अध्याय 36
एक सेनापति कमाल का विश्वास दिखाता है
यीशु एक सेनापति के दास को चंगा करता है
जिनमें विश्वास है वे आशीष पाएँगे
यीशु पहाड़ी उपदेश देने के बाद कफरनहूम शहर चला जाता है। यहाँ यहूदियों के कुछ बड़े आदमी उससे मिलने आते हैं। उन्हें एक रोमी सेना-अफसर ने भेजा है।
सेना-अफसर का एक दास बहुत बीमार है और उसकी मरने जैसी हालत हो गयी है। वह अपने दास से बहुत प्यार करता है, इसलिए चाहता है कि यीशु उसे ठीक कर दे। यह सेना-अफसर एक रोमी आदमी है और इसकी कमान के नीचे सौ सैनिक हैं। फिर भी यह इतना नम्र है कि यीशु से मदद माँगता है। उसने जिन यहूदियों को यीशु के पास भेजा है, वे यीशु को बताते हैं कि सेना-अफसर के सेवक को “लकवा मार गया है और उसका बहुत बुरा हाल है।” (मत्ती 8:6) वे यीशु को यह भी बताते हैं कि सेना-अफसर एक भला आदमी है। वह यहूदियों से प्यार करता है और उसने उनके लिए एक सभा-घर भी बनवाया है, इसलिए यीशु मेहरबानी करके उसकी मदद करे।—लूका 7:4, 5.
यीशु फौरन उन यहूदियों के साथ सेना-अफसर के घर की तरफ चल पड़ता है। जब वह उसके घर के पास पहुँचनेवाला होता है, तो उसे सेना-अफसर के कुछ दोस्त मिलते हैं। वे उसकी तरफ से यीशु को एक संदेश देते हैं, “मालिक, और तकलीफ मत उठा क्योंकि मैं इस लायक नहीं कि तू मेरी छत तले आए। इसी वजह से मैंने अपने आपको इस काबिल नहीं समझा कि तेरे पास आऊँ।” (लूका 7:6, 7) ज़रा सोचिए, दूसरों को हुक्म देनेवाला यह अफसर यीशु से कहता है कि मैं तेरे पास आने के लायक नहीं हूँ। वह कितना नम्र है। वह दूसरे रोमी अधिकारियों जैसा नहीं है जो अपने दासों पर अत्याचार करते हैं।—मत्ती 8:9.
सेना-अफसर ज़रूर जानता होगा कि यहूदी लोग दूसरे राष्ट्रों के लोगों से मिलना-जुलना पसंद नहीं करते। (प्रेषितों 10:28) शायद इसी वजह से वह अपने दोस्तों के हाथ यीशु को संदेश भेजता है, “बस तू अपने मुँह से कह दे और मेरा सेवक ठीक हो जाएगा।”—लूका 7:7.
यह बात सुनकर यीशु को बहुत ताज्जुब होता है और वह कहता है, “मैंने इसराएल में भी ऐसा ज़बरदस्त विश्वास नहीं पाया।” (लूका 7:9) जब सेनापति के दोस्त उसके घर लौटते हैं, तो वे देखते हैं कि उसका दास बिलकुल ठीक हो गया है।
यीशु उस आदमी को चंगा करने के बाद बताता है कि जो गैर-यहूदी लोग उस पर विश्वास करते हैं, उन्हें आशीषें मिलेंगी। “पूरब से और पश्चिम से बहुत-से लोग आएँगे और स्वर्ग के राज में अब्राहम, इसहाक और याकूब के साथ मेज़ से टेक लगाकर बैठेंगे।” और उन यहूदियों का क्या होगा जो विश्वास नहीं करते? वे “अँधेरे में फेंक दिए जाएँगे। वहाँ वे रोएँगे और दाँत पीसेंगे।”—मत्ती 8:11, 12.
मसीह के साथ राज करने का मौका सबसे पहले इसराएलियों को दिया गया था। मगर जिन इसराएलियों ने यीशु पर विश्वास करने से इनकार कर दिया, उनसे यह मौका ले लिया जाएगा और दूसरे राष्ट्रों में से उन लोगों को दे दिया जाएगा जो उस पर विश्वास करते हैं। वे स्वर्ग के राज में मानो “मेज़ से टेक लगाकर बैठेंगे।”