फिरौती—पिता की तरफ से एक “उत्तम देन”
‘हर अच्छा तोहफा और हर उत्तम देन पिता की तरफ से है।’—याकू. 1:17.
1. फिरौती के इंतज़ाम से क्या अच्छी चीज़ें मुमकिन हुई हैं?
यीशु मसीह के फिरौती बलिदान से कई आशीषें मिलती हैं। फिरौती के इंतज़ाम से यह रास्ता खुला है कि दूसरी भेड़ें एक दिन परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बनेंगी। हम यह भी आस लगाते हैं कि हम हमेशा के लिए एक खुशहाल ज़िंदगी जी पाएँगे। इससे भी बढ़कर, फिरौती से कुछ ज़रूरी मसले सुलझाए जाएँगे जो स्वर्ग और धरती पर जीनेवाले परमेश्वर के सभी सेवकों के लिए बहुत मायने रखते हैं।—इब्रा. 1:8, 9.
2. (क) यीशु ने अपनी प्रार्थना में कौन-सी ज़रूरी बातों का ज़िक्र किया? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) (ख) हम इस लेख में क्या देखेंगे?
2 यीशु ने अपनी मौत से करीब दो साल पहले चेलों को इस तरह प्रार्थना करना सिखाया था, “हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है, तेरा नाम पवित्र किया जाए। तेरा राज आए। तेरी मरज़ी जैसे स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे धरती पर भी पूरी हो।” (मत्ती 6:9, 10) आइए देखें कि यहोवा के नाम के पवित्र किए जाने, परमेश्वर के राज और उसकी मरज़ी पूरी होने का फिरौती बलिदान से क्या ताल्लुक है।
“तेरा नाम पवित्र किया जाए”
3. (क) परमेश्वर के नाम यहोवा से उसके बारे में क्या पता चलता है? (ख) शैतान ने किस तरह यहोवा के नाम पर कीचड़ उछाला?
3 सबसे पहले यीशु ने प्रार्थना में कहा कि यहोवा का नाम पवित्र किया जाए या उस नाम को पवित्र समझा जाए। उसके नाम यहोवा से पता चलता है कि वह कैसा परमेश्वर है। यहोवा पूरे विश्व में सबसे शक्तिशाली और नेक है। यीशु ने उसे “पवित्र पिता” भी कहा। (यूह. 17:11) यहोवा पवित्र है इसलिए वह जो कुछ करता है और जो भी नियम बनाता है वे सब पवित्र हैं। लेकिन अदन में शैतान ने बड़ी चालाकी से यह सवाल खड़ा किया कि क्या परमेश्वर को इंसानों के लिए स्तर ठहराने का हक है। उसने परमेश्वर के बारे में झूठ कहा और इस तरह परमेश्वर के नाम या उसके चरित्र पर कीचड़ उछाला।—उत्प. 3:1-5.
4. यीशु ने परमेश्वर के नाम को पवित्र कैसे किया?
4 वहीं दूसरी तरफ, यीशु को यहोवा के नाम से सच्चा प्यार था और उसे पवित्र करने के लिए उससे जो कुछ हो सकता था, उसने किया। (यूह. 17:25, 26) उसने यह कैसे किया? अपने चालचलन और अपनी शिक्षाओं से। यीशु ने लोगों को यह समझने में मदद दी कि यहोवा के स्तर सही हैं और वह हमसे जो कुछ चाहता है उसमें हमारी ही भलाई है। (भजन 40:8-10 पढ़िए।) शैतान ने जब यीशु को तड़पाया और उसे एक दर्दनाक मौत दी तब भी वह यहोवा का वफादार बना रहा। उसने साबित किया कि एक परिपूर्ण इंसान के लिए पूरी तरह यहोवा की आज्ञा मानना मुमकिन है।
5. हम यहोवा के नाम को पवित्र कैसे कर सकते हैं?
5 हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम यहोवा के नाम से प्यार करते हैं? अपने चालचलन से। यहोवा चाहता है कि हम पवित्र बने रहें। (1 पतरस 1:15, 16 पढ़िए।) इसलिए हम सिर्फ यहोवा की उपासना करते हैं और पूरे दिल से उसकी आज्ञा मानते हैं। यहाँ तक कि जब हम पर ज़ुल्म किए जाते हैं, तब भी हम उसके स्तरों पर चलने की पूरी कोशिश करते हैं। इस तरह हम यहोवा के नाम की महिमा करते हैं। (मत्ती 5:14-16) हम यह भी साबित करते हैं कि यहोवा के नियम अच्छे हैं और शैतान झूठा है। हम परिपूर्ण नहीं हैं इसलिए हम गलतियाँ करेंगे। लेकिन जब हम कोई गलत काम कर देते हैं, तो हमें पश्चाताप करना चाहिए और उस काम को छोड़ देना चाहिए जिससे परमेश्वर के नाम का अनादर होता है।—भज. 79:9.
6. परिपूर्ण न होने के बावजूद यहोवा कैसे हमें नेक समझता है?
6 चाहे हम अभिषिक्त हों या ‘दूसरी भेड़ों’ में से हों, अगर हम फिरौती पर विश्वास करते हैं तो यहोवा हमारे पापों को माफ करता है। वह उन लोगों को अपने सेवकों के नाते स्वीकार करता है जो उसे अपना जीवन समर्पित करते हैं। वह अभिषिक्त मसीहियों को नेक ठहराता है और बेटों के नाते अपनाता है और ‘दूसरी भेड़ों’ को नेक समझकर उन्हें अपना दोस्त मानता है। (यूह. 10:16; रोमि. 5:1, 2; याकू. 2:21-25) इसलिए आज भी फिरौती से यह मुमकिन हुआ है कि हम अपने पिता यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्ता कायम कर सकें और उसके नाम को पवित्र कर सकें।
“तेरा राज आए”
7. फिरौती से क्या आशीषें मिलेंगी?
7 आदर्श प्रार्थना में यीशु ने कहा, “तेरा राज आए।” परमेश्वर के राज का फिरौती के साथ क्या ताल्लुक है? परमेश्वर का राज या सरकार यीशु और उन 1,44,000 जनों से मिलकर बनी है जिन्हें इंसानों में से चुना गया है। फिरौती की वजह से यह मुमकिन हुआ है कि इन लोगों को स्वर्ग में ज़िंदा किया जाए ताकि वे राजा और याजक बनकर राज करें। (प्रका. 5:9, 10; 14:1) वे यीशु के साथ मिलकर एक हज़ार साल के लिए हुकूमत करेंगे। उस दौरान यहोवा अपने राज के ज़रिए धरती को फिरदौस बनाएगा और सभी इंसानों को परिपूर्ण करेगा। तब स्वर्ग और धरती पर परमेश्वर के सभी सेवक मिलकर एक परिवार हो जाएँगे। (प्रका. 5:13; 20:6) फिर यीशु शैतान का हमेशा के लिए नाश कर देगा और उसने जो-जो मुसीबतें खड़ी की हैं उन्हें मिटा देगा।—उत्प. 3:15.
8. (क) यीशु ने अपने चेलों को परमेश्वर के राज की अहमियत कैसे समझायी? (ख) हम कैसे दिखाते हैं कि हम परमेश्वर के राज के वफादार हैं?
8 यीशु ने अपने चेलों की मदद की कि वे परमेश्वर के राज की अहमियत समझें। वह कैसे? यीशु अपने बपतिस्मे के बाद, जहाँ कहीं गया वहाँ “परमेश्वर के राज की खुशखबरी” सुनाने लगा। (लूका 4:43) उसने अपने चेलों से भी कहा कि वे “दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में” उसके बारे में गवाही दें। (प्रेषि. 1:6-8) आज प्रचार काम के ज़रिए लोगों को मौका दिया जा रहा है कि वे फिरौती के बारे में जानें और परमेश्वर के राज की प्रजा बनें। दुनिया-भर में खुशखबरी सुनाने का जो काम चल रहा है, उसमें अभिषिक्त मसीहियों का साथ देकर हम दिखाते हैं कि हम परमेश्वर के राज के वफादार हैं।—मत्ती 24:14; 25:40.
‘तेरी मरज़ी पूरी हो’
9. हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि परमेश्वर इंसानों के बारे में अपना मकसद ज़रूर पूरा करेगा?
9 जब यीशु ने कहा, ‘तेरी मरज़ी पूरी हो’ तो उसका क्या मतलब था? यहोवा जो भी कहता है वह पूरा होकर ही रहता है। (यशा. 55:11) शैतान बगावत करके यहोवा को अपनी मरज़ी पूरी करने से नहीं रोक सका। धरती के लिए यहोवा की क्या मरज़ी थी? वह चाहता था कि पूरी धरती आदम और हव्वा के परिपूर्ण बच्चों से भर जाए। (उत्प. 1:28) अगर आदम और हव्वा बेऔलाद मर जाते तो परमेश्वर का यह मकसद अधूरा रह जाता। इसलिए परमेश्वर ने उन्हें बच्चे पैदा करने की इजाज़त दी। परमेश्वर ने फिरौती के ज़रिए उन सभी लोगों को परिपूर्ण बनने और हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका दिया है जो इस इंतज़ाम पर विश्वास करते हैं। यहोवा इंसानों से बहुत प्यार करता है और चाहता है कि वे उस शानदार ज़िंदगी का मज़ा उठाएँ जो उसने उनके लिए चाही थी।
10. फिरौती से मरे हुओं को क्या फायदा होगा?
10 क्या फिरौती से उन अरबों लोगों को भी फायदा होगा जो मर गए हैं और जिन्हें यहोवा को जानने का मौका नहीं मिला? यहोवा नहीं चाहता है कि कोई भी मरे। इसलिए वह फिरौती के आधार पर मरे हुओं को ज़िंदा करेगा। फिर उन लोगों को यहोवा के बारे में सिखाया जाएगा और उनके आगे हमेशा की ज़िंदगी पाने का मौका होगा। (प्रेषि. 24:15) यहोवा जीवन का सोता है। जब वह मरे हुओं को ज़िंदा करेगा, तब वह उनका पिता बन जाएगा। (भज. 36:9) इसलिए यह कितना सही है कि यीशु ने हमें यह प्रार्थना करना सिखाया, “हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है।” (मत्ती 6:9) यहोवा ने मरे हुओं को ज़िंदा करने के लिए यीशु को एक अहम भूमिका दी है। इस बारे में यीशु ने कहा, “मरे हुओं को ज़िंदा करनेवाला और उन्हें जीवन देनेवाला मैं ही हूँ।”—यूह. 6:40, 44; 11:25.
11. “बड़ी भीड़” के लिए परमेश्वर की क्या मरज़ी है?
11 यहोवा की दरियादिली सिर्फ कुछ लोगों तक सीमित नहीं है क्योंकि यीशु ने कहा, “जो कोई परमेश्वर की मरज़ी पूरी करता है, वही मेरा भाई, मेरी बहन और मेरी माँ है।” (मर. 3:35) यहोवा ने वादा किया है कि सभी राष्ट्रों और गोत्रों और भाषाओं में से कई लोग उसके उपासक बनेंगे। इन्हें “बड़ी भीड़” बताया गया है, “जिसे कोई आदमी गिन नहीं सकता।” बड़ी भीड़ के लोग फिरौती पर विश्वास करते हैं और परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं। वे यहोवा की महिमा करते हैं और कहते हैं, “हम अपने उद्धार के लिए अपने परमेश्वर का जो राजगद्दी पर बैठा है और मेम्ने का एहसान मानते हैं।”—प्रका. 7:9, 10.
12. यीशु की प्रार्थना से हमने यहोवा के मकसद के बारे में क्या सीखा?
12 यीशु की आदर्श प्रार्थना से हमने यहोवा के बारे में और आज्ञाकारी इंसानों के लिए उसका जो मकसद है, उस बारे में बहुत कुछ सीखा है। पहली बात, हमें हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए कि हम यहोवा का आदर करें और उसके नाम को पवित्र करें। (यशा. 8:13) यीशु के फिरौती बलिदान से हमारा उद्धार मुमकिन हुआ है और इससे भी परमेश्वर के नाम की महिमा होती है। दरअसल यीशु के नाम का मतलब ही है, “यहोवा उद्धार है।” दूसरी बात, यहोवा अपने राज के ज़रिए इंसानों को वे सारे फायदे पहुँचाएगा जो फिरौती से मिलते हैं। तीसरी बात, हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि यहोवा की मरज़ी को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता।—भज. 135:6; यशा. 46:9, 10.
फिरौती के लिए एहसानमंदी दिखाइए
13. हम बपतिस्मा लेकर क्या दिखाते हैं?
13 फिरौती के लिए एहसानमंदी दिखाने का एक अहम तरीका है अपना जीवन यहोवा को समर्पित करना और बपतिस्मा लेना। हमारा बपतिस्मा यह साफ दिखाता है कि “हम यहोवा ही के हैं।” (रोमि. 14:8) जब हम बपतिस्मा लेते हैं तो हम यहोवा से गुज़ारिश करते हैं कि वह हमें “साफ ज़मीर” दे। (1 पत. 3:21) फिर यहोवा मसीह के बलिदान के आधार पर हमें अपना दोस्त मानता है। और हमें पूरा यकीन है कि वह हमें ऐसी हर चीज़ देगा जिसका उसने वादा किया है।—रोमि. 8:32.
14. यहोवा ने हमें लोगों से प्यार करने की आज्ञा क्यों दी है?
14 यहोवा जो कुछ करता है प्यार की वजह से करता है और वह चाहता है कि उसके उपासक उसकी मिसाल पर चलें। (1 यूह. 4:8-11) जब हम लोगों से प्यार करते हैं, खासकर अपने मसीही भाइयों से, तो हम दिखाते हैं कि हम फिरौती की कदर करते हैं और “स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के बेटे” बनना चाहते हैं। (मत्ती 5:43-48) दो सबसे बड़ी आज्ञाओं में से पहली है कि हम यहोवा से प्यार करें और दूसरी है, अपने पड़ोसी से प्यार करें। (मत्ती 22:37-40) पड़ोसियों से प्यार करने का एक तरीका है, उन्हें परमेश्वर के राज की खुशखबरी सुनाना। अगर हम यहोवा की आज्ञा मानकर दूसरों से प्यार करेंगे, तब यहोवा के लिए हमारा प्यार ‘पूरी हद तक दिखायी देगा।’—1 यूह. 4:12, 20.
फिरौती की बदौलत हमें यहोवा से आशीषें मिलती हैं
15. (क) यहोवा से हमें अभी क्या आशीषें मिल रही हैं? (ख) भविष्य में वह हमें क्या आशीषें देगा?
15 यहोवा हमें यकीन दिलाता है कि फिरौती पर विश्वास करने की वजह से हमारे पाप ‘मिटाए जाते हैं।’ हमें पूरी तरह माफ किया जाता है। (प्रेषितों 3:19-21 पढ़िए।) जैसा हमने पहले चर्चा की थी, फिरौती से यह मुमकिन हुआ कि यहोवा कुछ इंसानों को अपने बेटों के नाते गोद ले। ये लोग अभिषिक्त जन हैं जिन्हें स्वर्ग में जीवन दिया जाता है। (रोमि. 8:15-17) ‘दूसरी भेड़ों’ के आगे भी यह मौका है कि भविष्य में यहोवा उन्हें अपने बेटों के नाते गोद लेगा। जब ये लोग पूरी तरह परिपूर्ण हो जाएँगे तब उन्हें आखिरी बार परखा जाएगा। अगर वे यहोवा के वफादार रहेंगे तो वह खुशी-खुशी उन्हें अपने बच्चों के नाते गोद ले लेगा। (रोमि. 8:20, 21; प्रका. 20:7-9) यहोवा अपने सभी बच्चों से हमेशा प्यार करेगा। फिरौती से इंसानों को हमेशा तक फायदे होते रहेंगे। (इब्रा. 9:12) फिरौती यहोवा की तरफ से एक बेशकीमती तोहफा है और इसे कोई भी हमसे नहीं छीन सकता।
16. फिरौती हमें किस तरह आज़ाद करती है?
16 अगर हम अपने पापों का पश्चाताप करें, तो हम आगे चलकर यहोवा के परिवार का हिस्सा बनेंगे और ऐसा करने से शैतान हमें नहीं रोक सकता। यीशु हमारे लिए “एक ही बार हमेशा के लिए” मरा और उसने फिरौती की कीमत अदा की। (इब्रा. 9:24-26) आदम की वजह से हम मरते हैं लेकिन यीशु के बलिदान से हमें हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी। फिरौती हमें शैतान की दुनिया की गिरफ्त से और मौत के डर से आज़ाद कर सकती है।—इब्रा. 2:14, 15.
17. यहोवा का प्यार आपके लिए क्या मायने रखता है?
17 परमेश्वर के वादे ज़रूर पूरे होंगे। जिस तरह यहोवा के ठहराए प्रकृति के नियम कभी नहीं बदलते, उसी तरह यहोवा भी नहीं बदलता। वह हमें कभी निराश नहीं करेगा। (मला. 3:6) यहोवा हमें सिर्फ जीवन ही नहीं देता बल्कि हमारे लिए अपना प्यार भी ज़ाहिर करता है। “हम जान गए हैं कि परमेश्वर हमसे कितना प्यार करता है और हमें इसका पूरा यकीन है। परमेश्वर प्यार है।” (1 यूह. 4:16) परमेश्वर जो कहता है वह ज़रूर पूरा होता है। जल्द ही पूरी धरती एक फिरदौस बन जाएगी। हरेक जन यहोवा की मिसाल पर चलेगा और एक-दूसरे से प्यार करेगा। तब स्वर्ग और धरती पर उसके सभी सेवक कहेंगे, “हमारे परमेश्वर की सदा तारीफ, धन्यवाद और महिमा होती रहे और बुद्धि, आदर, शक्ति और ताकत सदा उसी के हों। आमीन।”—प्रका. 7:12.