यीशु का जीवन और सेवकाई
एक सेना अफ़सर का महान विश्वास
जब यीशु पहाड़ी उपदेश देता है वह उसके सार्वजनिक सेवकाई के बीच में पहुँचता है। इसका अर्थ है कि उसके पास पृथ्वी पर उसके कार्य को पूर्ण करने के लिए केवल एक वर्ष और नौ महिनें या लगभग बचे हैं।
यीशु अब कफरनहूम के शहर में प्रवेश करता है जो उसके कार्यों के लिए एक आस्थान के समान है। यहाँ यहूदियों के प्राचीन एक निवेदन के साथ उसके पास आते हैं। वे रोमी सेना के एक अफ़सर द्वारा भेजे गए हैं जो अन्य जाति का है।
सेना अफ़सर का प्रिय सेवक एक गम्भीर बीमारी के कारण मरेनेवाला है और वह चाहता है कि यीशु उसके सेवक को चंगा करें। यहूदी लोग अफ़सर की ओर से गम्भीरतापूर्वक बिनती करते हैं: “वे कहने लगे कि ‘वह इस योग्य है, कि तू उसके लिये यह करे, क्योंकि वह हमारी जाति से प्रेम रखता है, और उसी ने हमारे आराधनालय को बनाया है।”
हिचकिचाहट के बिना, यीशु उन मनुष्यों के साथ निकलता है। किन्तु, जब वे नज़दीक आते हैं, सेना अफ़सर दोस्तों को यह कहने के लिए भेजता है: “हे प्रभु दुःख न उठा, क्योंकि मैं इस योग्य नहीं कि तू मेरी छत के तले आए। इसी कारण मैंने अपने आप को इस योग्य भी न समझा, कि तेरे पास आऊं।”
एक अफ़सर के लिए जो दूसरों को आदेश देने में अभ्यस्त है यह क्या ही एक नम्र अभिव्यक्ति है! लेकिन शायद वह यीशु के बारे में भी सोचता है, यह जानते हुए कि प्रथा एक यहूदी को ग़ैर-यहूदियों के साथ सामाजिक सम्बन्ध रखना मना करती है। पतरस ने भी कहा: “अन्यजाति की संगति करना या उसके यहां जाना यहूदी के लिए अधर्म है।”
शायद यह चाहते हुए कि यीशु इस प्रथा के विरुद्ध जाने के परिणाम न सहे वह अफ़सर उसके दोस्तों द्वारा उसे यह निवेदन भेजता है: “वचन ही कह दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। मैं भी पराधीन मनुष्य हूँ; और सिपाही मेरे हाथ में हैं, और जब एक को कहता हूँ, जा, तो वह जाता है; और दूसरे से कहता हूँ कि आ, तो आता है; और अपने किसी दास को कि यह कर, तो वह उसे करता है।”
खैर, जब यीशु ने यह सुना तब उसने अचम्बा किया। वह कहता है, “मैं तुम से कहता हूँ, कि मैंने इस्राएल में भी ऐसा विश्वास नहीं पाया।” इस अफ़सर के सेवक को चंगा करने के बाद यीशु इस मौके का उपयोग यह बताने के लिए करता है कि कैसे विश्वास रखनेवाले ग़ैर-यहूदी उन आशिषों से अनुग्रहित होंगे जिन्हें अविश्वासी यहूदियों ने अस्वीकार किया।
यीशु कहता है ”बहुतेरे पूर्व और पश्चिम से आकर इब्राहीम और इसहाक और याकूब के साथ स्वर्ग के राज्य में बैठेंगे। परन्तु राज्य के सन्तान बाहर अन्धियारे में डाल दिए जाएंगे: वहाँ रोना और दाँतो को पीसना होगा।”
“राज्य के सन्तान . . . अन्धियारे में डाल दिए” गए, वे स्वाभाविक यहूदी हैं जिन्होंने मसीह के साथ शासक बनने का सुअवसर अस्वीकार किया, जो पहले उन्हें दिया गया था। इब्राहीम, इसहाक और याकूब परमेश्वर के राज्य की व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस तरह यीशु बताता है कि कैसे अन्यजाति के लोग स्वर्गीय मेज़ के पास, “स्वर्ग के राज्य में” बैठने के लिए स्वागत किए जाएंगे। लूका ७:१-१०; मत्ती ८:५-१३; प्रेरित १०:२८.
◆ यहूदियों ने अन्यजाति के एक सेना अफ़सर के पक्ष में क्यों निवेदन किया?
◆ यीशु को उसके घर में प्रवेश न करने का निवेदन उस अफ़सर ने क्यों किया होगा?
◆ उसकी अन्तिम उक्तियों के द्वारा यीशु ने क्या सूचित किया?