं लगाया।—रोमि. 12:17-21; 1 पत. 2:23.
11. यशायाह 50:6 और मीका 5:1 की पूर्ति कैसे हुई?
11 यशायाह ने भविष्यवाणी की कि मसीहा को मारा-पीटा जाएगा। भविष्यवक्ता ने लिखा: “मैं ने मारनेवालों को अपनी पीठ और गलमोछ नोचनेवालों की ओर अपने गाल किए; अपमानित होने और उनके थूकने से मैं ने मुंह न छिपाया।” (यशा. 50:6) मीका ने भविष्यवाणी की: “वे इस्राएल के न्यायी के गाल पर सोंटा मारेंगे।” (मीका 5:1) ये भविष्यवाणियाँ पूरी हुईं जो हमें मरकुस की बातों से पता चलता है। उसने कहा: “कुछ [यीशु] पर थूकने लगे और उसका मुँह ढाँपकर उसे घूँसे मारने लगे और उससे कहने लगे: ‘भविष्यवाणी कर, तुझे किसने मारा!’ और प्यादों ने उसके मुँह पर थप्पड़ मारे और उसे ले गए।” मरकुस ने कहा कि सिपाही “सरकंडे से उसके सिर पर मारते और उस पर थूकते थे और उसके सामने घुटने टेककर उसे प्रणाम करते थे।” (मर. 14:65; 15:19) बेशक उसने ऐसा कोई काम नहीं किया था कि लोग उसके साथ ऐसा सुलूक करें।
आखिरी साँस तक वफादार
12. भजन 22:16 और यशायाह 53:12 यीशु पर कैसे लागू हुआ?
12 मसीहा के सूली पर चढ़ाए जाने की बात पहले से बतायी गयी थी। भजनहार दाविद ने कहा: “कुकर्मियों की मण्डली मेरी चारों ओर मुझे घेरे हुए हैं; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं।” (भज. 22:16) बाइबल पढ़नेवाले ज़्यादातर लोग इस घटना से वाकिफ हैं, जिसके बारे में खुशखबरी की किताब के लेखक मरकुस ने लिखा: “यह तीसरा घंटा था [करीब सुबह के नौ बजे] और उन्होंने उसे सूली पर चढ़ाया।” (मर. 15:25) यह भी भविष्यवाणी की गयी थी कि मसीहा को अपराधियों में गिना जाएगा। यशायाह ने कहा था: “उस ने अपना प्राण मृत्यु के लिये उण्डेल दिया, वह अपराधियों के संग गिना गया।” (यशा. 53:12) इस भविष्यवाणी की पूर्ति में “उसके साथ दो लुटेरों को सूली पर चढ़ाया गया था, एक उसकी दायीं तरफ और दूसरा बायीं तरफ था।”—मत्ती 27:38.
13. भजन 22:7, 8 यीशु में कैसे पूरा हुआ?
13 दाविद ने भविष्यवाणी की कि मसीहा को बुरा-भला कहा जाएगा। (भजन 22:7, 8 पढ़िए।) जब यीशु सूली पर तड़प रहा था तब भी लोग उसकी खिल्ली उड़ा रहे थे। उसके बारे में मत्ती कहता है: “जो लोग वहाँ से आ-जा रहे थे, वे सिर हिला-हिलाकर उसकी बेइज़्ज़ती करने लगे और कहने लगे: ‘अरे मंदिर के ढानेवाले और तीन दिन के अंदर उसे बनानेवाले, खुद को बचा ले! अगर तू परमेश्वर का बेटा है, तो यातना की सूली से नीचे उतर आ!’” इसी तरह, प्रधान याजक भी शास्त्रियों और बुज़ुर्गों के साथ मिलकर उसका मज़ाक उड़ाने लगे और यह कहने लगे: “इसने दूसरों को तो बचाया, मगर खुद को बचा नहीं सकता! यह इसराएल का राजा है। अब यह यातना की सूली से नीचे उतरकर आ जाए, तब हम इसका यकीन करेंगे। इसने परमेश्वर पर भरोसा रखा है, अगर परमेश्वर इसे चाहता है, तो इसे बचाए, क्योंकि इसने कहा है, ‘मैं परमेश्वर का बेटा हूँ।’” (मत्ती 27:39-43) यीशु ने यह सब बिना मुँह खोले सह लिया। हमारे लिए क्या ही उम्दा मिसाल!
14, 15. बताइए कि मसीहा के कपड़ों और उसे सिरका दिए जाने के बारे में भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हुईं।
14 मसीहा के कपड़ों पर चिट्ठी डाली जाएगी। भजनहार ने लिखा: “वे मेरे वस्त्र आपस में बांटते हैं; और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं।” (भज. 22:18) “जब [रोमी] सैनिकों ने [यीशु को] सूली पर ठोंक दिया, तो उन्होंने चिट्ठियाँ डालकर उसका ओढ़ना आपस में बाँट लिया” और इस तरह यह भविष्यवाणी पूरी हुई।—मत्ती 27:35; यूहन्ना 19:23, 24 पढ़िए।
15 मसीहा को सिरका और पित्त मिली दाख-मदिरा दी जाएगी। भजनहार ने कहा: “लोगों ने मेरे खाने के लिये इन्द्रायन [एक किस्म का ज़हरीला पौधा] दिया, और मेरी प्यास बुझाने के लिये मुझे सिरका पिलाया।” (भज. 69:21) मत्ती कहता है: “उन्होंने यीशु को पीने के लिए पित्त मिली दाख-मदिरा दी। मगर उसने चखने के बाद, उसे पीने से इनकार कर दिया।” बाद में उनमें से एक ने “दौड़कर एक स्पंज लिया और उसे खट्टी दाख-मदिरा [सिरके] में डुबोकर सरकंडे पर रखा और उसे पीने के लिए दिया।”—मत्ती 27:34, 48.
16. बताइए कि भजन 22:1 की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई।
16 ऐसा लगेगा कि परमेश्वर ने मसीहा को त्याग दिया है। (भजन 22:1 पढ़िए।) भविष्यवाणी के मुताबिक “नौवें घंटे में [दोपहर के करीब 3 बजे] यीशु ने ज़ोर से पुकारा: ‘एली, एली, लामा शबकतानी?’ जिसका मतलब है: ‘मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया है?’” (मर. 15:34) ऐसा नहीं था कि यीशु का परमेश्वर पर से विश्वास उठ गया था। दरअसल परमेश्वर ने यीशु पर से अपनी सुरक्षा हटाकर उसे दुश्मनों के हाथों इसलिए सौंपा ताकि यीशु की खराई पूरी तरह परखी जा सके। इसलिए जब यीशु ने चिल्लाकर कहा कि मुझे क्यों छोड़ दिया तब दरअसल उसने भजन 22:1 की भविष्यवाणी पूरी की।
17. जकर्याह 12:10 और भजन 34:20 के शब्द कैसे पूरे हुए?
17 मसीहा को बेधा जाएगा मगर उसकी एक भी हड्डी नहीं तोड़ी जाएगी। यरूशलेम के रहनेवाले उसे “ताकेंगे अर्थात् जिसे उन्हों ने [बे]धा” था। (जक. 12:10) और भजन 34:20 कहता है: “[परमेश्वर] उसकी हड्डी हड्डी की रक्षा करता है; और उन में से एक भी टूटने नहीं पाती।” इस बात को पुख्ता करते हुए प्रेषित यूहन्ना ने लिखा: “सैनिकों में से एक ने अपना भाला [यीशु की] पसलियों के बीच भोंका और फौरन खून और पानी बह निकला। [यूहन्ना ने] यह सबकुछ अपनी आँखों से देखा उसने इसकी गवाही दी है और उसकी गवाही सच्ची है। . . . यह सब इसलिए हुआ ताकि शास्त्र में लिखी यह बात पूरी हो: ‘उसकी एक भी हड्डी नहीं तोड़ी जाएगी।’ फिर शास्त्र में एक और जगह लिखा है: ‘वे उसे देखेंगे जिसे उन्होंने बेधा है।’”—यूह. 19:33-37.
18. यीशु को एक अमीर आदमी दफनाएगा, यह भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई।
18 मसीह को वहाँ दफनाया जाएगा, जहाँ अमीर दफनाए जाते हैं। (यशायाह 53:5, 8, 9 पढ़िए।) दोपहर काफी बीत चुकी थी जब ‘अरिमतियाह के यूसुफ नाम के एक अमीर आदमी’ ने पीलातुस से यीशु का शव ले जाने की इजाज़त माँगी और पीलातुस ने उसे दे दी। मत्ती का वाकया आगे कहता है: “यूसुफ ने शव लेकर उसे साफ बढ़िया मलमल में लपेटा, और अपनी नयी कब्र में रखा, जिसे उसने चट्टान खोदकर बनवाया था। उस कब्र के दरवाज़े पर एक बड़ा पत्थर लुढ़काने के बाद, वह वहाँ से चला गया।”—मत्ती 27:57-60.
मसीहाई राजा की जय!
19. भजन 16:10 की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?
19 मसीहा को दोबारा ज़िंदा किया जाएगा। दाविद ने लिखा: “[यहोवा] मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्त को सड़ने देगा।” (भज. 16:10) यीशु की मौत के बाद कुछ स्त्रियाँ उसकी कब्र पर आयीं। कल्पना कीजिए कि वे वहाँ एक स्वर्गदूत को देखकर कितनी दंग रह गयी होंगी! वह उनसे कहता है: “हैरान मत हो। तुम यीशु नासरी को ढूँढ़ रही हो, जिसे सूली पर चढ़ाया गया था। उसे मरे हुओं में से जी उठाया गया है और वह यहाँ नहीं है। यह जगह देखो जहाँ उसे रखा गया था।” (मर. 16:6) पिन्तेकुस्त 33 के दिन यरूशलेम में जो भीड़ जमा हुई थी उससे पतरस ने कहा: “[दाविद ने] होनेवाली बातों को पहले से देखकर मसीह के जी उठने के बारे में बताया कि उसे न तो कब्र में छोड़ा जाएगा, न ही उसके शरीर को सड़ने दिया जाएगा।” (प्रेषि. 2:29-31) और वाकई परमेश्वर ने अपने प्यारे बेटे के शरीर को सड़ने नहीं दिया! उसने चमत्कार करके यीशु को आत्मिक प्राणी के रूप में दोबारा जीवन दिया।—1 पत. 3:18.
20. मसीहाई राज के बारे में की गयी भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?
20 जैसा कि बताया गया था, परमेश्वर ने ऐलान किया कि यीशु उसका बेटा है। (भजन 2:7; मत्ती 3:17 पढ़िए।) भीड़ ने भी यीशु और उसके आनेवाले राज की जय-जयकार की और हम बड़ी खुशी से उसके और उसके आनेवाले शानदार शासन के बारे में लोगों को बताते हैं। (मर. 11:7-10) “सत्यता, नम्रता और धर्म के निमित्त” मसीह जल्द ही अपने शत्रुओं का खात्मा करने आएगा। (भज. 2:8, 9; 45:1-6) इसके बाद उसके राज में धरती पर शांति और खुशहाली का बसेरा होगा। (भज. 72:1, 3, 12, 16; यशा. 9:6, 7) खुशी की बात है कि यहोवा के प्यारे बेटे ने स्वर्ग में मसीहाई राजा के तौर पर अपना राज शुरू कर दिया है! और हमारे लिए यह कितना बड़ा सम्मान है कि हम यहोवा के साक्षी हैं और इन सच्चाइयों का ऐलान करते हैं!
आप कैसे जवाब देंगे?
• यीशु को कैसे धोखा दिया गया और अकेला छोड़ दिया गया?
• यीशु के सूली पर चढ़ाए जाने से जुड़ी कुछ भविष्यवाणियाँ क्या हैं?
• आपको क्यों पूरा यकीन है कि यीशु ही वादा किया हुआ मसीहा है?
[पेज 13 पर तसवीर]
जब यीशु यरूशलेम में बड़ी शान से दाखिल हुआ तब कौन-सी भविष्यवाणी पूरी हुई?
[पेज 15 पर तसवीरें]
यीशु हमारे पापों के लिए मरा, लेकिन अब वह मसीहाई राजा के तौर पर राज कर रहा है