बाइबल का दृष्टिकोण
क्या बेतलेहेम में नन्हें यीशु को देखने तीन राजा आए थे?
पूर्वी देश से एक लम्बा सफर तय करके कुछ खास लोग बेतलेहेम आए थे। किस लिए? क्योंकि वहाँ यहूदियों का राजा यीशु पैदा हुआ था और वे यीशु का दर्शन करना चाहते थे। तब से यह घटना इतनी लोकप्रिय हो गई है कि आज भी, पूरी दुनिया में जब लोग क्रिसमस मनाते हैं तो वे इस घटना को याद करते हैं।
इस घटना को हुए दो हज़ार साल बीत चुके हैं, मगर आज भी हर जगह उन लोगों को याद किया जाता है। कुछ जगहों में, यीशु के जन्म के बारे में कई तस्वीरें और मॉडल बनाए गए हैं। ऐसे मॉडल और तस्वीरों में दिखाया जाता है कि पूर्वी देश से तीन राजा अपनी-अपनी भेंट लेकर नन्हें यीशु को देखने आए थे। कई दूसरे देशों में, बच्चे इन “पवित्र राजाओं” की तरह तैयार होकर अपने घर के आस-पास की गलियों में जुलूस निकालते हैं। यह सब देखकर एक सवाल ज़रूर उठता है कि आखिर वे लोग कौन थे?
क्या वे सचमुच के राजा थे?
यीशु को देखने कुछ लोग आए थे, इसका ज़िक्र बाइबल के मत्ती किताब में किया गया है। मत्ती कहता है: ‘जब यीशु का जन्म हुआ, तो पूर्व से कई ज्योतिषी यरूशलेम में आकर पूछने लगे कि यहूदियों का राजा जिस का जन्म हुआ है, कहां है? क्योंकि हमने पूर्व में उसका तारा देखा है और उस को प्रणाम करने आए हैं।’ (मत्ती 2:1, 2) यहाँ हम देख सकते हैं कि यीशु को देखने जो लोग पूरब से आए थे, उन्हें बाइबल ‘राजा’ कहने के बजाय ‘ज्योतिषी’ कहती है। ऐसा क्यों?
यहाँ जिस यूनानी शब्द का अनुवाद ‘ज्योतिषी’ किया गया है वह है मागोस। और इस आयत में बाइबल इस शब्द का बहुवचन “मैजाई” इस्तेमाल करती है। बाइबल के अलग-अलग अनुवादों में इस यूनानी शब्द को “बुद्धिमान पुरुष,” “ज्योतिषी,” या “तारों के बारे में जानकारी हासिल करनेवाले” कहा गया है। इनमें से कुछ बाइबल अनुवादों में तो मूल शब्द “मैजाई” ही लिखा हुआ है। यह शब्द दरअसल उन लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया है जो तारों और ग्रहों के आधार पर भविष्य बताते हैं और उसके मुताबिक लोगों को सलाह देते हैं। इसलिए बाइबल कहती है कि यीशु को देखने जो लोग बेतलेहेम आए थे वे भविष्य बतानेवाले थे जिनका तंत्र-मंत्र से नाता था। बाइबल में यह भी साफ-साफ बताया गया है कि ऐसे कामों से यहोवा सख्त नफरत करता है।—व्यवस्थाविवरण 18:10-12.
तो क्या हम कह सकते हैं कि मैजाई होने के साथ-साथ वे कोई राजा भी थे? मत्ती 2:1-12 में “राजा” शब्द का इस्तेमाल चार बार किया गया है। यह शब्द यीशु के लिए एक बार और हेरोदस के लिए तीन बार इस्तेमाल किया गया है, लेकिन इस अध्याय में कहीं भी इन लोगों (मैजाई) को ‘राजा’ नहीं कहा गया। अगर ये सचमुच राजा होते तो बाइबल उनके राजा होने के बारे में ज़रूर बताती। इस विषय पर द कैथोलिक एनसाइक्लोपीडिया कहती है: “पाँचवीं सदी तक के सभी ईसाई लेखकों का यह मानना था कि ये मैजाई वाकई में राजा नहीं थे।” इसी तरह बाइबल भी कहीं नहीं बताती है कि यीशु से मिलने जो लोग (मैजाई) आए थे, वे राजा थे।
क्या वे तीन जन थे?
बाइबल यह नहीं बताती कि यीशु को देखने कितने मैजाई आए थे। इसके बावजूद मॉडल और तस्वीरों में और क्रिसमस पर रचे गए गीतों में लोगों की यही धारणा झलकती है कि वे सिर्फ तीन मैजाई थे। उनके ऐसा मानने की वज़ह यह है कि यीशु को तीन अलग-अलग तरह के तोहफे मिले थे। इन तोहफों के बारे में बाइबल कहती है: उन्होंने “अपना अपना थैला खोलकर उस [यीशु] को सोना, और लोहबान, और गन्धरस की भेंट चढ़ाई।”—मत्ती 2:11.
यह सच है कि मैजाई ने यीशु को तीन तरह के तोहफे दिए थे लेकिन क्या इससे हम यह पक्का बता सकते हैं कि वे तीन ही जन थे? इसका जवाब पाने के लिए, आइए हम एक और खास व्यक्ति के बारे में देखें। वह थी शीबा की रानी, जो राजा सुलैमान से मिलने इस्राएल देश आई थी। उसने राजा सुलैमान को तोहफे में ‘मसाले, बहुत सारा सोना और मणि’ दिए। (1 राजा 10:2) हालाँकि राजा सुलैमान को भी तीन तरह के तोहफे दिए गए थे, लेकिन इन तोहफों को देनेवाली सिर्फ एक ही व्यक्ति थी और वह थी शीबा की रानी। राजा सुलैमान को तीन तरह के तोहफे देने का यह मतलब नहीं हुआ कि उससे मिलने तीन अलग-अलग जन आए थे। ठीक उसी तरह, यीशु को जो तीन तोहफे मिले थे, उसका यह मतलब नहीं हो सकता कि यीशु को देखने सिर्फ तीन मैजाई आए थे।
इसके बारे में, द कैथोलिक एनसाइक्लोपीडिया कहती है: “सुसमाचार की किताब हमें यह नहीं बताती कि यीशु को देखने कितने मैजाई आए थे। मगर इसके बारे में लोगों की अपनी-अपनी धारणाएँ हैं। कुछ ईसाई लेखक तो ऐसा सोचते हैं कि जब यीशु को तीन तरह के तोहफे दिए गए थे तो इसका यही मतलब हो सकता है कि उससे मिलने आए मैजाई भी तीन ही होंगे।” यह एनसाइक्लोपीडिया आगे बताती है कि लोगों के अलग-अलग विचार, कई मॉडल और तस्वीरों में भी देखी जा सकती है। कुछ मॉडल और तस्वीरों में दो मैजाई, कुछ में तीन या चार तो कुछ में आठ मैजाई दिखाए जाते हैं। कुछ और लोगों का यहाँ तक मानना है कि यीशु को देखने बारह जन आए थे। लेकिन सच तो यह है कि हम चाहे जितनी भी कोशिश करें यह पता लगाने का कोई रास्ता नहीं है कि यीशु को देखने कितने मैजाई आए थे।
लोकप्रिय कहानी, मगर है गलत
दुनिया-भर में लोगों का यह भी मानना है कि यीशु के पैदा होते ही मैजाई उसे देखने बेतलेहेम पहुँच गए। मगर यह बात सरासर गलत है, क्योंकि ये मैजाई सबसे पहले यरूशलेम गए थे इसलिए यीशु के जन्म के वक्त वे बेतलेहेम में नहीं थे। बाइबल बताती है कि जब बाद में वे बेतलेहेम आए, तो उन्होंने ‘उसके घर में पहुंचकर उस बालक को देखा।’ (मत्ती 2:1, 11) सो, इससे साफ पता चलता है कि जब ये मैजाई यीशु को देखने आए थे, तब वह अपने परिवार के साथ एक घर में था, न कि लोगों की धारणा के मुताबिक, किसी चरनी में।
तो लोगों की यह लोकप्रिय कहानी कि यीशु के जन्म के वक्त उसका दर्शन करने तीन राजा आए थे, बाइबल के मुताबिक गलत है। जैसा कि हमने शुरू में देखा, बाइबल बताती है कि यीशु को देखने जो मैजाई आए थे, वे राजा नहीं मगर ज्योतिषी थे जिनका तंत्र-मंत्र से नाता था। और बाइबल यह नहीं बताती है कि वे कितने जन थे। साथ ही, बाइबल साफ बताती है कि यीशु के पैदा होते ही वे उसे देखने चरनी में नहीं आए थे बल्कि उसके जन्म के कुछ समय बाद आए थे जब यीशु अपने परिवार के साथ एक घर में था।
इन तीन राजाओं की लोकप्रिय कहानी और क्रिसमस से जुड़ी दूसरी कहानियाँ भी बाइबल के मुताबिक सच्ची नहीं हैं। फिर भी, ज़्यादातर लोग इन कहानियों को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि उनका कहना है कि इनसे बच्चे, बूढ़े, जवान, सभी का मन बहलता है। मगर सच्चे मसीहियों का नज़रिया इन लोगों से बिलकुल अलग है क्योंकि वे सिर्फ ऐसी उपासना को अहमियत देते हैं जिसका झूठ से कोई नाता नहीं है। यीशु का भी ठीक यही मानना था। अपने पिता से प्रार्थना में उसने कहा: “तेरा वचन सत्य है।” (यूहन्ना 17:17) यीशु ने यह भी कहा, “सच्चे भक्त पिता का भजन आत्मा और सच्चाई से करेंगे, क्योंकि पिता अपने लिये ऐसे ही भजन करनेवालों को ढूंढ़ता है।”—यूहन्ना 4:23.
[पेज 15 पर तसवीर]
इटली में “मैजाई की स्तुति”