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‘बुद्धि जो ऊपर से आती है,’ क्या यह आपकी ज़िंदगी में काम कर रही है?यहोवा के करीब आओ
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11 अगर आपको महसूस होता है कि आपने किसी संगी मसीही का दिल दुखाया है, तो आपको क्या करना चाहिए? यीशु ने कहा: “इसलिये यदि तू अपनी भेंट बेदी पर लाए, और वहां तू स्मरण करे, कि मेरे भाई के मन में मेरी ओर से कुछ विरोध है, तो अपनी भेंट वहीं बेदी के साम्हने छोड़ दे। और जाकर पहिले अपने भाई से मेल मिलाप कर; तब आकर अपनी भेंट चढ़ा।” (मत्ती 5:23, 24) अपने भाई के पास जाने की पहल करके आप इस सलाह पर अमल कर सकते हैं। आपका मकसद क्या होना चाहिए? उसके साथ “मेल मिलाप” करना।b इसके लिए शायद यह ज़रूरी हो कि उसकी भावनाओं से इनकार करने के बजाय यह स्वीकार करें कि आपने उसके दिल को ठेस पहुँचायी है। अगर आप उसके पास मेल-मिलाप करने या शांति बहाल करने के इरादे से जाते हैं और आखिर तक ऐसा ही रवैया बनाए रखते हैं, तो कोई भी गलतफहमी दूर की जा सकती है, ज़रूरत पड़ने पर माफी माँगी जा सकती है और माफ भी किया जा सकता है। जब आप आगे आकर मेल-मिलाप या शांति कायम करने की पहल करते हैं, तो आप दिखाते हैं कि आप परमेश्वर की बुद्धि के मुताबिक चल रहे हैं।
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‘बुद्धि जो ऊपर से आती है,’ क्या यह आपकी ज़िंदगी में काम कर रही है?यहोवा के करीब आओ
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b यूनानी पद जिसका अनुवाद “मेल मिलाप कर” किया गया है वह एक ऐसी क्रिया से आता है जिसका मतलब है, “‘बदलाव करना, अदल-बदल करना,’ और इस तरह ‘समझौता करना।’” तो फिर, आपका मकसद है, बदलाव लाना, हो सके तो जिसे आपने नाराज़ किया है उसके दिल से गिले-शिकवे या बुरी भावना दूर करना।—रोमियों 12:18.
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