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खुशखबरी का प्रचार किस तरह किया जा रहा है?खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्वर से जानें
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पाठ 21
खुशखबरी का प्रचार किस तरह किया जा रहा है?
यहोवा अपने राज के ज़रिए बहुत जल्द हमारी सारी समस्याओं को दूर कर देगा। यह इतनी अच्छी खबर है कि हम यह सबको सुनाना चाहते हैं! यीशु भी यही चाहता है, इसलिए उसने अपने शिष्यों को आज्ञा दी कि वे यह खुशखबरी सभी को सुनाएँ। (मत्ती 28:19, 20) यहोवा के साक्षी यीशु की इस आज्ञा को किस तरह मान रहे हैं? आइए जानें।
1. मत्ती 24:14 में लिखी बात आज कैसे पूरी हो रही है?
यीशु ने बताया था, “राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा।” (मत्ती 24:14) हम यहोवा के साक्षी इस ज़रूरी काम में लगे हुए हैं और इस काम से हमें बहुत खुशी मिलती है। हम पूरी दुनिया में 1,000 से भी ज़्यादा भाषाओं में खुशखबरी सुना रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर इस काम को करने के लिए समय लगता है, कड़ी मेहनत लगती है और अच्छी योजना भी बनानी पड़ती है। पर यह काम यहोवा की मदद के बिना नहीं हो सकता।
2. लोगों को प्रचार करने में हम कितनी मेहनत करते हैं?
हमें जहाँ कहीं लोग मिलते हैं, हम उन्हें प्रचार करते हैं। पहली सदी के मसीहियों की तरह हम “घर-घर जाकर” लोगों को खुशखबरी सुनाते हैं। (प्रेषितों 5:42) इस तरीके से हम ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों तक पहुँच पाए हैं और हर साल लाखों लोगों को खुशखबरी सुना पाए हैं। कभी-कभी लोग घर पर नहीं मिलते, इसलिए हम बाज़ारों में और दूसरी जगहों में भी प्रचार करते हैं। हम यहोवा और उसके मकसद के बारे में बताने के हमेशा मौके ढूँढ़ते हैं।
3. खुशखबरी सुनाना किसकी ज़िम्मेदारी है?
खुशखबरी सुनाना सभी सच्चे मसीहियों की ज़िम्मेदारी है। हम इस ज़िम्मेदारी को गंभीरता से लेते हैं। हमसे जितना हो सकता है, हम लोगों को खुशखबरी सुनाते हैं क्योंकि हमें पता है कि लोगों की जान दाँव पर लगी है। (1 तीमुथियुस 4:16 पढ़िए।) हम यह काम मुफ्त में करते हैं, क्योंकि बाइबल में लिखा है, “तुम्हें मुफ्त मिला है, मुफ्त में दो।” (मत्ती 10:7, 8) कई लोग हमारा संदेश नहीं सुनते। फिर भी हम प्रचार करते रहते हैं क्योंकि यह हमारी उपासना का हिस्सा है और इससे यहोवा खुश होता है।
और जानिए
आइए इस बारे में और जानें कि दुनिया-भर में यहोवा के साक्षी प्रचार करने के लिए कितनी मेहनत करते हैं और यहोवा किस तरह उनकी मदद करता है।
4. हम सभी लोगों से मिलने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं
हम लोगों को खुशखबरी सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते, फिर चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में रहते हों। वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
यहोवा के साक्षी लोगों तक पहुँचने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। उनकी मेहनत के बारे में आप क्या सोचते हैं?
मत्ती 22:39 और रोमियों 10:13-15 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
हमारे प्रचार काम से कैसे पता चलता है कि हम लोगों से प्यार करते हैं?
यहोवा उन लोगों के बारे में कैसा महसूस करता है जो खुशखबरी सुनाते हैं?—वचन 15 देखिए।
5. हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं
कई अनुभवों से साफ पता चलता है कि प्रचार काम यहोवा के मार्गदर्शन में हो रहा है। न्यूज़ीलैंड में रहनेवाले भाई पौल के अनुभव पर गौर कीजिए। एक दिन दोपहर में वह घर-घर का प्रचार कर रहा था। तभी उसकी मुलाकात एक औरत से हुई। उस औरत ने उसी सुबह यहोवा का नाम लेकर प्रार्थना की थी और उससे बिनती की थी कि कोई आकर उसके बारे में सिखाए। पौल कहता है, “उसके प्रार्थना करने के तीन घंटे बाद ही मैं उसके दरवाज़े पर खड़ा था।”
1 कुरिंथियों 3:9 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
पौल की तरह और भी भाई-बहनों को इस तरह के अनुभव हुए हैं। इनसे कैसे पता चलता है कि प्रचार काम यहोवा के मार्गदर्शन में हो रहा है?
प्रेषितों 1:8 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
प्रचार का काम पूरा करने के लिए हमें यहोवा की मदद क्यों चाहिए?
क्या आप जानते हैं?
हफ्ते के बीच होनेवाली सभा में सिखाया जाता है कि हम प्रचार कैसे करें। अगर आप इस सभा में आए हैं, तो यहाँ मिलनेवाली ट्रेनिंग के बारे में आप क्या सोचते हैं?
6. हम परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं, इसलिए प्रचार करते हैं
पहली सदी में, यीशु के शिष्य जानते थे कि उन्हें प्रचार करने का पूरा हक है। लेकिन विरोधियों ने उनका यह हक छीनने की कोशिश की। तब उन मसीहियों ने कानून का सहारा लिया और ‘खुशखबरी को कानूनी मान्यता दिलायी।’ (फिलिप्पियों 1:7) आज यहोवा के साक्षी भी यही करते हैं।a
प्रेषितों 5:27-42 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
शायद कोई पूछे: “यहोवा के साक्षी घर-घर क्यों जाते हैं?”
आप क्या जवाब देंगे?
अब तक हमने सीखा
यीशु ने अपने शिष्यों को आज्ञा दी कि सब राष्ट्रों के लोगों को खुशखबरी सुनाएँ। इस काम को करने में यहोवा अपने लोगों की मदद कर रहा है।
आप क्या कहेंगे?
आज पूरी दुनिया में खुशखबरी किस तरह सुनायी जा रही है?
हमारे प्रचार काम से कैसे पता चलता है कि हम लोगों से प्यार करते हैं?
क्या आपको लगता है कि प्रचार करने से खुशी मिल सकती है? आप ऐसा क्यों कहते हैं?
ये भी देखें
आइए देखें कि यहोवा के साक्षी किस तरह बड़े शहरों में लोगों को प्रचार कर रहे हैं।
यहोवा के साक्षियों ने शरणार्थियों की मदद करने के लिए क्या किया है?
आइए बहन मार्गरीटा से सुनें कि अपनी पूरी ज़िंदगी यहोवा की सेवा में लगाने से उन्हें क्यों खुशी मिली।
आइए ऐसे कुछ अहम मुकदमों के बारे में पढ़ें जिनमें हमें जीत मिली थी और जिनकी वजह से आज हम ज़्यादा आसानी से प्रचार कर पाते हैं।
“राज के प्रचारक अदालत का दरवाज़ा खटखटाते हैं” (परमेश्वर का राज हुकूमत कर रहा है!, अध्याय 13)
a यहोवा ने हम साक्षियों को प्रचार करने का अधिकार दिया है। इसलिए यह काम करने के लिए हमें सरकारी अधिकारियों से इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं।
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बपतिस्मा—एक बढ़िया लक्ष्य!खुशी से जीएँ हमेशा के लिए!—ईश्वर से जानें
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पाठ 23
बपतिस्मा—एक बढ़िया लक्ष्य!
यीशु ने सिखाया था कि उसका शिष्य बनने के लिए बपतिस्मा लेना ज़रूरी है। (मत्ती 28:19, 20 पढ़िए।) लेकिन सवाल है कि बपतिस्मा क्या होता है? और अगर एक व्यक्ति बपतिस्मे का लक्ष्य रखता है, तो उसे पाने के लिए क्या कर सकता है?
1. बपतिस्मा कैसे दिया जाता है?
शब्द “बपतिस्मा” एक यूनानी शब्द से निकला है जिसका मतलब है, पानी में “डुबकी दिलाना।” यीशु का बपतिस्मा इसी तरह हुआ था। उसे यरदन नदी में डुबकी दी गयी थी और फिर वह “पानी में से ऊपर आया।” (मरकुस 1:9, 10) यीशु की तरह सच्चे मसीहियों को भी पानी में पूरी तरह डुबकी देकर बपतिस्मा दिया जाता है।
2. बपतिस्मा लेकर एक व्यक्ति क्या दिखाता है?
बपतिस्मा लेकर एक व्यक्ति दिखाता है कि उसने अपना जीवन यहोवा को समर्पित किया है। वह किस तरह समर्पण करता है? बपतिस्मे से पहले वह अकेले में यहोवा से प्रार्थना करता है और कहता है कि वह हमेशा उसकी सेवा करना चाहता है। वह वादा करता है कि वह सिर्फ यहोवा की उपासना करेगा और उसकी मरज़ी को अपनी ज़िंदगी में सबसे पहली जगह देगा। वह फैसला करता है कि वह ‘खुद से इनकार करेगा’ और हमेशा यीशु की शिक्षाओं को मानेगा और उसके जैसा बनने की कोशिश करेगा। (मत्ती 16:24) समर्पण करने और बपतिस्मा लेने से ही एक व्यक्ति यहोवा और मंडली के भाई-बहनों के साथ गहरी दोस्ती कर पाता है।
3. बपतिस्मे का लक्ष्य पाने के लिए एक व्यक्ति को क्या करना होगा?
बपतिस्मे का लक्ष्य पाने के लिए एक व्यक्ति को यहोवा के बारे में सीखना होगा और उस पर विश्वास बढ़ाना होगा। (इब्रानियों 11:6 पढ़िए।) जैसे-जैसे वह यह करेगा, यहोवा के लिए उसका प्यार बढ़ता जाएगा। फिर खुद-ब-खुद उसमें यह इच्छा जागेगी कि वह यहोवा के बारे में दूसरों को बताए और उसके स्तरों के हिसाब से अपनी ज़िंदगी जीए। (2 तीमुथियुस 4:2; 1 यूहन्ना 5:3) जब उसका ‘चालचलन ऐसा हो जाता है जैसा यहोवा के सेवक का होना चाहिए,’ तो उसके बाद वह समर्पण करने और बपतिस्मा लेने का फैसला कर सकता है।—कुलुस्सियों 1:9, 10.a
और जानिए
बाइबल में यीशु के बपतिस्मे के बारे में जो लिखा है, उससे हम क्या सीख सकते हैं? अगर एक व्यक्ति को बपतिस्मे का ज़रूरी कदम उठाना है, तो उसे क्या करना होगा? आइए जानें।
4. यीशु के बपतिस्मे के बारे में जो बताया गया है, उससे हम क्या सीखते हैं?
यीशु के बपतिस्मे के बारे में और जानने के लिए मत्ती 3:13-17 पढ़िए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
जब यीशु का बपतिस्मा हुआ, तो क्या वह एक शिशु था?
क्या यीशु पर पानी छिड़ककर बपतिस्मा दिया गया? उसे किस तरह बपतिस्मा दिया गया?
बपतिस्मे के बाद यीशु ने एक खास काम शुरू किया, वह काम जिसके लिए यहोवा ने उसे धरती पर भेजा था। लूका 3:21-23 और यूहन्ना 6:38 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
बपतिस्मे के बाद यीशु ने किस काम को सबसे ज़्यादा अहमियत दी?
5. आप बपतिस्मे का लक्ष्य पा सकते हैं
समर्पण और बपतिस्मे के बारे में शायद आप सोचें, ‘क्या मैं यह कदम उठा पाऊँगा?’ पर हिम्मत रखिए। अगर आप यहोवा के बारे में सीखते रहें, तो एक वक्त आएगा जब आपको खुद लगेगा कि आप बपतिस्मे के लिए तैयार हैं। आइए देखें कि कुछ लोगों ने यह कदम उठाने के लिए क्या किया। वीडियो देखिए।
यूहन्ना 17:3 और याकूब 1:5 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
बपतिस्मा लेने के लिए एक व्यक्ति क्या कर सकता है?
1. समर्पण करने के लिए एक व्यक्ति यहोवा से कहता है कि वह हमेशा उसकी सेवा करेगा
2. बपतिस्मा लेकर एक व्यक्ति दिखाता है कि उसने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया है
6. बपतिस्मा लेने से आप यहोवा के परिवार का हिस्सा बन जाएँगे
दुनिया-भर में फैले यहोवा के साक्षी एक परिवार की तरह हैं। भले ही वे दुनिया के किसी भी कोने में रहते हों और उनकी परवरिश अलग-अलग माहौल में हुई हो, फिर भी वे एक जैसी शिक्षाओं को मानते हैं और एक जैसे स्तरों के मुताबिक जीते हैं। जब एक व्यक्ति बपतिस्मा लेता है, तो वह इस परिवार का हिस्सा बन जाता है। भजन 25:14 और 1 पतरस 2:17 पढ़िए। फिर आगे दिए सवाल पर चर्चा कीजिए:
बपतिस्मा लेने के बाद एक व्यक्ति का यहोवा और उसके लोगों के साथ कैसा रिश्ता बन जाता है?
कुछ लोग कहते हैं: “मैं अभी बपतिस्मा लेने के लिए तैयार नहीं हूँ।”
शायद आप भी ऐसा सोचें, फिर भी क्या आपको लगता है कि बपतिस्मे का लक्ष्य रखना अच्छा होगा?
अब तक हमने सीखा
यीशु ने सिखाया था कि उसका शिष्य बनने के लिए एक व्यक्ति को बपतिस्मा लेना होगा। लेकिन बपतिस्मे का लक्ष्य पाने के लिए उसे यहोवा पर अपना विश्वास बढ़ाना होगा, उसके स्तरों के मुताबिक जीना होगा और अपना जीवन उसे समर्पित करना होगा।
आप क्या कहेंगे?
बपतिस्मा कैसे दिया जाता है और बपतिस्मा लेना क्यों ज़रूरी है?
समर्पण करने और बपतिस्मा लेने का क्या मतलब है?
समर्पण करने और बपतिस्मा लेने के लिए एक व्यक्ति को क्या करना होगा?
ये भी देखें
जानिए कि बपतिस्मा लेने का क्या मतलब है और क्या नहीं।
आइए गौर करें कि एक व्यक्ति बपतिस्मा लेने के लिए क्या कर सकता है।
“यहोवा से प्यार करने से आप बपतिस्मा लेंगे” (प्रहरीदुर्ग, मार्च 2020)
एक व्यक्ति ने सिर्फ जज़्बातों में आकर बपतिस्मे का फैसला नहीं किया। आइए पढ़ें कि उसने यह फैसला किस आधार पर किया।
‘वे चाहते थे मैं खुद देखूँ कि सच्चाई क्या है’ (प्रहरीदुर्ग लेख)
ध्यान दीजिए कि बपतिस्मे का लक्ष्य रखना क्यों ज़रूरी है और आप इसे कैसे पा सकते हैं।
a अगर एक व्यक्ति का पहले किसी धर्म में बपतिस्मा हो चुका है, तो उसे फिर से बपतिस्मा लेना होगा। वह इसलिए कि जिस धर्म को वह मानता था, उसमें बाइबल की सच्चाइयाँ नहीं सिखायी गयी थीं।—प्रेषितों 19:1-5 और पाठ 13 देखें।
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