अध्याय 30
परमेश्वर यीशु का पिता है
यीशु का पिता परमेश्वर है
जिनकी मौत हो गयी है उन्हें ज़िंदा किया जाएगा
जब यीशु ने एक बीमार आदमी को ठीक किया, तो कुछ यहूदियों ने यीशु पर दोष लगाया कि उसने सब्त का नियम तोड़ा है। यीशु उन लोगों से कहता है, “मेरा पिता अब तक काम कर रहा है और मैं भी काम करता रहता हूँ।”—यूहन्ना 5:17.
यीशु ने उस आदमी को चंगा करके सब्त का नियम नहीं तोड़ा है। वह सब्त के दिन इसलिए प्रचार करता है और लोगों को चंगा करता है, क्योंकि वह अपने पिता की तरह हर दिन लोगों का भला करना चाहता है। मगर उसकी बात सुनकर यहूदी और भड़क जाते हैं और उसे मार डालना चाहते हैं। आखिर वजह क्या है?
उन्हें लगता है कि एक तो वह सब्त का नियम तोड़ रहा है और ऊपर से परमेश्वर को अपना पिता कह रहा है। उनके हिसाब से परमेश्वर को अपना पिता कहकर यीशु खुद को परमेश्वर के बराबर बता रहा है और उसकी निंदा कर रहा है। मगर यीशु उनसे डरता नहीं बल्कि खुलकर बताता है कि परमेश्वर के साथ उसका एक खास रिश्ता है। वह कहता है, “पिता को बेटे से बहुत लगाव है और वह खुद जो करता है वह सब बेटे को भी दिखाता है।”—यूहन्ना 5:20.
पिता ही सबको जीवन देता है। बीते समय में उसने अपने सेवकों को मरे हुओं को ज़िंदा करने की शक्ति दी थी। यीशु कहता है, “जैसे पिता मरे हुओं को ज़िंदा करता है और उन्हें जीवन देता है, ठीक वैसे ही बेटा भी जिन्हें चाहता है उन्हें जीवन देता है।” (यूहन्ना 5:21) यीशु की इस बात से एक आशा मिलती है कि जिनकी मौत हो गयी है उन्हें भविष्य में ज़िंदा किया जाएगा। देखा जाए तो यीशु अभी-भी लोगों को एक तरह से ज़िंदा कर रहा है, इसलिए वह कहता है, “जो मेरे वचन सुनता है और मेरे भेजनेवाले पर यकीन करता है, वह हमेशा की ज़िंदगी पाता है और उसे सज़ा नहीं सुनायी जाती बल्कि वह मौत को पार करके ज़िंदगी पाता है।”—यूहन्ना 5:24.
अब तक यीशु ने किसी ऐसे इंसान को ज़िंदा नहीं किया है जिसकी सचमुच मौत हो गयी है। मगर वह अपने विरोधियों को बताता है कि ऐसा जल्द ही होनेवाला है: “वह वक्त आ रहा है जब वे सभी, जो स्मारक कब्रों में हैं उसकी आवाज़ सुनेंगे और बाहर निकल आएँगे।”—यूहन्ना 5:28, 29.
परमेश्वर ने अपना मकसद पूरा करने के लिए यीशु को एक खास ज़िम्मेदारी दी है। यीशु लोगों का न्याय करेगा और जिनकी मौत हो गयी है उन्हें ज़िंदा करेगा। वह साफ बताता है कि इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी पाने के बाद भी उसका दर्जा परमेश्वर से कम है: “मैं अपनी पहल पर एक भी काम नहीं कर सकता। . . . मैं अपनी नहीं बल्कि उसकी मरज़ी पूरी करना चाहता हूँ जिसने मुझे भेजा है।” (यूहन्ना 5:30) यीशु पहली बार खुलकर बता रहा है कि परमेश्वर ने उसे ऐसी ज़िम्मेदारी दी है। उसके विरोधी किसी और के मुँह से भी इस बात की गवाही सुन चुके हैं। वह उन्हें याद दिलाता है, “तुमने यूहन्ना [बपतिस्मा देनेवाले] के पास आदमी भेजे और उसने सच्चाई के बारे में गवाही दी।”—यूहन्ना 5:33.
उन्हें याद होगा कि दो साल पहले यूहन्ना ने यहूदी धर्म गुरुओं को बताया था कि उसके बाद कोई आएगा जो “भविष्यवक्ता” और “मसीह” होगा। (यूहन्ना 1:20-25) यीशु उन्हें याद दिलाता है कि एक वक्त पर वे यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले को कितना मानते थे। वह कहता है, “तुम थोड़े वक्त के लिए उसकी रौशनी में बड़ी खुशी मनाने के लिए तैयार थे।” (यूहन्ना 5:35) यीशु अब कुछ और सबूत पेश करता है जो कि यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले की गवाही से बढ़कर है।
यीशु उनसे कहता है, “जो काम मेरे पिता ने मुझे पूरे करने के लिए सौंपे हैं और जिन्हें मैं कर रहा हूँ, वही मेरे बारे में गवाही देते हैं कि मुझे पिता ने भेजा है।” उसने अभी-अभी एक बीमार आदमी को ठीक किया था और वह भी इन्हीं में से एक काम था। फिर वह कहता है, “पिता ने भी, जिसने मुझे भेजा है, खुद मेरे बारे में गवाही दी है।” (यूहन्ना 5:36, 37) यह गवाही परमेश्वर ने यीशु के बपतिस्मे के वक्त दी थी।—मत्ती 3:17.
तो इस बात के कितने सबूत हैं, कितने गवाह हैं कि यीशु परमेश्वर का बेटा है! यीशु के विरोधी इस बात से इनकार कर ही नहीं सकते। यहाँ तक कि शास्त्र में भी उसके बारे में लिखा है। ये यहूदी दावा करते हैं कि वे शास्त्र में खोजबीन करते हैं। तो फिर वे इनकार कैसे कर सकते हैं? “अगर तुमने मूसा का यकीन किया होता तो मेरा भी यकीन करते क्योंकि उसने मेरे बारे में लिखा था। जब तुम उसकी किताबों का यकीन नहीं करते, तो भला मेरी बातों का यकीन कैसे करोगे?”—यूहन्ना 5:46, 47.